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यीशु की हत्या का षड़यन्त्र

(मत्ती 26:1-5; लूका 22:1-2; यूहन्ना 11:45-53)

14 फ़सह पर्व और बिना खमीर की रोटी का उत्सव[a] आने से दो दिन पहले की बात है कि प्रमुख याजक और यहूदी धर्मशास्त्री कोई ऐसा रास्ता ढूँढ रहे थे जिससे चालाकी के साथ उसे बंदी बनाया जाये और मार डाला जाये। वे कह रहे थे, “किन्तु यह हमें पर्व के दिनों में नहीं करना चाहिये, नहीं तो हो सकता है, लोग कोई फसाद खड़ा करें।”

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Footnotes

  1. 14:1 बिना खमीर की रोटी का उत्सव यहूदियों का यह उत्सव एक अत्यन्त महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन वे बिना खमीर की रोटी के साथ विशेष प्रकार का भोजन करते है।

मसीह येशु की हत्या का षड्यन्त्र

(मत्ति 26:1-5; लूकॉ 22:1, 2)

14 फ़सह तथा खमीर रहित रोटी के उत्सव के लिए मात्र दो दिन शेष रह गए थे. प्रधान याजक तथा शास्त्री इस खोज में थे कि मसीह येशु को पकड़ कर गुप्त रूप से उनकी हत्या कर दें, क्योंकि उनका विचार था: “उत्सव के समय में नहीं, अन्यथा बलवा हो जाएगा.”

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Preparation for burial

14 It was two days before Passover and the Festival of Unleavened Bread. The chief priests and legal experts through cunning tricks were searching for a way to arrest Jesus and kill him. But they agreed that it shouldn’t happen during the festival; otherwise, there would be an uproar among the people.

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