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34 उ स्वार्थी अउर घमंडी लोगन क हँसी उड़ावत ह, मुला विनम्र लोगन पइ उ मेहरबानी करत ह।

35 विवेकी जन तउ आदर पइहीं, मुला उ मूर्खन क, लज्जित ही करी।

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34 उ स्वार्थी अउर घमंडी लोगन क हँसी उड़ावत ह, मुला विनम्र लोगन पइ उ मेहरबानी करत ह।

35 विवेकी जन तउ आदर पइहीं, मुला उ मूर्खन क, लज्जित ही करी।

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