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15 “इसलिए जब तुम लोग ‘भयानक विनाशकारी वस्तु को,’ जिसका उल्लेख दानिय्येल नबी द्वारा किया गया था, मन्दिर के पवित्र स्थान पर खड़े देखो।” (पढ़ने वाला स्वयं समझ ले कि इसका अर्थ क्या है) 16 “तब जो लोग यहूदिया में हों उन्हें पहाड़ों पर भाग जाना चाहिये। 17 जो अपने घर की छत पर हों, वह घर से बाहर कुछ भी ले जाने के लिए नीचे न उतरें। 18 और जो बाहर खेतों में काम कर रहें हों, वह पीछे मुड़ कर अपने वस्त्र तक न लें।

19 “उन स्त्रियों के लिये, जो गर्भवती होंगी या जिनके दूध पीते बच्चे होंगे, वे दिन बहुत कष्ट के होंगे। 20 प्रार्थना करो कि तुम्हें सर्दियों के दिनों या सब्त के दिन भागना न पड़े। 21 उन दिनों ऐसी विपत्ति आयेगी जैसी जब से परमेश्वर ने यह सृष्टि रची है, आज तक कभी नहीं आयी और न कभी आयेगी।

22 “और यदि परमेश्वर ने उन दिनों को घटाने का निश्चय न कर लिया होता तो कोई भी न बचता किन्तु अपने चुने हुओं के कारण वह उन दिनों को कम करेगा।

23 “उन दिनों यदि कोई तुम लोगों से कहे, ‘देखो, यह रहा मसीह!’ 24 या ‘वह रहा मसीह’ तो उसका विश्वास मत करना। मैं यह कहता हूँ क्योंकि कपटी मसीह और कपटी नबी खड़े होंगे और ऐसे ऐसे आश्चर्य चिन्ह दिखायेंगे और अदभुत काम करेंगे कि बन पड़े तो वह चुने हुओं को भी चकमा दे दें। 25 देखो मैंने तुम्हें पहले ही बता दिया है।

26 “सो यदि वे तुमसे कहें, ‘देखो वह जंगल में है’ तो वहाँ मत जाना और यदि वे कहें, ‘देखो वह उन कमरों के भीतर छुपा है’ तो उनका विश्वास मत करना। 27 मैं यह कह रहा हूँ क्योंकि जैसे बिजली पूरब में शुरू होकर पश्चिम के आकाश तक कौंध जाती है वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी प्रकट होगा! 28 जहाँ कहीं लाश होगी वहीं गिद्ध इकट्ठे होंगे।

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15 “इसलिए जब तुम लोग ‘भयानक विनाशकारी वस्तु को,’ जिसका उल्लेख दानिय्येल नबी द्वारा किया गया था, मन्दिर के पवित्र स्थान पर खड़े देखो।” (पढ़ने वाला स्वयं समझ ले कि इसका अर्थ क्या है) 16 “तब जो लोग यहूदिया में हों उन्हें पहाड़ों पर भाग जाना चाहिये। 17 जो अपने घर की छत पर हों, वह घर से बाहर कुछ भी ले जाने के लिए नीचे न उतरें। 18 और जो बाहर खेतों में काम कर रहें हों, वह पीछे मुड़ कर अपने वस्त्र तक न लें।

19 “उन स्त्रियों के लिये, जो गर्भवती होंगी या जिनके दूध पीते बच्चे होंगे, वे दिन बहुत कष्ट के होंगे। 20 प्रार्थना करो कि तुम्हें सर्दियों के दिनों या सब्त के दिन भागना न पड़े। 21 उन दिनों ऐसी विपत्ति आयेगी जैसी जब से परमेश्वर ने यह सृष्टि रची है, आज तक कभी नहीं आयी और न कभी आयेगी।

22 “और यदि परमेश्वर ने उन दिनों को घटाने का निश्चय न कर लिया होता तो कोई भी न बचता किन्तु अपने चुने हुओं के कारण वह उन दिनों को कम करेगा।

23 “उन दिनों यदि कोई तुम लोगों से कहे, ‘देखो, यह रहा मसीह!’ 24 या ‘वह रहा मसीह’ तो उसका विश्वास मत करना। मैं यह कहता हूँ क्योंकि कपटी मसीह और कपटी नबी खड़े होंगे और ऐसे ऐसे आश्चर्य चिन्ह दिखायेंगे और अदभुत काम करेंगे कि बन पड़े तो वह चुने हुओं को भी चकमा दे दें। 25 देखो मैंने तुम्हें पहले ही बता दिया है।

26 “सो यदि वे तुमसे कहें, ‘देखो वह जंगल में है’ तो वहाँ मत जाना और यदि वे कहें, ‘देखो वह उन कमरों के भीतर छुपा है’ तो उनका विश्वास मत करना। 27 मैं यह कह रहा हूँ क्योंकि जैसे बिजली पूरब में शुरू होकर पश्चिम के आकाश तक कौंध जाती है वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी प्रकट होगा! 28 जहाँ कहीं लाश होगी वहीं गिद्ध इकट्ठे होंगे।

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14 “जब तुम ‘भयानक विनाशकारी वस्तुओं को,’ जहाँ वे नहीं होनी चाहियें, वहाँ खड़े देखो” (पढ़ने वाला स्वयं समझ ले कि इसका अर्थ क्या है।) “तब जो लोग यहूदिया में हों, उन्हें पहाड़ों पर भाग जाना चाहिये और 15 जो लोग अपने घर की छत पर हों, वे घर में भीतर जा कर कुछ भी लाने के लिये नीचे न उतरें। 16 और जो बाहर मैदान में हों, वह पीछे मुड़ कर अपना वस्त्र तक न लें।

17 “उन स्त्रियों के लिये जो गर्भवती होंगी या जिनके दूध पीते बच्चे होंगे, वे दिन बहुत भयानक होंगे। 18 प्रार्थना करो कि यह सब कुछ सर्दियों में न हो। 19 उन दिनों ऐसी विपत्ति आयेगी जैसी जब से परमेश्वर ने इस सृष्टि को रचा है, आज तक न कभी आयी है और न कभी आयेगी। 20 और यदि परमेश्वर ने उन दिनों को घटा न दिया होता तो कोई भी नहीं बचता। किन्तु उन चुने हुए व्यक्तियों के कारण जिन्हें उसने चुना है, उसने उस समय को कम किया है।

21 “उन दिनों यदि कोई तुमसे कहे, ‘देखो, यह रहा मसीह!’ या ‘वह रहा मसीह’ तो उसका विश्वास मत करना। 22 क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यवक्ता दिखाई पड़ने लगेंगे और वे ऐसे ऐसे आश्चर्य चिन्ह दर्शाएगे और अद्भुत काम करेंगे कि हो सके तो चुने हुओं को भी चक्कर में डाल दें। 23 इसीलिए तुम सावधान रहना। मैंने समय से पहले ही तुम्हें सब कुछ बता दिया है।

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14 “जब तुम ‘भयानक विनाशकारी वस्तुओं को,’ जहाँ वे नहीं होनी चाहियें, वहाँ खड़े देखो” (पढ़ने वाला स्वयं समझ ले कि इसका अर्थ क्या है।) “तब जो लोग यहूदिया में हों, उन्हें पहाड़ों पर भाग जाना चाहिये और 15 जो लोग अपने घर की छत पर हों, वे घर में भीतर जा कर कुछ भी लाने के लिये नीचे न उतरें। 16 और जो बाहर मैदान में हों, वह पीछे मुड़ कर अपना वस्त्र तक न लें।

17 “उन स्त्रियों के लिये जो गर्भवती होंगी या जिनके दूध पीते बच्चे होंगे, वे दिन बहुत भयानक होंगे। 18 प्रार्थना करो कि यह सब कुछ सर्दियों में न हो। 19 उन दिनों ऐसी विपत्ति आयेगी जैसी जब से परमेश्वर ने इस सृष्टि को रचा है, आज तक न कभी आयी है और न कभी आयेगी। 20 और यदि परमेश्वर ने उन दिनों को घटा न दिया होता तो कोई भी नहीं बचता। किन्तु उन चुने हुए व्यक्तियों के कारण जिन्हें उसने चुना है, उसने उस समय को कम किया है।

21 “उन दिनों यदि कोई तुमसे कहे, ‘देखो, यह रहा मसीह!’ या ‘वह रहा मसीह’ तो उसका विश्वास मत करना। 22 क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यवक्ता दिखाई पड़ने लगेंगे और वे ऐसे ऐसे आश्चर्य चिन्ह दर्शाएगे और अद्भुत काम करेंगे कि हो सके तो चुने हुओं को भी चक्कर में डाल दें। 23 इसीलिए तुम सावधान रहना। मैंने समय से पहले ही तुम्हें सब कुछ बता दिया है।

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यरूशलेम का नाश

(मत्ती 24:15-21; मरकुस 13:14-19)

20 “अब देखो जब यरूशलेम को तुम सेनाओं से घिरा देखो तब समझ लेना कि उसका तहस नहस हो जाना निकट है। 21 तब तो जो यहूदिया में हों, उन्हें चाहिये कि वे पहाड़ों पर भाग जायें और वे जो नगर के भीतर हों, बाहर निकल आयें और वे जो गाँवों में हों उन्हें नगर में नहीं जाना चाहिये। 22 क्योंकि वे दिन दण्ड देने के होंगे। ताकि जो लिखी गयी हैं, वे सभी बातें पूरी हों। 23 उन स्त्रियों के लिये, जो गर्भवती होंगी और उनके लिये जो दूध पिलाती होंगी, वे दिन कितने भयानक होंगे। क्योंकि उन दिनों इस धरती पर बहुत बड़ी विपत्ति आयेगी और इन लोगों पर परमेश्वर का क्रोध होगा। 24 वे तलवार की धार से गिरा दिये जायेंगे। और बंदी बना कर सब देशों में पहुँचा दिये जायेंगे और यरूशलेम गैंर यहूदियों के पैरों तले तब तक रौंदा जायेगा जब तक कि ग़ैर यहूदियों का समय पूरा नहीं हो जाता।

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यरूशलेम का नाश

(मत्ती 24:15-21; मरकुस 13:14-19)

20 “अब देखो जब यरूशलेम को तुम सेनाओं से घिरा देखो तब समझ लेना कि उसका तहस नहस हो जाना निकट है। 21 तब तो जो यहूदिया में हों, उन्हें चाहिये कि वे पहाड़ों पर भाग जायें और वे जो नगर के भीतर हों, बाहर निकल आयें और वे जो गाँवों में हों उन्हें नगर में नहीं जाना चाहिये। 22 क्योंकि वे दिन दण्ड देने के होंगे। ताकि जो लिखी गयी हैं, वे सभी बातें पूरी हों। 23 उन स्त्रियों के लिये, जो गर्भवती होंगी और उनके लिये जो दूध पिलाती होंगी, वे दिन कितने भयानक होंगे। क्योंकि उन दिनों इस धरती पर बहुत बड़ी विपत्ति आयेगी और इन लोगों पर परमेश्वर का क्रोध होगा। 24 वे तलवार की धार से गिरा दिये जायेंगे। और बंदी बना कर सब देशों में पहुँचा दिये जायेंगे और यरूशलेम गैंर यहूदियों के पैरों तले तब तक रौंदा जायेगा जब तक कि ग़ैर यहूदियों का समय पूरा नहीं हो जाता।

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