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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 119:145-176

क्योफ़

145 सम्पूर्ण मन से यहोवा मैं तुझको पुकारता हूँ, मुझको उत्तर दे।
    मैं तेरे आदेशों का पालन करता हूँ।
146 हे यहोवा, मेरी तुझसे विनती है।
    मुझको बचा ले! मैं तेरी वाचा का पालन करूँगा।
147 यहोवा, मैं तेरी प्रार्थना करने को भोर के तड़के उठा करता हूँ।
    मुझको उन बातों पर भरोसा है, जिनको तू कहता है।
148 देर रात तक तेरे वचनों का मनन करते हुए
    बैठा रहता हूँ।
149 हे यहोवा, तू अपने पूर्ण प्रेम से मुझ पर कान दे।
    तू वैसा ही कर जिसे तू ठीक कहता है, और मेरा जीवन बनाये रख।
150 लोग मेरे विरूद्ध कुचक्र रच रहे हैं।
    हे यहोवा, ऐसे ये लोग तेरी शिक्षाओं पर चला नहीं करते हैं।
151 हे यहोवा, तू मेरे पास है।
    तेरे आदेशों पर विश्वास किया जा सकता है।
152 तेरी वाचा से बहुत दिनों पहले ही मैं जान गया था
    कि तेरी शिक्षाएँ सदा ही अटल रहेंगी।

रेश्

153 हे यहोवा, मेरी यातना देख और मुझको बचा ले,
    मैं तेरे उपदेशों को भूला नहीं हूँ।
154 हे यहोवा, मेरे लिये मेरी लड़ाई लड़ और मेरी रक्षा कर।
    मुझको वैसे जीने दे जैसे तूने वचन दिया।
155 दुष्ट विजयी नहीं होंगे।
    क्यों क्योंकि वे तेरे विधान पर नहीं चलते हैं।
156 हे यहोवा, तू बहुत दयालु है।
    तू वैसा ही कर जिसे तू अच्छा कहे, और मेरा जीवन बनाये रख।
157 मेरे बहुत से शत्रु है जो मुझे हानि पहुँचाने का जतन करते:
    किन्तु मैंने तेरी वाचा का अनुसरण नहीं छोड़ा।
158 मैं उन कृतघ्नों को देख रहा हूँ।
    हे यहोवा, तेरे वचन का पालन वे नहीं करते। मुझको उनसे घृणा है।
159 देख, तेरे आदेशों का पालन करने का मैं कठिन जतन करता हूँ।
    हे यहोवा, तेरे सम्पूर्ण प्रेम से मेरा जीवन बनाये रख।
160 हे यहोवा, सनातन काल से तेरे सभी वचन विश्वास योग्य रहे हैं।
    तेरा उत्तम विधान सदा ही अमर रहेगा।

शाईन्

161 शक्तिशाली नेता मुझ पर व्यर्थ ही वार करते हैं,
    किन्तु मैं डरता हूँ और तेरे विधान का बस मैं आदर करता हूँ।
162 हे यहोवा, तेरे वचन मुझ को वैसे आनन्दित करते हैं,
    जैसा वह व्यक्ति आनन्दित होता है, जिसे अभी—अभी कोई महाकोश मिल गया हो।
163 मुझे झूठ से बैर है! मैं उससे घृणा करता हूँ!
    हे यहोवा, मैं तेरी शिक्षाओं से प्रेम करता हूँ।
164 मैं दिन में सात बार तेरे उत्तम विधान के कारण
    तेरी स्तुति करता हूँ।
165 वे व्यक्ति सच्ची शांती पायेंगे, जिन्हें तेरी शिक्षाएँ भाती हैं।
    उसको कुछ भी गिरा नहीं पायेगा।
166 हे यहोवा, मैं तेरी प्रतीक्षा में हूँ कि तू मेरा उद्धार करे।
    मैंने तेरे आदेशों का पालन किया है।
167 मैं तेरी वाचा पर चलता रहा हूँ।
    हे यहोवा, मुझको तेरे विधान से गहन प्रेम है।
168 मैंने तेरी वाचा का और तेरे आदेशों का पालन किया है।
    हे यहोवा, तू सब कुछ जानता है जो मैंने किया है।

ताव्

169 हे यहोवा, सुन तू मेरा प्रसन्न गीत है।
    मुझे बुद्धिमान बना जैसा तूने वचन दिया है।
170 हे यहोवा, मेरी विनती सुन।
    तूने जैसा वचन दिया मेरा उद्धार कर।
171 मेरे अन्दर से स्तुति गीत फूट पड़े
    क्योंकि तूने मुझको अपना विधान सिखाया है।
172 मुझको सहायता दे कि मैं तेरे वचनों के अनुसार कार्य कर सकूँ, और मुझे तू अपना गीत गाने दे।
    हे यहोवा, तेरे सभी नियम उत्तम हैं।
173 तू मेरे पास आ, और मुझको सहारा दे
    क्योंकि मैंने तेरे आदेशों पर चलना चुन लिया है।
174 हे यहोवा, मैं यह चाहता हूँ कि तू मेरा उद्धार करे,
    तेरी शिक्षाएँ मुझे प्रसन्न करती है।
175 हे यहोवा, मेरा जीवन बना रहे और मैं तेरी स्तुति करूँ।
    अपने विधान से तू मुझे सहारा मिलने दे।
176 एक भटकी हुई भेड़ सा, मैं इधर-उधर भटका हूँ।
    हे यहोवा, मुझे ढूँढते आ।
मैं तेरा दास हूँ,
    और मैं तेरे आदेशों को भूला नहीं हूँ।

भजन संहिता 128-130

आरोहण गीत।

यहोवा के सभी भक्त आनन्दित रहते हैं।
    वे लोग परमेश्वर जैसा चाहता, वैसा गाते हैं।

तूने जिनके लिये काम किया है, उन वस्तुओं का तू आनन्द लेगा।
    उन ऐसी वस्तुओं को कोई भी व्यक्ति तुझसे नहीं छिनेगा। तू प्रसन्न रहेगा और तेरे साथ भली बातें घटेंगी।
घर पर तेरी घरवाली अंगूर की बेल सी फलवती होगी।
    मेज के चारों तरफ तेरी संतानें ऐसी होंगी, जैसे जैतून के वे पेड़ जिन्हें तूने रोपा है।
इस प्रकार यहोवा अपने अनुयायिओं को
    सचमुच आशीष देगा।
यहोवा सिय्योन से तुझ को आशीर्वाद दे यह मेरी कामना है।
    जीवन भर यरूशलेम में तुझको वरदानों का आनन्द मिले।
तू अपने नाती पोतों को देखने के लिये जीता रहे यह मेरी कामना है।

इस्राएल में शांति रहे।

मन्दिर का आरोहण गीत।

पूरे जीवन भर मेरे अनेक शत्रु रहे हैं।
    इस्राएल हमें उन शत्रुओं के बारे में बता।
सारे जीवन भर मेरे अनेक शत्रु रहे हैं।
    किन्तु वे कभी नहीं जीते।
उन्होंने मुझे तब तक पीटा जब तक मेरी पीठ पर गहरे घाव नहीं बने।
    मेरे बड़े—बड़े और गहरे घाव हो गए थे।
किन्तु भले यहोवा ने रस्से काट दिये
    और मुझको उन दुष्टों से मुक्त किया।
जो सिय्योन से बैर रखते थे, वे लोग पराजित हुए।
उन्होंने लड़ना छोड़ दिया और कहीं भाग गये।
वे लोग ऐसे थे, जैसे किसी घर की छत पर की घास
    जो उगने से पहले ही मुरझा जाती है।
उस घास से कोई श्रमिक अपनी मुट्ठी तक नहीं भर पाता
    और वह पूली भर अनाज भी पर्याप्त नहीं होती।
ऐसे उन दुष्टों के पास से जो लोग गुजरते हैं।
    वे नहीं कहेंगे, “यहोवा तेरा भला करे।”
    लोग उनका स्वागत नहीं करेंगे और हम भी नहीं कहेंगे, “तुम्हें यहोवा के नाम पर आशीष देते हैं।”

आरोहण गीत।

हे यहोवा, मैं गहन कष्ट में हूँ
    सो सहारा पाने को मैं तुम्हें पुकारता हूँ।
मेरे स्वामी, तू मेरी सुन ले।
    मेरी सहायता की पुकार पर कान दे।
हे यहोवा, यदि तू लोगों को उनके सभी पापों का सचमुच दण्ड दे
    तो फिर कोई भी बच नहीं पायेगा।
हे यहोवा, निज भक्तों को क्षमा कर।
    फिर तेरी अराधना करने को वहाँ लोग होंगे।

मैं यहोवा की बाट जोह रहा हूँ कि वह मुझको सहायता दे।
    मेरी आत्मा उसकी प्रतीक्षा में है।
    यहोवा जो कहता है उस पर मेरा भरोसा है।
मैं अपने स्वामी की बाट जोहता हूँ।
    मैं उस रक्षक सा हूँ जो उषा के आने की प्रतीक्षा में लगा रहता है।
इस्राएल, यहोवा पर विश्वास कर।
    केवल यहोवा के साथ सच्चा प्रेम मिलता है।
यहोवा हमारी बार—बार रक्षा किया करता है।
    यहोवा इस्राएल को उनके सारे पापों के लिए क्षमा करेगा।

निर्गमन 7:8-24

मूसा की लाठी का साँप बनना

यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, “फ़िरौन तुमसे तुम्हारी शक्ति को प्रमाणित करने के लिए कहेगा। वह तुम्हें चमत्कार दिखाने के लिए कहेगा। तुम हारून से उसकी लाठी जमीन पर फेंकने को कहना। जिस समय फ़िरौन देख रहा होगा तभी लाठी साँप बन जाएगी।”

10 इसलिए मूसा और हारून फ़िरौन के पास गए और यहोवा की आज्ञा का पालन किया। हारून ने अपनी लाठी नीचे फेंकी। फिरौन और उसके अधिकारियों के देखते—देखते लाठी साँप बन गयी।

11 इसलिए फ़िरौन ने अपने गुणी पुरुषों और जादूगरों को बुलाया। इन लोगों ने अपने रहस्य चातुर्य का उपयोग किया और वे भी हारून के समान कर सके। 12 उन्होंने अपनी लाठियाँ ज़मीन पर फेंकी और वे साँप बन गईं। किन्तु हारून की लाठी ने उनकी लाठियों को खा डाला। 13 फ़िरौन ने फिर भी, लोगों का जाना मना कर दिया। यह वैसा ही हुआ जैसा यहोवा ने कहा था। फिरौन ने मूसा और हारून की बात सुनने से मना कर दिया।

पानी का खून बनना

14 तब यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, “फ़िरौन हठ पकड़े हुए है। फिरौन लोगों को जाने से मना करता है। 15 सवेरे फ़िरौन नदी पर जाएगा। उसके साथ नील नदी के किनारे—किनारे जाओ। उस लाठी को अपने साथ ले लो जो साँप बनी थी। 16 उससे यह कहो, ‘हिब्रू लोगों के परमेश्वर यहोवा ने हमको तुम्हारे पास भेजा है। यहोवा ने मुझे तुमसे यह कहने को कहा है, मेरे लोगों को मेरी उपासना करने के लिए मरुभूमि में जाने दो। तुमने भी अब तक यहोवा की बात पर कान नहीं दिया है। 17 इसलिए यहोवा कहता है कि, मैं ऐसा करूँगा जिससे तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ। जो मैं अपने हाथ की इस लाठी को लेकर नील नदी के पानी पर मारुँगा और नील नदी खून में बदल जाएगी। 18 तब नील नदी की मछलियाँ मर जाएंगी और नदी से दुर्गन्ध आने लगेगी। और मिस्री लोग नदी से पानी नहीं पी पाएंगे।’”

19 यहोवा ने मूसा को यह आदेश दिया, “हारून से कहो कि वह नदियों, नहरों, झीलों तथा तालाबों सभी स्थानों पर जहाँ मिस्र के लोग पानी एकत्र करते हैं, अपने हाथ की लाठी को बढ़ाए। जब वह ऐसा करेगा तो सारा जल खून में बदल जाएगा। सारा पानी, यहाँ तक कि लकड़ी और पत्थर के घड़ों का पानी भी, खून में बदल जाएगा।”

20 इसलिए मूसा और हारून ने यहोवा का जैसा आदेश था, वैसा किया। उसने लाठी को उठाया और नील नदी के पानी पर मारा। उसने यह फ़िरौन और उसके अधिकारियों के सामने किया। फिर नदी का सारा जल खून में बदल गया। 21 नदी में मछलियाँ मर गईं और नदी से दुर्गन्ध आने लगी। इसलिए मिस्री नदी से पानी नहीं पी सकते थे। मिस्र में सर्वत्र खून था।

22 जादूगरों ने अपनी जादूगरी दिखाई और उन्होंने भी वैसा ही किया। इसलिए फ़िरौन ने मूसा और हारून को सुनने से इन्कार कर दिया। यह ठीक वैसा ही हुआ जैसा यहोवा ने कहा था। 23 फिरौन मुड़ा और अपने घर चला गया। फ़िरौन ने, मूसा और हारून ने जो कुछ किया, उसकी उपेक्षा की।

24 मिस्री नदी से पानी नहीं पी सकते थे। इसलिए पीने के पानी के लिए उन्होंने नदी के चारों ओर कुएँ खोदे।

2 कुरिन्थियों 2:14-3:6

14 किन्तु परमेश्वर धन्य है जो मसीह के द्वारा अपने विजय-अभियान में हमें सदा राह दिखाता है। और हमारे द्वारा हर कहीं अपने ज्ञान की सुगंध फैलाता है। 15 क्योंकि उनके लिये, जो अभी उद्धार की राह पर हैं और उनके लिये भी जो विनाश के मार्ग पर हैं, हम मसीह की परमेश्वर को समर्पित मधुर भीनी सुगंधित धूप हैं 16 किन्तु उनके लिये जो विनाश के मार्ग पर हैं, यह मृत्यु की ऐसी दुर्गन्ध है, जो मृत्यु की ओर ले जाती है। पर उनके लिये जो उद्धार के मार्ग पर बढ़ रहे हैं, यह जीवन की ऐसी सुगंध है, जो जीवन की ओर अग्रसर करती है। किन्तु इस काम के लिये सुपात्र कौन है? 17 परमेश्वर के वचन को अपने लाभ के लिये, उसमें मिलावट करके बेचने वाले बहुत से दूसरे लोगों जैसे हम नहीं हैं। नहीं! हम तो परमेश्वर के सामने परमेश्वर की ओर से भेजे हुए व्यक्तियों के समान मसीह में स्थित होकर, सच्चाई के साथ बोलते हैं।

नयी वाचा के सेवक

इससे क्या ऐसा लगता है कि हम फिर से अपनी प्रशंसा अपने आप करने लगे हैं? अथवा क्या हमें तुम्हारे लिये या तुमसे परिचयपत्र लेने की आवश्यकता है? जैसा कि कुछ लोग करते हैं। निश्चय ही नहीं, हमारा पत्र तो तुम स्वयं हो जो हमारे मन में लिखा है, जिसे सभी लोग जानते हैं और पढ़ते हैं और तुम भी तो ऐसा ही दिखाते हो मानो तुम मसीह का पत्र हो। जो हमारी सेवा का परिणाम है। जिसे स्याही से नहीं बल्कि सजीव परमेश्वर की आत्मा से लिखा गया है। जिसे पथरीली शिलाओं[a] पर नहीं बल्कि मनुष्य के हृदय पटल पर लिखा गया है।

हमें मसीह के कारण परमेश्वर के सामने ऐसा दावा करने का भरोसा है। ऐसा नहीं है कि हम अपने आप में इतने समर्थ हैं जो सोचने लगे हैं कि हम अपने आप से कुछ कर सकते हैं बल्कि हमें सामर्थ्य तो परमेश्वर से मिलता है। उसी ने हमें एक नये करार का सेवक बनने योग्य ठहराया है। यह कोई लिखित संहिता नहीं है बल्कि आत्मा की वाचा है क्योंकि लिखित संहिता तो मारती है जबकि आत्मा जीवन देती है।

मरकुस 10:1-16

तलाक के बारे में यीशु की शिक्षा

(मत्ती 19:1-12)

10 फिर यीशु ने वह स्थान छोड़ दिया और यहूदिया के क्षेत्र में यर्दन नदी के पार आ गया। भीड़ की भीड़ फिर उसके पास आने लगी। और अपनी रीति के अनुसार वह उपदेश देने लगा।

फिर कुछ फ़रीसी उसके पास आये और उससे पूछा, “क्या किसी पुरुष के लिये उचित है कि वह अपनी पत्नी को तलाक दे?” उन्होंने उसकी परीक्षा लेने के लिये उससे यह पूछा था।

उसने उन्हें उत्तर दिया, “मूसा ने तुम्हें क्या नियम दिया है?”

उन्होंने कहा, “मूसा ने किसी पुरुष को त्यागपत्र लिखकर पत्नी को त्यागने की अनुमति दी थी।”

यीशु ने उनसे कहा, “मूसा ने तुम्हारे लिए यह आज्ञा इसलिए लिखी थी कि तुम्हें कुछ भी समझ में नहीं आ सकता। सृष्टि के प्रारम्भ से ही, ‘परमेश्वर ने उन्हें पुरुष और स्त्री के रूप में रचा है।’ ‘इसीलिये एक पुरुष अपने माता-पिता को छोड़ कर अपनी पत्नी के साथ रहेगा। और वे दोनों एक तन हो जायेंगे।’ इसलिए वे दो नहीं रहते बल्कि एक तन हो जाते हैं। इसलिये जिसे परमेश्वर ने मिला दिया है, उसे मनुष्य को अलग नहीं करना चाहिए।”

10 फिर वे जब घर लौटे तो शिष्यों ने यीशु से इस विषय में पूछा। 11 उसने उनसे कहा, “जो कोई अपनी पत्नी को तलाक दे कर दूसरी स्त्री से ब्याह रचाता है, वह उस पत्नी के प्रति व्यभिचार करता है। 12 और यदि वह स्त्री अपने पति का त्याग करके दूसरे पुरुष से ब्याह करती है तो वह व्यभिचार करती है।”

बच्चों को यीशु की आशीष

(मत्ती 19:13-15; लूका 18:15-17)

13 फिर लोग यीशु के पास नन्हें-मुन्ने बच्चों को लाने लगे ताकि वह उन्हें छू कर आशीष दे। किन्तु उसके शिष्यों ने उन्हें झिड़क दिया। 14 जब यीशु ने यह देखा तो उसे बहुत क्रोध आया। फिर उसने उनसे कहा, “नन्हे-मुन्ने बच्चों को मेरे पास आने दो। उन्हें रोको मत क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों का ही है। 15 मैं तुमसे सत्य कहता हूँ जो कोई परमेश्वर के राज्य को एक छोटे बच्चे की तरह नहीं अपनायेगा, उसमें कभी प्रवेश नहीं करेगा।” 16 फिर उन बच्चों को यीशु ने गोद में उठा लिया और उनके सिर पर हाथ रख कर उन्हें आशीष दी।

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