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Bible in 90 Days

An intensive Bible reading plan that walks through the entire Bible in 90 days.
Duration: 88 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
यशायाह 14-28

इस्राएल घर लौटेगा

14 आगे चल कर, यहोवा याकूब पर फिर अपना प्रेम दर्शायेगा। यहोवा इस्राएल के लोगों को फिर चुनेगा। उस समय यहोवा उन लोगों को उनकी धरती देगा। फिर गैर यहूदी लोग, यहूदी लोगों के साथ अपने को जोड़ेंगे। दोनों ही जातियों के लोग एकत्र हो कर याकूब के परिवार के रूप में एक हो जायेंगे। वे जातियाँ इस्राएल की धरती के लिये इस्राएल के लोगों को फिर वापस ले लेंगी। दूसरी जातियों के वे स्त्री पुरुष इस्राएल के दास हो जायेंगे। बीते हुए समय में उन लोगों ने इस्राएल के लोगों को बलपूर्वक अपना दास बनाया था। इस्राएल के लोग उन जातियों को हरायेंगे और फिर इस्राएल उन पर शासन करेगा। यहोवा तुम्हारे श्रम को समाप्त करेगा और तुम्हें आराम देगा। पहले तुम दास हुआ करते थे, लोग तुम्हें कड़ी मेहनत करने को विवश करते थे किन्तु यहोवा तुम्हारी इस कड़ी मेहनत को अब समाप्त कर देगा।

बाबुल के राजा के विषय में एक गीत

उस समय बाबुल के राजा के बारे में तुम यह गीत गाने लगोगे:

वह राजा दुष्ट था जब वह हमारा शासक था
    किन्तु अब उसके राज्य का अन्त हुआ।
यहोवा दुष्ट शासकों का राज दण्ड तोड़ देता है।
    यहोवा उनसे उनकी शक्ति छीन लेता है।
बाबुल का राजा क्रोध में भरकर लोगों को पीटा करता है।
    उस दुष्ट शासक ने लोगों को पीटना कभी बंद नहीं किया।
उस दुष्ट राजा ने क्रोध में भरकर लोगों पर राज किया।
    उसने लोगों के साथ बुरे कामों का करना नहीं छोड़ा।
किन्तु अब सारा देश विश्राम में है।
    देश में शान्ति है।
लोगों ने अब उत्सव मनाना शुरु किया है।
तू एक बुरा शासक था,
    और अब तेरा अन्त हुआ है।
यहाँ तक की चीड़ के वृक्ष भी प्रसन्न हैं।
    लबानोन में देवदार के वृक्ष मगन हैं।
वृक्ष यह कहते हैं, “जिस राजा ने हमें गिराया था।
    आज उस राजा का ही पतन हो गया है,
    और अब वह राजा कभी खड़ा नहीं होगा।”
अधोलोक, यानी मृत्यु का प्रदेश उत्तेजित है क्योंकि तू आ रहा है।
    धरती के प्रमुखों की आत्माएँ जगा रहा है।
तेरे लिये अधोलोक है।
अधोलोक तेरे लिये सिंहासन से राजाओं को खड़ा कर रहा है।
    तेरी अगुवायी को वे सब तैयार होंगे।
10 ये सभी प्रमुख तेरी हँसी उड़ायेंगे।
    वे कहेंगे, “तू भी अब हमारी तरह मरा हुआ है।
    तू अब ठीक हम लोगों जैसा है।”
11 तेरे अभिमान को मृत्यु के लोक में नीचे उतारा गया।
    तेरे अभिमानी आत्मा की आने की घोषणा तेरी वीणाओं का संगीत करता है।
तेरे शरीर को मक्खियाँ खा जायेंगी।
    तू उन पर ऐसे लेटेगा मानों वे तेरा बिस्तर हो।
कीड़े ऐसे तेरी देह को ढक लेंगे मानों कोई कम्बल हों।
12 तेरा स्वरुप भोर के तारे सा था, किन्तु तू आकाश के ऊपर से गिर पड़ा।
    धरती के सभी राष्ट्र पहले तेरे सामने झुका करते थे।
किन्तु तुझको तो अब काट कर गिरा दिया गया।
13 तू सदा अपने से कहा करता था कि, “मैं सर्वोच्च परमेश्वर सा बनूँगा।
मैं आकाशों के ऊपर जीऊँगा।
    मैं परमेशवर के तारों के ऊपर अपना सिंहासन स्थापित करुँगा।
मैं जफोन के पवित्र पर्वत पर बैठूँगा।
    मैं उस छिपे हुए पर्वत पर देवों से मिलूँगा।
14 मैं बादलों के वेदी तक जाऊँगा।
    मैं सर्वोच्च परमेश्वर सा बनूँगा।”

15 किन्तु वैसा नहीं हुआ। तू परमेश्वर के साथ ऊपर आकाश में नहीं जा पाया।
    तुझे अधोलोक के नीचे गहरे पाताल में ले आया गया।
16 लोग जो तुझे टकटकी लगा कर देखा करते हैं, वे तुझे तेरे लिये सोचा करते हैं।
    लोगों को आज यह दिखता है कि तू बस मरा हुआ है,
और लोग कहा करते हैं, “क्या यही वह व्यक्ति है
    जिसने धरती के सारे राज्यों में भय फैलाया हुआ है,
17 क्या यह वही व्यक्ति है जिसने नगर नष्ट किये
    और जिसने धरती को उजाड़ में बदल दिया
क्या यह वही व्यक्ति है जिसने लोगों को युद्ध में बन्दी बनाया
    और उनको अपने घरों में नहीं जाने दिया”
18 धरती का हर राजा शान से मृत्यु को प्राप्त किया।
    हर किसी राजा का मकबरा (घर) बना है।
19 किन्तु हे बुरे राजा, तुझको तेरी कब्र से निकाल फेंका दिया गया है।
    तू उस शाखा के समान है जो वृक्ष से कट गयी और उसे काट कर दूर फेंक दिया गया।
तू एक गिरी हुई लाश है जिसे युद्ध में मारा गया,
    और दूसरे सैनिक उसे रौंदते चले गये।
अब तू ऐसा दिखता है जैसे अन्य मरे व्यक्ति दिखते हैं।
    तुझको कफन में लपेटा गया है।
20 बहुत से और भी राजा मरे।
    उनके पास अपनी अपनी कब्र हैं।
किन्तु तू उनमें नहीं मिलेगा।
    क्योंकि तूने अपने ही देश का विनाश किया।
अपने ही लोगों का तूने वध किया है।
    जैसा विनाश तूने मचाया था।

21 उसकी सन्तानों के वध की तैयारी करो।
    तुम उन्हें मृत्यु के घाट उतारो क्योंकि उनका पिता अपराधी है।
अब कभी उसके पुत्र नहीं होंगे।
    उसकी सन्तानें अब कभी भी संसार को अपने नगरों से नहीं भरेंगी।
तेरी संतानें वैसा करती नहीं रहेगी।
    तेरी संतानों को वैसा करने से रोक दिया जायेगा।

22 सर्वशक्तिमान यहोवा ने कहा, “मैं खड़ा होऊँगा और उन लोगों के विरुद्ध लडूँगा। मैं प्रसिद्ध नगर बाबुल को उजाड़ दूँगा। बाबुल के सभी लोगों को मैं नष्ट कर दूँगा। मैं उनकी संतानों, पोते—पोतियों और वंशजों को मिटा दूँगा।” ये सब बातें यहोवा ने स्वयं कही थी।

23 यहोवा ने कहा था, “मैं बाबुल को बदल डालूँगा। उस स्थान में पशुओं का वास होगा, न कि मनुष्यों का। वह स्थान दलदली प्रदेश बन जायेगा। मैं ‘विनाश की झाडू’ से बाबुल को बाहर कर दूँगा।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने ये बातें कही थीं।

परमेश्वर अश्शूर को भी दण्ड देगा

24 सर्वशक्तिमान यहोवा ने एक वचन दिया था। यहोवा ने कहा था, “मैं वचन देता हूँ, कि यें बातें ठीक वैसे ही घटेंगी, जैसे मैंने इन्हें सोचा है। ये बातें ठीक वैसे ही घटेंगी जैसी कि मेरी योजना है। 25 मैं अपने देश में अश्शूर के राजा का नाश करुँगा अपने पहाड़ों पर मैं अश्शूर के राजा को अपने पावों तले कुचलूँगा। उस राजा ने मेरे लोगों को अपना दास बनाकर उनके कन्धों पर एक जूआ रख दिया है। यहूदा की गर्दन से वह जूआ उठा लिया जायेगा। उस विपत्ति को उठाया जायेगा। 26 मैं अपने लोगों के लिये ऐसी ही योजना बना रहा हूँ। सभी जातियों को दण्ड देने के लिए, मैं अपनी शक्ति का प्रयोग करुँगा।”

27 यहोवा जब कोई योजना बनाता है तो कोई भी व्यक्ति उस योजना को रोक नहीं सकता! यहोवा लोगों को दण्ड देने के लिये जब अपना हाथ उठाता है तो कोई भी व्यक्ति उसे रोक नहीं सकता।

पलिश्तियों को परमेश्वर का सन्देश

28 यह दुखद सन्देश उस वर्ष दिया गया था जब राजा आहाज की मृत्यु हुई थी।

29 हे, पलिश्तियों के प्रदेशों! तू बहुत प्रसन्न है क्योंकि जो राजा तुझे मार लगाया करता था, आज मर चुका है। किन्तु तुझे वास्तव में प्रसन्न नहीं होना चाहिये। यह सच है कि उसके शासन का अंत हो चुका है। किन्तु उस राजा का पुत्र अभी आकर राज करेगा और वह एक ऐसे साँप के समान होगा जो भयानक नागों को जन्म दिया करता है। यह नया राजा तुम लोगों के लिये एक बड़े फुर्तीले भयानक नाग के जैसा होगा। 30 किन्तु मेरे दीन जन सुरक्षा पूर्वक खाते पीते रह पायेंगे। उनकी संतानें भी सुरक्षित रहेंगी। मेरे दीन जन, सो सकेंगे और सुरक्षित अनुभव करेंगे। किन्तु तुम्हारे परिवार को मैं भूख से मार डालूँगा और तुम्हारे सभी बचे हुए लोग मर जायेंगे।

31 हे नगर द्वार के वासियों, रोओ!
    नगर में रहने वाले तुम लोग, चीखो—चिल्लाओ!
पलिश्ती के तुम सब लोग भयभीत होंगे।
    तुम्हारा साहस गर्म मोम की भाँति पिघल कर ढल जायेगा।

उत्तर दिशा की ओर देखो!
    वहाँ धूल का एक बादल है! देखो,
अश्शूर से एक सेना आ रही है!
    उस सेना के सभी लोग बलशाली हैं!
32 वह सेना अपने नगर में दूत भेजेंगे।
    दूत अपने लोगों से क्या कहेंगे वे घोषणा करेंगे: “पलिश्ती पराजित हुआ,
    किन्तु यहोवा ने सिय्योन को सुदृढ़ बनाया है, और उसके दीन जन वहाँ रक्षा पाने को गये।”

मोआब को परमेश्वर का सन्देश

15 यह बुरा सन्देश मोआब के विषय में है।

एक रात मोआब में स्थित आर के नगर का धन सेनाओं ने लूटा।
    उसी रात नगर को तहस नहस कर दिया गया।
एक रात मोआब का किर नाम का नगर सेनाओं ने लूटा।
    उसी रात वह नगर तहस नहस किया गया।
राजा का घराना और दिबोन के निवासी अपना दु:ख रोने को ऊँचे पर पूजास्थलों में चले गये।
    मोआब के निवासी नबो और मेदबा के लिये रोते हैं।
    उन सभी लोगों ने अपनी दाढ़ी और सिर अपना शोक दर्शाने के लिये मुड़ाये थे।
मोआब में सब कहीं घरों और गलियों में,
    लोग शोक वस्त्र पहनकर हाय हाय करते हैं।
हेशबोन और एलाले नगरों के निवासी बहुत ऊँचे स्वर में विलाप कर रहे हैं।
    बहुत दूर यहस की नगरी तक वह विलाप सुना जा सकता है।
यहाँ तक कि सैनिक भी डर गये हैं। वे सैनिक भय से काँप रहे हैं।

मेरा मन दु:ख से मोआब के लिये रोता है।
    लोग कहीं शरण पाने को दौड़ रहे हैं।
वे सुदूर जोआर में जाने को भाग रहे हैं।
    लोग दूर के देश एग्लतशलीशिय्या को भाग रहे हैं।
लोग लूहीत की पहाड़ी चढ़ाई पर रोते बिलखाते हुए भाग रहे हैं।
    लोग होरोनैम के मार्ग पर और वे बहुत ऊँचे स्वर में रोते बिलखते हुए जा रहे हैं।
किन्तु निम्रीम का नाला ऐसे सूख गया जैसे रेगिस्तान सूखा होता है।
    वहाँ सभी वृक्ष सूख गये।
कुछ भी हरा नहीं हैं।
सो लोग जो कुछ उनके पास है उसे इकट्ठा करते हैं,
    और मोआब को छोड़ते हैं।
उन वस्तुओं को लेकर वे नाले (पाप्लर या अराबा) से सीमा पार कर रहे हैं।

मोआब में हर कहीं विलाप ही सुनाई देता है।
    दूर के नगर एगलैम में लोग बिलख रहे हैं।
बेरेलीम नगर के लोग विलाप कर रहे हैं।
दीमोन नगर का जल खून से भर गया है,
    और मैं (यहोवा) दीमोन पर अभी और विपत्तियाँ ढाऊँगा।
मोआब के कुछ निवासी शत्रु से बच गये हैं।
    किन्तु उन लोगों को खा जाने को मैं सिंहों को भेजूँगा।

16 उस प्रदेश के राजा के लिये तुम लोगों को एक उपहार भेजना चाहिये। तुम्हें रेगिस्तान से होते हुए सिय्योन की पुत्री के पर्वत पर सेला नगर से एक मेमना भेजना चाहिये।

अरी ओ मोआब की स्त्रियों,
    अर्नोन की नदी को पार करने का प्रयत्न करो।
वे सहारे के लिये इधर—उधर दौड़ रही हैं।
    वे ऐसी उन छोटी चिड़ियों जैसी है जो धरती पर पड़ी हुई है जब उनका घोंसला गिर चुका।
वे पुकार रही हैं, “हमको सहारा दो!
    बताओ हम क्या करें! हमारे शत्रुओं से तुम हमारी रक्षा करो।
तुम हमें ऐसे बचाओ जैसे दोपहर की धूप से धरती बचाती है।
    हम शत्रुओं से भाग रहे हैं, तुम हमको छुपा लो।
    हम को तुम शत्रुओं के हाथों में मत पड़ने दो।”
उन मोआब वासियों को अपना घर छोड़ने को विवश किया गया था।
    अत: तुम उनको अपनी धरती पर रहने दो।
तुम उनके शत्रुओं से उनको छुपा लो।
    यह लूट रुक जायेगी।
शत्रु हार जायेंगे और ऐसे पुरुष जो दूसरों की हानि करते हैं,
    इस धरती से उखड़ेंगे।
फिर एक नया राजा आयेगा।
    यह राजा दाऊद के घराने से होगा।

वह सत्यपूर्ण, करुण और दयालु होगा।
    यह राजा न्यायी और निष्पक्ष होगा।
वह खरे और नेक काम करेगा।
हमने सुना है कि मोआब के लोग बहुत अभिमानी और गर्वीले हैं।
    ये लोग हिंसक हैं और बड़ा बोले भी।
इनका बड़ा बोल सच्चा नहीं है।
समूचा मोआब देश अपने अभिमान के कारण कष्ट उठायेगा।
    मोआब के सारे लोग विलाप करेंगे।
वे लोग बहुत दु:खी रहेंगे।
    वे ऐसी वस्तुओं की इच्छा करेंगेजैसी उनके पास पहले हुआ करती थीं।
    वे कीरहरासत में बने हुए अंजीर के पेंड़ों की इच्छा करेंगे।
वे लोग बहुत दु:खी रहा करेंगे क्योंकि हेशबोन के खेत और सिबमा की अँगूर की बेलों में अँगूर नहीं लगा पा रहे हैं।
    बाहर के शासकों ने अँगूर की बेलों को काट फेंका है।
याजेर की नगरी से लेकर मरुभूमि में दूर—दूर तक शत्रु की सेनाएँ फैल गयी हैं।
    वे समुद्र के किनारे तक जा पहुँची हैं।
मैं उन लोगों के साथ विलाप करुँगा जो याजेर और सिबमा के निवासी हैं
    क्योंकि अंगूर नष्ट किये गये।
मैं हेशबोन और एलाले के लोगों के साथ शोक करुँगा
    क्योंकि वहाँ फसल नहीं होगी।
वहाँ गर्मी का कोई फल नहीं होगा।
    वहाँ पर आनन्द के ठहाके भी नहीं होंगे।
10 अंगूर के बगीचे में आनन्द नहीं होगा और न ही वहाँ गीत गाये जायेंगे।
मैं कटनी के समय की सारी खुशी समाप्त कर दूँगा।
    दाखमधु बनने के लिये अंगूर तो तैयार है,
किन्तु वे सब नष्ट हो जायेंगे।
11 इसलिए मैं मोआब के लिये बहुत दु:खी हूँ।
    मैं कीरहैरेम के लिये बहुत दु:खी हूँ।
    मैं उन नगरों के लिये अत्याधिक दु:खी हूँ।
12 मोआब के निवासी अपने ऊँचे पूजा के स्थानों पर जायेंगे।
    वे लोग प्रार्थना करने का प्रयत्न करेंगे।
किन्तु वे उन सभी बातों को देखेंगे जो कुछ घट चुकी है,
    और वे प्रार्थना करने को दुर्बल हो जायेंगे।

13 यहोवा ने मोआब के बारे में पहले अनेक बार ये बातें कही थीं 14 और अब यहोवा कहता है, “तीन वर्ष में (उस रीति से जैसे किराये का मजदूर समय गिनता है) वे सभी व्यक्ति और उनकी वे वस्तुएँ जिन पर उन्हें गर्व था, नष्ट हो जायेंगी। वहाँ बहुत थोड़े से लोग ही बचेंगे, बहुत से नहीं।”

आराम के लिए परमेश्वर का सन्देश

17 यह दमिश्क के लिये दु:खद सन्देश है। यहोवा कहता है कि दमिश्क के साथ में बातें घटेंगी:

“दमिश्क जो आज नगर है किन्तु कल यह उजड़ जायेगा।
    दमिश्क में बस टूटे फूटे भवन ही बचेंगे।
अरोएर के नगरों को लोग छोड़ जायेंगे।
    उन उजड़े हुए नगरों में भेड़ों की रेवड़े खुली घूमेंगी।
    वहाँ कोई उनको डराने वाला नहीं होगा।
एप्रैम (इस्राएल) के गढ़ नगर ध्वस्त हो जायेंगे।
    दमिश्क के शासन का अन्त हो जायेगा।
जैसे घटनाएँ इस्राएल में घटती हैं वैसी ही घटनाएँ अराम में भी घटेंगी।
    सभी महत्त्वपूर्ण व्यक्ति उठा लिये जायेंगे।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने बताया कि ये बातें घटेंगी।
उन दिनों याकूब की (इस्राएल की) सारी सम्पति चली जायेगी।
    याकूब वैसा हो जायेगा जैसा व्यक्ति रोग से दुबला हो।

“वह समय ऐसा होगा जैसे रपाईम घाटी में फसल काटने के समय होता है। मजदूर उन पौधों को इकट्ठा करते हैं जो खेत में उपजते हैं। फिर वे उन पौधों की बालों को काटते हैं और उनसे अनाज के दाने निकालते हैं।

“वह समय उस समय के भी समान होगा जब लोग जैतून की फसल उतारते हैं। लोग जैतून के पेड़ों से जैतून झाड़ते हैं। किन्तु पेड़ की चोटी पर प्राय: कुछ फल तब भी बचे रह जाते हैं। चोटी की कुछ शाखाओं पर चार पाँच जैतून के फल छूट जाते हैं। उन नगरों में भी ऐसा ही होगा।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने ये बातें कही थीं।

उस समय लोग परमेश्वर की ओर निहारेंगे। परमेश्वर, जिसने उनकी रचना की है। वे इस्राएल के पवित्र की ओर सहायता के लिये देखेगें। लोग उन वेदियों पर विश्वास करना समाप्त कर देंगे जिनको उन्होंने स्वयं अपने हाथों से बनाया था। अशेरा देवी के जिन खम्भों और धूप जलाने की वेदियों को उन्होंने अपनी उँगलियों से बनाया था, वे उन पर भरोसा करना बंद कर देंगे। उस समय, सभी गढ़—नगर उजड़ जायेंगे। वे नगर ऐसे पर्वत और जंगलों के समान हो जायेंगे, जैसे वे इस्राएलियों के आने से पहले हुआ करते थे। बीते हुए दिनों में वहाँ से सभी लोग दूर भाग गये थे क्योंकि इस्राएल के लोग वहाँ आ रहे थे। भविष्य में यह देश फिर उजड़ जायेगा। 10 ऐसा इसलिये होगा क्योंकि तुमने अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर को भुला दिया है। तुमने यह याद नहीं रखा कि परमेश्वर ही तुम्हारा शरण स्थल है।

तुम सुदूर स्थानों से कुछ बहुत अच्छी अँगूर की बेलें लाये थे। तुम अंगूर की बेलों को रोप सकते हो किन्तु उन पौधों में बढ़वार नहीं होगी। 11 एक दिन तुम अपनी अँगूर की उन बेलों को रोपोगे और उनकी बढ़वार का जतन करोगे। अगले दिन, वे पौधे बढ़ने भी लगेंगे किन्तु फसल उतारने के समय जब तुम उन बेलों के फल इकट्ठे करने जाओगे तब देखोगे कि सब कुछ सूख चुका है। एक बीमारी सभी पौधों का अंत कर देगी।

12 बहुत सारे लोगों का भीषणा नाद सुनो!
    यह नाद सागर के नाद जैसा भयानक है।
लोगों का शोर सुनो।
    ये शोर ऐसा है जैसे सागर की लहरे टकरा उठती हो।
13 लोग उन्हीं लहरों जैसे होंगे।
    परमेश्वर उन लोगों को झिड़की देगा, और वे दूर भाग जायेंगे।
लोग उस भूसे के समान होंगे जिस की पहाड़ी पर हवा उड़ाती फिरती है।
    लोग वैसे हो जायेंगे जैसे आँधी उखाड़े जा रही है।
आँधी उसे उड़ाती है और दूर ले जाती है।
14 उस रात लोग बहुत ही डर जायेंगे।
    सुबह होने से पहले, कुछ भी नहीं बच पायेगा।
सो शत्रुओं को वहाँ कुछ भी हाथ नहीं आयेगा।
    वे हमारी धरती की ओर आयेंगे,
किन्तु वहाँ भी कुछ नहीं होगा।

कूश के लिये परमेश्वर का सन्देश

18 उस धरती को देखो जो कूश की नदियों के साथ—साथ फैली है। इस धरती में कीड़े—मकोड़े भरे पड़े हैं। तुम उनके पंखों की भिन्नाहट सुन सकते हो। यह धरती लोगों को सरकण्डों की नावों से सागर के पार भेजती है।

हे तेज़ चलने वाले हरकारो,
    एक ऐसी जाति के लोगों के पास जाओ जो लम्बे और शक्तिशाली हैं!
    (इन लम्बें शक्तिशाली लोगों से सब कहीं के लोग डरते हैं।
वे एक बलवान जाति के लोग हैं।
    उनकी जाति दूसरी जातियों को पराजित कर देती हैं।
    वे एक ऐसे देश के हैं जिसे नदियाँ विभाजित करती हैं।)
ऐसे उन लोगों को सावधान कर दो कि उनके साथ कोई बुरी घटना घटने को है।
    उस जाति के साथ घटती हुई इस घटना को दुनिया के सब लोग देखेंगे।
लोग इसे इस तरह साफ—साफ देखेंगे, जैसे पहाड़ पर लगे हुए झण्डे को लोग देखते हैं।
    इन लम्बे और शक्तिशाली व्यक्तियों के साथ जो बातें घटेंगी, उनके बारे में इस धरती के सभी निवासी सुनेंगे।
इसको वे इतनी स्पष्टता से सुनेंगे जितनी स्पष्टता से युद्ध से पहले बजने वाले नरसिंगे की आवाज़ सुनाई देती हैं।

यहोवा ने कहा, “जो स्थान मेरे लिये तैयार किया गया है, मैं उस स्थान पर होऊँगा। मैं चुपचाप इन बातों को घटते हुए देखूँगा। गर्मी के एक सुहावने दिन दोपहर के समय जब लोग आराम कर रहे होंगे (यह तब होगा जब कटनी का गर्म समय होगा, वर्षा नहीं होगी, बस अलख सुबह की ओस ही पड़ेगी।) तभी कोई बहुत भयानक बात घटेगी। यह वह समय होगा जब फूल खिल चुके होंगे। नये अँगूर फूट रहे होंगे और उनकी बढ़वार हो रही होगी। किन्तु फसल उतारने के समय से पहले ही शत्रु आयेगा और इन पौधों को काट डालेगा। शत्रु आकर अँगूर की लताओं को तोड़ डालेगा और उन्हें कहीं दूर फेंक देगा। अँगूर की यें बेलें शिकारी पहाड़ी पक्षियों और जंगली जानवरों के खाने के लिये छोड़ दी जायेंगी। गर्मियों में पक्षी इन दाख लताओं में बसेरा करेंगे और उस सदी में जंगली पशु इन दाख लताओं को चरेंगे।” उस समय, सर्वशक्तिमान यहोवा को एक विशेष भेंट चढ़ाई जायेगी। यह भेंट उन लोगों की ओर से आयेगी, जो लम्बे और शक्तिशाली हैं। (सब कहीं के लोग इन लोगों से डरते हैं। ये एक शक्तिशाली जाति के लोग हैं। यह जाति दूसरी जाति के लोगों को पराजित कर देती है। ये एक ऐसे देश के हैं, जो नदियों से विभाजित हैं।) यह भेंट यहोवा के स्थान सिय्योन पर्वत पर लायी जायेगी।

मिस्र के लिए परमेश्वर का सन्देश

19 मिस्र के बारे में दु:खद सन्देश: देखो! एक उड़ते हुए बादल पर यहोवा आ रहा है। यहोवा मिस्र में प्रवेश करेगा और मिस्र के सारे झूठे देवता भय से थर—थर काँपने लगेंगे। मिस्र वीर था किन्तु उसकी वीरता गर्म मोम की तरह पिघल कर बह जायेगी।

परमेश्वर कहता है, “मैं मिस्र के लोगों को आपस में ही एक दूसरे के विरुद्ध युद्ध करने के लिये उकसाऊँगा। लोग अपने ही भाइयों से लड़ेंगे। पड़ोसी, पड़ोसी के विरोध में हो जायेगा। नगर, नगर के विरोध में और राज्य, राज्य के विरोध में हो जायेंगे। मिस्र के लोग चक्कर में पड़ जायेंगे। वे लोग अपने झूठे देवताओं और बुद्धिमान लोगों से पूछेंगे कि उन्हें क्या करना चाहिये। वे लोग अपने ओझाओं और जादूगरों से पूछताछ करेंगे किन्तु उनकी सलाह व्यर्थ होगी।” सर्वशक्तिमान यहोवा स्वामी का कहना है: “मैं (परमेश्वर) मिस्र को एक कठोर स्वामी को सौंप दूँगा। एक शक्तिशाली राजा लोगों पर राज करेगा।”

नील नदी का पानी सूख जायेगा। नदी के तल में पानी नहीं रहेगा। सभी नदियों से दुर्गन्ध आने लगेगी। मिस्र की नहरें सूख जायेंगी। उनका पानी जाता रहेगा। पानी के सभी पौधे सड़ जायेंगे। वे सभी पौधे जो नदी के किनारे उगे होंगे, सूख कर उड़ जायेंगे। यहाँ तक कि वे पौधे भी, जो नदी के सबसे चौड़े भाग में होंगे, व्यर्थ हो जायेंगे।

मछुआरे, और वे सभी लोग जो नील नदी से मछलियाँ पकड़ा करते हैं, दु:खी होकर त्राहि—त्राहि कर उठेंगे। वे अपने भोजन के लिए नील नदी पर आश्रित हैं किन्तु वह सूख जायेगी। वे लोग जो कपड़ा बनाया करते हैं, अत्यधिक दु:खी होंगे। इन लोगों को सन का कपड़ा बनाने के लिए पटसन की आवश्यकता होगी किन्तु नदी के सूख जाने से सन के पौधों की बढ़वार नहीं हो पायेगी। 10 पानीइकट्ठा करने के लिये बाँध बनाने वाले लोगों के पास काम नहीं रह जायेगा। सो वे बहुत दु:खी होंगे।

11 सोअन नगर के मुखिया मूर्ख हैं। फिरौन के “बुद्धिमान मन्त्री” गलत सलाह देते हैं। वे मुखिया लोग कहते हैं कि वे बुद्धिमान हैं। उनका कहना है कि वे पुराने राजाओं के वंशज हैं। किन्तु जैसा वे सोचते हैं, वैसे बुद्धिमान नहीं हैं। 12 हे मिस्र, तेरे बुद्धिमान पुरुष कहाँ हैं उन बुद्धिमान लोगों को सर्वशक्तिमान यहोवा ने मिस्र के लिये जो योजना बनाई है, उसका पता होना चाहिये। उन लोगों को, जो होने वाला है, तुम्हें बताना चाहिये।

13 सोअन के मुखिया मूर्ख बना दिये गये हैं। नोप के मुखियाओं ने झूठी बातों पर विश्वास किया है। सो मुखिया लोग मिस्र को गलत रास्ते पर ले जाते हैं। 14 यहोवा ने मुखियाओं को उलझन में डाल दिया है। वे भटक गये हैं और मिस्र को गलत रास्ते पर ले जा रहे हैं। वे नशे में धुत ऐसे लोगों के समान हैं जो बीमारी के कारण धरती में लोट रहे हैं। 15 मिस्र के लिए कोई कुछ नहीं कर पाएगा। (फिर चाहे वे सिर हो अथवा पूँछ, “खजूर की शाखायें हो या सरकंडे।” अर्थात् “महत्वपूर्ण हो या महत्वहीन लोग।”)

16 उस समय, मिस्र के निवासी भयभीत स्त्रियों के समान हो जायेंगे। वे सर्वशक्तिमान यहोवा से डरेंगे। यहोवा लोगों को दण्ड देने के लिए अपना हाथ उठायेगा और लोग डर जायेंगे। 17 मिस्र में सब लोगों के लिये यहूदा का प्रदेश भय का कारण होगा। मिस्र में कोई भी यहूदा का नाम सुन कर डर जायेगा। ऐसा इसलिये होगा क्योंकि सर्वशक्तिमान यहोवा ने भयानक घटनायें घटाने की योजना बनायी है। 18 उस समय, मिस्र में ऐसे पाँच नगर होंगे जहाँ लोग कनान की भाषा (यहूदी भाषा) बोलेंगे। इन नगरों में एक नगर का नाम होगा “नाश की नगरी।” लोग सर्वशक्तिमान यहोवा के अनुसरण की प्रतिज्ञा करेंगे।

19 उस समय मिस्र के बीच में यहोवा के लिये एक वेदी होगी। मिस्र की सीमापर यहोवा को आदर देने के लिए एक स्मारक होगा। 20 यह इस बात का प्रतीक होगा कि सर्वशक्तिमान यहोवा शक्तिमान कार्य करता है। जब कभी लोग सहायता के लिए यहोवा को पुकारेंगे, यहोवा सहायता भेजेगा। यहोवा लोगों को बचाने और उनकी रक्षा करने के लिये एक व्यक्ति को भेजेगा। वह व्यक्ति उन व्यक्तिओं को उन दूसरे लोगों से बचायेगा जो उनके साथ बुरी बातें करते हैं।

21 सचमुच उस समय, मिस्र के लोग यहोवा को जानेंगे। वे लोग परमेश्वर से प्रेम करेंगे। वे लोग परमेश्वर की सेवा करेंगे और बहुत सी बलियाँ चढ़ायेंगे। वे लोग यहोवा की मनौतियाँ मानेंगे और उन मनौतियों का पालन करेंगे। 22 यहोवा मिस्र के लोगों को दण्ड देगा। फिर यहोवा उन्हें (चंगा) क्षमा कर देगा और वे यहोवा की ओर लौट आयेंगे। यहोवा उनकी प्रार्थनाएँ सुनेगा और उन्हें क्षमा कर देगा।

23 उस समय, वहाँ एक ऐसा राजमार्ग होगा जो मिस्र से अश्शूर जायेगा। फिर अस्शूर से लोग मिस्र में जायेंगे और मिस्र से अश्शूर में। मिस्र अश्शूर के लोगों के साथ परमेश्वर की उपासना करेगा। 24 उस समय, इस्राएल, अश्शूर और मिस्र आपस में एक हो जायेंगे और पृथ्वी पर शासन करेंगे। यह शासन धरती के लिये वरदान होगा। 25 सर्वशक्तिमान यहोवा इन देशों को आशीर्वाद देगा। वह कहेगा, “हे मिस्र के लोगों, तुम मेरे हो। अश्शूर, तुझे मैंने बनाया है। इस्राएल, मैं तेरा स्वामी हूँ। तुम सब धन्य हो!”

अश्शूर मिस्र और कूश को हरायेगा

20 सर्गोन अश्शूर का राजा था। सर्गोन ने तर्तान को नगर के विरुद्ध युद्ध करने के लिए अशदोद भेजा। तर्तान ने वहाँ जा कर नगर पर कब्जा कर लिया। उस समय आमोस के पुत्र यशायाह के द्वारा यहोवा ने कहा, “जा, और अपनी कमर से शोक वस्त्र उतार फेंक। अपने पैरों की जूतियाँ उतार दे।” यशायाह ने यहोवा की आज्ञा का पालन किया और वह बिना कपड़ों और बिना जूतों के इधर—उधर घूमा।

फिर यहोवा ने कहा, “यशायाह तीन साल तक बिना कपड़ों और बिना जूतियाँ पहने इधर—उधर घूमता रहा है। मिस्र और कूश के लिए यह एक संकेत है कि अश्शूर का राजा मिस्र और कूश को हरायेगा। अश्शूर वहाँ के बंदियों को लेकर, उनके देशों से दूर ले जायेगा। बूढ़े व्यक्ति और जवान लोग बिना कपड़ों और नंगे पैरों ले जाये जायेंगे। वे पूरी तरह से नंगे होंगे। मिस्र के लोग लज्जित होंगे। जो लोग सहायता के लिये कूश की ओर देखा करते थे, वे टूट जायेंगे। जो लोग मिस्र की महिमा से चकित थे वे लज्जित होंगे।”

समुद्र के पास रहने वाले, वे लोग कहेंगे, “हमने सहायता के लिये उन देशों पर विश्वास किया। हम उनके पास दौड़े गये ताकि वे हमें अश्शूर के राजा से बचा लें किन्तु उन देशों को देखो कि उन देशों पर ही जब कब्जा कर लिया गया तब हम कैसे बच सकते थे”

परमेश्वर का बाबुल को सन्देश

21 सागर के मरुप्रदेश के बारे में दु:खद सन्देश।

मरुप्रदेश से कुछ आने वाला है।
यह नेगव से आती हवा जैसा आ रही है।
    यह किसी भयानक देश से आ रही है।
मैंने कुछ देखा है जो बहुत ही भयानक है और घटने ही वाला है।
    मुझे गद्दार तुझे धोखा देते हुए दिखते हैं।
    मैं लोगों को तुम्हारा धन छीनते हुए देखता हूँ।

एलाम, तुम जाओ और लोगों से युद्ध करो!
    मादै, तुम अपनी सेनाएँ लेकर नगर को घेर लो तथा उसको पराजित करो!
    मैं उस बुराई का अन्त करुँगा जो उस नगर में है।
मैंने यें भयानक बातें देखी और अब मैं बहुत डर गया हूँ।
    डर के मारे पेट में दर्द हो रहा है।
यह दर्द प्रसव की पीड़ा जैसा है।
    जो बातें मैं सुनता हूँ, वे मुझे बहुत डराती है।
जो बातें मैं देख रहा हूँ, उनके कारण मैं भय के मारे काँपने लगता हूँ।
मैं चिन्तित हूँ और भय से थर—थर काँप रहा हूँ।
    मेरी सुहावनी शाम भय की रात बन गयी है।

लोग सोचते हैं, सब कुछ ठीक है।
    लोग कहते हैं,
    “चौकी तैयारी करो और उस पर आसन बिछाओ, खाओ, पिओ!”
    किन्तु मेरा कहना है, “मुखियाओं! खड़े होओ और युद्ध की तैयारी करो।”
उसी समय सैनिक कह रहे हैं, “पहरेदारों को तैनात करो!
    अधिकारियों, खड़े हो जाओ और अपनी ढालों को झलकाओ!”

मेरे स्वामी ने मुझे ये बातें बतायी हैं, “जा और नगर की रक्षा के लिए किसी व्यक्ति को ढूँढ। यदि वह रखवाला घुड़सवारों की, गधों की अथवा ऊँटों की पंक्तियों को देखें तो उसे सावधानी के साथ सुनना चाहिये।” सो फिर वह पहरेदार जोर से बोला पहरेदार ने कहा,

“मेरे स्वामी, मैं हर दिन चौकीदारी के बुर्ज पर चौकीदारी करता आया हूँ।
    हर रात मैं खड़ा हुआ पहरा देता रहा हूँ। किन्तु …
देखो! वे आ रहे हैं!
    मुझे घुड़सवारों की पंक्तियाँ दिखाई दे रही हैं।”

फिर सन्देशवाहक ने कहा,
    “बाबुल पराजित हुआ,
    बाबुल धरती पर ध्वस्त किया गया।
उसके मिथ्या देवों की सभी मूर्तियाँ
    धरती पर लुढ़का दी गई और वे चकनाचूर हो गई हैं।”

10 यशायाह ने कहा, “हे खलिहान में अनाज की तरह रौंदे गए मेरे लोगों, मैंने सर्वशक्तिमान यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर से जो कुछ सुना है, सब तुम्हें बता दिया है।”

एदोम को परमेश्वर का सन्देश

11 दूमा के लिये दु:खद सन्देश:

सेईर से मुझको किसी ने पुकारा।
    उसने मुझ से कहा, “हे पहरेदार, रात अभी कितनी शेष बची है
    अभी और कितनी देर यह रात रहेगी!”

12 पहरेदार ने कहा,
    “भोर होने को है किन्तु रात फिर से आयेगी।
यदि तुझे कोई बात पूछनी है तो
    लौट आ और मुझसे पूछ ले।”

अरब के लिये परमेश्वर का सन्देश

13 अरब के लिये दु:खद सन्देश।

हे ददानी के काफिले,
    तू रात अरब के मरुभूमि में कुछ वृक्षों के पास गुजार ले।
14 कुछ प्यासे यात्रियों को पीने को पानी दो।
    तेमा के लोगों, उन लोगों को भोजन दो जो यात्रा कर रहे हैं।
15 वे लोग ऐसी तलवारों से भाग रहे थे
    जो उनको मारने को तत्पर थे।
वे लोग उन धनुषों से बचकर भाग रहे थे
    जो उन पर छूटने के लिये तने हुए थे।
वे भीषण लड़ाई से भाग रहे थे।

16 मेरे स्वामी यहोवा ने मुझे बताया था कि ऐसी बातें घटेंगी। यहोवा ने कहा था, “एक वर्ष में (एक ऐसा ढँग जिससे मजदूर किराये का समय को गिनता है।) केदार का वैभव नष्ट होजायेगा। 17 उस समय केदार के थोड़े से धनुषधारी, प्रतापी सैनिक ही जीवित बच पायेंगे।” इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने मुझे ये बातें बताई थीं।

यरूशलेम के लिये परमेश्वर का सन्देश

22 दिव्य दर्शन की घाटी के बारे में दु:खद सन्देश:

तुम लोगों के साथ क्या हुआ है
    कयों तुम अपने घरों की छतों पर छिप रहे हो
बीते समय में यह नगर बहुत व्यस्त नगर था।
    यह नगर बहुत शोरगुल से भरा और बहुत प्रसन्न था।
किन्तु अब बातें बदल गई।
    तुम्हारे लोग मारे गये किन्तु तलवारों से नहीं,
और वे मारे गये
    किन्तु युद्ध में लड़ते समय नहीं।
तुम्हारे सभी अगुवे एक साथ कहीं भाग गये
    किन्तु उन्हें पकड़ कर बन्दी बनाया गया, जब वे बिना धनुष के थे।
तुम्हारे सभी अगुवे कहीं दूर भाग गये
    किन्तु उन्हें पकड़ा और बन्दी बनाया गया।

मैं इसलिए कहता हूँ, “मेरी तरफ मत देखो,
    बस मुझको रोने दो!
यरूशलेम के विनाश पर मुझे सान्त्वना देने के लिये
    मेरी ओर मत लपको।”

यहोवा ने एक विशेष दिन चुना है। उस दिन वहाँ बलवा और भगदड़ मच जायेगा। दिव्य दर्शन की घाटी में लोग एक दूसरे को रौंद डालेंगे। नगर की चार दीवारी उखाड़ फेंकी जायेगी। घाटी के लोग पहाड़ पर के लोगों के ऊपर चिल्लायेंगे। एलाम के घुड़सवार सैनिक अपनी—अपनी तरकसें लेकर घोड़ों पर चढ़े युद्ध को प्रस्थान करेंगे। किर के लोग अपनी ढालों से ध्वनि करेंगे। तुम्हारी इस विशेष घाटी में सेनाएँ आ जुटेंगी। घाटी रथों से भर जायेगी। घुड़सवार सैनिक नगर द्वारों के सामने तैनात किये जायेंगे। उस समय यहूदा के लोग उन हथियारों का प्रयोग करना चाहेंगे जिन्हें वे जंगल के महल में रखा करते हैं। यहूदा की रक्षा करने वाली चहारदीवारी को शत्रु उखाड़ फेंकेगा।

9-11 दाऊदर के नगर की चहारदीवारी तड़कने लगेगी और उसकी दरारें तुम्हें दिखाई देंगी। सो तुम मकानों को गिनने लगोगे और दीवार की दरारों को भरने के लिये तुम उन मकानों के पत्थरों का उपयोग करोगे। उन दुहरी दीवारों के बीच पुराने तालाब का जल बचा कर रखने के लिये तुम एक स्थान बनाओगे, और वहाँ पानी को एकत्र करोगे।

यह सब कुछ तुम अपने आपको बचाने के लिये करोगे। फिर भी उस परमेशवर पर तुम्हारा भरोसा नहीं होगा जिसने इन सब वस्तुओं को बनाया है। तुम उसकी ओर (परमेश्वर) नहीं देखोगे जिसने बहुत पहले इन सब वस्तुओं की रचना की थी। 12 सो, मेरा स्वामी सर्वशक्तिमान यहोवा लोगों से उनके मरे हुए मित्रों के लिए विलाप करने और दु:खी होने के लिये कहेगा। लोग अपने सिर मुँड़ा लेंगे और शोक वस्त्र धारण करेंगे। 13 किन्तु देखो! अब लोग प्रसन्न हैं। लोग खुशियाँ मना रहे हैं। वे लोग कह रहे हैं:

मवेशियों को मारो, भेड़ों का वध करो।
    हम उत्सव मनायेंगे।
तुम अपना खाना खाओ और अपना दाखमधु पियो।
    खाओ और पियो क्योंकि कल तो हमें मर जाना है।

14 सर्वशक्तिमान यहोवा ने ये बातें मुझसे कही थीं और मैंने उन्हें अपने कानों सुना था: “तुम बुरे काम करने के अपराधी हो और मैं निश्चय के साथ कहता हूँ कि इस अपराध के क्षमा किये जाने से पहले ही तुम मर जाओगे।” मेरे स्वामी सर्वशक्तिमान यहोवा ने ये बातें कही थीं।

शेबना के लिये परमेश्वर का सन्देश:

15 मेरे स्वामी सर्वशक्तिमान यहोवा ने मुझसे ये बातें कहीं: “उस शेबना नाम के सेवक के पास जाओ।” वह महल का प्रबन्ध—अधिकारी है। 16 उस से पूछना, “तू यहाँ क्या कर रहा है क्या यहाँ तेरे परिवार का कोई व्यक्ति गड़ा हुआ है यहाँ तू एक कब्र क्यों बना रहा है” यशायाह ने कहा, “देखो इस आदमी को! एक ऊँचे स्थान पर यह अपनी कब्र बना रहा है। अपनी कब्र बनाने के लिये यह चट्टान को काट रहा है।

17-18 “हे पुरुष, यहोवा तुझे कुचल डालेगा। यहोवा तुझे बाँध कर एक छोटी सी गेंद की तरह गोल बना कर किसी विशाल देश में फेंक देगा और वहाँ तेरी मौत हो जायेगी।”

यहोवा ने कहा, “तुझे अपने रथों पर बड़ा अभिमान था। किन्तु उस दूर देश में तेरे नये शासक के पास और भी अच्छे रथ हैं। उसके महल में तेरे रथ महत्वपूर्ण नहीं दिखाई देंगे। 19 यहाँ मैं तुझे तेरे महत्त्वपूर्ण काम से धकेल बाहर करुँगा। तेरे महत्त्वपूर्ण काम से तेरा नया मुखिया तुझे दूर कर देगा। 20 उस समय मैं अपने सेवक एल्याकीम को जो हिल्कियाह का पुत्र है, बुलाऊँगा 21 और तेरा चोगा लेकर उस सेवक को पहना दूँगा। तेरा राजदण्ड भी मैं उसे दे दूँगा। जो महत्त्वपूर्ण काम तेरे पास हैं, मैं उसे भी उस ही को दे दूँगा। वह सेवक यरूशलेम के लोगों और यहूदा के परिवार के लिए पिता के समान होगा।

22 “यहूदा के भवन की चाबी मैं उस पुरुष के गले में डाल दूँगा। यदि वह किसी द्वार को खोलेगा तो वह द्वार खुला ही रहेगा। कोई भी व्यक्ति उसे बंद नहीं कर पायेगा। यदि वह किसी द्वार को बंद करेगा तो वह द्वार बंद हो जायेगा। कोई भी व्यक्ति उसे खोल नहीं पायेगा। वह सेवक अपने पिता के घर में एक सिंहासन के समान होगा। 23 मैं उसे एक ऐसी खूँटी के समान सुदृढ बनाऊँगा जिसे बहुत सख़्त तख्ते में ठोका गया है। 24 उसके पिता के घर की सभी माननीय और महत्त्वपूर्ण वस्तुएँ उसके ऊपर लटकेंगी। सभी वयस्क और छोटे बच्चे उस पर निर्भर करेंगे। वे लोग ऐसे होंगे जैसे छोटे—छोटे पात्र और बड़ी—बड़ी सुराहियाँ उसके ऊपर लटक रहीं हों।

25 “उस समय, वह खूँटी (शेबना) जो अब एक बड़े कठोर तख्ते में गाड़ी हुई खूँटी है, दुर्बल हो कर टूट जायेगी। वह खूँटी धरती पर गिर पड़ेगी और उस खूँटी पर लटकी हुई सभी वस्तुएँ नष्ट हो जायेंगी। तब वह प्रत्येक बात जो मैंने उस सन्देश में बताई थी, घटित होगी।” (ये बातें घटेंगी क्योंकि इन्हें यहोवा ने कहा है।)

लबानोन को परमेश्वर का सन्देश

23 सोर के विषय में दु:खद सन्देश:

हे तर्शीश के जहाज़ों, दु:ख मनाओ!
    तुम्हारा बन्दरगाह उजाड़ दिया गया है।
(इन जहाज़ो पर जो लोग थे, उन्हें यह समाचार उस समय बताया गया था जब वे कित्तियों के देश से अपने रास्ते जा रहे थे।)
हे समुद्र के निकट रहने वाले लोगों,
    रुको और शोक मनाओ!
हे, सीदोन के सौदागरों शोक मनाओ।
    सिदोन तेरे सन्देशवाहक समुद्र पार जाया करते थे।
उन लोगों ने तुझे धन दौलत से भर दिया।
वे लोग अनाज की तलाश में समुद्रों में यात्रा करते थे।
    सोर के वे लोग नील नदी के आसपास जो अनाज पैदा होता था, उसे मोल ले लिया करते थे और फिर उस अनाज को दूसरे देशों में बेचा करते थे।
हे सीदोन, तुझे शर्म आनी चाहिए।
    क्योंकि अब सागर और सागर का किला कहता है:
मैं सन्तान रहित हूँ। मुझे प्रसव की वेदना का ज्ञान नहीं है।
    मैंने किसी बच्चे को जन्म नहीं दिया।
    मैंने युवती व युवक को पाल कर बड़े नहीं किया।
मिस्र सोर का समाचार सुनेगा
    और यह समाचार मिस्र को दु:ख देगा।
तेरे जलयान तर्शीश को लौट जाने चाहिए।
    हे सागरतट वासियों! दु:ख में डूब जाओ।
बीते दिनों में तुमने सोर नगर का रस लिया।
    यह नगरी शुरु से ही विकसित होती रही।
उस नगर के कुछ लोग कहीं दूर बसने को चले गये।
सोर के नगर ने बहुत सारे नेता पैदा किये।
    वहाँ के व्यापारी राजपुत्रों के समान होते हैं और वे लोग वस्तुएँ खरीदते व बेचते हैं।
    वे हर कहीं आदर पाते हैं।
    सो किसने सोर के विरुद्ध योजनाएँ रची हैं।
हाँ, सर्वशक्तिमान यहोवा ने वे योजनाएँ बनायी थी।
    उसने ही उन्हें महत्त्वपूर्ण न बनाने का निश्चय किया था।
10 हे तर्शीश के जहाज़ो तुम अपने देश को लौट जाओ।
    तुम सागर को ऐसे पार करो जैसे वह छोटी सी नदी हो।
    कोई भी व्यक्ति अब तुम्हें नहीं रोकेगा।
11 यहोवा ने अपना हाथ सागर के ऊपर फैलाया है और राज्यों को कँपा दिया।
    यहोवा ने कनान (फिनिसियाँ) के बारे में आदेश दे दिया है कि उसके गढ़ियों को नष्ट कर दिया जाये।
12 यहोवा कहता है, हे! सीदोन की कुँवारी पुत्री, तुझे नष्ट किया जायेगा।
    अब तू और अधिक आनन्द न मना पायेगी।
किन्तु सोर के निवासी कहते हैं, “हमको कित्ती बचायेगा।”
    किन्तु यदि तुम सागर को पार कर कित्तीमजाओ वहाँ भी तुम चैन का स्थान नहीं पाओगे।
13 अत: सोर के निवासी कहा करते हैं, “बाबुल के लोग हम को बचायेंगे!”
    किन्तु तुम बाबुल के लोगों को धरती पर देखो।
एक देश के रुप में आज बाबुल का कोई अस्तित्व नहीं है।
    बाबुल के ऊपर अश्शूर ने चढ़ाई की और उस के चारों ओर बुर्जियाँ बनाई।
सैनिकों ने सुन्दर घरों का सब धन लूट लिया।
    अश्शूर ने बाबुल को जंगली पशुओं का घर बना दिया।
उन्होंने बाबुल को खण्डहरों में बदल दिया।
14 सो तर्शीश के जलयानों तुम विलाप करो।
    तुम्हारा सुरक्षा स्थान (सोर) नष्ट हो जायेगा।

15 सत्तर वर्ष तक लोग सोर को भूल जायेंगे। (यह समय, किसी राजा के शासन काल के बराबर समय माना जाता था।) सत्तर वर्ष के बाद, सोर एक वेश्या के समान हो जायेगा। इस गीत में:

16 “हे वेश्या! जिसे पुरुषों ने भुला दिया।
    तू अपनी वीणा उठा और इस नगर में घूम।
तू अपने गीत को अच्छी तरह से बजा, तू अक्सर अपना गीत गाया कर।
    तभी तुझको लोग फिर से याद करेंगे।”

17 सत्तर वर्ष के बाद, परमेश्वर सोर के विषय में फिर विचार करेगा और वह उसे एक निर्णय देगा। सोर में फिर से व्यापार होने लगेगा। धरती के सभी देशों के लिये सोर एक वेश्या के समान हो जायेगा। 18 किन्तु सोर जिस धन को कमायेगा, उसको रख नहीं पायेगा। सोर का अपने व्यापार से हुआ लाभ यहोवा के लिये बचाकर रखा जायेगा। सोर उस लाभ को उन लोगों को दे देगा जो यहोवा की सेवा करते हैं। इसलिये यहोवा के सेवक भर पेट खाना खायेंगे और अच्छे कपड़े पहनेंगे।

परमेश्वर इस्राएल को दण्ड देगा

24 देखो! यहोवा इस धरती को नष्ट करेगा। यहोवा भूचालों के द्वारा इस धरती को मरोड़ देगा। यहोवा लोगों को कहीं दूर जाने को विवश करेगा। उस समय, हर किसी के साथ एक जैसी घटनाएँ घटेगी, साधारण मनुष्य और याजक एक जैसे हो जायेंगे। स्वामी और सेवक एक जैसे हो जायेंगे। दासियाँ और उनकी स्वामिनियाँ एक समान हो जायेंगी। मोल लेने वाले और बेचने वाले एक जैसे हो जायेंगे। कर्जा लेने वाले और कर्जा देने वाले लोग एक जैसे हो जायेंगे। धनवान और ऋणी लोग एक जैसे हो जायेंगे। सभी लोगों को वहाँ से धकेल बाहर किया जायेगा। सारी धन—दौलत छीन ली जायेंगी। ऐसा इसलिये घटेगा क्योंकि यहोवा ने ऐसा ही आदेश दिया है। देश उजड़ जायेगा और दु:खी होगा। दुनिया ख़ाली हो जायेगी और वह दुर्बल हो जायेगी। इस धरती के महान नेता शक्तिहीन हो जायेंगे।

इस धरती के लोगों ने इस धरती को गंदा कर दिया है। ऐसा कैसा हो गया लोगों ने परमेश्वर की शिक्षा के विरोध में गलत काम किये। (इसलिये ऐसा हुआ) लोगों ने परमेश्वर के नियमों का पालन नहीं किया। बहुत पहले लोगों ने परमेश्वर के साथ एक वाचा की थी। किन्तु परमेश्वर के साथ किये उस वाचा को लोगों ने तोड़ दिया। इस धरती के रहने वाले लोग अपराधी हैं। इसलिये परमेश्वर ने इस धरती को नष्ट करने का निश्चय किया। उन लोगों को दण्ड दिया जायेगा और वहाँ थोड़े से लोग ही बच पायेंगे।

अँगूर की बेलें मुरझा रही हैं। नयी दाखमधु की कमी पड़ रही है। पहले लोग प्रसन्न थे। किन्तु अब वे ही लोग दु:खी हैं। लोगों ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त करना छोड़ दिया है। प्रसन्नता की सभी ध्वनियाँ रुक गयी हैं। खंजरिओं और वीणाओं का आनन्दपूर्ण संगीत समाप्त हो चुका है। अब लोग जब दाखमधु पीते हैं, तो प्रसन्नता के गीत नहीं गाते। अब जब व्यक्ति दाखमधु पीते है, तब वह उसे कड़वी लगती है।

10 इस नगर का एक अच्छा सा नाम है, “गड़बड़ से भरा”, इस नगर का विनाश किया गया। लोग घरों में नहीं घुस सकते। द्वार बंद हो चुके हैं। 11 गलियों में दुकानों पर लोग अभी भी दाखमधु को पूछते हैं किन्तु समूची प्रसन्नता जा चुकी है। आनन्द तो दूर कर दिया गया है। 12 नगर के लिए बस विनाश ही बच रहा है। द्वार तक चकनाचूर हो चुके हैं।

13 फसल के समय लोग जैतून के पेड़ से जैतून को गिराया करेंगे।
    किन्तु केवल कुछ ही जैतून पेड़ों पर बचेंगे।
जैसे अंगूर की फसल उतारने के बाद थोड़े से अंगूर बचे रह जाते हैं।
    यह ऐसा ही इस धरती के राष्ट्रों के साथ होगा।
14 बचे हुए लोग चिल्लाने लग जायेंगे।
    पश्चिम से लोग यहोवा की महानता की स्तुति करेंगे और वे, प्रसन्न होंगे।
15 वे लोग कहा करेंगे, “पूर्व के लोगों, यहोवा की प्रशंसा करो!
    दूर देश के लोगों, इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के नाम का गुणगान करो।”
16 इस धरती पर हर कहीं हम परमेश्वर के स्तुति गीत सुनेंगे।
    इन गीतों में परमेश्वर की स्तुति होगी।
किन्तु मैं कहता हूँ, “मैं बरबाद हो रहा हूँ।
    मैं जो कुछ भी देखता हूँ सब कुछ भयंकर है।
गद्दार लोग, लोगों के विरोधी हो रहे हैं,
    और उन्हें चोट पहुँचा रहे हैं।”
17 मैं धरती के वासियों पर खतरा आते देखता हूँ।
    मैं उनके लिये भय, गके और फँदे देख रहा हूँ।
18 लोग खतरे की सुनकर डर से काँप जायेंगे।
    कुछ लोग भाग जायेंगे किन्तु वे गके
और फँदों में जा गिरेंगे और उन गकों से कुछ चढ़कर बच निकल आयेंगे।
    किन्तु वे फिर दूसरे फँदों में फँसेंगे।
ऊपर आकाश की छाती फट जायेगी
    जैसे बाढ़ के दरवाजे खुल गये हो।
    बाढ़े आने लगेंगी और धरती की नींव डगमग हिलने लगेंगी।
19 भूचाल आयेगा
    और धरती फटकर खुल जायेगी।
20 संसार के पाप बहुत भारी हैं।
    उस भार से दबकर यह धरती गिर जायेगी।
यह धरती किसी झोपड़ी सी काँपेगी
    और नशे में धुत्त किसी व्यक्ति की तरह धरती गिर जायेगी।
    यह धरती बनी न रहेगी।
21 उस समय यहोवा सबका न्याय करेगा।
    उस समय यहोवा आकाश में स्वर्ग की सेनाएँ
    और धरती के राजा उस न्याय का विषय होंगे।
22 इन सबको एक साथ एकत्र किया जायेगा।
    उनमें से कुछ काल कोठरी में बन्द होंगे
और कुछ कारागार में रहेंगे।
    किन्तु अन्त में बहुत समय के बाद इन सबका न्याय होगा।
23 यरूशलेम में सिय्योन के पहाड़ पर यहोवा राजा के रूप में राज्य करेगा।
    अग्रजों के सामने उसकी महिमा होगी।
उसकी महिमा इतनी भव्य होगी कि चाँद घबरा जायेगा,
    सूरज लज्जित होगा।

परमेश्वर का एक स्तुति—गीत

25 हे यहोवा, तू मेरा परमेश्वर है।
    मैं तेरे नाम की स्तुति करता हूँ
और मैं तुझे सम्मान देता हूँ।
तूने अनेक अद्भुत कार्य किये हैं।
    जो भी शब्द तूने बहुत पहले कहे थे वे पूरी तरह से सत्य हैं।
    हर बात वैसी ही घटी जैसे तूने बतायी थी।
तूने नगर को नष्ट किया।
    वह नगर सुदृढ़ प्राचीरों से संरक्षित था।
किन्तु अब वह मात्र पत्थरों का ढेर रह गया।
    परदेसियों का महल नष्ट कर दिया गया।
    अब उसका फिर से निर्माण नहीं होगा।
सामर्थी लोग तेरी महिमा करेंगे।
    क्रूर जातियों के नगर तुझसे डरेंगे।
यहोवा निर्धन लोगों के लिये जो जरुरतमंद हैं, तू सुरक्षा का स्थान है।
    अनेक विपत्तियाँ उनको पराजित करने को आती हैं किन्तु तू उन्हें बचाता है।
तू एक ऐसा भवन है जो उनको तूफानी वर्षा से बचाता है
    और तू एक ऐसी हवा है जो उनको गर्मी से बचाती है।
विपत्तियाँ भयानक आँधी और घनघोर वर्षा जैसी आती हैं।
    वर्षा दीवारों से टकराती हैं और नीचे बह जाती है किन्तु मकान में जो लोग हैं, उनको हानि नहीं पहुँचती है।
नारे लगाते हुए शत्रु ने ललकारा।
    घोर शत्रु ने चुनौतियाँ देने को ललकारा।
किन्तु तूने हे परमेश्वर, उनको रोक लिया।
    वे नारे ऐसे थे जैसे गर्मी किसी खुश्क जगह पर।
तूने उन क्रूर लोगों के विजय गीत ऐसे रोक दिये थे जैसे सघन मेघों की छाया गर्मी को दूर करती है।

अपने सेवकों के लिए परमेश्वर का भोज

उस समय, सर्वशक्तिमान यहोवा इस पर्वत के सभी लोगों के लिये एक भोज देगा। भोज में उत्तम भोजन और दाखमधु होगा। दावत में नर्म और उत्तम माँस होगा।

किन्तु अब देखो, एक ऐसा पर्दा है जो सभी जातियों और सभी व्यक्तियों को ढके है। इस पर्दे का नाम है, “मृत्यु।” किन्तु मृत्यु का सदा के लिये अंत कर दिया जायेगा और मेरा स्वामी यहोवा हर आँख का हर आँसू पोंछ देगा। बीते समय में उसके सभी लोग शर्मिन्दा थे। यहोवा उन की लज्जा का इस धरती पर से हरण कर लेगा। यह सब कुछ घटेगा क्योंकि यहोवा ने कहा था, ऐसा हो।

उस समय लोग ऐसा कहेंगे,
    “देखो यह हमारा परमेश्वर है!
यह वही है जिसकी हम बाट जोह रहे थे।
    यह हमको बचाने को आया है।
हम अपने यहोवा की प्रतीक्षा करते रहे।
    अत: हम खुशियाँ मनायेंगे और प्रसन्न होंगे कि यहोवा ने हमको बचाया है।”
10 इस पहाड़ पर यहोवा की शक्ति है
    मोआब पराजित होगा।
यहोवा शत्रु को ऐसे कुचलेगा जैसे भूसा कुचला जाता है
    जो खाद के ढेर में होता है।
11 यहोवा अपने हाथ ऐसे फैलायेगा जैसे कोई तैरता हुआ व्यक्ति फैलाता है।
    तब यहोवा उन सभी वस्तुओं को एकत्र करेगा जिन पर लोगों को गर्व है।
यहोवा उन सभी सुन्दर वस्तुओं को बटोर लेगा जिन्हें उन्होंने बनाये थे
    और वह उन वस्तुओं को फेंक देगा।
12 यहोवा लोगों की ऊँची दीवारों और सुरक्षा स्थानों को नष्ट कर देगा।
    यहोवा उनको धरती की धूल में पटक देगा।

परमेश्वर का एक स्तुति—गीत

26 उस समय, यहूदा के लोग यह गीत गायेंगे:

यहोवा हमें मुक्ति देता है।
    हमारी एक सुदृढ़ नगरी है।
हमारे नगर का सुदृढ़ परकोटा और सुरक्षा है।
उसके द्वारों को खोलो ताकि भले लोग उसमें प्रवेश करें।
    वे लोग परमेश्वर के जीवन की खरी राह का पालन करते हैं।

हे यहोवा, तू हमें सच्ची शांति प्रदान करता है।
    तू उनको शान्ति दिया करता है,
    जो तेरे भरोसे हैं और तुझ पर विश्वास रखते हैं।

अत: सदैव यहोवा पर विश्वास करो।
    क्यों क्योंकि यहोवा याह ही तुम्हारा सदा सर्वदा के लिये शरणस्थल होगा!
किन्तु अभिमानी नगर को यहोवा ने झुकाया है
    और वहाँ के निवासियों को उसने दण्ड दियाहै।
यहोवा ने उस ऊँचे बसी नगरी को धरती पर गिराया।
    उसने इसे धूल में मिलाने गिराया है।
तब दीन और नम्र लोग नगरी के खण्डहरों को अपने पैर तले रौंदेंगे।

खरापन खरे लोगों के जीने का ढंग है।
    खरे लोग उस राह पर चलते हैं जो सीधी और सच्ची होती है।
परमेश्वर, तू उस राह को चलने के लिये सुखद व सरल बनाता है।
किन्तु हे परमेश्वर! हम तेरे न्याय के मार्ग की बाट जोह रहे हैं।
    हमारा मन तुझे और तेरे नाम को स्मरण करना चाहता है।
मेरा मन रात भर तेरे साथ रहना चाहता है और मेरे अन्दर की आत्मा हर नये दिन की प्रात:
    में तेरे साथ रहना चाहता है।
जब धरती पर तेरा न्याय आयेगा, लोग खरा जीवन जीना सीख जायेंगे।
10 यदि तुम केवल दुष्ट पर दया दिखाते रहो तो वह कभी भी अच्छे कर्म करना नहीं सीखेगा।
    दुष्ट जन चाहे भले लोगों के बीच में रहे लेकिन वह तब भी बुरे कर्म करता रहेगा।
वह दुष्ट कभी भी यहोवा की महानता नहीं देख पायेगा।
11 हे यहोवा तू उन्हें दण्ड देने को तत्पर है किन्तु वे इसे नहीं देखते।
    हे यहोवा तू अपने लोगों पर अपना असीम प्रेम दिखाता है जिसे देख दुष्ट जन लज्जित हो रहे हैं।
तेरे शत्रु अपने ही पापों की आग में जलकर भस्म होंगे।
12 हे यहोवा, हमको सफलता तेरे ही कारण मिली है।
    सो कृपा करके हमें शान्ति दे।

यहोवा अपने लोगों को नया जीवन देगा

13 हे यहोवा, तू हमारा परमेश्वर है
    किन्तु पहले हम पर दूसरे देवता राज करते थे।
हम दूसरे स्वामियों से जुड़े हुए थे
    किन्तु अब हम यह चाहते हैं कि लोग बस एक ही नाम याद करें वह है तेरा नाम।
14 अब वे पहले स्वामी जीवित नहीं हैं।
    वे भूत अब अपनी कब्रों से कभी भी नहीं उठेंगे।
तूने उन्हें नष्ट करने का निश्चय किया था
    और तूने उनकी याद तक को मिटा दिया।
15 हे यहोवा, तूने जाति को बढ़ाया।
    जाति को बढ़ाकर तूने महिमा पायी।
तूने प्रदेश की सीमाओं को बढ़ाया।
16 हे यहोवा, तुझे लोग दु:ख में याद करते हैं,
और जब तू उनको दण्ड दिया करता है
    तब लोग तेरी मूक प्रार्थनाएँ किया करते हैं।
17 हे यहोवा, हम तेरे कारण ऐसे होते हैं
    जैसे प्रसव पीड़ा को झेलती स्त्री हो
    जो बच्चे को जन्म देते समय रोती—बिलखती और पीड़ा भोगती है।
18 इसी तरह हम भी गर्भवान होकर पीड़ा भोगतेहैं।
    हम जन्म देते हैं किन्तु केवल वायु को।
हम संसार को नये लोग नहीं दे पाये।
    हम धरती परउद्धार को नहीं ला पाये।
19 यहोवा कहता है,
    मरे हुए तेरे लोग फिर से जी जायेंगे!
मेरे लोगों की देह मृत्यु से जी उठेगी।
    हे मरे हुए लोगों, हे धूल में मिले हुओं,
उठो और तुम प्रसन्न हो जाओ।
    वह ओस जो तुझको घेरे हुए है,
ऐसी है जैसे प्रकाश में चमकती हुई ओस।
    धरती उन्हें फिर जन्म देगी जो अभी मरे हुए हैं।

न्याय: पुरस्कार या दण्ड

20 हे मेरे लोगों, तुम अपने कोठरियों में जाओ।
    अपने द्वारों को बन्द करो
और थोड़े समय के लिये अपने कमरों में छिप जाओ।
    तब तक छिपे रहो जब तक परमेश्वर का क्रोध शांत नहीं होता।
21 यहोवा अपने स्थान को तजेगा
    और वह संसार के लोगों के पापों का न्याय करेगा।
उन लोगों के खून को धरती दिखायेगी जिनको मारा गया था।
    धरती मरे हुए लोगों को और अधिक ढके नहीं रहेगी।

27 उस समय, यहोवा लिब्यातान का न्याय करेगा जो एक दुष्ट सर्प है।
    हे यहोवा अपनी बड़ी तलवार,
अपनी सुदृढ़ और शक्तिशाली तलवार, कुंडली मारे सर्प लिब्यातान को मारने में उपयोग करेगा।
    यहोवा सागर के विशालकाय जीव को मार डालेगा।
उस समय, वहाँ खुशियों से भरा अंगूर का एक बाग होगा।
    तुम उसके गीत गाओ।
“मैं यहोवा, उस बाग का ध्यान रखूँगा।
    मैं बाग को उचित समय पर सीचूँगा।
मैं बगीचे की रात दिन रखवाली करुँगा ताकि कोई भी उस को हानि न पहुँचा पाये।
मैं कुपित नहीं होऊँगा।
यदि काँटे कँटेली मुझे वहाँ मिले तो मैं वैसे रौंदूगा
    जैसे सैनिक रौंदता चला जाता है और उनको फूँक डालूँगा।
लेकिन यदि कोई व्यक्ति मेरी शरण में आये
    और मुझसे मेल करना चाहे तो वह चला आये
    और मुझ से मेल कर ले।
आने वाले दिनों में याकूब (इस्राएल) के लोग उस पौधे के समान होंगे जिसकी जड़े उत्तम होती हैं।
    याकूब का विकास उस पनपते पौधे सा होगा जिस पर बहार आई हो।
    फिर धरती याकूब के वंशजों से भर जायेगी जैसे पेड़ों के फलों से वह भर जाती है।”

परमेश्वर इस्राएल को खोज निकालता है

यहोवा ने अपने लोगों को उतना दण्ड नहीं दिया है जितना उसने उनके शत्रुओं को दिया है। उसके लोग उतने नहीं मरे हैं जितने वे लोग मरे हैं जो इन लोगों को मारने के लिए प्रयत्नशील थे।

यहोवा इस्राएल को दूर भेज कर उसके साथ अपना विवाद सुलझा लेगा। यहोवा ने इस्राएल को उस तेज हवा के झोंके सा उड़ा दिया जो रेगिस्तान की गर्म लू के समान होता है।

याकूब का अपराध कैसे क्षमा किया जायेगा उसके पापों को कैसे दूर किया जाएगा ये बातें घटेंगी: वेदी की शिलाएँ चकनाचूर हो कर धूल में मिल जायेंगी; झूठे देवताओं के स्तम्भ और उनकी पूजा की वेदियाँ तहस—नहस कर दी जायेंगी।

10 यह सुरक्षित नगरी उजड़ गई है। सब लोग कहीं दूर भाग गए हैं। वह नगर एक खुली चरागाह जैसा हो गया है। जवान मवेशी यहाँ घास चर रहे हैं। मवेशी अँगूर की बेलों की शाखों से पत्तियाँ चर रहे हैं। 11 अँगूर की बेलें सूख रहीं है। शाखाएँ कट कर गिर रही हैं और स्त्रियाँ उन शाखाओं से धन का काम ले रही हैं।

लोग इसे समझ नहीं रहे हैं। इसीलिए उनका स्वामी परमेश्वर उन्हें चैन नहीं देगा। उनका रचयिता उनके प्रति दयालु नहीं होगा।

12 उस समय, यहोवा दूसरे लोगों से अपने लोगों को अलग करने लगेगा। परात नदी से वह इस कार्य का आरम्भ करेगा।

परात नदी से लेकर मिस्र की नदी तक यहोवा तुम इस्राएलियों को एक एक करके इकट्ठा करेगा। 13 अश्शूर में अभी मेरे बहुत से लोग खोये हुए हैं। मेरे कुछ लोग मिस्र को भाग गये हैं। किन्तु उस समय एक विशाल भेरी बजाई जायेगी और वे सभी लोग वापस यरूशलेम आजायेंगे और उस पवित्र पर्वत पर यहोवा के सामने वे सभी लोग झुक जायेंगे।

उत्तर इस्राएल को चेतावनी

28 शोमरोन को देखो!
    एप्रैम के मदमस्त लोग उस नगर पर गर्व करते हैं।
वह नगर पहाड़ी पर बसा है जिसके चारों तरफ एक सम्पन्न घाटी है।
    शोमरोन के वासी यह सोचा करते हैं कि उनका नगर फूलों के मुकुट सा है।
किन्तु वे दाखमधु से धुत्त हैं
    और यह “सुन्दर मुकुट” मुरझाये पौधे सा है।

देखो, मेरे स्वामी के पास एक व्यक्ति है जो सुदृढ़ और वीर है।
    वह व्यक्ति इस देश में इस प्रकार आयेगा जैसे ओलों और वर्षा का तूफान आता है।
वह देश में इस प्रकार आयेगा जैसे बाढ़ आया करती है।
    वह शोमरोन के मुकुट को धरती पर उतार फेंकेगा।
नशे में धुत्त एप्रैम के लोग अपने “सुन्दर मुकुट” पर गर्व करते हैं किन्तु वह नगरी पाँव तले रौंदी जायेगी। वह नगर पहाड़ी पर बसा है जिस के चारों तरफ एक सम्पन्न घाटी है किन्तु वह “फूलों का सुन्दर मुकुट” बस एक मुरझाता हुआ पौधा है।
    वह नगर गर्मी में अंजीर के पहले फल के समान होगा।
जब कोई उस पहली अंजीर को देखता है तो जल्दी से तोड़कर उसे चट कर जाता है।

उस समय, सर्वशक्तिमान यहोवा “सुन्दर मुकुट” बनेगा। वह उन बचे हुए अपने लोगों के लिये “फूलों का शानदार मुकुट” होगा। फिर यहोवा उन न्यायाधीशों को बुद्धि प्रदान करेगा जो उसके अपने लोगों का शासन करते हैं। नगर द्वारों पर युद्धों में लोगों को यहोवा शक्ति देगा। किन्तु अभी वे मुखिया लोग मदमत्त हैं। याजक और नबी सभी दाखमधु और सुरा से धुत्त हैं। वे लड़खड़ाते हैं और नीचे गिर पड़ते हैं। नबी जब अपने सपने देखते हैं तब वे पिये हुए होते हैं। न्यायाधीश जब न्याय करते हैं तो वे नशे में डूबे हुए होते हैं। हर खाने की मेज उल्टी से भरी हुई है। कहीं भी कोई स्वच्छ स्थान नहीं रहा है।

परमेश्वर अपने लोगों की सहायता करना चाहता है

वे कहा करते हैं, यह व्यक्ति कौन है यह किसे शिक्षा देने की कोशिश कर रहा है वह अपने सन्देश किसे समझा रहा है क्या उन बच्चों को जिनका अभी—अभी दूध छुड़ाया गया है क्या उन बच्चों को जिन्हें अभी—अभी अपनी माताओं की छाती से दूर किया गया है 10 इसीलिए यहोवा उन से इस प्रकार बोलता है जैसे वे दूध मुँहे बच्चे हों।

सौ लासौ सौ लासौ
काव लाकाव काव लाकाव
ज़ेईर शाम ज़ेईर शाम।[a]

11 फिर यहोवा उन लोगों से बात करेगा उसके होंठ काँपते हुए होंगे और वह उन लोगों से बातें करने में दूसरी विचित्र भाषा का प्रयोग करेगा।

12 यहोवा ने पहले उन लोगों से कहा था, “यहाँ विश्राम का एक स्थान है। थके मांदे लोगों को यहाँ आने दो और विश्राम पाने दो। यह शांति का ठौर है।” किन्तु लोगों ने परमेश्वर की सुननी नहीं चाही। 13 सो परमेश्वर के वचन किसी विचित्र भाषा के जैसे हो जाएँगे।

“सौ लासौ सौ लासौ
काव लाकाव काव लाकाव
ज़ेईर शाम ज़ेईर शाम।”

सो लोग जब चलेंगे तो पीछे की ओर लुढ़क जाएँगे और जख्मी होंगे। लोगों को फँसा लिया जाएगा और वे पकड़े जाएँगे।

परमेश्वर के न्याय से कोई नहीं बच सकता

14 हे, यरूशलेम के आज्ञा नहीं माननेवाले अभिमानी मुखियाओं, तुम यहोवा का सन्देश सुनो। 15 तुम लोग कहते हो, “हमने मृत्यु के साथ एक वाचा किया है। शेओल (मृत्यु का प्रदेश) के साथ हमारा एक अनुबन्ध है। इसलिए हम दण्डित नहीं होंगे। दण्ड हमें हानि पहुँचाये बिना हमारे पास से निकल जायेगा। अपनी चालाकियों और अपनी झूठों के पीछे हम छिप जायेंगे।”

16 इन बातों के कारण मेरा स्वामी यहोवा कहता है: “मैं एक पत्थर—एक कोने का पत्थर—सिय्योन में धरती पर गाड़ूँगा। यह एक अत्यन्त मूल्यवान पत्थर होगा। इस अति महत्त्वपूर्ण पत्थर पर ही हर किसी वस्तु का निर्माण होगा। जिसमें विश्वास होगा, वह कभी घबराएगा नहीं।

17 “लोग दीवार की सीध देखने के लिये जैसे सूत डाल कर देखते हैं, वैसे ही मैं जो उचित है उसके लिए न्याय और खरेपन का प्रयोग करुँगा। तुम दुष्ट लोग अपनी झूठों और चालाकियों के पीछे अपने को छुपाने का जतन कर रहे हो, किन्तु तुम्हें दण्ड दिया जायेगा। यह दण्ड ऐसा ही होगा जैसे तुम्हारे छिपने के स्थानों को नष्ट करने के लिए कोई तूफान या कोई बाढ़ आ रही हो। 18 मृत्यु के साथ तुम्हारे वाचा को मिटा दिया जायेगा। अधोलोक के साथ हुआ तुम्हारा सन्धि भी तुम्हारी सहायता नहीं करेगा।

“जब भयानक दण्ड तुम पर पड़ेगा तो तुम कुचले जाओगे। 19 वह हर बार जब आएगा तुम्हें वहाँ ले जाएगा। तुम्हारा दण्ड भयानक होगा। तुम्हें सुबह दर सुबह और दिन रात दण्ड मिलेगा।

“तब तुम इस कहानी को समझोगे: 20 कोई पुरुष एक ऐसे बिस्तर पर सोने का जतन कर रहा था जो उसके लिये बहुत छोटा था। उसके पास एक कंबल था जो इतना चौड़ा नहीं था कि उसे ढक ले। सो वह बिस्तर और वह कम्बल उसके लिए व्यर्थ रहे और देखो तुम्हारा वाचा भी तुम्हारे लिये ऐसा ही रहेगा।”

21 यहोवा वैसे ही युद्ध करेगा जैसे उसने पराजीम नाम के पहाड़ पर किया था। यहोवा वैसे ही कुपित होगा जैसे वह गिबोन की घाटी में हुआ था। तब यहोवा उन कामों को करेगा जो उसे निश्चय ही करने हैं। यहोवा कुछ विचित्र काम करेगा। किन्तु वह अपने काम को पूरा कर देगा। उसका काम किसी एक अजनबी का काम है। 22 अब तुम्हें इन बातों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। यदि तुम ऐसा करोगे तो तुम्हारे बन्धन की रस्सियाँ और अधिक कस जायेंगी। सर्वशक्तिमान यहोवा ने इस समूचे प्रदेश को नष्ट करने की ठान ली है।

जो शब्द मैंने सुने थे, अटल हैं। सो वे बातें अवश्य घटित होंगी।

यहोवा खरा दण्ड देता है

23 जो सन्देश मैं तुम्हें सुना रहा हूँ, उसे ध्यान से सुनो। 24 क्या कोई किसान अपने खेत को हर समय जोतता रहता है नहीं! क्या वह माटी को हर समय संवारता रहता है नहीं! 25 किसान अपनी धरती को तैयार करता है, और फिर उसमें बीज अलग अलग डालता है। किसान अलग—अलग बीजों की रुपाई, ढंग से करता है। किसान सौंफ के बीज बिखेरता है। किसान अपने खेत पर जीरे के बीज बिखेरता है और एक किसान कठिये गेंहूँ को बोता है। एक किसान खास स्थान पर जौ लगाता है। एक किसान कठिये गेंहूँ के बीजों को खेत की मेंड़ पर लगाता है।

26 उसका परमेश्वर उसको शिक्षा देता है और अच्छे प्रकार से उसे निर्देश देता है। 27 क्या कोई किसान तेज़ दाँतदार तख़्तों का प्रयोग सौंफ के दानों को गहाने के लिये करता है नहीं! क्या कोई किसान जीरे को गहाने के लिए किसी छकड़े का प्रयोग करता है नहीं! एक किसान इन मसालों के बीजों के छिलके उतारने के लिये एक छोटे से डण्डे का प्रयोग ही करता है। 28 रोटी के लिए अनाज को पीसा जाता है, पर लोग उसे सदा पीसते ही तो नहीं रहते। अनाज को दलने के लिए कोई घोड़ों से जुती गाड़ी का पहिया अनाज पर फिरा सकता है किन्तु वह अनाज को पीस—पीस कर एक दम मैदा जैसा तो नहीं बना देता। 29 सर्वशक्तिमान यहोवा से यह पाठ मिलता है। यहोवा अद्भुत सलाह देता है। यहोवा सचमुच बहुत बुद्धिमान है।

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