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11 तेरे अभिमान को मृत्यु के लोक में नीचे उतारा गया।
    तेरे अभिमानी आत्मा की आने की घोषणा तेरी वीणाओं का संगीत करता है।
तेरे शरीर को मक्खियाँ खा जायेंगी।
    तू उन पर ऐसे लेटेगा मानों वे तेरा बिस्तर हो।
कीड़े ऐसे तेरी देह को ढक लेंगे मानों कोई कम्बल हों।
12 तेरा स्वरुप भोर के तारे सा था, किन्तु तू आकाश के ऊपर से गिर पड़ा।
    धरती के सभी राष्ट्र पहले तेरे सामने झुका करते थे।
किन्तु तुझको तो अब काट कर गिरा दिया गया।
13 तू सदा अपने से कहा करता था कि, “मैं सर्वोच्च परमेश्वर सा बनूँगा।
मैं आकाशों के ऊपर जीऊँगा।
    मैं परमेशवर के तारों के ऊपर अपना सिंहासन स्थापित करुँगा।
मैं जफोन के पवित्र पर्वत पर बैठूँगा।
    मैं उस छिपे हुए पर्वत पर देवों से मिलूँगा।

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11 तेरे अभिमान को मृत्यु के लोक में नीचे उतारा गया।
    तेरे अभिमानी आत्मा की आने की घोषणा तेरी वीणाओं का संगीत करता है।
तेरे शरीर को मक्खियाँ खा जायेंगी।
    तू उन पर ऐसे लेटेगा मानों वे तेरा बिस्तर हो।
कीड़े ऐसे तेरी देह को ढक लेंगे मानों कोई कम्बल हों।
12 तेरा स्वरुप भोर के तारे सा था, किन्तु तू आकाश के ऊपर से गिर पड़ा।
    धरती के सभी राष्ट्र पहले तेरे सामने झुका करते थे।
किन्तु तुझको तो अब काट कर गिरा दिया गया।
13 तू सदा अपने से कहा करता था कि, “मैं सर्वोच्च परमेश्वर सा बनूँगा।
मैं आकाशों के ऊपर जीऊँगा।
    मैं परमेशवर के तारों के ऊपर अपना सिंहासन स्थापित करुँगा।
मैं जफोन के पवित्र पर्वत पर बैठूँगा।
    मैं उस छिपे हुए पर्वत पर देवों से मिलूँगा।

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