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दूसर कानून अउ हुकुम

21 तब परमेस्सर मूसा स कहेस, “इ सबइ नेम अहइँ जेकॉ तू लोगन क देब्या:

“जदि तू एक हिब्रू गुलाम खरीदत ह तउ उ तोहार सेवा सिरिफ छ बरिस करी। छ बरिस बाद उ अजाद होइ अउर ओका आजाद होइ बरे कछू नाहीं देइ क होइ। जदि उ मनई क बियाह तोहरे गुलामी स पहिले नाहीं भवा अहइ, तब जब उ अजाद होइ क टेमॅ मँ अकेले ही चला जाइ। मुला जदि उ तोहार गुलाम होइ स पहिले बियाहा होइ तउ उ आपन पत्नी क आपन संग लइ जाइ। जदि गुलाम बियाहा नाहीं होत तउ ओकर मालिक ओका मेहरारू दियाँइ सकत ह। जदि उ पत्नी, बेटवा अउर बिटिया क जन्मी, तउ उ पत्नी अउर ओकर बेटवा अउ बिटिया ओकर मालिक क होइहीं। आपन सेवा क समइ काटे क पाछे उ गुलाम अजाद कीन्ह जाइ।

“मुला इ होइ सकत ह कि गुलाम इ निहचय करइ कि उ आपन मालिक क संग रहइ चाहत ह। तब ओका इ कहइ क पड़ी, ‘मइँ आपन सुआमी स पिरेम करत हउँ। मइँ आपन पत्नी अउर आपन बचवन स पिरेम करत हउँ। मइँ अजाद नाहीं होब। मइँ हिअँइ रहब।’ जदि अइसा होइ तउ गुलाम क सुआमी ओका निआवाधीसन[a] क लगे लिआइ। उ ओका दरवाजा तलक लइ जाइ अउर उ कउनो तेज अउजार स गुलाम क कान छेदी। तब उ दास जिन्नगी भइ मालिक क सेवा करी।

“कउनो भी मनई आपन बिटिया क दासी क तरह बेचइ बरे ठान लेत ह। जदि अइसा होत ह तउ ओका अजाद करइ क कानून उ गुलाम मनई क आजाद करइ क कानून स अलग होइ।। जदि गुलाम क मालिक उ मेहरारू स संतुट्ठ न होइ तउ उ ओकरे बाप क बेच सकत ह। मुला जदि दासी क मालिक उ मेहरारू स बीहइ क बचन देइ तउ उ दूसर मनई क बेचइ क हक ओका नाहीं।” जदि दासी क सुआमी उ दासी स आपन बेटवा बीहइ क बचन देइ तउ ओसे दासी जइसा बेवहार नाहीं कीन्ह जाइ। ओकरे साथ बिटिया जइसा बेवहार करइ चाही।

10 “जदि दासी क सुआमी कउनो दूसर मेहरारू स अपने क बियाहत ह तउ ओका चाही कि उ पहली मेहरारू क कमती खइया के अउ ओढ़ना न देइ अउर न ही ओकर बियाहे क हक मँ कमती करइ। अउर ओका चाही कि उ सब चीजन्क बराबर देत रहइ चाही जेका पावइ क हक ओका बियाहे मँ मिला रहा। 11 उ मनई क ई तीन ठु चीज ओकरे बरे करइ चाही। जदि उ करत नाहीं तउ उ मेहरारू अजाद कीन्ह जाइ अउ एकरे बरे ओका कछू भी नाहीं देइ क पड़ी। ओका उ मनई बरे कउनो धने क देनदार न होइ क पड़ी।

12 “अगर कउनो मनई दूसर क मारत ह अउर ओका मारि डावत ह तउ मरवइया भी मारि डावा जाइ। 13 मुला कउनो संजोग होइ जात ह कि कउनो बे पहिले क जोजना बनाए कउनो क मारि डावत ह, तउ अइसा परमेस्सर क मर्जी स ही भवा होइ। मइँ कछू खास ठउरे क चुनब जहाँ मनई सुरच्छा बरे भागिके जाइ सकत हीं। इ तरह उ हत्तियारा भागिके एहमाँ स कउने भी ठउरे प जाइ सकत ह। 14 मुला जदि कउनो मनई कउनो मनई बरे किरोध या घिन धरे क कारण ओका जान बूझ क मारि डावइ क चाल चलत ह तउ उ हत्तियारा क जरूर सजा मिलइ चाही। उ मनई क मोरी वेदी स भी दूर लइ जाइ चाही अउर ओका मारि डावा चाही।

15 “कउनो मनई जउन महतारी बाप क मारइ तउ ओका जरूर मारि डावा जाइ।

16 “अगर कउनो मनई कउनो क गुलाम क तरह बिक्री करइ या आपन गुलाम बनवइ बरे अपहरण करइ तउ ओका जरूर मारि देइ चाही।

17 “कउनो मनई जउन अपने बाप या आपन महतारी क सरापत ह ओका जरूर मारि देइ चाही।

18 “दुइ मनई तहत्तुक करइँ अउ एक दुसरे क पथरे स या मूका स मारि सकत ह। उ मनई क तोहका कइसे सजा देइ चाही। जदि मार खावा मनई मरत नाहीं तउ मरवइया क न मारि डावइ चाही। 19 मुला जदि मार खावा मनई कछू समइ तलक खटिया प पड़ा रहइ तउ मरवइया क ओका हर्जाना देइ चाही। मरवइया ओकरे टेम क बर्बादी क धन स पूरा करइ। उ मनई तबहिं ताई ओका हर्जाना देइ जब तलक उ पूरी तरह स चंगा न होइ जाइ।

20 “कबहुँ-कबहुँ मनई आपन दास अउ दासी क पीट देत हीं। जदि पीटे-पाटे क पाछे उ दास मरि जात ह तउ हत्तियारा क जरूर सजा देइ चाही। 21 मुला दास अगर मरत नाहीं अउ कछू दिनाँ पाछे उ नीक होइ जात ह तउ उ मनई क सजा न दीन्ह जाइ। काहेकि दास क मालिक दास बरे धन दिहे रहा अउ उ दास ओकर अहइ।

22 “दुइ मनइ आपस मँ लड़इँ-भिड़इ अउ कउनो गर्भवाली अउरत क धक्का दइ देत हीं। जदि उ मेहरारू अपने लरिका क जन्मत ह, अउर महतारी बुरी तरह घायल नाहीं बा तउ धक्का देवइया क जरूर धन देइ चाही। उ मेहरारू क भतार इ तय करी कि उ मनई केतना धन देइ। जज उ मनई क इ तय करइ मँ मदद देइहीं कि उ धन केतना होइ। 23 जदि अउरत बुरी तरह घायल होइ तउ उ मनई क जउन ओका चोट पहुँचाएस ह जरूर सजा देइ चाही। जदि एक मनइ मारि डावा जात ह तउ हत्तियारा जरूर मारि डावा जाइ। तू एक जिउ क बदले दूसर जिउ लइ चाही। 24 तू आँखी क सन्ती आँखी, दाँत क सन्ती दाँत, हाथे क सन्ती हाथ, गोड़ क सन्ती गोड़। 25 जरइ क सन्ती जरावा, खोंचे क सन्ती खोंचा अउ घाउ क सन्ती घाउ होइ।

26 “अगर कउनो मनई गुलाम क आँखी क खोंचइ अउर अगर गुलाम उ आँखी स आँधर होइ जाइ तउ उ गुलाम अजाद कइ दीन्ह जाइ। ओकर आँखी ओकरी अजादी क कीमत अहइ। इ नेम मरद अउ मादा बरे दुइनउँ गुलाम एक ही तरह अहइ। 27 अगर दास क मालिक दास क मुँहना प मारइ अउ दास क कउनो दाँत टूटि जाइ तउ दास अजाद कइ दीन्ह जाइ। दाँस क दँतवा ओकरे अजादी क कीमत अहइ। इ दास अउ दासी दुइनउँ बरे एक तरह अहइ।

28 “अगर कउनो मनई क साँड़ कउनो मेहरारू या मनई क मार देत ह तउ तू पाथर क बइपरा अउ साँड़ क मारि डावा। तू उ साँड़े क खाइ नाहीं चाही। मुला साँड़े क मालिक अपराधी नाहीं बा। 29 मुला जदि साँड़ पहिले स मरकहा अहइ अउ साँड़े क सुआमी क ओराहना दइ दीन्ह गइ अहइ तउ उ सुआमी दोखी अहइ। काहेकि इ साँड़े क बाँधा या बाड़ा मँ बंद कइके नाहीं रखा गवा। तउ जदि साँड़ अनेरे छोरि दीन्ह ग होइ अउ कउनो क जान स मार देत ह। तउ सुआमी दोखी अहइ। तू पचन्क साँड़े क पाथरे स मारि देइ चाही अउर सुआमी क भी हत्तिया कइ देइ चाही। 30 मुला अगर मउत पावइवाला परिवार क मनई कसूरवार मनई स छुड़ौती क धन स्वीकार करत हीं, तउ छुड़ौती क धन निआवधीस क तय करइ चाही अउर साँड़े क मालिक क मारइ न चाही।

31 “इहइ नेम लागू करइ चाही जदि साँड़ कउनो मनई क बेटवा या बिटिया क मारि डावत ह। 32 मुला साँड़ जदि गुलाम क जान स मार देइ तउ साँड़ क मालिक दास क सुआमी क चाँदी क तीस सिक्का[b] देइ। अउ साँड़ भी पथरे स मारि डावा जाइ। इ नेम दास अउ दासी बरे एक तरह लागू होइ।

33 “जदि कउनो मनई एक खुला गड़हा या कुइयाँ खनइ अउ ओका मूँदइ नाहीं अउर कउनो मनई क जनावर आवइ अउ ओहमा गिरि पड़इ तउ गड़हा क मालिक दोखी बा। 34 गड़हा क मालिक जनावर बरे हर्जाना देइ मुला जनावर क हर्जाना दिए जाए प ओका उ जनावर क ल्हास लेइ दीन्ह जाइ।

35 “जदि कउनो क साँड़ कउनो दूसर मनई क साँड़े क मारि डावइ तउ उ साँड़ क जउन जिअत अहइ ओका बेंचइ दइ चाही। अउ एहसे मिले भए धन क आधा आधा हींसा दुइनउँ मनइयन क मिली। अउ मरे साँड़े का अधियाइ क दुइनउँ क जरूर बाँटि दीन्ह जाइ। 36 मुला उ मनई क साँड़ पहिले कउनो जनावरे क मारे अहइ तउ साँड़े क मालिक आपन साँड़ बरे जिम्मेदार अहइ। जदि ओकर साँड़ दूसर साँड़ क मारि डावत ह तउ उ अपराधी बा काहेकि उ साँड़े क अजाद छोड़ेस। उ मनई साँड़ क बदले साँड़ देइ। उ मरे भए साँड़ हरजाने मँ आपन साँड़ जरूर देइ।

Footnotes

  1. 21:6 निआवाधीसन कबहुँ परमेस्सर क अरथ निआवाधीस भी होत ह।
  2. 21:32 चाँदी क तीस सिक्का एक नवा गुलाम क कीमत।