निर्गमन 5:10-7:7
Hindi Bible: Easy-to-Read Version
10 इसलिए मिस्री दास स्वामी और हिब्रू कार्य प्रबन्धक इस्राएल के लोगों के पास गए और उन्होंने कहा, “फ़िरौन ने निर्णय किया है कि वह तुम लोगों को तुम्हारी ईंटों के लिए तुम्हें भूसा नहीं देगा। 11 तुम लोगों को स्वयं जाना होगा और अपने लिए भूसा स्वयं इकट्ठा करना होगा। इसलिए जाओ और भूसा जुटाओ। किन्तु तुम लोग उतनी ही ईंटें बनाओ जितनी पहले बनाते थे।”
12 इस प्रकार हर एक आदमी मिस्र में भूसा खोजने के लिए चारों ओर गया। 13 दास स्वामी लोगों को अधिक कड़ा काम करने के लिए विवश करते रहे। वे लोगों को उतनी ही ईंटें बनाने के लिए विवश करते रहे जितनी वे पहले बनाया करते थे। 14 मिस्री दास स्वामियों ने हिब्रू कार्य—प्रबन्धक चुन रखे थे और उन्हें लोगों के काम का उत्तरदायी बना रखा था। मिस्री दास स्वामी इन कार्य—प्रबन्धकों को पीटते थे और उनसे कहते थे, “तुम उतनी ही ईंटें क्यों नहीं बनाते जितनी पहले बना रहे थे। जब तुम यह काम पहले कर सकते थे तो तुम इसे अब भी कर सकते हो।”
15 तब हिब्रू कार्य—प्रबन्धक फ़िरौन के पास गए। उन्होंने शिकायत की और कहा, “आप अपने सेवकों के साथ ऐसा बरताव क्यों कर रहे है? 16 आपने हम लोगों को भूसा नहीं दिया। किन्तु हम लोगों को आदेश दिया गया कि उतनी ही ईंटें बनाएँ जितनी पहले बनती थीं और अब हम लोगों के स्वामी हमे पीटते हैं। ऐसा करने में आपके लोगों की ग़लती है।”
17 फ़िरौन ने उत्तर दिया, “तुम लोग आलसी हो। तुम लोग काम करना नहीं चाहते। यही कारण है कि तुम लोग माँग करते हो कि मैं तुम लोगों को जाने दूँ और यही कारण है कि तुम लोग यह स्थान छोड़ना चाहते हो और यहोवा को बलि चढ़ाना चाहते हो। 18 अब काम पर लौट जाओ। हम तुम लोगों को कोई भूसा नहीं देंगे। किन्तु तुम लोग उतनी ही ईंटें बनाओ जितनी पहले बनाया करते थे।”
19 हिब्रू कार्य—प्रबन्धक समझ गए कि वे परेशानी में पड़ गए हैं। कार्य—प्रबन्धक जानते थे कि वे उतनी ईंटें नहीं बना सकते जितनी बीते समय में बनाते थे।
20 जब वे फिरौन से मिलने के बाद जा रहे थे, वे मूसा और हारून के पास से निकले। मूसा और हारून उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। 21 इसलिए उन्होंने मूसा और हारून से कहा, “तुम लोगों ने बुरा किया कि तुम ने फ़िरौन से हम लोगों को जाने देने के लिए कहा। यहोवा तुम को दण्ड दे क्योंकि तुम लोगों ने फ़िरौन और उसके प्रशासकों में हम लोगों के प्रति घृणा उत्पन्न की। तुम ने हम लोगों को मारने का एक बहाना उन्हें दिया है।”
मूसा की परमेश्वर से शिकायत
22 तब मूसा ने यहोवा से प्रार्थना की और कहा, “हे स्वामी, तूने अपने लोगों के लिए यह बुरा काम क्यों किया है? तूने हमको यहाँ क्यों भेजा है? 23 मैं फ़िरौन के पास गया और जो तूने कहने को कहा उसे मैंने उससे कहा। किन्तु उस समय से वह लोगों के प्रति अधिक क्रूर हो गया। और तूने उनकी सहायता के लिए कुछ नहीं किया है।”
6 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “अब तुम देखोगे कि फ़िरौन का मैं क्या करता हूँ। मैं अपनी महान शक्ति का उपयोग उसके विरोध में करूँगा और वह मेरे लोगों को जाने देगा। वह उन्हें छोड़ने के लिए इतना अधिक आतुर होगा कि वह स्वयं उन्हें जाने के लिए विवश करेगा।”
2 तब परमेश्वर ने मूसा से कहा, 3 “मैं यहोवा हूँ। मैं इब्राहीम, इसहाक और याकूब के सामने प्रकट हुआ था। उन्होंने मुझे एल सद्दायी (सर्वशक्तिमान परमेश्वर) कहा। मैंने उनको यह नहीं बताया था कि मेरा नाम यहोवा (परमेश्वर) है। 4 मैंने उनके साथ एक साक्षीपत्र बनाया मैंने उनको कनान प्रदेश देने का वचन दिया। वे उस प्रदेश में रहते थे, किन्तु वह उनका अपना प्रदेश नहीं था। 5 अब मैं इस्राएल के लोगों के कष्ट के बारे में जानता हूँ। मैं जानता हूँ कि वे मिस्र के दास हैं और मुझे अपना साक्षीपत्र याद है। 6 इसलिए इस्राएल के लोगों से कहो कि मैं उनसे कहता हूँ, ‘मैं यहोवा हूँ। मैं तुम लोगों की रक्षा करूँगा। मैं तुम लोगों को स्वतन्त्र करूँगा। तुम लोग मिस्रियों के दास नहीं रहोगे। मैं अपनी महान शक्ति का उपयोग करूँगा और मिस्रियों को भयंकर दण्ड दूँगा। तब मैं तुम लोगों को बचाऊँगा। 7 तुम लोग मेरे लोग होंगे और मैं तुम लोगों का परमेश्वर। मैं यहोवा तुम लोगों का परमेश्वर हूँ और जानोगे कि मैंने तुम लोगों को मिस्र की दासता से मुक्त किया। 8 मैंने इब्राहीम, इसहाक और याकूब से बड़ी प्रतिज्ञा की थी। मैंने उन्हें विशेष प्रदेश देने का वचन दिया था। इसलिए मैं तुम लोगों को उस प्रदेश तक ले जाऊँगा। मैं वह प्रदेश तुम लोगों को दूँगा। वह तुम लोगों का होगा। मैं यहोवा हूँ।’”
9 इसलिए मूसा ने यह बात इस्राएल के लोगों को बताई। किन्तु लोग इतना कठिन श्रम कर रहे थे कि वे मूसा के प्रति धीरज न रख सके। उन्होंने उसकी बात नहीं सुनी।
10 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 11 “जाओ और फ़िरौन से कहो कि वह इस्राएल के लोगों को इस देश से निश्चय ही जाने दे।”
12 किन्तु मूसा ने उत्तर दिया, “इस्राएल के लोग मेरी बात सुनना भी नहीं चाहते हैं इसलिए निश्चय ही फ़िरौन भी सुनना नहीं चाहेगा। मैं बहुत खराब वक्ता हूँ।”[a]
13 किन्तु यहोवा ने मूसा और हारून से बातचीत की। परमेश्वर ने उन्हें जाने और इस्राएल के लोगों से बातें करने का आदेश दिया और यह भी आदेश दिया कि वे जाएँ और फ़िरौन से बातें करें। परमेश्वर ने आदेश दिया कि वे इस्राएल के लोगों को मिस्र के बाहर ले जाएं।
इस्राएल के कुछ परिवार
14 इस्राएल के परिवारों के प्रमुख लोगों के नाम है:
इस्राएल के पहले पुत्र रूबेन के चार पुत्र थे। वे थे हनोक, पल्लु, हेस्रोन और कर्म्मी।
15 शिमोन के पुत्र थे: यमूएल, यामीन, ओहद, याकीन सोहर और शाउल। (शाउल एक कनानी स्त्री का पुत्र था।)
16 लेवी एक सौ सैंतीस वर्ष जीवित रहा। लेवी के पुत्र थे गेर्शोन, कहात और मरारी।
17 गेर्शोन के दो पुत्र थे—लिबनी और शिमी।
18 कहात एक सौ तैंतीस वर्ष जीवित रहा। कहात के पुत्र थे अम्राम, यिसहार, हेब्रोन और उज्जीएल।
19 मरारी के पुत्र थे महली और मूशी।
ये सभी परिवार इस्राएल के पुत्र लेवी के थे।
20 अम्राम एक सौ सैंतीस वर्ष जीवित रहा। अम्राम ने अपने पिता की बहन योकेबेद से विवाह किया। अम्राम और योकेबेद ने हारून और मूसा को जन्म दिया।
21 यिसहार के पुत्र थे कोरह नेपग और जिक्री।
22 उज्जीएल के पुत्र थे मीशाएल एलसापान और सित्री।
23 हारून ने एलीशेबा से विवाह किया। (एलीशेबा अम्मीनादाब की पुत्री थी और नहशोन की बहन।) हारून और एलीशेबा ने नादाब, अबीहू, एलाजार, और ईतामार को जन्म दिया।
24 कोरह के पुत्र (अर्थात् कोरही थे) अस्सीर एलकाना और अबीआसाप।
25 हारून के पुत्र एलाजार ने पूतीएल की पुत्री से विवाह किया और उन्होंने पीनहास को जन्म दिया।
ये सभी लोग इस्राएल के पुत्र लेवी से थे।
26 इस प्रकार हारून और मूसा इसी परिवार समूह से थे और ये ही वे व्यक्ति हैं जिनसे परमेश्वर ने बातचीत की और कहा, “मेरे लोगों को समूहों[b] में बाँटकर मिस्र से निकालो।” 27 हारून और मूसा ने ही मिस्र के राजा फ़िरौन से बातचीत की। उन्होंने फ़िरौन से कहा कि वह इस्राएल के लोगों को मिस्र से जाने दे।
यहोवा का मूसा को फिर बुलावा
28 मिस्र देश में परमेश्वर ने मूसा से बातचीत की। 29 उसने कहा, “मैं यहोवा हूँ। मिस्र के राजा से वे सारी बातें कहो जो मैं तुमसे कहता हूँ।”
30 किन्तु मूसा ने उत्तर दिया, “मैं अच्छा वक्ता नहीं हूँ। राजा मेरी बात नहीं सुनेगा।”
7 यहोवा ने मूसा से कहा, “मैं तुम्हारे साथ रहूँगा। फ़िरौन के लिए तुम एक महान राजा[c] की तरह होगे और हारून तुम्हारा अधिकृत वक्ता[d] होगा। 2 जो आदेश मैं दे रहा हूँ वह सब कुछ हारून से कहो। तब वह वे बातें जो मैं कह रहा हूँ, फ़िरौन से कहेगा और फ़िरौन इस्राएल के लोगों को इस देश से जाने देगा। 3 किन्तु मैं फ़िरौन को हठी बनाऊँगा। वह उन बातों को नहीं मानेगा जो तुम कहोगे। तब मैं मिस्र में बहुत से चमत्कार करूँगा। किन्तु वह फिर भी नहीं सुनेगा। 4 इसलिए तब मैं मिस्र को बुरी तरह दण्ड दूँगा और मैं अपने लोगों को उस देश के बाहर ले चलूँगा। 5 तब मिस्र के लोग जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ। मैं उनके विरूद्ध हो जाऊँगा, और वे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ। तब मैं अपने लोगों को उनके देश से बाहर ले जाऊँगा।”
6 मूसा और हारून ने उन बातों का पालन किया जिन्हें यहोवा ने कहा था। 7 इस समय मूसा अस्सी वर्ष का था और हारून तिरासी का।
Footnotes
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