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उपवास का गुप्त होना ज़रूरी है

16 “जब कभी तुम उपवास रखो तब पाखण्डियों के समान अपना मुँह मुरझाया हुआ न बना लो. वे अपना रूप ऐसा इसलिए बना लेते हैं कि लोगों की दृष्टि उन पर अवश्य पड़े. सच तो यह है कि वे अपना पूरा-पूरा प्रतिफल प्राप्त कर चुके. 17 किन्तु जब तुम उपवास करो तो अपने बाल सँवारो और अपना मुँह धो लो 18 कि तुम्हारे उपवास के विषय में सिवाय तुम्हारे स्वर्गीय पिता के—जो अदृश्य हैं—किसी को भी मालूम न हो. तब तुम्हारे पिता, जो अन्तर्यामी हैं, तुम्हें प्रतिफल देंगे.

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उपवास का गुप्त होना ज़रूरी है

16 “जब कभी तुम उपवास रखो तब पाखण्डियों के समान अपना मुँह मुरझाया हुआ न बना लो. वे अपना रूप ऐसा इसलिए बना लेते हैं कि लोगों की दृष्टि उन पर अवश्य पड़े. सच तो यह है कि वे अपना पूरा-पूरा प्रतिफल प्राप्त कर चुके. 17 किन्तु जब तुम उपवास करो तो अपने बाल सँवारो और अपना मुँह धो लो 18 कि तुम्हारे उपवास के विषय में सिवाय तुम्हारे स्वर्गीय पिता के—जो अदृश्य हैं—किसी को भी मालूम न हो. तब तुम्हारे पिता, जो अन्तर्यामी हैं, तुम्हें प्रतिफल देंगे.

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