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10 अकासे स बर्खा अउर हिम गिरा करत हीं अउर उ पचे फुन नाहीं लउट जातेन जब तलक उ पचे धरती क नाहीं छुइ लेत हीं,
    अउर धरती क गीला नाहीं कइ देत हीं।
फुन धरती पउधन क अंकुरित करत ह अउर ओनका बढ़ावत ह अउर उ सबइ पउधन किसानन क बरे बीज उपजावत हीं
    अउर लोग ओन बीजन स खाइ बरे रोटियन बनावत हीं।
11 अइसे ही मोर मुख मँ स मोर सब्द निकसत हीं अउर जब तलक घटनन क घटाइ नाहीं लेतेन,
    उ पचे वापस नाहीं आवत हीं।
मोर सब्द अइसी घटनन क घटावत हीं जेनका मइँ घटवावइ चाहत हउँ।
    मोर सब्द उ सबइ सबहिं बातन पूरी कराइ लेत हीं जेनका करवावइ क मइँ ओनका पठवत हउँ।

12 “जब तू पचन्क आनन्द स भरिके सान्ति अउर एकता क साथ मँ उ धरती स छुड़ाइके लइ जावा जाइ रहा होइ जेहमाँ तू पचे बन्दी रह्या,
    तउ तोहरे पचन क समन्वा खुसी मँ पहाड़ फट पडिहीं अउर थिरकइ लगिहीं।
पहाड़ियन नाच मँ फूटि पड़िहीं।
    तोहार पचन्क समन्वा जंगल क सबहिं बृच्छ अइसे हलइ लगिहीं जइसे तालियन पीट रहा होइँ।
13 जहाँ कँटेरी झाड़ियन जमा करत हीं हुवाँ देवदार क बिसाल बृच्छ जमिहीं।
    जहाँ खरपतवार जमा करत रहेन, हुवाँ हिना क बृच्छ जमिहीं।
इ सबइ बातन यहोवा क प्रसिद्ध करिहीं।
    इ सबइ बातन प्रमाणित करिहीं कि यहोवा सक्तिपूर्ण अहइ, इ प्रमाण कबहुँ नस्ट नाहीं होइ।”

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