馬太福音 26
Chinese Contemporary Bible (Traditional)
謀害耶穌
26 耶穌講完了這番話後,對門徒說: 2 「你們知道,兩天後就是逾越節,到時人子會被出賣,被釘在十字架上。」 3 那時,祭司長和民間的長老正聚集在大祭司該亞法的府裡, 4 密謀逮捕、殺害耶穌。 5 但他們認為在節日期間不宜下手,因為可能會在百姓中引起騷亂。
耶穌受膏
6 當耶穌在伯大尼患過痲瘋病的西門家裡時, 7 有個女子趁著祂坐席的時候,把一瓶珍貴的香膏倒在祂頭上。
8 門徒看見後,生氣地說:「真浪費, 9 這瓶香膏值不少錢,用來賙濟窮人多好!」
10 耶穌看出他們的心思,便說:「何必為難這女子?她在我身上做的是一件美事。 11 因為你們身邊總會有窮人,可是你們身邊不會總有我。 12 她把香膏澆在我身上是為我的安葬做準備。 13 我實在告訴你們,無論福音傳到世界哪個角落,人們都會傳揚這女人的事蹟,紀念她。」
猶大出賣耶穌
14 後來,十二門徒中的加略人猶大去見祭司長,說: 15 「如果我把耶穌交給你們,你們肯出多少錢?」他們就給了他三十塊銀子。 16 從那時起,猶大就尋找機會出賣耶穌。
最後的晚餐
17 除酵節的第一天,門徒來問耶穌說:「我們該在什麼地方為你準備逾越節的晚餐呢?」
18 耶穌說:「你們進城去,到某人那裡對他說,『老師說祂的時候到了,祂要與門徒在你家中過逾越節。』」 19 門徒照耶穌的吩咐準備了逾越節的晚餐。
20 傍晚,耶穌和十二個門徒吃晚餐。 21 席間,耶穌說:「我實在告訴你們,你們中間有一個人要出賣我。」
22 他們都非常憂愁,相繼追問耶穌,說:「主啊,肯定不是我吧?」
23 祂說:「那和我一同在盤子裡蘸餅吃的就是要出賣我的人。 24 人子一定會受害,正如聖經上有關祂的記載,但出賣人子的人有禍了,他還不如不生在這世上!」
25 出賣耶穌的猶大問祂:「老師,是我嗎?」
耶穌說:「你自己說了。」
26 他們吃的時候,耶穌拿起餅來,祝謝後掰開分給門徒,說:「拿去吃吧,這是我的身體。」
27 接著又拿起杯來,祝謝後遞給門徒,說:「你們都喝吧, 28 這是我為萬人所流的立約之血,為了使罪得到赦免。 29 我告訴你們,從今天起,一直到我在我父的國與你們共飲新酒的那一天之前,我不會再喝這葡萄酒。」 30 他們唱完詩歌,就出門去了橄欖山。
預言彼得不認主
31 耶穌對門徒說:「今天晚上,你們都要離棄我。因為聖經上說,『我要擊打牧人,羊群將四散。』 32 但我復活後,要先你們一步去加利利。」
33 彼得說:「即使所有的人都離棄你,我也永遠不會離棄你!」
34 耶穌說:「我實在告訴你,今夜雞叫以前,你會三次不認我。」
35 彼得說:「就算要我跟你一起死,我也不會不認你!」其餘的門徒也都這樣說。
在客西馬尼禱告
36 耶穌和門徒到了一個叫客西馬尼的地方,祂對門徒說:「你們坐在這裡,我到那邊去禱告。」 37 祂帶了彼得和西庇太的兩個兒子一起去。祂心裡非常憂傷痛苦, 38 就對他們說:「我心裡非常憂傷,幾乎要死,你們留在這裡跟我一起警醒。」
39 祂稍往前走,俯伏在地上禱告:「我父啊!如果可以,求你撤去此杯。然而,願你的旨意成就,而非我的意願。」
40 耶穌回到三個門徒那裡,見他們都睡著了,就對彼得說:「難道你們不能跟我一同警醒一時嗎? 41 你們要警醒禱告,免得陷入誘惑。你們的心靈雖然願意,肉體卻很軟弱。」
42 祂第二次去禱告說:「我父啊!如果我非喝此杯不可,願你的旨意成就。」 43 祂回來時見他們又睡著了,因為他們睏得眼皮發沉。 44 耶穌再次離開他們,第三次去禱告,說的是同樣的話。
45 然後,祂回到門徒那裡,對他們說:「你們還在睡覺,還在休息嗎?看啊!時候到了,人子要被出賣,交在罪人手裡了。 46 起來,我們走吧。看,出賣我的人已經來了!」
耶穌被捕
47 耶穌還在說話的時候,十二門徒中的猶大來了,隨行的還有祭司長和民間長老派來的一大群拿著刀棍的人。 48 出賣耶穌的猶大預先和他們定了暗號,說:「我親吻誰,誰就是耶穌,你們把祂抓起來。」 49 猶大隨即走到耶穌跟前,說:「老師,你好。」然後親吻耶穌。
50 耶穌對他說:「朋友,你要做的事,快動手吧。」於是那些人上前,下手捉拿耶穌。 51 耶穌的跟隨者中有人伸手拔出佩刀朝大祭司的奴僕砍去,削掉了他一隻耳朵。
52 耶穌對他說:「收刀入鞘吧!因為動刀的必死在刀下。 53 難道你不知道,我可以請求我父馬上派十二營以上的天使來保護我嗎? 54 我若這樣做,聖經上有關這事必如此發生的話又怎能應驗呢?」
55 那時,耶穌對眾人說:「你們像對付強盜一樣拿著刀棍來抓我嗎?我天天在聖殿裡教導人,你們並沒有來抓我。 56 不過這一切事的發生,是要應驗先知書上的話。」那時,門徒都丟下祂逃走了。
大祭司審問耶穌
57 捉拿耶穌的人把祂押到大祭司該亞法那裡。律法教師和長老已聚集在那裡。 58 彼得遠遠地跟著耶穌,一直跟到大祭司的院子裡。他坐在衛兵當中,想知道事情的結果。
59 祭司長和全公會的人正在尋找假證據來控告耶穌,好定祂死罪。 60 雖然有很多假證人誣告祂,但都找不到真憑實據。最後有兩個人上前高聲說:
61 「這個人曾經說過,『我能拆毀聖殿,三天內把它重建起來。』」
62 大祭司站起來質問耶穌:「你不回答嗎?這些人作證控告你的是什麼呢?」 63 耶穌還是沉默不語。
大祭司又對祂說:「我奉永活上帝的名命令你起誓告訴我們,你是不是上帝的兒子基督?」
64 耶穌說:「如你所言。但我告訴你們,將來你們要看見人子坐在大能者的右邊,駕著天上的雲降臨。」
65 大祭司撕裂衣服,說:「祂褻瀆了上帝!我們還需要什麼證人呢?你們現在親耳聽見了祂說褻瀆的話, 66 你們看怎麼辦?」
他們回應說:「祂該死!」
67 他們就吐唾沫在祂臉上,揮拳打祂。還有人一邊打祂耳光,一邊說: 68 「基督啊!給我們說預言吧,是誰在打你?」
彼得三次不認主
69 當時,彼得還坐在外面的院子裡,有一個婢女走過來對他說:「你也是跟那個加利利人耶穌一夥的。」
70 彼得卻當眾否認:「我不知道你在說什麼。」
71 正當他走到門口要離開時,另一個婢女看見他,就對旁邊的人說:「這個人是跟拿撒勒人耶穌一夥的!」
72 彼得再次否認,並發誓說:「我不認識那個人。」 73 過了一會兒,旁邊站著的人過來對彼得說:「你肯定也是他們一夥的,聽你的口音就知道了。」
74 彼得又賭咒又發誓,說:「我不認識那個人!」就在這時候,雞叫了。 75 彼得想起耶穌說的話:「在雞叫以前,你會三次不認我。」他就跑出去,失聲痛哭。
मत्ती 26
Hindi Bible: Easy-to-Read Version
यहूदी नेताओं द्वारा यीशु की हत्या का षड़यंत्र
(मरकुस 14:1-2; लूका 22:1-2; यूहन्ना 11:45-53)
26 इन सब बातों के कह चुकने के बाद यीशु अपने शिष्यों से बोला, 2 “तुम लोग जानते हो कि दो दिन बाद फसह पर्व है। और मनुष्य का पुत्र शत्रुओं के हाथों क्रूस पर चढ़ाये जाने के लिए पकड़वाया जाने वाला है।”
3 तब प्रमुख याजक और बुज़ुर्ग यहूदी नेता कैफ़ा नाम के प्रमुख याजक के भवन के आँगन में इकट्ठे हुए। 4 और उन्होंने किसी तरकीब से यीशु को पकड़ने और मार डालने की योजना बनायी। 5 फिर भी वे कह रहे थे, “हमें यह पर्व के दिनों नहीं करना चाहिये नहीं तो हो सकता है लोग कोई दंगा फ़साद करें।”
यीशु पर इत्र का छिड़काव
(मरकुस 14:3-9; यूहन्ना 12:1-8)
6 यीशु जब बैतनिय्याह में शमौन कोढ़ी के घर पर था 7 तभी एक स्त्री सफेद चिकने, स्फटिक के पात्र में बहुत कीमती इत्र भर कर लायी और उसे उसके सिर पर उँडेल दिया। उस समय वह पटरे पर झुका बैठा था।
8 जब उसके शिष्यों ने यह देखा तो वे क्रोध में भर कर बोले, “इत्र की ऐसी बर्बादी क्यों की गयी? 9 यह इत्र अच्छे दामों में बेचा जा सकता था और फिर उस धन को दीन दुखियों में बाँटा जा सकता था।”
10 यीशु जान गया कि वे क्या कह रहे हैं। सो उनसे बोला, “तुम इस स्त्री को क्यों तंग कर रहे हो? उसने तो मेरे लिए एक सुन्दर काम किया है 11 क्योंकि दीन दुःखी तो सदा तुम्हारे पास रहेंगे पर मैं तुम्हारे साथ सदा नहीं रहूँगा। 12 उसने मेरे शरीर पर यह सुगंधित इत्र छिड़क कर मेरे गाड़े जाने की तैयारी की है। 13 मैं तुमसे सच कहता हूँ समस्त संसार में जहाँ कहीं भी सुसमाचार का प्रचार-प्रसार किया जायेगा, वहीं इसकी याद में, जो कुछ इसने किया है, उसकी चर्चा होगी।”
यहूदा यीशु से शत्रुता ठानता है
(मरकुस 14:10-11; लूका 22:3-6)
14 तब यहूदा इस्करियोती जो उसके बारह शिष्यों में से एक था, प्रधान याजकों के पास गया और उनसे बोला, 15 “यदि मैं यीशु को तुम्हें पकड़वा दूँ तो तुम लोग मुझे क्या दोगे?” तब उन्होंने यहूदा को चाँदी के तीस सिक्के देने की इच्छा जाहिर की। 16 उसी समय से यहूदा यीशु को धोखे से पकड़वाने की ताक में रहने लगा।
यीशु का अपने शिष्यों के साथ फ़सह भोज
(मरकुस 14:12-21; लूका 22:7-14; 21-23; यूहन्ना 13:21-30)
17 बिना ख़मीर की रोटी के उत्सव के पहले दिन यीशु के शिष्यों ने पास आकर पूछा, “तू क्या चाहता है कि हम तेरे खाने के लिये फ़सह भोज की तैयारी कहाँ जाकर करें?”
18 उसने कहा, “गाँव में उस व्यक्ति के पास जाओ और उससे कहो, कि गुरु ने कहा है, ‘मेरी निश्चित घड़ी निकट है, मैं तेरे घर अपने शिष्यों के साथ फ़सह पर्व मनाने वाला हूँ।’” 19 फिर शिष्यों ने वैसा ही किया जैसा यीशु ने बताया था और फ़सह पर्व की तैयारी की।
20 दिन ढले यीशु अपने बारह शिष्यों के साथ पटरे पर झुका बैठा था। 21 तभी उनके भोजन करते वह बोला, “मैं सच कहता हूँ, तुममें से एक मुझे धोखे से पकड़वायेगा।”
22 वे बहुत दुखी हुए और उनमें से प्रत्येक उससे पूछने लगा, “प्रभु, वह मैं तो नहीं हूँ! बता क्या मैं हूँ?”
23 तब यीशु ने उत्तर दिया, “वही जो मेरे साथ एक थाली में खाता है मुझे धोखे से पकड़वायेगा। 24 मनुष्य का पुत्र तो जायेगा ही, जैसा कि उसके बारे में शास्त्र में लिखा है। पर उस व्यक्ति को धिक्कार है जिस व्यक्ति के द्वारा मनुष्य का पुत्र पकड़वाया जा रहा है। उस व्यक्ति के लिये कितना अच्छा होता कि उसका जन्म ही न हुआ होता।”
25 तब उसे धोखे से पकड़वानेवाला यहूदा बोल उठा, “हे रब्बी, वह मैं नहीं हूँ। क्या मैं हूँ?”
यीशु ने उससे कहा, “हाँ, ऐसा ही है जैसा तूने कहा है।”
प्रभु का भोज
(मरकुस 14:22-26; लूका 22:15-20; 1 कुरिन्थियों 11:23-25)
26 जब वे खाना खा ही रहे थे, यीशु ने रोटी ली, उसे आषीष दी और फिर तोड़ा। फिर उसे शिष्यों को देते हुए वह बोला, “लो, इसे खाओ, यह मेरी देह है।”
27 फिर उसने प्याला उठाया और धन्यवाद देने के बाद उसे उन्हें देते हुए कहा, “तुम सब इसे थोड़ा थोड़ा पिओ। 28 क्योंकि यह मेरा लहू है जो एक नये वाचा की स्थापना करता है। यह बहुत लोगों के लिये बहाया जा रहा है। ताकि उनके पापों को क्षमा करना सम्भव हो सके। 29 मैं तुमसे कहता हूँ कि मैं उस दिन तक दाखरस को नहीं चखुँगा जब तक अपने परम पिता के राज्य में तुम्हारे साथ नया दाखरस न पी लूँ।”
30 फिर वे फ़सह का भजन गाकर जैतून पर्वत पर चले गये।
यीशु का कथन: सब शिष्य उसे छोड़ देंगे
(मरकुस 14:27-31; लूका 22:31-34; यूहन्ना 13:36-38)
31 फिर यीशु ने उनसे कहा, “आज रात तुम सब का मुझमें से विश्वास डिग जायेगा। क्योंकि शास्त्र में लिखा है:
‘मैं गडेरिये को मारूँगा और
रेवड़ की भेड़ें तितर बितर हो जायेंगी।’(A)
32 पर फिर से जी उठने के बाद मैं तुमसे पहले ही गलील चला जाऊँगा।”
33 पतरस ने उत्तर दिया, “चाहे सब तुझ में से विश्वास खो दें किन्तु मैं कभी नहीं खोऊँगा।”
34 यीशु ने उससे कहा, “मैं तुझ से सत्य कहता हूँ आज इसी रात मुर्गे के बाँग देने से पहले तू तीन बार मुझे नकार चुकेगा।”
35 तब पतरस ने उससे कहा, “यदि मुझे तेरे साथ मरना भी पड़े तो भी तुझे मैं कभी नहीं नकारूँगा।” बाकी सब शिष्यों ने भी वही कहा।
यीशु की एकान्त प्रार्थना
(मरकुस 14:32-42; लूका 22:39-46)
36 फिर यीशु उनके साथ उस स्थान पर आया जो गतसमने कहलाता था। और उसने अपने शिष्यों से कहा, “जब तक मैं वहाँ जाऊँ और प्रार्थना करूँ, तुम यहीं बैठो।” 37 फिर यीशु पतरस और जब्दी के दो बेटों को अपने साथ ले गया और दुःख तथा व्याकुलता अनुभव करने लगा। 38 फिर उसने उनसे कहा, “मेरा मन बहुत दुःखी है, जैसे मेरे प्राण निकल जायेंगे। तुम मेरे साथ यहीं ठहरो और सावधान रहो।”
39 फिर थोड़ा आगे बढ़ने के बाद वह धरती पर झुक कर प्रार्थना करने लगा। उसने कहा, “हे मेरे परम पिता यदि हो सके तो यातना का यह प्याला मुझसे टल जाये। फिर भी जैसा मैं चाहता हूँ वैसा नहीं बल्कि जैसा तू चाहता है वैसा ही कर।” 40 फिर वह अपने शिष्यों के पास गया और उन्हें सोता पाया। वह पतरस से बोला, “सो तुम लोग मेरे साथ एक घड़ी भी नहीं जाग सके? 41 जागते रहो और प्रार्थना करो ताकि तुम परीक्षा में न पड़ो। तुम्हारा मन तो वही करना चाहता है जो उचित है किन्तु, तुम्हारा शरीर दुर्बल है।”
42 एक बार फिर उसने जाकर प्रार्थना की और कहा, “हे मेरे परम पिता, यदि यातना का यह प्याला मेरे पिये बिना टल नहीं सकता तो तेरी इच्छा पूरी हो।”
43 तब वह आया और उन्हें फिर सोते पाया। वे अपनी आँखें खोले नहीं रख सके। 44 सो वह उन्हें छोड़कर फिर गया और तीसरी बार भी पहले की तरह उन ही शब्दों में प्रार्थना की।
45 फिर यीशु अपने शिष्यों के पास गया और उनसे पूछा, “क्या तुम अब भी आराम से सो रहे हो? सुनो, समय आ चुका है, जब मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथों सौंपा जाने वाला है। 46 उठो, आओ चलें। देखो, मुझे पकड़वाने वाला यह रहा।”
यीशु को बंदी बनाना
(मरकुस 14:43-50; लूका 22:47-53; यूहन्ना 18:3-12)
47 यीशु जब बोल ही रहा था, यहूदा जो बारह शिष्यों में से एक था, आया। उसके साथ तलवारों और लाठियों से लैस प्रमुख याजकों और यहूदी नेताओं की भेजी एक बड़ी भीड़ भी थी। 48 यहूदा ने जो उसे पकड़वाने वाला था, उन्हें एक संकेत देते हुए कहा कि जिस किसी को मैं चूमूँ वही यीशु है, उसे पकड़ लो, 49 फिर वह यीशु के पास गया और बोला, “हे गुरु!” और बस उसने यीशु को चूम लिया।
50 यीशु ने उससे कहा, “मित्र जिस काम के लिए तू आया है, उसे कर।”
फिर भीड़ के लोगों ने पास जा कर यीशु को दबोच कर बंदी बना लिया। 51 फिर जो लोग यीशु के साथ थे, उनमें से एक ने तलवार खींच ली और वार करके महायाजक के दास का कान उड़ा दिया।
52 तब यीशु ने उससे कहा, “अपनी तलवार को म्यान में रखो। जो तलवार चलाते हैं वे तलवार से ही मारे जायेंगे। 53 क्या तुम नहीं सोचते कि मैं अपने परम पिता को बुला सकता हूँ और वह तुरंत स्वर्गदूतों की बारह सेनाओं से भी अधिक मेरे पास भेज देगा? 54 किन्तु यदि मैं ऐसा करूँ तो शास्त्रों की लिखी यह कैसे पूरी होगी कि सब कुछ ऐसे ही होना है?”
55 उसी समय यीशु ने भीड़ से कहा, “तुम तलवारों, लाठियों समेत मुझे पकड़ने ऐसे क्यों आये हो जैसे किसी चोर को पकड़ने आते हैं? मैं हर दिन मन्दिर में बैठा उपदेश दिया करता था और तुमने मुझे नहीं पकड़ा। 56 किन्तु यह सब कुछ घटा ताकि भविष्यवक्ताओं की लिखी पूरी हो।” फिर उसके सभी शिष्य उसे छोड़कर भाग खड़े हुए।
यहूदी नेताओं के सामने यीशु की पेशी
(मरकुस 14:53-65; लूका 22:54-55, 63-71; यूहन्ना 18:13-14, 19-24)
57 जिन्होंने यीशु को पकड़ा था, वे उसे कैफ़ा नामक महायाजक के सामने ले गये। वहाँ यहूदी धर्मशास्त्री और बुजुर्ग यहूदी नेता भी इकट्ठे हुए। 58 पतरस उससे दूर-दूर रहते उसके पीछे-पीछे महायाजक के आँगन के भीतर तक चला गया। और फिर नतीजा देखने वहाँ पहरेदारों के साथ बैठ गया।
59 महायाजक समूची यहूदी महासभा समेत यीशु को मृत्यु दण्ड देने के लिए उसके विरोध में कोई अभियोग ढूँढने का यत्न कर रहे थे। 60 पर ढूँढ नहीं पाये। यद्यपि बहुत से झूठे गवाहों ने आगे बढ़ कर झूठ बोला। अंत में दो व्यक्ति आगे आये 61 और बोले, “इसने कहा था कि मैं परमेश्वर के मन्दिर को नष्ट कर सकता हूँ और तीन दिन में उसे फिर बना सकता हूँ।”
62 फिर महायाजक ने खड़े होकर यीशु से पूछा, “क्या उत्तर में तुझे कुछ नहीं कहना कि वे लोग तेरे विरोध में यह क्या गवाही दे रहे हैं?” 63 किन्तु यीशु चुप रहा।
फिर महायाजक ने उससे पूछा, “मैं तुझे साक्षात परमेश्वर की शपथ देता हूँ, हमें बता क्या तू परमेश्वर का पुत्र मसीह है?”
64 यीशु ने उत्तर दिया, “हाँ, मैं हूँ। किन्तु मैं तुम्हें बताता हूँ कि तुम मनुष्य के पुत्र को उस परम शक्तिशाली की दाहिनी ओर बैठे और स्वर्ग के बादलों पर आते शीघ्र ही देखोगे।”
65 महायाजक यह सुनकर इतना क्रोधित हुआ कि वह अपने कपड़े फाड़ते हुए बोला, “इसने जो बातें कही हैं वे परमेश्वर की निन्दा में जाती हैं। अब हमें और गवाह नहीं चाहिये। तुम सब ने परमेश्वर के विरोध में कहते, इसे सुना है। 66 तुम लोग क्या सोचते हो?”
उत्तर में वे बोले, “यह अपराधी है। इसे मर जाना चाहिये।”
67 फिर उन्होंने उसके मुँह पर थूका और उसे घूँसे मारे। कुछ ने थप्पड़ मारे और कहा, 68 “हे मसीह! भविष्यवाणी कर कि वह कौन है जिसने तुझे मारा?”
पतरस का यीशु को नकारना
(मरकुस 14:66-72; लूका 22:56-62; यूहन्ना 18:15-18, 25-27)
69 पतरस अभी नीचे आँगन में ही बाहर बैठा था कि एक दासी उसके पास आयी और बोली, “तू भी तो उसी गलीली यीशु के साथ था।”
70 किन्तु सब के सामने पतरस मुकर गया। उसने कहा, “मुझे पता नहीं तू क्या कह रही है।”
71 फिर वह डयोढ़ी तक गया ही था कि एक दूसरी स्त्री ने उसे देखा और जो लोग वहाँ थे, उनसे बोली, “यह व्यक्ति यीशु नासरी के साथ था।”
72 एक बार फिर पतरस ने इन्कार किया और कसम खाते हुए कहा, “मैं उस व्यक्ति को नहीं जानता।”
73 थोड़ी देर बाद वहाँ खड़े लोग पतरस के पास गये और उससे बोले, “तेरी बोली साफ बता रही है कि तू असल में उन्हीं में से एक है।”
74 तब पतरस अपने को धिक्कारने और कसमें खाने लगा, “मैं उस व्यक्ति को नहीं जानता।” तभी मुर्गे ने बाँग दी। 75 तभी पतरस को वह याद हो आया जो यीशु ने उससे कहा था, “मुर्गे के बाँग देने से पहले तू तीन बार मुझे नकारेगा।” तब पतरस बाहर चला गया और फूट फूट कर रो पड़ा।
馬 太 福 音 26
Chinese New Testament: Easy-to-Read Version
犹太首领策划杀害耶稣
26 说完这些,耶稣又对他的门徒们说: 2 “你们知道,后天就是逾越节了,那天人子将被交给他的敌人,钉死在十字架上。”
3 祭司长和年长的犹太首领聚集在大祭司该亚法家的院子里。 4 他们秘密策划设法逮捕耶稣,并杀害他。 5 不过他们说∶“我们不能在逾越节期间动手,否则民众会暴动的。”
一位女子荣耀耶稣
6 在伯大尼,耶稣来到麻风病人西门家里。 7 耶稣在那时,一位女子拿着一个装满了非常贵重香膏的雪花石瓶来到耶稣那里。当耶稣正在吃东西时,她把香膏倒在了耶稣头上。
8 门徒们都很生气,说∶“为什么要浪费这些香膏呢? 9 它可以卖很多钱呢,这些钱可以分给穷人!”
10 耶稣知道他们在说什么,便说∶“你们为什么要为难这个女子呢?她为我做了一件好事。 11 你们总会有穷人和你们在一起,但你们却不常有我。 12 她把香膏倒在我身上,是为我的葬礼做准备。 13 我实话告诉你们:普天下只要是福音传到的地方,这女子的所作所为将被永远传颂纪念。”
犹大同意帮助耶稣的敌人
14 耶稣十二个门徒中,有一个加略人犹大。他去见祭司长们, 15 问他们∶“如果我把耶稣交给你们,你们会给我什么?”于是他们给了他三十枚银币。 16 从此,犹大便开始伺机出卖耶稣。
逾越节晚餐
17 除酵节的第一天,耶稣的门徒们来问耶稣∶“您想让我们在哪儿给您准备逾越节晚餐呢?”
18 耶稣说∶“进城去,找一个我认识的人,告诉他∶‘先生说:我的时辰快到了,我要和我的门徒们在你家里庆祝逾越节。’” 19 使徒们照耶稣的话去做了,准备好了逾越节的宴席。
20 晚上,耶稣和十二个门徒坐在桌边。 21 吃饭的时候,耶稣说∶“我实话告诉你们,你们当中有一个人要出卖我。”
22 门徒们都很难过,每个人都问他∶“主,那人肯定不是我吧?”
23 耶稣说∶“和我在同一个碟子里蘸饼吃的人就是要出卖我的人。 24 人子就要走了,就像《经》上记载的一样。但是那个出卖人子的人定要遭殃了。他还不如不出世好。”
25 要出卖耶稣的犹大说话了,他问∶“拉比(老师),那人肯定不是我吧?”
耶稣回答道∶“是你。”
主的晚餐
26 他们吃饭时,耶稣拿起饼,向上帝谢恩之后,然后他掰开饼,分给使徒们,说∶“拿去,吃下它,这是我的身体。”
27 接着他端起一杯酒 [a],向上帝谢恩,然后递给他们,说∶“你们都喝吧, 28 这是我的血,它是为了宽恕许多人的罪而流的,它开始了上帝对他子民的新契约。 29 我告诉你们,我再也不喝这酒了,直到在我父的天国里与你们同饮新酒那天。”
30 他们一起唱了圣歌,然后到橄榄山去了。
耶稣说他的门徒会离开他
31 耶稣对门徒们说∶“今天晚上,你们都会对我失去信仰,因为《经》上写着:
‘我要杀死牧羊人,
羊群会四处逃散。’ (A)
32 “但是我复活后,会比你们先到加利利。”
33 彼得说∶“即使其他所有的人对您失去了信仰,我是绝对不会失去信仰的!”
34 耶稣说∶“我实话告诉你,在今夜鸡叫之前,你会三次说不认识我。”
35 彼得说∶“即使我必须和您一同死,我也决不会说不认识您。”其他门徒也这么说。
耶稣独自祈祷
36 耶稣与门徒们一起来到一个叫客西马尼的地方,他告诉门徒∶“你们坐在这儿,我到那边去祈祷。” 37 他带彼得和西庇太的两个儿子一起去了。耶稣感到非常难过与忧愁, 38 他说∶“我内心充满了沉重的悲伤,我痛苦得快要死了,和我一起警惕地守候着吧。”
39 然后他又向前走了一点,匍匐在地上,祈祷说∶“我父,如果可能,让我免喝这杯苦酒吧!不过,请不要做我想的事,而是按您的意愿去做吧。” 40 耶稣回到门徒身边,发现他们都睡着了。他对彼得说∶“难道你们和我在一起时,连一个钟头都不能清醒吗? 41 清醒吧,祈祷吧,免受诱惑。虽然你们的心灵愿意,但是你们的肉体却是软弱的。”
42 耶稣又走开去祈祷,他说∶“我父,如果我非得喝下这杯苦酒,那就让您的意志得以实现吧!”
43 然后,他又回到门徒那里,看到他们又都睡着了,困得睁不开眼睛。 44 他离开他们,第三次走开去做祈祷,仍然祈祷刚才那番话。
45 然后,耶稣又回到门徒们中间,对他们说∶“你们还在睡觉休息呢?听着,时辰到了!人子就要被出卖,落到罪人的手里。 46 起来!咱们得走了,你们瞧,出卖我的人来了!”
耶稣被捕
47 耶稣正说话时,十二使徒中的犹大,带着祭司长和年长的犹太首领派来的一大群人来了。他们拿着刀剑棍棒。 48 出卖耶稣的犹大已和他们约定了暗号。他说∶“我吻的人就是耶稣,逮捕他。” 49 于是犹大向耶稣走来,说∶“您好,拉比(老师)!”然后,他吻了耶稣。
50 耶稣说∶“朋友,做你来要做的事吧!”于是那帮人上前抓住耶稣,逮捕了他。 51 和耶稣在一起的门徒之一拔出剑来,朝大祭司的奴仆砍去,砍掉了他的一只耳朵。 52 但是耶稣却对他说∶“把剑收回去,动剑的人必死于剑下。 53 你们肯定知道,如果我请求我的父亲,他会立刻给我派来十二多个军团的天使。 54 可是,如果我这么做,《经》上的话又怎么能应验呢?《经》上说的事必须这样发生。”
55 这时耶稣对众人说∶“为什么你们现在拿刀动棍地来抓我,好像我是个罪犯。我天天坐在大殿院里传教,你们反倒不来抓我。 56 不过,这样的情形恰好应验了先知的话。”这时,耶稣的门徒全都抛下他逃走了。
耶稣在犹太首领面前
57 耶稣被捕后,被押送到大祭司该亚法那里。律法师和年长的犹太首领也聚集在这里。 58 彼得远远地跟着耶稣,来到大祭司的院子里。他进去和奴仆们混坐在一起,想看看事情的结果怎样。
59 祭司长和犹太议会都企图找到假证来指控耶稣,以便置他于死地。 60 可是尽管很多人出来作伪证,他们还是找不出杀害耶稣的理由。最后有两个人过来说: 61 “这个人说∶‘我可以毁掉上帝的大殿,然后在三天之内重建它。’”
62 大祭司站起来,问耶稣∶“对这些人的指控,你有什么要说的吗?” 63 耶稣默不作声。
大祭司又说∶“以活生生的上帝的名义,我要你发誓,告诉我们,你是不是基督—上帝之子。”
64 耶稣说∶“你说的不错。不过我还要告诉你们,从今以后,你们会看到人子坐在上帝右边,驾云从天上降临。”
65 大祭司听了这话,气极败坏地扯着自己的衣服说∶“他亵渎上帝,难道我们还需要什么证人吗?你们都听到他刚才说的亵渎上帝的话了! 66 你们看怎么办?”
他们说∶“他有罪,他该死!” 67 然后,他们朝耶稣脸上吐唾沫,挥拳殴打他。其他人则打他耳光, 68 他们对他叫喊着∶“让我们看看你是一位先知,基督!告诉我们谁打你呢?”
彼得不敢承认认识耶稣
69 这时,彼得坐在屋外的院子里,大祭司家的一个女仆走近彼得说道∶“你曾和加利利的耶稣在一起。”
70 可是彼得当着所有的人否认了这一切,他说∶“我不知道你在说些什么!”
71 然后彼得离开院子。在门口另外一个女子看见他,对周围的人说∶“这个人是和拿撒勒的耶稣在一起的。”
72 彼得发誓,再一次否认这一切∶“我不认识这个人!”
73 过了一会,站在那里的人们走近彼得,对他说∶“你确实是他们当中的一个。不管你怎么说,你的口音让你露了馅。”
74 彼得开始诅咒发誓说∶“我不认识这个人!”这时,公鸡啼鸣。 75 彼得记起耶稣的话∶“鸡叫之前,你将三次说不认识我。”彼得出去,痛哭起来。
Footnotes
- 馬 太 福 音 26:27 酒: 当时通常指葡萄酒。
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