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“हे यहोवा, तू खरा है, और तुझमें नेकी है! जबकी आज हम लज्जित हैं। यरूशलेम और यहूदा के लोग लज्जित हैं—इस्राएल के सभी लोग लज्जित हैं। वे लोग जो निकट हैं और वे लोग जो बहुत दूर हैं। हे यहोवा! तूने उन लोगों को बहुत से देशों में फैला दिया। उन सभी देशों में बसे इस्राएल के लोगों को शर्म आनी चाहिये। हे यहोवा, उन सभी बुरी बातों के लिये, जो उन्होंने तेरे विरूद्ध की हैं, उन्हें लज्जित होना चाहिये।

“हे यहोवा, हम सबको लज्जित होना चाहिये। हमारे सभी राजाओं और मुखियाओं को लज्जित होना चाहिये, हमारे सभी पूर्वजों को लज्जित होना चाहिये। ऐसा क्यों ऐसा इसलिये कि हे यहोवा, हमने तेरे विरूद्ध पाप किये हैं।

“किन्तु हे यहोवा, तू दयालु है। लोग जो बुरे कर्म करते हैं तो तू उन्हें, क्षमा कर देता है। हमने वास्तव में तुझसे मुँह फेर लिया था। 10 हमने अपने यहोवा परमेश्वर की आज्ञा का पालन नही किया। यहोवा ने अपने सेवकों, अपने नबियों के द्वारा हमें व्यवस्था का विधान प्रदान किया। किन्तु हमने उसकी व्यवस्थाओं को नहीं माना। 11 इस्राएल का कोई भी व्यक्ति तेरी शिक्षाओं पर नहीं चला। वे सभी भटक गये थे। उन्होंने तेरे आदेशों का पालन नहीं किया। मूसा, (जो परमेश्वर का सेवक था) की व्यवस्था के विधान में शापों और वादों का उल्लेख हुआ है। वे शाप और वादे व्यवस्था के विधान पर नहीं चलने के दण्ड का बखान करते हैं और वे सभी बातें हमारे संग घट चुकी हैं क्योंकि हमने यहोवा के विरोध में पाप किये हैं।

12 “परमेश्वर ने बताया था कि हमारे साथ और हमारे मुखियाओं के साथ वे बातें घटेंगी और उसने उन्हें घटा दिया। उसने हमारे साथ भयानक बातें घटा दीं। यरूशलेम को जितना कष्ट उठाना पड़ा, किसी दूसरे नगर ने नहीं उठाया। 13 वे सभी भयानक बातें हमारे साथ भी घटीं। यह बातें ठीक वैसे ही घटीं, जैसे मूसा के व्यवस्था के विधान में लिखी हुई हैं। किन्तु हमने अभी भी परमेश्वर से सहारा नहीं माँगा है! हमने अभी भी पाप करना नहीं छोड़ा है। हे यहोवा, तेरे सत्य पर हम अभी भी ध्यान नहीं देते। 14 यहोवा ने वे भयानक बाते तैयार रख छोड़ी थीं और उसने हमाने साथ उन बातों को घटा दिया। हमारे परमेश्वर यहोवा ने ऐसा इसलिये किया था कि वह तो जो कुछ भी करता है, न्याय ही करता है। किन्तु हम अभी भी उसकी नहीं सुनते।

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