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पुत्र में परमेश्वर का सारा सम्वाद

पूर्व में परमेश्वर ने भविष्यद्वक्ताओं के माध्यम से हमारे पूर्वजों से अनेक समय खण्डों में विभिन्न प्रकार से बातें कीं किन्तु अब इस अन्तिम समय में उन्होंने हमसे अपने पुत्र के द्वारा बातें की हैं, जिन्हें परमेश्वर ने सारी सृष्टि का वारिस चुना और जिनके द्वारा उन्होंने युगों की सृष्टि की. पुत्र ही परमेश्वर की महिमा का प्रकाश तथा उनके तत्व का प्रतिबिंब है. वह अपने सामर्थ्य के वचन से सारी सृष्टि को स्थिर बनाये रखता है. जब वह हमें हमारे पापों से धो चुके, वह महिमामय ऊँचे पर विराजमान परमेश्वर की दायीं ओर में बैठ गए. वह स्वर्गदूतों से उतने ही उत्तम हो गए जितनी स्वर्गदूतों से उत्तम उन्हें प्रदान की गई महिमा थी.

पुत्र स्वर्गदूतों से उत्तम हैं

भला किस स्वर्गदूत से परमेश्वर ने कभी यह कहा:

“तुम मेरे पुत्र हो,
    आज मैं तुम्हारा पिता हो गया हूँ?”

तथा यह:

“उसके लिए मैं पिता हो जाऊँगा और वह मेरा पुत्र?”

और तब, वह अपने पहिलौठे पुत्र को संसार के सामने प्रस्तुत करते हुए कहते हैं:

“परमेश्वर के सभी स्वर्गदूत उनके पुत्र की वन्दना करें”.

स्वर्गदूतों के विषय में उनका कहना है:

“वह अपने स्वर्गदूतों को हवा में और अपने सेवकों को
    आग की लपटों में बदल देते हैं”.

किन्तु पुत्र के विषय में उनका कथन है:

“परमेश्वर! तुम्हारा सिंहासन युगानुयुग का है,
    तथा तुम अपने राज्य का शासन न्याय के साथ करोगे.
तुमने धार्मिकता का पक्ष लिया और अधर्म से घृणा की है.
    तुम्हारे साथियों में से तुम्हें चुनकर मैंने आनन्द के तेल से तुम्हारा अभिषेक किया है”.

10 और,

“प्रभु! तुमने प्रारम्भ में ही पृथ्वी की नींव रखी तथा आकाशमण्डल
    तुम्हारे ही हाथों की कारीगरी है.
11 वे तो मिट जाएँगे किन्तु तुम्हारा अस्तित्व सनातन है.
    वे सभी वस्त्रों जैसे पुराने हो जाएँगे.
12 तुम उन्हें चादर के समान लपेट दोगे;
    उन्हें वस्त्र के समान बदल दिया जाएगा—किन्तु तुम वैसे ही रहोगे.
तुम्हारे जीवनकाल का अन्त कभी न होगा”.

13 भला किस स्वर्गदूत से परमेश्वर ने यह कहा:

मेरी दायीं ओर में बैठ जाओ,
    जब तक मैं तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हारे चरणों की चौकी न बना दूँ?

14 क्या सभी स्वर्गदूत सेवा के लिए चुनी आत्माएँ नहीं हैं कि वे उनकी सेवा करें, जो उद्धार पाने वाले हैं?