मरकुस 5:1-20
Hindi Bible: Easy-to-Read Version
दुष्टात्माओं से छुटकारे
(मत्ती 8:28-34; लूका 8:26-39)
5 फिर वे झील के उस पार गिरासेनियों के देश पहुँचे। 2 यीशु जब नाव से बाहर आया तो कब्रों में से निकल कर तत्काल एक ऐसा व्यक्ति जिस में दुष्टात्मा का प्रवेश था, उससे मिलने आया। 3 वह कब्रों के बीच रहा करता था। उसे कोई नहीं बाँध सकता था, यहाँ तक कि जंजीरों से भी नहीं। 4 क्योंकि उसे जब जब हथकड़ी और बेड़ियाँ डाली जातीं, वह उन्हें तोड़ देता। ज़ंजीरों के टुकड़े-टुकड़े कर देता और बेड़ियों को चकनाचूर। कोई भी उसे काबू नहीं कर पाता था। 5 कब्रों और पहाड़ियों में रात-दिन लगातार, वह चीखता-पुकारता अपने को पत्थरों से घायल करता रहता था।
6 उसने जब दूर से यीशु को देखा, वह उसके पास दौड़ा आया और उसके सामने प्रणाम करता हुआ गिर पड़ा। 7 और ऊँचे स्वर में पुकारते हुए बोला, “सबसे महान परमेश्वर के पुत्र, हे यीशु! तू मुझसे क्या चाहता है? तुझे परमेश्वर की शपथ, मेरी विनती है तू मुझे यातना मत दे।” 8 क्योंकि यीशु उससे कह रहा था, “ओ दुष्टात्मा, इस मनुष्य में से निकल आ।”
9 तब यीशु ने उससे पूछा, “तेरा नाम क्या है?”
और उसने उसे बताया, “मेरा नाम लीजन अर्थात् सेना है क्योंकि हम बहुत से हैं।” 10 उसने यीशु से बार बार विनती की कि वह उन्हें उस क्षेत्र से न निकाले।
11 वहीं पहाड़ी पर उस समय सुअरों का एक बड़ा सा रेवड़ चर रहा था। 12 दुष्टात्माओं ने उससे विनती की, “हमें उन सुअरों में भेज दो ताकि हम उन में समा जायें।” 13 और उसने उन्हें अनुमति दे दी। फिर दुष्टात्माएँ उस व्यक्ति में से निकल कर सुअरों में समा गयीं, और वह रेवड़, जिसमें कोई दो हजार सुअर थे, ढलवाँ किनारे से नीचे की तरफ लुढ़कते-पुढ़कते दौड़ता हुआ झील में जा गिरा। और फिर वहीं डूब मरा।
14 फिर रेवड़ के रखवालों ने जो भाग खड़े हुए थे, शहर और गाँव में जा कर यह समाचार सुनाया। तब जो कुछ हुआ था, उसे देखने लोग वहाँ आये। 15 वे यीशु के पास पहुँचे और देखा कि वह व्यक्ति जिस पर दुष्टात्माएँ सवार थीं, कपड़े पहने पूरी तरह सचेत वहाँ बैठा है, और यह वही था जिस में दुष्टात्माओं की पूरी सेना समाई थी, वे डर गये। 16 जिन्होंने वह घटना देखी थी, लोगों को उसका ब्योरा देते हुए बताया कि जिसमें दुष्टात्माएँ समाई थीं, उसके साथ और सुअरों के साथ क्या बीती। 17 तब लोग उससे विनती करने लगे कि वह उनके यहाँ से चला जाये।
18 और फिर जब यीशु नाव पर चढ़ रहा था तभी जिस व्यक्ति में दुष्टात्माएँ थीं, यीशु से विनती करने लगा कि वह उसे भी अपने साथ ले ले। 19 किन्तु यीशु ने उसे अपने साथ चलने की अनुमति नहीं दी। और उससे कहा, “अपने ही लोगों के बीच घर चला जा और उन्हें वह सब बता जो प्रभु ने तेरे लिये किया है। और उन्हें यह भी बता कि प्रभु ने दया कैसे की।”
20 फिर वह चला गया और दिकपुलिस के लोगों को बताने लगा कि यीशु ने उसके लिये कितना बड़ा काम किया है। इससे सभी लोग चकित हुए।
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मरकुस 5:1-20
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दुष्टात्माओं से छुटकारे
(मत्ती 8:28-34; लूका 8:26-39)
5 फिर वे झील के उस पार गिरासेनियों के देश पहुँचे। 2 यीशु जब नाव से बाहर आया तो कब्रों में से निकल कर तत्काल एक ऐसा व्यक्ति जिस में दुष्टात्मा का प्रवेश था, उससे मिलने आया। 3 वह कब्रों के बीच रहा करता था। उसे कोई नहीं बाँध सकता था, यहाँ तक कि जंजीरों से भी नहीं। 4 क्योंकि उसे जब जब हथकड़ी और बेड़ियाँ डाली जातीं, वह उन्हें तोड़ देता। ज़ंजीरों के टुकड़े-टुकड़े कर देता और बेड़ियों को चकनाचूर। कोई भी उसे काबू नहीं कर पाता था। 5 कब्रों और पहाड़ियों में रात-दिन लगातार, वह चीखता-पुकारता अपने को पत्थरों से घायल करता रहता था।
6 उसने जब दूर से यीशु को देखा, वह उसके पास दौड़ा आया और उसके सामने प्रणाम करता हुआ गिर पड़ा। 7 और ऊँचे स्वर में पुकारते हुए बोला, “सबसे महान परमेश्वर के पुत्र, हे यीशु! तू मुझसे क्या चाहता है? तुझे परमेश्वर की शपथ, मेरी विनती है तू मुझे यातना मत दे।” 8 क्योंकि यीशु उससे कह रहा था, “ओ दुष्टात्मा, इस मनुष्य में से निकल आ।”
9 तब यीशु ने उससे पूछा, “तेरा नाम क्या है?”
और उसने उसे बताया, “मेरा नाम लीजन अर्थात् सेना है क्योंकि हम बहुत से हैं।” 10 उसने यीशु से बार बार विनती की कि वह उन्हें उस क्षेत्र से न निकाले।
11 वहीं पहाड़ी पर उस समय सुअरों का एक बड़ा सा रेवड़ चर रहा था। 12 दुष्टात्माओं ने उससे विनती की, “हमें उन सुअरों में भेज दो ताकि हम उन में समा जायें।” 13 और उसने उन्हें अनुमति दे दी। फिर दुष्टात्माएँ उस व्यक्ति में से निकल कर सुअरों में समा गयीं, और वह रेवड़, जिसमें कोई दो हजार सुअर थे, ढलवाँ किनारे से नीचे की तरफ लुढ़कते-पुढ़कते दौड़ता हुआ झील में जा गिरा। और फिर वहीं डूब मरा।
14 फिर रेवड़ के रखवालों ने जो भाग खड़े हुए थे, शहर और गाँव में जा कर यह समाचार सुनाया। तब जो कुछ हुआ था, उसे देखने लोग वहाँ आये। 15 वे यीशु के पास पहुँचे और देखा कि वह व्यक्ति जिस पर दुष्टात्माएँ सवार थीं, कपड़े पहने पूरी तरह सचेत वहाँ बैठा है, और यह वही था जिस में दुष्टात्माओं की पूरी सेना समाई थी, वे डर गये। 16 जिन्होंने वह घटना देखी थी, लोगों को उसका ब्योरा देते हुए बताया कि जिसमें दुष्टात्माएँ समाई थीं, उसके साथ और सुअरों के साथ क्या बीती। 17 तब लोग उससे विनती करने लगे कि वह उनके यहाँ से चला जाये।
18 और फिर जब यीशु नाव पर चढ़ रहा था तभी जिस व्यक्ति में दुष्टात्माएँ थीं, यीशु से विनती करने लगा कि वह उसे भी अपने साथ ले ले। 19 किन्तु यीशु ने उसे अपने साथ चलने की अनुमति नहीं दी। और उससे कहा, “अपने ही लोगों के बीच घर चला जा और उन्हें वह सब बता जो प्रभु ने तेरे लिये किया है। और उन्हें यह भी बता कि प्रभु ने दया कैसे की।”
20 फिर वह चला गया और दिकपुलिस के लोगों को बताने लगा कि यीशु ने उसके लिये कितना बड़ा काम किया है। इससे सभी लोग चकित हुए।
Read full chapter© 1995, 2010 Bible League International