गिनती 27
Hindi Bible: Easy-to-Read Version
सलोफाद की पुत्रियाँ
27 सलोफाद हेपर का पुत्र था। हेपेर गिलाद का पुत्र था। गिलाद माकीर का पुत्र था। माकीर मनश्शे का पुत्र था और मनश्शे यूसुफ का पुत्र था। सलोफाद की पाँच पुत्रियाँ थीं। उनके नाम महला, नोवा, होग्ला, मिल्का और तिर्सा था। 2 ये पाँचों स्त्रियाँ मिलापवाले तम्बू में गईं और मूसा, याजक एलीआजार, नेतागण और सब इस्राएलियों के सामने खड़ी हो गईं।
पाँचों पुत्रियों ने कहा, 3 “हमारे पिता उस समय मर गये जब हम लोग मरुभूमि से यात्रा कर रहे थे। वह उन लोगों में से नहीं था जो कोरह के दल में सम्मिलित हुए थे। (कोरह वही था जो यहोवा के विरुद्ध हो गया था।) हम लोगों के पिता की मृत्यु स्वाभाविक थी। किन्तु हमारे पिता का कोई पुत्र नहीं था। 4 इसका तात्पर्य यह हुआ कि हमारे पिता का नाम नहीं चलेगा। यह ठीक नहीं है कि हमारे पिता का नाम मिट जाए। इसलिए हम लोग यह माँग करते हैं कि हमें भी कुछ भूमि दी जाए जिसे हमारे पिता के भाई पाएंगे।”
5 इसलिए मूसा ने यहोवा से पूछा कि वह क्या करे। 6 यहोवा ने उससे कहा, 7 “सलोफाद की पुत्रियाँ ठीक कहती हैं। तुम्हें उनके चाचाओं के साथ—साथ उन्हें भी भूमि का भाग अवश्य देना चाहिए जो तुम उनके पिता को देते।
8 “इसलिए इस्राएल के लोगों के लिए इसे नियम बना दो। यदि किसी व्यक्ति के पुत्र न हों और वह मर जाए तो हर एक चीज़ जो उसकी है, उसकी पुत्री की होगी। 9 यदि उसे कोई पुत्री न हो तो, जो कुछ भी उसका है उसके भाईयों को दिया जाएगा। 10 यदि उसका कोई भाई न हो तो, जो कुछ उसका है उसके पिता के भाईयों को दिया जाएगा। 11 यदि उसके पिता का कोई भाई नहीं है तो, जो कुछ उसका हो उसे उसके परिवार के निकटतम सम्बन्धी को दिया जाएगा। इस्राएल के लोगों में यह नियम होना चाहिए। यहोवा मूसा को यह आदेश देता है।”
यहोशू को नया नेता चुना गया
12 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “उस पर्वत के ऊपर चढ़ो। जो अबारीम पर्वत श्रृंखला में से एक है। वहाँ तुम उस प्रदेश को देखोगे जिसे मैं इस्राएल के लोगों को दे रहा हूँ। 13 जब तुम इस प्रदेश को देख लोगे तब तुम अपने भाई हारून की तरह मर जाओगे। 14 उस बात को याद करो जब लोग सीन की मरुभूमि में पानी के लिए क्रोधित हुए थे। तुम और हारून दोनों ने मेरा आदेश मानना अस्वीकार किया था। तुम लोगों ने मेरा सम्मान नहीं किया था और लोगों के सामने मुझे पवित्र नहीं बनाया था।” (यह पानी सीन की मरुभूमि में कादेश के अन्तर्गत मरीबा में था।)
15 मूसा ने यहोवा से कहा, 16 “यहोवा परमेश्वर है वही जानता है कि लोग क्या सोच रहे हैं। यहोवा मेरी प्रार्थना है कि तू इन लोगों के लिए एक नेता चुन।[a] 17 मैं प्रार्थना करता हूँ कि यहोवा एक ऐसा नेता चुन जो उन्हें इस प्रदेश से बाहर ले जाएगा तथा उन्हें नये प्रदेश में पहुँचायेगा। तब यहोवा के लोग गड़ेरिया रहित भेड़ के समान नहीं होंगे।”
18 इसलिए यहोवा ने मूसा से कहा, नून का पुत्र यहोशू नेता होगा। यहोशू बहुत बुद्धिमान है[b] उसे नया नेता बनाओ। 19 उससे याजक एलीआज़ार और सभी लोगों के सामने खड़े होने को कहो। तब उसे नया नेता बनाओ।
20 “लोगों को यह दिखाओ कि तुम उसे नेता बना रहे हो, तब सभी उसका आदेश मानेंगे। 21 यदि यहोशू कोई विशेष निर्णय लेना चाहेगा तो उसे याजक एलीआज़ार के पास जाना होगा। एलीआज़ार ऊरीम का उपयोग यहोवा के उत्तर को जानने के लिए करेगा। तब यहोशू और इस्राएल के सभी लोग वह करेंगे जो परमेश्वर कहेगा। यदि परमेश्वर कहेगा, ‘युद्ध करने जाओ।’ तो वे युद्ध करने जाएंगे और यदि परमेश्वर कहे, ‘घर जाओ,’ तो घर जायेंगे।”
22 मूसा ने यहोवा की आज्ञा मानी। मूसा ने यहोशू से याजक एलीआज़ार और इस्राएल के सब लोगों के सामने खड़ा होने के लिए कहा। 23 तब मूसा ने अपने हाथों को उसके सिर पर यह दिखाने के लिए रखा कि वह नया नेता है। उसने यह वैसे ही किया जैसा यहोवा ने कहा था।
Footnotes
- 27:16 यहोवा … चुन इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है—सभी लोगों की आत्माओं के परमेश्वर यहोवा, इन लोगों के लिए एक नेता नियुक्त कर।
- 27:18 नून…है शाब्दिक “नून के पुत्र यहोशू को चुनो। वह व्यक्ति अपने भीतर विशेष शक्ति रखता है।” इसका अर्थ यह हो सकता है कि यहोशू बहुत बुद्धिमान था अथवा यह भी अर्थ हो सकता है कि उसमें परमेश्वर की आत्मा का निवास था।
गिनती 30
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विशेष दिए गए वचन
30 मूसा ने सभी इस्राएली परिवार समूहों के नेताओं से बातें कीं। मूसा ने यहोवा के इन आदेशों के बारे में उनसे कहाः
2 “यदि कोई व्यक्ति परमेश्वर को विशेष वचन देता है या यदि वह व्यक्ति यहोवा को कुछ विशेष अर्पित करने का वचन देता है तो उसे वैसा ही करने दो। किन्तु उस व्यक्ति को ठीक वैसा ही करना चाहिए जैसा उसने वचन दिया है।
3 “सम्भव है कि कोई युवती अपने पिता के घर पर ही रहती हो और वह युवती यहोवा को कुछ चढ़ाने का विशेष वचन देती है 4 और उसका पिता इस वचन के विषय में सुनता है और उसे स्वीकार करत लेता है तो उस युवती को उस वचन को अवश्य ही पूरा कर देना चाहिए जिसे करने का उसने वचन दिया है। 5 किन्तु यदि उसका पिता उसके दिये गये वचन के बारे में सुन कर उसे स्वीकार नहीं करता तो उस युवती को वह वचन पूरा नहीं करना है। उसके पिता ने उसे रोका अतः यहोवा उसे क्षमा करेगा।
6 “सम्भव है कोई स्त्री अपने विवाह से पहले यहोवा को कोई वचन देती है अथवा बात ही बात में बिना सोचे विचारे कोई वचन ले लेती है और बाद में उसका विवाह हो जाता है 7 और पति दिये गये वचन के बारे में सुनता है और उसे स्वीकार करता है तो उस स्त्री को अपने दिये गए वचन के अनुसार काम को पूरा करना चाहिए। 8 किन्तु यदि पति दिये गए वचन के बारे में सुनता है और उसे स्वीकार नहीं करता तो स्त्री को अपने दिये गए वचन को पूरा नहीं करना पड़ेगा। उसके पति ने उसका वचन तोड़ दिया और उसने उसे उसकी कही बात को पूरा नहीं करने दिया, अतः यहोवा उसे क्षमा करेगा।
9 “कोई विधवा या तलाक दी गई स्त्री विशेष वचन दे सकती है। यदि वह ऐसा करती है तो उसे ठीक अपने वचन के अनुसार करना चाहिए।
10 “एक विवाहित स्त्री यहोवा को कुछ चढ़ाने का वचन दे सकती है। 11 यदि उसका पति दिये गए वचन के बारे में सुनता है और उसे अपने वचन को पूरा करने देता है, तो उसे ठीक अपने दिए गए वचनों के अनुसार ही वह कार्य करना चाहिए। 12 किन्तु यदि उसका पति उसके दिये गए वचन को सुनता है और उसे वचन पूरा करने से इन्कार करता है, तो उसे अपने दिये वचन के अनुसार वह कार्य पूरा नहीं करना पड़ेगा। इसका कोई महत्व नहीं होगा कि उसने क्या वचन दिया था, उसका पति उस वचन को भंग कर सकता है। यदि उसका पति वचन को भंग करता है, तो यहोवा उसे क्षमा करेगा। 13 एक विवाहित स्त्री यहोवा को कुछ चढ़ाने का वचन दे सकती है या स्वयं को किसी चीज़ से वंचित रखने का वचन दे सकती है[a] या वह परमेश्वर को कोई विशेष वचन दे सकती है। उसका पति उन वचनों में से किसी को रोक सकता है या पति उन वचनों में से किसी को पूरा करने दे सकता है। 14 पति अपना पत्नी को कैसे अपने वचन पूरा करने देगा यदि वह दिये वचन के बारे में सुनता है और उन्हें रोकता नहीं है तो स्त्री को अपने दिए वचन के अनुसार कार्य को पूरा करना चाहिए। 15 किन्तु यदि पति दिये गए वचन के बारे में सुनता है और उन्हें रोकता है तो उसके वचन तोड़ने का उत्तरदायित्व पति पर होगा।”[b]
16 ये आदेश है जिन्हें यहोवा ने मूसा को दिया। ये आदेश एक व्यक्ति और उसकी पत्नी के बारे में है तथा पिता और उसकी उस पुत्री के बारे में है जो युवती हो और अपने पिता के घर में रह रही हो।
गिनती 31
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इस्राएल ने मिद्यानियों के विरुद्ध प्रत्याक्रमण किया
31 यहोवा ने मूसा से बात की। उसने कहा, 2 “मैं इस्राएल के लोगों के साथ मिद्यानियों ने जो किया है उसके लिए उन्हें दण्ड दूँगा। उसके बाद, मूसा, तू मर जाएगा।”[a]
3 इसलिए मूसा ने लोगों से बात की। उसने कहा, “अपने कुछ पुरुषों को युद्ध के लिए तैयार करो। यहोवा उन व्यक्तियों का उपयोग मिद्यानियों को दण्ड देने में करेगा। 4 ऐसे एक हजार पुरुषों को इस्राएल के हर एक कबीले से चुनो। 5 इस्राएल के सभी परिवार समूहों से बारह हजार सैनिक होंगे।”
6 मूसा ने उन बारह हजार पुरुषों को युद्ध के लिए भेजा। उसने याजक एलीआज़ार को उनके साथ भेजा। एलीआज़ार ने अपने साथ पवित्र वस्तुएं, सींग और बिगुल ले लिए। 7 इस्राएली लोगों के साथ वैसे ही लड़े जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था। उन्होंने सभी मिद्यानीं पुरुषों को मार डाला। 8 जिन लोगों को उन्होंने मार डाला उनमें एवी, रेकेम, सूर, हूर, और रेबा ये पाँच मिद्यानी राजा थे। उन्होंने बोर के पुत्र बिलाम को भी तलवार से मार डाला।
9 इस्राएल के लोगों ने मिद्यानी स्त्रियों और बच्चों को बन्दी बनाया। उन्होंने उनकी सारी रेवड़ों, मवेशियों के झुण्डों और अन्य चीज़ों को ले लिया। 10 तब उन्होंने उनके उन सारे खेमों और नगरों में आग लगा दी जहाँ वे रहते थे। 11 उन्होंने सभी लोगों और जानवरों को ले लिया, 12 और उन्हें मूसा, याजक एलीआज़ार और इस्राएल के सभी लोगों के पास लाए। वे उन सभी चीज़ों को इस्राएल के डेरे में लाए जिन्हें उन्होंने वहाँ प्राप्त किया। इस्राएल के लोग मोआब में स्थित यरदन घाटी में डेरा डाले थे। यह यरीहो के समीप यरदन नदी के पूर्व की ओर था। 13 तब मूसा, याजक एलीआज़ार और लोगों के नेता सैनिकों से मिलने के लिए डेरों से बाहर गए।
14 मूसा सेनापतियों पर बहुत क्रोधित था। वह उन एक हजार की सेना के संचालकों और सौ की सेना के संचालकों पर क्रोधित था जो युद्ध से लौट कर आए थे। 15 मूसा ने उनसे कहा, “तुम लोगों ने स्त्रियों को क्यों जीवित रहने दिया 16 देखो यह स्त्री ही थी जिसके कारण बिलाम की घटना में इस्रालियों के लिए समस्याएं पैदा हुईं और पोर में वे यहोवा के विरुद्ध हो गये जिससे इस्राएल के लोगों को महामारी झेलनी पड़ी। 17 अब सभी मिद्यानी लड़कों को मार डालो और उन सभी मिद्यानी स्त्रियों को मार डालो जो किसी व्यक्ति के साथ रही हैं। उन सभी स्त्रियों को मार डालो जिनका किसी पुरुष के साथ यौन सम्बन्ध था। 18 तुम केवल उन सभी लड़कियों को जीवित रहने दे सकते हो जिनका किसी पुरुष के साथ यौन सम्बन्ध नहीं हुआ है। 19 तब अन्य व्यक्तियों को मारने वाले तुम लोगों को सात दिन तक डेरे के बाहर रहना पड़ेगा। तुम्हें डेरे से बाहर रहना होगा यदि तुमने किसी शव को छूआ हो। तीसरे दिन तुम्हें और तुम्हारे बन्दियों को अपने आप को शुद्ध करना होगा। तुम्हें वही कार्य सातवें दिन फिर करना होगा। 20 तुम्हें अपने सभी कपड़े धोने चाहिए। तुम्हें चमड़े की बनी हर वस्तु ऊनी और लकड़ी की बनी वस्तुओं को भी धोना चाहिए। तुम्हें शुद्ध हो जाना चाहिए।”
21 तब याजक एलीआज़ार ने सैनिकों से बात की। उसने कहा, “ये नियम वे ही हैं जिन्हें यहोवा ने मूसा को दिए थे। वे नियम युद्ध से लौटने वाले सैनिकों के लिए हैं। 22-23 किन्तु जो चीज़ें आग में डाली जा सकती हैं उनके बारे में अलग—अलग नियम हैं। तुम्हें सोना, चाँदी, काँसा, लोहा, टिन या सीसे को आग में डालना चाहिए और जब उन्हें पानी से धोओ वे शुद्ध हो जाएंगी। यदि चीज़ें आग में न डाली जा सकें तो तुम्हें उन्हें पानी से धोना चाहिए। 24 सातवें दिन तुम्हें अपने सारे वस्त्र धोने चाहिए। जब तुम शुद्ध हो जाओगे।”
25 उसके बाद तुम डेरे में आ सकते हो। तब यहोवा ने मूसा से कहा, 26 “मूसा तुम्हें याजक एलीआज़ार और सभी नेताओं को चाहिए कि तुम उन बन्दियों, जानवरों और सभी चीज़ों को गिनो जिन्हें सैनिक युद्ध से लाऐ हों। 27 तब उन चीज़ों को युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों और शेष इस्राएल के लोगों में बाँट देना चाहिए। 28 जो सैनिक युद्ध में भाग लेने गये थे उनसे उन चीज़ों का आधा लो। वह हिस्सा यहोवा का होगा। हर एक पाँच सौ चीजों में से एक यहोवा का हिस्सा होगा। इसमें व्यक्ति मवेशी, गधे और भेड़ें सम्मिलित हैं। 29 सैनिकों ने युद्ध में जो चीज़ें प्राप्त कीं उनका आधा हर एक से लो। तब उन चीज़ों को (प्रत्येक पाँच सौ में से एक) याजक एलीआज़ार को दो। वह भाग यहोवा का होगा 30 और तब बाकी के लोगों के आधे में से हर एक पचास चीज़ों में से एक चीज़ लो। इसमें व्यक्ति, मवेशी, गधा, भेड़ या कोई अन्य जानवर शामिल हैं। यह हिस्सा लेविवंशी को दो। क्यों क्योंकि लेवीवंशी यहोवा के पवित्र तम्बू की देखभाल करते हैं।”
31 इस प्रकार मूसा और याजक एलीआज़ार ने वही किया जो मूसा को यहोवा का आदेश था। 32 सैनिकों ने छः लाख पचहत्तर हजार भेड़ें, 33 बहत्तर हजार मवेशी, 34 एकसठ हजार गधे, 35 बत्तीस हजार स्त्रियाँ लूटी थीं। (ये ऐसी स्त्रियाँ थीं जिनका किसी पुरुष के साथ यौन सम्बन्ध नहीं हुआ था।) 36 जो सैनिक युद्ध में गए थे उन्होंने अपने हिस्से की तीन लाख सैंतीस हजार पाँच सौ भेड़ें प्राप्त कीं। 37 उन्होंने छः सौ पचहत्तर भेड़ें यहोवा को दीं। 38 सैनिकों को छत्तीस हजार मवेशी मिले। उन्होंने बहत्तर यहोवा को दिए। 39 सैनिकों ने साढ़े तीस हजार गधे प्राप्त किये। उन्होंने यहोवा को एकसठ गधे दिये। 40 सैनिकों को सोलह हजार स्त्रियाँ मिलीं। उन्होंने बत्तीस स्त्रियाँ यहोवा को दीं। 41 यहोवा के आदेश के अनुसार मूसा ने यहोवा के लिए दी गई उन सारी भेटों को याजक एलीआज़ार को दे दिया।
42 तब मूसा ने लोगों को प्राप्त आधे हिस्से को गिना। यह वह हिस्सा था जिसे मूसा ने युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों से लिया था। 43 लोगों ने तीन लाख सैंतीस हजार पाँच सौ भेड़ें, 44 छत्तीस हजार मवेशी, 45 तीस हजार पाँच सौ गधे 46 और सोलह हजार स्त्रियाँ प्राप्त कीं। 47 मूसा ने हर एक पचास चीज़ों पर एक चीज़ यहोवा के लिए ली। इसमें जानवर और व्यक्ति दोनों शामिल थे। तब उन चीज़ों को उसने लेवीवंशी को दे दिया। क्यों क्योंकि वे यहोवा के पवित्र तम्बू की देखभाल करते थे। मूसा ने यह यहोवा के आदेश के अनुसार किया।
48 तब सेना के संचालक (एक हजार सैनिकों के सेनापति तथा एक सौ सैनिकों के सेनापति) मूसा के पास गए। 49 उन्होंने मूसा से कहा, “तेरे सेवक हम लोगों ने अपने सभी सैनिकों को गिना है। हम लोगों में से कोई भी कम नहीं है। 50 इसलिए हम लोग हर एक सैनिक से यहोवा की भेंट ला रहे हैं। हम लोग सोने की चीज़ें बाजूबन्द, शुजबन्द, अंगूठी, कान की बालियाँ और हार ला रहे हैं। यहोवा को ये भेंटें हमारे पापों के भुगतान के लिए हैं।”
51 इसलिए मूसा ने वे सभी सोने की चीज़ें लीं और याजक एलीआज़ार को उन्हें दिया। 52 एक हजार सैनिकों और सौ सैनिकों के सेनापतियों ने जो सोना एकत्र किया और यहोवा को दिया उसका वजन लगभग चार सौ बीस पौंड[b] था। 53 प्रत्येक सैनिक ने युद्ध में प्राप्त चीज़ों का अपना हिस्सा अपने पास रख लिया। 54 मूसा और एलीआज़ार ने एक हजार सैनिकों और एक सौ सैनिकों के सेनापतियों से सोना लिया। तब उन्होंने सोने को मिलापवाले तम्बू में रखा। यह भेंट एक यादगार[c] के रूप में इस्राएल के लोगों के लिए यहोवा के सामने थी।
गिनती 32
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यरदन नदी के पूर्व के परिवार समूह
32 रूबेन और गाद के परिवार समूहों के पास भारी संख्या में मवेशी थे। उन लोगों ने याजेर और गिलाद के समीप की भूमि को देखा। उन्होंने सोचा कि वह भूमि उनके मवेशियों के लिए ठीक है। 2 इसलिए रूबेन और गाद परिवारसमूह के लोग मूसा के पास आए। उन्होंने मूसा, याजक एलीआज़ार तथा लोगों के नेताओं से बात की। 3-4 उन्होंने कहा, “तेरे सेवक, हम लोगों के पास भारी संख्या में मवेशी हैं और वह भूमि जिसे यहोवा ने इस्राएल के लोगों को युद्ध में दिया है, मवेशियों के लिए ठीक है। इस प्रदेश में अतारोत, दीबोन याजेर, निम्रा, हेशबोन, एलाले, सबाम नबो और बोन शामिल हैं। 5 यदि तेरी स्वीकृति हो तो हम लोग चाहेंगे कि यह प्रदेश हम लोगों को दिया जाए। हम लोगों को यरदन नदी की दूसरी ओर न ले जाए।”
6 मूसा ने रूबेन और गाद के परिवार समूह से पूछा, “क्या तुम लोग यहाँ बसोगे और अपने भाईयों को यहाँ से जाने और युद्ध करने दोगे? तुम लोग इस्राएल के लोगों को निरूत्साहित क्यों करना चाहते हो? 7 तुम लोग उन्हें नदी पार करने की सोचने नहीं दोगे और जो प्रदेश यहोवा ने उन्हें दिया है उसे नहीं लेने दोगे। 8 तुम्हारे पिताओं ने मेरे साथ ऐसा ही किया। कादेशबर्ने से मैंने जासूसों को प्रदेश की छान—बीन करने के लिए भेजा। 9 वे लोग एश्कोल घाटी तक गए। उन्होंने प्रदेश को देखा और उन लोगों ने इस्राएल के लोगों को उस धरती पर जाने को निरूत्साहित किया। उन लोगों ने इस्राएल के लोगों को उस प्रदेश में जाने की इच्छा नहीं करने दी जिसे यहोवा ने उनको दे दिया था। 10 यहोवा लोगों पर बहुत क्रोधित हुआ। यहोवा ने यह निर्णय सुनायाः 11 ‘मिस्र से आने वाले लोगों और बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति इस प्रदेश को नहीं देख पाएगा। मैंने इब्राहीम, इसहाक और याकूब को यह वचन दिया था। मैंने यह प्रदेश इन व्यक्तियों को देने का वचन दिया था। किन्तु इन्होंने मेरा अनुसरण पूरी तरह नहीं किया। इसलिए वे इस प्रदेश को नहीं पाएंगे। 12 केवल कनजी यपुन्ने के पुत्र कालेब और नून के पुत्र यहोशू ने यहोवा का पूरी तरह अनुसरण किया।’
13 “यहोवा इस्राएल के लोगों के विरुद्ध बहुत क्रोधित था। इसलिए यहोवा ने लोगों को चालीस वर्ष तक मरुभूमि में रोके रखा। यहोवा ने उनको तब तक वहाँ रोके रखा जब तक वे लोग, जिन्होंने यहोवा के विरुद्ध पाप किए थे, मर न गए 14 और अब तुम लोग वही कर रहे हो जो तुम्हारे पूर्वजों ने किया। अरे पापियो! क्या तुम चाहते हो कि यहोवा इस्राएल के लोगों के विरुद्ध और अधिक क्रोधित हो 15 यदि तुम लोग यहोवा का अनुसरण करना छोड़ोगे तो यहोवा इस्राएल को और अधिक समय तक मरुभूमि में ठहरा देगा। तब तुम इन सभी लोगों को नष्ट कर दोगे!”
16 किन्तु रूबेन और गाद परिवार समूहों के लोग मूसा के पास गए। उन्होंने कहा, “यहाँ हम लोग अपने बच्चों के लिए नगर और अपने जानवरों के लिए बाड़े बनाएंगे। 17 तब हमारे बच्चे उन अन्य लोगों से सुरक्षित रहेंगे जो इस प्रदेश में रहते हैं। किन्तु हम लोग प्रसन्नता से आगे बढ़कर इस्राएल के लोगों की सहायता करेंगे। हम लोग उन्हें उनके प्रदेश में ले जाएंगे। 18 हम लोग तब तक घर नहीं लौटेंगे जब तक हर एक व्यक्ति इस्राएल में अपनी भूमि का हिस्सा नहीं पा लेता। 19 हम लोग यरदन नदी के पश्चिम में कोई भूमि नहीं लेंगे। नहीं। हम लोगों की भूमि का भाग यरदन नदी के पूर्व ही है।”
20 मूसा ने उनसे कहा, “यदि तुम लोग यह सब करोगे तो यह भूमि तुम लोगों की होगी। किन्तु तुम्हारे सैनिक यहोवा के सामने युद्ध में जाने चाहिए। 21 तुम्हारे सैनिकों को यरदन नदी पार करनी चाहिए और शत्रु को उस देश को छोड़ने के लिए विवश करना चाहिए। 22 जब हम सभी को भूमि प्राप्त कराने में यहोवा सहायता कर चुके तब तुम घर वापस जा सकते हो। तब यहोवा और इस्राएल तुमको अपराधी नहीं मानेंगे। तब यहोवा तुमको यह प्रदेश लेने देगा। 23 किन्तु यदि तुम ये बातें पूरी नहीं करते हो, तो तुम लोग यहोवा के विरुद्ध पाप करोगे और यह गाँठ बांधो कि तुम अपने पाप के लिए दण्ड पाओगे। 24 अपने बच्चों के लिए नगर और अपने जानवरों के लिए बाड़े बनाओ। किन्तु उसके बाद उसे पूरा करो जिसे करने का तुमने वचन दिया है।”
25 तब गाद और रूबेन परिवार समूह के लोगों ने मूसा से कहा, “हम तेरे सेवक हैं। तू हमारा स्वामी है। इसलिए हम लोग वही करेंगे जो तू कहता है। 26 हमारी पत्नियाँ, बच्चे और हमारे जानवर गिलाद नगर में रहेंगे। 27 किन्तु तेरे सेवक, हम यरदन नदी को पार करेंगे। किन्तु हम लोग यहोवा के सामने अपने स्वामी के कथनानुसार युद्ध में कूद पड़ेंगे।”
28 मूसा ने याजक एलीआज़ार, नून के पुत्र यहोशू और इस्राएल के परिवार समूह के सभी नेताओं को उनके बारे में आज्ञा दी। 29 मूसा ने उनसे कहा, “गाद और रूबेन के पुरुष यरदन नदी को पार करेंगे। वे यहोवा के आगे युद्ध में धावा बोलेंगे। वे देश जीतने में तुम्हारी सहायता करेंगे और तुम लोग गिलाद का प्रदेश उनके हिस्से के रूप में उन्हें दोगे। 30 वे वचन देते हैं कि वे कनान देश को जीतने में तुम्हारी सहायता करेंगे।”
31 गाद और रूबेन के लोगों ने उत्तर दिया, “हम लोग वही करने का वचन देते हैं जो यहोवा का आदेश है। 32 हम लोग यरदन नदी पार करेंगे और कनान देश पर यहोवा के सामने धावा बोलेंगे और हमारे देश का भाग यरदन नदी के पूर्व की भूमि होगी।”
33 इस प्रकार मूसा ने उस प्रदेश को गाद, रूबेन और मनश्शे परिवार समूह के आधे लोगों को दिया। (मनश्शे यूसुफ का पुत्र था।) उस प्रदेश में एमोरियों के राजा सीहोन का राज्य और बाशान के राजा ओग का राज्य शामिल थे। उस प्रदेश में उस क्षेत्र के चारों ओर के नगर भी शामिल थे।
34 गाद के लोगों ने दीबोन, अतारोत, अरोएर, 35 अत्रौत, शोपान, याजेर, योगबहा, 36 बेतनिम्रा और बेथारान नगरों को बनाया। उन्होंने मजबूत चाहारदीवारों के साथ नगरों को बनाया और अपने जानवरों के लिए बाड़े बनाए।
37 रूबेन के लोगों ने हेसबोन, एलाले, किर्यातैम, 38 नबो, बालमोन, मूसा—बॉथ और तित्पा नगर बनाए। उन्होंने जिन नये नगरों को फिर से बनाया उनके पुराने नामों का ही उपयोग किया गया किन्तु नबो और बालमोन को नये नाम दिये गए।
39 मनश्शे परिवार समूह की सन्तान माकीर से उत्पन्न लोग गिलाद को गए। उन्होंने नगर को हराया। उन्होंने उन एमोरी को हराया जो वहाँ रहते थे। 40 इसलिए मनश्शे के परिवार समूह के माकीर को मूसा ने गिलाद दिया। इसलिए उसका परिवार वहाँ बस गया। 41 मनश्शे की सन्तान याईर ने वहाँ के छोटे नगरों को हराया। तब उसने उन्हें याईर के नगर नाम दिया। 42 नोबह ने कनात और उसके पास के छोटे नगरों को हराया। तब उसने उस स्थान का नाम अपने नाम पर नोबह रखा।
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