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Bible in 90 Days

An intensive Bible reading plan that walks through the entire Bible in 90 days.
Duration: 88 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
यशायाह 52:13-66:18

परमेश्वर का कष्ट सहता सेवक

13 “मेरे सेवक की ओर देखो। यह बहुत सफल होगा। यह बहुत महत्त्वपूर्ण होगा। आगे चल कर लोग उसे आदर देंगे और उसका सम्मान करेंगे।” 14 “किन्तु बहुत से लोगों ने जब मेरे सेवक को देखा तो वे भौंचक्के रह गये। मेरा सेवक इतनी बुरी तरह से सताया हुआ था कि वे उसे एक मनुष्य के रूप में बड़ी कठिनता से पहचान पाये। 15 किन्तु और भी बड़ी संख्या में लोग उसे देख कर चकित होंगे। राजा उसे देखकर आश्चर्य में पड़ जायेंगे और एक शब्द भी नहीं बोल पायेंगे। मेरे सेवक के बारे में उन लोगों ने वह कहानी बस सुनी ही नहीं है, जो कुछ हुआ था, बल्कि उन्होंने तो उसे देखा था। उन लोगों ने उस कहानी को सुना भर नहीं था, बल्कि उसे समझा था।”

53 हमने जो बातें बतायी थी; उनका सचमुच किसने विश्वास किया यहोवा के दण्ड को सचमुच किसने स्वीकारा

यहोवा के सामने एक छोटे पौधे की तरह उसकी बढ़वार हुई। वह एक ऐसी जड़ के समान था जो सूखी धरती में फूट रही थी। वह कोई विशेष, नहीं दिखाई देता था। न ही उसकी कोई विशेष महिमा थी। यदि हम उसको देखते तो हमें उसमें कोई ऐसी विशेष बात नहीं दिखाई देती, जिससे हम उसको चाह सकते। उस से घृणा की गई थी और उसके मित्रों ने उसे छोड़ दिया था। वह एक ऐसा व्यक्ति था जो पीड़ा को जानता था। वह बीमारी को बहुत अच्छी तरह पहचानता था। लोग उसे इतना भी आदर नहीं देते थे कि उसे देख तो लें। हम तो उस पर ध्यान तक नहीं देते थे।

किन्तु उसने हमारे पाप अपने ऊपर ले लिए। उसने हमारी पीड़ा को हमसे ले लिया और हम यही सोचते रहे कि परमेश्वर उसे दण्ड दे रहा है। हमने सोचा परमेश्वर उस पर उसके कर्मों के लिये मार लगा रहा है। किन्तु वह तो उन बुरे कामों के लिये बेधा जा रहा था, जो हमने किये थे। वह हमारे अपराधों के लिए कुचला जा रहा था। जो कर्ज़ हमें चुकाना था, यानी हमारा दण्ड था, उसे वह चुका रहा था। उसकी यातनाओं के बदले में हम चंगे (क्षमा) किये गये थे। किन्तु उसके इतना करने के बाद भी हम सब भेड़ों की तरह इधर—उधर भटक गये। हममें से हर एक अपनी—अपनी राह चला गया। यहोवा द्वारा हमें हमारे अपराधों से मुक्त कर दिये जाने के बाद और हमारे अपराध को अपने सेवक से जोड़ देने पर भी हमने ऐसा किया।

उसे सताया गया और दण्डित किया गया। किन्तु उसने उसके विरोध में अपना मुँह नहीं खोला। वह वध के लिये ले जायी जाती हुई भेड़ के समान चुप रहा। वह उस मेमने के समान चुप रहा जिसका ऊन उतारा जा रहा हो। अपना बचाव करने के लिये उसने कभी अपना मुँह नहीं खोला। लोगों ने उस पर बल प्रयोग किया और उसे ले गये। उसके साथ खेरपन से न्याय नहीं किया गया। उसके भावी परिवार के प्रति कोई कुछ नहीं कह सकता क्योंकि सजीव लोगों की धरती से उसे उठा लिया गया। मेरे लोगों के पापों का भुगतान करने के लिये उसे दण्ड दिया गया था। उसकी मृत्यु हो गयी और दुष्ट लोगों के साथ उसे गाड़ा गया। धनवान लोगों के बीच उसे दफ़नाया गया। उसने कभी कोई हिंसा नहीं की। उसने कभी झूठ नहीं बोला किन्तु फिर भी उसके साथ ऐसी बातें घटीं।

10 यहोवा ने उसे कुचल डालने का निश्चय किया। यहोवा ने निश्चय किया कि वह यातनाएँ झेले। सो सेवक ने अपना प्राण त्यागने को खुद को सौंप दिया। किन्तु वह एक नया जीवन अनन्त—अनन्त काल तक के लिये पायेगा। वह अपने लोगों को देखेगा। यहोवा उससे जो करना चाहता है, वह उन बातों को पूरा करेगा। 11 वह अपनी आत्मा में बहुत सी पीड़ाएँ झेलेगा किन्तु वह घटने वाली अच्छी बातों को देखेगा। वह जिन बातों का ज्ञान प्राप्त करता है, उनसे संतुष्ट होगा।

मेरा वह उत्तम सेवक बहुत से लोगों को उनके अपराधों से छुटकारा दिलाएगा। वह उनके पापों को अपने सिर ले लेगा। 12 इसलिए मैं उसे बहुतों के साथ पुरस्कार का सहभागी बनाऊँगा। वह इस पुरस्कार को विजेताओं के साथ ग्रहण करेगा। क्यों क्योंकि उसने अपना जीवन दूसरों के लिए दे दिया। उसने अपने आपको अपराधियों के बीच गिना जाने दिया। जबकि उसने वास्तव में बहुतेरों के पापों को दूर किया और अब वह पापियों के लिए प्रार्थना करता है।

परमेश्वर अपने लोगों को वापस लाता है

54 हे स्त्री, तू प्रसन्न से हो जा!
तूने बच्चों को जन्म नहीं दिया किन्तु फिर भी
    तुझे अति प्रसन्न होना है।

यहोवा ने कहा, “जो स्त्री अकेली है,
    उसकी बहुत सन्तानें होंगी निस्बत उस स्त्री के जिस के पास उसका पति है।”

“अपने तम्बू विस्तृत कर,
    अपने द्वार पूरे खोल।
    अपने तम्बू को बढ़ने से मत रोक।
अपने रस्सियाँ बढ़ा और खूंटे मजबूत कर।
    क्यों क्योंकि तू अपनी वंश—बेल दायें और बायें फैलायेगी।
तेरी सन्तानें अनेकानेक राष्ट्रों की धरती को ले लेंगी
    और वे सन्तानें उन नगरों में फिर बसेंगी जो बर्बाद हुए थे।
तू भयभीत मत हो, तू लज्जित नहीं होगी।
    अपना मन मत हार क्योंकि तुझे अपमानित नहीं होना होगा।
जब तू जवान थी, तू लज्जित हुई थी किन्तु उस लज्जा को अब तू भूलेगी।
    अब तुझको वो लाज नहीं याद रखनी हैं तूने जिसे उस काल में भोगा था जब तूने अपना पति खोया था।
क्यों क्योंकि तेरा पति वही था जिसने तुझको रचा था।
    उसका नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है।
वही इस्राएल की रक्षा करता है, वही इस्राएल का पवित्र है और वही समूची धरती का परमेश्वर कहलाता है!

“तू एक ऐसी स्त्री के जैसी थी जिसको उसके ही पति ने त्याग दिया था।
    तेरा मन बहुत भारी था किन्तु तुझे यहोवा ने अपना बनाने के लिये बुला लिया।
तू उस स्त्री के समान है जिसका बचपन में ही ब्याह हुआ और जिसे उसके पति ने त्याग दिया है।
    किन्तु परमेश्वर ने तुम्हें अपना बनाने के लिये बुला लिया है।”
तेरा परमेश्वर कहता है, “मैंने तुझे थोड़े समय के लिये त्यागा था।
    किन्तु अब मैं तुझे फिर से अपने पास आऊँगा और अपनी महा करूणा तुझ पर दर्शाऊँगा।
मैं बहुत कुपित हुआ
    और थोड़े से समय के लिये तुझसे छुप गया किन्तु अपनी महाकरूणा से मैं तुझको सदा चैन दूँगा।”
तेरे उद्धारकर्ता यहोवा ने यह कहा है।

परमेश्वर कहता है, “यह ठीक वैसा ही है जैसे नूह के काल में मैंने बाढ़ के द्वारा दुनियाँ को दण्ड दिया था।
    मैंने नूह को वरदान दिया कि फिर से मैं दुनियाँ पर बाढ़ नहीं लाऊँगा।
उसी तरह तुझको, मैं वह वचन देता हूँ, मैं तुझसे कुपित नहीं होऊँगा
    और तुझसे फिर कठोर वचन नहीं बोलूँगा।”

10 यहोवा कहता है, “चाहे पर्वत लुप्त हो जाये
    और ये पहाड़ियाँ रेत में बदल जायें
किन्तु मेरी करूणा तुझे कभी भी नहीं त्यागेगी।
    मैं तुझसे मेल करूँगा और उस मेल का कभी अन्त न होगा।”
    यहोवा तुझ पर करूणा दिखाता है
और उस यहोवा ने ही ये बातें बतायी हैं।

11 “हे नगरी, हे दुखियारी!
    तुझको तुफानों ने सताया है
और किसी ने तुझको चैन नहीं दिया है।
    मैं तेरा मूल्यवान पत्थरों से फिर से निर्माण करूँगा।
मैं तेरी नींव फिरोजें और नीलम से धरूँगा।
12 मैं तेरी दीवारें चुनने में माणिक को लगाऊँगा।
    तेरे द्वारों पर मैं दमकते हुए रत्नों को जड़ूँगा।
    तेरी सभी दीवारें मैं मूल्यवान पत्थरों से उठाऊँगा।
13 तेरी सन्तानें यहोवा द्वारा शिक्षित होंगी।
    तेरी सन्तानों की सम्पन्नता महान होगी।
14 मैं तेरा निर्माण खरेपन से करूँगा ताकि तू दमन और अन्याय से दूर रहे।
    फिर कुछ नहीं होगा जिससे तू डरेगी।
तुझे हानि पहुँचाने कोई भी नहीं आयेगा।
15 मेरी कोई भी सेना तुझसे कभी युद्ध नहीं करेगी
    और यदि कोई सेना तुझ पर चढ़ बैठने का प्रयत्न करे तो तू उस सेना को पराजित कर देगा।

16 “देखो, मैंने लुहार को बनाया है। वह लोहे को तपाने के लिए धौंकनी धौंकता है। फिर वह तपे लोहे से जैसे चाहता है, वैसे औजार बना लेता है। उसी प्रकार मैंने ‘विनाशकर्त्ता’ को बनाया है जो वस्तुओं को नष्ट करता है।

17 “तुझे हराने के लिए लोग हथियार बनायेंगे किन्तु वे हथियार तुझे कभी हरा नहीं पायेंगे। कुछ लोग तेरे विरोध में बोलेंगे। किन्तु हर ऐसे व्यक्ति को बुरा प्रमाणित किया जायेगा जो तेरे विरोध में बोलेगा।”

यहोवा कहता है, “यहोवा के सेवकों को क्या मिलता है उन्हें न्यायिक विजय मिलती है। यह उन्हें मुझसे मिलती हैं।”

परमेश्वर ऐसा भोजन देता है जिससे सच्ची तृप्ति मिलती है

55 “हे प्यासे लोगों, जल के पास आओ।
    यदि तुम्हारे पास धन हीं है तो इसकी चिन्ता मत करो।
आओ, खाना लो और खाओ।
    आओ, भोजन लो।
तुम्हें इसकी कीमत देने की आवश्यकता नहीं है।
    बिना किसी कीमत के दूध और दाखमधु लो।
व्यर्थ ही अपना धन ऐसी किसीवस्तु पर क्यों बर्बाद करते हो जो सच्चा भोजन नहीं है
    ऐसी किसी वस्तु के लिये क्यों श्रम करते हो जो सचमुच में तुम्हें तृप्त नहीं करती
मेरी बात ध्यान से सुनो। तुम सच्चा भोजन पाओगे।
    तुम उस भोजन का आनन्द लोगे। जिससे तुम्हारा मन तृप्त हो जायेगा।
जो कुछ मैं कहता हूँ, ध्यान से सुनो।
    मुझ पर ध्यान दो कि तुम्हारा प्राण सजीव हो।
तुम मेरे पास आओ और मैं तुम्हारे साथ एक वाचा करूँगा जो सदा—सदा के लिये बना रहेगा।
    यह वाचा वैसी ही होगी जैसी वाचा दाऊद के संग मैंने की थी।
मैंने दाऊद को वचन दिया था कि मैं उस पर सदा करूणा करूँगा
    और तुम उस वाचा के भरोसे रह सकते हो।
मैंने अपनी उस शक्ति का दाऊद को साक्षी बनाया था जो सभी राष्ट्रों के लिये थी।
    मैंने दाऊद का बहुत देशों का प्रशासक और उनका सेनापति बनाया था।”

अनेक अज्ञात देशों में अनेक अनजानी जातियाँ हैं।
    तू उन सभी जातियों को बुलायेगा, जो जातियाँ तुझ से अपरिचित हैं
किन्तु वे भागकर तेरे पास आयेंगी। ऐसा घटेगा क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा ऐसा ही चाहता है।
    ऐसा घटेगा क्योंकि वह इस्राएल का पवित्र तुझको मान देता है।
सो तुम यहोवा को खोजो।
    कहीं बहुत देर न हो जाये।
अब तुम उसको पुकार लो जब तक वह तुम्हारे पास है।
हे पापियों! अपने पापपूर्ण जीवन को त्यागो।
    तुमको चाहिये कि तुम बुरी बातें सोचना त्याग दो।
तुमको चाहिये कि तुम यहोवा के पास लौट आओ।
    जब तुम ऐसा करोगे तो यहोवा तुम्हें सुख देगा।
उन सभी को चाहिये कि वे यहोवा की शरण में आयें क्योंकि परमेश्वर हमें क्षमा करता है।

लोग परमेश्वर को नहीं समझ पायेंगे

यहोवा कहता है, “तुम्हारे विचार वैसे नहीं, जैसे मेरे हैं।
    तुम्हारी राहें वैसी नहीं जैसी मेरी राहें हैं।
जैसे धरती से ऊँचे स्वर्ग हैं वैसे ही तुम्हारी राहों से मेरी राहें ऊँची हैं
    और मेरे विचार तुम्हारे विचारों से ऊँचे हैं।”
ये बातें स्वयं यहोवा ने ही कहीं हैं।

10 “आकाश से वर्षा और हिम गिरा करते हैं
    और वे फिर वहीं नहीं लौट जाते जब तक वे धरती को नहीं छू लेते हैं
    और धरती को गीला नहीं कर देते हैं।
फिर धरती पौधों को अंकुरित करती है
    और उनको बढ़ाती है और वे पौधे किसानों के लिये बीज को उपजाते हैं
    और लोग उन बीजों से खाने के लिये रोटियाँ बनाते हैं।
11 ऐसे ही मेरे मुख में से मेरे शब्द निकलते हैं
    और जब तक घटनाओं को घटा नहीं लेते, वे वापस नहीं आते हैं।
मेरे शब्द ऐसी घटनाओं को घटाते हैं जिन्हें मैं घटवाना चाहता हूँ।
मेरे शब्द वे सभी बातें पूरी करा लेते हैं जिनको करवाने को मैं उनको भेजता हूँ।

12 “जब तुम्हें आनन्द से भरकर शांति और एकता के साथ में उस धरती से छुड़ाकर ले जाया जा रहा होगा जिसमें तुम बन्दी थे, तो तुम्हारे सामने खुशी में पहाड़ फट पड़ेंगे और थिरकने लगेंगे।
    पहाड़ियाँ नृत्य में फूट पड़ेंगी।
तुम्हारे सामने जंगल के सभी पेड़ ऐसे हिलने लगेंगे जैसे तालियाँ पीट रहे हो।
13 जहाँ कंटीली झाड़ियाँ उगा करती हैं वहाँ देवदार के विशाल वृक्ष उगेंगे।
    जहाँ खरपतवार उगा करते थे, वहाँ हिना के पेड़ उगेंगे।
ये बातें उस यहोवा को प्रसिद्ध करेंगी।
ये बातें प्रमाणित करेंगी कि यहोवा शक्तिपूर्णहै।
    यह प्रमाण कभी नष्ट नहीं होगा।”

सभी जातियाँ यहोवा का अनुसरण करेंगी

56 यहोवा ने यें बातें कही थीं, “सब लोगों के साथ वही काम करो जो न्यायपूर्ण हों! क्यों क्योंकि मेरा उद्धार शीघ्र ही तुम्हारे पास आने को है। सारे संसार में मेरा छुटकारा शीघ्र ही प्रकट होगा।”

ऐसा व्यक्ति जो सब्त के दिन—सम्बन्धी परमेश्वर के नियम का पालन करता है, धन्य होगा और वह वक्ति जो बुरा नहीं करेगा, प्रसन्न रहेगा। कुछ ऐसे लोग जो यहूदी नहीं हैं, अपने को यहोवा से जोड़ेंगे। ऐसे व्यक्तियों को यह नहीं कहना चाहिये: “यहोवा अपने लोगों में मुझे स्वीकार नहीं करेगा।” किसी हिजड़े को यह नहीं कहना चाहिये: “मैं लकड़ी का एक सूखा टुकड़ा हूँ। मैं किसी बच्चे को जन्म नहीं दे सकता।”

इन हिजड़ों को एसी बातें नहीं कहनी चाहिये क्योंकि यहोवा ने कहा है “इनमें से कुछ हिजड़े सब्त के नियमों का पालन करते हैं और जो मैं चाहता हूँ, वे वैसा ही करना चाहते हैं। वे सच्चे मन से मेरी वाचा का पालन करते हैं। इसलिये मैं अपने मन्दिर में उनके लिए यादगार का एक पत्थर लगाऊँगा। मेरे नगर में उनका नाम याद किया जायेगा। हाँ! मैं उन्हें पुत्र—पुत्रियों से भी कुछ अच्छा दूँगा। उन हिजड़ों को मैं एक नाम दूँगा जो सदा—सदा बना रहेगा। मेरे लोगों से वे काट कर अलग नहीं किये जायेंगे।”

“कुछ ऐसे लोग जो यहूदी नहीं हैं, अपने आपको यहोवा से जोड़ेंगे। वे ऐसा इसलिये करेंगे कि यहोवा की सेवा और यहोवा के नाम को प्रेम कर पायें। यहोवा के सेवक बनने के लिये वे स्वयं को उससे जोड़ लेंगे। वे सब्त के दिन को उपासना के एक विशेष दिन के रूप में माना करेंगे और वे मेरी वाचा (विधान) का गम्भीरता से पालन करेंगे। मैं उन लोगों को अपने पवित्र पर्वत पर लाऊँगा। अपने प्रार्थना भवन में मैं उन्हें आनन्द से भर दूँगा। वे जो भेंट और बलियाँ मुझे अर्पित करेंगे, मैं उनसे प्रसन्न होऊँगा। क्यों क्योंकि मेरा मन्दिर सभी जातियों का प्रार्थना का गृह कहलायेगा।” परमेश्वर ने इस्राएल के देश निकाला दिये इस्राएलियों को परस्पर इकट्ठा किया।

मेरा स्वामी यहोवा जिसने यह किया, कहता है, “मैंने जिन लोगों को एक साथ इकट्ठा किया, उन लोगों के समूह में दूसरे लोगों को भी इकट्ठा करूँगा।”

हे वन के पशुओं!
    तुम सभी खाने पर आओ।
10 ये धर्म के रखवाले (नबी) सभी नेत्रहीन हैं।
    उनको पता नहीं कि वे क्या कर रहे हैं।
वे उस गूँगे कुत्ते के समान हैं
    जो नहीं जानता कि कैसे भौंका जाता है वे धरती पर लोटते हैं
    और सो जाते हैं। हाय!
उनको नींद प्यारी है।
11 वे लोग ऐसे हैं जैसे भूखें कुत्ते हों।
    जिनको कभी भी तृप्ति नहीं होती।
वे ऐसे चरवाहे हैं जिनको पता तक नहीं कि वे क्या कर रहे हैं
    वे उस की अपनी उन भेड़ों से हैं जो अपने रास्ते से भटक कर कहीं खो गयी।
वे लालची हैं उनको तो बस अपना पेट भरना भाता है।
12 वे कहा करते हैं,
    “आओ थोड़ी दाखमधु ले
    और उसे पीयें यव सुरा भरपेट पियें।
हम कल भी यही करेंगे,
    कल थोड़ी और अधिक पियेंगे।”

इस्राएल परमेश्वर की नहीं मानता है

57 अच्छे लोग चले गये किन्तु
    इस पर तो ध्यान किसी ने नहीं दिया।
लोग समझते नहीं हैं कि क्या कुछ घट रहा है।
    भले लोग एकत्र किये गये।

लोग समझते नहीं कि विपत्तियाँ आ रही हैं।
    उन्हें पता तक नहीं हैं कि भले लोग रक्षा के लिये एकत्र किये गये।
किन्तु शान्ति आयेगी
    और लोग आराम से अपने बिस्तरों में सोयेंगे और लोग उसी तरह जीयेंगे जैसे परमेश्वर उनसे चाहता है।

“हे चुड़ैलों के बच्चों, इधर आओ।
    तुम्हारा पिता व्यभिचार का पापी है।
    तुम्हारी माता अपनी देह यौन व्यापार में बेचा करती है।
इधर आओ!
हे विद्रोहियों और झूठी सन्तानों,
    तुम मेरी हँसी उड़ाते हो।
मुझ पर अपना मुँह चिढ़ाते हो।
    तुम मुझ पर जीभ निकालते हो।
तुम सभी लोग हरे पेड़ों के तले झूठे देवताओं के कारण
    कामातुर होते हो।
हर नदी के तीर पर तुम बाल वध करते हो
    और चट्टानी जगहों पर उनकी बलि देते हो।
नदी की गोल बट्टियों को तुम पूजना चाहते हो।
    तुम उन पर दाखमधु उनकी पूजा के लिये चढ़ाते हो।
तुम उन पर बलियों को चढ़ाया करते हो किन्तु तुम उनके बदले बस पत्थर ही पाते हो।
    क्या तुम यह सोचते हो कि मैं इससे प्रसन्न होता हूँ नहीं! यह मुझको प्रसन्न नहीं करता है।
तुम हर किसी पहाड़ी और हर ऊँचे पर्वत पर अपना बिछौना बनाते हो।
तुम उन ऊँची जगहों पर जाया करते हो
    और तुम वहाँ बलियाँ चढ़ाते हो।
और फिर तुम उन बिछौने के बीच जाते हो
    और मेरे विरूद्ध तुम पाप करते हो।
उन देवों से तुम प्रेम करते हो।
    वे देवता तुमको भाते हैं।
तुम मेरे साथ में थे किन्तु उनके साथ होने के लिये तुमने मुझको त्याग दिया।
    उन सभी बातों पर तुमने परदा डाल दिया जो तुम्हें मेरी याद दिलाती हैं।
तुमने उनको द्वारों के पीछे और द्वार की चौखटों के पीछे छिपाया
    और तुम उन झूठे देवताओं के पास उन के संग वाचा करने को जाते हो।
तुम अपना तेल और फुलेल लगाते हो
    ताकि तुम अपने झूठे देवता मोलक के सामने अच्छे दिखो।
तुमने अपने दूत दूर—दूर देशों को भेजे हैं
    और इससे ही तुम नरक में, मृत्यु के देश में गिरोगे।
10 इन बातों को करने में तूने परिश्रम किया है।
    फिर भी तू कभी भी नहीं थका।
तुझे नई शक्ति मिलती रही
    क्योंकि इन बातों में तूने रस लिया।
11 तूने मुझको कभी नहीं याद
    किया यहाँ तक कि तूने मुझ पर ध्यान तक नहीं दिया!
सो तू किसके विषय में चिन्तित रहा करता था
    तू किससे भयभीत रहता था
तू झूठ क्यों कहता था
    देख मैं बहुत दिनों से चुप रहता आया हूँ
और फिर भी तूने मेरा आदर नहीं किया।
12 तेरी ‘नेकी’ का मैं बखान कर सकता था और तेरे उन धार्मिक कर्मों का जिनको तू करता है, बखान कर सकता था।
    किन्तु वे बातें अर्थहीन और व्यर्थ हैं!
13 जब तुझको सहारा चाहिये तो तू उन झूठे देवों को जिन्हें तूने अपने चारों ओर जुटाया है,
    क्यों नहीं पुकारता है।
किन्तु मैं तुझको बताता हूँ कि उन सब को आँधी उड़ा देगी।
    हवा का एक झोंका उन्हें तुम से छीन ले जायेगा।
किन्तु वह व्यक्ति जो मेरे सहारे है, धरती को पायेगा।
    ऐसा ही व्यक्ति मेरे पवित्र पर्वत को पायेगा।”

यहोवा अपने भक्तों की रक्षा करेगा

14 रास्ता साफ कर! रास्ता साफ करो!
    मेरे लोगों के लिये राह को साफ करो!

15 वह जो ऊँचा है और जिसको ऊपर उठाया गया है,
    वह जो अमर है,
वह जिसका नाम पवित्र है,
    वह यह कहता है, “एक ऊँचे और पवित्र स्थान पर रहा करता हूँ,
किन्तु मैं उन लोगों के बीच भी रहता हूँ जो दु:खी और विनम्र हैं।
    ऐसे उन लोगों को मैं नया जीवन दूँगा जो मन से विनम्र हैं।
ऐसे उन लोगों को मैं नया जीवन दूँगा जो मन से विनम्र हैं।
    ऐसे उन लोगों को मैं नया जीवन दूँगा जो हृदय से दु:खी हैं।
16 मैं सदा—सदा ही मुकद्दमा लड़ता रहूँगा।
    सदा—सदा ही मैं तो क्रोधित नहीं रहूँगा।
यदि मैं कुपित ही रहूँ तो मनुष्य की आत्मा यानी वह जीवन जिसे मैंने उनको दिया है,
    मेरे सामने ही मर जायेगा।
17 उन्होंने लालच से हिंसा भरे स्वार्थ साधे थे और उसने मुझको क्रोधित कर दिया था।
    मैंने इस्राएल को दण्ड दिया।
मैंने उसे निकाल दिया क्योंकि मैं उस पर क्रोधित था और इस्राएल ने मुझको त्याग दिया।
    जहाँ कहीं इस्राएल चाहता था, चला गया।
18 मैंने इस्राएल की राहें देख ली थी।
    किन्तु मैं उसे क्षमा (चंगा) करूँगा।
मैं उसे चैन दूँगा और ऐसे वचन बोलूँगा जिस से उसको आराम मिले और मैं उसको राह दिखाऊँगा।
    फिर उसे और उसके लोगों को दु:ख नहीं छू पायेगा।
19 उन लोगों को मैं एक नया शब्द शान्ति सिखाऊँगा।
    मैं उन सभी लोगों को शान्ति दूँगा जो मेरे पास हैं और उन लोगों को जो मुझ से दूर हैं।
मैं उन सभी लोगों को चंगा (क्षमा) करूँगा!”
    ने ये सभी बातें बतायी थी।

20 किन्तु दुष्ट लोग क्रोधित सागर के जैसे होते हैं।
    वे चुप या शांत नहीं रह सकते।
वे क्रोधित रहते हैं और समुद्र की तरह कीचड़ उछालते रहते हैं।
मेरे परमेश्वर का कहना है: 21     “दुष्ट लोगों के लिए कहीं कोई शांति नहीं है।”

लोगों से कहो कि वे परमेश्वर का अनुसरण करें

58 जोर से पुकारो, जितना तुम पुकार सको! अपने को मत रोको!
    जोर से पुकारो जैसे नरसिंगा गरजता है!
लोगों को उनके बुरे कामों के बारे में जो उन्होंने किये हैं, बताओ!
    याकूब के घराने को उनके पापों के बारे में बताओ!
वे सभी प्रतिदिन मेरी उपासना को आते हैं
    और वे मेरी राहों को समझना चाहते हैं
वे ठीक वैसा ही आचरण करते हैं जैसे वे लोग किसी ऐसी जाति के हों जो वही करती है जो उचित होता है।
    जो अपने परमेश्वर का आदेश मानते हैं।
वे मुझसे चाहते हैं कि उनका न्याय निष्पक्ष हो।
    वे चाहते हैं कि परमेश्वर उनके पास रहे।

अब वे लोग कहते हैं, “तेरे प्रति आदर दिखाने के लिये हम भोजन करना बन्द कर देते हैं। तू हमारी ओर देखता क्यों नहीं तेरे प्रति आदर व्यक्त करने के लिये हम अपनी देह को क्षति पहुँचाते हैं। तू हमारी ओर ध्यान क्यों नहीं देता”

किन्तु यहोवा कहता है, “उपवास के उन दिनों में उपवास रखते हुए तुम्हें आनन्द आता है किन्तु उन्हीं दिनों तुम अपने दासों का खून चूसते हो। जब तुम उपवास करते हो तो भूख की वजह से लड़ते—झगड़ते हो और अपने दुष्ट मुक्कों से आपस में मारा—मारी करते हो। यदि तुम चाहते हो कि स्वर्ग में तुम्हारी आवाज सुनी जाये तो तुम्हें उपवास ऐसे नहीं रखना चाहिये जैसे तुम आज कल रखते हो। तुम क्या यह सोचते हो कि भोजन नहीं करने के उन विशेष दिनों में बस मैं लोगों को अपने शरीरों को दु:ख देते देखना चाहता हूँ क्या तुम ऐसा सोचते हो कि मैं लोगों को दु:खी देखना चाहता हूँ क्या तुम यह सोचते हो कि मैं लोगों को मुरझाये हुए पौधों के समान सिर लटकाये और शोक वस्त्र पहनते देखना चाहता हूँ क्या तुम यह सोचते हो कि मैं लोगों को अपना दु:ख प्रकट करने के लिये राख में बैठे देखना चाहता हूँ यही तो वह सब कुछ है जो तुम खाना न खाने के दिनों में करते हो। क्या तुम ऐसा सोचते हो कि यहोवा तुमसे बस यही चाहता है

“मैं तुम्हें बताऊँगा कि मुझे कैसा विशेष दिन चाहिये—एक ऐसा दिन जब लोगों को आज़ाद किया जाये। मुझे एक ऐसा दिन चाहिये जब तुम लोगों के बोझ को उन से दूर कर दो। मैं एक ऐसा दिन चाहता हूँ जब तुम दु:खी लोगों को आज़ाद कर दो। मुझे एक ऐसा दिन चाहिये जब तुम उनके कंधों से भार उतार दो। मैं चाहता हूँ कि तुम भूखे लोगों के साथ अपने खाने की वस्तुएँ बाँटो। मैं चाहता हूँ कि तुम ऐसे गरीब लोगों को ढूँढों जिनके पास घर नहीं है और मेरी इच्छा है कि तुम उन्हें अपने घरों में ले आओ। तुम जब किसी ऐसे व्यक्ति को देखो, जिसके पास कपड़े न हों तो उसे अपने कपड़े दे डालो। उन लोगों की सहायता से मुँह मत मोड़ो, जो तुम्हारे अपने हों।”

यदि तुम इन बातों को करोगे तो तुम्हारा प्रकाश प्रभात के प्रकाश के समान चमकने लगेगा। तुम्हारे जख्म भर जायेंगे। तुम्हारी “नेकी” (परमेश्वर) तुम्हारे आगे—आगे चलने लगोगी और यहोवा की महिमा तुम्हारे पीछे—पीछे चली आयेगी। तुम तब यहोवा को जब पुकारोगे, तो यहोवा तुम्हें उसका उत्तर देगा। जब तुम यहोवा को पुकारोगे तो वह कहेगा, “मैं यहाँ हूँ।”

तुम्हें लोगों का दमन करना और लोगों को दु:ख देना छोड़ देना चाहिये। तुम्हें लोगों से किसी बातों के लिये कड़वे शब्द बोलना और उन पर लांछन लगाना छोड़ देना चाहिये। 10 तुम्हें भूखों की भूख के लिये दु:ख का अनुभव करते हुए उन्हें भोजन देना चाहिये। दु:खी लोगों की सहायता करते हुए तुम्हें उनकी आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिये। जब तुम ऐसा करोगे तो अन्धेरे में तुम्हारी रोशनी चमक उठेगी और तुम्हें कोई दु:ख नहीं रह जायेगा। तुम ऐसे चमक उठोगे जैसे दोपहर के समय धूप चमकती है।

11 यहोवा सदा तुम्हारी अगुवाई करेगा। मरूस्थल में भी वह तेरे मन की प्यास बुझायेगा। यहोवा तेरी हड्डियों को मज़बूत बनायेगा। तू एक ऐसे बाग़ के समान होगा जिसमें पानी की बहुतायत है। तू एक ऐसे झरने के समान होगा जिसमें सदा पानी रहता है।

12 बहुत वर्षों पहले तुम्हारे नगर उजाड़ दिये गये थे। इन नगरों को तुम नये सिरे से फिर बसाओगे। इन नगरों का निर्माण तुम इनकी पुरानी नीवों पर करोगे। तुम टूटे परकोटे को बनाने वाले कहलाओगे और तुम मकानों और रास्तों को बहाल करने वाले कहलाओगे।

13 ऐसा उस समय होगा जब तू सब्त के बारे में परमेश्वर के नियमों के विरूद्ध पाप करना छोड़ देगा और ऐसा उस समय होगा जब तू उस विशेष दिन, स्वयं अपने आप को प्रसन्न करने के कामों को करना रोक देगा। सब्त के दिन को तुझे एक खुशी का दिन कहना चाहिये। यहोवा के इस विशेष दिन का तुझे आदर करना चाहिये। जिन बातों को तू हर दिन कहता और करता है, उनको न करते हुए तुझे उस विशेष दिन का आदर करना चाहिये।

14 तब तू यहोवा में प्रसन्नता प्राप्त करेगा, और मैं यहोवा धरती के ऊँचे—ऊँचे स्थानों पर “मैं तुझको ले जाऊँगा। मैं तेरा पेट भरूँगा। मैं तुझको ऐसी उन वस्तुओं को दूँगा जो तेरे पिता याकूब के पास हुआ करती थीं।” ये बातें यहोवा ने बतायी थीं!

दुष्ट लोगों को अपना जीवन बदलना चाहिये

59 देखो, तुम्हारी रक्षा के लिये यहोवा की शक्ति पर्याप्त है। जब तुम सहायता के लिये उसे पुकारते हो तो वह तुम्हारी सुन सकता है। किन्तु तुम्हारे पाप तुम्हें तुम्हारे परमेश्वर से अलग करते हैं और इसीलिए वह तुम्हारी तरफ से कान बन्द कर लेता है। तुम्हारे हाथ गन्दे हैं, वे खून से सने हुए हैं। तुम्हारी उँगलियाँ अपराधों से भरी हैं। अपने मुँह से तुम झूठ बोलते हो। तुम्हारी जीभ बुरी बातें करती है। दूसरे व्यक्ति के बारे में कोई व्यक्ति सच नहीं बोलता। लोग अदालत में एक दूसरे के खिलाफ़ मुकद्दमा करते हैं। अपने मुकद्दमे जीतने के लिये वे झूठे तकर् पर निर्भर करते हैं। वे एक दूसरे के बारे में परस्पर झूठ बोलते हैं। वे कष्ट को गर्भ में धारण करते हैं और बुराईयों को जन्म देते हैं। वे साँप के विष भरे अण्डों के समान बुराई को सेते हैं। यदि उनमें से तुम एक अण्डा भी खा लो तो तुम्हारी मृत्यु हो जाये और यदि तुम उनमें से किसी अण्डे को फोड़ दो तो एक ज़हरीला नाग बाहर निकल पड़े।

लोग झूठ बोलते हैं। यह झूठ मकड़ी के जालों जैसी कपड़े नहीं बन सकते। उन जालों से तुम अपने को ढक नहीं सकते।

कुछ लोग बदी करते हैं और अपने हाथों से दूसरों को हानि पहुँचाते हैं। ऐसे लोग अपने पैरों का प्रयोग बदी के पास पहुँचने के लिए करते हैं। ये लोग निर्दोष व्यक्तियों को मार डालने की जल्दी में रहते हैं। वे बुरे विचारों में पड़े रहते हैं। वे जहाँ भी जाते हैं विनाश और विध्वंस फैलाते हैं। ऐसे लोग शांति का मार्ग नहीं जानते। उनके जीवन में नेकी तो होती ही नहीं। उनके रास्ते ईमानदारी के नहीं होते। कोई भी व्यक्ति जो उनके जैसा जीवन जीता है, अपने जीवन में कभी शांति नहीं पायेगा।

इस्राएल के पापों से विपत्ति का आना

इसलिए परमेश्वर का न्याय और मुक्ति हमसे बहुत दूर है।
हम प्रकाश की बाट जोहते हैं।
    पर बस केवल अन्धकार फैला है।
हमको चमकते प्रकाश की आशा है
    किन्तु हम अन्धेरे में चल रहे हैं।
10 हम ऐसे लोग हैं जिनके पास आँखें नहीं है।
    नेत्रहीन लोगों के समान हम दीवारों को टटोलते चलते हैं।
हम ठोकर खाते हैं और गिर जाते हैं जैसे यह रात हो।
    दिन के प्रकाश में भी हम मुर्दों की भाँति गिर पड़ते हैं।
11 हम सब बहुत दु:खी हैं।
    हम सब ऐसे कराहते हैं जैसे कोई रीछ और कोई कपोत कराहता हैं।
हम ऐसे उस समय की बाट जोह रहे हैं जब लोग निष्पक्ष होंगे किन्तु अभी तक तो कहीं भी नेकी नहीं है।
    हम उद्धार की बाट जोह रहे हैं किन्तु उद्धार बहुत—बहुत दूर है।
12 क्यों क्योंकि हमने अपने परमेश्वर के विरोध में बहुत पाप किये हैं।
    हमारे पाप बताते हैं कि हम बहुत बुरे हैं।
हमें इसका पता है कि हम इन बुरे कर्मों को करने के अपराधी हैं।
13 हमने पाप किये थे और हमने अपने यहोवा से मुख मोड़ लिया था।
    यहोवा से हम विमुख हुए और उसे त्याग दिया। हमने बुरे कर्मों की योजना बनाई थी।
हमने ऐसी उन बातों की योजना बनाई थी जो हमारे परमेश्वर के विरोध में थी।
    हमने वे बातें सोची थी और दूसरों को सताने की योजना बनाई थी।
14 हमसे नेकी को पीछे ढकेला गया।
    निष्पक्षता दूर ही खड़ी रही।
गलियों में सत्य गिर पड़ा था
    मानों नगर में अच्छाई का प्रवेश नहीं हुआ।
15 सच्चाई चली गई और वे लोग लूटे गये जो भला करना चाहते थे।
    यहोवा ने ढूँढा था किन्तु कोई भी, कहीं भी अच्छाई न मिल पायी।
16 यहोवा ने खोज देखा किन्तु उसे कोई व्यक्ति नहीं मिला
    जो लोगों के साथ खड़ा हो और उनको सहारा दे।
इसलिये यहोवा ने स्वयं अपनी शक्ति का और स्वयं अपनी नेकी का प्रयोग किया
    और यहोवा ने लोगों को बचा लिया।
17 यहोवा ने नेकी का कवच पहना।
    यहोवा ने उद्धार का शिरस्त्राण धारण किया।
यहोवा ने दण्ड के बने वस्त्र पहने थे।
    यहोवा ने तीव्र भावनाओं का चोगा पहना था
18 यहोवा अपने शत्रु पर क्रोधित है सो यहोवा उन्हें ऐसा दण्ड देगा जैसा उन्हें मिलना चाहिये।
    यहोवा अपने शत्रुओं से कुपित है सो यहोवा सभी दूर—दूर के देशों के लोगों को दण्ड देगा।
यहोवा उन्हें वैसा दण्ड देगा जैसा उन्हें मिलना चाहिये।
19 फिर पश्चिम के लोग यहोवा के नाम को आदर देंगे
    और पूर्व के लोग यहोवा की महिमा से भय विस्मित हो जायेंगे।
यहोवा ऐसे ही शीघ्र आ जायेगा जैसे तीव्र नदी बहती हुई आ जाती है।
    यह उस तीव्र वायु वेग सा होगा जिसे यहोवा उस नदी को तूफान बहाने के लिये भेजता है।
20 फिर सिय्योन पर्वत पर एक उद्धार कर्ता आयेगा।
    वह याकूब के उन लोगों के पास आयेगा जिन्होंने पाप तो किये थे किन्तु जो परमेश्वर की ओर लौट आए थे।

21 यहोवा कहता है: “मैं उन लोगों के साथ एक वाचा करूँगा। मैं वचन देता हूँ मेरी आत्मा और मेरे शब्द जिन्हें मैं तेरे मुख में रख रहा हूँ तुझे कभी नहीं छोड़ेंगे। वे तेरी संतानों और तेरे बच्चों के बच्चों के साथ रहेंगे। वे आज तेरे साथ रहेंगे और सदा—सदा तेरे साथ रहेंगे।”

परमेश्वर आ रहा है

60 “हे यरूशलेम, हे मेरे प्रकाश, तू उठ जाग!
    तेरा प्रकाश (परमेश्वर) आ रहा है!
    यहोवा की महिमा तेरे ऊपर चमकेगी।
आज अन्धेरे ने सारा जग
    और उसके लोगों को ढक रखा है।
किन्तु यहोवा का तेज प्रकट होगा और तेरे ऊपर चमकेगा।
    उसका तेज तेरे ऊपर दिखाई देगा।
उस समय सभी देश तेरे प्रकाश (परमेश्वर) के पास आयेंगे।
    राजा तेरे भव्य तेज के पास आयेंगे।
अपने चारों ओर देख! देख, तेरे चारों ओर लोग इकट्ठे हो रहे हैं और तेरी शरण में आ रहे हैं।
    ये सभी लोग तेरे पुत्र हैं जो दूर अति दूर से आ रहे हैं और उनके साथ तेरी पुत्रियाँ आ रही हैं।

“ऐसा भविष्य में होगा और ऐसे समय में जब तुम अपने लोगों को देखोगे
    तब तुम्हारे मुख खुशी से चमक उठेंगे।
पहले तुम उत्तेजित होगे
    किन्तु फिर आनन्दित होवोगे।
समुद्र पार देशों की सारी धन दौलत तेरे सामने धरी होगी।
    तेरे पास देशों की सम्पत्तियाँ आयेंगी।
मिद्यान और एपा देशों के ऊँटों के झुण्ड तेरी धरती को ढक लेंगे।
शिबा के देश से ऊँटों की लम्बी पंक्तियाँ तेरे यहाँ आयेंगी।
    वे सोना और सुगन्ध लायेंगे।
लोग यहोवा के प्रशंसा के गीत गायेंगे।
केदार की भेड़ें इकट्ठी की जायेंगी
    और तुझको दे दी जायेंगी।
नबायोत के मेढ़े तेरे लिये लाये जायेंगे।
    वे मेरी वेदी पर स्वीकर करने के लायक बलियाँ बनेंगे
और मैं अपने अद्भुत मन्दिर
    और अधिक सुन्दर बनाऊँगा।
इन लोगों को देखो!
    ये तेरे पास ऐसी जल्दी में आ रहे हैं जैसे मेघ नभ को जल्दी पार करते हैं।
    ये ऐसे दिख रहे हैं जैसे अपने घोंसलों की ओर उड़ते हुए कपोत हों।
सुदूर देश मेरी प्रतिक्षा में हैं।
    तर्शीश के बड़े—बड़े जलयान जाने को तत्पर है।
ये जलयान तेरे वंशजों को दूर—दूर देशों से लाने को तत्पर हैं
    और इन जहाजों पर उनका स्वर्ण उनके साथ आयेगा और उनकी चाँदी भी ये जहाज लायेंगे।
ऐसा इसलिये होगा कि तेरे परमेश्वर यहोवा का आदर हो।
    ऐसा इसलिये होगा कि इस्राएल का पवित्र अद्भुत काम करता है।
10 दूसरे देशों की सन्तानें तेरी दीवारें फिर उठायेंगी
    और उनके शासक तेरी सेवा करेंगे।

“ब मैं तुझसे क्रोधित हुआ था, मैंने तुझको दु:ख दिया
    किन्तु अब मेरी इच्छा है कि तुझ पर कृपालु बनूँ।
    इसलिये तुझको मैं चैन दूँगा।
11 तेरे द्वार सदा ही खुले रहेंगे।
    वे दिन अथवा रात में कभी बन्द नहीं होंगे।
    देश और राजा तेरे पास धन लायेंगे।
12 कुछ जाति और कुछ राज्य तेरी सेवा नहीं करेंगे किन्तु वे जातियाँ
    और राज्य नष्ट हो जायेंगे।
13 लबानोन की सभी महावस्तुएं तुझको अर्पित की जायेंगी।
    लोग तेरे पास देवदार, तालीशपत्र और सरों के पेड़ लायेंगे।
यह स्थान मेरे सिहांसन के सामने एक चौकी सा होगा
    और मैं इसको बहुत मान दूँगा।
14 वे ही लोग जो पहले तुझको दु:ख दिया करते थे, तेरे सामने झुकेंगे।
    वे ही लोग जो तुझसे घृणा करते थे, तेरे चरणों में झुक जायेंगे।
    वे ही लोग तुझको कहेंगे, ‘यहोवा का नगर,’ ‘सिय्योन नगर इस्राएल के पवित्र का है।’

15 “फिर तुझको अकेला नहीं छोड़ा जायेगा।
    फिर कभी तुझसे घृणा नहीं होगी।
तू फिर से कभी भी उजड़ेगी नहीं।
    तू महान रहेगी, तू सदा और सर्वदा आनन्दित रहेगी।
16 तेरी जरूरत की वस्तुएँ तुझको जातियाँ प्रदान करेंगी।
    यह इतना ही सहज होगा जैसे दूध मुँह बच्चे को माँ का दूध मिलता है।
वैसे ही तू शासकों की सम्पत्तियाँ पियेगी।
    तब तुझको पता चलेगा कि यह मैं यहोवा हूँ जो तेरी रक्षा करता है।
    तुझको पता चल जायेगा कि वह याकूब का महामहिम तुझको बचाता है।

17 “फिलहाल तेरे पास ताँबा है
    परन्तु इसकी जगह मैं तुझको सोना दूँगा।
अभी तो तेरे पास लोहा है,
    पर उसकी जगह तुझे चाँदी दूँगा।
तेरी लकड़ी की जगह मैं तुझको ताँबा दूँगा।
    तेरे पत्थरों की जगह तुझे लोहा दूँगा और तुझे दण्ड देने की जगह मैं तुझे सुख चैन दूँगा।
जो लोग अभी तुझको दु:ख देते हैं
    वे ही लोग तेरे लिये ऐसे काम करेंगे जो तुझे सुख देंगे।
18 तेरे देश में हिंसा और तेरी सीमाओं में तबाही और बरबादी कभी नहीं सुनाई पड़ेगी।
    तेरे देश में लोग फिर कभी तेरी वस्तुएँ नहीं चुरायेंगे।
तू अपने परकोटों का नाम ‘उद्धार’ रखेगा
    और तू अपने द्वारों का नाम ‘स्तुति’ रखेगा।

19 “दिन के समय में तेरे लिये सूर्य का प्रकाश नहीं होगा
    और रात के समय में चाँद का प्रकाश तेरी रोशनी नहीं होगी।
क्यों क्योंकि यहोवा ही सदैव तेरे लिये प्रकाश होगा।
    तेरा परमेश्वर तेरी महिमा बनेगा।
20 तेरा ‘सूरज’ फिर कभी भी नहीं छिपेगा।
    तेरा ‘चाँद’ कभी भी काला नहीं पड़ेगा।
क्यों क्योंकि यहोवा का प्रकाश सदा सर्वदा तेरे लिये होगा
    और तेरा दु:ख का समय समाप्त हो जायेगा।

21 “तेरे सभी लोग उत्तम बनेंगे।
    उनको सदा के लिये धरती मिल जायेगी।
मैंने उन लोगों को रचा है।
    वे अद्भुत पौधे मेरे अपने ही हाथों से लगाये हुए हैं।
22 छोटे से छोटा भी विशाल घराना बन जायेगा।
    छोटे से छोटा भी एक शक्तिशाली राष्ट्र बन जायेगा।
जब उचित समय आयेगा,
    मैं यहोवा शीघ्र ही आ जाऊँगा
    और मैं ये सभी बातें घटित कर दूँगा।”

यहोवा का मुक्ति सन्देश

61 यहोवा का सेवक कहता है, “मेरे स्वामी यहोवा ने मुझमें अपनी आत्मा स्थापित की है। यहोवा मेरे साथ है, क्योंकि कुछ विशेष काम करने के लिये उसने मुझे चुना है। यहोवा ने मुझे इन कामों को करने के लिए चुना है: दीन दु:खी लोगों के लिए सुसमाचार की घोषणा करना; दु:खी लोगों को सुख देना; जो लोग बंधन में पड़े हैं, उनके लिये मुक्ति की घोषणा करना; बन्दी लोगों को उनके छुटकारे की सूचना देना; उस समय की घोषणा करना जब यहोवा अपनी करूणा प्रकट करेगा; उस समय की घोषणा करना जब हमारा परमेश्वर दुष्टों को दण्ड देगा; दु:खी लोगों को पुचकारना; सिय्योन के दु:खी लोगों को आदर देना (अभी तो उनके पास बस राख हैं); सिय्योन के लोगों को प्रसन्नता का स्नेह प्रदान करना; (अभी तो उनके पास बस दु:ख हैं) सिय्योन के लोगों को परमेश्वर की स्तुति के गीत प्रदान करना (अभी तो उनके पास बस उनके दर्द हैं); सिय्योन के लोगों को उत्सव के वस्त्र देना (अभी तो उनके पास बस उनके दु:ख ही हैं।) उन लोगों को ‘उत्तमता के वृक्ष’ का नाम देना; उन लोगों को यहोवा के अद्भुत वृक्ष की संज्ञा देना।”

उस समय, उन पुराने नगरों को जिन्हें उजाड़ दिया गया था, फिर से बसाया जायेगा। उन नगरों को वैसे ही नया बना दिया जायेगा जैसे वे आरम्भ में थे। वे नगर जिन्हें वर्षों पहले हटा दिया गया था, नये जैसे बना दिये जायेंगे।

फिर तुम्हारे शत्रु तुम्हारे पास आयेंगे और तुम्हारी भेड़ें चराया करेंगे। तुम्हारे शत्रुओं की संतानें तुम्हारे खेतों और तुम्हारे बगीचों में काम किया करेंगी। तुम “यहोवा के याजक” हलाओगे। तुम “हमारे परमेश्वर के सहायक” कहलाओगे। धरती के सभी देशों से आई हुई सम्पत्ति को तुम प्राप्त करोगे और तुम्हें इस बात का गर्व होगा कि वह सम्पत्ति तुम्हारी है।

बीते समय में लोग तुम्हें लज्जित करते थे और तुम्हारे बारे में बुरी बुरी बातें बनाया करते थे। तुम इतने लज्जित थे जितना और कोई दूसरा व्यक्ति नहीं था। इसलिए तुम्हें अपनी धरती में दूसरे लोगों से दुगुना हिस्सा प्राप्त होगा। तुम ऐसी प्रसन्नता पाओगे जिसका कभी अंत नहीं होगा। ऐसा क्यों घटित होगा क्योंकि मैं यहोवा हूँ और मुझे नेकी से प्रेम है। मुझे चोरी से और हर उस बात से, जो अनुचित है, घृणा है। इसलिये लोगों को, जो उन्हें मिलना चाहिये, वह भुगतान मैं दूँगा। अपने लोगों के साथ सदा सदा के लिए मैं यह वाचा कर रहा हूँ कि सभी देशों का हर कोई व्यक्ति मेरे लोगों को जान जायेगा। मेरी जाति के वंशजों को हर कोई जान जायेगा। हर कोई व्यक्ति जो उन्हें देखेगा, जान जायेगा कि यहोवा उन्हें आशीर्वाद देता है।

यहोवा का सेवक उद्धार और उत्तमता लाता है

10 यहोवा मुझको अति प्रसन्न करता है।
    मेरा सम्पूर्ण व्यक्तित्व परमेश्वर में स्थिर है और प्रसन्नता में मगन है।
यहोवा ने उद्धार के वस्त्र से मुझको ढक लिया।
    वे वस्त्र ऐसे ही भव्य हैं जैसे भव्य वस्त्र कोई पुरूष अपने विवाह के अवसर पर पहनता है।
यहोवा ने मुझे नेकी के चोगे से ढक लिया है।
    यह चोगा वैसा ही सुन्दर है जैसा सुन्दर किसी नारी का विवाह वस्त्र होता है।
11 धरती पौधे उगाती है।
    लोग बगीचों में बीज डालते हैं और वह बगीचा उन बीजों को उगाता है।
वैसे ही यहोवा नेकी को उगायेगा।
    इस तरह मेरा स्वामी सभी जातियों के बीच स्तुति को बढ़ायेगा।

नया यरूशलेम: नेकी का एक नगर

62 मुझको सिय्योन से प्रेम है
    अत: मैं उसके लिये बोलता रहूँगा।
मुझको यरूशलेम से प्रेम है
    अत: मैं चुप न होऊँगा।
मैं उस समय तक बोलता रहूँगा जब तक नेकी चमकती हुई ज्योति सी नहीं चमकेगी।
    मैं उस समय तक बोलता रहूँगा जब तक उद्धार आग की लपट सा भव्य बन कर नहीं धधकेगा।
फिर सभी देश तेरी नेकी को देखेंगे।
    तेरे सम्मान को सब राजा देखेंगे।
तभी तू एक नया नाम पायेगा।
    स्वयं यहोवा तुम लोगों के लिये वह नया नाम पायेगा।
यहोवा को तुम लोगों पर बहुत गर्व होगा।
    तुम यहोवा के हाथों में सुन्दर मुकुट के समान होगे।
फिर तुम कभी ऐसे जन नहीं कहलाओगे, “परमेश्वर के त्यागे हुए लोग।”
    तुम्हारी धरती कभी ऐसी धरती नहीं कहलायेगी जिसे “परमेश्वर ने उजाड़ा।”
तुम लोग “परमेश्वर के प्रिय जन” कहलाओगे।
    तुम्हारी धरती “परमेश्वर की दुल्हिन” कहलायेगी।
क्यों क्योंकि यहोवा तुमसे प्रेम करता है
    और तुम्हारी धरती उसकी हो जायेगी।
जैसे एक युवक कुँवारी को ब्याहता है।
    वैसे ही तेरे पुत्र तुझे ब्याह लेंगे।
और जैसे दुल्हा अपनी दल्हिन के संग आनन्दित होता है
    वैसे ही तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे संग प्रसन्न होगा।

यरूशलेम की चारदीवारी मैंने रखवाले (नबी) बैठा दिये हैं कि उसका ध्यान रखें।
    ये रखवाले मूक नहीं रहेंगे।
    यह रखवाले यहोवा को तुम्हारी जरूरतों की याद दिलाते हैं।

हे रखवालों, तुम्हें चुप नहीं होना चाहिये।
    तुमको यहोवा से प्रार्थना करना बन्द नहीं करना चाहिये।
    तुमको सदा उसकी प्रार्थना करते ही रहना चाहिये।
जब तक वह फिर से यरूशलेम का निर्माण न कर दे, तब तक तुम उसकी प्रार्थना करते रहो।
    यरूशलेम एक ऐसा नगर है जिसका धरती के सभी लोग यश गायेंगे।

यहोवा ने स्वयं अपनी शक्ति को प्रमाण बनाते हुए वाचा की
    और यहोवा अपनी शक्ति के प्रयोग से ही उस वाचा को पालेगा।
यहोवा ने कहा था, “मैं तुम्हें वचन देता हूँ कि मैं तुम्हारे भोजन को कभी तुम्हारे शत्रु को न दूँगा।
    मैं तुम्हें वचन देता हूँ कि तुम्हारी बनायी दाखमधु तुम्हारा शत्रु कभी नहीं ले पायेगा।
जो व्यक्ति खाना जुटाता है, वही उसे खायेगा और वह व्यक्ति यहोवा के गुण गायेगा।
    वह व्यक्ति जो अंगूर बीनता है, वही उन अंगूरों की बनी दाखमधु पियेगा।
मेरी पवित्र धरती पर ऐसी बातें हुआ करेंगी।”

10 द्वार से होते हुए आओ!
    लोगों के लिये राहें साफ करो!
मार्ग को तैयार करो!
    राह पर के पत्थर हटा दो!
लोगों के लिये संकेत के रूप में झण्डा उठा दो!

11 यहोवा सभी दूर देशों के लिये बोल रहा है:
    “सिय्योन के लोगों से कह दो:
देखो, तुम्हारा उद्धारकर्ता आ रहा है।
    वह तुम्हारा प्रतिफल ला रहा है।
वह अपने साथ तुम्हारे लिये प्रतिफल ला रहा है।”
12 उसके लोग कहलायेंगे:
    “पवित्र जन,” “यहोवा के उद्धार पाये लोग।”
यरूशलेम कहलायेगा: “वह नगर जिसको यहोवा चाहता है,”
    “वह नगर जिसके साथ परमेश्वर है।”

यहोवा अपने लोगों का न्याय करता है

63 यह कौन है जो एदोम से आ रहा है,
    यह बोस्रा की नगरी से लाल धब्बों से युक्त कपड़े पहने आ रहा है।
वह अपने वस्त्रों में अति भव्य दिखता है।
    वह लम्बे डग बढ़ाता हुआ अपनी महाशक्ति के साथ आ रहा है।
और मैं सच्चाई से बोलता हूँ।

“तू ऐसे वस्त्र जो लाल धब्बों से युक्त हैं?
    क्यों पहनता है तेरे वस्त्र ऐसे लाल क्यों हैं जैसे उस व्यक्ति के जो अंगूर से दाखमधु बनाता है”

वह उत्तर देता है, “दाखमधु के कुंडे में मैंने अकेले ही दाख रौंदी।
    किसी ने भी मुझको सहायता नहीं दी।
मैं क्रोधित था और मैंने लोगों को रौंदा जैसे अंगूर दाखमधु बनाने के लिये रौंदे जाते हैं।
    रस छिटकर मेरे वस्त्रों में लगा।
मैंने राष्ट्रों को दण्ड देने के लिये एक समय चुना।
    मेरा वह समय आ गया कि मैं अपने लोगों को बचाऊँ और उनकी रक्षा करूँ।
मैं चकित हुआ कि किसी भी व्यक्ति ने मेरा समर्थन नहीं किया।
    इसलिये मैंने अपनी शक्ति का प्रयोग अपने लोगों को बचाने के लिये किया।
स्वयं मेरे अपने क्रोध ने ही मेरा समर्थन किया।
जब मैं क्रोधित था, मैंने लोगों को रौंद दिया था।
    जब मैं क्रोध में पागल था, मैंने उनको दण्ड दिया।
    मैंने उनका लहू धरती पर उंडेल दिया।”

यहोवा अपने लोगों पर दयालु रहा

यह मैं याद रखूँगा कि यहोवा दयालु है
    और मैं यहोवा की स्तुति करना याद रखूँगा।
यहोवा ने इस्राएल के घराने को बहुत सी वस्तुएँ प्रदान की।
यहोवा हमारे प्रति बहुत ही कृपालु रहा।
    यहोवा ने हमारे प्रति दया दिखाई।
यहोवा ने कहा था “ये मेरे लोग हैं।
    ये बच्चें कभी झूठ नहीं कहते हैं” इसलिये यहोवा ने उन लोगों को बचा लिया।
उनको उनके सब संकटो से किसी भी स्वर्गदूत ने नहीं बचाया था।
    उसने स्वयं ही अपने प्रेम और अपनी दया से उनको छुटकारा दिलाया था।
10 किन्तु वे लोग यहोवा से मुख मोड़ चले।
    उन्होंने उसकी पवित्र आत्मा को बहुत दु:खी किया।
सो यहोवा उनका शत्रु बन गया।
    यहोवा ने उन लोगों के विरोध में युद्ध किया।

11 किन्तु यहोवा अब भी पहले का समय याद करता है।
    यहोवा मूसा के और उसके लोगों को याद करता हैं।
यहोवा वही था जो लोगों को सागर के बीच से निकाल कर लाया।
    यहोवा ने अपनी भेंड़ों (लोगों) की अगुवाई के लिये अपने चरवाहों (नबियों) का प्रयोग किया।
किन्तु अब वह यहोवा कहाँ है जिसने अपनी आत्मा को मूसा में रख दिया था
12 यहोवा ने अपने दाहिने हाथ से मूसा की अगुवाई की।
यहोवा ने अपनी अद्भुत शक्ति से मूसा को राह दिखाई।
    यहोवा ने जल को चीर दिया था।
जिससे लोग सागर को पैदल पार कर सके थे।
    इस अद्भुत कार्य को करके यहोवा ने अपना नाम प्रसिद्ध किया था
13 यहोवा ने लोगों को राह दिखाई।
    वे लोग गहरे सागर के बीच से बिना गिरे ही पार हो गये थे।
    वे ऐसे चले थे जैसे मरूस्थल के बीच से घोड़ा चला जाता है।
14 जैसे मवेशी घाटियों से उतरते और विश्राम का ठौर पाते हैं
    वैसे ही यहोवा के प्राण ने हमें विश्राम की जगह दी है।
हे यहोवा, इस ढंग से तूने अपने लोगों को राह दिखाई
    और तूने अपना नाम अद्भुत कर दिया।

उसके लोगों की सहायता के लिए यहोवा से प्रार्थना

15 हे यहोवा, तू आकाश से नीचे देख।
    उन बातों को देख जो घट रही हैं!
तू हमें अपने महान पवित्र घर से जो आकाश मैं है, नीचे देख।
    तेरा सुदृढ़ प्रेम हमारे लिये कहाँ है तेरे शक्तिशाली कार्य कहाँ है
तेरे हृदय का प्रेम कहाँ है मेरे लिये तेरी कृपा कहाँ है
    तूने अपना करूण प्रेम मुझसे कहाँ छिपा रखा है
16 देख, तू ही हमारा पिता है!
    इब्राहीम को यह पता नहीं है कि हम उसकी सन्तानें हैं।
इस्राएल (याकूब) हमको पहचानता नहीं है।
    यहोवा तू ही हमारा पिता है।
तू वही यहोवा है जिसने हमको सदा बचाया है।
17 हे यहोवा, तू हमको अपने से दूर क्यों ढकेल रहा है
    तू हमारे लिये अपना अनुसरण करने को क्यों कठिन बनाता है यहोवा तू हमारे पास लौट आ।
हम तो तेरे दास हैं।
हमारे पास आ और हमको सहारा दे।
    हमारे परिवार तेरे हैं।
18 थोड़े समय के लिये हमारे शत्रुओं ने तेरे पवित्र लोगों पर कब्जा कर लिया था।
    हमारे शत्रुओं ने तेरे मन्दिर को कुचल दिया था।
19 कुछ लोग तेरा अनुसरण नहीं करते हैं।
    वे तेरे नाम को धारण नहीं करते हैं।
जैसे वे लोग हम भी वैसे हुआ करते थे।

64 यदि तू आकाश चीर कर धरती पर नीचे उतर आये
    तो सब कुछ ही बदल जाये।
    तेरे सामने पर्वत पिघल जाये।
पहाड़ों में लपेट उठेंगी।
    वे ऐसे जलेंगे जैसे झाड़ियाँ जलती हैं।
    पहाड़ ऐसे उबलेंगे जैसे उबलता पानी आग पर रखा गया हो।
तब तेरे शत्रु तेरे बारे में समझेंगे।
    जब सभी जातियाँ तुझको देखेंगी तब वे भय से थर—थर काँपेंगी।
किन्तु हम सचमुच नहीं चाहते हैं
    कि तू ऐसे कामों को करे कि तेरे सामने पहाड़ पिघल जायें।
सचमुच तेरे ही लोगों ने तेरी कभी नहीं सुनी।
    जो कुछ भी तूने बात कही सचमुच तेरे ही लोगों ने उन्हें कभी नहीं सुना।
तेरे जैसा परमेश्वर किसी ने भी नहीं देखा।
    कोई भी अन्य परमेश्वर नहीं, बस केवल तू है।
यदि लोग धीरज धर कर तेरे सहारे की बाट जोहते रहें, तो तू उनके लिये बड़े काम कर देगा।

जिनको अच्छे काम करने में रस आता है, तू उन लोगों के साथ है।
    वे लोग तेरे जीवन की रीति को याद करते हैं।
पर देखो, बीते दिनों में हमने तेरे विरूद्ध पाप किये हैं।
    इसलिये तू हमसे क्रोधित हो गया था।
अब भला कैसे हमारी रक्षा होगी
हम सभी पाप से मैले हैं।
    हमारी सब नेकी पुराने गन्दे कपड़ों सी है।
    हम सूखे मुरझाये पत्तों से हैं।
हमारे पापों ने हमें आँधी सा उड़ाया है।
हम तेरी उपासना नहीं करते हैं। हम को तेरे नाम में विश्वास नहीं है।
    हम में से कोई तेरा अनुसरण करने को उत्साही नहीं है।
इसलिये तूने हमसे मुख मोड़ लिया है।
    क्योंकि हम पाप से भरे हैं इसलिये तेरे सामने हम असमर्थ हैं।
किन्तु यहोवा, तू हमारा पिता है।
    हम मिट्टी के लौंदे हैं और तू कुम्हार है।
तेरे ही हाथों ने हम सबको रचा है।
हे यहोवा, तू हमसे कुपित मत बना रह!
    तू हमारे पापों को सदा ही याद मत रख!
कृपा करके तू हमारी ओर देख! हम तेरे ही लोग हैं।
10 तेरी पवित्र नगरियाँ उजड़ी हुई हैं।
    आज वे नगरियाँ ऐसी हो गई हैं जैसे रेगिस्तान हों।
सिय्योन रेगिस्तान हो गया है! यरूशलेम ढह गया है!
11 हमारा पवित्र मन्दिर आग से भस्म हुआ है।
    वह मन्दिर हमारे लिये बहुत ही महान था।
हमारे पूर्वज वहाँ तेरी उपासना करते थे।
    वे सभी उत्तम वस्तु जिनके हम स्वामी थे, अब बर्बाद हो गई हैं।
12 क्या ये वस्तुएँ सदैव तुझे अपना प्रेम हम पर प्रकट करने से दूर रखेंगी
    क्या तू कभी कुछ नहीं कहेगा क्या तू ऐसे ही चुप रह जायेगा
    क्या तू सदा हम को दण्ड देता रहेगा

परमेश्वर के बारे में सभी लोग जानेंगे

65 यहोवा कहता है, “मैंने उन लोगों को भी सहारा दिया है जो उपदेश ग्रहण करने के लिए कभी मेरे पास नहीं आये। जिन लोगों ने मुझे प्राप्त कर लिया, वे मेरी खोज में नहीं थे। मैंने एक ऐसी जाति से बात की जो मेरा नाम धारण नहीं करती थी। मैंने कहा था, ‘मैं यहाँ हूँ! मैं यहाँ हूँ!’

“जो लोग मुझसे मुँह मोड़ गये थे, उन लोगों को अपनाने के लिए मैं भी तत्पर रहा। मैं इस बात की प्रतीक्षा करता रहा कि वे लोग मेरे पास लौट आयें। किन्तु वे जीवन की एक ऐसी राह पर चलते रहे जो अच्छी नहीं है। वे अपने मन के अनुसार काम करते रहे। वे लोग मेरे सामने रहते हैं और सदा मुझे क्रोधित करते रहते हैं। अपने विशेष बागों में वे लोग मिथ्या देवताओं को बलियाँ अर्पित करते हैं और धूप अगरबत्ती जलाते हैं। लोग कब्रों के बीच बैठते हैं और मरे हुए लोगों से सन्देश पाने का इंतज़ार करते रहते हैं। यहाँ तक कि वे मुर्दों के बीच रहा करते हैं। वे सुअर का माँस खाते हैं। उनके प्यालों में अपवित्र वस्तुओं का शोरबा है। किन्तु वे लोग दूसरे लोगों से कहा करते हैं, ‘मेरे पास मत आओ, मुझे उस समय तक मत छुओ, जब तक मैं तुम्हें पवित्र न कर दूँ।’ मेरी आँखों में वे लोग धुएँ के जैसे हैं और उनकी आग हर समय जला करती है।”

इस्राएल को दण्डित होना चाहिये

“देखो, यह एक हुण्डी है। इसका भुगतान तो करना ही होगा। यह हुण्डी बताती है कि तुम अपने पापों के लिये अपराधी हो। मैं उस समय तक चुप नहीं होऊँगा जब तक इस हुण्डी का भुगतान न कर दूँ और देखो तुम्हें दण्ड देकर ही मैं इस हुण्डी का भुगतान करूँगा। तुम्हारे पाप और तुम्हारे पूर्वज एक ही जैसे हैं। यहोवा ने यह कहा है, ‘तुम्हारे पूर्वजों ने जब पहाड़ों में धूप अगरबत्तियाँ जलाईर् थी, तभी इन पापों को किया था। उन पहाड़ों पर उन्होंने मुझे लज्जित किया था और सबसे पहले मैंने उन्हें दण्ड दिया। जो दण्ड उन्हें मिलना चाहिये था, मैंने उन्हें वही दण्ड दिया।’”

यहोवा कहता है, “अँगूरों में जब नयी दाखमधु हुआ करती है, तब लोग उसे निचोड़ लिया करते हैं, किन्तु वे अँगूरों को पूरी तरह नष्ट तो नहीं कर डालते। वे इसलिये ऐसा करते हैं कि अँगूरों का उपयोग तो फिर भी किया जा सकता है। अपने सेवकों के साथ मैं ऐसा ही करूँगा। मैं उन्हें पूरी तरह नष्ट नहीं करूँगा। इस्राएल के कुछ लोगों को मैं बचाये रखूँगा। यहूदा के कुछ लोग मेरे पर्वतों को प्राप्त करेंगे। मेरे सेवकों का वहाँ निवास होगा। मेरे चुने हुए लोगों को धरती मिलेगी। 10 फिर तो शारोन की घाटी हमारी भेड़—बकरियों की चरागाह होगी तथा आकोर की तराई हमारे मवेशियों के आराम करने की जगह बन जायेगी। ये सब बातें मेरे लोगों के लिये होंगी। उन लोगों के लिये जो मेरी खोज में हैं।

11 “किन्तु तुम लोग, जिन्होंने यहोवा को त्याग दिया है, दण्डित किये जाओगे। तुम ऐसे लोग हो जिन्होंने मेरे पवित्र पर्वत को भुला दिया है। तुम ऐसे लोग हो जो भाग्य के मिथ्या देवता की पूजा करते हो। तुम भाग्य रूपी झूठे देवता के सहारे रहते हो। 12 किन्तु तुम्हारे भाग्य का निर्धारण तो मैं करता हूँ। मैं तलवार से तुम्हें दण्ड दूँगा। जो तुम्हें दण्ड देगा, तुम सभी उसके आगे मिमिआने लगोगे। मैंने तुम्हें पुकारा किन्तु तुमने कोई उत्तर नहीं दिया। मैंने तुमसे बातें कीं किन्तु तुमने सुना तक नहीं। तुम उन कामों को ही करते रहे जिन्हें मैंने बुरा कहा था। तुमने उन कामों को करने की ही ठान ली जो मुझे अच्छे नहीं लगते थे।”

13 सो मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
“मेरे दास भोजन पायेंगे, किन्तु तुम भूखे मरोगे।
    मेरे दास पीयेंगे किन्तु अरे दुष्टों, तुम प्यासे मरोगे।
मेरे दास प्रसन्न होंगे किन्तु अरे ओ दुष्टों, तुम लज्जित होंगे।
14 मेरे दासों के मन खरे हैं इसलिये वे प्रसन्न होंगे।
    किन्तु अरे ओ दुष्टों, तुम रोया करोगे क्योंकि तुम्हारे मनों में पीड़ा बसेगी।
तुम अपने टूटे हुए मन से बहुत दु:खी रहोगे।
15 तुम्हारे नाम मेरे लोगों के लिये गालियों के जैसे हो जायेंगे।”
    मेरा स्वामी यहोवा तुमको मार डालेगा
और वह अपने दासों को एक नये नाम से बुलाया करेगा।
16 अब लोग धरती से आशीषें माँगतें हैं
    किन्तु आगे आनेवाले दिनों में वे विश्वासयोग्य परमेश्वर से आशीष माँगा करेंगे।
अभी लोग उस समय धरती की शक्ति के भरोसे रहा करते हैं जब वे कोई वचन देते हैं।
    किन्तु भविष्य में वे विश्वसनीय परमेश्वर के भरोसे रहा करेंगे।
क्यों क्योंकि पिछले दिनों की सभी विपत्तियाँ भूला दी जायेंगी।
    मेरे लोग फिर उन पिछली विपत्तियों को याद नहीं करेंगे।

एक नया समय आ रहा है

17 “देखो, मैं एक नये स्वर्ग और नयी धरती की रचना करूँगा।
लोग मेरे लोगों की पिछली बात याद नहीं रखेंगे।
    उनमें से कोई बात याद में नहीं रहेगी।
18 मेरे लोग दु:खी नहीं रहेंगे।
    नहीं, वे आनन्द में रहेंगे और वे सदा खुश रहेंगे।
मैं जो बातें रचूँगा, वे उनसे प्रसन्न रहेंगे।
मैं ऐसा यरूशलेम रचूँगा जो आनन्द से परिपूर्ण होगा और
    मैं उनको एक प्रसन्न जाति बनाऊँगा।

19 “फिर मैं यरूशलेम से प्रसन्न रहूँगा।
    मैं अपने लोगों से प्रसन्न रहूँगा और उस नगरी में फिर कभी विलाप और कोई दु:ख नहीं होगा।
20 उस नगरी में कोई बच्चा ऐसा नहीं होगा जो पैदा होने के बाद कुछ ही दिन जियेगा।
    उस नगरी का कोई भी व्यक्ति अपनी अल्प आयु में नहीं मरेगा।
हर पैदा हुआ बच्चा लम्बी उम्र जियेगा
    और उस नगरी का प्रत्येक बूढ़ा व्यक्ति एक लम्बे समय तक जीता रहेगा।
वहाँ सौ साल का व्यक्ति भी जवान कहलायेगा।
    किन्तु कोई भी ऐसा व्यक्ति जो सौ साल से पहले मरेगा उसे अभिशप्त कहा जायेगा।

21 “देखो, उस नगरी में यदि कोई व्यक्ति अपना घर बनायेगा तो वह व्यक्ति अपने घर में बसेगा।
    यदि कोई व्यक्ति वहाँ अंगूर का बाग लगायेगा तो वह अपने बाग के अँगूर खायेगा।
22 वहाँ ऐसा नहीं होगा कि कोई अपना घर बनाये और कोई दूसरा उसमें निवास करे।
    ऐसा भी नहीं होगा कि बाग कोई दूसरा लगाये और उस बाग का फल कोई और खाये।
मेरे लोग इतना जियेंगे जितना ये वृक्ष जीते हैं।
    ऐसे व्यक्ति जिन्हें मैंने चुना है, उन सभी वस्तुओं का आनन्द लेंगे जिन्हें उन्होंने बनाया है।
23 फिर लोग व्यर्थ का परिश्रम नहीं करेंगे।
    लोग ऐसे उन बच्चों को नहीं जन्म देंगे जिनके लिये वे मन में डरेंगे कि वे किसी अचानक विपत्ति का शिकार न हों।
मेरे सभी लोग यहोवा की आशीष पायेंगे।
    मेरे लोग और उनकी संताने आर्शीवाद पायेंगे।
24 मुझे उन सभी वस्तुओं का पता हो जायेगा जिनकी आवश्यकता उन्हें होगी, इससे पहले की वे उन्हें मुझसे माँगे।
    इससे पहले कि वे मुझ से सहायता की प्रार्थना पूरी कर पायेंगे, मैं उनको मदद दूँगा।
25 भेड़िये और मेमनें एक साथ चरते फिरेंगे।
    सिंह भी मवेशियों के जैसे ही भूसा चरेंगे
    और भुजंगों का भोजन बस मिट्टी ही होगी।
मेरे पवित्र पर्वत पर कोई किसी को भी हानि नहीं पहुँचायेगा और न ही उन्हें नष्ट करेगा।”
यह यहोवा ने कहा है।

परमेश्वर सभी जातियों का न्याय करेगा

66 यहोवा यह कहता है,
“आकाश मेरा सिंहासन है।
    धरती मेरे पाँव की चौकी बनी है।
सो क्या तू यह सोचता है कि तू मेरे लिये भवन बना सकता है नहीं, तू नहीं बना सकता।
    क्या तू मुझको विश्रामस्थल दे सकता है नहीं, तू नहीं दे सकता।
मैंने स्वयं ही ये सारी वस्तुएँ रची हैं।
    ये सारी वस्तुएँ यहाँ टिकी हैं क्योंकि उन्हें मैंने बनाया है।
यहोवा ने ये बातें कहीं थी।
    मुझे बता कि मैं कैसे लोगों की चिन्ता किया करता हूँ मुझको दीन हीन लोगों की चिंता है।
ये ही वे लोग हैं जो बहुत दु:खी रहते हैं।
    ऐसे ही लोगों की मैं चिंता किया करता हूँ जो मेरे वचनो का पालन किया करते हैं।
मुझे बलि के रूप में अर्पित करने को कुछ लोग बैल का वध किया करते हैं
    किन्तु वे लोगों से मारपीट भी करते हैं।
मुझे अर्पित करने को ये भेड़ों को मारते हैं
    किन्तु ये कुत्तों की गर्दन भी तोड़ते हैं
और सुअरों का लहू ये मुझ पर चढ़ाते हैं।
    ऐसे लोगों को धूप के जलाने की याद बनी रहा करती हैं
किन्तु वे व्यर्थ की अपनी प्रतिमाओं से प्रेम करते हैं।
    ऐसे ये लोग अपनी मनचीती राहों पर चला करते हैं, मेरी राहों पर नहीं।
वे पूरी तरह से अपने घिनौने मूर्ति के प्रेम में डूबे हैं।
इसलिये मैंने यह निश्चय किया है कि मैं उनकी जूती उन्हीं के सिर करूँगा।
    मेरा यह मतलब है कि मैं उनको दण्ड दूँगा उन वस्तुओं को काम में लाते हुये जिनसे वे बहुत डरते हैं।
मैंने उन लोगों को पुकारा था किन्तु उन्होंने नहीं सुना।
    मैंने उनसे बोला था
किन्तु उन्होंने सुना ही नहीं।
    इसलिये अब मैं भी उनके साथ ऐसा ही करूँगा।
वे लोग उन सभी बुरे कामों को करते रहे हैं जिनको मैंने बुरा बताया था।
    उन्होंने ऐसे काम करने को चुने जो मुझको नहीं भाते थे।”

हे लोगों, यहोवा का भय विस्मय मानने वालों
और यहोवा के आदेशों का अनुसरण करने वालों,
    उन बातों को सुनो।
यहोवा कहता है, “तुमसे तुम्हारे भाईयों ने घृणा की क्योंकि तुम मेरे पीछे चला करते थे,
    वे तुम्हारे विरूद्ध हो गये।
तुम्हारे बंधु कहा करते थे: ‘जब यहोवा सम्मानित होगा
हम तुम्हारे पीछे हो लेंगे।
    फिर तुम्हारे साथ में हम भी खुश हो जायेंगे।’
    ऐसे उन लोगों को दण्ड दिया जायेगा।”

दण्ड और नयी जाति

सुनो तो, नगर और मन्दिर से एक ऊँची आवाज़ सुनाई दे रही है। यहोवा द्वारा अपने विरोधियों को, जो दण्ड दिया जा रहा है। वह आवाज उसी की है। यहोवा उन्हें वही दण्ड दे रहा है जो उन्हें मिलना चाहिये।

7-8 “ऐसा तो नहीं हुआ करता कि प्रसव पीड़ा से पहले ही कोई स्त्री बच्चा जनती हो। ऐसा तो कभी नहीं हुआ कि किसी स्त्री ने किसी पीड़ा का अनुभव करने से पहले ही अपने पुत्र को पैदा हुआ देखा हो। ऐसा कभी नहीं हुआ। इसी प्रकार किसी भी व्यक्ति ने एक दिन में कोई नया संसार आरम्भ होते हुए नहीं देखा। किसी भी व्यक्ति ने किसी ऐसी नयी जाति का नाम कभी नहीं सुना होगा जो एक ही दिन में आरम्भ हो गयी हो। धरती को बच्चा जनने के दर्द जैसी पीड़ा निश्चय ही पहले सहनी होगी। इस प्रसव पीड़ा के बाद ही वह धरती अपनी संतानों—एक नयी जाति को जन्म देगी। जब मैं किसी स्त्री को बच्चा जनने की पीड़ा देता हूँ तो वह बच्चे को जन्म दे देती है।”

तुम्हारा यहोवा कहता है, “मैं तुम्हें बच्चा जनने की पीड़ा में डालकर तुम्हारा गर्भद्वार बंद नहीं कर देता। मैं तुम्हें इसी तरह इन विपत्तियों में बिना एक नयी जाति प्रदान किये, नहीं डालूँगा।”

10 हे यरूशलेम, प्रसन्न रहो! हे लोगों, यरूशलेम के प्रेमियों, तुम निश्चय ही प्रसन्न रहो!
    यरूशलेम के संग दु:ख की बातें घटी थी इसलिये तुममें से कुछ लोग भी दु:खी हैं।
किन्तु अब तुमको चाहिये कि तुम बहुत—बहुत प्रसन्न हो जाओ।
11 क्यों क्योंकि अब तुम को दया ऐसे मिलेगी जैसे
    छाती से दूध मिल जाया करता है।
तुम यरूशलेम के वैभव का सच्चा आनन्द पाओगे।
12 यहोवा कहता है, “देखो, मैं तुम्हें शांति दूंगा।
यह शांति तुम तक ऐसे पहुँचेगी जैसे कोई महानदी बहती हुई पहुँच जाती है।
    सब धरती के राष्ट्रों की धन—दौलत बहती हुई तुम तक पहुँच जायेगी।
यह धन—दौलत ऐसे बहते हुये आयेगी जैसे कोई बाढ़ की धारा।
    तुम नन्हें बच्चों से होवोगे, तुम दूध पीओगे, तुम को उठा लिया जायेगा
    और गोद में थाम लिये जायेगा, तुम्हें घुटनों पर उछाला जायेगा।
13 मैं तुमको दुलारूँगा जैसे माँ अपने बच्चे को दुलारती है।
    तुम यरूशलेम के भीतर चैन पाओगे।”

14 तुम वे वस्तुएँ देखोगे जिनमें तुम्हें सचमुच रस आता है।
    तुम स्वतंत्र हो कर घास से बढ़ोगे।
यहोवा की शक्ति को उसके लोग देखेंगे,
    किन्तु यहोवा के शत्रु उसका क्रोध देखेंगे।
15 देखो, अग्नि के साथ यहोवा आ रहा है।
    धूल के बादलों के साथ यहोवा की सेनाएँ आ रही हैं।
यहोवा अपने क्रोध से उन व्यक्तियों को दण्ड देगा।
    यहोवा जब क्रोधित होगा तो उन व्यक्तियों को दण्ड देने के लिये आग की लपटों का प्रयोग करेगा।
16 यहोवा लोगों का न्याय करेगा और फिर आग और अपनी तलवार से वह अपराधी लोगों को नष्ट कर डालेगा।
    यहोवा उन बहुत से लोगों को नष्ट कर देगा।
    वह अपनी तलवार से लाशों के अम्बार लगा देगा।

17 यहोवा का कहना है, “वे लोग जो अपने बगीचों को पूजने के लिए स्नान करके पवित्र होते हैं और एक दूसरे के पीछे परिक्रमा करते हैं, वे जो सुअर का माँस खाते हैं और चूहे जैसे घिनौने जीव जन्तुओं को खाते हैं, इन सभी लोगों का नाश होगा।

18 “बुरे विचारों में पड़े हुए वे लोग बुरे काम किया करते हैं। इसलिए उन्हें दण्ड देने को मैं आ रहा हूँ। मैं सभी जातियों और सभी लोगों को इकट्ठा करूँगा। परस्पर एकत्र हुए सभी लोग मेरी शक्ति को देखेंगे।

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