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कृपालुता तथा सतत-प्रयास-प्रवृत्ति सम्बन्धी निर्देश

प्रियजन, यदि तुम्हें यह मालूम हो कि किसी व्यक्ति ने कोई अपराध किया है, तो तुम, जो आत्मिक हो, उसे नम्रतापूर्वक सुधारो किन्तु तुम स्वयं सावधान रहो कि कहीं तुम भी परीक्षा में न पड़ जाओ. एक दूसरे का बोझ उठाया करो. इसके द्वारा तुम मसीह की व्यवस्था को पूरा करोगे. यदि कोई व्यक्ति कुछ न होने पर भी स्वयं को पहुँचा हुआ समझता है तो वह स्वयं को धोखा देता है. हर एक व्यक्ति अपने कामों की जांच स्वयं करे, तब उसके सामने किसी और पर नहीं, खुद अपने पर घमण्ड़ करने का कारण होगा क्योंकि हर एक व्यक्ति अपना बोझ स्वयं ही उठाएगा.

जिसे वचन की शिक्षा दी जा रही है, वह हर एक उत्तम वस्तु में अपने शिक्षक को सम्मिलित करे.

किसी भ्रम में न रहना, परमेश्वर मज़ाक के विषय नहीं हैं क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटता है. वह, जो अपने शरीर के लिए बोता है, शरीर के द्वारा विनाश की उपज काटेगा, किन्तु वह, जो पवित्रात्मा के लिए बोता है, पवित्रात्मा के द्वारा अनन्त जीवन प्राप्त करेगा. हम भलाई के काम करने में साहस न छोड़ें क्योंकि यदि हम ढ़ीले न हो जाएँ तो हम निर्धारित समय पर उपज अवश्य काटेंगे. 10 जब तक हमारे सामने सुअवसर है, हम सभी का भला करते रहें, विशेषकर विश्वासी परिवार के सदस्यों का.

उपसंहार

11 ध्यान दो कि कैसे बड़े आकार के अक्षरों में मैंने तुम्हें अपने हाथों से यह लिखा है!

12 जितने भी लोग तुम पर उत्तम प्रभाव डालने के लक्ष्य से तुम्हें ख़तना के लिए मजबूर करते हैं, वे यह सिर्फ इसलिए करते हैं कि वे मसीह येशु के क्रूस के कारण सताए न जाएं. 13 वे, जो ख़तनित हैं, स्वयं तो व्यवस्था का पालन नहीं करते किन्तु वे यह चाहते अवश्य हैं कि तुम्हारा ख़तना हो जिससे यह उनके लिए घमण्ड़ करने का विषय बन जाए. 14 ऐसा कभी न हो कि मैं हमारे प्रभु मसीह येशु के क्रूस के अलावा और किसी भी विषय पर घमण्ड़ करूँ. इन्हीं मसीह के कारण संसार मेरे लिए क्रूस पर चढ़ाया जा चुका है और मैं संसार के लिए. 15 महत्व न तो ख़तना का है और न खतनाविहीनता का. महत्व है तो सिर्फ नई सृष्टि का. 16 वे सभी, जो इस सिद्धान्त का पालन करते हैं, उनमें तथा परमेश्वर के इस्राएल में शान्ति व कृपा व्याप्त हो.

17 अन्त में, अब कोई मुझे किसी प्रकार की पीड़ा न पहुंचाए क्योंकि मेरे शरीर पर मसीह येशु के घाव के चिन्ह हैं.

18 प्रियजन, हमारे प्रभु मसीह येशु का अनुग्रह तुम पर बना रहे. आमेन!

कृपालुता तथा सतत-प्रयास-प्रवृत्ति सम्बन्धी निर्देश

प्रियजन, यदि तुम्हें यह मालूम हो कि किसी व्यक्ति ने कोई अपराध किया है, तो तुम, जो आत्मिक हो, उसे नम्रतापूर्वक सुधारो किन्तु तुम स्वयं सावधान रहो कि कहीं तुम भी परीक्षा में न पड़ जाओ. एक दूसरे का बोझ उठाया करो. इसके द्वारा तुम मसीह की व्यवस्था को पूरा करोगे. यदि कोई व्यक्ति कुछ न होने पर भी स्वयं को पहुँचा हुआ समझता है तो वह स्वयं को धोखा देता है. हर एक व्यक्ति अपने कामों की जांच स्वयं करे, तब उसके सामने किसी और पर नहीं, खुद अपने पर घमण्ड़ करने का कारण होगा क्योंकि हर एक व्यक्ति अपना बोझ स्वयं ही उठाएगा.

जिसे वचन की शिक्षा दी जा रही है, वह हर एक उत्तम वस्तु में अपने शिक्षक को सम्मिलित करे.

किसी भ्रम में न रहना, परमेश्वर मज़ाक के विषय नहीं हैं क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटता है. वह, जो अपने शरीर के लिए बोता है, शरीर के द्वारा विनाश की उपज काटेगा, किन्तु वह, जो पवित्रात्मा के लिए बोता है, पवित्रात्मा के द्वारा अनन्त जीवन प्राप्त करेगा. हम भलाई के काम करने में साहस न छोड़ें क्योंकि यदि हम ढ़ीले न हो जाएँ तो हम निर्धारित समय पर उपज अवश्य काटेंगे. 10 जब तक हमारे सामने सुअवसर है, हम सभी का भला करते रहें, विशेषकर विश्वासी परिवार के सदस्यों का.

उपसंहार

11 ध्यान दो कि कैसे बड़े आकार के अक्षरों में मैंने तुम्हें अपने हाथों से यह लिखा है!

12 जितने भी लोग तुम पर उत्तम प्रभाव डालने के लक्ष्य से तुम्हें ख़तना के लिए मजबूर करते हैं, वे यह सिर्फ इसलिए करते हैं कि वे मसीह येशु के क्रूस के कारण सताए न जाएं. 13 वे, जो ख़तनित हैं, स्वयं तो व्यवस्था का पालन नहीं करते किन्तु वे यह चाहते अवश्य हैं कि तुम्हारा ख़तना हो जिससे यह उनके लिए घमण्ड़ करने का विषय बन जाए. 14 ऐसा कभी न हो कि मैं हमारे प्रभु मसीह येशु के क्रूस के अलावा और किसी भी विषय पर घमण्ड़ करूँ. इन्हीं मसीह के कारण संसार मेरे लिए क्रूस पर चढ़ाया जा चुका है और मैं संसार के लिए. 15 महत्व न तो ख़तना का है और न खतनाविहीनता का. महत्व है तो सिर्फ नई सृष्टि का. 16 वे सभी, जो इस सिद्धान्त का पालन करते हैं, उनमें तथा परमेश्वर के इस्राएल में शान्ति व कृपा व्याप्त हो.

17 अन्त में, अब कोई मुझे किसी प्रकार की पीड़ा न पहुंचाए क्योंकि मेरे शरीर पर मसीह येशु के घाव के चिन्ह हैं.

18 प्रियजन, हमारे प्रभु मसीह येशु का अनुग्रह तुम पर बना रहे. आमेन!