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फ़रीसियों के लिए असम्भव प्रश्न

(मारक 12:35-37; लूकॉ 20:41-44)

41 वहाँ इकट्ठा फ़रीसियों के सामने येशु ने यह प्रश्न रखा, 42 “मसीह के विषय में क्या मत है आपका—किसकी सन्तान है वह?”

“दाविद की,” उन्होंने उत्तर दिया.

43 तब येशु ने उनसे आगे पूछा, “तब फिर पवित्रात्मा से भरकर दाविद उसे ‘प्रभु’ कह कर सम्बोधित क्यों करते हैं? दाविद ने कहा है

44 “‘प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा,
    “मेरी दायीं ओर बैठे रहो,
जब तक मैं तुम्हारे शत्रुओं को
    तुम्हारे अधीन न कर दूँ.” ’[a]

45 यदि दाविद मसीह को प्रभु कह कर सम्बोधित करते हैं तो वह उनकी सन्तान कैसे हुए?” 46 इसके उत्तर में न तो फ़रीसी कुछ कह सके और न ही इसके बाद किसी को भी उनसे कोई प्रश्न करने का साहस हुआ.

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Footnotes

  1. 22:44 कुछ प्राचीनतम पाण्डुलिपियों मूल हस्तलेखों में यह पद नहीं पाया जाता है.