मत्ती 27:45-56
Hindi Bible: Easy-to-Read Version
यीशु की मृत्यु
(मरकुस 15:33-41; लूका 23:44-49; यूहन्ना 19:28-30)
45 फिर समूची धरती पर दोपहर से तीन बजे तक अन्धेरा छाया रहा। 46 कोई तीन बजे के आस-पास यीशु ने ऊँचे स्वर में पुकारा “एली, एली, लमा शबक्तनी।” अर्थात्, “मेरे परमेश्वर, मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?”
47 वहाँ खड़े लोगों में से कुछ यह सुनकर कहने लगे यह एलिय्याह को पुकार रहा है।(A)
48 फिर तुरंत उनमें से एक व्यक्ति दौड़ कर सिरके में डुबोया हुआ स्पंज एक छड़ी पर टाँग कर लाया और उसे यीशु को चूसने के लिए दिया। 49 किन्तु दूसरे लोग कहते रहे कि छोड़ो देखते हैं कि एलिय्याह इसे बचाने आता है या नहीं?
50 यीशु ने फिर एक बार ऊँचे स्वर में पुकार कर प्राण त्याग दिये।
51 उसी समय मन्दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया। धरती काँप उठी। चट्टानें फट पड़ीं। 52 यहाँ तक कि कब्रें खुल गयीं और परमेश्वर के मरे हुए बंदों के बहुत से शरीर जी उठे। 53 वे कब्रों से निकल आये और यीशु के जी उठने के बाद पवित्र नगर में जाकर बहुतों को दिखाई दिये।
54 रोमी सेना नायक और यीशु पर पहरा दे रहे लोग भूचाल और वैसी ही दूसरी घटनाओं को देख कर डर गये थे। वे बोले, “यीशु वास्तव में परमेश्वर का पुत्र था।”
55 वहाँ बहुत सी स्त्रियाँ खड़ी थीं। जो दूर से देख रही थीं। वे यीशु की देखभाल के लिए गलील से उसके पीछे आ रही थीं। 56 उनमें मरियम मगदलीनी, याकूब और योसेस की माता मरियम तथा जब्दी के बेटों की माता थीं।
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लूका 23:44-49
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यीशु का देहान्त
(मत्ती 27:45-56; मरकुस 15:33-41; यूहन्ना 19:28-30)
44 उस समय दिन के बारह बजे होंगे तभी तीन बजे तक समूची धरती पर गहरा अंधकार छा गया। 45 सूरज भी नहीं चमक रहा था। उधर मन्दिर में परदा फट कर दो टुकड़े हो गया। 46 यीशु ने ऊँचे स्वर में पुकारा, “हे परम पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों सौंपता हूँ।” यह कहकर उसने प्राण छोड़ दिये।
47 जब रोमी सेनानायक ने, जो कुछ घटा था, उसे देखा तो परमेश्वर की प्रशंसा करते हुए उसने कहा, “यह निश्चय ही एक अच्छा मनुष्य था!”
48 जब वहाँ देखने आये एकत्र लोगों ने, जो कुछ हुआ था, उसे देखा तो वे अपनी छाती पीटते लौट गये। 49 किन्तु वे सभी जो उसे जानते थे, उन स्त्रियों समेत, जो गलील से उसके पीछे पीछे आ रहीं थीं, इन बातों को देखने कुछ दूरी पर खड़े थे।
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यूहन्ना 19:28-30
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यीशु की मृत्यु
(मत्ती 27:45-56; मरकुस 15:33-41; लूका 23:44-49)
28 इसके बाद यीशु ने जान लिया कि सब कुछ पूरा हो चुका है। फिर इसलिए कि शास्त्र सत्य सिद्ध हो उसने कहा, “मैं प्यासा हूँ।” 29 वहाँ सिरके से भरा एक बर्तन रखा था। इसलिये उन्होंने एक स्पंज को सिरके में पूरी तरह डुबो कर हिस्सप अर्थात् जूफे की टहनी पर रखा और ऊपर उठा कर, उसके मुँह से लगाया। 30 फिर जब यीशु ने सिरका ले लिया तो वह बोला, “पूरा हुआ।” तब उसने अपना सिर झुका दिया और प्राण त्याग दिये।
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