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14 वह बड़े ऊँचे स्वर में बोला। उसने कहा, ‘वृक्ष को काट फेंको। इसकी टहनियों को काट डालो। इसकी पत्तियों को नोच लो। इसके फलों को चारों ओर बिखेर दो। इस वृक्ष के नीचे आसरा पाये हुए पशु कहीं दूर भाग जायेंगे। इसकी शाखाओं पर बसेरा किये हुए पक्षी कहीं उड़ जायेंगे। 15 किन्तु इसके तने और इसकी जड़ों को धरती में रहने दो। इसके चारों ओर लोहे और काँसे का एक बंधेज बांध दो। अपने आस पास उगी घास के साथ इसका तना और इसकी जड़ें धरती में रहेंगी। जंगली पशुओं और पेड़ पौधों के बीच यह खेतों में रहेगा। ओस से वह नम हो जायेगा। 16 वह अधिक समय तक मनुष्य की तरह नहीं सोचेगा। उसका मन पशु के मन जैसा हो जायेगा। उसके ऐसा ही रहते हुए सातऋ तु चक्र (वर्ष) बीत जायेगा।’

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