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चार पशुओं के बारे में दानिय्येल का स्वप्न

बेलशस्सर के बाबुल पर शासन काल के पहले वर्ष दानिय्येल को एक सपना आया सपने में अपने पलंग पर लेटे हुए दानिय्येल ने, ये दर्शन देखे। दानिय्येल ने जो सपना देखा था, उसे लिख लिया। दानिय्येल ने बताया, “रात में मैंने सपने में एक दर्शन पाया। मैंने देखा कि चारों दिशाओं से हवा बह रही है और उन हवाओं से सागर उफनने लगा था। फिर मैंने तीन पशुओं को देखा। हर पशु दूसरे पशु से भिन्न था। वे चारों पशु समुद्र में से उभर कर बाहर निकले थे।

“उनमें से पहला पशु सिंह के समान दिखाई दे रहा था और उस सिंह के उकाब के जैसे पंख थे। मैंने उस पशु को देखा। फिर मैंने देखा कि उसके पंख उखाड़ फेंके गये हैं। धरती पर से उस पशु को इस प्रकार उठाया गया जिससे वह किसी मनुष्य के समान अपने दो पैरों पर खड़ा हो गया। इस सिंह को मनुष्य का सा दिमाग दे दिया गया था।

“और फिर मैंने देखा कि मेरे सामने एक और दूसरा पशु मौजूद है। यह पशु एक भालू के जैसा था। वह अपनी एक बगल पर उठा हुआ था। उस पशु के मुँह में दांतों के बीच तीन पसलियाँ थीं। उस भालू से कहा गया था, ‘उठ और तुझे जितना चाहिये उतना माँस खा ले!’

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