मत्ती 26:46-56
Hindi Bible: Easy-to-Read Version
46 उठो, आओ चलें। देखो, मुझे पकड़वाने वाला यह रहा।”
यीशु को बंदी बनाना
(मरकुस 14:43-50; लूका 22:47-53; यूहन्ना 18:3-12)
47 यीशु जब बोल ही रहा था, यहूदा जो बारह शिष्यों में से एक था, आया। उसके साथ तलवारों और लाठियों से लैस प्रमुख याजकों और यहूदी नेताओं की भेजी एक बड़ी भीड़ भी थी। 48 यहूदा ने जो उसे पकड़वाने वाला था, उन्हें एक संकेत देते हुए कहा कि जिस किसी को मैं चूमूँ वही यीशु है, उसे पकड़ लो, 49 फिर वह यीशु के पास गया और बोला, “हे गुरु!” और बस उसने यीशु को चूम लिया।
50 यीशु ने उससे कहा, “मित्र जिस काम के लिए तू आया है, उसे कर।”
फिर भीड़ के लोगों ने पास जा कर यीशु को दबोच कर बंदी बना लिया। 51 फिर जो लोग यीशु के साथ थे, उनमें से एक ने तलवार खींच ली और वार करके महायाजक के दास का कान उड़ा दिया।
52 तब यीशु ने उससे कहा, “अपनी तलवार को म्यान में रखो। जो तलवार चलाते हैं वे तलवार से ही मारे जायेंगे। 53 क्या तुम नहीं सोचते कि मैं अपने परम पिता को बुला सकता हूँ और वह तुरंत स्वर्गदूतों की बारह सेनाओं से भी अधिक मेरे पास भेज देगा? 54 किन्तु यदि मैं ऐसा करूँ तो शास्त्रों की लिखी यह कैसे पूरी होगी कि सब कुछ ऐसे ही होना है?”
55 उसी समय यीशु ने भीड़ से कहा, “तुम तलवारों, लाठियों समेत मुझे पकड़ने ऐसे क्यों आये हो जैसे किसी चोर को पकड़ने आते हैं? मैं हर दिन मन्दिर में बैठा उपदेश दिया करता था और तुमने मुझे नहीं पकड़ा। 56 किन्तु यह सब कुछ घटा ताकि भविष्यवक्ताओं की लिखी पूरी हो।” फिर उसके सभी शिष्य उसे छोड़कर भाग खड़े हुए।
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मरकुस 14:43-52
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यीशु का बंदी बनाया जाना
(मत्ती 26:47-56; लूका 22:47-53; यूहन्ना 18:3-12)
43 यीशु बोल ही रहा था कि उसके बारह शिष्यों में से एक यहूदा वहाँ दिखाई पड़ा। उसके साथ लाठियाँ और तलवारें लिए एक भीड़ थी, जिसे याजकों, धर्मशास्त्रियों और बुजुर्ग यहूदी नेताओं ने भेजा था।
44 धोखे से पकड़वाने वाले ने उन्हें यह संकेत बता रखा था, “जिसे मैं चूँमू वही वह है। उसे हिरासत में ले लेना और पकड़ कर सावधानी से ले जाना।” 45 सो जैसे ही यहूदा वहाँ आया, उसने यीशु के पास जाकर कहा, “रब्बी!” और उसे चूम लिया। 46 फिर तूरंत उन्होंने उसे पकड़ कर हिरासत में ले लिया। 47 उसके एक शिष्य ने जो उसके पास ही खड़ा था अपनी तलवार खींच ली और महायाजक के एक दास पर चला दी जिससे उसका कान कट गया।
48 फिर यीशु ने उनसे कहा, “क्या मैं कोई अपराधी हूँ जिसे पकड़ने तुम लाठी-तलवार ले कर आये हो? 49 हर दिन मन्दिर में उपदेश देते हुए मैं तुम्हारे साथ ही था किन्तु तुमने मुझे नहीं पकड़ा। अब यह हुआ ताकि शास्त्र का वचन पूरा हो।” 50 फिर उसके सभी शिष्य उसे अकेला छोड़ भाग खड़े हुए।
51 अपनी वस्त्र रहित देह पर चादर लपेटे एक नौजवान उसके पीछे आ रहा था। उन्होंने उसे पकड़ना चाहा 52 किन्तु वह अपनी चादर छोड़ कर नंगा भाग खड़ा हुआ।
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लूका 22:47-65
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यीशु को बंदी बनाना
(मत्ती 26:47-56; मरकुस 14:43-50; यूहन्ना 18:3-11)
47 वह अभी बोल ही रहा था कि एक भीड़ आ जुटी। यहूदा नाम का एक व्यक्ति जो बारह शिष्यों में से एक था, उनकी अगुवाई कर रहा था। वह यीशु को चूमने के लिये उसके पास आया।
48 पर यीशु ने उससे कहा, “हे यहूदा, क्या तू एक चुम्बन के द्वारा मनुष्य के पुत्र को धोखे से पकड़वाने जा रहा है।” 49 जो घटने जा रहा था, उसे देखकर उसके आसपास के लोगों ने कहा, “हे प्रभु, क्या हम तलवार से वार करें?” 50 और उनमें से एक ने तो प्रमुख याजक के दास पर वार करके उसका दाहिना कान ही काट डाला।
51 किन्तु यीशु ने तुरंत कहा, “उन्हें यह भी करने दो।” फिर यीशु ने उसके कान को छू कर चंगा कर दिया।
52 फिर यीशु ने उस पर चढ़ाई करने आये प्रमुख याजकों, मन्दिर के अधिकारियों और बुजुर्ग यहूदी नेताओं से कहा, “क्या तुम तलवारें और लाठियाँ ले कर किसी डाकू का सामना करने निकले हो? 53 मन्दिर में मैं हर दिन तुम्हारे ही साथ था, किन्तु तुमने मुझ पर हाथ नहीं डाला। पर यह समय तुम्हारा है। अन्धकार के शासन का काल।”
पतरस का इन्कार
(मत्ती 26:57-58, 69-75; मरकुस 14:53-54, 66-72; यूहन्ना 18:12-18, 25-27)
54 उन्होंने उसे बंदी बना लिया और वहाँ से ले गये। फिर वे उसे प्रमुख याजक के घर ले गये। पतरस कुछ दूरी पर उसके पीछे पीछे आ रहा था। 55 आँगन के बीच उन्होंने आग सुलगाई और एक साथ नीचे बैठ गये। पतरस भी वही उन्हीं में बैठा था। 56 आग के प्रकाश में एक दासी ने उसे वहाँ बैठे देखा। उसने उस पर दृष्टि गढ़ाते हुए कहा, “यह आदमी भी उसके साथ था।”
57 किन्तु पतरस ने इन्कार करते हुए कहा, “हे स्त्री, मैं उसे नहीं जानता।” 58 थोड़ी देर बाद एक दूसरे व्यक्ति ने उसे देखा और कहा, “तू भी उन्हीं में से एक है।”
किन्तु पतरस बोला, “भले आदमी, मैं वह नहीं हूँ।”
59 कोई लगभग एक घड़ी बीती होगी कि कोई और भी बलपूर्वक कहने लगा, “निश्चय ही यह व्यक्ति उसके साथ भी था। क्योंकि देखो यह गलील वासी भी है।”
60 किन्तु पतरस बोला, “भले आदमी, मैं नहीं जानता तू किसके बारे में बात कर रहा है।”
उसी घड़ी, वह अभी बातें कर ही रहा था कि एक मुर्गे ने बाँग दी। 61 और प्रभु ने मुड़ कर पतरस पर दृष्टि डाली। तभी पतरस को प्रभु का वह वचन याद आया जो उसने उससे कहा था, “आज मुर्गे के बाँग देने से पहले तू मुझे तीन बार नकार चुकेगा।” 62 तब वह बाहर चला आया और फूट-फूट कर रो पड़ा।
यीशु का उपहास
(मत्ती 26:67-68; मरकुस 14:65)
63 जिन व्यक्तियों ने यीशु को पकड़ रखा था वे उसका उपहास करने और उसे पीटने लगे। 64 उसकी आँखों पर पट्टी बाँध दी और उससे यह कहते हुए पूछने लगे कि, “बता वह कौन है जिसने तुझे मारा?” 65 उन्होंने उसका अपमान करने के लिये उससे और भी बहुत सी बातें कहीं।
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यूहन्ना 18:2-11
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2 धोखे से उसे पकड़वाने वाला यहूदा भी उस जगह को जानता था क्योंकि यीशु वहाँ प्रायः अपने शिष्यों से मिला करता था। 3 इसलिये यहूदा रोमी सिपाहियों की एक टुकड़ी और महायाजकों और फरीसियों के भेजे लोगों और मन्दिर के पहरेदारों के साथ मशालें दीपक और हथियार लिये वहाँ आ पहुँचा।
4 फिर यीशु जो सब कुछ जानता था कि उसके साथ क्या होने जा रहा है, आगे आया और उनसे बोला, “तुम किसे खोज रहे हो?”
5 उन्होंने उसे उत्तर दिया, “यीशु नासरी को।”
यीशु ने उनसे कहा, “वह मैं हूँ।” (तब उसे धोखे से पकड़वाने वाला यहूदा भी वहाँ खड़ा था।) 6 जब उसने उनसे कहा, “वह मैं हूँ,” तो वे पीछे हटे और धरती पर गिर पड़े।
7 इस पर एक बार फिर यीशु ने उनसे पूछा, “तुम किसे खोज रहे हो?”
वे बोले, “यीशु नासरी को।”
8 यीशु ने उत्तर दिया, “मैंने तुमसे कहा, वह मैं ही हूँ। यदि तुम मुझे खोज रहे हो तो इन लोगों को जाने दो।” 9 यह उसने इसलिये कहा कि जो उसने कहा था, वह सच हो, “मैंने उनमें से किसी को भी नहीं खोया, जिन्हें तूने मुझे सौंपा था।”
10 फिर शमौन पतरस ने, जिसके पास तलवार थी, अपनी तलवार निकाली और महायाजक के दास का दाहिना कान काटते हुए उसे घायल कर दिया। (उस दास का नाम मलखुस था।) 11 फिर यीशु ने पतरस से कहा, “अपनी तलवार म्यान में रख! क्या मैं यातना का वह प्याला न पीऊँ जो परम पिता ने मुझे दिया है?”
Read full chapter© 1995, 2010 Bible League International