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18 “अब तुम किसान का दृष्टान्त सुनो: 19 जब कोई व्यक्ति राज्य के विषय में सुनता है किन्तु उसे समझा नहीं करता, शैतान आता है और वह, जो उसके हृदय में रोपा गया है, झपट कर ले जाता है. यह वह है जो मार्ग के किनारे गिर गया था. 20 पथरीली भूमि वह व्यक्ति है, जो सन्देश को सुनता है तथा तुरन्त ही उसे खुशी से अपना लेता है 21 किन्तु इसलिए कि उसकी जड़ है ही नहीं, वह थोड़े दिन के लिए ही उसमें टिक पाता है. जब सन्देश के कारण यातनाएँ और सताहट प्रारम्भ होते हैं, उसका पतन हो जाता है. 22 वह भूमि, जहाँ बीज कँटीली झाड़ियों के बीच गिरा, वह व्यक्ति है जो सन्देश को सुनता तो है किन्तु संसार की चिन्ताएँ तथा सम्पन्नता का छलावा सन्देश को दबा देते हैं और वह बिना फल के रह जाता है. 23 वह उत्तम भूमि, जिस पर बीज रोपा गया, वह व्यक्ति है, जो सन्देश को सुनता है, उसे समझता है तथा वास्तव में फल लाता है. यह उपज सौ गुणी, साठ गुणी, तीस गुणी होती है.”

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