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बुद्धि क नैतिक लाभ

हे मारे पूत, अगर तू मोरे बोध बचनन क सुना अउर मोर हुकुम मन मँ बटोरा, अउर तू बुद्धि क बातन पइ कान लगावा, मन आपन समुझदारी मँ लगावत भए, अउर अगर तू अन्तदृस्टि बरे गोहरावा, अउर तू समुझबूझ क बरे पुकारा, अगर तू एका अइसे हेरा जइसे कउनो कीमती चाँदी क हेरत ह, अउर तू एका हेरा, जइसे कउनो छुपे भए खजाना क हेरत ह, तब तू यहोवा क डर क समुझब्या अउर परमेस्सर क गियान पउब्या।

काहेकि यहोवा बुद्धि देत ह अउर ओकरे मुँह स ही गियान अउ समुझदारी क बातन फूटत हीं। ओकरे भंडारे मँ खरी बुद्धि ओनके बरे रहत ह जउन खरा अहइँ। अउर ओनके बरे जउन कि इमानदारी स रहत ह एक ढाल जइसे अहइ। उ निआव क मारग क रखवारी करत ह अउर आपन वफादार लोगन क राह क रच्छा करत ह।

तबहिं तू समुझब्या कि नेक निआब अउर इमानदारी का अहइ। इ सबइ नीक चिजियन अहइ। 10 तउ बुद्धि तोहरे मने मँ प्रवेस करी अउर गियान तोहरी आतिमा क आनन्दित करी।

11 तोहका नीक बुरा क बोध बचाइ, समुझबूझ भरी बुद्धि तोहार रखवारी करी। 12 बुद्धि तोहका बुरे लोगन क राहे स बचाइ। बुद्धि तोहका ओन लोगन स बचाइ जउन बुरी बात बोलत हीं। 13 अँधियारी गलियन मँ भटकइ बरे उ पचे सहल-सोझ राहन क तजि देत रहत हीं। 14 उ पचे बुरे करम करइ मँ हमेसा आनन्द मनावत हीं। उ पचे बुरे कार्य मँ हमेसा मगन रहत हीं। 15 ओन लोगन पइ बिस्सास नाहीं कइ सकित। उ पचे लबार अहइँ अउर छल करइवाला अहइँ। मुला तोहार बुद्धि अउर समुझ तोहका इन बातन स बचइहिं।

16 इ बुद्धि तोहका बदकार मेहरारु अउ ओकर चापलूसी स भरी बातन स बचाइ। 17 जउन आपन जवानी क साथी तजि दिहन वाचा क उपेच्छा परमेस्सर क समच्छ किहे रहा। 18 काहेकि ओकर घर मउत क गड्ढा मँ अहइ अउर ओकर राहन नरक मँ लइ जात हीं। 19 जउन भी ओकरे घर जात ह उ कबहुँ नाहीं लउटि पावत अउर ओका जिन्नगी क राहन कबहुँ नाहीं मिलतिन।

20 एह बरे तू नीक लोगन क मार्ग पइ चलइ चाही अउर तोहका हमेसा सत्यता क मार्गे पइ बना रहे चाही। 21 इमानदार जन अउर बे कसूर लोग आपन धरती पइ बसा रइहीं। 22 मुला जउन दुट्ठ धोका स बाज न अहइँ ओनका धरती स हटा दीन्ह जइहीं।