耶稣超越摩西

因此,同蒙天召的圣洁的弟兄姊妹,你们应当仔细思想那位我们公认为特使和大祭司的耶稣。 祂向委任祂的上帝尽忠,就好像摩西向上帝的全家尽忠一样。 然而祂却比摩西配得更大的荣耀,因为建造房子的人当然比房子更尊贵。 所有的房子都有建造者,但建造万物的是上帝。 摩西以仆人的身份向上帝的全家尽忠,为将来要宣告的事做见证。 但基督是以儿子的身份忠心治理上帝的家。我们若坚强勇敢,持定引以为荣的盼望,我们就是祂的家了。

不可存刚硬的心

因此,正如圣灵说:

“你们今天若听见祂的声音,
不可心里顽固,
像从前在旷野试探祂、悖逆祂一样。
当时,你们的祖先试我、探我,
观看我的作为达四十年之久。
10 所以,我向那世代的人发怒,
说,‘他们总是执迷不悟,
不认识我的道路。’
11 我就在愤怒中起誓说,
‘他们绝不可进入我的安息。’”

12 弟兄姊妹,要谨慎,免得你们当中有人心存恶念,不肯相信,背弃了永活的上帝。 13 趁着还有今日,要天天互相劝勉,免得有人被罪迷惑,心里变得刚硬。 14 如果我们将起初的信念坚持到底,便在基督里有份了。

15 圣经上说:

“你们今日若听见祂的声音,
不可像从前那样硬着心悖逆祂。”

16 听见祂的声音却又悖逆祂的是谁呢?不就是摩西从埃及领出来的那些人吗? 17 四十年之久惹上帝发怒的是谁呢?不就是那些犯罪作恶并倒毙在旷野的人吗? 18 上帝起誓不准谁进入祂的安息呢?不就是那些不肯信从的人吗? 19 可见,他们不能进入上帝的安息是因为不信的缘故。

耶穌超越摩西

因此,同蒙天召的聖潔的弟兄姊妹,你們應當仔細思想那位我們公認為特使和大祭司的耶穌。 祂向委任祂的上帝盡忠,就好像摩西向上帝的全家盡忠一樣。 然而祂卻比摩西配得更大的榮耀,因為建造房子的人當然比房子更尊貴。 所有的房子都有建造者,但建造萬物的是上帝。 摩西以僕人的身分向上帝的全家盡忠,為將來要宣告的事做見證。 但基督是以兒子的身分忠心治理上帝的家。我們若堅強勇敢,持定引以為榮的盼望,我們就是祂的家了。

不可存剛硬的心

因此,正如聖靈說:

「你們今天若聽見祂的聲音,
不可心裡頑固,
像從前在曠野試探祂、悖逆祂一樣。
當時,你們的祖先試我、探我,
觀看我的作為達四十年之久。
10 所以,我向那世代的人發怒,
說,『他們總是執迷不悟,
不認識我的道路。』
11 我就在憤怒中起誓說,
『他們絕不可進入我的安息。』」

12 弟兄姊妹,要謹慎,免得你們當中有人心存惡念,不肯相信,背棄了永活的上帝。 13 趁著還有今日,要天天互相勸勉,免得有人被罪迷惑,心裡變得剛硬。 14 如果我們將起初的信念堅持到底,便在基督裡有份了。

15 聖經上說:

「你們今日若聽見祂的聲音,
不可像從前那樣硬著心悖逆祂。」

16 聽見祂的聲音卻又悖逆祂的是誰呢?不就是摩西從埃及領出來的那些人嗎? 17 四十年之久惹上帝發怒的是誰呢?不就是那些犯罪作惡並倒斃在曠野的人嗎? 18 上帝起誓不准誰進入祂的安息呢?不就是那些不肯信從的人嗎? 19 可見,他們不能進入上帝的安息是因為不信的緣故。

मसीह येशु विश्वासयोग्य तथा करुणामय याजक

इसलिए स्वर्गीय बुलाहट में भागीदार पवित्र प्रियजन, मसीह येशु पर ध्यान दो, जो हमारे लिए परमेश्वर के ईश्वरीय सुसमाचार के दूत तथा महापुरोहित हैं. वह अपने चुननेवाले के प्रति उसी प्रकार विश्वासयोग्य बने रहे, जिस प्रकार परमेश्वर के सारे परिवार में मोशेह. मसीह येशु मोशेह की तुलना में ऊँची महिमा के योग्य पाए गए, जिस प्रकार भवन की तुलना में भवन-निर्माता. हर एक भवन का निर्माण किसी न किसी के द्वारा ही किया जाता है किन्तु हर एक वस्तु के बनानेवाले परमेश्वर हैं. जिन विषयों का वर्णन भविष्य में होने पर था, उनकी घोषणा करने में परमेश्वर के सारे परिवार में मोशेह एक सेवक के रूप में विश्वास-योग्य थे, किन्तु मसीह एक पुत्र के रूप में अपने परिवार में विश्वासयोग्य हैं और वह परिवार हम स्वयं हैं—यदि हम दृढ़ विश्वास तथा अपने आशा के गौरव को अन्त तक दृढ़तापूर्वक थामे रहते हैं.

अविश्वास के प्रति चेतावनी

इसलिए ठीक जिस प्रकार पवित्रात्मा का कहना है:

“यदि आज, तुम उनकी आवाज़ सुनो,
    तो अपने हृदय कठोर न कर लेना,
जैसा तुमने मुझे उकसाते हुए जंगल,
    में परीक्षा के समय किया था.
वहाँ तुम्हारे पूर्वजों ने चालीस वर्षों तक,
    मेरे महान कामों को देखने के बाद भी चुनौती देते हुए मुझे परखा था.
10 इसलिए मैं उस पीढ़ी से क्रोधित रहा.
    मैंने उनसे कहा, ‘हमेशा ही उनका हृदय मुझ से दूर हो जाता है.
    उन्हें मेरे आदेशों का कोई अहसास नहीं है.’
11 इसलिए मैंने अपने क्रोध में शपथ ली,
    ‘मेरे विश्राम में उनका प्रवेश कभी न होगा.’”

12 प्रियजन, सावधान रहो कि तुम्हारे समाज में किसी भी व्यक्ति का ऐसा बुरा तथा अविश्वासी हृदय न हो, जो जीवित परमेश्वर से दूर हो जाता है. 13 परन्तु जब तक वह दिन, जिसे आज कहा जाता है, हमारे सामने है, हर दिन एक-दूसरे को प्रोत्साहित करते रहो, ऐसा न हो कि तुममें से कोई भी पाप के छलावे के द्वारा कठोर बन जाए. 14 यदि हम अपने पहले भरोसे को अन्त तक सुरक्षित बनाए रखते हैं, हम मसीह के सहभागी बने रहते हैं. 15 जैसा कि वर्णन किया गया है:

यदि आज तुम उनकी आवाज़ सुनो
    तो अपने हृदय कठोर न कर लेना,
    जैसा तुमने उस समय मुझे उकसाते हुए किया था.

16 कौन थे वे, जिन्होंने उनकी आवाज़ सुनने के बाद उन्हें उकसाया था? क्या वे सभी नहीं, जिन्हें मोशेह मिस्र देश से बाहर निकाल लाए थे? 17 और कौन थे वे, जिनसे वह चालीस वर्ष तक क्रोधित रहे? क्या वे ही नहीं, जिन्होंने पाप किया और जिनके शव जंगल में पड़े रहे? 18 और फिर कौन थे वे, जिनके सम्बन्ध में उन्होंने शपथ खाई थी कि वे लोग उनके विश्राम में प्रवेश नहीं पाएँगे? क्या ये सब वे ही नहीं थे, जिन्होंने आज्ञा नहीं मानी थी? 19 इसलिए यह स्पष्ट है कि अविश्वास के कारण वे प्रवेश नहीं पा सके.