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Bible in 90 Days

An intensive Bible reading plan that walks through the entire Bible in 90 days.
Duration: 88 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
1 इतिहास 24:1 - 2 इतिहास 7:10

याजकों के समूह

24 हारून के पुत्रों के ये समूह थेः हारून के पुत्र नादाब, अबीहू, एलीआजर और ईतामार थे। किन्तु नादाब और अबीहू अपने पिता की मृत्यु के पहले ही मर गये और नादाब और अबीहू के कोई पुत्र नहीं था इसलिये एलीआजर और ईतामार ने याजक के रुप में कार्य किया। दाउद ने एलीआजर और ईतामार के परिवार समूह को दो भिन्न समूहों में बाँटा। दाऊद ने यह इसलिये किया कि ये समूह उनको दिये गए कर्तव्यों को पूरा कर सकें। दाऊद ने यह सादोक और अहीमेलेक की सहायता से किया। सादोक एलीआजर का वंशज था और अहीमलेक ईतामार का वंशज था। एलीआजर के परिवार समूह के प्रमुख ईतामार के परिवार समूह के प्रमुखों से अधिक थे। एलीआजर के परिवार समूह के सोलह प्रमुख थे और ईतामार के परिवार समूह से आठ प्रमुख थे। हर एक परिवार से पुरुष चुने गए थे। वे गोट डालकर चुने गए थे। कुछ व्यक्ति पवित्र स्थान के अधिकारी चुने गए थे। और अन्य व्यक्ति याजक के रुप में सेवा के लिये चुने गए थे। य सभी व्यक्ति एलीआजर और ईतामार के परिवार से चुने गए थे।

शमायाह सचिव था। वह नतनेल का पुत्र था। शमायाह लेवी परिवार समूह से था। शमायाह ने उन वंशजों के नाम लिखे। उसने उन नामों को राजा दाऊद और इन प्रमुखों के सामने लिखा। याजक सादोक, अहीमेलेक तथा याजक और लेविवंशियों के परिवारों के प्रमुख। अहीमेलेक एब्यातार का पुत्र था। हर एक बार वे गोट डालकर एक व्यक्ति चुनते थे और शमायाह उस व्यक्ति का नाम लिख लेता था। इस प्रकार उन्होंने एलीआजर और ईतामार के परिवारों में काम को बाँटा।

पहला समूह यहोयारीब का था।

दूसरा समूह यदायाह का था।

तीसरा समूह हारीम का था।

चौथा समूह सोरीम का था।

पाँचवाँ समूह मल्किय्याह का था।

छठा समूह मिय्यामीन का था।

10 सातवाँ समूह हक्कोस का था।

आठवाँ समूह अबिय्याह का था।

11 नवाँ समूह येशु का था।

दसवाँ समूह शकन्याह का था।

12 ग्यारहवाँ समूह एल्याशीब का था।

बारहवाँ समूह याकीम का था।

13 तेरहवाँ समूह हुप्पा का था।

चौदहवाँ समूह येसेबाब का था।

14 पन्द्रहवाँ समूह बिल्गा का था।

सोलहवाँ समूह इम्मेर का था।

15 सत्रहवाँ समूह हेजीर का था।

अट्ठारहवाँ समूह हप्पित्सेस का था।

16 उन्नीसवाँ समूह पतह्याह का था।

बीसवाँ समूह यहेजकेल का था।

17 इक्कीसवाँ समूह याकीन का था।

बाईसवाँ समूह गामूल का था।

18 तेईसवाँ समूह दलायाह का था।

चौबीसवाँ समूह माज्याह का था।

19 यहोवा के मन्दिर में सेवा करने के लिये ये समूह चुने गये थे। वे मन्दिर में सेवा के लिये हारून के नियामों को मानते थे। इस्राएल के यहोवा परमेश्वर ने इन नियमों को हारून को दिया था।

अन्य लेवीवंशी

20 ये नाम शेष लेवी के वंशजों के हैं:

अम्राम के वंशजों से शूबाएल।

शूबाएल के वंशजों सेः येहदयाह।

21 रहब्याह सेः यीश्शिय्याह (यिश्शिय्याह सबसे बड़ा पुत्र था।)

22 इसहारी परिवार समूह सेः शलोमोत।

शलोमोत के परिवार सेः यहत।

23 हेब्रोन का सबसे बड़ा पुत्र यरिय्याह था।

अमर्याह हेब्रोन का दूसरा पुत्र था।

यहजीएल तीसरा पुत्र था, और यकमाम चौथा पुत्र

24 उज्जीएल का पुत्र मीका था।

मीका का पुत्र शामीर था।

25 यिश्शिय्याह मीका का भाई था।

यिश्शिय्याह का पुत्र जकर्याह था।

26 मरारी के वंशज महली, मूशी और उसका पुत्र याजिय्याह थे।

27 महारी के पुत्र याजिय्याह के पुत्र शोहम और जक्कू नाम के थे।

28 महली का पुत्र एलीआजर था।

किन्तु एलीआजर का कोई पुत्र न था।

29 कीश का पुत्र यरह्योल था

30 मूशी के पुत्र महली, एदेर और यरीमोत थे।

वे लेवीवंश परिवारों के प्रमुख हैं। वे अपने परिवारों की सूची में हैं। 31 वे विशेष कामों के लिये चुने गए थे। वे अपने सम्बन्धी याजकों की तरह गोट डालते थे। याजक हारुन के वंशज थे। उन्होनें राजा दाऊद, सादोक, अहीमेलेक और याजकों तथा लेवी के परिवारों के प्रमुखों के सामने गोटें डालीं। जब उनके काम चुने गये पुराने और नये परिवारों के एक सा व्यवहार हुआ।

संगीत समूह

25 दाऊद और सेनापतियों ने आसाप के पुत्रों को विशेष सेवा के लिये अलग किया। आसाप के पुत्र हेमान और यदूतून थे। उनका विशेष काम परमेश्वर के सन्देश की भविष्यावाणी सारंगी, वीणा, मंजीरे का उपयोग करके करना था। यहाँ उन पुरुषों की सूची है जिन्होंने इस प्रकार सेवा की।

आसाप के परिवार सेः जक्कूर, योसेप, नतन्याह और अशरेला थे। राजा दाऊद ने आसाप को भविष्यवाणी के लिये चुना और आसाप ने अपने पुत्रों का नेतृत्व किया।

यदूतून परिवार सेः गदल्याह, सरी, यशायाह, शिमी, हसब्याह और मत्तित्याह। ये छः थे। यदूतून ने अपने पुत्रों का नेतृत्व किया। यदूतून ने सारंगी का उपयोग भविष्यवाणी करने और यहोवा को धन्यवाद देने और उसकी स्तुति के लिये किया।

हेमान के पुत्र जो सेवा करते थे बुक्किय्याह, मत्तन्याह, लज्जीएल, शबूएल, और यरीमोत, हनन्याह, हनानी, एलीआता, गिद्दलती और रोममतीएजेर, योशबकाशा, मल्लोती, होतीर और महजीओत थे। ये सभी व्यक्ति हेमान के पुत्र थे। हेमान दाऊद का दृष्टा था। परमेश्वर ने हेमान को शक्तिशाली बनाने का वचन दिया। इसलिये हेमान के कई पुत्र थे। परमेश्वर ने हेमान को चौदह पुत्र और तीन पुत्रियाँ दीं।

हेमान ने अपने सभी पुत्रों का यहोवा के मन्दिर में गाने में नेतृत्व किया। उन पुत्रों ने मन्जीरे, वीणा और तम्बूरे का उपयोग किया। उनका परमेश्वर के मन्दिर में सेवा करने का वही तरीका था। राजा दाऊद ने उन व्यक्तियों को चुना था। वे व्यक्ति और लेवी के परिवार समूह के उनके सम्बन्धी गायन में प्रशिक्षित थे। दो सौ अट्ठासी व्यक्तियों ने योहवा की प्रशंसा के गीत गाना सीखा। हर एक व्यक्ति जिस भिन्न कार्य को करेगा, उसके चुनाव के लिये वे गोट डालते थे। हर एक व्यक्ति के साथ समान व्यवहार होता था। बूढ़े और जवान के साथ समान व्यवहार था और गुरु के साथ वही व्यवाहर था जो शिष्य के साथ।

पहले, आसाप (यूसुफ) के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए थे।

दूसरे, गदल्याह के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

10 तीसरे, जक्कूर के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

11 चौथे, यिस्री के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

12 पाँचवें, नतन्याह के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

13 छठे, यसरेला के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

14 सातवें, बुक्किय्याह के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

15 आठवें, यशायाह के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

16 नवें, मत्तन्याह के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

17 दसवें, शिमी के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

18 ग्यारहवें, अजरेल के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

19 बारहवें, हशब्याह के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

20 तेरहवें, शूबाएल के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

21 चौदहवें, मत्तिय्याह के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

22 पन्द्रहवें, यरेमोत के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

23 सोलहवें, हनन्याह के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

24 सत्रहवें, योशबकाशा के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

25 अट्ठारहवें, हनानी के पुत्रों और सम्बनधियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

26 उन्नीसवें, मल्लोती के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

27 बीसवें, इलिय्याता के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

28 इक्कीसवें, होतीर के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

29 बाईसवें, गिद्दलती के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

30 तेईसवें, महजीओत के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

31 चौबीसवें, रोममतीएजेर के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

द्वारपाल

26 द्वारपालों के समूहः कोरह परिवार से ये द्वारपाल हैं।

मशेलेम्याह और उसके पुत्र। (मशेलेम्याह कोरह का पुत्र था। वह आसाप परिवार समूह से था।) मशेलेम्याह के पुत्र थे। जकर्याह सबसे बड़ा पुत्र था। यदीएल दूसरा पुत्र था। जबद्याह तीसरा पुत्र था। यतीएल चौथा पुत्र था। एलाम पाँचवाँ पुत्र था। यहोहानान छठा पुत्र था और एल्यहोएनै सातवाँ पुत्र था।

ओबेदेदोम और उसके पुत्र। ओबेदेदोम का सबसे बड़ा पुत्र शमायाह था। यहोजाबाद उसका दूसरा पुत्र था। योआह उसका तीसरा पुत्र था। साकार उसका चौथा पुत्र था। नतनेल उसका पाँचवाँ पुत्र था। अम्मीएल उसका छठा पुत्र था। इस्साकार उसका सातवाँ पुत्र था और पुल्लतै उसका आठावाँ पुत्र था। परमेश्वर ने सचमुच ओबेदेदोम[a] को वरदान दिया। ओबेदेदोम का पुत्र शमायाह था। शमायाह के भी पुत्र थे। शमायाह के पुत्र अपने पिता के परिवार में प्रमुख थे क्योंकि वे वीर योद्धा थे। शमायाह के पुत्र ओती, रपाएल, ओबेद, एलजाबाद, एलीहू और समक्याह थे। एलजाबाद के सम्बन्धी कुशल कारीगर थे। वे सभी लोग ओबेदेदोम के वंशज थे। वे पुरुष और उनके पुत्र तथा उनेक सम्बन्धी शक्तिशाली लोग थे। वे अच्छे रक्षक थे। ओबेदेदोम के बासठ वंशज थे।

मशेलेम्याह के पुत्र और सम्बन्धी शक्तिशाली लोग थे। सब मिलाकर अट्ठारह पुत्र और सम्बन्धी थे।

10 मरारी के पिरवार से ये द्वारपाल थे उनमें एक होसा था। शिम्री प्रथम पुत्र चुना गया था। शिम्री वास्तव में सबसे बड़ा नहीं था, किन्तु उसके पिता ने उसे पहलौठा पुत्र चुन लिया था। 11 हिल्किय्याह उसका दुसरा पुत्र था। तबल्याह उसका तीसरा पुत्र था और जकर्याह उसका चौथा पुत्र था। सब मिलाकर होसा के तेरह पुत्र और सम्बन्धी थे।

12 ये द्वारपालों के समूह के प्रमुख थे। द्वारपालों का यहोवा के मन्दिर में सेवा करने का विशेष ढंग था, जैसा कि उनके सम्बन्धी करते थे। 13 हर एक परिवार को एक द्वार रक्षा करने के लिये दिया गया था। एक परिवार के लिये द्वार चुनने को गोट डाली जाती थी। बुढ़े और जवानों के साथ एक समान बर्ताव किया जाता था।

14 शेलेम्याह पूर्वी द्वार की रक्षा के लिये चुना गया था। तब शेलेम्याह के पुत्र जकर्याह के लिये गोट डाली गई। जकर्याह एक बुद्धिमान सलाहकार था। जकर्याह उत्तरी द्वार के लिये चुना गया। 15 ओबेदोम दक्षिण द्वार के लिये चुना गया और ओबेदेदोम के पुत्र उस गृह की रक्षा के लिये चुने गए जिसमें कीमती चीजें रखी जाती थीं। 16 शुप्पीम और होसा पश्चिमी द्वार और ऊपरी सड़क पर शल्लेकेत द्वार के लिये चुने गए।

द्वारपाल एक दूसरे की बगल में खड़े होते थे। 17 पूर्वी द्वार पर लेवीवंशी रक्षक हर दिन खड़े होते थे। उत्तरी द्वार पर चार लेवीवंशी रक्षक खड़े होते थे। दक्षिणी द्वार पर चार लेवीवंशी रक्षक खड़े होते थे और दो लेवीवंशी रक्षक उस गृह की रक्षा करते थे जिसमें कीमती चीजें रखी जाती थीं। 18 चार रक्षक पश्चिमी न्यायगृह पर थे और दो रक्षक न्यायगृह तक की सड़क पर थे।

19 ये द्वारपालों के समूह थे। वे द्वारपाल कोरह और मरारी के परिवार में से थे।

कोषाध्याक्ष और अन्य अधिकारी

20 आहिय्याह लेवी के परिवार समूह से था। अहिय्याह परमेश्वर के मन्दिर की मूल्यावान चीजों की देखभाल का उत्तरदायी था। अहिय्याह उन स्थानों की रक्षा के लिये भी उत्तरदायी था जहाँ पवित्र वस्तुएँ रखी जाती थीं।

21 लादान गेर्शोन परिवार से था। यहोएल लादान परिवार समूह के प्रमुखों में से एक था। 22 यहोएला के पुत्र जेताम और जेताम का भाई योएल थे। वे यहोवा के मन्दिर में बहुमूल्य चीज़ों के लिये उत्तरदायी थे।

23 अन्य प्रमुख अम्राम, यिसहार, हेब्रोन और उज्जीएल के परिवार समूह से चुने गए थे।

24 शबूएल यहोवा के मन्दिर में मूल्यवान चीजों की रक्षा का उत्तरदायी प्रमुख था। शबूएल गेर्शेम का पुत्र था। गेर्शेम मूसा का पुत्र था। 25 ये शबूएल के सम्बन्धी थेः एलीआजर से उसके सम्बन्धी थेः एलीआजर का पुत्र रहब्याह, रहब्याह का पुत्र यशायाह, यशायाह का पुत्र योराम, योराम का पुत्र जिक्री और जिक्री का पुत्र शलोमोत। 26 शलोमोत और उसके सम्बन्धी उन सब चीज़ों के लिये उत्तरदायी थे जिसे दाऊद ने मन्दिर के लिये इकट्ठा किया था।

सेना के अधिकारियों ने भी मन्दिर के लिये चीजें दीं। 27 उन्होंने युद्धों में ली गयी चीजों में से कुछ चीजें दीं। उन्होंने यहोवा के मन्दिर को बनाने के लिये वे चीजें दीं। 28 शलोमोत और उसके सम्बन्धी दृष्टा शमूएल, कीश के पुत्र शाऊल, नेर के पुत्र अब्नेर सरूयाह के पुत्र योआब द्वारा दी गई पवित्र वस्तुओं की भी रक्षा करते थे। शलोमोत और उसके सम्बन्धी लोगों द्वारा, यहोवा को दी गई सभी पवित्र चीज़ों की रक्षा करते थे।

29 कनन्याह यिसहार परिवार का था। कनन्याह और उसके पुत्र मन्दिर के बाहर का काम करते थे। वे इस्राएल के विभिन्न स्थानों पर सिपाही और न्यायाधीश का कार्य करते थे। 30 हशव्याह हेब्रोन परिवार से था। हशव्याह और उसके सम्बन्धी यरदन नदी के पश्चिम में इस्राएल के राजा दाऊद के कामों और यहोवा के सभी कामों के लिये उत्तरदायी थे। हशव्याह के समूह में एक हजार सात सौ शक्तिशाली व्यक्ति थे। 31 हेब्रोन का परिवार समूह इस बात पर प्रकाश डालता है कि यरिय्याह उनका प्रमुख था। जब दाऊद चालीस वर्ष तक राजा रह चुका, तो उसने अपने लोगों को परिवार के इतिहासों से शक्तिशाली और कुशल व्यक्तियों की खोज का आदेश दिया। उनमें से कुछ हेब्रोन परिवार में मिले जो गिलाद के याजेर नगर में रहते थे। 32 यरिय्याह के पास दो हजार सात सौ सम्बन्धी थे जो शक्तिशाली लोग थे और परिवारों के प्रमुख थे। दाऊद ने उन दो हजार सात सौ सम्बन्धियों को रूबेन, गाद और आधे मनश्शे के परिवार के संचालन और यहोवा एवं राजा के कार्य का उत्तरदायित्व सौंपा।

सेना के समूह

27 यह उन इस्राएली लोगों की सूची है जो राजा की सेना में सेवा करते थे। हर एक समूह हर वर्ष एक महीने अपने काम पर रहता था। उसमें परिवारों के शासक, नायक, सेनाध्यक्ष और सिपाही लोग थे जो राजा की सेवा करते थे। हर एक सेना के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।

याशोबाम पहले महीने के पहले समूह का अधीक्षक था। याशोबाम जब्दीएल का पुत्र था। याशोबाम के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे। याशोबाम पेरेस के वंशजों में से एक था। याशोबाम पहले महीने के लिये सभी सैनिक अधिकारियों का प्रमुख था।

दोदै दूसरे महीने के लिये सेना समूह का अधीक्षक था। वह अहोही से था। दोदै के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।

तीसरा सेनापति बनायाह था। बनायाह तीसरे महीने का सेनापति था। बनायाह यहोयादा का पुत्र था। यहोयादा प्रमुख याजक था। बनायाह के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे। यह वही बनायाह था जो तीस वीरों में से एक वीर सैनिक था। बनायाह उन व्यक्तियों का संचालन करता था। बनायाह का पुत्र अम्मीजाबाद बनायाह के समूह का अधीक्षक था।

चौथा सेनापति असाहेल था। असाहेल चौथे महीने का सेनापति था। असाहेल योआब का भाई था। बाद में, असाहेल के पुत्र जबद्याह ने उसका स्थान सेनापति के रूप में लिया। आसाहेल के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।

पाँचवाँ सेनापति शम्हूत था, शम्हूत पाँचवें महीने का सेनापति था। शम्हूत यिज्राही के परिवार से था। शम्हूत के समूह में चौबीस हजार व्यक्ति थे।

छठा सेनापति ईरा था। ईरा छठे महीने का सेनापति था। ईरा इक्केश का पुत्र था। इक्केश तकोई नगर से था। ईरा के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।

10 सातवाँ सेनापति हेलेस था। हेलेस सातवें महीने का सेनापति था। वह पेलोनी लोगों से था और एप्रैम का वंशज था। हेलेस के समुह में चौबीस हजार पुरुष थे।

11 सिब्बकै आठवाँ सेनापति था। सिब्बकै आठवें महीने का सेनापति था। सिब्बकै हूश से था। सिब्बकै जेरह परिवार का था। सिब्बकै के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।

12 नवाँ सेनापति अबीएजेर था। अबीएजेर नवें महीने का सेनापति था। अबीएजेर अनातोत नगर से था। अबीएजेर बिन्यामीन के परिवार समूह का था। अबीएजेर के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे। 13 दसवाँ सेनापति महरै था। महरै दसवें महीने का सेनापति था। महरै नतोप से था। वह जेरह परिवार का था। महरै के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।

14 ग्यारहवाँ सेनापति बनायाह था। बनायाह ग्यारहवें महीने का सेनापति था। बनायाह पिरातोन से था। बनायाह एप्रैम के परिवार समूह का था। बनायाह के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे। 15 बारहवाँ सेनापति हेल्दै था। हेल्दै बारहवें महीने का सेनापति था। हेल्दै, नतोपा, नतोप से था। हेल्दै ओत्नीएल के परिवार का था। हल्दै के समूह में चौबीस हजार पुरुष थे।

परिवार समूह के प्रमुख

16 इस्राएल के परिवार समूहों के प्रमुख ये थेः

रूबेनः जिक्री का पुत्र एलीआजर।

शिमोनः माका का पुत्र शपत्याह।

17 लेवीः शमूएल का पुत्र हशव्याह।

हारूनः सादोक।

18 यहूदाः एलीहू (एलीहू दाऊद के भाईयों में से एक था।)

इस्साकारः मीकाएल का पुत्र ओम्नी।

19 जबूलूनः ओबद्याह का पुत्र यिशमायाह,

नप्तालीः अज्रीएल का पुत्र यरीमोत।

20 एप्रैमः अज्जयाह का पुत्र होशे। पश्चिमी

मनश्शेः फ़ादायाह का पुत्र योएल।

21 पूर्वी मनश्शेः जकर्याह का पुत्र इद्दो।

बिन्यामीनः अब्नेर का पुत्र यासीएल।

22 दानः यारोहाम का पुत्र अजरेल।

वे इस्राएल के परिवार समूह के प्रमुख थे।

दाऊद इस्राएलियों की गणना करता है

23 दाऊद ने इस्राएल के लोगों की गणना का निश्चय किया। वहाँ बहुत अधिक लोग थे क्योंकि परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को आसमान के तारों के बराबर बनाने की प्रतिज्ञा की थी। अतः दाऊद ने बीस वर्ष और उससे ऊपर के पुरुषों की गणना की। 24 सरूयाह के पुत्र योआब ने लोगों को गिनना आरम्भ किया। किन्तु उसने गणना को पूरा नहीं किया। परमेश्वर इस्राएल के लोगों पर क्रोधित हो गया। यही कारण है कि लोगों की संख्या राजा दाऊद के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखी गई।

राजा के प्रशासक

25 यह उन व्यक्तियों की सूची है जो राजा की सम्पत्ति के लिये उत्तरदायी थेः

अदीएल का पुत्र अजमावेत राजा के भण्डारों का अधीक्षक था।

उज्जीय्याह का पुत्र यहोनातान छोटे नगरों के भण्डारों, गाँव, खेतों और मीनारों का अधीक्षक था।

26 कलूब का पुत्र एज्री कृषि—मजदूरों का अधीक्षक था।

27 शिमी अंगूर के खेतों का अधीक्षक था। शिमी रामा नगर का था।

जब्दी अंगूर के खेतों से आने वाली दाखमधु की देखभाल और भंडारण करने का अधीक्षक था। जब्दी शापाम का था।

28 बाल्हानान पश्चिमी पहाड़ी प्रदेश में जैदून और देवदार वृक्षों का अधीक्षक था।

बाल्हानान गदेर का था। योआश जैतून के तेल के भंडारण का अधीक्षक था।

29 शित्रै शारोन क्षेत्र में पशूओं का अधीक्षक था। शित्रै शारोन क्षेत्र का था।

अदलै का पुत्र शापात घाटियों में पशुओं का अधीक्षक था।

30 ओबील ऊँटों का अधीक्षक था। ओबील इश्माएली था।

येहदयाह गधों का अधीक्षक था। येहदयाह एक मेरोनोतवासी था।

31 याजीज भेड़ों का अधीक्षक था। याजीज हग्री लोगों में से था।

ये सभी व्यक्ति वे प्रमुख थे जो दाऊद की सम्पत्ति की देखभाल करते थे।

32 योनातान एक बुद्धिमान सलाहकार और शास्त्री था। योनातान दाऊद का चाचा था। हक्मोन का पुत्र एहीएल राजा के पुत्रों की देखभाल करता था। 33 अहीतोपेल राजा का सलाहकार था। हुशै राजा का मित्र था। हुशै एरेकी लोगों में से था। 34 बाद में यहोयादा और एब्यातार ने राजा के सलाहकार के रूप में अहीतोपेल का स्थान लिया। यहोयादा बनायाह का पुत्र था। योआब राजा की सेना का सेनापति था।

दाऊद मन्दिर की योजना बनाता है।

28 दाऊद ने इस्राएल के सभी प्रमुखों को इकट्ठा किया। उसने सभी प्रमुखों को यरूशलेम आने का आदेश दिया। दाऊद ने परिवार समूहों के प्रमुखों, राजा की सेवा करने वाली सेना की टुकड़ियों के सेनापतियों, सेनाध्यक्षों, राजा और उनके पुत्रों के जानवरों तथा सम्पत्ति की देखभाल करने वाले अधिकारियों, राजा के महत्वपूर्ण अधिकारियों, शक्तिशाली वीरों और सभी वीर योद्धाओं को बुलाया।

राजा दाऊद खड़ा हुआ और कहा, “मेरे भाईयो और मेरे लोगो, मेरी बात सुनो। मैं अपने हृदय से यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दुक को रखने के लिये एक स्थान बनाना चाहता हूँ। मैं एक ऐसा स्थान बनाना चाहता हूँ जो परमेश्वर का पद पीठ बन सके और मैंने परमेश्वर के लिये एक मन्दिर बनाने की योजना बनाई। किन्तु परमेश्वर ने मुझसे कहा, ‘नहीं दाऊद, तुम्हें मेरे नाम पर मन्दिर नहीं बनाना चाहिये। तुम्हें यह नहीं करना चाहिये क्योंकि तुम एक योद्धा हो और तुमने बहुत से व्यक्तियों को मारा है।’

“यहोवा इस्राएल के परमेश्वर ने इस्राएल के परिवार समूहों का नेतृत्व करने के लिये यहूदा के परिवार समूह को चुना। तब उस परिवार समूह में से, यहोवा ने मेरे पिता के परिवार को चुना और उस परिवार से परमेश्वर ने मुझे सदा के लिये इस्राएल का राजा चुना। परमेश्वर मुझे इस्राएल का राजा बनाना चाहता था। यहोवा ने मुझे बहुत से पुत्र दिये हैं और उन सारे पुत्रों में से, सुलैमान को यहोवा ने इस्राएल का नया राजा चुना। परन्तु इस्राएल सचमुच यहोवा का राज्य है। यहोवा ने मुझसे कहा, दाऊद, तुम्हारा पुत्र सुलैमान मेरा मन्दिर और इसके चारों ओर का क्षेत्र बनाएगा। क्यों? क्योंकि मैंने सुलैमान को अपना पुत्र चुना है और मैं उसका पिता रहूँगा।[b] अब सुलैमान मेरे नियमों और आदेशों का पालन कर रहा है। यदि वह मेरे नियमों का पालन करता रहता है तो मैं सुलैमान के राज्य को सदा के लिये शक्तिशाली बना दूँगा!”

दाऊद ने कहा, “अब, इस्राएल और परमेश्वर के सामने मैं तुमसे ये बातें कहता हूँ: यहोवा अपने परमेश्वर के सभी आदेशों को मानने में सावधान रहो! तब तुम इस अच्छे देश को अपने पास रख सकते हो और तुम सदा के लिए इसे अपने वंशजों को दे सकते हो।

“और मेरे पुत्र सुलैमान, तुम, अपने पिता के परमेश्वर को जानते हो। शुद्ध हृदय से परमेश्वर की सेवा करो। परमेश्वर की सेवा करने में अपने हृदय (मस्तिष्क) में प्रसन्न रहो। क्यों? क्योंकि यहोवा जानता है कि हर एक के हृदय (मस्तिष्क) में क्या है। हर बात जो सोचते हो, यहोवा जानता है। यदि तुम यहोवा के पास सहायता के लिये जाओगे, तो तुम्हें वह मिलेगी। किन्तु यदि उसको छोड़ते हो, तो वह तुमको सदा के लिये छोड़ देगा। 10 सुलैमान, तुम्हें यह समझना चाहिये कि यहोवा ने तुमको अपना पवित्र स्थान मन्दिर बनाने के लिये चुना है। शक्तिशाली बनो और कार्य को पूरा करो।”

11 तब दाऊद ने अपने पुत्र सुलैमान को मन्दिर बनाने के लिये योजनाएँ दीं। वे योजनाएँ मन्दिर के चारों ओर प्रवेश—कक्ष बनाने, इसके भवन, इसके भंडार—कक्ष, इसके ऊपरी कक्ष, इसके भीतरी कक्ष और दयापीठ के स्थान के लिये थी। 12 दाऊद ने मन्दिर के सभी भागों के लिये योजनाएँ बनाईं थीं। दाऊद ने उन योजनाओं को सुलैमान को दिया। दाऊद ने यहोवा के मन्दिर के चारों ओर के आँगन और उसके चारों ओर के कक्षों की योजनाएँ दीं। दाऊद ने मन्दिर के भंडारकक्षकों और उन भंडारकक्षों की योजनाएँ दीं जहाँ वे उन पवित्र चीजों को रखते थे जो मन्दिर में काम आती थीं। 13 दाऊद ने सुलैमान को, याजकों और लेवीवंशियों के समूहों के बारे में बताया। दाऊद ने सुलैमान को यहोवा के मन्दिर में सेवा करने के काम के बारे में और मन्दिर में काम आने वाली वस्तुओं के बारे में बताया। 14 दाऊद ने सुलैमान को बताया कि मन्दिर में काम आने वाली चीजों को बनाने में कितना सोना और चाँदी लगेगा। 15 सोने के दीपकों और दीपाधारों की योजनाएँ थी। और चांदी के दीपकों और दीपाधारों की योजनाएँ थी। दाऊद ने बताया कि हर एक दीपाधार और उसके दीपक के लिये कितनी सोने या चाँदी का उपयोग किया जाये। विभिन्न दीपाधार, जहाँ आवश्यकता थी, उपयोग में आने वाले थे। 16 दाऊद ने बाताया कि पवित्र रोटी के लिये काम में आने वाली हर एक मेज के लिये कितना सोना काम में आएगा। दाऊद ने बताया कि चाँदी की मेज़ों के लिये कितनी चाँदी काम में आएगी। 17 दाऊद ने बताया कि कितना शुद्ध सोना, काँटे, छिड़काव की चिलमची और घड़े बनाने में लगेगा। दाऊद ने बताया कि हर एक तश्तरी बनाने में कितना सोना लगेगा और हर एक चाँदी की तश्तरी में कितनी चाँदी लगेगी। 18 दाऊद ने बताया कि सुगन्धि की वेदी के लिये कितना शुद्ध सोना लगेगा। दाऊद ने सुलैमान को परमेश्वर का रथ, यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक के ऊपर अपने पँखों को फैलाये करूब (स्वर्गदूत) के साथ दयापीठ की योजना भी दी। करूब (स्वर्गदूत) सोने के बने थे।

19 दाऊद ने कहा, “ये सभी योजनाएँ मुझे यहोवा से मिले निर्देशों के अनुसार बने हैं। यहोवा ने योजनाओं की हर एक चीज समझने में मुझे सहायता दी।”

20 दाऊद ने अपने पुत्र सुलैमान से यह भी कहा, “दृढ़ और वीर बनो और इस काम को पूरा करो। डरो नहीं, क्योंकि यहोवा, मेरा परमेश्वर तुम्हारे साथ है। वह तुम्हारी सहायता तब तक करेगा जब तक तुम्हारा यह काम पूरा नहीं हो जता। वह तुमको छोड़ेगा नहीं। तुम यहोवा का मन्दिर बनाओगे। 21 परमेश्वर के मन्दिर का सभी काम करने के लिये याजकों और लेवीवंशियों के समूह तैयार हैं। सभी कामों में तुम्हें सहायता देने के लिये कुशल कारीगर तैयार है जो भी तुम आदेश दोगे उसका पालन अधिकारी और सभी लोग करेंगे।”

मन्दिर बनाने के लिये भेंट

29 राजा दाऊद ने वहाँ एक साथ इकट्ठे इस्राएल के सभी लोगों से कहा, “परमेश्वर ने मेरे पुत्र सुलैमान को चुना। सुलैमान बालक है और वह उन सब बातों को नहीं जानता जिनकी आवश्यकता उसे इस काम को करने के लिये है। किन्तु काम बुहत महत्वपूर्ण है। यह भवन लोगों के लिये नहीं है अपितु यहोवा परमेश्वर के लिये है। मैंने पूरी शक्ति से अपने परमेश्वर के मन्दिर को बनाने की योजना पर काम किया है। मैंने सोने से बनने वाली चीज़ों के लिये सोना दिया है। मैं ने चाँदी से बनने वाली चीजों के लिए चाँदी दी है। मैंने काँसे से बनने वाली चीजों के लिये काँसा दिया है। मैंने लोहे से बनने वाली चीज़ों के लिये लोहा दिया है। मैंने लकड़ी से बनने वाली चीज़ों के लिये लकड़ी दी है। मैंने नीलमणि, रत्नजटित फलकों के लिये विभिन्न रंगों के सभी प्रकार के बहुमूल्य रत्न और श्वेत संगमरमर भी दिये हैं। मैंने यहोवा के मन्दिर को बनाने के लिये ये चीजें अधिक और बहुत अधिक संख्या में दी हैं। मैं अपने परमेश्वर के मन्दिर के लिये सोने और चाँदी की एक विशेष भेंट दे रहा हूँ। मैं यह इसलिये कर रहा हूँ कि मैं सचमुच अपने परमेश्वर के मन्दिर को बनाना चाहता हूँ। मैं इस पवित्र मन्दिर को बनाने के लिये इन सब चीजों को दे रहा हूँ। मैंने ओपीर से एक सौ टन शुद्ध सोना दिया है। मैंने दो सौ साठ टन शुद्ध चाँदी दी है। चाँदी मन्दिर के भवनों की दीवारों के ऊपर मढ़ने के लिये है। मैंने सोना और चाँदी उन सब चीजों के लिये दी हैं जो सोने और चाँदी की बनी होती हैं। मैं ने सोना और चाँदी दिया है जिनसे कुशल कारीगर मन्दिर के लिये सभी विभिन्न प्रकार की चीज़ें बना सकेंगे। अब ईस्राएल के लोगो आप लोगों में से कितने आज यहोवा के लिये अपने को अर्पित करने के लिये तैयार हैं?”

परिवारों के प्रमुख, इस्राएल के परिवार समूहों के प्रमुख, सेनाध्याक्ष, राजा के काम करने के लिये उत्तरदायी अधिकारी, सभी तैयार थे और उन्होंने बहुमूल्य चीजें दीं। ये वे चीजें हैं जो उन्होंने परमेश्वर के गृह के लिये दीं एक सौ नब्बे टन सौना, तीन सौ पचहत्तर टन चाँदी, छःसौ पचहत्तर टन काँसा; तीन सौ पचास टन लोहा, जिन लोगों के पास कीमती रत्न थे उन्होंने यहोवा के मन्दिर के लिये दिये। यहीएल कीमती रत्नों का रक्षक बना। यहीएल गेर्शोन के परिवार में से था। लोग बहुत प्रसन्न थे क्योंकि उनके प्रमुख उतना अधिक देने में प्रसन्न थे। प्रमुख स्वतन्त्रता पूर्वक खुले दिल से देने में प्रसन्न थे। राजा दाऊद भी बहुत प्रसन्न था।

दाऊद की सुन्दर प्रार्थना

10 तब दाऊद ने उन लोगों के सामने, जो वहाँ एक साथ इकट्ठे थे, यहोवा की प्रशंसा की। दाऊद ने कहाः

“यहोवा इस्राएल का परमेश्वर, हमारा पिता,
    सदा—सदा के लिये तेरी स्तुति हो!
11 महानता, शक्ति, यश, विजय और प्रतिष्ठा तेरी है!
    क्यों? क्योंकि हर एक चीज़ धरती और आसमान की तेरी ही है!
हे यहोवा! राज्य तेरा है,
    तू हर एक के ऊपर शासक है।
12 सम्पत्ति और प्रतिष्ठा तुझसे आती है।
    तेरा शासन हर एक पर है।
तू शक्ति और बल अपने हाथ में रखता है!
    तेरे हाथ में शक्ति है कि तू किसी को—महान और शक्तिशाली बनाता है!
13 अब, हमारे परमेश्वर हम तुझको धन्यवाद देते हैं,
    और हम तेरे यशस्वी नाम की स्तुति करते हैं!
14 ये सभी चीज़ें मुझसे और मेरे लोगों से नहीं आई हैं!
ये सभी चीज़े तुझ से आईं
    और हमने तुझको वे चीज़ें दीं जो तुझसे आई हैं।
15 हम अजनबी और यात्रियों के समान हैं! हमारे सारे पूर्वज भी अजनबी हैं, और यात्री रहे।
इस धरती पर हमारा समय जाती हुई छाया सा है
    और हम इसे नहीं पकड़ सकते,
16 हे यहोवा हमारा परमेश्वर, हमने ये सभी चीज़ों तेरा मन्दिर बनाने के लिये इकट्ठी की हैं।
    हम लोग तेरा मन्दिर तेरे नाम के सम्मान के लिये बनायेंगे
किन्तु ये सभी चीज़ें तुझसे आई हैं
    हर चीज़ तेरी है।
17 मेरे परमेश्वर, मैं यह भी जानता हूँ तू लोगों के हृदयों की जाँच करता है,
    और तू प्रसन्न होता है, यदि लोग अच्छे काम करते हैं
मैं सच्चे हृदय से ये सभी चीज़े देने
    में प्रसन्न था।
अब मैंने तेरे लोगों को वहाँ इकट्ठा देखा
    जो ये चीज़ें तुझको देने में प्रसन्न हैं।
18 हे यहोवा, तू परमेश्वर है हमारे पूर्वज
    इब्राहीम, इसहाक और इस्राएल का।
कृपया तू लोगों की सहायता सही योजना बनाने में कर
    उन्हें तेरे प्रति विश्वास योग्य और सच्चा होने में कर।
19 और मेरे पुत्र सुलैमान को तेरे प्रति सच्चा होने में सहायता दे
    तेरे विधियों, नियमों और आदेशों को सर्वदा पालन करने में इसकी सहायता कर।
उन कामों को करने में सुलैमान की सहायता कर
    और उस महल को बनाने में उसकी सहायता कर जिसकी योजना मैंने बनाई है।”

20 तब दाऊद ने वहाँ एक साथ इकट्ठे सभी समूहों के लोगों से कहा, “अब यहोवा, अपने परमेश्वर की स्तुति करो।” अतः सब ने यहोवा परमेश्वर, उस परमेश्वर को जिसकी उपासना उनके पूर्वजों ने की, स्तुति की। उन्होंने यहोवा तथा राजा को सम्मान देने के लिये धरती पर माथा टेक कर प्रणाम किया।

सुलैमान राजा होता है

21 अगले दिन लोगों ने यहोवा को बलि भेंट दी। उन्होंने यहोवा को होमबलि दी। उन्होंने एक हजार बैल, एक हजार मेंढ़े एक हजार मेमने भेंट में दिये और उन्होंने पेय—भेंट भी दी। इस्राएल के लोगों के लिये वहाँ अनेकानेक बलिदान किये गये। 22 उस दिन लोगों ने खाया और पिया और यहोवा वहाँ उनके साथ था।

वे बहुत प्रसन्न थे और उन्होंने दाऊद के पुत्र सुलैमान को दूसरी बार राजा[c] बनाया उन्होने सुलेमान का अभिषेक राजा के रूप में किया और उहोंने सादोक का अभिषेक याजक बनाने के लिये किया। उन्होंने यह उस स्थान पर किया जहाँ यहोवा था।

23 तब सुलैमान राजा के रूप में यहोवा के सिहांसन पर बैठा। सुलैमान ने अपने पिता का स्थान लिया। सुलैमान बहुत सफल रहा। इस्राएल के सभी लोग सुलैमान का आदेश मानते थे। 24 सभी प्रमुख, सैनिक और राजा दाऊद के सभी पुत्रों ने सुलैमान को राजा के रूप में स्वीकार किया और उसकी आज्ञा का पालन किया। 25 यहोवा ने सुलैमान को बहुत महान बनाया। इस्राएल के सभी लोग जानते थे कि यहोवा सुलैमान को महान बना रहा है। यहोवा ने सुलैमान को वह सम्मान दिया जो एक राजा को मिलना चाहिये। सुलैमान के पहले इस्राएल के किसी राजा को यह सम्मान नहीं मिला।

दाऊद की मृत्यु

26-27 यिशै का पुत्र दाऊद पूरे इस्राएल पर चालीस वर्ष तक राजा रहा। दाऊद हेब्रोन नगर में सात वर्ष तक राजा रहा। तब दाऊद यरूशलेम में तैंतिस वर्ष तक राजा रहा। 28 दाऊद तब मरा जब वह बूढ़ा था। दाऊद ने एक अच्छा लम्बा जीवन बिताया था। दाऊद के पास बहुत सम्पत्ति और प्रतिष्ठा थी और दाऊद का पुत्र सुलैमान उसके बाद राजा बना।

29 वे कार्य, जो आरम्भ से लेकर अन्त तक दाऊद ने किये, सभी शमूएल दृष्टा की रचनाओं में और नातान नबी की रचनाओं में तथा गाद दृष्टा की रचनाओं में लिखे हैं। 30 वे रचनायें इस्राएल के राजा के रूप में दाऊद ने जो काम किये, उन सब की सूचना देती हैं। वे दाऊद की शक्ति और उसके साथ जो घटा, उसके विषय में भी बताती हैं और वे इस्राएल और उसके चारों ओर के राज्यों में जो हुआ, उसके बारे में बताती हैं।

सुलैमान बुद्धि की याचना करता है

सुलैमान एक बहुत शक्तिशाली राजा बन गया क्योंकि यहोवा उसका परमेश्वर, उसके साथ था। यहोवा ने सुलैमान को अत्यधिक महान बनाया।

सुलैमान ने इस्राएल के सभी लोगों से बातें कीं। उसने सेना के शतपतियों, सहस्त्रपतियों, न्यायाधीशों, सारे इस्राएल के सभी प्रमुखों तथा परिवारों के प्रमुखों से बातें कीं। तब सुलैमान और सभी लोग उसके साथ इकट्ठे हुए और उस उच्चस्थान को गये जो गिबोन नगर में था। परमेश्वर का मिलाप का तम्बू वहाँ था। यहोवा के सेवक मूसा ने उसे तब बनाया था जब वह और इस्राएल के लोग मरुभूमि में थे। दाऊद परमेश्वर के साक्षीपत्र के सन्दूक को किर्यत्यारीम से यरूशलेम तक लाया था। दाऊद ने यरूशलेम में इसको रखने के लिये एक स्थान बनाया था। दाऊद ने यरूशलेम में साक्षीपत्र के सन्दूक के लिए एक तम्बू लगा दिया था। बसलेल ने एक काँसे की वेदी बनाई थी। बसलेल ऊरी का पुत्र था। वह काँसे की वेदी गिबोन में पवित्र तम्बू के सामने थी। इसलिये सुलैमान और वे लोग यहोवा से राय लेने गिबोन गए। मिलाप के तम्बू में यहोवा के सामने काँसे की वेदी तक सुलैमान गया। सुलैमान ने एक हज़ार होमबलि वेदी पर चढ़ाई।

उस रात परमेश्वर सुलैमान के पास आया। परमेश्वर ने कहा, “सुलैमान, मुझसे तुम वह माँगो जो कुछ तुम चाहते हो कि मैं तुम्हें दूँ।”

सुलैमान ने परमेश्वर से कहा, “तू मेरे पिता दाऊद के प्रति बहुत कृपालु रहा है। तूने मुझे, मेरे पिता के स्थान पर नया राजा होने के लिये चुना है। यहोवा परमेश्वर, अब, तूने जो वचन मेरे पिता को दिया है उसे बने रहने दे। तूने मुझे ऐसी प्रजा का शासक बनाया, जो पृथ्वी के रेतकणों की तरह असंख्य है! 10 अब तू मुझे बुद्धि और ज्ञान दे। तब मैं इन लोगों को सही राह पर ले चल सकूँगा। कोई भी तेरी सहायता के बिना इन पर शासन नहीं कर सकता!”

11 परमेश्वर ने सुलैमान से कहा, “तुम्हारी भावनायें बिल्कुल ठीक हैं। तुमने धन या सम्पत्ति या सम्मान नहीं माँगा है। तुमने यह भी नहीं माँगा है कि तुम्हारे शत्रु मर जायें। तुमने लम्बी उम्र भी नहीं माँगी है। किन्तु तुमने अपने लिये बुद्धि और ज्ञान माँगा है। जिससे तुम मेरी प्रजा के सम्बन्ध में बुद्धिमता से निर्णय ले सको, जिसका मैंने तुमको राजा बनाया है। 12 इसलिये मैं तुम्हें बुद्धि और ज्ञान दूँगा। मैं तुम्हें धन, वैभव और सम्मान भी दूँगा। तुम्हारे पहले होने वाले राजाओं के पास इतना धन और इतना सम्मान कभी नहीं था और तुम्हारे बाद होने वाले राजाओं के पास भी इतना धन और सम्मान नहीं होगा।”

13 इस प्रकार, सुलैमान आराधना के स्थान गिबोन को गया। तब सुलैमान ने उस मिलापवाले तम्बू को छोड़ा और यरूशलेम लौट गया और इस्राएल पर राज्य करने लगा।

सुलैमान धन—संग्रह और अपनी सेना खड़ी करता है

14 सुलैमान ने घोड़े और रथ अपनी सेना के लिये एकत्रित करना आरम्भ किया। सुलैमान के पास एक हज़ार चार सौ रथ और बारह हज़ार घुड़सवार थे। सुलैमान ने उनको रथ नगरों में रखा। सुलैमान ने यरूशलेम में भी उनमें से कुछ को रखा, अर्थात वहाँ जहाँ राजा का निवास था। 15 सुलैमान ने यरूशलेम में बहुत सा चाँदी और सोना इकट्ठा किया। उसने इतना अधिक चाँदी और सोना इकट्ठा किया कि वह चट्टानों सा सामान्य हो गया। सुलैमान ने देवदार की बहुत सी लकड़ी इकट्ठी की। उसने देवदार की इतनी अधिक लकड़ी इकट्ठी की, कि वह पश्चिमी पहाड़ी प्रदेश के गूलर के वृक्ष समान सामान्य हो गयी। 16 सुलैमान ने मिस्र और कुए (या कोये देश से) से घोड़े मँगाए। राजा के व्यापारियों ने घोड़े कोये में खरीदे। 17 सुलैमान के व्यापारियों ने मिस्र से एक रथ चाँदी के छः सौ शेकेल में और घोड़ा चाँदी के एक सौ पचास शेकेल में खरीदा। तब व्यापारियों ने घोड़ों और रथों को हित्ती लोगों के राजाओं तथा अराम के राजाओं के हाथ बेच दिया।

सुलैमान मन्दिर बनाने की योजना बनाता है

सुलैमान ने यहोवा के नाम की प्रतिष्ठा के लिये एक मन्दिर और अपने लिये एक राजमहल बनाने का निश्चय किया। सुलैमान ने चीज़े लाने के लिये सत्तर हज़ार व्यक्तियों को चुना और पहाड़ी प्रदेश में पत्थर खोदने के लिये अस्सी हज़ार व्यक्तियों को चुना और उसने तीन हज़ार छः सौ व्यक्ति मज़दूरों की निगरानी के लिये चुने।

तब सुलैमान ने हूराम को संदेश भेजा। हूराम सोर नगर का राजा था। सुलैमान ने संदेश दिया था,

“मुझे वैसे ही सहायता दो जैसे तुमने मेरे पिता दाऊद को सहायता दी थी। तुमने देवदार के पेड़ों से उनको लकड़ी भेजी थी जिससे वे अपने रहने के लिये महल बना सके थे। मैं अपने यहोवा परमेश्वर के नाम का सम्मान करने के लिये एक मन्दिर बनाऊँगा। मैं यह मन्दिर यहोवा को अर्पित करूँगा जिसमें हमारे लोग उसकी उपासना कर सकेंगे। मैं उसको इस कार्य के लिये अर्पित करूँगा कि उसमें इस्राएलीं जाति के स्थायी धर्मप्रथा के अनुसार हमारे यहोवा परमेश्वर के पवित्र विश्राम दिवसों और नवचन्द्र तथा निर्धारित पर्वों पर सवेरे और शाम सुगन्धित धूप द्रव्य जलाये जायें, भेंट की रोटियाँ अर्पित की जायें और अग्निबलि चढ़ायी जाये।

“जो मन्दिर मैं बनाऊँगा वह महान होगा, क्योंकि हमारा परमेश्वर सभी देवताओं से बड़ा है। किन्तु कोई भी व्यक्ति सही अर्थ में हमारे परमेश्वर के लिये भवन नहीं बना सकता। स्वर्ग हाँ, उच्चतम स्वर्ग भी परमेश्वर को अपने भीतर नहीं रख सकता! मैं परमेश्वर के लिये मन्दिर नहीं बना सकता। मैं केवल एक स्थान परमेश्वर के सामने सुगन्धि जलाने के लिये बना सकता हूँ।

“अब, मेरे पास सोना, चाँदी, काँसा और लोहे के काम करने में एक कुशल व्यक्ति को भेजो। उस व्यक्ति को इसका ज्ञान होना चाहिए कि बैंगनी, लाल, और नीले कपड़ों का उपयोग कैसे किया जाता है। उस व्यक्ति को यहाँ यहूदा और यरूशलेम में मेरे कुशल कारीगरों के साथ नक्काशी करनी होगी। मेरे पिता दाऊद ने इन कुशल कारीगरों को चुना था। मेरे पास लबानोन देश से देवदार, चीड़ और चन्दन और सनोवर की लकड़ियाँ भी भेजो। मैं जानता हूँ कि तुम्हारे सेवक लबानोन से पेड़ों को काटने में अनुभवी हैं। मेरे सेवक तुम्हारे सेवकों की सहायता करेंगे। क्योंकि मुझे प्रचुर मात्रा में इमारती लकड़ी चाहिये। जो मन्दिर मैं बनवाने जा रहा हूँ वह विशाल और अद्भुत होगा। 10 मैंने एक लाख पच्चीस हज़ार बुशल गेहूँ भोजन के लिये, एक लाख पच्चीस हजार बुशल जौ, एक लाख पन्द्रह हजार गैलन दाखमधु और एक लाख पन्द्रह हज़ार गैलन तेल तुम्हारे उन सेवकों के लिये दिया है जो इमारती लकड़ी के लिये पेड़ों को काटते हैं।”

11 तब सोर के राजा हूराम ने सुलैमान को उत्तर दिया। उसने सुलैमान को एक पत्र भेजा। पत्र में यह कहा गया थाः

“सुलैमान, यहोवा अपने लोगों से प्रेम करता है। यही कारण है कि उसने तुमको उनका राजा चुना।” 12 हूराम ने यह भी कहा, “इस्राएल के यहोवा, परमेश्वर की प्रशंसा करो! उसने धरती और आकाश बनाया। उसने राजा दाऊद को बुद्धिमान पुत्र दिया। सुलैमान, तुम्हें बुद्धि और समझ है। तुम एक मन्दिर यहोवा के लिये बना रहे हो। तुम अपने लिये भी एक राजमहल बना रहे हो। 13 मैं तुम्हारे पास एक कुशल कारीगर भेंजूँगा। उसे विभिन्न प्रकार की बहुत सी कलाओं की जानकारी है। उसका नाम हूराम—अबी है। 14 उसकी माँ दान के परिवार समूह की थी और उसका पिता सोर नगर का था। हूराम—अबी सोना, चाँदी, काँसा, लोहा, पत्थर और लकड़ी के काम में कुशल है। हूराम—अबी बैंगनी, नीले, तथा लाल कपड़ों और बहुमूल्य मलमल को काम में लाने में भी कुशल है और हूराम—अबी नक्काशी के काम में भी कुशल है। हर किसी योजना को, जिसे तुम दिखाओगे, समझने में वह कुशल है। वह तुम्हारे कुशल कारीगरों की सहायता करेगा और वह तुम्हारे पिता राजा दाऊद के कुशल कारीगरों की सहायता करेगा।

15 “तुमने गेहूँ, जौ, तेल और दाखमधु भेजने का जो वचन दिया था, कृपया उसे मेरे सेवकों के पास भेज दो 16 और हम लोग लबानोन देश में लकड़ी काटेंगे। हम लोग उतनी लकड़ी काटेंगे जितनी तुम्हें आवश्यकता है। हम लोग समुद्र में लकड़ी के लट्ठों के बेड़े का उपयोग जापा नगर तक लकड़ी पहुँचाने के लिये करेंगे। तब तुम लकड़ी को यरूशलेम ले जा सकते हो।”

17 तब सुलैमान ने इस्राएल में रहने वाले सभी बाहरी लोगों को गिनवाया। (यह उस समय के बाद हुआ जब दाऊद ने लोगों को गिना था।) दाऊद, सुलैमान का पिता था। उन्हें एक लाख तिरपन हजार बाहरी लोग देश में मिले। 18 सुलैमामन ने सत्तर हज़ार बाहरी लोगों को चीज़ें ढोने के लिये चुना। सुलैमान ने अस्सी हजार बाहरी लोगों को पर्वतों में पत्थर काटने के लिए चुना और सुलैमान ने तीन हज़ार छः सौ बाहरी लोगों को काम पर लगाये रखने के लिए निरीक्षक रखा।

सुलैमान मन्दिर बनाता है

सुलैमान ने यहोवा का मन्दिर मोरिय्याह पर्वत पर यरूशलेम में बनाना आरम्भ किया। पर्वत मोरिय्याह वह स्थान है जहाँ यहोवा ने सुलैमान के पिता दाऊद को दर्शन दिया था। सुलैमान ने उसी स्थान पर मन्दिर बनाया जिसे दाऊद तैयार कर चुका था। यह स्थान उस खलिहान में था जो ओर्नान का था। ओर्नान यबूसी लोगों में से एक था। सुलैमान ने इस्राएल में अपने शासन के चौथे वर्ष के दूसरे महीने में मन्दिर बनाना आरम्भ किया।

सुलैमान ने परमेश्वर के मन्दिर की नींव के निर्माण के लिये जिस माप का उपयोग किया, वह यह हैः नींव साठ हाथ लम्बी और बीस हाथ चौड़ी थी। सुलैमान ने प्राचीन हाथ की माप का ही उपयोग तब किया जब उसने मन्दिर को नापा। मन्दिर के सामने का द्वार मण्डप बीस हाथ लम्बा और बीस हाथ ऊँचा था। सुलैमान ने द्वार मण्डप के भीतरी भाग को शुद्ध सोने से मढ़वाया सुलैमान ने बड़े कमरों की दीवार पर सनोवर लकड़ी की बनी चौकोर सिल्लियाँ रखीं। तब उसने सनोवर की सिल्लियों को शुद्ध सोने से मढ़ा और उसने शुद्ध सोने पर खजूर के चित्र और जंजीरें बनाईं। सुलैमान ने मन्दिर की सुन्दरता के लिये उसमें बहुमूल्य रत्न लगाए। जिस सोने का उपयोग सुलैमान ने किया वह पर्वैम से आया था। सुलैमान ने मन्दिर के भीतरी भवन को सोने से मढ़ दिया। सुलैमान ने छत की कड़ियाँ, चौखटों, दीवारों और दरवाजों पर सोना मढ़वाया। सुलैमान ने दीवारों पर करूब (स्वर्गदूतों) को खुदवाया।

तब सुलैमान ने सर्वाधिक पवित्र स्थान बनाया। सर्वाधिक पवित्र स्थान बीस हाथ लम्बा और बीस हाथ चौड़ा था। यह उतना ही चौड़ा था जितना पूरा मन्दिर था। सुलैमान ने सर्वाधिक पवित्र स्थान की दीवारों पर सोना मढ़वाया। सोने का वजन लगभग बीस हज़ार चार सौ किलोग्राम था। सोने की कीलों का वजन पाँच सौ पच्हत्तर ग्राम था सुलैमान ने ऊपरी कमरों को सोने से मढ़ दिया। 10 सुलैमान ने दो करूब (स्वर्गदूतों) सर्वाधिक पवित्र स्थान पर रखने के लिये बनाये। कारीगरों ने करूब स्वर्गदूतों को सोने से मढ़ दिया। 11 करूब (स्वर्गदूतों) का हर एक पंख पाँच हाथ लम्बा था। पंखों की पूरी लम्बाई बीस हाथ थी। पहले करूब (स्वर्गदूत) का एक पंख कमरे की एक ओर की दीवार को छूता था। दूसरा पंख दूसरे करूब (स्वर्गदूत) के पंख को छूता था। 12 दूसरे करूब (स्वर्गदूत) का दूसरा पंख कमरे की दूसरी ओर की दूसरी दीवार को छूता था। 13 करूब (स्वर्गदूत) के पंख सब मिलाकर बीस हाथ फैले थे। करूब (स्वर्गदूत) भीतर पवित्र स्थान की ओर देखते हुए खड़े थे।

14 उसने नीले, बैंगनी, लाल और कीमती कपड़ों तथा बहुमूल्य सूती वस्त्रों से मध्यवर्ती पर्दे को बनवाया। परदे पर करूबों के चित्र काढ़ दिए।

15 सुलैमान ने मन्दिर के सामने दो स्तम्भ खड़े किये। स्तम्भ पैंतिस हाथ ऊँचे थे। दोनों स्तम्भों का शीर्ष भाग दो पाँच हाथ लम्बा था। 16 सुलैमान ने जंजीरों के हार बनाए। उसने जंजीरों को स्तम्भों के शीर्ष पर रखा। सुलैमान ने सौ अनार बनाए और उन्हें जंजीरों से लटकाया। 17 तब सुलैमान ने मन्दिर के सामने स्तम्भ खड़े किये। एक स्तम्भ दायीं ओर था। दूसरा स्तम्भ बायीं ओर खड़ा था। सुलैमान ने दायीं ओर के स्तम्भ का नाम “याकीन” और सुलैमान ने बायीं ओर के स्तम्भ का नाम “बोअज़” रखा।

मन्दिर की सज्जा

सुलैमान ने वेदी बनाने के लिये काँसे का उपयोग किया। वह काँसे की वेदी बीस हाथ लम्बी, बीस हाथ चौड़ी और दस हाथ ऊँची थी। तब सुलैमान ने पिघले काँसे का उपयोग एक विशाल हौज बनाने के लिये किया। विशाल हौज गोल था और एक सिरे से दूसरे सिरे तक इसकी नाप दस हाथ थी और यह पाँच हाथ ऊँचा और दस हाथ घेरे वाला था। विशाल काँसे के तालाब के सिरे के नीचे और चारों ओर तीस हाथ की बैलों की आकृतियाँ ढाली गईं थीं। जब तालाब बनाया गया तब उस पर दो पंक्तियों में बैल बनाए गए। वह विशाल काँसे का तालाब बारह बैलों की विशाल प्रतिमा पर स्थित था। तीन बैल उत्तर की ओर देखते थे। तीन बैल पश्चिम की ओर देखते थे। तीन बैल दक्षिण की ओर देखते थे। तीन बैल पूर्व की ओर देखते थे। विशाल काँसे का तालाब इन बैलों के ऊपर था। सभी बैल अपने पिछले भागों को एक दूसरे के साथ तथा केन्द्र के साथ मिलाए हुए खड़े थे। विशाल काँसे का तालाब आठ सेंटीमीटर मोटा था। विशाल तालाब का सिरा एक प्याले के सिरे की तरह था। सिरा खिली हुई लिली की तरह था। इसमें छियासठ हज़ार लीटर आ सकता था।

सुलैमान ने दस चिलमचियाँ बनाईं। उसने विशास काँसे के तालाब की दायीं ओर पाँच चिलमचियाँ रखीं और सुलैमान ने काँसे के विशाल तालाब की बायीं ओर पाँच चिलमचियाँ रखीं। इन दस चिलमचियों का उपयोग होमबलि के लिए चढ़ाई जाने वाली चीज़ों को धोने के लिये होना था। किन्तु विशाल तालाब का उपयोग बलि चढ़ाने के पहले याजकों के नहाने के लिये होना था।

सुलैमान ने निर्देश के अनुसार सोने के दस दीपाधार बनाए और उनको मन्दिर में रख दियाः पाँच दाहिनी ओर और पाँच बायीं ओर। सुलैमान ने दस मेज़ें बनाईं और उन्हें मन्दिर में रखा। मन्दिर में पाँच मेज़े दायीं थीं और पाँच मेज़ें बायीं। सुलैमान ने सौ चिलमचियाँ बनाने के लिये सोने का उपयोग किया। सुलैमान ने एक याजकों का आँगन, महाप्रांगन, और उसके लिये द्वार बनाए। उसने आँगन में खुलने वाले दरवाज़ों को मढ़ने के लिये काँसे का उपयोग किया। 10 तब उसने विशाल काँसे के तालाब को मन्दिर के दक्षिण पूर्व की ओर दायीं ओर रखा।

11 हूराम ने बर्तन, बेल्चे और कटोरों को बनाया। तब हूराम ने परमेश्वर के मन्दिर में सुलैमान के लिये अपने काम खतम किये। 12 हूराम ने दोनों स्तम्भों और दोनों स्तम्भों के शीर्षभाग के विशाल दोनों कटोरों को बनाया था। हूराम ने दोनों स्तम्भों के शीर्ष भाग के विशाल दोनों कटोरों को ढ़कने के लिये सज्जाओं के जाल भी बनाए थे। 13 हूराम ने चार सौ अनार दोनों सज्जा जालों के लिये बनाए। हर एक जाल के लिये अनारों की दो पक्तियाँ थीं। दोनों स्तम्भों के शीर्षभाग पर के विशाल कटोरे जाल से ढके थे। 14 हूराम ने आधार दण्ड और उनके ऊपर के प्यालों को भी बनाया। 15 हूराम ने एक विशाल काँसे का तालाब और तालाब के नीचे बारह बैल बनाए। 16 हूराम ने बर्तन, बेल्चे, काँटे और सभी चीज़ें राजा सुलैमान के यहोवा के मन्दिर के लिये बनाईं। ये चीज़ें कलई चढ़े काँसे की बनी थीं। 17 राजा सुलैमान ने पहले इन चीज़ों को मिट्टी के साँचे में ढाला। ये साँचे सुक्कोत और सरेदा नगरों के बीच यरदन घाटी में बने थे। 18 सुलैमान ने ये इतनी अधिक मात्रा में बनाईं कि किसी व्यक्ति ने उपयोग में लाए गए काँसे को तोलने का प्रयत्न नहीं किया।

19 सुलैमान ने परमेश्वर के मन्दिर के लिये भी चीज़ें बनाईं। सुलैमान ने सुनहली वेदी बनाई। उसने वे मेज़ें बनाईं जिन पर उपस्थिति की रोटियाँ रखी जाती थीं। 20 सुलैमान ने दीपाधार और उनके दीपक शुद्ध सोने के बनाए। बनी हुई योजना के अनुसार दीपकों को पवित्र स्थान के सामने भीतर जलना था। 21 सुलैमान ने फूलों, दीपकों और चिमटे को बनाने के लिये शुद्ध सोने का उपयोग किया। 22 सुलैमान ने सलाईयाँ, प्याले, कढ़ाईयाँ और धूपदान बनाने के लिये शुद्ध सोने का उपयोग किया। सुलैमान ने मन्दिर के दरवाजों, सर्वाधिक पवित्र स्थान और मुख्य विशाल कक्ष के भीतरी दरवाजों को बनाने के लिये शुद्ध सोने का उपयोग किया।

तब सुलैमान ने यहोवा के मन्दिर के लिये किये गए सभी काम पूरे कर लिए। सुलैमान उन सभी चीज़ों को लाया जो उसके पिता दाऊद ने मन्दिर के लिये दीं थीं। सुलैमान सोने चाँदी की बनी हुई वस्तुएँ तथा और सभी सामान लाया। सुलैमान ने उन सभी चीज़ों को परमेश्वर के मन्दिर के कोषागार में रखा।

पवित्र सन्दूक मन्दिर में पहुँचाया गया

सुलैमान ने इस्राएल के सभी अग्रजों, परिवार समूहों के प्रमुखों और इस्राएल में परिवार प्रमुखों को इकट्ठा किया। उसने सभी को यरूशलेम में इकट्ठा किया। सुलैमान ने यह इसलिये किया कि लेवीवंशी साक्षीपत्र के सन्दूक को दाऊद के नगर से ला सकें। दाऊद का नगर सिय्योन है। राजा सुलैमान से इस्राएल के सभी लोग सातवें महीने के पर्व के अवसर पर एक साथ मिले।

जब इस्राएल के सभी अग्रज आ गए तब लेवीवंशियों ने साक्षीपत्र के सन्दूक को उठाया। तब याजक और लेवीवंशी साक्षीपत्र के सन्दूक को मन्दिर में ले गए। याजक और लेवीवंशी मिलापवाले तम्बू तथा इसमें जो पवित्र चीज़ें थीं उन्हें भी यरूशलेम ले आए। राजा सुलैमान और इस्राएल के सभी लोग साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने मिले। राजा सुलैमान और इस्राएल के सभी लोगों ने भेड़ों और बैलों की बलि चढ़ाई। वहाँ इतने अधिक मेढ़े व बैल थे कि कोई व्यक्ति उन्हें गिन नहीं सकता था। तब याजकों ने यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक को उस स्थान पर रखा, जो इसके लिये तैयार किया गया था। वह सर्वाधिक पवित्र स्थान मन्दिर के भीतर था। साक्षीपत्र के सन्दूक को करूब (स्वर्गदूत) के पंखों के नीचे रखा गया। साक्षीपत्र के सन्दूक के स्थान के ऊपर करूबों के पंख फैले हुये थे, करूब (स्वर्गदूत) साक्षीपत्र के सन्दूक के ऊपर खड़े थे। बल्लियाँ सन्दूक को लेजा ने में प्रयोग होती थीं। बल्लियाँ इतनी लम्बी थीं कि सर्वाधिक पवित्र स्थान के सामने से उनके सिरे देखे जा सकें। किन्तु कोई व्यक्ति मन्दिर के बाहर से बल्लियों को नहीं देख सकता था। बल्लियाँ, अब तक आज भी वहाँ हैं। 10 साक्षीपत्र के सन्दूक में दो शिलाओं के अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं था। मूसा ने दोनों शिलाओं को होरेब पर्वत पर साक्षीपत्र के सन्दूक में रखा था। होरेब वह स्थान था जहाँ यहोवा ने इस्राएल के लोगों के साथ वाचा की थी। यह उसके बाद हुआ जब इस्राएल के लोग मिस्र से चले आए।

11 तब वे सभी याजक पवित्र स्थान से बाहर आए। सभी वर्ग के याजकों ने अपने को पवित्र कर लिया था।

12 और सभी लेविवंशी गायक वेदी के पूर्वी ओर खड़े थे। सभी आसाप, हेमान और यदूतून के गायक समूह वहाँ थे और उनके पुत्र तथा उनके सम्बन्धी भी वहाँ थे। वे लेवीवंशी गायक सफेद बहुमूल्य मलमल के वस्त्र पहने हुए थे। वे झाँझ, वीणा और सारंगी लिये थे। उन लेवीवंशी गायकों के साथ वहाँ एक सौ बीस याजक थे। वे एक सौ बीस याजक तुरही बजा रहे थे। 13 जो तुरही बजा रहे थे और गा रहे थे, वे एक व्यक्ति की तरह थे। जब वे यहोवा की स्तुति करते थे और उसे धन्यवाद देते थे तब वे एक ही ध्वनि करते थे। तुरही, झाँझ तथा अन्य वाद्य यन्त्रों पर वे तीव्र घोष करते थे, उन्होंने यहोवा की स्तुति में यह गीत गया:

“यहोवा की स्तुति करो क्योंकि वह भला है।
    उसका प्रेम शाश्वत है।”

तब यहोवा का मन्दिर मेघ से भर उठा। 14 मेघ के कारण याजक सेवा कर न सके, इसका कारण था यहोवा की महिमा मन्दिर में भर गई थी।

तब सुलैमान ने कहा,

“यहोवा ने कहा कि वह काले घने
    बादल में रहेगा।
हे यहोवा, मैंने एक भवन तेरे रहने के लिये बनाया है। यह एक भव्य भवन है।
    यह तेरे सर्वदा रहने का स्थान है!”

सुलैमान का भाषण

राजा सुलैमान मुड़ा और उसने अपने सामने खड़े सभी इस्राएल के लोगों को आशीर्वाद दिया। सुलैमान ने कहा,

“इस्राएल के परमेश्वर, यहोवा की प्रशंसा करो! यहोवा ने वह कर दिया है जो करने का वचन उसने तब दिया था जब उसने मेरे पिता दाऊद से बातें की थी। परमेश्वर यहोवा ने यह कहा, ‘जब से मैं अपने लोगों को मिस्र से बाहर लाया तब से अब तक मैंने इस्राएल के किसी परिवार समूह से कोई नगर नहीं चुना है, जहाँ मेरे नाम का एक भवन बने। मैंने अपने निज लोगों इस्राएलियों पर शासन करने के लिये भी किसी व्यक्ति को नहीं चुना है। किन्तु अब मैंने यरूशलेम को अपने नाम के लिये चुना है और मैंने दाऊद को अपने इस्राएली लोगों का नेतृत्व करने के लिये चुना है।’

“मेरे पिता दाऊद की यह इच्छा थी कि वह इस्राएली राष्ट्र के यहोवा परमेश्वर के नाम की महिमा के लिये एक मन्दिर बनवाये। किन्तु यहोवा ने मेरे पिता से कहा, ‘दाऊद, जब तुमने मेरे नाम पर मन्दिर बनाने की इच्छा की तब तुमने ठीक ही किया। किन्तु तुम मन्दिर बना नहीं सकते। किन्तु तम्हारा अपना पुत्र मेरे नाम पर मन्दिर बनाएगा।’ 10 अब, यहोवा ने वह कर दिया है जो उसने करने को कहा था। मैं अपने पिता के स्थान पर नया राजा हूँ। दाऊद मेरे पिता थे। अब मैं इस्राएल का राजा हूँ। यहोवा ने यही करने का वचन दिया था। मैंने इस्राएल के यहोवा परमेश्वर के नाम पर मन्दिर बनवाया है। 11 मैंने साक्षीपत्र के सन्दूक को मन्दिर में रखा है। साक्षीपत्र का सन्दूक वहाँ है जहाँ यहोवा के साथ की गई वाचा रखी जाती है। यहोवा ने यह वाचा इस्राएल के लोगों के साथ की।”

सुलैमान की प्रार्थना

12 सुलैमान यहोवा की वेदी के सामने खड़ा हुआ। वह उन इस्राएल के लोगों के सामने खड़ा हुआ जो वहाँ इकट्ठे हुए थे। तब सुलैमान ने अपने हाथों और अपनी भुजाओं को फैलाया। 13 सुलैमान ने एक काँसे का मंच पाँच हाथ लम्बा, पाँच हाथ चौड़ा और तीन हाथ ऊँचा बनाया था और इसे बाहरी आँगन के बीच में रखा था। तब वह मंच पर खड़ा हुआ और इस्राएल के जो लोग वहाँ इकट्ठे हुए थे उनकी उपस्थिति में घुटने टेके। सुलैमान ने आकाश की ओर हाथ फैलाया। 14 सुलैमान ने कहा:

“हे इस्राएल के परमेश्वर, यहोवा, तेरे समान कोई भी परमेश्वर न तो स्वर्ग में है, न ही धरती पर है। तू प्रेम करने और दयालु बने रहने की वाचा का पालन करता है। तू अपने उन सेवकों के साथ वाचा का पालन करता है जो पूरे हृदय की सच्चाई से रहते हैं और तेरी आज्ञा का पालन करते हैं। 15 तूने अपने सेवक दाऊद को दिये गए वचन को पूरा किया। दाऊद मेरा पिता था। तूने अपने मुख से वचन दिया था, और आज तूने अपने हाथों से इस वचन को पूरा किया है। 16 अब, हे यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर! तू अपने सेवक दाऊद को दिये गये वचन को बनाये रख। तूने यह वचन दिया थाः तूने कहा था, ‘दाऊद, तुम अपने परिवार से, मेरे सामने इस्राएल के सिंहासन पर बैठने के लिए, एक व्यक्ति को पाने में कभी असफल नहीं होगे। यही होगा यदि तुम्हारे पुत्र उन सभी बातों में सावधान रहेंगे जिन्हें वे करेंगे। उन्हें मेरे नियमों का पालन वैसे ही करना चाहिए जैसा तुमने मेरे नियमों का पालन किया है।’ 17 अब, हे यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर अपने वचन को पूरा होने दे। तूने यह वचन अपने सेवक दाऊद को दिया था।

18 “हे परमेश्वर, हम जानते हैं कि तू यथार्थ में, लोगों के साथ धरती पर नहीं रहेगा। स्वर्ग, सर्वोच्च स्वर्ग भी तुझको अपने भीतर रखने की क्षमता नहीं रखता और हम जानते हैं कि यह मन्दिर जिसे मैंने बनाया है तुझको अपने भीतर नहीं रख सकता। 19 किन्तु हे यहोवा, परमेश्वर तू हमारी प्रार्थना और कृपा याचना पर ध्यान दे। हे यहोवा, मेरे परमेश्वर! तेरे लिये की गई मेरी पुकार तू सुन। मैं तुझसे जो प्रार्थना कर रहा हूँ, सुन। मैं तेरा सेवक हूँ। 20 मैं प्रार्थना करता हूँ कि तेरी आँखें मन्दिर को देखने के लिये दिन रात खुली रहें। तूने कहा था कि तू इस स्थान पर अपना नाम अंकित करेगा। मन्दिर को देखता हुआ जब मैं तुझसे प्रार्थना कर रहा हूँ तो तू मेरी प्रार्थना सुन। 21 मेरी प्रार्थनाएँ सुन और तेरे इस्राएल के लोग जो प्रार्थना कर रहे हैं, उन्हें भी सुन। जब हम तेरे मन्दिर को देखते हुए प्रार्थना कर रहे हैं तो तू हमारी प्रार्थनाएँ सुन। तू स्वर्ग में जहाँ रहता है वहीं से सुन और जब तू हमारी प्रार्थनाएँ सुने तो तू हमें क्षमा कर।

22 “कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के साथ कुछ बुरा करने का दोषी हो सकता है। जब ऐसा होगा तो दोषी व्यक्ति को, यह सिद्ध करने के लिए कि वह निरपराध है, तेरा नाम लेना पड़ेगा। जब वह तेरी वेदी के सामने शपथ लेने मन्दिर में आए तो 23 स्वर्ग से सुन। तू अपने सेवकों का फैसला कर और उसे कार्यान्वित कर। दोषी को दण्ड दे और उसे उतना कष्ट होने दे जितना कष्ट उसने दूसरे को दिया हो। यह प्रमाणित कर कि जिस व्यक्ति ने ठीक कार्य किया है, वह निरपराध है।

24 “तेरे इस्राएलियों को किसी भी शत्रुओं से पराजित होना पड़ सकता है, क्योंकि तेरे लोगों ने तेरे विरुद्ध पाप किया है तब यदि इस्राएल के लोग तेरे पास लौटें और तेरे नाम पर पाप स्वीकारें और इस मन्दिर में तुझसे प्रार्थना और याचना करें 25 तो स्वर्ग से सुन और अपने लोगों, इस्राएल के पापों को क्षमा कर। उन्हें उस देश में लौटा जिसे तूने उन्हें और उनके पूर्वजों को दिया था।

26 “आसमान कभी ऐसे बन्द हो सकता है कि वर्षा न हो। वह तब होगा जब इस्राएल के लोग तेरे विरुद्ध पाप करेंगे और यदि इस्राएल के लोगों को इसका पश्चाताप होगा और मन्दिर को देखते हुए प्रार्थना करेंगे, तेरे नाम पर पाप स्वीकार करेंगे और वे पाप करना छोड़ देंगे क्योंकि तू उन्हें दण्ड देता है। 27 तो स्वर्ग से तू उनकी सुन। तू उनकी सुन और उनके पापों को क्षमा कर। इस्राएल के लोग तेरे सेवक हैं। तब उन्हें सही मार्ग का उपदेश दे जिस पर वे चलें। तू अपनी भूमि पर वर्षा भेज। वही देश तूने अपने लोगों को दिया था।

28 “देश में कोई अकाल या महामारी, या फसलों को बीमारी, या फफूँदी, या टिड्डी, या टिड्डे हो जाये या यदि इस्राएल के लोगों के नगरों में उनके शत्रु घेरा डाल दें, या यदि इस्राएल में किसी प्रकार की बीमारी हो 29 और तब तेरे लोग अर्थात इस्राएल का कोई व्यक्ति प्रार्थना या याचना करे तथा हर एक व्यक्ति अपनी आपत्ति और पीड़ा को जानता रहे एवं यदि वह व्यक्ति इस मन्दिर को देखते हुए अपने हाथ और अपनी भुजायें उठाए 30 तो तू उनकी स्वर्ग से सुन। स्वर्ग वही है जहाँ तू है। सुन और क्षमा कर। हर एक व्यक्ति को वह दे जो उसे मिलना चाहिये क्योंकि तू जानता है कि हर एक व्यक्ति के हृदय में क्या है। केवल तू ही जानता है कि व्यक्ति के हृदय में क्या है। 31 तब लोग तुझसे डरेंगे और तेरी आज्ञा मानेंगे जब तक वे उस देश में रहेंगे जिसे तूने हमारे पूर्वजों को दिया था।

32 “कोई ऐसा अजनबी हो सकता है जो इस्राएल के लोगों में से न हो, किन्तु वह उस देश से आया हो जो बहुत दूर हो और वह अजनबी तेरी प्रतिष्ठा, तेरी असीम शक्ति और तेरी दण्ड देने की क्षमता के कारण आया हो। जब वह व्यक्ति आए और इस मन्दिर को देखता हुआ प्रार्थना करे 33 तब स्वर्ग से जहाँ तू रहता है, सुन और तू उसकी प्रार्थना का उत्तर दे। तब सारे संसार के राष्ट्र तेरा नाम जानेंगे और तेरा आदर वैसे करेंगे जैसे तेरे लोग अर्थात इस्राएली करते हैं और संसार के सभी लोग जानेंगे कि जिस मन्दिर को मैंने बनवाया है वह तेरे नाम से जाना जाता है।

34 “जब तू अपने लोगों को किसी स्थान पर उनके शत्रुओं के साथ लड़ने के लिये भेजे और वे इस नगर की ओर देखकर प्रार्थना करें, जिसे तूने चुना है तथा इस मन्दिर की ओर देखें जिसे मैंने तेरे नाम पर बनाया है। 35 तो उनकी प्रार्थना स्वर्ग से सुन। उनकी सहायता कर।

36 “लोग तेरे विरुद्ध पाप करेंगे—कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जो पाप न करता हो और तू उन पर क्रोधित होगा। तू किसी शत्रु को उन्हें हराने देगा और उनसे पकड़े जाने देगा तथा बहुत दूर या निकट के देश में जाने पर मजबूर किये जाने देगा। 37 किन्तु जब वे अपना विचार बदलेंगे और वे याचना करेंगे जबकि वे बन्दी बनाये जाने वाले देश में ही हैं। वे कहेंगे, ‘हम लोगों ने पाप किया है, हम लोगों ने बुरा किया है तथा हम लोगों ने दुष्टता की है।’ 38 तब वे देश में जहाँ वे बन्दी हैं, अपने पूरे हृदय व आत्मा से तेरे पास लौटेंगे और इस देश की ओर जो तूने उनके पूर्वजों को दिया है, इस नगर की ओर जिसको तूने चुना है, और इस मन्दिर की ओर जो मैंने तेरे नाम की महिमा के लिये निर्मित किया है, उसकी ओर मुख करके प्रार्थना करेंगे। 39 जब ऐसा हो तो तू स्वर्ग से उनकी सुन। स्वर्ग तेरा आवास है। उनकी प्रार्थना और याचना को स्वीकार कर और उनकी सहायता कर और अपने उन लोगों को क्षमा कर दे जिन्होंने तेरे विरुद्ध पाप किया है। 40 अब, मेरे परमेश्वर मैं तुझसे माँगता हूँ, तू अपने आँख और कान खोल ले। तू हम लोगों की, जो प्रार्थना इस स्थान पर कर रहे हैं उसे सुन और उस पर ध्यान दे।

41 “अब, हे यहोवा परमेश्वर उठ और अपने विशेष स्थान पर आ,
    जहाँ साक्षीपत्र का सन्दूक, तेरी शक्ति प्रदर्शित करता है।
अपने याजकों को मुक्ति धारण करने दे।
    हे यहोवा, परमेश्वर! अपने पवित्र लोगों को अपनी अच्छाई में प्रसन्न होने दे।
42 हे यहोवा, परमेश्वर अपने अभिषिक्त राजा को स्वीकार कर।
    अपने सेवक दाऊद की स्वामी भक्ति को याद रख।”

मन्दिर यहोवा को अर्पित

जब सुलैमान ने प्रार्थना पूरी की तो आकाश से आग उतरी और उसने होमबलि और बलियों को जलाया। यहोवा के तेज ने मन्दिर को भर दिया। याजक यहोवा के मन्दिर में नहीं जा सकते थे क्योंकि यहोवा के तेज ने उसे भर दिया था। इस्राएल के सभी लोगों ने आकाश से आग को उतरते देखा। इस्राएल के लोगों ने मन्दिर पर भी यहोवा के तेज को देखा। उन्होंने अपने चेहरे को चबूतरे की फर्श तक झुकाया। उन्होंने यहोवा की उपासना की तथा उसे धन्यवाद दिया। उन्होंने गाया,

“यहोवा भला है,
    और उसकी दया सदा रहती है।”[d]

तब राजा सुलैमान और इस्राएल के सभी लोगों ने बलि यहोवा के सामने चढ़ाई। राजा सुलैमान ने बाईस हज़ार बैल और एक लाख बीस हज़ार भेड़ें भेंट कीं। राजा और सभी लोगों ने परमेश्वर के मन्दिर को पवित्र बनाया। इसका उपयोग केवल परमेश्वर की उपासना के लिये होता था। याजक अपना कार्य करने के लिये तैयार खड़े थे। लेवीवंशी भी यहोवा के संगीत के उपकरणों के साथ खड़े थे। ये उपकरण राजा दाऊद द्वारा यहोवा को धन्यवाद देने के लिये बनाए गए थे। याजक और लेवीवंशी कह रहे थे, “यहोवा का प्रेम सदैव रहता है!” जब लेवीवंशियों के दूसरी ओर याजक खड़े हुए तो याजकों ने अपनी तुरहियाँ बजाईं और इस्राएल के सभी लोग खड़े थे।

सुलैमान ने यहोवा के मन्दिर के सामने वाले आँगन के मध्य भाग को भी पवित्र किया। यह वही स्थान है जहाँ सुलैमान ने होमबलि और मेलबलि की चर्बी चढ़ाई। सुलैमान ने आँगन का मध्य भाग काम में लिया क्योंकि काँसे की वेदी पर जिसे सुलैमान ने बनाई थी, सारी होमबलि, अन्नबलि और चर्बी नहीं आ सकती थी वैसी भेंटें बहुत अधिक थीं।

सुलैमान और इस्राएल के सभी लोगों ने सात दिनों तक दावतों का उत्सव मनाया। सुलैमान के साथ लोगों का एक बहुत बड़ा समूह था। वे लोग उत्तर दिशा के हमथ नगर के प्रवेश द्वार तथा दक्षिण के मिस्र के झरने जैसे सुदूर क्षेत्रों से आये थे। आठवें दिन उन्होंने एक धर्मसभा की क्योंकि वे सात दिन उत्सव मना चुके थे। उन्होंने वेदी को पवित्र किया और इसका उपयोग केवल यहोवा की उपासना के लिये होना था और उन्होंने सात दिन दावत का उत्सव मनाया। 10 सातवें महीने के तेईसवें दिन सुलैमान ने लोगों को वापस उनके घर भेज दिया। लोग बड़े प्रसन्न थे और उनका हृदय आनन्द से भरा था क्योंकि यहोवा दाऊद, सुलैमान और अपने इस्राएल के लोगों के प्रति बहुत भला था।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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