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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 97

यहोवा शासनकरता है, और धरती प्रसन्न हैं।
    और सभी दूर के देश प्रसन्न हैं
यहोवा को काले गहरे बादल घेरे हुए हैं।
    नेकी और न्याय उसके राज्य को दूढ़ किये हैं।
यहोवा के सामने आग चला करती है,
    और वह उसके बैरियों का नाश करती है।
उसकी बिजली गगन में काँधा करती है।
    लोग उसे देखते हैं और भयभीत रहते हैं।
यहोवा के सामने पहाड़ ऐसे पिघल जाते हैं, जैसे मोम पिघल जाती है।
    वे धरती के स्वामी के सामने पिघल जाते हैं।
अम्बर उसकी नेकी का बखान करते हैं।
    हर कोई परमेश्वर की महिमा देख ले।

लोग उनकी मूर्तियों की पूजा करते हैं।
    वे अपने “देवताओं” की डींग हाँकते हैं।
लेकिन वे लोग लज्जित होंगे।
    उनके “देवता” यहोवा के सामने झुकेंगे और उपासना करेंगे।
हे सिय्योन, सुन और प्रसन्न हो!
    यहूदा के नगरों, प्रसन्न हो!
    क्यों? क्योंकि यहोवा विवेकपूर्ण न्याय करता है।
हे सर्वोच्च यहोवा, सचमुच तू ही धरती पर शासन करता हैं।
    तू दूसरे “देवताओं” से अधिक उत्तम है।
10 जो लोग यहोवा से प्रेम रखते हैं, वे पाप से घृणा करते हैं।
    इसलिए परमेश्वर अपने अनुयायियों की रक्षा करता है। परमेश्वर अपने अनुयायियों को दुष्ट लोगों से बचाता है।
11 ज्योति और आनन्द
    सज्जनों पर चमकते हैं।
12 हे सज्जनों परमेश्वर में प्रसन्न रहो!
    उसके पवित्र नाम का आदर करते रहो!

भजन संहिता 99-100

यहोवा राजा है।
    सो हे राष्ट्र, भय से काँप उठो।
परमेश्वर राजा के रूप में करूब दूतों पर विराजता है।
    सो हे विश्व भय से काँप उठो।
यहोवा सिय्योन में महान है।
    सारे मनुष्यों का वही महान राजा है।
सभी मनुष्य तेरे नाम का गुण गाएँ।
    परमेश्वर का नाम भय विस्मय है।
    परमेश्वर पवित्र है।
शक्तिशाली राजा को न्याय भाता है।
    परमेश्वर तूने ही नेकी बनाया है।
    तू ही याकूब (इस्राएल) के लिये खरापन और नेकी लाया।
यहोवा हमारे परमेश्वर का गुणगान करो,
    और उसके पवित्र चरण चौकी की आराधना करो।
मूसा और हारुन परमेश्वर के याजक थे।
    शमूएल परमेश्वर का नाम लेकर प्रार्थना करने वाला था।
उन्होंने यहोवा से विनती की
    और यहोवा ने उनको उसका उत्तर दिया।
परमेश्वर ने ऊँचे उठे बादल में से बातें कीं।
    उन्होंने उसके आदेशों को माना।
    परमेश्वर ने उनको व्यवस्था का विधान दिया।
हमारे परमेश्वर यहोवा, तूने उनकी प्रार्थनाओं का उत्तर दिया।
    तूने उन्हें यह दर्शाया कि तू क्षमा करने वाला परमेश्वर है,
    और तू लोगों को उनके बुरे कर्मो के लिये दण्ड देता है।
हमारे परमेश्वर यहोवा के गुण गाओ।
    उसके पवित्र पर्वत की ओर झुककर उसकी उपासना करो।
    हमारा परमेश्वर यहोवा सचमुच पवित्र है।

धन्यवाद का एक गीत।

हे धरती, तुम यहोवा के लिये गाओ।
आनन्दित रहो जब तुम यहोवा की सेवा करो।
    प्रसन्न गीतों के साथ यहोवा के सामने आओ।
तुम जान लो कि वह यहोवा ही परमेश्वर है।
    उसने हमें रचा है और हम उसके भक्त हैं।
    हम उसकी भेड़ हैं।
धन्यवाद के गीत संग लिये यहोवा के नगर में आओ,
    गुणगान के गीत संग लिये यहोवा के मन्दिर में आओ।
    उसका आदर करो और नाम धन्य करो।
यहोवा उत्तम है।
    उसका प्रेम सदा सर्वदा है।
    हम उस पर सदा सर्वदा के लिये भरोसा कर सकते हैं!

भजन संहिता 94-95

हे यहोवा, तू ही एक परमेश्वर है जो लोगों को दण्ड देता है।
    तू ही एक परमेश्वर है जो आता है और लोगों के लिये दण्ड लाता है।
तू ही समूची धरती का न्यायकर्ता है।
    तू अभिमानी को वह दण्ड देता है जो उसे मिलना चाहिए।
हे यहोवा, दुष्ट जन कब तक मजे मारते रहेंगे
    उन बुरे कर्मो की जो उन्होंने किये हैं।
वे अपराधी कब तक डींग मारते रहेंगे
    उन बुरे कर्मो को जो उन्होंने किये हैं।
हे यहोवा, वे लोग तेरे भक्तों को दु:ख देते हैं।
    वे तेरे भक्तों को सताया करते हैं।
वे दुष्ट लोग विधवाओं और उन अतिथियों की जो उनके देश में ठहरे हैं, हत्या करते हैं।
    वे उन अनाथ बालकों की जिनके माता पिता नहीं हैं हत्या करते हैं।
वे कहा करते हैं, यहोवा उनको बुरे काम करते हुए देख नहीं सकता।
    और कहते हैं, इस्राएल का परमेश्वर उन बातों को नहीं समझता है, जो घट रही हैं।

अरे ओ दुष्ट जनों तुम बुद्धिहीन हो।
    तुम कब अपना पाठ सीखोगे?
अरे ओ दुर्जनों तुम कितने मूर्ख हो!
    तुम्हें समझने का जतन करना चाहिए।
परमेश्वर ने हमारे कान बनाएँ हैं, और निश्चय ही उसके भी कान होंगे।
    सो वह उन बातों को सुन सकता है, जो घटिन हो रहीं हैं।
परमेश्वर ने हमारी आँखें बनाई हैं, सो निश्चय ही उसकी भी आँख होंगी।
    सो वह उन बातों को देख सकता है, जो घटित हो रही है।
10 परमेश्वर उन लोगों को अनुशासित करेगा।
    परमेश्वर उन लोगों को उन सभी बातों की शिक्षा देगा जो उन्हें करनी चाहिए।
11 सो जिन बातों को लोग सोच रहे हैं, परमेश्वर जानता है,
    और परमेश्वर यह जानता है कि लोग हवा की झोंके हैं।

12 वह मनुष्य जिसको यहोवा सुधारता, अति प्रसन्न होगा।
    परमेश्वर उस व्यक्ति को खरी राह सिखायेगा।
13 हे परमेश्वर, जब उस जन पर दु:ख आयेंगे तब तू उस जन को शांत होने में सहायक होगा।
    तू उसको शांत रहने में सहायता देगा जब तक दुष्ट लोग कब्र में नहीं रख दिये जायेंगे।
14 यहोवा निज भक्तों को कभी नहीं त्यागेगा।
    वह बिन सहारे उसे रहने नहीं देगा।
15 न्याय लौटेगा और अपने साथ निष्पक्षता लायेगा,
    और फिर लोग सच्चे होंगे और खरे बनेंगे।

16 मुझको दुष्टों के विरूद्ध युद्ध करने में किसी व्यक्ति ने सहारा नहीं दिया।
    कुकर्मियों के विरूद्ध युद्ध करने में किसी ने मेरा साथ नहीं दिया।
17 यदि यहोवा मेरा सहायक नहीं होता,
    तो मुझे शब्द हीन (चुपचुप) होना पड़ता।
18 मुझको पता है मैं गिरने को था,
    किन्तु यहोवा ने भक्तों को सहारा दिया।
19 मैं बहुत चिंतित और व्याकुल था,
    किन्तु यहोवा तूने मुझको चैन दिया और मुझको आनन्दित किया।

20 हे यहोवा, तू कुटिल न्यायाधीशों की सहायता नहीं करता।
    वे बुरे न्यायाधीश नियम का उपयोग लोगों का जीवन कठिन बनाने में करते हैं।
21 वे न्यायाधीश सज्जनों पर प्रहार करते हैं।
    वे कहते हैं कि निर्दोष जन अपराधी हैं। और वे उनको मार डालते हैं।
22 किन्तु यहोवा ऊँचे पर्वत पर मेरा सुरक्षास्थल है,
    परमेश्वर मेरी चट्टान और मेरा शरणस्थल है।
23 परमेश्वर उन न्यायाधीशों को उनके बुरे कामों का दण्ड देगा।
    परमेश्वर उनको नष्ट कर देगा। क्योंकि उन्होंने पाप किया है।
    हमारा परमेश्वर यहोवा उन दुष्ट न्यायाधीशों को नष्ट कर देगा।

आओ हम यहोवा के गुण गाएं!
    आओ हम उस चट्टान का जय जयकार करें जो हमारी रक्षा करता है।
आओ हम यहोवा के लिये धन्यवाद के गीत गाएं।
    आओ हम उसके प्रशंसा के गीत आनन्दपूर्वक गायें।
क्यों? क्योंकि यहोवा महान परमेश्वर है।
    वह महान राजा सभी अन्य “देवताओं” पर शासन करता है।
गहरी गुफाएँ और ऊँचे पर्वत यहोवा के हैं।
सागर उसका है, उसने उसे बनाया है।
    परमेश्वर ने स्वयं अपने हाथों से धरती को बनाया है।
आओ, हम उसको प्रणाम करें और उसकी उपासना करें।
    आओ हम परमेश्वर के गुण गाये जिसने हमें बनाया है।
वह हमारा परमेश्वर
    और हम उसके भक्त हैं।
    यदि हम उसकी सुने

तो हम आज उसकी भेड़ हैं।
परमेश्वर कहता है, “तुम जैसे मरिबा और मरूस्थल के मस्सा में कठोर थे
    वैसे कठोर मत बनो।
तेरे पूर्वजों ने मुझको परखा था।
    उन्होंने मुझे परखा, पर तब उन्होंने देखा कि मैं क्या कर सकता हूँ।
10 मैं उन लोगों के साथ चालीस वर्ष तक धीरज बनाये रखा।
    मैं यह भी जानता था कि वे सच्चे नहीं हैं।
    उन लोगों ने मेरी सीख पर चलने से नकारा।
11 सो मैं क्रोधित हुआ और मैंने प्रतिज्ञा की
    वे मेरे विशाल कि धरती पर कभी प्रवेश नहीं कर पायेंगे।”

उत्पत्ति 49:29-50:14

29 तब इस्राएल ने उनको एक आदेश दिया। उसने कहा, “जब मैं मरूँ तो मैं अपने लोगों के बीच रहना चाहता हूँ। मैं अपने पूर्वजों के साथ हित्ती एप्रोन के खेतों की गुफा में दफनाया जाना चाहता हूँ। 30 वह गुफा मम्रे के निकट मकपेला के खेत में है। वह कनान देश में है। इब्राहीम ने उस खेत को एप्रोम से इसलिए खरीदा था जिससे उसके पास एक कब्रिस्तान हो सके। 31 इब्राहीम और उसकी पत्नी सारा उसी गुफा में दफनाए गए हैं। इसहाक और उसकी पत्नी रिबका उसी गुफा में दफनाए गए। मैंने अपनी पत्नी लिआ को उसी गुफा में दफनाया।” 32 वह गुफा उस खेत में है जिसे हित्ती लोगों से खरीदा गया था। 33 अपने पुत्रों से बातें समाप्त करने के बाद याकूब लेट गया, पैरों को अपने बिछौने पर रखा और मर गया।

याकूब का अन्तिम संस्कार

50 जब इस्राएल मरा, यूसुफ बहुत दुःखी हुआ। वह पिता के गले लिपट गया, उस पर रोया और उसे चूमा। यूसुफ ने अपने सेवकों को आदेश दिया कि वे उसके पिता के शरीर को तैयार करें (ये सेवक वैद्य थे।) वैद्यों ने याकूब के शरीर को दफनाने के लिए तैयार किया। उन्होंने मिस्री लोगों के विशेष तरीके से शरीर को तैयार किया। जब मिस्री लोगों ने विशेष तरह से शव तैयार किया तब उसने दफनाने के पहले चालीस दिन तक प्रतिज्ञा की। उसके बाद मिस्रियों ने याकूब के लिए शोक का विशेष समय रखा। यह समय सत्तर दिन का था।

सत्तर दिन बाद शोक का समय समाप्त हुआ। इसलिए यूसुफ ने फ़िरौन के अधिकारियों से कहा, “कृपया फ़िरौन से यह कहो, ‘जब मेरे पिता मर रहे थे तब मैंने उनसे एक प्रतिज्ञा की थी। मैंने प्रतिज्ञा की थी कि मैं उन्हें कनान देश की गुफा में दफनाऊँगा। यह वह गुफा है जिसे उन्होंने अपने लिए बनाई है। इसलिए कृपा करके मुझे जाने दें और वहाँ पिता को दफनाने दें। तब मैं आपके पास वापस यहाँ लौट आऊँगा।’”

फ़िरौन ने कहा, “अपनी प्रतिज्ञा पूरी करो। जाओ और अपने पिता को दफनाओ।”

इसलिए यूसुफ अपने पिता को दफनाने गया। फ़िरौन के सभी अधिकारी यूसुफ के साथ गए। फ़िरौन के बड़े लोग (नेता) और मिस्र के बड़े लोग यूसुफ के साथ गए। यूसुफ और उसके भाईयों के परिवार के सभी व्यक्ति उसके साथ गए और उसके पिता के परिवार के सभी लोग भी यूसुफ के साथ गए। केवल बच्चे और जानवर गोशेन प्रदेश में रह गए। यूसुफ के साथ जाने के लिए लोग रथों और घोड़ो पर सवार हुए। यह बहुत बढ़ा जनसमूह था।

10 ये गोरन आताद को गए। जो यरदन नदी के पूर्व में था। इस स्थान पर इन्होंने इस्राएल का अन्तिम संस्कार किया। वे अन्तिम संस्कार सात दिन तक होता रहा। 11 कनान के निवासियों ने गोरन आताद में अन्तिम संस्कार को देखा। उन्होंने कहा, “वे मिस्री सचमुच बहुत शोक भरा संस्कार कर रहे है।” इसलिए उस जगह का नाम अब आबेल मिस्रैम हैं।

12 इस प्रकार याकूब के पुत्रों ने वही किया जो उनके पिता ने आदेश दिया था। 13 वे उसके शव को कनान ले गए और मकपेला की गुफा में उसे दफनाया। यह गुफा मम्रे के निकट उस खेत में थी जिसे इब्राहीम ने हित्ती एप्रोन से खरीदा था। 14 यूसुफ ने जब अपने पिता को दफना दिया तो वह और उसके साथ समूह का हर एक व्यक्ति मिस्र को लौट गया।

1 कुरिन्थियों 11:17-34

प्रभु का भोज

17 अब यह अगला आदेश देते हुए मैं तुम्हारी प्रशंसा नहीं कर रहा हूँ क्योंकि तुम्हारा आपस में मिलना तुम्हारा भला करने की बजाय तुम्हें हानि पहुँचा रहा है। 18 सबसे पहले यह कि मैंने सुना है कि तुम लोग सभा में जब परस्पर मिलते हो तो तुम्हारे बीच मतभेद रहता है। कुछ अंश तक मैं इस पर विश्वास भी करता हूँ। 19 आखिरकार तुम्हारे बीच मतभेद भी होंगे ही। जिससे कि तुम्हारे बीच में जो उचित ठहराया गया है, वह सामने आ जाये।

20 सो जब तुम आपस में इकट्ठे होते हो तो सचमुच प्रभु का भोज पाने के लिये नहीं इकट्ठे होते, 21 बल्कि जब तुम भोज ग्रहण करते हो तो तुममें से हर कोई आगे बढ़ कर अपने ही खाने पर टूट पड़ता है। और बस कोई व्यक्ति तो भूखा ही चला जाता है, जब कि कोई व्यक्ति अत्यधिक खा-पी कर मस्त हो जाता है। 22 क्या तुम्हारे पास खाने पीने के लिये अपने घर नहीं हैं। अथवा इस प्रकार तुम परमेश्वर की कलीसिया का अनादर नहीं करते? और जो दीन है उनका तिरस्कार करने की चेष्टा नहीं करते? मैं तुमसे क्या कहूँ? इसके लिये क्या मैं तुम्हारी प्रशंसा करूँ। इस विषय में मैं तुम्हारी प्रशंसा नहीं करूँगा।

23 क्योंकि जो सीख मैंने तुम्हें दी है, वह मुझे प्रभु से मिली थी। प्रभु यीशु ने उस रात, जब उसे मरवा डालने के लिये पकड़वाया गया था, एक रोटी ली 24 और धन्यवाद देने के बाद उसने उसे तोड़ा और कहा, “यह मेरा शरीर है, जो तुम्हारे लिए है। मुझे याद करने के लिये तुम ऐसा ही किया करो।”

25 उनके भोजन कर चुकने के बाद इसी प्रकार उसने प्याला उठाया और कहा, “यह प्याला मेरे लहू के द्वारा किया गया एक नया वाचा है। जब कभी तुम इसे पिओ तभी मुझे याद करने के लिये ऐसा करो।” 26 क्योंकि जितनी बार भी तुम इस रोटी को खाते हो और इस प्याले को पीते हो, उतनी ही बार जब तक वह आ नहीं जाता, तुम प्रभु की मृत्यु का प्रचार करते हो।

27 अतः जो कोई भी प्रभु की रोटी या प्रभु के प्याले को अनुचित रीति से खाता पीता है, वह प्रभु की देह और उस के लहू के प्रति अपराधी होगा। 28 व्यक्ति को चाहिये कि वह पहले अपने को परखे और तब इस रोटी को खाये और इस प्याले को पिये। 29 क्योंकि प्रभु के देह का अर्थ समझे बिना जो इस रोटी को खाता और इस प्याले को पीता है, वह इस प्रकार खा-पी कर अपने ऊपर दण्ड को बुलाता है। 30 इसलिए तो तुममें से बहुत से लोग दुर्बल हैं, बीमार हैं और बहुत से तो चिरनिद्रा में सो गये हैं। 31 किन्तु यदि हमने अपने आप को अच्छी तरह से परख लिया होता तो हमें प्रभु का दण्ड न भोगना पड़ता। 32 प्रभु हमें अनुशासित करने के लिये दण्ड देता है। ताकि हमें संसार के साथ दंडित न किया जाये।

33 इसलिए हे मेरे भाईयों, जब भोजन करने तुम इकट्ठे होते हो तो परस्पर एक दूसरे की प्रतिक्षा करो। 34 यदि सचमुच किसी को बहुत भूख लगी हो तो उसे घर पर ही खा लेना चाहिये ताकि तुम्हारा एकत्र होना तुम्हारे लिये दण्ड का कारण न बने। अस्तु; दूसरी बातों को जब मैं आऊँगा, तभी सुलझाऊँगा।

मरकुस 8:1-10

चार हज़ार को भोजन

(मत्ती 15:32-39)

उन्हीं दिनों एक दूसरे अवसर पर एक बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई। उनके पास खाने को कुछ नहीं था। यीशु ने अपने शिष्यों को पास बुलाया और उनसे कहा, “मुझे इन लोगों पर तरस आ रहा है क्योंकि इन लोगों को मेरे साथ तीन दिन हो चुके हैं और उनके पास खाने को कुछ नहीं है। और यदि मैं इन्हें भूखा ही घर भेज देता हूँ तो वे मार्ग में ही ढेर हो जायेंगे। कुछ तो बहुत दूर से आये हैं।”

उसके शिष्यों ने उत्तर दिया, “इस जंगल में इन्हें खिलाने के लिये किसी को पर्याप्त भोजन कहाँ से मिल सकता है?”

फिर यीशु ने उनसे पूछा, “तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं?”

उन्होंने उत्तर दिया, “सात।”

फिर उसने भीड़ को धरती पर नीचे बैठ जाने की आज्ञा दी। और उसने वे सात रोटियाँ लीं, धन्यवाद किया और उन्हें तोड़ कर बाँटने के लिये अपने शिष्यों को दिया। और फिर उन्होंने भीड़ के लोगों में बाँट दिया। उनके पास कुछ छोटी मछलियाँ भी थीं, उसने धन्यवाद करके उन्हें भी बाँट देने को कहा।

लोगों ने भर पेट भोजन किया और फिर उन्होंने बचे हुए टुकड़ों को इकट्ठा करके सात टोकरियाँ भरीं। वहाँ कोई चार हज़ार पुरुष रहे होंगे। फिर यीशु ने उन्हें विदा किया। 10 और वह तत्काल अपने शिष्यों के साथ नाव में बैठ कर दलमनूता प्रदेश को चला गया।

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