22 保罗在亚略·巴古论坛中站起来说:“各位雅典人,我看得出你们在各方面都非常虔诚。 23 我在街上走的时候,观察了你们所敬拜的对象,发现一座祭坛上面写着‘献给未知之神’。这位你们不认识却在敬拜的神明,我现在介绍给你们。

24 “这位创造宇宙万物的上帝是天地的主宰,并不住在人手建造的庙宇里, 25 也不需要人的侍奉,因为祂一无所缺。祂将生命、气息和万物赐给世人。 26 祂从一人造出万族,让他们散居世界各地,又预先定下他们的期限和居住的疆界, 27 以便他们在其间寻求祂,或许他们可以摸索着找到祂。祂原本就离我们各人不远, 28 我们的生活、行动和存在都靠祂,你们的诗人也说过,‘我们是祂的子孙。’ 29 我们既然是上帝的子孙,就不该认为上帝是人凭手艺和想象用金、银、石头所雕刻的样子。

30 “上帝以往不鉴察世人的无知,现在则命令世上所有的人都要悔改。 31 因为祂已经定了日子,要借祂所设立的人按公义审判这个世界。祂叫那人从死里复活,给了全人类可信的凭据。”

32 听见保罗提到死人复活的事,有些人就嘲笑他,还有些人说:“我们改天再听你讲这个。”

Read full chapter

22 保羅在亞略·巴古論壇中站起來說:「各位雅典人,我看得出你們在各方面都非常虔誠。 23 我在街上走的時候,觀察了你們所敬拜的對象,發現一座祭壇上面寫著『獻給未知之神』。這位你們不認識卻在敬拜的神明,我現在介紹給你們。

24 「這位創造宇宙萬物的上帝是天地的主宰,並不住在人手建造的廟宇裡, 25 也不需要人的侍奉,因為祂一無所缺。祂將生命、氣息和萬物賜給世人。 26 祂從一人造出萬族,讓他們散居世界各地,又預先定下他們的期限和居住的疆界, 27 以便他們在其間尋求祂,或許他們可以摸索著找到祂。祂原本就離我們各人不遠, 28 我們的生活、行動和存在都靠祂,你們的詩人也說過,『我們是祂的子孫。』 29 我們既然是上帝的子孫,就不該認為上帝是人憑手藝和想象用金、銀、石頭所雕刻的樣子。

30 「上帝以往不鑒察世人的無知,現在則命令世上所有的人都要悔改。 31 因為祂已經定了日子,要藉祂所設立的人按公義審判這個世界。祂叫那人從死裡復活,給了全人類可信的憑據。」

32 聽見保羅提到死人復活的事,有些人就嘲笑他,還有些人說:「我們改天再聽你講這個。」

Read full chapter

22 तब पौलुस ने अरियुपगुस के सामने खड़े होकर कहा, “हे एथेंस के लोगो! मैं देख रहा हूँ तुम हर प्रकार से धार्मिक हो। 23 घूमते फिरते तुम्हारी उपासना की वस्तुओं को देखते हुए मुझे एक ऐसी वेदी भी मिली जिस पर लिखा था, ‘अज्ञात परमेश्वर’ के लिये सो तुम बिना जाने ही जिस की उपासना करते हो, मैं तुम्हें उसी का वचन सुनाता हूँ।

24 “परमेश्वर, जिसने इस जगत की और इस जगत के भीतर जो कुछ है, उसकी रचना की वही धरती और आकाश का प्रभु है। वह हाथों से बनाये मन्दिरों में नहीं रहता। 25 उसे किसी वस्तु का अभाव नहीं है सो मनुष्य के हाथों से उसकी सेवा नहीं हो सकती। वही सब को जीवन, साँसें और अन्य सभी कुछ दिया करता है। 26 एक ही मनुष्य से उसने मनुष्य की सभी जातियों का निर्माण किया ताकि वे समूची धरती पर बस जायें और उसी ने लोगों का समय निश्चित कर दिया और उस स्थान की, जहाँ वे रहें सीमाएँ बाँध दीं।

27 “उस का प्रयोजन यह था कि लोग परमेश्वर को खोजें। हो सकता है वे उसे उस तक पहुँच कर पा लें। इतना होने पर भी हममें से किसी से भी वह दूर नहीं हैं: 28 क्योंकि उसी में हम रहते हैं उसी में हमारी गति है और उसी में है हमारा अस्तित्व। इसी प्रकार स्वयं तुम्हारे ही कुछ लेखकों ने भी कहा है, ‘क्योंकि हम उसके ही बच्चे हैं।’

29 “और क्योंकि हम परमेश्वर की संतान हैं इसलिए हमें यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि वह दिव्य अस्तित्व सोने या चाँदी या पत्थर की बनी मानव कल्पना या कारीगरी से बनी किसी मूर्ति जैसा है। 30 ऐसे अज्ञान के युग की परमेश्वर ने उपेक्षा कर दी है और अब हर कहीं के मनुष्यों को वह मन फिराव ने का आदेश दे रहा है। 31 उसने एक दिन निश्चित किया है जब वह अपने नियुक्त किये गये एक पुरुष के द्वारा न्याय के साथ जगत का निर्णय करेगा। मरे हुओं में से उसे जिलाकर उसने हर किसी को इस बात का प्रमाण दिया है।”

32 जब उन्होंने मरे हुओं में से जी उठने की बात सुनी तो उनमें से कुछ तो उसकी हँसी उड़ाने लगे किन्तु कुछ ने कहा, “हम इस विषय पर तेरा प्रवचन फिर कभी सुनेंगे।”

Read full chapter