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Bible in 90 Days

An intensive Bible reading plan that walks through the entire Bible in 90 days.
Duration: 88 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
1 राजा 7:38-16:20

38 हीराम ने दस कटोरे भी बनाये। एक—एक कटोरा दस गाड़ियों में से हर एक के लिये था। हर एक कटोरा छ: फुट व्यास वाला था और हर एक कटोरे में दो सौ तीस गैलन आ सकता था। 39 हीराम ने पाँच गाड़ियों को मन्दीर के दक्षिण और अन्य पाँच गाड़ियों को मन्दिर के उत्तर में रखा। उसने विशाल तालाब को मन्दिर के दक्षिण पूर्व कोने में रखा। 40-45 हीराम ने बर्तन, छोटे बेल्चे, और छोटे कटोरे भी बनाए। हीराम ने उन सारी चीजों को बनाना पूरा किया जिन्हें राजा सुलैमान उससे बनवाना चाहता था। हीराम ने यहोवा के मन्दिर के लिये जो कुछ बनाईं उसकी सूची यह है:

दो स्तम्भ, स्तम्भों के सिरों के लिये कटोरे के आकार के दो शीर्ष,

शीर्षों के चारों ओर लगाए जाने वले दो जाल।

दो जालों के लिये

चार सौ अनार स्तम्भों के सिरों पर शीर्षों के दोनों कटोरों को ढकने के लिये;

हर एक जाल के वास्ते अनारों की दो पंक्तियाँ थीं।

वहाँ दस गाड़ियाँ थी, हर गाड़ी पर एक कटोरा था,

एक विशाल तालाब जो बारह बैलों पर टिका था,

बर्तन, छोटे बेल्चे, छोटे कटोरे,

और यहोवा के मन्दिर के लिये सभी तश्तरियाँ।

हीराम ने वे सभी चीज़ें बनाई जिन्हें राजा सुलैमान चाहता था। वे सभी झलकाए हुए काँसे से बनी थीं। 46-47 सुलैमान ने उस काँसे को कभी नहीं तोला जिसका उपयोग इन चीज़ों को बनाने के लिये हुआ था। यह इतना अधिक था कि इसका तौलना सम्भव नहीं था इसलिये सारे काँसे के तौल का कुल योग कभी मलूम नहीं हुआ। राजा ने इन चीज़ों को सुक्कोत और सारतान के बीच यरदन नदी के समीप बनाने का आदेश दिया। उन्होंने इन चीज़ों को, काँसे को गलाकर और जमीन में बने साँचों में ढालकर, बनाया।

48-50 सुलैमान ने यह भी आदेश दिया कि मन्दिर के लिये सोने की बहुत सी चीज़ें बनाई जायें। सुलैमान ने मन्दिर के लिये सोने से जो चीज़ें बनाईं, वे ये हैं:

सुनहली वेदी,

सुनहली मेज (परमेश्वर को भेंट चढ़ाई गई विशेष रोटी इस मेज पर रखी जाती थी)

शुद्ध सोने के दीपाधार (सर्वाधिक पवित्र स्थान के सामने ये पाँच दक्षिण की ओर, और पाँच उत्तर की ओर थे।)

सुनहले फूल, दीपक और चिमटे, प्याले,

दीपक को पूरे प्रकाश से जलता रखने के लिये औजार, कटोरे, कड़ाहियाँ,

कोयला ले चलने के लिये उपयोग में आने वाली शुद्ध सोने की तश्तरियाँ और मन्दिर के प्रवेश द्वार के दरवाजे।

51 इस प्रकार सुलैमान ने, यहोवा के मन्दिर के लिये जो काम वह करना चाहता था, पूरा किया। तब सुलैमान ने वे सभी चीज़ें लीं जिन्हें उसके पिता दाऊद ने इस उद्देश के लिये सुरक्षित रखी थीं। वह इन चीज़ों को मन्दिर में लाया। उसने चाँदी और सोना यहोवा के मन्दिर के कोषागारों में रखा।

मन्दिर में साक्षीपत्र का सन्दूक

तब राजा सुलैमान ने इस्राएल के सभी अग्रजों, परिवार समूहों के प्रमुखों तथा इस्राएल के परिवारों के प्रमुखों को एक साथ यरूशलेम में बुलाया। सुलैमान चाहता था कि वे साक्षीपत्र के सन्दूक को दाऊद नगर से मन्दिर में लायें। इसलिये इस्राएल के सभी लोग राजा सुलैमान के साथ आये। यह एतानीम महीने में विशेष त्यौहार (आश्रयों का त्यौहार) के समय हुआ। (यह वर्ष का सातवाँ महीना था)।

इस्राएल के सभी अग्रज स्थान पर आए। तब याजकों ने पवित्र सन्दूक उठाया। वे पवित्र तम्बू और तम्बू में की सभी चीज़ों सहित यहोवा के पवित्र सन्दूक को ले आए। लेवीवंशियों ने याजकों की साहायता इन चीज़ों को ले चलने में की। राजा सुलैमान और इस्राएल के सभी लोग साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने इकट्ठे हुए। उन्होंने अनेक बलि भेंट की। उन्होंने इतनी अधिक भेड़ें और पशु मारे कि कोई व्यक्ति उन सभी को गिनने में समर्थ नहीं था। तब याजकों ने यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक को उसके उचित स्थान पर रखा। यह मन्दिर के भीतर सर्वाधिक पवित्र स्थान में था। साक्षीपत्र का सन्दूक करूब (स्वर्गदूतों) के पंखों के नीचे रखा गया। करूब (स्वर्गदूतों) के पंख पवित्र सन्दूक के ऊपर फैले थे। वे पवित्र सन्दूक और उसको ले चलने में सहायक बल्लियों को ढके थे। ये सहायक बल्लियाँ बहुत लम्बी थीं। यदि कोई व्यक्ति पवित्र स्थान में सर्वाधिक पवित्र स्थान के सामने खड़ा हो, तो वह बल्लियों के सिरों को देख सकता था। किन्तु बाहर को कोई भी उन्हें नहीं देख सकता था। वे बल्लियाँ आज भी वहाँ अन्दर हैं। पवित्र सन्दूक के भीतर केवल दो अभिलिखित शिलायें थीं। वे दो अभिलिखित शिलायें वही थीं, जिन्हें मूसा ने होरेब नामक स्थान पर पवित्र सन्दूक में रखा था। होरेब वह स्थान था जहाँ यहोवा ने इस्राएल के लोगों के साथ उनके मिस्र से बाहर आने के बाद वाचा की।

10 याजकों ने सन्दूक को सर्वाधिक पवित्र स्थान में रखा। जब याजक पवित्र स्थान से बाहर आए तो बादल[a] यहोवा के मन्दिर में भर गया। 11 याजक अपना काम करते न रह सके क्योंकि मन्दिर यहोवा के प्रताप[b] से भर गया था। 12 तब सुलैमान ने कहा:

“यहोवा ने गगन में सूर्य को चमकाया,
    किन्तु उसने काले बादलों में रहना पसन्द किया।
13 मैंने तेरे लिए एक अद्भुत मन्दिर बनाया, एक निवास,
    जिसमें तू सदैव रहेगा।”

14 इस्राएल के सभी लोग वहाँ खड़े थे। इसलिये सुलैमान उनकी ओर मुड़ा और परमेश्वर ने उन्हें आशीर्वाद देने को कहा। 15 तब राजा सुलैमान ने यहोवा से एक लम्बी प्रार्थना की। जो उसने प्रार्थना की वह यह है:

“इस्राएल का यहोवा परमेश्वर महान है। यहोवा ने मेरे पिता दाऊद से जो कुछ कहा—उन्हें उसने स्वयं पूरा किया है। यहोवा ने मेरे पिता से कहा, 16 ‘मैं अपने लोगों इस्राएलियों को मिस्र से बाहर लाया। लेकिन मैंने अभी तक इस्राएल परिवार समूह से किसी नगर को नहीं चुना है, कि मुझे सम्मान देने के लिये मन्दिर—निर्माण करे। और मैंने अपने लोग, इस्राएलियों का मार्ग दर्शक कौन व्यक्ति हो, उसे नहीं चुना है। किन्तु अब मैंने यरूशलेम को चुना है जहाँ मैं सम्मानित होता रहूँगा। किन्तु अब, दाऊद को मैंने चुना है। मेरे इस्राएली लोगों पर शासन करने के लिये।’

17 “मेरे पिता दाऊद बहुत अधिक चाहते थे कि वे यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर के सम्मान के लिये मन्दिर बनाएं। 18 किन्तु यहोवा ने मेरे पिता दाऊद से कहा, ‘मैं जानता हूँ कि तुम मेरे सम्मान के लिये मन्दिर बनाने की प्रबल इच्छा रखते हो और यह अच्छा है कि तुम मेरा मन्दिर बनाना चाहते हो। 19 किन्तु तुम वह व्यक्ति नहीं हो जिसे मैंने मन्दिर बनाने के लिये चुना है। तुम्हारा पुत्र मेरा मन्दिर बनाएगा।’

20 “इस प्रकार यहोवा ने जो प्रतिज्ञा की थी उसे पूरी कर दी है। अब मैं अपने पिता दाऊद के स्थान पर राजा हूँ। अब मैं यहोवा की प्रतिज्ञा के अनुसार इस्राएल के लोगों पर शासन कर रहा हूँ और मैंने इस्राएल के परमेश्वर के लिये मन्दिर बनाया है। 21 मैंने मन्दिर में एक स्थान पवित्र सन्दूक के लिये बनाया है। उस पवित्र सन्दूक में वह साक्षीपत्र है जो वाचा यहोवा ने हमारे पूर्वजों के साथ किया था। यहोवा ने वह वाचा तब की जब वह हमारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर ले आया था।”

22 तब सुलैमान यहोवा की वेदी के सामने खड़ा हुआ। सभी लोग उसके सामने खड़े थे। राजा सुलैमान ने अपने हाथों को फैलाया और आकाश की ओर देखा।

23 उसने कहा,

“हे यहोवा इस्राएल के परमेश्वर तेरे समान धरती पर या आकाश में कोई ईश्वर नहीं है। तूने अपने लोगों के साथ वाचा की क्योंकि तू उनसे प्रेम करता है और तूने अपनी वाचा को पूरा किया। तू उन लोगों के प्रति दयालू और स्नेहपूर्ण है जो तेरा अनुसरण करते हैं। 24 तूने अपने सेवक मेरे पिता दाऊद से, एक प्रतिज्ञा की थी और तूने वह पूरी की है। तूने वह प्रतिज्ञा स्वयं अपने मुँह से की थी और तूने अपनी महान शक्ति से उस प्रतिज्ञा को आज सत्य घटित होने दिया है। 25 अब, यहोवा इस्राएल का परमेश्वर, उन अन्य प्रतिज्ञाओं को पूरा कर जो तूने अपने सेवक, मेरे पिता दाऊद से की थीं। तूने कहा था, ‘दाऊद जैसा तुमने किया वैसे ही तुम्हारी सन्तानों को मेरी आज्ञा का पालन सावाधानी से करना चाहिये। यदि वे ऐसा करेंगे तो सदा कोई न कोई तुम्हारे परिवार का व्यक्ति इस्राएल के लोगों पर शासन करेगा’ 26 और हे यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर, मैं फिर तुझसे माँगता हूँ कि तू कृपया मेरे पिता के साथ की गई प्रतिज्ञा को पूरी करता रहे।

27 “किन्तु परमेस्वर, क्या तू सचमुच इस पृथ्वी पर हम लोगों के साथ रहेगा तुझको सारा आकाश और स्वर्ग के उच्चतम स्थान भी धारण नहीं कर सकते। निश्चय ही यह मन्दिर भी, जिसे मैंने बनाया है, तुझको धारण नहीं कर सकता। 28 किन्तु तू मेरी प्रार्थना और मेरे निवेदन पर ध्यान दे। मैं तेरा सेवक हूँ और तू मेरा यहोवा परमेश्वर है। इस प्रार्थना को तू स्वीकार कर जिसे आज मैं तुझसे कर रहा हूँ। 29 बीते समय में तूने कहा था, ‘मेरा वहाँ सम्मान किया जायेगा।’ इसलिये कृपया इस मन्दिर की देख रेख दिन—रात कर। उस प्रार्थना को तू स्वीकार कर, जिसे मैं तुझसे इस समय मन्दिर में कह रहा हूँ। 30 यहोवा, मैं और तेरे इस्राएल के लोग इस मन्दिर में आएंगे और प्रार्थना करेंगे। कृपया इन प्रार्थनाओं पर ध्यान दे। हम जानते हैं कि तू स्वर्ग में रहता है। हम तुझसे वहाँ से अपनी प्रार्थना सुनने और हमें क्षमा करने की याचना करते हैं।

31 “यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के विरुद्ध कोई अपराध करेगा तो वह यहाँ तेरी वेदी के पास लाया जायेगा। यदि वह व्यक्ति दोषी नहीं है तो वह एक शपथ लेगा। वह शपथ लेगा कि वह निर्दोष है। 32 उस समय तू स्वर्ग में सुन और उस व्यक्ति के साथ न्याय कर। यदि वह व्यक्ति अपराधी है तो कृपया हमें स्पष्ट कर कि वह अपराधी है और यदि व्यक्ति निरपराध है तो हमें स्पष्ट कर कि वह अपराधी नहीं है।

33 “कभी—कभी तेरे इस्राएल के लोग तेरे विरुद्ध पाप करेंगे और उनके शत्रु उन्हें पराजित करेंगे। तब लोग तेरे पास लौटेंगे और वे लोग इस मन्दिर में तेरी प्रार्थना करेंगे। 34 कृपया स्वर्ग से उनकी प्रार्थना को सुन। तब अपने इस्राएली लोगों के पापों को क्षमा कर और उनकी भूमि उन्हें फिर से प्राप्त करने दे। तूने यह भूमि उनके पूर्वजों को दी थी।

35 “कभी—कभी वे तेरे विरुद्ध पाप करेंगे, और तू उनकी भूमि पर वर्षा होना बन्द कर देगा। तब वे इस स्थान की ओर मुँह करके प्रार्थना करेंगे और तेरे नाम की स्तुति करेंगे। तू उनको कष्ट सहने देगा और वे अपने पापों के लिये पश्चाताप करेंगे। 36 इसलिये कृपया स्वर्ग में उनकी प्रार्थना को सुन। तब हम लोगों को हमारे पापों के लिये क्षमा कर। लोगों को सच्चा जीवन बिताने की शिक्षा दे। हे यहोवा तब कृपया तू उस भूमि पर वर्षा कर जिसे तूने उन्हें दिया है।

37 “भूमि बहुत अधिक सूख सकती है और उस पर कोई अन्न उग नहीं सकेगा या संभव है लोगों में महामारी फैले। संभव है सारा पैदा हुआ अन्न कीड़े मकोड़ों द्वारा नष्ट कर दिया जाये या तेरे लोग अपने शत्रुओं के आक्रमण के शिकार बनें या तेरे अनेक लोग बीमार पड़ जायें। 38 जब इनमें से कुछ भी घटित हो, और एक भी व्यक्ति अपने पापों के लिये पश्चाताप करे, और अपने हाथों को इस मन्दिर की ओर प्रार्थना में फैलाये तो 39 कृपया उसकी प्रार्थना को सुन। उसकी प्रार्थना को सुन जब तू अपने निवास स्थान स्वर्ग में है। तब लोगों को क्षमा कर और उनकी सहायता कर। केवल तू यह जानता है कि लोगों के मन में सचमुच क्या है अतः हर एक साथ न्याय कर और उनके प्रति न्यायशील रह। 40 यह इसलिये कर कि तेरे लोग डरें और तेरा सम्मान तब तक सदैव करें जब तक वे इस भूमि पर रहें जिसे तूने हमारे पूर्वजों को दिया था।

41-42 “अन्य स्थानों के लोग तेरी महानता और तेरी शक्ति के बारे में सुनेंगे। वे बहुत दूर से इस मन्दिर में प्रार्थना करने आएंगे। 43 कृपया अपने निवास स्थान, स्वर्ग से उनकी प्रार्थना सुन। कृपया तू वह सब कुछ प्रदान कर जिसे अन्य स्थानों के लोग तुझसे माँगें। तब वे लोग भी इस्राएली लोगों की तरह ही तुझसे डरेंगे और तेरा सम्मान करेंगे।

44 “कभी—कभी तू अपने लोगों को अपने शत्रुओं के विरुद्ध जाने और उनसे युद्ध करने का आदेश देगा। तब तेरे लोग तेरे चुने हुए इस नगर और मेरे बनाये हुए मन्दिर की ओर अभिमुख होंगे। जिसे मैंने तेरे सम्मान में बनाया है और वे तेरी प्रार्थना करेंगे। 45 उस समय तू अपने निवास स्थान स्वर्ग से उनकी प्रार्थनाओं को सुन और उनकी सहायता कर।

46 “तेरे लोग तेरे विरुद्ध पाप करेंगे। मैं इसे इसलिये जानता हूँ क्योंकि हर एक व्यक्ति पाप करता है और तू अपने लोगों पर क्रोधित होगा। तू उनके शत्रुओं को उन्हें हराने देगा। उनके शत्रु उन्हें बनदी बनाएंगे और उन्हें किसी बहुत दूर के देश में ले जाएंगे। 47 उस दूर के देश में तेरे लोग समझेंगे कि क्या हो गया है। वे अपने पापों के लिये पश्चाताप करेंगे और तुझसे प्रार्थना करेंगे। वे कहेंगे, ‘हमने पाप और अपराध किया है।’ 48 वे उस दूर के देश में रहेंगे। किन्तु यदि वे इस देश जिसे तूने उनके पूर्वजों को दिया और तेरे चुने नगर और इस मन्दिर जिसे मैंने तेरे सम्मान में बनाया है। उसकी ओर मुख करके तुझसे प्रार्थना करेंगे। 49 तो तू कृपया अपने निवास स्थान स्वर्ग से उनकी सुन। 50 अपने लोगों को सभी पापों के लिये क्षमा कर दे और तू अपने विरोध में हुए पाप के लिये उन्हें क्षमा कर उनके शत्रुओं को उनके प्रति दयालु बना। 51 याद रख कि वे तेरे लोग हैं, याद रख कि तू उन्हें मिस्र से बाहर लाया। यह वैसा ही था जैसा तूने जलती भट्टी से उन्हें पकड़ कर खींच लिया हो!

52 “यहोवा परमेश्वर, कृपया मेरी प्रार्थना और अपने इस्राएली लोगों की प्रार्थना सुन। उनकी प्रार्थना, जब कभी वे तेरी सहायता के लिये करें, सुन। 53 तूने उन्हें पृथ्वी के सारे मनुष्यों में से अपना विशेष लोग होने के लिये चुना है। यहोवा तूने उसे हमारे लिये करने की प्रतिज्ञा की है। तूने हमारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर लाते समय यह प्रतिज्ञा अपने सेवक मूसा के माध्यम से की थी।”

54 सुलैमान ने परमेश्वर से यह प्रार्थना की। वह वेदी के सामने अपने घुटनों के बल था। सुलैमान ने स्वर्ग की ओर भुजायें उठाकर प्रार्थना की। तब सुलैमान ने प्रार्थना पूरी की और वह उठ खड़ा हुआ। 55 तब उसने उच्च स्वर में इस्राएल के सभी लोगों को आशीर्वाद देने के लिये परमेश्वर से याजना की। सुलैमान ने कहा:

56 “यहोवा की स्तुति करो! उसने प्रतिज्ञा की, कि वह अपने इस्राएल के लोगों को शान्ति देगा और उसने हमें शान्ति दी है! यहोवा ने अपने सेवक मूसा का उपयोग किया और इस्राएल के लोगों के लिये बहुत सी अच्छी प्रतिज्ञायें कीं और यहोवा ने उन हर एक प्रतिज्ञाओं को पूरा किया है। 57 मैं प्रार्थना करता हूँ कि यहोवा, हमारा परमेश्वर हम लोगों के साथ उसी तरह रहेगा जैसे वह हमारे पूर्वजों के साथ रहा। मैं प्रार्थना करता हूँ कि यहोवा हमे कभी नहीं त्यागेगा। 58 मैं प्रार्थना करता हूँ कि हम उसकी ओर अभिमुख होंगे और उसका अनुसरण करेंगे। तब हम लोग उसके सभी नियमों, निर्णयों और आदेशों का पालन करेंगे जिन्हें उसने हमारे पूर्वजों को दिया। 59 मैं आशा करता हूँ कि यहोवा हमारा परमेश्वर सदैव इस प्रार्थना को और जिन वस्तुओं की मैंने याचना की है, याद रखेगा। मैं प्रार्थना करता हूँ कि यहोवा अपने सेवक राजा और अपने लोग इस्राएल के लिये ये सब कुछ करेगा। मैं प्रार्थना करता हूँ कि वह प्रतिदिन यह करेगा। 60 यदि यहोवा इन कामों को करेगा तो संसार के सभी व्यक्ति यह जानेंगे कि मात्र यहोवा ही सत्य परमेश्वर है। 61 ऐ लोगो, तुम्हें यहोवा, हमारे परमेश्वर का भक्त और उसके प्रति सच्चा होना चाहिये। तुम्हें उसके सभी नियमों और आदेशों का अनुसरण और पालन करना चाहिये। तुम्हें इस समय की तरह, भविष्य में भी उसकी आज्ञा का पालन करते रहना चाहिये।”

62 तब राजा सुलैमान और उसके साथ के इस्राएल के लोगों ने यहोवा को बलि—भेंट की। 63 सुलैमान ने बाईस हजार पशुओं और एक लाख बीस हजार भेड़ों को मारा। ये सहभागिता भेटों के लिये थीं। यही पद्धति थी जिससे राजा और इस्राएल के लोगों ने मन्दिर का समर्पण किया अर्थात् उन्होंने यह प्रदर्शित किया कि उन्होंने मन्दिर को यहोवा को अर्पित किया।

64 उसी दिन राजा सुलैमान ने मन्दिर के सामने का आँगन समर्पित किया। उसने होमबलि, अन्नबलि और मेलबलि के रूप में काम आये जानवरों की चर्बी की भेंटें चढ़ाई। राजा सुलैमान ने ये भेंटें आँगन में चढ़ाई। उसने यह इसलिये किया कि इन सारी भेंटों को धारण करने के लिये यहोवा के सामने की काँसे की वेदी अत्याधिक छोटी थी।

65 इस प्रकार मन्दिर में राजा सुलैमान और इस्राएल के सारे लोगों ने पर्व[c] मनाया। सारा इस्राएल, उत्तर में हमात दर्रे से लेकर दक्षिण में मिस्र की सीमा तक, वहाँ था। वहाँ असंख्य लोग थे। उन्होंने खाते पीते, सात दिन यहोवा के साथ मिलकर आनन्द मनाया। तब वे अगले सात दिनों तक वहाँ ठहरे। उन्होंने सब मिलाकर चौदह दिनों तक उत्सव मनाया। 66 अगले दिन सुलैमान ने लोगों से घर जाने को कहा। सभी लोगों ने राजा को धन्यवाद दिया, विदा ली और वे घर चले गये। वे प्रसन्न थे क्योंकि यहोवा ने अपने सेवक दाऊद के लिये और इस्राएल के लोगों के लिये बहुत सारी अच्छी चीज़ें की थीं।

परमेश्वर सुलैमान के पास पुन: आता है

इस प्रकार सुलैमान ने यहोवा के मन्दिर और अपने महल का बनाना पूरा किया। सुलैमान ने उन सभी को बनाया जिनका निर्माण वह करना चाहता था। तब यहोवा सुलैमान के सामने पुनः वैसे ही प्रकट हुआ जैसे वह इसके पहले गिबोन में हुआ था। यहोवा ने उससे कहा:

“मैंने तुम्हारी प्रार्थना सुनी। मैंने तुम्हारे निवेदन भी सुने जो तुम मुझसे करवाना चाहते हो। तुमने इस मन्दिर को बनाया और मैंने इसे एक पवित्र स्थान बनाया है। अतः यहाँ मेरा सदैव सम्मान होगा। मैं इस पर अपनी दृष्टि रखूँगा और इसके विषय में सदैव ध्यान रखूँगा। तुम्हें मेरी सेवा वैसे ही करनी चाहिये जैसी तुम्हारे पिता दाऊद ने की। वह निष्पक्ष और निष्कपट था और तुम्हें मेरे नियमों और उन आदेशों का पालन करना चाहिये जिन्हें मैंने तुम्हें दिया है। यदि तुम यह सब कुछ करते रहोगे तो मैं यह निश्चित देखूँगा कि इस्राएल का राजा सदैव तुम्हारे परिवार में से ही कोई हो। यही प्रतिज्ञा है जिसे मैंने तुम्हारे पिता दाऊद से की थी। मैंने उससे कहा था कि इस्राएल पर सदैव उसके वंशजों में से एक का शासन होगा।

6-7 “किन्तु यदि तुम या तुम्हारी सन्तानें मेरा अनुसरण करना छोड़ते हो, मेरे दिये गए नियमों और आदेशों का पालन नहीं करते और तुम दूसरे देवता की सेवा और पूजा करते हो तो मैं इस्राएल को वह देश छोड़ने को विवश करूँगा जिसे मैंने उन्हें दिया है। इस्राएल अन्य लोगों के लिये उदाहरण होगा। अन्य लोग इस्राएल का मजाक उड़ाएंगे। मैंने मन्दिर को पवित्र किया है। यह वह स्थान है जहाँ लोग मेरा सम्मान करते हैं। किन्तु यदि तुम मेरी आज्ञा का पालन नहीं करते तो इसे मैं नष्ट कर दूँगा। यह मन्दिर नष्ट कर दिया जायेगा। हर एक व्यक्ति जो इसे देखेगा चकित होगा। वे पूछेंगे, ‘यहोवा ने इस देश के प्रति और इस मन्दिर के लिये इतना भयंकर कदम क्यों उठाया’ अन्य लोग उत्तर देंगे, ‘यह इसलिये हुआ कि उन्होंने यहोवा अपने परमेश्वर को त्याग दिया। वह उनके पूर्वजों को मिस्र से बाहर लाया था। किन्तु उन्होंने अन्य देवताओं का अनुसरण करने का निश्चय किया। उन्होंने उन देवताओं की सेवा और पूजा करनी आरम्भ की। यही कारण है कि यहोवा ने उनके लिये इतना भयंकर कार्य किया।’”

10 यहोवा का मन्दिर और अपना महल बनाने में सुलैमान को बीस वर्ष लगे 11 और बीस वर्ष के बाद राजा सुलैमान ने सोर के राजा हीराम को गलील में बीस नगर दिये। सुलैमान ने राजा हीराम को वे नगर दिये क्योंकि हीराम ने मन्दिर और महल बनाने में सुलैमान की सहायता की। हीराम ने सुलैमान को उतने सारे देवदारु और चीड़ के वृक्ष तथा सोना दिया। जितना उसने चाहा। 12 इसलिये हीराम ने सोर से इन नगरों को देखने के लिये यात्रा की, जिन्हें सुलैमान ने उसे दिये। जब हीराम ने उन नगरों को देखा तो वह प्रसन्न नहीं हुआ। 13 राजा हीराम ने कहा, “मेरे भाई जो नगर तुम ने मुझे दिये हैं वे हैं ही क्या” राजा हीराम ने उस प्रदेश का नाम कबूल प्रदेश रखा और वह क्षेत्र आज भी कबूल कहा जाता है। 14 हीराम ने सुलैमान के पास लगभग नौ हजार पौंड सोना मन्दिर को बनाने में उपयोग करने के लिये भेजा था।

15 राजा सुलैमान ने दासों को अपने मन्दिर और महल बनाने के लिये काम करने के लिये विवश किया। तब राजा सुलैमान ने इन दासों का उपयोग बहुत सी चीजों को बनाने में किया। उसने मिल्लो बनाया। उसने यरूशलेम नगर के चारों ओर चहारदीवारी भी बनाई। तब उसने हासोर, मगिद्दो और गेजेर नगरों को पुन: बनाया।

16 बीते समय में मिस्र का राजा गेजेर नगर के विरुद्ध लड़ा था और उसे जला दिया था। उसने उन कनानी लोगों को मार डाला जो वहाँ रहते थे। सुलैमान ने फिरौन की पुत्री से विवाह किया। इसलिये फिरौन ने उस नगर को सुलैमान के लिये विवाह की भेंट के रूप में दिया। 17 सुलैमान ने उस नगर को पुनः बनाया। सुलैमान ने निचले बथोरेन नगर को भी बनाया। 18 राजा सुलैमान ने जुदैन मरुभूमि में बालात और तामार नगरों को भी बनाया। 19 राजा सुलैमान ने वे नगर भी बनाये जहाँ वह अन्य और चीज़ों का भण्डार बना सकता था और उसने अपने रथों और घोड़ों के लिये भी स्थान बनाये। सुलैमान ने अन्य बहुत सी चीज़ें भी बनाईं जिन्हें वह यरूशलेम, लबानोन और अपने शासित अन्य सभी स्थानों में चाहता था।

20 देश में ऐसे लोग भी थे जो इस्राएली नहीं थे। वे लोग एमोरी, हित्ती, परिज्जी, हिब्बी और यबूसी थे। 21 इस्राएली उन लोगों को नष्ट नहीं कर सके थे। किन्तु सुलैमान ने उन्हें दास के रूप में अपने लिये काम करने को विवश किया। वे अभी तक दास हैं। 22 सुलैमान ने किसी ईस्राएली को अपना दास होने के लिये विवश नहीं किया। इस्राएल के लोग सैनिक, राज्य कर्मचारी, अधिकारी, नायक और रथचालक थे। 23 सुलैमान की योजनाओं के साढ़े पाँच सौ पर्यवेक्षक थे। वे उन व्यक्तियों के ऊपर अधिकारी थे जो काम करते थे।

24 फिरौन की पुत्री दाऊद के नगर से वहाँ गई जहाँ सुलैमान ने उसके लिये विशाल महल बनाया। तब सुलैमान ने मिल्लों बनाया।

25 हर वर्ष तीन बार सुलैमान होमबलि और मेलबलि वेदी पर चढ़ाता था। यह वही वेदी थी जिसे सुलैमान ने यहोवा के लिये बनाया था। राजा सुलैमान यहोवा के सामने सुगन्धि भी जलाता था। अत: मन्दिर के लिये आवश्यक चीज़ें दिया करता था।

26 राजा सुलैमान ने एस्योन गेबेर में जहाज भी बनाये। यह नगर एदोम प्रदेश में लाल सागर के तट पर एलोत के पास था। 27 राजा हीराम के पास कुछ ऐसे व्यक्ति थे जो समुद्र के बारे में अच्छा ज्ञान रखते थे। वे व्यक्ति प्राय: जहाज से यात्रा करते थे। राजा हीराम ने उन व्यक्तियों को सुलैमान के नाविक बेड़े में सेवा करने और सुलैमान के व्यक्तियों के साथ काम करने के लिये भेजा। 28 सुलैमान के जहाज ओपोर को गये। वे जहाज एकतीस हजार पाँच सौ पौंड सोना आपोर से सुलैमान के लिये लेकर लौटे।

शीबा की रानी सुलैमान से मिलने आती है

10 शीबा की रानी ने सुलैमान के बारे में सुना। अतः वह कठिन प्रशानों से उसकी परीक्षा लेने को आई। उसने सेवकों की विशाल संख्या के साथ यरूशलेम की यात्रा की। अनेक ऊँट मसाले, रत्न, और बहुत सा सोना ढो रहे थे। वह सुलैमान से मिली और उसने उन सब प्रश्नों को पूछा जिन्हें वह सोच सकती थी। सुलैमान ने सभी प्रश्नों के उत्तर दिये। उसका कोई भी प्रश्न उसके उत्तर देने के लिये अत्याधिक कठिन नहीं था। शीबा की रानी ने समझ लिया कि सुलैमान बहुत बुद्धिमान है। उसने उस सुन्दर महल को भी देखा जिसे उसने बनाया था। रानी ने राजा की मेज पर भोजन भी देखा। उसने उसके अधिकारियों को एक साथ मिलते देखा। उसने महल के सेवकों और जिन अच्छे वस्त्रों को उन्होंने पहन रखा था, उन्हें भी देखा। उसने उसकी दावतों और मन्दिर में चढ़ाई गई भेंटों को देखा। उन सभी चीजों ने वास्तव में उसे चकित कर दिया। उसकी साँस ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गई!

इसलिये रानी ने राजा से कहा, “मैंने अपने देश में आपकी बुद्धिमानी और बहुत सी बातों के बारे में सुना जो आपने कीं। वे सभी बातें सत्य हैं! मैं इन बातों में तब तक विश्वास नहीं करती थी जब तक मैं यहाँ नहीं आई और इन चीज़ों को अपनी आँखों से नहीं देखा। अब मैं देखती हूँ कि जितना मैंने सुन रखा था उससे भी अधिक यहाँ है। आपकी बुद्धिमत्ता और सम्पत्ति उससे बहुत अधिक है जितनी लोगों ने मुझको बतायी। आपकी पत्नियाँ[d] और आपके अधिकारी बहुत भाग्यशाली हैं। वे प्रतिदिन आपकी सेवा कर सकते हैं और आपकी बुद्धिमत्तापूर्ण बातें सुन सकते हैं। आपका यहोवा परमेश्वर स्तुति योग्य है! आपको इस्राएल का राजा बनाने में उसे प्रसन्नता हुई। यहोवा परमेश्वर इस्राएल से प्रेम करता है। इसलिये उसने आपको राजा बनाया। आप नियमों का अनुसरण करते हैं और लोगों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करते हैं।”

10 तब शीबा की रानी ने राजा को लगभग नौ हजार पौंड सोना दिया। उसने उसे अनेक मसाले और रत्न भी दिये। जितनी मात्रा में शीबा की रानी ने राजा सुलैमान को मसाले उपहार में दिये, उतनी मात्रा में मसाले फिर कभी इस्राएल देश में नहीं आए। शीबा की रानी ने उससे अधिक मसाले सुलैमान को दिये जितने पहले कभी किसी ने इस्राएल को लाकर दिये थे।

11 हीराम के जहाज ओपोर से सोना ले आए। वे जहाज बहुत अधिक लकड़ी[e] और रत्न भी लाए। 12 सुलैमान ने लकड़ी का उपयोग मन्दिर और महल को सम्भालने के लिये किया। उसने लकड़ी का उपयोग गायकों के लिये वीणा और बीन बनाने में भी किया। अन्य कोई भी व्यक्ति उस प्रकार की लकड़ी इस्राएल में कभी नहीं लाया, और किसी भी व्यक्ति ने तब से उस प्रकार की लकड़ी नहीं देखी।

13 तब राजा सुलैमान ने शीबा की रानी को वे भेंटें दीं जो कोई राजा किसी अन्य देश के शासक को सदैव देता है। तब उसने उसे वह सब दिया जो कुछ भी उसने माँगा। उसके बाद रानी सेवकों सहित अपने देश को वापस लौट गई।

14 राजा सुलैमान प्रति वर्ष लगभग उन्नासी हजार नौ सौ बीस पौंड सोना प्राप्त करता था। 15 व्यापारिक जहाजों से सोना लाये जाने के अतिरिक्त उसने बणिक, व्यापारियों और अरब के रजाओं तथा देश के प्रशासकों से भी सोना प्राप्त किया।

16 राजा सुलैमान ने दो सौ बड़ी ढालें सोने की परतों से बनाईं। हर एक ढाल में लगभग पन्द्रह पौंड सोना लगा था। 17 उसने सोने की पट्टियों की तीन सौ छोटी ढालें भी बनाईं। हर एक ढाल में लगभग चार पौंड सोना लगा था। राजा ने उन्हें उस भवन में रखा जिसे “लबानोन का वन” कहा जाता था।

18 राजा सुलैमान ने एक विशाल हाथी दाँत का सिंहासन भी बनाया। उसने उसे शुद्ध सोने से मढ़ा। 19 सिंहासन पर पहुँचने के लिये उसमें छ: पैड़ियाँ थीं। सिंहासन का पिछला भाग सिरे पर गोल था। कुर्सी के दोनों ओर हत्थे लगे थे और कुर्सी की बगल में दोनों हत्थों के नीचे सिंहों की तस्वीरें बनी थीं। 20 छ: पैड़ियों में से हर एक पर दो सिंह थे। हर एक के सिरे पर एक सिंह था। किसी भी अन्य राज्य में इस प्रकार का कुछ भी नहीं था।

21 सुलैमान के सभी प्याले और गिलास सोने के बने थे और “लबानोन का वन” नामक भवन में सभी अस्त्र—शस्त्र शुद्ध सोने के बने थे। महल में कुछ भी चाँदी का नहीं बना था। सुलैमान के समय में सोना इतना अधिक था कि लोग चाँदी को महत्वपूर्ण नहीं समझते थे।

22 राजा के पास बहुत से व्यापारिक जहाज भी थे जिन्हें वह अन्य देशों से वस्तुओं का व्यापार करने के लिये बाहर भेजता था। ये हीराम के जहाज थे। हर तीसरे वर्ष जहाज सोना, चाँदी, हाथी दाँत और पशु लाते थे।

23 सुलैमान पृथ्वी पर महानतम राजा था। वह सभी राजाओं से अधिक धन्वान और बुद्धिमान था। 24 सर्वत्र लोग राजा सुलैमान को देखना चाहते थे। वे परमेश्वर द्वारा दी गई उसकी बुद्धिमत्ता की बात सुनना चाहते थे। 25 प्रत्येक वर्ष लोग राजा का दर्शन करने आते थे और प्रत्येक व्यक्ति भेंट लाता था। वे सोने—चाँदी के बने बर्तन, कपड़े, अस्त्र—शस्त्र, मसाले, घोड़े और खच्चर लाते थे।

26 अत: सुलैमान के पास अनेक रथ और घोड़े थे। उसके पास चौदह सौ रथ और बारह हजार घोड़े थे। सुलैमान ने इन रथों के लिये विशेष नगर बनाये। अत: रथ उन नगरों में रखे जाते थे। राजा सुलैमान ने रथों में से कुछ को अपने पास यरूशलेम में भी रखा। 27 राजा ने इस्राएल को बहुत सम्पन्न बना दिया। यरूशलेम नगर में चाँदी इतनी सामान्य थी जितनी चट्टानें, देवदारू की लकड़ी और पहाडों पर उगने वाले असंख्य अंजीर के पेड़ सामान्य थे। 28 सुलैमान ने मिस्र और कुएँ से घोड़े मँगाए। उसके व्यापारी उन्हें कुएँ से लाते थे और फिर उन्हें इस्राएल में लाते थे। 29 मिस्र के एक रथ का मूल्य लगभग पन्द्रह पौंड चाँदी था और एक घोड़े का मूल्य पौने चार पौंड चाँदी था। सुलैमान घोड़े और रथ हित्ती और अरामी राजाओं के हाथ बेचता था।

सुलैमान और उसकी बहुत सी पत्नियाँ

11 राजा सुलैमान स्त्रियों से प्रेम करता था। वह बहुत सी ऐसी स्त्रियों से प्रेम करता था जो इस्राएल राष्ट्र की नहीं थीं। इनमें फ़िरौन की पुत्री, हित्ती स्त्रियाँ और मोआबी, अम्मोनी, एदोमी और सीदोनी स्त्रियाँ थीं। बीते समय में यहोवा ने इस्राएल के लोगों से कहा था, “तुम्हें अन्य राष्ट्रों की स्त्रियों से विवाह नहीं करना चाहिये। यदि तुम ऐसा करोगे तो वे लोग तुम्हें अपने देवताओं का अनुसरण करने के लिये बाध्य करेंगी।” किन्तु सुलैमान उन स्त्रियों के प्रेम पाश में पड़ा। सुलैमान की सात सौ पत्नियाँ थीं। (ये सभी स्त्रियाँ अन्य राष्ट्रों के प्रमुखों की पुत्रियाँ थीं।) उसके पास तीन सौ दासियाँ भी थीं जो उसकी पत्नियों के समान थीं। उसकी पत्नियों ने उसे परमेश्वर से दूर हटाया। जब सुलैमान बूढ़ा हुआ तो उसकी पत्नियों ने उससे अन्य देवताओं का अनुसरण कराया। सुलैमान ने उसी प्रकार पूरी तरह यहोवा का अनुसरण नहीं किया जिस प्रकार उसके पिता दाऊद ने किया था। सुलैमान ने अशतोरेत की पूजा की। यह सीदोन के लोगों की देवी थी। सुलैमान मिल्कोम की पूजा करता था। यह अम्मोनियों का घृणित देवता था। इस प्रकार सुलैमान ने यहोवा के प्रति अपराध किया। सुलैमान ने यहोवा का अनुसरण पूरी तरह उस प्रकार नहीं किया जिस प्रकार उसके पिता दाऊद ने किया था।

सुलैमान ने कमोश की पूजा के लिये स्थान बनाया। कमोश मोआबी लोगों की घृणास्पद देवमूर्ति थी। सुलैमान ने उसके उच्चस्थान को यरूशलेम से लगी पहाड़ी पर बनाया। सुलैमान ने उसी पहाड़ी पर मोलेक का उच्चस्थान भी बनाया। मोलेक अम्मोनी लोगों की घृणास्पद देवमूर्ति थी। तब सुलैमान ने अन्य देशों की अपनी सभी पत्नियों के लिये वही किया। उसकी पत्नियाँ सुगन्धि जलाती थीं और अपने देवताओं को बलि—भेंट करती थीं।

सुलैमान यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर का अनुसरण करने से दूर हट गया। अत: यहोवा, सुलैमान पर क्रोधित हुआ। यहोवा सुलैमान के पास दो बार आया जब वह छोटा था। 10 यहोवा ने सुलैमान से कहा कि तुम्हें अन्य देवताओं का अनुसरण नहीं करना चाहिये। किन्तु सुलैमान ने यहोवा के आदेश का पालन नहीं किया। 11 इसलिये यहोवा ने सुलैमान से कहा, “तुमने मेरे साथ की गई अपनी वाचा को तोड़ना पसन्द किया है। तुमने मेरे आदेशों का पालन नहीं किया है। अत: मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं तुमसे तुम्हारा राज्य छीन लूँगा। मैं इसे तुम्हारे सेवकों में से एक को दूँगा। 12 किन्तु मैं तुम्हारे पिता दाऊद से प्रेम करता था। इसलिये जब तक तुम जीवित हो तब तक मैं तुम्हारा राज्य नहीं लूँगा। मैं तब तक प्रतीक्षा करूँगा जब तक तुम्हारा पुत्र राजा नहीं बन जाता। तब मैं उससे इसे लूँगा। 13 तो भी मैं तुम्हारे पुत्र से सारा राज्य नहीं छीनूँगा। मैं उसे एक परिवार समूह पर शासन करने दूँगा। यह मैं दाऊद के लिये करूँगा। वह एक अच्छा सेवक था और यह मैं अपने चुने हुये नगर यरूशलेम के लिये भी करूँगा।”

सुलैमान के शत्रु

14 उस समय यहोवा ने एदोमी हदद को सुलैमान का शत्रु बनाया। हदद एदोम के राजा के परिवार से था। 15 यह इस प्रकार घटित हुआ। कुछ समय पहले दाऊद ने एदोम को हराया था। योआब दाऊद की सेना का सेनापति था। योआब एदोम में मरे व्यक्तियों को दफनाने गया। तब योआब ने वहाँ जीवित सभी व्यक्तियों को मार डाला। 16 योआब और सारे इस्राएली एदोम में छ: महीने तक ठहरे। उस समय के बीच उन्होंने एदोम के सभी पुरुषों को मार डाला। 17 किन्तु उस समय हदद अभी एक किशोर ही था। अतः हदद मिस्र को भाग निकला। उसके पिता के कुछ सेवक उसके साथ गए। 18 उन्होंने मिद्यान को छोड़ा और वे परान को गए। वे मिस्र के राजा फ़िरौन के पास गये और उससे सहायता माँगी। फ़िरौन ने हदद को एक घर और कुछ भूमि दी। फ़िरौन ने उसे सहायता भी दी और उसे खाने के लिये भोजन दिया।

19 फ़िरौन ने हदद को बहुत पसन्द किया। फ़िरौन ने हदद को एक पत्नी दी, स्त्री फ़िरौन की साली थी। (फ़िरौन की पत्नी तहपनेस थी।) 20 अत: तहपनेस की बहन हदद से ब्याही गई। उनका एक पुत्र गनूबत नाम का हुआ। रानी तहपनेस ने गनूबत को अपने बच्चों के साथ फ़िरौन के महल में बड़ा होने दिया।

21 मिस्र में हदद ने सुना कि दाऊद मर गया। उसने यह भी सुना कि सेनापति योआब मर गया। इसलिए हदद ने फ़िरौन से कहा, “मुझे अपने देश में अपने घर वापस लौट जाने दे।”

22 किन्तु फ़िरौन ने उत्तर दिया, “मैंने तुम्हें सारी चीज़, जिनकी तुम्हें यहाँ आवश्यकता है, दी है! तुम अपने देश में वापस क्यों जाना चाहते हो?”

हदद ने उत्तर दिया, “कृपया मुझे घर लौटने दें।”

23 यहोवा ने दूसरे व्यक्ति को भी सुलैमान के विरुद्ध शत्रु बनाया। यह व्यक्ति एल्यादा का पुत्र रजोन था। रजोन अपने स्वामी के यहाँ से भाग गया था। उसका स्वामी सोबा का राजा हददेजेर था। 24 दाऊद ने जब सोबा की सेना को हरा दिया तब उसके बाद रजोन ने कुछ व्यक्तियों को इकट्ठा किया और एक छोटी सेना का प्रमुख बन गया। रजोन दमिश्क गया और वहीं ठहरा। रजोन दमिश्क का राजा हो गया। 25 रजोन अराम पर शासन करता था। रजोन इस्राएल से घृणा करता था, इसलिये सुलैमान जब तक जीवित रहा वह पूरे समय इस्राएल का शत्रु बना रहा। रजोन और हदद ने इस्राएल के लिये बड़ी परेशानियाँ उतपन्न कीं।

26 नबात का पुत्र यारोबाम सुलैमान के सेवकों में से एक था। यारोबाम एप्रैम परिवार समूह से था। वह सरेदा नगर का था। यारोबाम की माँ का नाम सरूयाह था। उसका पिता मर चुका था। वह राजा के विरुद्ध हो गया।

27 यारोबाम राजा के विरुद्ध क्यों हुआ इसकी कहानी यह है: सुलैमान मिल्लो बना रहा था और अपने पिता दाऊद के नगर की दीवार को दृढ़ कर रहा था। 28 यारोबाम एक बलवान व्यक्ति था। सुलैमान ने देखा कि यह युवक एक अच्छा श्रमिक है। इसलिये सुलैमान ने उसे यूसुफ के परिवार समूह के श्रमिकों का अधिकारी बना दिया। 29 एक दिन यारोबाम यरूशलेम के बाहर यात्रा कर रहा था। शीलो का अहिय्याह नबी उससे सड़क पर मिला। अहिय्याह एक नया अंगरखा पहने था। ये दोनों व्यक्ति देश में अकेले थे।

30 अहिय्याह ने अपना नया अंगरखा लिया और इसे बारह टुकड़ों मे फाड़ डाला। 31 तब अहिय्याह ने यारोबाम से कहा, “इस अंगरखा के दस टुकड़े तुम अपने लिये ले लो। यहोवा इस्राएल का परमेश्वर कहता है: ‘मैं सुलैमान से राज्य को छीन लूँगा और मैं परिवार समूहों में से दस को, तुम्हें दूँगा 32 और मैं दाऊद के परिवार को केवल एक परिवार समूह पर शासन करने दूँगा। मैं उन्हें केवल इस समूह को लेने दूँगा। मैं यह अपने दाऊद और यरूशलेम के लिये ऐसा करने दूँगा। यरूशलेम वह नगर है जिसे मैंने सारे इस्राएल के परिवार समूह से चुना है। 33 मैं सुलैमान से राज्य ले लूँगा क्योंकि उसने मेरा अनुसरण करना छोड़ दिया। वह सीदोनी देवमूर्ती अश्तोरेत की पूजा करता है। वह अश्तोरेत, सीदोनी देवता, मोआबी देवता कमोश और अम्मोनी देवता मिल्कोम की पूजा करता है। सुलैमान ने सच्चे और अच्छे कामों को करना छोड़ दिया है। वह मेरे नियमों और आदेशों का पालन नहीं करता। वह उस प्रकार नहीं रहता जिस प्रकार उसका पिता दाऊद रहता था। 34 इसलिये मैं राज्य को सुलैमान के परिवार से ले लूँगा। किन्तु मैं सुलैमान को उसके शेष जीवन भर उनका शासक रहने दूँगा। यह मैं अपने सेवक दाऊद के लिये करूँगा। मैंने दाऊद को इसलिये चुना था कि वह मेरे सभी आदेशों व नियमों का पालन करता था। 35 किन्तु मैं उसके पुत्र से राज्य ले लूँगा और यारोबाम मैं तुम्हें दस परिवार समूह पर शासन करने दूँगा। 36 मैं सुलैमान के पुत्र को एक परिवार समूह पर शासन करते हुए रहने दूँगा। मैं इसे इसलिए करूँगा कि मेरे सेवक दाऊद का शासन यरूशलेम में मेरे सामने सदैव रहेगा। यरूशलेम वह नगर है जिसे मैंने अपना निजी नगर चुना है। 37 किन्तु मैं तुम्हें उन सभी पर शासन करने दूँगा जिसे तुम चाहते हो। तुम पूरे इस्राएल पर शासन करोगे। 38 मैं यह सब तुम्हारे लिये करूँगा। यदि तुम सच्चाई के साथ रहोगे और मेरे सारे आदेशों का पालन करोगे तो मैं तुम्हारे साथ रहूँगा। मैं तुम्हारे परिवार को राजाओं का परिवार वैसे ही बना दूँगा जैसे मैंने दाऊद को बनाया। मैं तुमको इस्राएल दूँगा। 39 मैं दाऊद की सन्तानों को उसका दण्ड दूँगा जो सुलैमान ने किया। किन्तु मैं सदैव के लिये उन्हें दण्ड नहीं दूँगा।’”

सुलैमान की मृत्यु

40 सुलैमान ने यारोबाम को मार डालने का प्रयत्न किया। किन्तु यारोबाम मिस्र भाग गया। वह मिस्र के राजा शीशक के पास गया। यारोबाम वहाँ तब तक ठहरा जब तक सुलैमान मरा नहीं।

41 सुलैमान ने अपने शासन काल में बहुत बड़े और बुद्धिमत्तापूर्ण काम किये। जिनका विवरण सुलैमान के इतिहास—ग्रन्थ में लिखा है। 42 सुलैमान ने यरूशलेम में पूरे इस्राएल पर चालीस वर्ष तक शासन किया। 43 तब सुलैमान मरा और अपने पूर्वजों के साथ दफनाया गया। वह अपने पिता के दाऊद नगर में दफनाया गया, और उसका पुत्र रहूबियाम उसके स्थान पर राजा बना।

गृह युद्ध

12 1-3 नबात का पुत्र यारोबाम तब भी मिस्र में था, जहाँ वह सुलैमान से भागकर पहुँचा था। जब उसने सुलैमान की मृत्यु की खबर सुनी तो वह एप्रैम की पहाड़ियों में अपने जेरदा नगर में वापस लौट आया। राजा सुलैमान मरा और अपने पूर्वजों के साथ दफनाया गया। उसके बाद उसका पुत्र रहूबियाम नया राजा बना। इस्राएल के सभी लोग शकेम गए।

वे रहूबियाम को राजा बनाने गये। रहूबियाम भी राजा बनने के लिये शकेम गया। लोगों ने रहूबियाम से कहा, “तुम्हारे पिता ने हम लोगों को बहुत कठोर श्रम करने के लिये विवश किया। अब तुम इसे हम लोगों के लिये कुछ सरल करो। उस कठिन काम को बन्द करो जिसे करने के लिये तुम्हारे पिता ने हमें विवश किया था। तब हम तुम्हारी सेवा करेंगे।”

रहूबियाम ने उत्तर दिया, “तीन दिन में मेरे पास वापस लौट कर आओ और मैं उत्तर दूँगा।” अत: लोग चले गये।

कुछ अग्रज लोग थे जो सुलैमान के जीवित रहते उसके निर्णय करने में सहायता करते थे। इसलिए राजा रहूबियाम ने इन व्यक्तियों से पूछा कि उसे क्या करना चाहिये। उसने कहा, “आप लोग क्या सोचते हैं, मुझे इन लोगों को क्या उत्तर देना चाहिये?”

अग्रजों ने उत्तर दिया, “यदि आज तुम उनके सेवक की तरह रहोगे तो वे सच्चाई से तुम्हारी सेवा करेंगे। यदि तुम दयालुता के साथ उनसे बातें करोगे तब वे तुम्हारी सदा सेवा करेंगे।”

किन्तु रहूबियाम ने उनकी यह सलाह न मानी। उसने उन नवयुवकों से सलाह ली जो उसके मित्र थे। रहूबियाम ने कहा, “लोग यह कहते हैं, ‘हमें उससे सरल काम दो जो तुम्हारे पिता ने दिया था।’ तुम क्या सोचते हो, मुझे लोगों को कैसे उत्तर देना चाहिये मैं उनसे क्या कहूँ?”

10 राजा के युवक मित्रों ने कहा, “वे लोग तुम्हारे पास आए और उन्होंने तुमसे कहा, ‘तुम्हारे पिता ने हमें कठिन श्रम करने के लिये विवश किया। अब हम लोगों का काम सरल करें।’ अत: तुम्हें डींग मारनी चाहिये और उनसे कहना चाहिये, ‘मेरी छोटी उंगली मेरे पिता के पूरे शरीर से अधिक शक्तिशाली है। 11 मेरे पिता ने तुम्हें कठिन श्रम करने को विवश किया। किन्तु मैं उससे भी बहुत कठिन काम कराऊँगा! मेरे पिता ने तुमसे काम लेने के लिये कोड़ों का उपयोग किया था। मैं तुम्हें उन कोड़ों से पीटूँगा जिनमें धारदार लोहे के टुकड़े हैं, तुम्हें घायल करने के लिये!’”

12 रहूबियाम ने लोगों से कहा था, “तीन दिन में मेरे पास वापस आओ।” इसलिये तीन दीन बाद इस्राएल के सभी लोग रहूबियाम के पास लौटे। 13 उस समय राजा रहूबियाम ने उनसे कठोर शब्द कहे। उसने अग्रजों की सलाह न मानी। 14 उसने वही किया जो उसके मित्रों ने उसे करने को कहा। रहूबियाम ने कहा, “मेरे पिता ने तुम्हें कठिन श्रम करने को विवश किया। अत: मैं तुम्हें और अधिक काम दूँगा। मेरे पिता ने तुमको कोड़े से पीटा। किन्तु मैं तुम्हें उन कोड़ों से पीटूँगा जिनमें तुम्हें घायल करने के लिये धरादर लोहे के टुकड़े हैं।” 15 अत: राजा ने वह नहीं किया जिसे लोग चाहते थे। यहोवा ने ऐसा होने दिया। यहोवा ने यह अपनी उस प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिये किया जो उसने नाबात के पुत्र यारोबाम के साथ की थी। यहोवा ने अहिय्याह नबी का उपयोग यह प्रतिज्ञा करने के लिये किया था। अहिय्याह शीलो का था।

16 इस्राएल के सभी लोगों ने समझ लिया कि नये राजा ने उनकी बात अनसुनी कर दी है। इसलिये लोगों ने राजा से कहा,

“क्या हम दाऊद के परिवार के अंग हैं नहीं!
    क्या हमें यिशै की भूमि में से कुछ मिला है नहीं!
अत: इस्राएलियो हम अपने घर चलें।
    दाऊद के पुत्र को अपने लोगों पर शासन करने दो।”

अत: इस्राएल के लोग अपने घर वापस गए। 17 किन्तु रहूबियाम फिर भी उन इस्राएलियों पर शासन करता रहा, जो यहूदा के नगरों में रहते थे।

18 अदोराम नामक एक व्यक्ति सब श्रमिकों का अधिकारी था। राजा रहूबियाम ने अदोराम को लोगों से बात चीत करने के लिये भेजा। किन्तु इस्राएल के लोगों ने उस पर तब तक पत्थर बरसाये जब तक वह मर नहीं गया। तब राजा रहूबियाम अपने रथ तक दौड़ा और यरूशलेम को भाग निकला। 19 इस प्रकर इस्राएल ने दाऊद के परिवार से विद्रोह कर दिया और वे अब भी आज तक दाऊद के परिवार के विरुद्ध हैं।

20 इस्राएल के सभी लोगों ने सुना कि यारोबाम वापस लौट आया है। इसलिये उन्होंने उसे एक सभा में आमन्त्रित किया और उसे पूरे इस्राएल का राजा बना दिया। केवल यहूदा का परिवार समूह ही एक मात्र परिवार समूह था जो दाऊद के परिवार का अनुसरण करता रहा।

21 रहूबियाम यरूशलेम को वापस गया। उसने यहूदा के परिवार समूह और बिन्यामीन के परिवार समूह को इकट्ठा किया। यह एक लाख अस्सी हजार पुरुषों की सेना थी। रहूबियाम इस्राएल के लोगों के विरुद्ध युद्ध लड़ना चाहता था। वह अपने राज्य को वापस लेना चाहता था। 22 किन्तु यहोवा ने परमेश्वर के एक व्यक्ति से बातें कीं। उसका नाम शमायाहा था। परमेश्वर ने कहा, 23 “यहूदा के राजा, सुलैमान के पुत्र, रहूबियाम और यहूदा तथा बिन्यामीन के सभी लोगों से बात करो। 24 उनसे कहो, ‘यहोवा कहता है कि तुम्हें अपने भाइयों इस्राएल के लोगों के विरुद्ध युद्ध में नहीं जाना चाहिये। तुम सबको घर लौट जाना चाहिये। मैंने इन सभी घटनाओं को घटित होने दिया है।’” अत: रहूबियाम की सेना के पुरुषों ने यहोवा का आदेश माना। वे, सभी अपने घर लौट गए।

25 शकेम, एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश में एक नगर था। यारोबाम ने शकेम को एक सुदृढ़ नगर बनाया और उसमें रहने लगा। इसके बाद वह पनूएल नगर को गया और उसे भी सुदृढ़ किया।

26-27 यारोबाम ने अपने मन में सोचा, “यदि लोग यरूशलेम में यहोवा के मन्दिर को जाते रहे तो वे दाऊद के परिवार द्वारा शासित होना चाहेंगे। लोग फिर यहूदा के राजा रहूबियाम का अनुसरण करना आरम्भ कर देंगे। तब वे मुझे मार डालेंगे।” 28 इसलिये राजा ने अपने सलाहकारों से पूछा कि उसे क्या करना चाहिये उन्होंने उसे अपनी सलाह दी। अत: यारोबाम ने दो सुनहले बछड़े बनाये। राजा यारोबाम ने लोगों से कहा, “तुम्हें उपासना करने यरूशलेम नहीं जाना चाहिये। इस्राएलियो, ये देवता हैं जो तुम्हें मिस्र से बाहर ले आए।”[f] 29 राजा यारोबाम ने एक सुनहले बछड़े को बेतेल में रखा। उसने दूसरे सुनहले बछड़े को दान में रखा। 30 किन्तु यह बहुत बड़ा पाप था। इस्राएल के लोगों ने बेतेल और दान नगरों की यात्रा बछड़ों की पूजा करने के लिये की। किन्तु यह बहुत बड़ा पाप था।

31 यारोबाम ने उच्च स्थानों पर पूजागृह भी बनाए। उसने इस्राएल के विभिन्न परिवार समूहों से याजक भी चुने। (उसने केवल लेवी परिवार समूह से याजक नहीं चुने।) 32 और राजा यारोबाम ने एक नया पर्व आरम्भ किया। यह पर्व यहूदा के “फसहपर्व” की तरह था। किन्तु यह पर्व आठवें महीने के पन्द्रहवें दिन था—पहले महीने के पन्द्रहवें दिन नहीं। उस समय राजा बेतेल नगर की वेदी पर बलि भेंट करता था और वह बलि उन बछड़ों को भेंट करता था जिन्हें उसने बनवाया था। राजा यारोबाम ने बेतेल में उन उच्चस्थानों के लिये याजक भी चुने, जिन्हें उसने बनाया था। 33 इसलिये राजा यारोबाम इस्राएलियों के लिये पर्व के लिये अपना ही समय चुना। यह आठवें महीने का पन्द्रहवाँ दिन था। उन दिनों वह उस वेदी पर बलि भेंट करता था और सुगन्धि जलाता था जिसे उसने बनाया था। यह बेतेल नगर में था।

परमेश्वर बेतेल के विरुद्ध घोषणा करता है

13 यहोवा ने यहूदा के निवासी परमेश्वर के एक व्यक्ति (नबी) को यहूदा से बेतेल नगर में जाने का आदेश दिया। राजा यारोबाम उस समय सुगन्धि भेंट करता हुआ वेदी के पास खड़ा था जिस समय परमेश्वर का व्यक्ति (नबी) वहाँ पहुँचा। यहोवा ने उस परमेश्वर के व्यक्ति को आदेश दिया था कि तुम वेदी के विरुद्ध बोलना। उसने कहा,

“वेदी, यहोवा तुमसे कहता है: ‘दाऊद के परिवार में एक पुत्र योशिय्याह नामक उत्पन्न होगा। ये याजक अब उच्च स्थानों पर पूजा कर रहे हैं। किन्तु वेदी, योशिय्याह उन याजकों को तुम पर रखेगा और वह उन्हें मार डालेगा। अब वे याजक तुम पर सुगन्धि जलाते हैं। किन्तु योशिय्याह तुम पर नर—अस्थियाँ जलायेगा। तब तुम्हारा उपयोग दुबारा नहीं हो सकेगा।’”

परमेश्वर के वयक्ति ने यह सब घटित होगा, इसका प्रमाण लोगों को दिया। उसने कहा, यहोवा ने जिसके विषय में मुझसे कहा है उसका प्रमाण यह है। यहोवा ने कहा, “यह वेदी दो टुकड़े हो जायेगी और इसकी राख जमीन पर गिर पड़ेगी।”

राजा यारोबाम ने परमेश्वर के व्यक्ति से बेतेल में वेदी के प्रति दिया सन्देश सुना। उसने वेदी से हाथ खींच लिया और व्यक्ति की ओर संकेत किया। उसने कहा, “इस व्यक्ति को बन्दी बना लो!” किन्तु राजा ने जब यह कहा तो उसके हाथ को लकवा मार गया। वह उसे हिला नहीं सका। वेदी के भी टुकड़े—टुकड़े हो गए। उसकी सारी राख जमीन पर गिर पड़ी। यह इसका प्रमाण था कि परमेश्वर के व्यक्ति ने जो कहा वह परमेश्वर की तरफ से था। तब राजा यारोबाम ने परमेश्वर के व्यक्ति से कहा, “कृपया यहोवा अपने परमेश्वर से मेरे लिये प्रार्थना करें। कि वह मेरी भुजा स्वस्थ कर दे।”

अत: “परमेश्वर के व्यक्ति” ने यहोवा से प्रार्थना की और राजा की भुजा स्वस्थ हो गई। यह वैसी ही हो गई जैसी पहले थी। तब राजा ने परमेश्वर के व्यक्ति से कहा, “कृपया मेरे साथ घर चलें। आएं और मेरे साथ भोजन करें मैं आपको एक भेंट दूँगा।”

किन्तु परमेश्वर के व्यक्ति ने राजा से कहा, “मैं आपके साथ घर नहीं जाऊँगा। यदि आप मुझे अपना आधा राज्य भी दें तो भी मैं नहीं जाऊँगा। मैं इस स्थान पर न कुछ खाऊँगा, न ही कुछ पीऊँगा। यहोवा ने मुझे आदेश दिया है कि मैं कुछ न तो खाऊँ न ही पीऊँ। यहोवा ने यह भी आदेश दिया है कि मैं उस मार्ग से यात्रा न करूँ जिसका उपयोग मैंने यहाँ आते समय किया।” 10 इसलिये उसने भिन्न सड़क से यात्रा की। उसने उसी सड़क का उपयोग नहीं किया जिसका उपयोग उसने बेतेल को आते समय किया था।

11 बेतेल नगर में एक वृद्ध नबी रहता था। उसके पुत्र आए और उन्होंने उसे बताया कि परमेश्वर के व्यक्ति ने बेतेल में क्या किया। उन्होंने अपने पिता से वह भी कहा जो परमेश्वर के व्यक्ति ने राजा यारोबाम से कहा था। 12 वृद्ध नबी ने कहा, “जब वह चला तो किस सड़क से गया” अत: पुत्रों ने अपने पिता को वह सड़क दिखाई जिससे यहूदा से आने वाला परमेश्वर का व्यक्ति गया था। 13 वृद्ध नबी ने अपने पुत्रों से अपने गधे पर काठी रखने के लिये कहा। अत: उन्होंने काठी गधे पर डाली। तब नबी अपने गधे पर चल पड़ा।

14 वृद्ध नबी परमेश्वर के व्यक्ति के पीछे गया। वृद्ध नबी ने परमेश्वर के व्यक्ति को एक बांजवृक्ष के नीचे बैठे देखा। वृद्ध नबी ने पूछा, “क्या आप वही परमेश्वर के व्यक्ति हैं जो यहूदा से आए हैं?”

परमेश्वर के व्यक्ति ने उत्तर दिया, “हाँ, मैं ही हूँ।”

15 इसलिये वृद्ध नबी ने कहा, “कृपया घर चलें और मेरे साथ भोजन करें।”

16 किन्तु परमेश्वर के व्यक्ति ने उत्तर दिया, “मैं तुम्हारे साथ घर नहीं जा सकता। मैं इस स्थान पर तुम्हारे साथ खा—पी भी नहीं सकता। 17 यहोवा ने मुझसे कहा, ‘तुम उस स्थान पर कुछ खाना पीना नहीं और तुम्हें उसी सड़क से वापस लौटना भी नहीं है जिससे तुम वहाँ आए।’”

18 तब वृद्ध नबी ने कहा, “किन्तु मैं भी तुम्हारी तरह नबी हूँ।” तब वृद्ध नबी ने एक झूठ बोला। उसने कहा, “यहोवा के यहाँ से एक स्वर्गदूत मेरे पास आया। स्वर्गदूत ने मुझसे तुम्हें अपने घर लाने और तुम्हें मेरे साथ भोजन पानी करने की स्वीकृति दी है।”

19 इसलिये परमेश्वर का व्यक्ति वृद्ध नबी के घर गया और उसके साथ खाया—पीया। 20 जब वे मेज पर बैठे थे, यहोवा ने वृद्ध नबी से कहा। 21 और वृद्ध नबी ने यहूदा के निवासी परमेश्वर के व्यक्ति के साथ बातचीत की। उसने कहा, “यहोवा ने कहा, कि तुमने उसकी आज्ञा का पालन नहीं किया। तुमने वह नहीं किया जिसके लिये यहोवा का आदेश था। 22 यहोवा ने आदेश दिया था कि तुम्हें इस स्थान पर कुछ भी खाना या पीना नहीं चाहिये। किन्तु तुम वापस लौटे और तुमने खाया पीया। इसलिये तुम्हारा शव तुम्हारे परिवार की कब्रगाह में नहीं दफनाया जाएगा।”

23 परमेश्वर के व्यक्ति ने भोजन करना और पीना समाप्त किया। तब वृद्ध नबी ने उसके लिये गधे पर काठी कसी और वह चला गया। 24 घर की ओर यात्रा करते समय सड़क पर एक सिंह ने आक्रमण किया और परमेश्वर के व्यक्ति को मार डाला। नबी का शव सड़क पर पड़ा था। गधा और सिंह शव के पास खड़े थे। 25 कुछ अन्य व्यक्ति उस सड़क से यात्रा कर रहे थे। उन्होंने शव को देखा और शव के पास सिंह को खड़ा देखा। वे व्यक्ति उस नगर को आए जहाँ नबी रहता था और वहाँ वह बताया जो उन्होंने सड़क पर देखा था।

26 वृद्ध नबी ने उस व्यक्ति को धोखा दिया था और उसे वापस ले गया था। उसने जो कुछ हुआ था वह सुना और उसने कहा, “वह परमेश्वर का व्यक्ति है जिसने यहोवा के आदेश का पालन नहीं किया। इसलिये यहोवा ने उसे मारने के लिये एक सिंह भेजा। यहोवा ने कहा कि उसे यह करना चाहिये।” 27 तब नबी ने अपने पुत्रों से कहा, “मेरे गधे पर काठी डालो।” अत: उसके पुत्रों ने उसके गधे पर काठी डाली। 28 वृद्ध नबी गया और उसके शव को सड़क पर पड़ा पाया। गधा और सिंह तब भी उसके पास खड़े थे। सिंह ने शव को नहीं खाया था और गधे को चोट नहीं पहुँचाई थी।

29 वृद्ध नबी ने शव को अपने गधे पर रखा। वह शव को वापस ले गया जिससे उसके लिये रो सके और उसे दफना सके।

30 वृद्ध नबी ने उसे अपने परिवार की कब्रगाह में दफनाया। वृद्ध नबी उसके लिये रोया। वृद्ध नबी ने कहा, “ऐ मेरे भाई मैं तुम्हारे लिये दुःखी हूँ।” 31 इस प्रकार वृद्ध नबी ने शव को दफनाया। तब उसने अपने पुत्रों से कहा, “जब मैं मरुँ तो मुझे इसी कब्र में दफनाना। मेरी अस्थियों को उसकी अस्थियों के समीप रखना। 32 जो बातें यहोवा ने उसके द्वारा कहलवाई हैं वे निश्चित ही सत्य घटित होंगी। यहोवा ने उसका उपयोग बेतेल की वेदी और शोमरोन के अन्य नगरों में स्थित उच्च स्थानों के विरुद्ध बोलने के लिये किया।”

33 राजा यारोबाम ने अपने को नहीं बदला। वह पाप कर्म करता रहा। वह विभिन्न परिवार समूहों से लोगों को याजक बनने के लिये चुनता रहा। वे याजक उच्च स्थानों पर सेवा करते थे। जो कोई याजक होना चाहता था याजक बन जाने दिया जाता था। 34 यही पाप था जो उसके राज्य की बरबादी और विनाश का कारण बना।

यारोबाम का पुत्र मर जाता है

14 उस समय यारोबाम का पुत्र अबिय्याह बहुत बीमार पड़ा। यारोबाम ने अपनी पत्नी से कहा, “शीलो जाओ। जाओ और अहिय्याह नबी से मिलो। अहिय्याह वह व्यक्ति है जिसने कहा था कि मैं इस्राएल का राजा बनूँगा। अपने वस्त्र ऐसे पहनों कि कोई न समझे कि तुम मेरी पत्नी हो। नबी को दस रोटियाँ, कुछ पुऐ और शहद का एक घड़ा दो। तब उससे पूछो कि हमारे पुत्र का क्या होगा। अहिय्याह नबी तुम्हें बतायेगा।”

इसलिये राजा की पत्नी ने वह किया जो उसने कहा। वह शीलो गई। वह अहिय्याह नबी के घर गई। अहिय्याह बहुत बूढ़ा और अन्धा हो गया था। किन्तु यहोवा ने उससे कहा, “यारोबाम की पत्नी तुमसे अपने पुत्र के बारे में पूछने के लिये आ रही है। वह बीमार है।” यहोवा ने अहिय्याह को बताया कि उसे क्या कहना चाहिये।

यारोबाम की पत्नी अहिय्याह के घर पहुँची। वह प्रयत्न कर रही थी कि लोग न जानें कि वह कौन है। अहिय्याह ने उसके द्वार पर आने की आवाज सुनी। अत: अहिय्याह ने कहा, “यारोबाम की पत्नी, यहाँ आओ। तुम क्यों यह प्रयत्न कर रही हो कि लोग यह समझें कि तुम कोई अन्य हो मेरे पास तुम्हारे लिये कुछ बुरी सूचनायें हैं। वापस लौटो और यारोबाम से कहो कि यहोवा इस्राएल का परमेश्वर, जो कहता है, वह यह है। यहोवा कहता है, ‘यारोबाम इस्राएल के सभी लोगों में से मैंने तुम्हें चुना। मैंने तुम्हें अपने लोगों का शासक बनाया। दाऊद के परिवार ने इस्राएल पर शासन किया किन्तु मैंने उनसे राज्य ले लिये और उसे तुमको दे दिया। किन्तु तुम मेरे सेवक दाऊद के समान नहीं हो। उसने मेरे आदेशों का सदा पालन किया। उसने पूरे हृदय से मेरा अनुसरण किया। उसने वे ही काम किये जिन्हें मैंने स्वीकार किया। किन्तु तुमने बहुत से भीषण पाप किये हैं। तुम्हारे पाप उन सभी के पापों से अधिक हैं जिन्होंने तुम से पहले शासन किया। तुमने मेरा अनुसरण करना बन्द कर दिया है। तुमने मूर्तियाँ और अन्य देवाता बनाये। इसने मूझे बहुत क्रोधित किया। इससे मैं बहुत क्रुद्ध हुआ हूँ। 10 अत: यारोबाम, मैं तुम्हारे परिवार पर विपत्ति लाऊँगा। मैं तुम्हारे परिवार के सभी पुरुषों को मार डालूँगा। मैं तुम्हारे परिवार को पूरी तरह वैसे ही नष्ट कर डालूँगा जैसे आग उपलों को नष्ट करती है। 11 तुम्हारे परिवार का जो कोई नगर में मरेगा उसे कुत्ते खायेंगे और तुम्हारे परिवार का जो कोई व्यक्ति मैदान में मरेगा उसे पक्षी खायेंगे। यहोवा ने यह कहा है।’”

12 तब अहिय्याह नबी यारोबाम की पत्नी से बात करता रहा। उसने कहा, “अब तुम घर जाओ। जैसे ही तुम अपने नगर में प्रवेश करोगी तुम्हारा पुत्र मरेगा। 13 सारा इस्राएल उसके लिये रोएगा और उसे दफनाएगा। मात्र तुम्हारा पुत्र ही यारोबाम के परिवार में ऐसा होगा जिसे दफनाया जाएगा। इसका कारण यह है कि यारोबाम के परिवार में केवल वही ऐसा व्यक्ति है जिसने यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर को प्रसन्न किया है। 14 यहोवा इस्राएल का एक नया राजा बनायेगा। वह नया राजा यारोबाम के परिवार को नष्ट करेगा। यह बहुत शीघ्र होगा। 15 तब यहोवा इस्राएल को चोट पहुँचायेगा। इस्राएल के लोग बहुत डर जायेंगे वे जल की लम्बी घास की तरह काँपेंगे। यहोवा इस्राएलियों को इस अच्छे प्रदेश से उखाड़ देगा। यह वही भूमि है जिसे उसने उनके पूर्वजों को दिया था। वह उनको फरात नदी की दूसरी ओर बिखेर देगा। यह होगा, क्योंकि यहोवा लोगों पर क्रोधित है। लोगों ने उसको तब क्रोधित किया जब उन्होंने अशेरा की पूजा के लिये विशेष स्तम्भ खड़े किये। 16 यारोबाम ने पाप किया और तब यारोबाम ने इस्राएल के लोगों से पाप करवाया। अत: यहोवा इस्राएल के लोगों को पराजित होने देगा।”

17 यारोबाम की पत्नी तिरजा को लौट गई। ज्यों ही वह घर में घुसी, लड़का मर गया। 18 पूरे इस्राएल ने उसको दफनाया और उसके लिये वे रोये। यह ठीक वैसे ही हुआ जैसा यहोवा ने होने को कहा था। यहोवा ने अपने सेवक अहिय्याह नबी का उपयोग ये बातें कहने के लिये किया।

19 राजा यारोबाम ने अन्य बहुत से काम किये। उसने युद्ध किये और लोगों पर शासन करता रहा। उसने जो कुछ किया वह सब इस्राएल के राजाओं के इतिहास नामक पुस्तक में लिखा हुआ है। 20 यारोबाम ने बाईस वर्ष तक राजा के रूप में शासन किया। तब वह मरा और अपने पूर्वजों के साथ दफनाया गया। उसका पुत्र नादाब उसके बाद नया राजा हुआ।

21 उस समय जब सुलैमान का लड़का रहूबियाम यहूदा का राजा बना, वह इकतालीस वर्ष का था। रहूबियाम ने यरूशलेम नगर मैं सत्रह वर्ष तक शासन किया। यह वही नगर है जिसमें यहोवा ने सम्मानित होना चुना। उसने इस्राएल के अन्य सभी नगरों में से इस नगर को चुना। रहूबियाम की नामा नामक माँ अम्मोन की थी।

22 यहूदा के लोगों ने भी पाप किये और उन कामों को किया जिन्हें यहोवा ने बुरा कहा था। लोगों ने अपने ऊपर यहोवा को क्रोधित करने के लिये और अधिक बुरे काम किये। वे लोग अपने उन पूर्वजों से भी बुरे थे जो उनके पहले वहाँ रहते थे। 23 लोगों ने उच्च स्थान, पत्थर के स्मारक और पवित्र स्तम्भ बनाये। उन्होंने उन्हें हर एक ऊँचे पहाड़ पर एवं प्रत्येक पेड़ के नीचे बनाये। 24 ऐसे भी लोग थे जिन्होंने अपने तन को शारीरिक सम्बन्धों के लिये बेचकर अन्य देवताओं की सेवा की।[g] इस प्रकार यहूदा के लोगों ने अनेक बुरे काम किये। जो लोग उस देश में उनसे पहले रहते थे उन्होंने भी वे ही पापपूर्ण काम किये थे और परमेश्वर ने उन लोगों से वह देश ले लिया था और इस्राएल के लोगों को दे दिया था।

25 रहूबियाम के राज्य काल के पाँचवें वर्ष मिस्र का राजा शीशक यरूशलेम के विरुद्ध लड़ा। 26 शीशक ने यहोवा के मन्दिर और राजा के महल से खजाने ले लिये। उसने उन सुनहली ढालों को भी ले लिया जिन्हें दाऊद ने अराम के राजा हददजर के अधिकारियों से लिया था। दाऊद इन ढालों को यरूशलेम ले गया था। किन्तु शीशक ने सभी सुनहली ढालें ले लीं। 27 अत: राजा रहूबियाम ने उनके स्थान पर रखने के लिये अनेक ढालें बनवाई। किन्तु ये ढालें काँसे की थीं, सोने की नहीं। उसने ये ढालें उन पुरुषों को दीं जो महल के द्वारों की रक्षा करते थे। 28 जब कभी राजा यहोवा के मन्दिर को जाता था, द्वार रक्षक उसके साथ हर बार जाते थे। वे ढालें ले जाते थे। जब वे काम पूरा कर लेते थे तब वे रक्षक कक्ष में ढालों को लटका देते थे।

29 राजा रहूबियाम ने जो कुछ किया वह सब, यहूदा के राजाओं के इतिहास नामक पुस्तक में लिखा हुआ है। 30 रहूबियाम और यारोबाम सदैव एक दूसरे के विरुद्ध युद्ध करते रहे।

31 रहूबियाम मरा और अपने पूर्वजों के साथ दफनाया गया। उसे उसके पूर्वजों के साथ दाऊद नगर में दफनाया गया। (उसकी माँ नामा, अम्मोन की थी।) रहूबियाम का पुत्र अबिय्याम उसके बाद नया राजा बना।

यहूदा का राजा अबिय्याम

15 नाबात का पुत्र यारोबाम इस्राएल पर शासन कर रहा था। यारोबाम के राज्यकाल के अट्ठारहवें वर्ष, अबिय्याम यहूदा का नया राजा बना। अबिय्याम ने तीन वर्ष तक शासन किया। उसकी माँ का नाम माका था। वह अबशालोम की पुत्री थी।

उसने वे सभी पाप किये जो उसके पिता ने उसके पहले किये थे। अबिय्याम अपने पितामह दाऊद की तरह यहोवा, अपने परमेश्वर का भक्त नहीं था। यहोवा दाऊद से प्रेम करता था। अत: उसी के लिये यहोवा ने अबिय्याम को यरूशलेम में राज्य दिया और यहोवा ने उसे एक पुत्र दिया। यहोवा ने यरूशलेम को सुरक्षित भी रहने दिया। यह उसने दाऊद के लिये किया। दाऊद ने सदैव ही उचित काम किये जिन्हें यहोवा चाहता था। उसने सदैव यहोवा के आदेशों का पालन किया था। केवल एक बार दाऊद ने यहोवा का आदेश नहीं माना था जब दाऊद ने हित्ती ऊरिय्याह के विरुद्ध पाप किया था।

रहूबियाम और यारोबाम हमेशा एक दूसरे के विरुद्ध युद्ध लड़ते रहे। जो कुछ अन्य काम अबिय्याम ने किये वह यहूदा के राजाओं के इतिहास नामक पुस्तक में लिखा है।

उसे सारे समय में जब अबिय्याम राजा था, यारोबाम और अबिय्याम के बीच युद्ध चलता रहा। जब अबिय्याम मरा तो उसे दाऊद नगर में दफनाया गया। अबिय्याम का पुत्र “आसा” उसके बाद नया राजा हुआ।

यहूदा का राजा आसा

इस्राएल के ऊपर यारोबाम के राजा के रूप में शासन करने के बीसवें वर्ष में आसा यहूदा का राजा बना। 10 आसा ने यरूशलेम में इकतालीस वर्ष तक शासन किया। उसकी पितामही का नाम माका था और माका अबशालोम की पुत्री थी।

11 आसा ने अपने पूर्वज दाऊद की तरह उन कामों को किया जिन्हें यहोवा ने उचित कहा। 12 उन दिनों ऐसे लोग थे जो अपने तन को शारीरिक सम्बन्ध के लिये बेचकर अन्य देवताओं की सेवा करते थे। आसा ने उन लोगों को देश छोड़ने के लिये विवश किया। आसा ने उन देव मूर्तियों को भी दूर किया जो उसके पूर्वजों ने बनाईं थीं। 13 आसा ने अपनी पितामही माका को रानी पद से हटा दिया। माका ने देवी अशेरा की उन भंयकर मूर्तियों में से एक को बनाया था। उसने इस भंयकर मूर्ति को काट डाला। उसने उसे किद्रोन की घाटी में जलाया। 14 आसा ने उच्च स्थानों को नष्ट नहीं किया, किन्तु वह पूरे जीवन भर यहोवा का भक्त रहा। 15 आसा के पिता ने कुछ चीजें परमेश्वर को दी थीं। आसा ने भी परमेश्वर को कुछ भेंटे चढ़ाई थीं। उन्होंने, सोने चाँदी और अन्य चीजों की भेंटें दीं। आसा ने उन सभी चीजों को मन्दिर में जमा कर दिया।

16 जब तक राजा आसा यहूदा का राजा था, वह सदैव इस्राएल के राजा बाशा के विरुद्ध युद्ध करता रहा। 17 बाशा यहूदा के विरुद्ध लड़ता रहा। बाशा लोगों को, आशा के देश यहूदा से आने अथवा जाने से रोकना चाहता था। 18 अत: आसा ने यहोवा के मन्दिर और राजमहल के खजानों से सोना और चाँदी निकाला। उसने यह सोना—चाँदी अपने सेवकों को दिया और उन्हें अराम के राजा बेन्हदद के पास भेजा। बेन्हदद हेज्योन के पुत्र तब्रिम्मोन का पुत्र था। उसने दमिश्क नगर में शासन किया। 19 आसा ने यह सन्देश भेजा, “मेरे पिता और तुम्हारे पिता के मध्य एक शान्ति—सन्धि थी। अब मैं तुम्हारे और अपने बीच एक शान्ति—सन्धि करना चाहता हूँ। मैं तुम्हारे पास सोना—चाँदी की भेंट भेज रहा हूँ। इस्राएल के राजा बाशा के साथ अपनी सन्धि तोड़ दो। तब बाशा मेरे देश को छोड़ देगा।”

20 राजा बेन्हदद ने आसा के सन्देश को स्वीकार किया। अतः उसने इस्राएल के नगरों के विरुद्ध लड़ने के लिये अपनी सेना भेजी। बेन्हदद ने इय्योन, दान, आबेल्वेत्माका और गलीली झील के चारों ओर के नगरों को पराजित किया। उसने सारे नप्ताली क्षेत्र को हराया। 21 बाशा ने इन आक्रमणों के बारे में सुना। इसलिये उसने रामा को दृढ़ बनाना बन्द कर दिया। उसने उस नगर को छोड़ दिया और तिर्सा को लौट गया। 22 तब राजा आसा ने यहूदा के सभी लोगों को आदेश दिया कि हर एक व्यक्ति को सहायता देनी होगी। वे रामा को गए और उन्होंने उन पत्थरों और लकड़ियों को उठा लिया जिनका उपयोग बाशा नगर को दृढ़ बनाने के लिये कर रहा था। वे उन चीजों को बिन्यामीन प्रदेश में गेबा और मिस्पा को ले गए। तब आसा ने उन दोनों नगरों को बहुत अधिक दृढ़ बनाया।

23 आसा के बारे में अन्य बातें, व महान कार्य जो उसने किये और नगर जिन्हें उसने बनाया वह, यहुदा के राजाओं के इतिहास नामक पुस्तक में लिखा है। जब आसा बूढ़ा हुआ तो उसके पैर में एक रोग उत्पन्न हुआ। 24 आसा मरा और उसे उसके पूर्वज दाऊद के नगर में दफनाया गया। तब आसा का पुत्र यहोशापात उसके बाद नया राजा बना।

इस्राएल का राजा नादाब

25 यहूदा पर आसा के राज्य काल के दूसरे वर्ष में यारोबाम का पुत्र नादाब इस्राएल का राजा हुआ। नादाब ने इस्राएल पर दो वर्ष तक शासन किया। 26 नादाब ने यहोवा के विरुद्ध बुरे काम किये। उसने वैसे ही पाप किये जैसे उसके पिता यारोबाम ने किये थे और यारोबाम ने इस्राएल के लोगों से भी पाप कराये थे।

27 बाशा अहिय्याह का पुत्र था। वे इस्साकार के परिवार समूह से थे। बाशा ने राजा नादाब को मार डालने की एक योजना बनाई। यह वह समय था जब नादाब और सारा इस्राएल गिब्बतोन नगर के विरुद्ध युद्ध में लड़ रहे थे। यह एक पलिश्ती नगर था। उस स्थान पर बाशा ने नादाब को मार डाला। 28 यह यहूदा पर आसा के रज्यकाल के तीसरे वर्ष में हुआ और बाशा इस्राएल का अगला राजा बना।

इस्राएल का राजा बाशा

29 जब बाशा नया राजा हुआ तो उसने यारोबाम के परिवार के हर एक व्यक्ति को मार डाला। बाशा ने यारोबाम के परिवार में किसी व्यक्ति को जीवित नहीं छोड़ा। यह वैसे ही हुआ जैसा होने के लिये यहोवा ने कहा था। यहोवा ने शीलो के अपने सेवक अहिय्याह द्वारा यह कहा था। 30 यह हुआ, क्योंकि यारोबाम ने अनेक पाप किये थे और यारोबाम ने इस्राएल के लोगों से अनेक पाप कराये थे। यारोबाम ने यहोवा इस्राएल के परमेश्वर को बहुत क्रोधित कर दिया था।

31 नादाब ने जो अन्य काम किये वे इस्राएल के राजाओं के इतिहास नामक पुस्तक में लिखा हुआ है। 32 पूरे समय, जब तक बाशा इस्राएल का शासक था, वह यहूदा के राजा आसा के विरुद्ध युद्ध में लड़ता रहा।

33 अहिय्याह का पुत्र बाशा, यहोदा पर आसा के राज्य काल के तीसरे वर्ष में इस्राएल का राजा हुआ था। बाशा तिर्सा में चौबीस वर्ष तक राजा रहा। 34 किन्तु बाशा ने वे कार्य किये जिन्हें यहोवा ने बुरा बाताया था। उसने वे ही पाप किये जो उसके पूर्वज यारोबाम ने किये थे। यारोबाम ने इस्राएल के लोगों से पाप कराये थे।

16 तब यहोवा ने हनान के पुत्र येहू से बातें कीं। यहोवा राजा बाशा के विरुद्ध बातें कह रहा था। “मैंने तुमको एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बनाया। मैंने तुमको अपने इस्राएल के लोगों के ऊपर राजा बनाया। किन्तु तुमने यारोबाम का अनुसरण किया है। तुमने मेरे लोगों, इस्राएलियों से पाप कराया है। उन्होंने अपने पापों से मुझे क्रोधित किया है। इसलिए बाशा, मैं तुझे और तुम्हारे परिवार नष्ट करुँगा। मैं तुम्हारे साथ वही करूँगा जो मैंने नबात के पुत्र यारोबाम के परिवार के साथ किया। तुम्हारे परिवार के लोग नगर की सड़कों पर मरेंगे और उनके शवों को कुत्ते खायेंगे। तुम्हारे परिवार के कुछ लोग मैदानों में मरेंगे और उनके शवों को पक्षी खायेंगे।”

बाशा के विषय में अन्य बातें और जो महान कार्य उसने किये सभी इस्राएल के राजाओं के इतिहास नामक पुस्तक में लिखा है। बाशा मरा और तिर्सा में दफनाया गया। उसका पुत्र एला उसके बाद नया राजा बना।

अत: यहोवा ने येहू नबी को एक सन्देश दिया। यह सन्देश बाशा और उसके परिवार के विरुद्ध था। बाशा ने यहोवा के विरुद्ध बुरे कर्म किये थे। इससे यहोवा अत्यन्त क्रोधित हुआ। बाशा ने वही किया जो यारोबाम के परिवार ने उससे पहले किया था। यहोवा इसलिये भी क्रोधित था कि बाशा ने यारोबाम के पूरे परिवार को मार डाला था।

इस्राएल का राजा एला

यहूदा पर आसा के राज्य काल के छब्बीसवें वर्ष में एला राजा हुआ। एला बाशा का पुत्र था। उसने तिर्सा में दो वर्ष तक शासन किया।

राजा एला के अधिकारियों में से जिम्री एक था। जिम्री एला के आधे रथों को आदेश देता था। किन्तु जिम्री ने एला के विरुद्ध योजना बनाई। राजा एला तिर्सा में था। वह अर्सा के घर में दाखमधु पी रहा था और मत्त हो रहा था। अर्सा, तिर्सा के महल का अधिकारी था। 10 जिम्री उस घर में गया और उसने राजा एला को मार डाला। यहूदा पर आसा के राज्य काल के सत्ताईसवें वर्ष में यह हुआ। तब एला के बाद इस्राएल का नया राजा जिम्री हुआ।

इस्राएल का राजा जिम्री

11 जब जिम्री राजा हुआ तो उसने बाशा के पूरे परिवार को मार डाला। उसने बाशा के परिवार में किसी व्यक्ति को जीवित नहीं रहने दिया। जिम्री ने बाशा के मित्रों को भी मार डाला। 12 इस प्रकार जिम्री ने बाशा के परिवार को नष्ट किया। यह वैसे ही हुआ जैसा यहोवा ने, येहू नबी का उपयोग बाशा के विरूद्ध कहने को कहा था। 13 यह, बाशा और उसके पुत्र एला के, सभी पापों के कारण हुआ। उन्होंने पाप किया था और इस्राएल के लोगों से पाप कराया था। यहोवा क्रोधित था क्योंकि उन्होंने बहुत सी देवमूर्तियाँ रखी थीं।

14 इस्राएल के राजाओं के इतिहास नामक पुस्तक में ये अन्य सभी बातें लिखी हैं जो एला ने कीं।

15 यहूदा पर आसा के राज्य काल के सत्ताईसवें वर्ष में जिम्री इस्राएल का राजा बना। जिम्री ने तिर्सा में सात दिन शासन किया। जो कुछ हुआ, यह है: इस्राएल की सेना गिब्बतोन के पलिश्तियों के समीप डेरा डाले पड़ी थी। वे युद्ध के लिये तैयार थे। 16 पड़ाव में स्थित लोगों ने सुना कि जिम्री ने राजा के विरुद्ध गुप्त षड़यन्त्र रचा है। उन्होंने सुना कि उसने राजा को मार डाला। इसलिये सारे इस्राएल ने डेरे में, उस दिन ओम्री को इस्राएल का राजा बनाया। ओम्री सेनापति था। 17 इसलिये ओम्री और सारे इस्राएल ने गिब्बतोन को छोड़ा और तिर्सा पर आक्रमण कर दिया। 18 जिम्री ने देखा कि नगर पर अधिकार कर लिया गया है। अत: वह महल के भीतर चला गया और उसने आग लगानी आरम्भ कर दी। उसने महल और अपने को जला दिया। 19 इस प्रकार जिम्री मरा क्योंकि उसने पाप किया था। जिम्री ने उन कामों को किया जिन्हें यहोवा ने बुरा कहा था। उसने वैसे ही पाप किये जैसे यारोबाम ने किये थे और यारोबाम ने इस्राएल के लोगों से पाप कराया था।

20 इस्राएल के राजाओं के इतिहास नामक पुस्तक में जिम्री के गुप्त षड़यन्त्र और अन्य बातें लिखी हैं और जब जिम्री राजा एला के विरुद्ध हुआ, उस समय की घटनायें भी उसमें लिखी हैं।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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