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यीशु मसीह के सेवक पौलुस और तिमुथियुस की ओर से मसीह यीशु में स्थित फिलिप्पी के रहने वाले सभी संत जनों के नाम जो वहाँ निरीक्षकों और कलीसिया के सेवकों के साथ निवास करते हैं:

हमारे परम पिता परमेश्वर और हमारे प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्ति प्राप्त हो।

पौलुस की प्रार्थना

मैं जब जब तुम्हें याद करता हूँ, तब तब परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ। अपनी हर प्रार्थना में मैं सदा प्रसन्नता के साथ तुम्हारे लिये प्रार्थना करता हूँ। क्योंकि पहले ही दिन से आज तक तुम सुसमाचार के प्रचार में मेरे सहयोगी रहे हो। मुझे इस बात का पूरा भरोसा है कि वह परमेश्वर जिसने तुम्हारे बीच ऐसा उत्तम कार्य प्रारम्भ किया है, वही उसे उसी दिन तक बनाए रखेगा, जब मसीह यीशु फिर आकर उसे पूरा करेगा।

तुम सब के विषय में मेरे लिये ऐसा सोचना ठीक ही है। क्योंकि तुम सब मेरे मन में बसे हुए हो। और न केवल तब, जब मैं जेल में हूँ, बल्कि तब भी जब मैं सुसमाचार के सत्य की रक्षा करते हुए, उसकी प्रतिष्ठा में लगा था, तुम सब इस विशेषाधिकार में मेरे साथ अनुग्रह में सहभागी रहे हो। परमेश्वर मेरा साक्षी है कि मसीह यीशु द्वारा प्रकट प्रेम से मैं तुम सब के लिये व्याकुल रहता हूँ।

मैं यही प्रार्थना करता रहता हूँ:

तुम्हारा प्रेम गहन दृष्टि और ज्ञान के साथ निरन्तर बढ़े। 10 ये गुण पाकर भले बुरे में अन्तर करके, सदा भले को अपना लोगे। और इस तरह तुम पवित्र व अकलुष बन जाओगे उस दिन को जब मसीह आयेगा। 11 यीशु मसीह की करुणा को पा कर तुम अति उत्तम काम करोगे जो प्रभु को महिमा देते हैं और उसकी स्तुति बनते हो।

पौलुस की विपत्तियाँ प्रभु के कार्य में सहायक

12 हे भाईयों, मैं तुम्हें जना देना चाहता हूँ कि मेरे साथ जो कुछ हुआ है, उससे सुसमाचार को बढ़ावा ही मिला है। 13 परिणामस्वरूप संसार के समूचे सुरक्षा दल तथा अन्य सभी लोगों को यह पता चल गया है कि मुझे मसीह का अनुयायी होने के कारण ही बंदी बनाया गया है। 14 इसके अतिरिक्त प्रभु में स्थित अधिकतर भाई मेरे बंदी होने के कारण उत्साहित हुए हैं और अधिकाधिक साहस के साथ सुसमाचार को निर्भयतापूर्वक सुना रहे हैं।

15 यह सत्य है कि उनमें से कुछ ईर्ष्या और बैर के कारण मसीह का उपदेश देते हैं किन्तु दूसरे लोग सदभावना से प्रेरित होकर मसीह का उपदेश देते हैं। 16 ये लोग प्रेम के कारण ऐसा करते हैं क्योंकि ये जानते हैं कि परमेश्वर ने सुसमाचार का बचाव करने के लिए ही मुझे यहाँ रखा है। 17 किन्तु कुछ और लोग तो सच्चाई के साथ नहीं, बल्कि स्वार्थ पूर्ण इच्छा से मसीह का प्रचार करते है क्योंकि वे सोचते हैं कि इससे वे बंदीगृह में मेरे लिए कष्ट पैदा कर सकेंगे। 18 किन्तु इससे कोई अंतर नहीं पड़ता। महत्वपूर्ण तो यह है कि एक ढंग से या दूसरे ढंग से, चाहे बुरा उद्देश्य हो, चाहे भला प्रचार तो मसीह का ही होता है और इससे मुझे आनन्द मिलता है और आनन्द मिलता ही रहेगा।

19 क्योंकि मैं जानता हूँ कि तुम्हारी प्रार्थनाओं के द्वारा और उस सहायता से जो यीशु मसीह की आत्मा से प्राप्त होती है, परिणाम में मेरी रिहाई ही होगी। 20 मेरी तीव्र इच्छा और आशा यही है और मुझे इसका विश्वास है कि मैं किसी भी बात से निराश नहीं होऊँगा बल्कि पूर्ण निर्भयता के साथ जैसे मेरे देह से मसीह की महिमा सदा होती रही है, वैसे ही आगे भी होती रहेगी, चाहे मैं जीऊँ और चाहे मर जाऊँ। 21 क्योंकि मेरे जीवन का अर्थ है मसीह और मृत्यु का अर्थ है एक उपलब्धि। 22 किन्तु यदि मैं अपने इस शरीर से जीवित ही रहूँ तो इसका अर्थ यह होगा कि मैं अपने कर्म के परिणाम का आनन्द लूँ। सो मैं नहीं जानता कि मैं क्या चुनूँ। 23 दोनों विकल्पों के बीच चुनाव में मुझे कठिनाई हो रही है। मैं अपने जीवन से विदा होकर मसीह के पास जाना चाहता हूँ क्योंकि वह अति उत्तम होगा। 24 किन्तु इस शरीर के साथ ही मेरा यहाँ रहना तुम्हारे लिये अधिक आवश्यक है। 25 और क्योंकि यह मैं निश्चय के साथ जानता हूँ कि मैं यहीं रहूँगा और तुम सब की आध्यात्मिक उन्नति और विश्वास से उत्पन्न आनन्द के लिये तुम्हारे साथ रहता ही रहूँगा। 26 ताकि तुम्हारे पास मेरे लौट आने के परिणामस्वरूप तुम्हें मसीह यीशु में स्थित मुझ पर गर्व करने का और अधिक आधार मिल जाये।

27 किन्तु हर प्रकार से ऐसा करो कि तुम्हारा आचरण मसीह के सुसमाचार के अनुकूल रहे। जिससे चाहे मैं तुम्हारे पास आकर तुम्हें देखूँ और चाहे तुमसे दूर रहूँ, तुम्हारे बारे में यही सुनूँ कि तुम एक ही आत्मा में दृढ़ता के साथ स्थिर हो और सुसमाचार से उत्पन्न विश्वास के लिए एक जुट होकर संघर्ष कर रहे हो। 28 तथा मैं यह भी सुनना चाहता हूँ कि तुम अपने विरोधियों से किसी प्रकार भी नहीं डर रहे हो। तुम्हारा यह साहस उनके विनाश का प्रमाण है और यही प्रमाण है तुम्हारी मुक्ति का और परमेश्वर की ओर से ऐसा ही किया जायेगा। 29 क्योंकि मसीह की ओर से तुम्हें न केवल उसमें विश्वास करने का बल्कि उसके लिए यातनाएँ झेलने का भी विशेषाधिकार दिया गया है। 30 तुम जानते हो कि तुम उसी संघर्ष में जुटे हो, जिसमें मैं जुटा था और जैसा कि तुम सुनते हो आज तक मैं उसी में लगा हूँ।

我保罗和提摩太是基督耶稣的奴仆,写信给腓立比属于基督耶稣的众圣徒、诸位监督和执事。

愿我们的父上帝和主耶稣基督赐给你们恩典和平安!

感恩和祷告

我每逢想起你们,就感谢我的上帝。 每次为你们众人祷告的时候,我心里都很喜乐。 因为你们从开始直到现在,一直和我同心合意地传扬福音。 我深信,上帝既然在你们心里开始了这美好的工作,祂必在耶稣基督再来的时候完成这工作。 我对你们众人有这样的感受是很自然的,因为我常把你们放在心上[a]。不论我是身在狱中,还是为福音辩护和作证的时候,你们都与我同蒙恩典。 上帝可以作证,我是怎样以基督耶稣的慈爱之心想念你们。

我所祈求的就是:你们的爱心随着属灵知识的增加和辨别力的提高而日益增长, 10 使你们知道怎样择善而从,做诚实无过的人,一直到基督再来的日子, 11 并靠着耶稣基督结满仁义的果子,使上帝得到荣耀与颂赞。

为基督而活

12 弟兄姊妹,我希望你们知道,我的遭遇反而会使福音传得更广, 13 连所有的皇家卫兵和其他众人都知道我是为了基督的缘故而受囚禁。 14 大多数主内的弟兄姊妹看见我为主被囚,信心受到鼓舞,更加放胆无惧地传扬上帝的道。 15 当然,有些人宣讲基督是出于嫉妒和争强好胜,也有些人是出于善意。 16 后者是出于爱心,知道我是上帝派来维护福音的。 17 前者传讲基督是出于个人野心,动机不纯,以为可以增加我在狱中的痛苦。 18 那又怎样呢?无论他们传福音是真心还是假意,基督的福音毕竟传开了,因此我很欢喜,而且欢喜不已。 19 因为我知道,借着你们的祷告和耶稣基督之灵的帮助,我终会得到释放。

20 我殷切地期待和盼望:我不会感到任何羞愧,而是放胆无惧,不管是生是死,都要一如既往地使基督在我身上得到尊崇。 21 因为对我来说,活着是为了基督,死了也有益处。 22 如果活在世上,我可以做工,多结果子。我真不知道该怎么选择! 23 我处在两难之间。我情愿离开世界,与基督在一起,那实在是再好不过了。 24 可是为了你们,我应该活在世上。 25 我既然对此深信不疑,就知道自己仍要活下去,继续跟你们在一起,好使你们在信仰上又长进又充满喜乐。 26 这样,我再到你们那里的时候,你们可以因为我的缘故更加以基督耶稣为荣。

27 最要紧的是:你们行事为人要与基督的福音相称。这样,不管是去看你们,还是只听到你们的消息,我都能知道你们同心合意,坚定不移地一起为福音奋斗, 28 毫不惧怕敌人的恐吓。这清楚表明他们必灭亡,你们必得救,这是出于上帝。 29 因为上帝为了基督的缘故,赐恩使你们不但信基督,而且为祂受苦, 30 经历你们从前在我身上见过,现在又从我这里听到的同样争战。

Footnotes

  1. 1:7 我常把你们放在心上”或译“你们常把我放在心上”。

我保羅和提摩太是基督耶穌的奴僕,寫信給腓立比屬於基督耶穌的眾聖徒、諸位監督和執事。

願我們的父上帝和主耶穌基督賜給你們恩典和平安!

感恩和禱告

我每逢想起你們,就感謝我的上帝。 每次為你們眾人禱告的時候,我心裡都很喜樂。 因為你們從開始直到現在,一直和我同心合意地傳揚福音。 我深信,上帝既然在你們心裡開始了這美好的工作,祂必在耶穌基督再來的時候完成這工作。 我對你們眾人有這樣的感受是很自然的,因為我常把你們放在心上[a]。不論我是身在獄中,還是為福音辯護和作證的時候,你們都與我同蒙恩典。 上帝可以作證,我是怎樣以基督耶穌的慈愛之心想念你們。

我所祈求的就是:你們的愛心隨著屬靈知識的增加和辨別力的提高而日益增長, 10 使你們知道怎樣擇善而從,做誠實無過的人,一直到基督再來的日子, 11 並靠著耶穌基督結滿仁義的果子,使上帝得到榮耀與頌讚。

為基督而活

12 弟兄姊妹,我希望你們知道,我的遭遇反而會使福音傳得更廣, 13 連所有的皇家衛兵和其他眾人都知道我是為了基督的緣故而受囚禁。 14 大多數主內的弟兄姊妹看見我為主被囚,信心受到鼓舞,更加放膽無懼地傳揚上帝的道。 15 當然,有些人宣講基督是出於嫉妒和爭強好勝,也有些人是出於善意。 16 後者是出於愛心,知道我是上帝派來維護福音的。 17 前者傳講基督是出於個人野心,動機不純,以為可以增加我在獄中的痛苦。 18 那又怎樣呢?無論他們傳福音是真心還是假意,基督的福音畢竟傳開了,因此我很歡喜,而且歡喜不已。 19 因為我知道,藉著你們的禱告和耶穌基督之靈的幫助,我終會得到釋放。

20 我殷切地期待和盼望:我不會感到任何羞愧,而是放膽無懼,不管是生是死,都要一如既往地使基督在我身上得到尊崇。 21 因為對我來說,活著是為了基督,死了也有益處。 22 如果活在世上,我可以做工,多結果子。我真不知道該怎麼選擇! 23 我處在兩難之間。我情願離開世界,與基督在一起,那實在是再好不過了。 24 可是為了你們,我應該活在世上。 25 我既然對此深信不疑,就知道自己仍要活下去,繼續跟你們在一起,好使你們在信仰上又長進又充滿喜樂。 26 這樣,我再到你們那裡的時候,你們可以因為我的緣故更加以基督耶穌為榮。

27 最要緊的是:你們行事為人要與基督的福音相稱。這樣,不管是去看你們,還是只聽到你們的消息,我都能知道你們同心合意,堅定不移地一起為福音奮鬥, 28 毫不懼怕敵人的恐嚇。這清楚表明他們必滅亡,你們必得救,這是出於上帝。 29 因為上帝為了基督的緣故,賜恩使你們不但信基督,而且為祂受苦, 30 經歷你們從前在我身上見過,現在又從我這裡聽到的同樣爭戰。

Footnotes

  1. 1·7 我常把你們放在心上」或譯「你們常把我放在心上」。