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इ संदेस ओन लोगन क मदद नाहीं कइ पाइ जउन एह पइ कान देइ स इनकार करत हीं। मुला सज्जन इ संदेस पइ बिस्सास करी अउर आपन बिस्सास क कारण सज्जन जिअत रही।”

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