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Bible in 90 Days

An intensive Bible reading plan that walks through the entire Bible in 90 days.
Duration: 88 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
यहोशू 1-14

परमेश्वर यहोशू को इस्राएल का नेतृत्व करने के लिये चुनता है

मूसा यहोवा का सेवक था। नून का पुत्र यहोशू मूसा का सहायक था। मूसा के मरने के बाद, यहोवा ने यहोशू से बातें कीं। यहोवा ने यहोशू से कहा, “मेरा सेवक मूसा मर गया। अब ये लोग और तुम यरदन नदी के पार जाओ। तुम्हें उस देश में जाना चाहिए जिसे मैं इस्राएल के लोगों को अर्थात् तुम्हें दे रहा हूँ। मैंने मूसा को यह वचन दिया था कि यह देश मैं तुम्हें दूँगा। इसलिए मैं तुम्हें वह हर एक प्रदेश दूँगा, जिस किसी स्थान पर भी तुम जाओगे। हित्तियों का पूरा देश, मरुभूमि और लबानोन से लेकर बड़ी नदी तक (परात नदी तक) तुम्हारा होगा और यहाँ से पश्चिम में भूमध्यसागर तक (सूर्य के डूबने के स्थान तक) का प्रदेश तुम्हारी सीमा के भीतर होगा। मैं मूसा के साथ था और मैं उसी तरह तुम्हारे साथ रहूँगा। तुम्हारे पूरे जीवन में, तुम्हें कोई भी व्यक्ति रोकने में समर्थ नहीं होगा। मैं तुम्हें छोड़ूँगा नहीं। मैं कभी तुमसे दूर नहीं होऊँगा।

“यहोशू, तुम्हें दृढ़ और साहसी होना चाहिये! तुम्हें इन लोगों का अगुवा होना चाहिये जिससे वे अपना देश ले सकें। यह वही देश है जिसे मैंने उन्हें देने के लिये उनके पूर्वजों को वचन दिया था। किन्तु तुम्हें एक दूसरी बात के विषय में भी दृढ़ और साहसी रहना होगा। तुम्हें उन आदेशों का पालन निश्चय के साथ करना चाहिए, जिन्हें मेरे सेवक मूसा ने तुम्हें दिया। यदि तुम उसकी शिक्षाओं का ठीक—ठीक पालन करोगे, तो तुम जो कुछ करोगे उसमें सफल होगे। उस व्यवस्था की किताब में लिखी गई बातों को सदा यादा रखो। तुम उस किताब का अध्ययन दिन रात करो, तभी तुम उसमें लिखे गए आदेशों के पालन के विषय में विश्वस्त रह सकते हो। यदि तुम यह करोगे, तो तुम बुद्धिमान बनोगे और जो कुछ करोगे उसमें सफल होगे। याद रखो, कि मैंने तुम्हें दृढ़ और साहसी बने रहने का आदेश दिया था। इसलिए कभी भयभीत न होओ, क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे साथ सभी जगह रहेगा, जहाँ तुम जाओगे।”

10 इसलिए यहोशू ने लोगों के प्रमुखों को आदेश दिया। उसने कहा, 11 “डेरे से होकर जाओ और लोगों को तैयार होने को कहो। लोगों से कहो, ‘कुछ भोजन तैयार कर लें। अब से तीन दिन बाद, हम लोग यरदन नदी पार करेंगे। हम लोग जाएंगे और उस देश को लेंगे जिसे तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुमको दे रहा है।’”

12 तब यहोशू ने रूबेन के परिवार समूह गाद और मनश्शे के परिवार समूह के आधे लोगों से बातें कीं। यहोशू ने कहा, 13 “उसे याद रखो, जो परमेश्वर के सेवक मूसा ने तुमसे कहा था। उसने कहा था कि परमेश्वर, तुम्हारा याहोवा तुम्हें आराम के लिये स्थान देगा। परमेश्वर यह देश तुम्हें देगा। 14 अब परमेश्वर ने यरदन नदी के पूर्व में यह देश तुम्हें दिया है। तुम्हारी पत्नियाँ, तुम्हारे बच्चे और तुम्हारे जानवर इस प्रदेश में रह सकते हैं। किन्तु तुम्हारे योद्धा तुम्हारे भाईयों के साथ यरदन नदी को अवश्य पार करेंगे। तुम्हें युद्ध के लिये तैयार रहना चाहिए और अपना देश लेने में अपने भाइयों की सहायता करनी चाहिये। 15 याहोवा ने तुम्हें आराम करने की जगह दी है, और वह तुम्हारे भाइयों के लिये भी वैसा ही करेगा। किन्तु तुम्हें अपने भाइयों की सहायता तब तक करनी चाहिये जब तक वे उस देश को नहीं ले लेते जिसे परमेश्वर, उनका यहोवा उन्हें दे रहा है। तब तुम यरदन नदी के पूर्व अपने देश में लौट सकते हो। वही वह प्रदेश है जिसे यहोवा के सेवक मूसा ने तुम्हें दिया था।”

16 तब लोगों ने यहोशू को उत्तर दिया, “जो भी करने के लिये तुम आदेश दोगे, हम लोग करेंगे! जिस स्थान पर भेजोगे, हम लोग जाएंगे! 17 हम लोगों ने पूरी तरह मूसा की आज्ञा मानी। उसी तरह हम लोग वह सब मानेंगे जो तुम कहोगे। हम लोग यहोवा से केवल एक बात चाहते हैं। हम लोग परमेश्वर यहोवा से यही माँग करते हैं कि वह तुम्हारे साथ वैसा ही रहे जैसे वह मूसा के साथ रहा। 18 तब, यदि कोई व्यक्ति तुमहारी आज्ञा मानने से इन्कार करता है या कोई व्यक्ति तुम्हारे विरुद्ध खड़ा होता है, वह मार डाला जाएगा। केवल दृढ़ और साहसी रहो!”

यरीहो में गुप्तचर

नून का पुत्र यहोशू और सभी लोगों ने शित्तीम में डेरा डाला था। यहोशू ने दो गुप्तचरों को भेजा। किसी दूसरे व्यक्ति को यह पता नहीं चला कि यहोशू ने इन लोगों को भेजा था। यहोशू ने इन लोगों से कहा, “जाओ और प्रदेश की जाँच करो, यरीहो नगर को सावधानी से देखो।”

इसलिए वे व्यक्ति यरीहो गए। वे एक वेश्या के घर गए और वहाँ ठहरे। इस स्त्री का नाम राहाब था।

किसी ने यरीहो के राजा से कहा, “इस्राएल के कुछ व्यक्ति आज रात हमारी धरती पर गुप्तचरी करने आए हैं।”

इसलिए यरीहो के राजा ने राहाब के यहाँ यह खबर भेजी: “उन व्यक्तियों को छिपाओ नहीं जो आकर तुम्हारे घर में ठहरे हैं। उन्हें बाहर लाओ। वे भेद लेने अपने देश में आए हैं।”

स्त्री ने दोनों व्यक्तियों को छिपा रखा था। किन्तु स्त्री ने कहा, “वे दो व्यक्ति आए तो थे, किन्तु मैं नहीं जानती कि वे कहाँ से आए थे। नगर द्वार बन्द होने के समय वे व्यक्ति शाम को चले गए। मैं नहीं जानती कि वे कहाँ गए। किन्तु यदि तुम जल्दी जाओगे, तो शायद तुम उन्हें पकड़ लोगे।” (राहाब ने वह सब कहा, लेकिन वास्तव में स्त्री ने उन्हें छत पर पहुँचा दिया था, और उन्हें उस चारे में छिपा दिया था, जिसका ढेर उसने ऊपर लगाया था।)

इसलिए इस्राएल के दो आदमियों की खोज में राजा के व्यक्ति चले गए। राजा के व्यक्तियों द्वारा नगर छोड़ने के तुरन्त बाद नगर द्वार बन्द कर दिये गए। वे उन स्थानों पर गए जहाँ से लोग यरदन नदी को पार करते थे।

दोनों व्यक्ति रात में सोने की तैयारी में थे। किन्तु स्त्री छत पर गई और उसने उनसे बात की। राहाब ने कहा, “मैं जानती हूँ कि यह देश याहोवा ने तुम्हारे लोगों को दिया है। तुम हम लोगों को भयभीत करते हो। इस देश में रहने वाले सभी तुम लोगों से भयभीत हैं। 10 हम लोग डरे हुए हैं क्योंकि हम सुन चुके हैं कि यहोवा ने तुम लोगों की सहायता कैसे की है। हमने सुना है कि तुम मिस्र से बाहर आए तो यहोवा न लाल सागर के पानी को सुखा दिया। हम लोगों ने यह भी सुना है कि तुम लोगो ने दो एमोरी राजाओं सीहोन और ओग के साथ क्या किया। हम लोगों ने सुना कि तुम लोगों ने यरदन नदी के पूर्व में रहने वाले उन दोनों राजाओं को कैसे नष्ट किया। 11 हम लोगों ने उन घटनाओं को सुना और बहुत अधिक डर गए और अब हम में से कोई व्यक्ति इतना साहसी नहीं कि तुम लोगों से लड़ सके। क्यों? क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा ऊपर स्वर्ग और नीचे धरती पर शासन करता है 12 तो अब, मैं चाहती हूँ कि तुम मुझे वचन दो। मैंने तुम्हारी सहायता की है और तुम पर दया की है। इसलिए यहोवा के सामने वचन दो कि तुम हमारे परिवार पर दया करोगे। कृपया मुझे कहो कि तुम ऐसा करोगे। 13 मुझसे तुम यह कहो कि तुम मेरे परिवार को जीवित रहने दोगे जिसमें मेरे पिता, माँ, भाई, बहनें, और उनके परिवार होंगे। तुम प्रतिज्ञा करो कि तुम हमें मृत्यु से बचाओगे।”

14 उन व्यक्तियों ने उसे मान लिया। उनहोंने कहा, “हम तुम्हारे जीवन के लिये अपने जीवन की बाज़ी लगा देंगे। किसी व्यक्ति से न बताओ कि हम क्या कर रहे हैं। तब जब यहोवा हम लोगों को हमारा देश देगा, तब हम तुम पर दया करेंगे। तुम हम लोगों पर विश्वास कर सकते हो।”

15 उस स्त्री का घर नगर की दीवार के भीतर बना था। यह दीवार का एक हिस्सा था। इसलिए स्त्री ने उनके खिड़की में से उतरने के लिये रस्सी का उपयोग किया। 16 तब स्त्री ने उनसे कहा, “पश्चिम की पहाड़ियों में जाओ, जिससे राजा के व्यक्ति तुम्हें अचानक न पकड़ें। वहाँ तीन दिन छिपे रहो। राजा के व्यक्ति जब लौट आएं तब तुम अपने रास्ते जा सकते हो।”

17 व्यक्तियों ने उससे कहा, “हम लोगों ने तुमको वचन दिया है। किन्तु तुम्हें एक काम करना होगा, नहीं तो हम लोग अपने वचन के लिये उत्तरदायी नहीं होंगे। 18 तुम इस लाल रस्सी का उपयोग हम लोगों के बचकर भाग निकलने के लिये कर रही हो। हम लोग इस देश में लौटेंगे। उस समय तुम्हें इस रस्सी को अपनी खिड़की से अवश्य बांधना होगा। तुम्हे अपने पिता, अपनी माँ, अपने भाई, और अपने पूरे परिवार को अपने साथ इस घर में रखना होगा। 19 हम लोग हर एक व्यक्ति को सुरक्षित रखेंगे जो इस घर में होगा। यदि तुम्हारे घर के भीतर किसी को चोट पहुँचती है, तो उसके लिए हम लोग उत्तरदायी होंगे। यदि तुम्हारे घर से कोई व्यक्ति बाहर जाएगा, तो वह मार डाला जा सकता है। उस व्यक्ति के लिए हम उत्तरदायी नहीं होंगे। यह उसका अपना दोष होगा। 20 हम यह वादा तुम्हारे साथ कर रहे हैं। किन्तु यदि तुम किसी को बताओगी कि हम क्या कर रहे हैं, तो हम अपने इस वचन से स्वतन्त्र होंगे।”

21 स्त्री ने उत्तर दिया, “मैं इसे स्वीकार करती हूँ।” स्त्री ने नमस्कार किया और व्यक्तियों ने उसका घर छोड़ा। स्त्री ने खिड़की से लाल रस्सी बांधी।

22 वे उसके घर को छोड़कर पहाड़ियों में चले गए। जहाँ वे तीन दिन रुके। राजा के व्यक्तियों ने पूरी सड़क पर उनकी खोज की। तीन दिन बाद राजा के व्यक्तियों ने खोज बन्द कर दी। वे उन्हें नहीं ढूँढ पाए, सो वे नगर में लौट आए 23 तब दोनों व्यक्तियों ने यहोशू के पास लौटना आरम्भ किया। व्यक्तियों ने पहाड़ियाँ छोड़ीं और नदी को पार किया। वे नून के पुत्र यहोशू के पास गए। उन्होंने जो कुछ पता लगाया था, यहोशू को बताया। 24 उन्होंने यहोशू से कहा, “यहोवा ने सचमुच सारा देश हम लोगों को दे दिया है। उस देश के सभी लोग हम लोगों से भयभीत हैं।”

यरदन नदी पर आश्चर्यकर्म

दूसरे दिन सवेरे यहोशू और इस्राएल के सभी लोग उठे और शित्तीम को उन्होंने छोड़ दिया। उन्होंने यरदन नदी तक यात्रा की। उन्होंने पार करने के पहले यरदन नदी पर डेरे लगाए। तीन दिन बाद प्रमुख लोग डेरों के बीच से होकर निकले। प्रमुखों ने लोगों को आदेश दिये। उन्होंने कहा, “तुम लोग याजक और लेवीवंशियों को अपने परमेश्वर यहोवा के साक्षीपत्र का सन्दूक ले जाते हुए देखोगे। उस समय तुम जहाँ हो, उसे छोड़ोगे और उनके पीछे चलोगे। किन्तु उनके बहुत निकट न रहो। लगभग एक हजार गज दूर उनके पीछे रहो। तुमने पहले इस ओर की यात्रा कभी नहीं की है। इसलिए यदि तुम उनके पीछे चलोगे, तो तुम जानोगे कि तुम्हें कहाँ जाना है।”

तब यहोशू ने लोगों से कहा, “अपने को पवित्र करो। कल यहोवा तुम लोगों का उपयोग चमत्कार दिखाने के लिये करेगा।”

तब यहोशू ने याजकों से कहा, “साक्षीपत्र के सन्दूक को उठाओ और लोगों से पहले नदी के पार चलो।” इसलिए याजकों ने सन्दूक को उठाया और उसे लोगों के सामने ले गए।

तब यहोवा ने यहोशू से कहा, “आज मैं इस्राएल के लोगों की दृष्टि में तुम्हें महान व्यक्ति बनाना आरम्भ करूँगा। तब लोग जानेंगे कि मैं तुम्हारे साथ वैसे ही हूँ जैसे मैं मूसा के साथ था। याजक साक्षीपत्र का सन्दूक ले चलेंगे। याजकों से यह कहो, ‘यरदन नदी के किनारे तक जाओ और ठीक इसके पहले कि तुम्हारा पैर पानी में पड़े रूक जाओ।’”

तब यहोशू ने इस्राएल के लोगों से कहा, “आओ और अपने परमेश्वर यहोवा का आदेश सुनो। 10 यह इस बात का प्रमाण है कि साक्षात् परमेश्वर सचमुच तुम्हारे साथ है। यह इस बात का प्रमाण है कि वह तुम्हारे शत्रु कनान के लोगों हित्तियों, हिव्वियों, परिज्जियों, गिर्गाशियों, एमोरी लोगों तथा यबूसी लोगों को हराएगा और उन्हें उस देश को छोड़ने के लिए विवश करेगा। 11 प्रमाण यहाँ है। सारे संसार के स्वामी के साक्षीपत्र का सन्दूक उस समय तुम्हारे आगे चलेगा जब तुम यरदन नदी को पार करोगे। 12 अपने बीच से बारह व्यक्तियों को चुनो। इस्राएल के बारह परिवार समूहों में से हर एक से एक व्यक्ति चुनो। 13 याजक सारे संसार के स्वामी, यहोवा के सन्दूक को लेकर चलेंगे। वे उस सन्दूक को तुम्हारे सामने यरदन नदी में ले जाएंगे। जब वे पानी में घुसेंगे, तो यरदन के पानी का बहना रूक जायेगा। पानी रूक जाएगा और उस स्थान के पीछे बाँध की तरह खड़ा हो जाएगा।”

14 याजक लोगों के सामने साक्षीपत्र का सन्दूक लेकर चले और लोगों ने यरदन नदी को पार करने के लिए डेरे को छोड़ दिया। 15 (फसल पकने के समय यरदन नदी अपने तटों को डुबा देती है। अत: नदी पूरी तरह भरी हुई थी।) सन्दूक ले चलने वाले याजक नदी के किनारे पहुँचे। उन्होंने पानी में पाँव रखा। 16 और उस समय पानी का बहना बन्द हो गया। पानी उस स्थान के पीछे बांध की तरह खड़ा हो गया। नदी के चढ़ाव की ओर लम्बी दूरी तक पानी लगातार आदाम तक (सारतान के समीप एक नगर) ऊँचा खड़ा होता चला गया। लोगों ने यरीहो के पास नदी को पार किया। 17 उस जगह की धरती सूख गई याजक यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक को नदी के बीच ले जाकर रूक गये। जब इस्राएल के लोग यरदन नदी को सूखी धरती से होते हुए चल कर पार कर रहे थे, तब याजक वहाँ उनकी प्रतीक्षा में थे।

लोगों को स्मरण दिलाने के लिये शिलायें

जब सभी लोगों ने यरदन नदी को पार कर लिया तब यहोवा ने यहोशू से कहा, “लोगों में से बारह व्यक्ति चुनों। हर एक परिवार समूह से एक व्यक्ति चुनों। लोगों से कहो कि वे वहाँ नदी में देखें जहाँ याजक खड़े थे। उनसे वहाँ बारह शिलायें ढूँढ निकालने के लिए कहो। उन बारह शिलाओं को अपने साथ ले जाओ। उन बारह शिलाओं को उस स्थान पर रखो जहाँ तुम आज रात ठहरो।”

इसलिए यहोशू ने हर एक परिवार समूह से एक व्यक्ति चुना। तब उसने बारह व्यक्तियों को एक साथ बुलाया। यहोशू ने उनसे कहा, “नदी में वहाँ तक जाओ जहाँ तुम्हारे परमेश्वर यहोवा के पवित्र वाचा का सन्दूक है। तुममें से हर एक को एक शिला की खोज करनी चाहिये। इस्राएल के बारह परिवार समूहों में से हर एक के लिए एक शिला होगी। उस शिला को अपने कंधे पर लाओ। ये शिलायें तुम्हारे बीच चिन्ह होंगी। भविष्य में तुम्हारे बच्चे यह पूछेंगे, ‘इन शिलाओं का क्या महत्व है?’ बच्चों से कहो कि याहोवा ने यरदन नदी में पानी का बहना बन्द कर दिया था। जब यहोवा के साथ साक्षीपत्र के पवित्र सन्दूक ने नदी को पार किया तब पानी का बहना बन्द हो गया। ये शिलायें इस्राएल के लोगों को इस घटना की सदैव याद बनाये रखने में सहायता करेंगी।”

इस प्रकार, इस्राएल के लोगों ने यहोशू की आज्ञा मानी। वे यरदन नदी के बीच से बारह शिलायें ले गए। इस्राएल के बारह परिवार समूहों में से हर एक के लिये एक शिला थी। उन्होंने यह वैसे ही किया जैसा यहोवा ने यहोशू को आदेश दिया। वे व्यक्ति शिलाओं को अपने साथ ले गए। तब उन्होंने उन शिलाओं को वहाँ रखा जहाँ उन्होंने अपने डेरे डाले। (यहोशू ने भी यहोवा के पवित्र सन्दूक को ले चलने वाले याजक जहाँ खड़े थे, वहीं यरदन नदी के बीच में बारह शिलायें डाली। वे शिलायें आज भी उस स्थान पर हैं।)

10 यहोवा ने यहोशू को आदेश दिया था कि वह लोगों से कहे कि उन्हें क्या करना है। वे वही बातें थीं, जिन्हें अवश्य कहने के लिये मूसा ने यहोशू से कहा था। इसलिए पवित्र सन्दूक को ले चलने वाले याजक नदी के बीच में तब तक खड़े ही रहे, जब तक ये सभी काम पूरे न हो गए। लोगों ने शीघ्रता की और नदी को पार कर गए। 11 जब लोगों ने नदी को पार कर लिया तब याजक यहोवा का सन्दूक लेकर लोगों के सामने आये।

12 रूबेन के परिवार समूह, गादी तथा मनश्शे परिवार समूह के आधे लोगों ने, मूसा ने उन्हें जो करने को कहा था, किया। इन लोगों ने अन्य लोगों के सामने नदी को पार किया। ये लोग युद्ध के लिये तैयार थे। ये लोग इस्राएल के अन्य लोगों को उस देश को लेने में सहायता करने जा रहे थे, जिसे यहोवा ने उन्हें देने का वचन दिया था। 13 लगभग चालीस हजार सैनिक, जो युद्ध के लिये तैयार थे, यहोवा के सामने से गुजरे। वे यरीहो के मैदान की ओर बढ़ रहे थे।

14 उस दिन यहोवा ने इस्राएल के सभी लोगों की दृष्टि में यहोशू को एक महान व्यक्ति बना दिया। उस समय से आगे लोग यहोशू का सम्मान करने लगे। वे यहोशू का सम्मान जीवन भर वैसे ही करने लगे जैसा मूसा का करते थे।

15 जिस समय सन्दूक ले चलने वाले याजक अभी नदी में ही खड़े थे, यहोवा ने यहोशू से कहा, 16 “याजकों को नदी से बाहर आने का आदेश दो।”

17 इसलिए यहोशू ने याजकों को आदेश दिया। उसने कहा, “यरदन नदी के बाहर आओ।”

18 याजकों ने यहोशू की आज्ञा मानी। वे सन्दूक को अपने साथ लेकर बाहर आए। जब याजकों के पैर ने नदी के दूसरी ओर की भूमि को स्पर्श किया, तब नदी का जल फिर बहने लगा। पानी फिर तटों को वैसे ही डुबाने लगा जैसा इन लोगों द्वारा नदी पार करने के पहले था।

19 लोगों ने यरदन नदी को पहले महीने के दसवें दिन पार किया। लोगों ने यरीहो के पूर्व गिलगाल में डेरा डाला। 20 लोग उन शिलाओं को अपने साथ ले चल रहे थे जिन्हें उन्होंने यरदन नदी से निकाला था और यहोशू ने उन शिलाओं को गिलगाल में स्थापित किया। 21 तब यहोशू ने लोगों से कहा, “भविष्य में तुम्हारे बच्चे अपने माता—पिता से पूछेंगे, ‘इन शिलाओं का क्या महत्व है?’ 22 तुम बच्चों को बताओगे, ‘ये शिलाएं हम लोगों को यह याद दिलाने में सहायता करती हैं कि इस्राएल के लोगों ने किस तरह सूखी भूमि पर से यरदन नदी को पार किया।’ 23 तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने नदी के जल का बहना रोक दिया। नदी तब तक सूखी रही जब तक लोगों ने नदी को पार नहीं कर लिया। यहोवा ने यरदन नदी पर लोगो के लिये वही किया, जो उन्होंने लोगों के लिये लाल सागर पर किया था। याद करो कि यहोवा ने लाल सागर पर पानी का बहना इसलिए रोका था कि लोग उसे पार कर सकें। 24 यहोवा ने यह इसलिए किया कि इस देश के सभी लोग जानें कि यहोवा महान शक्ति रखता है। जिससे लोग सदैव ही यहोवा तुम्हारे परमेश्वर से डरते रहें।”

इस प्रकार, यहोवा ने यरदन नदी को तब तक सूखी रखा जब तक इस्राएल के लोगों ने उसे पार नहीं कर लिया। यरदन नदी के पश्चिम में रहने वाले एमोरी राजाओं और भूमध्य सागर के तट पर रहने वाले कनानी राजाओं ने इसके विषय में सुना और वे बहुत अधिक भयभीत हो गए। उसके बाद वे इस्राएल के लोगों के विरुद्ध युद्ध में खड़े रहने योग्य साहसी नहीं रह गए।

इस्राएलियों का खतना

उस समय, होवा ने यहोशू से कहा, “वज्रप्रस्तर के चाकू बनाओ और इस्राएल के लोगों का खतना फिर करो।”

इसलिए यहोशू ने कठोर पत्थर के चाकू बनाए। तब उसने इस्राएल के लोगों का खतना गिबआत हाअरलोत में किया।

4-7 यही कारण है कि यहोशू ने उन सभी पुरुषों का खतना किया, जो इस्राएल के लोगों द्वारा मिस्र छोड़ने के बाद सेना में रहने की आयु के हो गए थे। मरुभूमि में रहते समय उन सैनिकों में से कई ने यहोवा की बात नहीं मानी थी। इसलिए यहोवा ने उन व्यक्तियों को अभिशाप दिया था कि वे “दूध और शहद की नदियों वाले देश” को नहीं देख पाएंगे। यहोवा ने हमारे पूर्वजों को वह देश देने का वचन दिया था, किन्तु इन व्यक्तियों के कारण लोगों को चालीस वर्ष तक मरुभूमि में भटकना पड़ा और इस प्रकार वे सब सैनिक समाप्त हो गए। वे सभी सैनिक नष्ट हो गए, और उनका स्थान उनके पुत्रों ने लिया। किन्तु मिस्र से होने वाली यात्रा में जितने बच्चे मरुभूमि में उत्पन्न हुए थे, उनमें से किसी का भी खतना नहीं हो सका था। इसलिए यहोशू ने उनका खतना किया।

यहोशू ने सभी पुरुषों का खतना पूरा किया। वे तब तक डेरे में रहे, जब तक स्वस्थ नहीं हुए।

कनान में पहला फसह पर्व

उस समय यहोवा ने यहोशू से कहा, “जब तुम मिस्र में दास थे तब तुम लज्जित थे। किन्तु आज मैंने तुम्हारी वह लज्जा दूर कर दी है।” इसलिए यहोशू ने उस स्थान का नाम गिलगाल रखा और वह स्थान आज भी गिलगाल कहा जाता है।

10 जिस समय इस्राएल के लोग यरीहो के मैदान में गिलगाल के स्थान पर डेरा डाले थे, वे फसह पर्व मना रहे थे। यह महीने के चौदहवें दिन की सन्धया को था। 11 फसह पर्व के बाद, अगले दिन लोगों ने वह भोजन किया जो उस भूमि पर उगाया गया था। उन्होंने अखमीरी रोटी और भुने अन्न खाए। 12 उस दिन जब लोगों ने वह भोजन कर लिया, उसके बाद स्वर्ग से विशेष भोजन आना बन्द हो गया। उसके बाद, इस्राएएल के लोगों ने स्वर्ग से विशेष भोजन न पाया। उसके बाद उन्होंने वही भोजन खाया जो कनान में पैदा किया गया था।

यहोवा की सेना का सेनापति

13 जब यहोशू यरीहो के निकट था तब उसने ऊपर आँख उठायी और उसने अपने सामने एक व्यक्ति को देखा। उस व्यक्ति के हाथ में तलवार थी। यहोशू उस व्यक्ति के पास गया और उससे पूछा, “क्या तुम हमारे मित्रों में से कोई हो या हमारे शत्रुओं में से?”

14 उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, “मैं शत्रु नहीं हूँ। मैं यहोवा की सेना का एक सेनापति हूँ। मैं अभी—अभी तुम्हारे पास आया हूँ।”

तब यहोशू ने अपना सिर भूमि तक झुकाया। यह उसने सम्मान प्रकट करने के लिए किया। उसने पूछा, “क्या मेरे स्वामी का मुझ दास के लिए कोई आदेश है?”

15 यहोवा की सेना के सेनापति ने उत्तर दिया, “अपने जूते उतारो। जिस स्थान पर तुम खड़े हो वह स्थान पवित्र है।” इसलिए यहोशू ने उसकी आज्ञा मानी।

यरीहो नगर के द्वार बन्द थे। उस नगर के लोग भयभीत थे क्योंकि इस्राएल के लोग निकट थे। कोई नगर में नहीं जा रहा था और कोई नगर से बाहर नहीं आ रहा था।

तब यहोवा ने यहोशू से कहा, “देखो, मैंने यरीहो नगर को तुम्हारे अधिकार में दे दिया है। इसका राजा और इसके सारे सैनिक तुम्हारे अधीन हैं। हर एक दिन अपनी सेना के साथ नगर के चारों ओर अपना बल प्रर्दशन करो। यह छ: दिन तक करो। बकरे के सींगों की बनी तुरहियों को लेकर सात याजकों को चलने दो। याजकों से कहो कि वे पवित्र सन्दूक के सामने चलें। सातवें दिन नगर के चारों ओर सात फेरे करो, याजकों से कहो कि वे चलते समय तुरही बजाएं। याजक तुरहियों से प्रचन्ड ध्वनि करेंगे। जब तुम वह ध्वनि सुनो तो तुम सब लोगों से गर्जन आरम्भ करने को कहो। जब तुम ऐसा करोगे तो नगर की दीवारें गिर जाएंगी। तब तुम्हारे लोग सीधे नगर में जाएंगे।”

यरीहो पर कब्जा

इस प्रकार नून के पुत्र यहोशू ने याजकों को इकट्ठा किया। यहोशू ने उनसे कहा, “यहोवा के पवित्र सन्दूक को ले चलो और सात याजकों को तुरही ले चलने को कहो। उन याजकों को सन्दूक के सामने चलना चाहिए।”

तब यहोशू ने लोगों को आदेश दिया, “जाओ! और नगर के चारों ओर बल परिक्रमा करो। अस्त्र—शस्त्र वाले सैनिक यहोवा के पवित्र सन्दूक के आगे चलें।”

जब यहोशू ने लोगों से बोलना पूरा किया तो यहोवा के सामने सात याजकों ने चलना आरम्भ किया। वे सात तुरहियाँ लिए हुए थे। चलते समय वे तुरहियाँ बजा रहे थे। यहोवा के सन्दूक को लेकर चलने वाले याजक उनके पीछे चल रहे थे। अस्त्र—शस्त्र धारी सैनिक याजकों के आगे चल रहे थे। पवित्र सन्दूक के पीछे चलन वाले लोग तुरही बजा रहे थे तथा कदम मिला रहे थे। 10 किन्तु यहोशू ने लोगों से कहा था कि युद्ध की ललकार न दें। उसने कहा, “ललकारो नहीं। उस दिन तक तुम कोई ललकार न दो, जिस दिन तक मैं न कहूँ। मेरे कहने के समय तुम ललकार सकते हो!”

11 इसलिए यहोशू ने याजकों को यहोवा के पवित्र सन्दूक को नगर के चारों ओर ले जाने का आदेश दिया। तब वे अपने डेरे में लौट गए और रात भर वहीं ठहरे।

12 दूसरे दिन, सवेरे यहोशू उठा। याजक फिर यहोवा के पवित्र सन्दूक को लेकर चला 13 और सातों याजक सात तुरहियाँ लेकर चले। वे यहोवा के पवित्र सन्दूक के सामने तुरहियाँ बजाते हुए कदम से कदम मिला रहे थे। उनके सामने अस्त्र—शस्त्र धारी सैनिक चल रहे थे। यहोवा के सन्दूक के पीछे चलने वाले सैनिक याजक तुरहियाँ बजाते हुए कदम मिला रहे थे। 14 इसलिए दूसरे दिन, उन सब ने एक बार नगर के चारों ओर चक्कर लगाया और तब वे अपने डेरों मे लौट गए। उन्होंने लगातार छ: दिन तक यह किया।

15 सातवें दिन वे भोर में उठे और उन्होंने नगर के चारों ओर सात चक्कर लगाए। उन्होंने उसी प्रकार नगर का चक्कर लगाया जिस तरह वे उसके पहले लगा चुके थे, किन्तु उस दिन उन्होंने सात चक्कर लगाए। 16 सातवीं बार जब उन्होंने नगर का चक्कर लगाया तो याजकों ने अपनी तुरहियाँ बजाईं। उस समय यहोशू ने आदेश दियाः “अब निनाद करो! यहोवा ने यह नगर तुम्हें दिया है! 17 नगर और इसमें की हर एक चीज यहोवा की है।[a] केवल वेश्या राहाब और उसके घर में रहने वाले लोग ही जीवित रहेंगे। ये मारे नहीं जाने चाहिए क्योंकि राहाब ने उन दो गुप्तचरों की सहायता की थी, जिन्हें हमने भेजा था। 18 यह भी याद रखो कि हमें इसके अतिरिक्त सभी चीज़ों को नष्ट करना है। उन चीजों को मत लो। यदि तुम उन चीज़ों को लेते हो और अपने डेरों में लाते हो तो तुम स्वयं नष्ट हो जाओगे और तुम अपने सभी इस्राएली लोगों पर भी मुसीबत लाओगे 19 सभी चाँदी, सोने, काँसे तथा लोहे की बनी चीजें यहोवा की हैं। ये चीज़ें यहोवा के खजाने में ही रखी जानी चाहिए।”

20 याजकों ने तुरहियाँ बजाईं। लोगों ने तुरहियों की आवाज सुनी और ललकार लगानी आरम्भ की। दीवारें गिरीं और लोग सीधे नगर में दौड़ पड़े। इस प्रकार इस्राएल के लोगों ने नगर को हराया। 21 लोगों ने नगर की हर एक चीज़ नष्ट की। उन्होंने वहाँ के हर एक जीवित प्राणी को नष्ट किया। उन्होंने युवक, वृद्ध, युवतियों, वृद्धाओं, भेड़ों और गधों को मार डाला।

22 यहोशू ने उन व्यक्तियों से बातें कीं जिन्हें उसने प्रदेश के विषय में पता लगाने भेजा था। यहोशू ने कहा, “उस वेश्या के घर जाओ। उसे बाहर लाओ और उन लोगों को भी बाहर लोओ जो उसके साथ हैं। यह तुम इसलिए करो कि तुमने उसे वचन दिया है।”

23 दोनों व्यक्ति घर में गए और राहाब को बाहर लाए। उन्होंने उसके पिता, माँ, भाईयों, उसके समूचे परिवार और उसके साथ के अन्य सभी को बाहर निकाला। उन्होंने इस्राएल के डेरे के बाहर इन सभी लोगों को सुरक्षित रखा।

24 तब इस्राएल के लोगों ने सारे नगर को जला दिया। उन्होंने सोना, चाँदी, काँसा, और लोहे से बनी चीजों के अतिरिक्त सभी चीज़ों को जला दिया। ये चीज़ें यहोवा के खाजाने के लिए बचा ली गईं। 25 यहोशू ने राहाब, उसके परिवार और उसके साथ के व्यक्तियों को बचा लिया। यहोशू ने उन्हें जीवित रहने दिया क्योंकि राहाब ने उन लोगों की सहायता की थी, जिन्हें उसने यरीहो में जासूसी करने के लिए भेजा था। राहाब अब भी इस्राएल के लोगों में अपने वंशजों के रूप में रहती है।

26 उस समय, यहोशू ने शपथ के साथ महत्वपूर्ण बातें कहीं उसने कहा:

“कोई व्यक्ति जो यरीहो नगर के पुन: निर्माण का प्रयत्न करेगा
    यहोवा की ओर से खतरे में पड़ेगा।
जो व्यक्ति नगर की नींव रखेगा,
    अपने पहलौठे पुत्र को खोएगा।
जो व्यक्ति फाटक लगाएगा वह अपने
    सबसे छोटे पुत्र को खोएगा।”

27 यहोवा, योहशू के साथ था और इस प्रकार यहोशू पूरे देश में प्रसिद्ध हो गया।

आकान का पाप

किन्तु इस्राएल के लोगों ने यहोवा की आज्ञा नहीं मानी। यहूदा परिवार समूह का एक व्यक्ति कर्म्मी का पुत्र और जब्दी का पौत्र जिसका नाम आकान था। आकान ने वे कुछ चीज़ें रख लीं जिन्हें नष्ट करना था। इसलिए यहोवा इस्राएल के लोगों पर बहुत क्रोधित हुआ।

जब वे यरीहो को पराजित कर चुके तब यहोशू ने कुछ लोगों को ऐ भेजा। ऐ, बेतेल के पूर्व बेतावेन के पास था। यहोशू ने उनसे कहा, “ऐ जाओ और उस क्षेत्र की कमजोरियों को देखो।” इसलिए लोग उस देश में जासूसी करने गए।

बाद में वे व्यक्ति यहोशू के पास लौटकर आए। उन्होंने कहा, “ऐ कमजोर क्षेत्र है। हम लोगों को उन्हें हराने के लिए अपने सभी लोगों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। वहाँ लड़ने के लिए दो हजार या तीन हजार व्यक्तियों को भेजो। अपने सभी लोगों को उपयोग करने की आवश्यकता वहाँ नहीं है। वहाँ पर थोड़े ही व्यक्ति हम लोगों के विरुद्ध लड़ने वाले हैं।”

4-5 इसलिए लगभग तीन हजार व्यक्ति ऐ गए। किन्तु ऐ के लोगों ने लगभग छत्तीस इस्राएल के व्यक्तियों को मार गिराया और इस्राएल के लोग भाग खड़े हुए। ऐ के लोगों ने नगर—द्वार से लगातार पत्थर की खदानों तक पीछा किया। इस प्रकार ऐ के लोगों ने उन्हें बुरी तरह पीटा।

जब इस्राएल के लोगों ने यह देखा तो वे बहुत भयभीत हो उठे और साहस छोड़ बैठे। जब यहोशू ने इसके बारे में सुना तो उसने अपने वस्त्र फाड़ डाले। वह पवित्र सन्दूक के सामने जमीन पर लेट गया। यहोशू वहाँ शाम तक पड़ा रहा। इस्राएल के नेताओं ने भी यही किया। उन्होंने अपने सिरों पर धूलि डाली।

तब यहोशू ने कहा, “यहोवा, मेरे स्वामी! तू हमारे लोगों को यरदन नदी के पार लाया। किन्तु तू हमें इतनी दूर क्यों लाया और तब एमोरी लोगों द्वारा हमें क्यों नष्ट होने देता है? हम लोग यरदन नदी के दूसरे तट पर ठहरे रहते और सन्तुष्ट रहते। मेरे योहवा, मैं शपथ पूर्वक कहता हूँ कि अब ऐसा कुछ नहीं है जिसे मैं तुझसे कह सकूँ। इस्राएल ने शुत्रओं के सामने समर्पण कर दिया है। कनानी और इस देश के सभी लोग वह सुनेंगे जो हुआ, तब वे हम लोगों के विरुद्ध आएंगे और हम सभी को मार डालेंगे। तब तू अपने महान नाम की रक्षा के लिये क्या करेगा?”

10 यहोवा ने यहोशू से कहा, “खड़े हो जाओ। तुम मूँह के बल क्यों गिरे हो? 11 इस्राएल के लोगों ने मेरे विरुद्ध पाप किया। उन्होंने मेरी उस वाचा को तोड़ा, जिसके पालन का आदेश मैंने दिया था। उन्होंने वे कुछ चीज़ें लीं जिन्हें नष्ट करने का आदेश मैंने दिया है। उन्होंने मेरी चोरी की है। उन्होंने झूठी बात कही है। उन्होंने वे चीज़ें अपने पास रखी हैं। 12 यही कारण है कि इस्राएल की सेना युद्ध से मुँह मोड़ कर भाग खड़ी हुई। यह उनकी बुराई के कारण हुआ। उन्हें नष्ट कर देना चाहिए। मैं तुम्हारी सहायता नहीं करता रहूँगा। मैं तब तक तुम्हारे साथ नहीं रह सकूँगा जब तक तुम यह नहीं करते। तुम्हें उस हर चीज़ को नष्ट करना चाहिए, जिसे मैंने नष्ट करने का आदेश दिया है।

13 “अब तुम जाओ और लोगों को पवित्र करो। लोगों से कहो, ‘वे अपने को पवित्र करें। कल के लिये तैयार हो जाओ। इस्राएल का परमेश्वर यहोवा कहता है कि कुछ लोगों ने वे चीजें अपने पास रखी हैं, जिन्हें मैंने नष्ट करने का आदेश दिया था। तुम तब तक अपने शत्रुओं को पराजित करने योग्य नहीं होओगे, जब तक तुम उन चीज़ों को फेंक नहीं देते।

14 “‘कल प्रात: तुम सभी को यहोवा के सामने ख़ड़ा होना होगा। सभी परिवार समूह यहोवा के सामने पेश होंगे। यहोवा एक परिवार समूह को चुनेगा। तब केवल वही परिवार समूह यहोवा के सामने खड़ा होगा। तब उस परिवार समूह में से यहोवा एक वंश को चुनेगा। तब बस वही वंश यहोवा के सामने खड़ा होगा। तब यहोवा उस वंश के प्रत्येक परिवार की परख करेगा। तब यहोवा उस वंश में से एक परिवार को चुनेगा। तब वह परिवार अकेले यहोवा के सामने खड़ा होगा। तब यहोवा उस परिवार के हर पुरुष की जाँच करेगा। 15 वह व्यक्ति जो इन चीज़ों के साथ पाया जाएगा जिन्हें हमें नष्ट कर देना चाहिए था, पकड़ लिया जाएगा। तब वह व्यक्ति आग में झोंककर नष्ट कर दिया जाएगा और उसके साथ उसकी हर एक चीज़ नष्ट कर दी जाएगी। उस व्यक्ति ने यहोवा के उस वाचा को तोड़ा है। उसने इस्राएल के लोगों के प्रति बहुत ही बुरा काम किया है।’”

16 अगली सुबह यहोशू इस्राएल के सभी लोगों को यहोवा के सामने ले गया। सारे परिवार समूह यहोवा के समाने खड़े हो गए। यहोवा ने यहूदा परिवार समूह को चुना। 17 तब सभी यहूदा परिवार समूह योहवा के सामने खड़े हुए। यहोवा ने जेरह वंश को चुना। तब जेरह वंश के सभी लोग यहोवा के सामने खड़े हुए। इन में से जब्दी का परिवार चुना गया। 18 तब यहोशू ने इस परिवार के सभी पुरुषों को योहवा के सामने आने को कहा। यहोवा ने कर्म्मी के पुत्र आकान को चुना। (कर्म्मी जब्दी का पुत्र था और जब्दी जेरह का पुत्र था।)

19 तब यहोशू न आकान से कहा, “पुत्र, तुम्हें अपनी प्रार्थना करनी चाहिए। इस्राएल के योहवा परमेश्वर का सम्मान करना चाहिए और उससे तुम्हें अपने पापों को स्वीकार करना चाहिए। मुझे बताओ कि तुमने क्या किया? मुझसे कुछ छिपाने की कोशिश न करो!”

20 आकान ने उत्तर दिया, “यह सत्य है! मैंने इस्राएल के यहोवा परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया है। मैंने जो किया है वह यह है: 21 हम लोगों ने यरीहो नगर को इसकी सभी चीज़ों के साथ अपने अधिकार में लिया। उन चीज़ों में मैनें शिनार का एक सुन्दर ओढ़ना और लगभग पाँच पौण्ड चाँदी और एक पौण्ड सोना देखा। मैं इन चीज़ों को अपने लिए रखने का बहुत इच्छुक था। इसलिए मेंने उनको लिया। तुम उन चीज़ों को मेरे तम्बू के नीचे जमीन मै गड़ा हुआ पाओगे। चाँदी ओढ़ने के नीचे है।”

22 इसलिए यहोशू ने कुछ व्यक्तियों को तम्बू में भेजा। वे दौड़कर पहुँचे और उन चीज़ों को तम्बू में छिपा पाया। चाँदी ओढ़ने के नीचे थी। 23 वे व्यक्ति उन चीज़ों को तम्बु से बाहर लाए। वे उन चीज़ों को यहोशू और इस्राएल के सभी लोगों के पास ले गए। उन्होंने उसे यहोवा के सामने जमीन पर ला पटका।

24 तब यहोशू और सभी लोग जेरह के पुत्र आकान को आकोर की घाटी में ले गए। उन्होंने चाँदी, ओढ़ना, सोना, आकान के पुत्रियों—पुत्रों, उसके मवेशियों, उसके गधों, भेड़ों, तम्बू और उसकी सभी चीज़ों को भी लिया। इन सभी चीज़ों को वे आकान के साथ आकोर की घाटी मे ले गए। 25 तब यहोशू ने कहा, “तुमने हमारे लिये ये सब मुसीबतें क्यों कीं? अब यहोवा तुम पर मुसीबत लाएगा!” तब सभी लोगों ने आकान और उसके परिवार पर तब तक पत्थर फेंके जब तक वे मर नहीं गए। उन्होंने उसके परिवार को भी मार डाला। तब लोगों ने उन्हें और उसकी सभी वस्तुओं को जला दिया। 26 आकान को जलाने के बाद उसके शरीर पर उन्होंने कई शिलायें रखीं। वे शिलायें आज भी वहाँ हैं। इस तरह यहोवा ने आकान पर विपत्ति ढाई। यही कारण है कि वह स्थान आकोर घाटी कहा जाता है। इसके बाद, यहोवा लोगों से अप्रसन्न नहीं रहा।

ऐ नष्ट हुआ

तब यहोवा ने यहोशू से कहा, “डरो नहीं। साहस न छोड़ो अपने सभी सैनिकों को ऐ ले जाओ। मैं ऐ के राजा को हराने में तुम्हारी सहायता करूँगा। मैं उसकी प्रजा को, उसके नगर को और उसकी धरती को तुम्हें दे रहा हूँ। तुम ऐ और उसके राजा के साथ वही करोगे, जो तुमने यरीहो और उसके राजा के साथ किया। केवल इस बार तुम नगर की सारी सम्पत्ति और पशु—धन लोगे और अपने पास रखोगे। फिर तुम अपने लोगों के साथ उसका बँटवारा करोगे। अब तुम अपने कुछ सैनिकों को नगर के पीछे छिपने का आदेश दो।”

इसलिए यहोशू अपनी पूरी सेना को ऐ की ओर ले गया। तब यहोशू ने अपने सर्वोत्तम तीस हजार सैनिक चुने। उसने इन्हें रात को बाहर भेज दिया। यहोशू ने उनको यह आदेश दिया: “मैं जो कह रहा हूँ, उसे सावधानी से सुनो। तुम्हें नगर के पीछे के क्षेत्र में छिपे रहना चाहिए। आक्रमण के समय की प्रतीक्षा करो। नगर से बहुत दूर न जाओ। सावधानी से देखते रहो और तैयार रहो। मैं सैनिकों को अपने साथ नगर की ओर आक्रमण के लिये ले जाऊँगा। हम लोगों के विरुद्ध लड़ने के लिये नगर के लोग बाहर आएंगे। हम लोग मुड़ेंगे और पहले की तरह भाग खड़े होंगे। वे लोग नगर से दूर तक हमारा पीछा करेंगे। वे लोग यह सोचेंगे कि हम लोग उनसे पहले की तरह भाग रहे हैं। इसलिए हम लोग भागेंगे वे तब तक हमारा पीछा करते रहेंगे, जब तक हम उन्हें नगर से बहुत दूर न ले जायेंगे। तब तुम अपने छिपने के स्थान से आओगे और नगर पर अधिकार कर लोगे। तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हें जीतने की शक्ति देगा।

“तुम्हें वही करना चाहिए, जो यहोवा कहता है। मुझ पर दृष्टि रखो। मैं तुम्हें आक्रमण का आदेश दूँगा। तुम जब नगर पर अधिकार कर लो तब उसे जला दो।”

तब यहोशू ने उन सैनिकों को उनके छिपने की जगहों पर भेज दिया और प्रतीक्षा करने लगा। वे बेतेल और ऐ के बीच की एक जगह गए। यह जगह ऐ के पश्चिम में थी। यहोशू अपने लोगों के साथ रात भर वहीं रुका रहा।

10 अगले सवेरे यहोशू ने सभी को इकट्ठा किया। तब यहोशू और इस्राएल के प्रमुख सैनिको को ऐ ले गए। 11 यहोशू के सभी सैनिकों ने ऐ पर आक्रमण किया। वे नगर द्वार के सामने रुके। सेना ने अपना डेरा नगर के उत्तर में डाला। सेना और ऐ के बीच में एक घाटी थी।

12 यहोशू ने लगभग पाँच हजार सैनिकों को चुना। यहोशू ने इन्हें नगर के पश्चिम में छिपने के लिये उस जगह भेजा, जो बेतेल और ऐ के बीच में थी। 13 इस प्रकार यहोशू ने सैनिकों को युद्ध के लिये तैयार किया था। मुख्य डेरा नगर के उत्तर में था। दूसरे सैनिक पश्चिम में छिपे थे। उस रात यहोशू घाटी में उतरा।

14 बाद में, ऐ के राजा ने इस्राएल की सेना को देखा। राजा और उसके लोग उठे और जल्दी से इस्राएल की सेना से लड़ने के लिये आगे बढ़े। ऐ का राजा नगर के पूर्व यरदन घाटी की ओर बाहर गया। इसीलिए वह यह न जान सका कि नगर के पीछे सैनिक छिपे थे।

15 यहोशू और इस्राएल के सभी सैनिकों ने ऐ की सेना द्वारा अपने को पीछे धकेलने दिया। यहोशू और उसके सैनिकों ने पूर्व में मरुभूमि की ओर दौड़ना आरम्भ किया। 16 नगर के लोगों ने शोर मचाना आरम्भ किया और उन्होंने यहोशू और उसके सैनिकों का पीछा करना आरम्भ किया। सभी लोगों ने नगर छोड़ दिया। 17 ऐ और बेतेल के सभी लोगों ने इस्राएल की सेना का पीछा किया। नगर खुला छोड़ दिया गया, कोई भी नगर की रक्षा के लिए नहीं रहा।

18 यहोवा ने यहोशू से कहा, “अपने भाले को ऐ नगर की ओर किये रहो। मैं यह नगर तुमको दूँगा।” इसलिए यहोशु ने अपने भाले को ऐ नगर की ओर किया। 19 इस्राएल के छिपे सैनिकों ने इसे देखा। वे शीघ्रता से अपने छिपने के स्थानों से निकले और नगर की ओर तेजी से चल पड़े। वे नगर में घुस गए और उस पर अधिकार कर लिया। तब सैनिकों ने नगर को जलाने के लये आग लगानी आरम्भ की।

20 ऐ के लोगों ने मुड़कर देखा और अपने नगर को जलता पाया। उन्होंने धुआँ आकाश में उठते देखा। इसलिए उन्होंने अपना बल और साहस खो दिया। उन्होंने इस्राएल के लोगों का पीछा करन छोड़ा। इस्राएल के लोगों ने भागना बन्द किया। वे मुड़े और ऐ के लोगों से लड़ने चल पड़े। ऐ के लोगों के लिये भागने की कोई सुरक्षित जगह न थी। 21 यहोशू और उसके सैनिको ने देखा कि उसकी सेना ने नगर पर अधिकार कर लिया है। उन्होंने नगर से धुआँ उठते देखा। इस समय ही उन्होंने भागना बन्द किया। वे मुड़े औ ऐ के सैनिकों से युद्ध करने के लिये दौड़ पड़े। 22 तब वे सैनिक जो छिपे थे, युद्ध में सहायता के लिये नगर से बाहर निकल आए। ऐ के सैनिकों के दोनों ओर इस्राएल के सैनिक थे, ऐ के सैनिक जाल में फँस गए थे। इस्राएल ने उन्हें पराजित किया। वे तब कर लड़ते रहे जब तक ऐ का कोई भी पुरुष जीवित न रहा, उनमें से कोई भाग न सका। 23 किन्तु ऐ का राजा जीवित छोड़ दिया गया। यहोशू के सैनिक उसे उसके पास लाए।

युद्ध का विवरण

24 युद्ध के समय, इस्राएल की सेना ने ऐ के सैनिकों को मैदानों और मरुभूमि में धकेल दिया और इस प्रकार इस्राएल की सेना ने ऐ से सभी सैनिकों को मारने का काम मैदानों और मरुभूमि में पूरा किया। तब इस्राएल के सभी सैनिक ऐ को लौटे। तब उन्होंने उन लोगों को जो नगर में जीवित थे, मार डाला। 25 उस दिन ऐ के सभी लोग मारे गए। वहाँ बारह हजार स्त्री पुरुष थे। 26 यहोशू ने अपने भाले को, ऐ की ओर अपने लोगों को नगर नष्ट करने का संकेत को बनाये रखा और यहोशू ने संकेत देना तब तक नहीं बन्द किया जब तक नगर के सभी लोग नष्ट नहीं हो गए। 27 इस्राएल के लोगों ने जानवरों और नगर की चीज़ों को अपने पास रखा। यह वही बात थी जिसे करने को यहोवा ने यहोशू को आदेश देते समय, कहा था।

28 तब यहोशू ने ऐ नगर को जला दिया। वह नगर सूनी चट्टानों का ढेर बन गया। यह आज भी वैसा ही है। 29 यहोशू ने ऐ के राजा को एक पेड़ पर फाँसी देकर लटका दिया। उसने उसे शाम तक पेड़ पर लटके रहने दिया। सूरज ढले यहोशू ने राजा के शव को पेड़ से उतारने की आज्ञा दी। उन्होंने उसके शरीर को नगर द्वार पर फेंक दिया और उसके शरीर को कई शिलाओं से ढक दिया। शिलाओं का वह ढेर आज तक वहाँ है।

आशीर्वादों तथा अभिशापों का पढ़ा जाना

30 तब यहोशू ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिए एक वेदी बनाई। उसने यह वेदी एबाल पर्वत पर बनायी। 31 यहोवा के सेवक मूसा ने इस्राएल के लोगों को बताया था कि वेदियाँ कैसे बनाई जायें। इसलिए याहोशू ने वेदी को वैसे ही बनाया जैसा मूसा के व्यवस्था की किताब में समझाया गया था। वेदी बिना कटे पत्थरों से बनी थी। उन पत्थरों पर कभी किसी औजार का उपयोग नहीं हुआ था। उन्होंने उस वेदी पर यहोवा को होमबलि और मेलबलि चढ़ाई।

32 उस स्थान पर यहोशू ने मूसा के नियमों को पत्थरों पर लिखा। उसने यह इस्राएल के सभी लोगों के देखने के लिये किया। 33 अग्रज (नेता), अधिकारी, न्यायाधीश और इस्राएल के सभी लोग पवित्र सन्दूक के चारों ओर खड़े थे। वे उन लेवीवंशी याजकों के सामने खड़े थे, जो यहोवा के साक्षीपत्र के पवित्र सन्दूक को ले चलते थे। इस्राएली और गैर इस्राएली सभी लोग वहाँ खड़े थे। आधे लोग एबाल पर्वत के सामने खड़े थे और अन्य आधे लोग गिरिज्जीम पर्वत के सामने खड़े थे। यहोवा के सेवक मूसा ने उनसे ऐसा करने को कहा था। मूसा ने उनसे ऐसा करने को इस आशीर्वाद के लिए कहा था।

34 तब यहोशू ने व्यवस्था के सब वचनों को पढ़ा। यहोशू ने आशीर्वाद और अभिशाप पढ़े। उसने सभी कुछ उस तरह पढ़ा, जिस तरह वह व्यवस्था की किताब में लिखा था। 35 इस्राएल के सभी लोग वहाँ इकट्ठे थे। सभी स्त्रियाँ, बच्चे और इस्राएल के लोगों के साथ रहने वाले सभी विदेशी वहाँ इकट्ठे थे और यहोशू ने मूसा द्वारा दिये गये हर एक आदेश को पढ़ा।

गिबोनियों द्वारा यहोशू को छला जाना

यरदन नदी के पश्चिम के हर एक राजा ने इन घटनाओं के विषय में सुना। ये हित्ती, एमोरी, कनानी, परिज्जी, हिव्वी, यबूसी लोगों के राजा थे। वे पहाड़ी प्रदेशों और मैदानों में रहते थे। वे लबानोन तक भूमध्य सागर के तटों के साथ भी रहते थे। वे सभी राजा इकट्ठे हुए। उन्होंने यहोशू और इस्राएल के लोगों के साथ युद्ध की योजना बनाई।

गिबोन के लोगों ने उस ढंग के बारे में सुना, जिससे यहोशू ने यरीहो और ऐ को हराया था। इसलिये उन्होने इस्राएल के लोगों को धोखा देने का निश्चय किया। उनकी योजना यह थीः उन्होंने दाखमधु के उन चमड़े के पुराने पीपों को अपने जानवरों पर लादा। उन्होंने अपने जानवरों के ऊपर पुरानी बोरियाँ डालीं, जिससे वे ऐसे दिखाई पड़ें मानों वे बहुत दूर की यात्रा करके आये हों। लोगों ने पुराने जूते पहन लिये। उन पुरुषों ने पुराने वस्त्र पहन लिये। पुरुषों ने कुछ बासी, सूखी, खराब रोटियाँ भी ले लीं। इस तरह वे पुरूष ऐसे लगते थे मानों उन्होंने बहुत दूर के देश से यात्रा की हो। तब ये पुरुष इस्राएल के लोगों के डेरों के पास गए। यह डेरा गिलगाल के पास था।

वे पुरुष यहोशू के पास गए और उन्होंने उससे कहा, “हम लोग एक बहुत दूर के देश से आए हैं। हम लोग तुम्हारे साथ शान्ति की सन्धि करना चाहते हैं।”

इस्राएल के लोगों ने इन हिव्वी लोगों से कहा, “संभव है तुम लोग हमें धोखा दे रहे हो। संभव है तुम हमारे करीब के ही रहने वाले हो। हम तब तक शान्ति की सन्धि नहीं कर सकते जब तक हम यह नहीं जान लेते कि तुम कहाँ से आए हो।”

हिव्वी लोगों ने यहोशू से कहा, “हम आपके सेवक हैं।”

किन्तु यहोशू ने पूछा, “तुम कौन हो? तुम कहाँ से आए हो?”

पुरुषों ने उत्तर दिया, “हम आपके सेवक हैं। हम एक बहुत दूर के देश से आए हैं। हम इसलिए आए कि हमने तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की महान शक्ति के विषय में सुना है। हम लोगों ने वह भी सुना है, जो उसने किया है। हम लोगों ने वह सब कुछ सुना है, जो उसने मिस्र में किया। 10 और हम लोगों ने यह भी सुना कि उसने यरदन नदी के पूर्व दो एमोरी लोगों के राजाओं को हराया। हेश्बोन के राजा सीहोन और अशतारोत के देश में बाशान के राजा ओग थे। 11 इसलिए हमारे अग्रज (नेताओं) और हमारे लोगों ने हमसे कहा, ‘अपनी यात्रा के लिये काफी भोजन ले लो। जाओ और इस्राएल के लोगों से बातें करो। उनसे कहो, हम आपके सेवक हैं। हम लोगों के साथ शान्ति की सन्धि करो।’”

12 “हमारी रोटियाँ देखो! जब हम लोगों ने घर छोड़ा तब ये गरम और ताजी थीं। किन्तु अब आप देखते हैं कि ये सूखी और पुरानी हैं। 13 हम लोगों के मशकों को देखो! जब हम लोगों ने घर छोड़ा तो ये नयी और दाखमधु से भरी थीं। आप देख सकते हैं कि ये फटी और पुरानी हैं। हमारे कपड़ों और चप्पलों को देखो! आप देख सकते है कि लम्बी यात्रा ने हमारी चीज़ों को खराब कर दिया है।”

14 इस्राएल के लोग जानना चाहते थे कि ये व्यक्ति क्या सच बोल रहे हैं। इसलिए उन्होंने रोटियों को चखा, किन्तु उन्होंने यहोवा से नहीं पूछा कि उन्हें क्या करना चाहिये। 15 यहोशू उनके साथ शान्ति—सन्धि करने के लिये तैयार हो गया। वह उनको जीवित छोड़ने को तैयार हो गया। इस्राएल के प्रमुखों ने यहोशू के वचन का समर्थन कर दिया।

16 तीन दिन बाद, इस्राएल के लोगों को पता चला कि वे लोग उनके डेरे के बहुत करीब रहते हैं। 17 इसलिए इस्राएल के लोगो वहाँ गये, जहाँ वे लोग रहते थे। तीसरे दिन, इस्राएल के लोग गिबोन, कपीरा, बेरोत और किर्यत्यारीम नगरों को आए। 18 किन्तु इस्राएल की सेना ने इन नगरों के विरुद्ध लड़ने का प्रयत्न नहीं किया। वे उन लोगों के साथ शान्ति—सन्धि कर चुके थे। उन्होंने उन लोगों के साथ इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के समाने प्रतिज्ञा की थी।

सभी लोग उन प्रमुखों के विरुद्ध शिकायत कर रहे थे, जिन्होंने सन्धि की थी। 19 किन्तु प्रमुखों ने उत्तर दिया, “हम लोगों ने प्रतिज्ञा की है। हम लोगों ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के सामने प्रतिज्ञा की है। हम उनके विरुद्ध अब लड़ नही सकते। 20 हम लोगों को केवल इतना ही करना चाहिये। हम उन्हें जीवित अवश्य रहने दें। हम उन्हें चोट नहीं पहुँचा सकते क्योंकि उनके साथ की गई प्रतिज्ञा को तोड़ने पर यहोवा का क्रोध हम लोगों के विरूद्ध होगा। 21 इसलिए इन्हें जीवित रहने दो। यह हमारे सेवक होंगे। वे हमारे लिये लकड़ियाँ काटेंगे और हम सबके लिए पानी लाएंगे।” इस प्रकार प्रमुखों ने इन लोगों के साथ की गई अपनी शान्ति—सन्धि को नहीं तोड़ा।

22 यहोशू ने गिबोनी लोगों को बुलाया। उसने कहा, “तुम लोगों ने हमसे झूठ क्यों बोला? तुम्हारा प्रदेश हम लोगों के डेरे के पास था। किन्तु तुम लोगों ने कहा कि हम लोग बहुत दूर देश के हैं। 23 अब तुम्हारे लोगो को बहुत कष्ट होगा। तुम्हारे सभी लोग दास होंगे उन्हें परमेश्वर के निवास[b] के लिये लकड़ी काटनी और पानी लाना पड़ेगा।”

24 गिबोनी लोगों ने उत्तर दिया, “हम लोगों ने आपसे झूठ बोला क्योंकि हम लोगों को डर था कि आप कहीं हमें मार न डालें। हम लोगों ने सुना कि परमेश्वर ने अपने सेवक मूसा को यह आदेश दिया था कि वे तुम्हें यह सारा प्रदेश दे दे और परमेश्वर ने तुमसे उस प्रदेश में रहने वाले सभी लोगों को मार डालने के लिये कहा। यही कारण है कि हम लोगों ने आपसे झूठ बोला। 25 अब हम आपके सेवक हैं। आप हमारा उपयोग जैसा ठीक समझें, कर सकते हैं।”

26 इस प्रकार गिबोन के लोग दास हो गए। किन्तु यहोशू ने उनका जीवन बचाया। यहोशू ने इस्राएल के लोगों को उन्हें मारने नहीं दिया। 27 यहोशू ने गिबोन के लोगों को इस्राएल के लोगों का दास बनने दिया। वे इस्राएल के लोगों और यहोवा के चुने गए जिस किसी भी स्थान की वेदी के लिए लकड़ी काटते और पानी लाते थे। वे लोग अब तक दास हैं।

वह दिन जब सूर्य स्थिर रहा

10 इस समय अदोनीसेदेक यरूशलेम का राजा था। इस राजा ने सुना कि यहोशू ने ऐ को जीता है और इसे पूरी तरह नष्ट कर दिया है। राजा को यह पता चला कि यहोशू ने यरीहो और उसके राजा के साथ भी यही किया है। राजा को यह भी जानकारी मिली कि गिबोन ने इस्राएल के साथ, शान्ति—सन्धि कर ली है और वे लोग यरूशलेम के बहुत निकट रहते थे। अत: अदोनीसेदेक और उसके लोग इन घटनाओं के कारण बहुत भयभीत थे। गिबोन ऐ की तरह छोटा नगर नहीं था। गिबोन एक शाही नगर जैसा बहुत बड़ा नगर[c] था। और नगर के सभी पुरुष अच्छे योद्धा थे। अत: राजा भयभीत था। यरूशलेम के राजा अदोनीसेदेक ने हेब्रोन के राजा होहाम से बातें कीं। उसने यर्मूत के राजा पिराम, लाकीश के राजा यापी, एग्लोन के राजा दबीर से भी बातचीत की। यरूशलेम के राजा ने इन व्यक्तियों से प्रार्थना की, “मेरे साथ आएं और गिबोन पर आक्रमण करने में मेरी सहायता करें। गिबोन ने यहोशू और इस्राएल के लोगों के साथ शान्ति सन्धि कर ली है।”

इस प्रकार पाँच एमोरी राजाओं ने सेनाओं को मिलाया। (ये पाँचों यरूशलेम के राजा, हेब्रोन के राजा, यर्मूत के राजा, लाकीश के राजा, और एग्लोन के राजा थे।) वे सेनायें गिबोन गईं। सेनाओं ने नगर को घेर लिया और इसके विरूद्ध युद्ध करना आरम्भ किया।

गिबोन नगर में रहने वाले लोगों ने गिलगाल के डेरे में यहोशू को खबर भेजी: “हम तुम्हारे सेवक हैं! हम लोगों को अकेले न छोड़ो। आओ और हमारी रक्षा करो! शीघ्रता करो! हमें बचाओ! पहाड़ी प्रदेशों के सभी एमोरी राजा अपनी सेनायें एक कर चुके हैं। वे हमारे विरुद्ध युद्ध कर रहे हैं।”

इसलिए यहोशू गिलगाल से अपनी पूरी सेना के साथ युद्ध के लिये चला। यहोशू के उत्तम योद्धा उसके साथ थे। यहोवा ने यहोशू से कहा, “उन सेनाओं से डरो नहीं। मैं तुम्हें उनको पराजित करने दूँगा। उन सेनाओं में से कोई भी तुमको हराने में समर्थ नहीं होगा।”

यहोशू और उसकी सेना रात भर गिबोन की ओर बढ़ती रही। शत्रु को पता नहीं था कि यहोशू आ रहा है। इसलिए जब उसने आक्रमण किया तो वे चौंक पड़े।

10 यहोवा ने उन सेनाओं को, इस्रएल की सेनाओं द्वारा आक्रमण के समय, किंकर्तव्य विमूढ़ कर दिया। इसलिये इस्रालियों ने उन्हें हरा कर भारी विजय पायी। इस्राएलियों ने पीछा करके उन्हें गिबोन से खदेड़ दिया। उन्होंने बेथोरोन तक जाने वाली सड़क तक उनका पीछा किया। इस्राएल की सेना ने अजेका और मक्केदा तक के पूरे रास्ते में पुरुषों को मारा। 11 इस्राएल की सेना ने बेथोरोन अजेका को जाने वाली सड़क तक शत्रुओं का पीछा किया। जब वे शत्रु का पीछा कर रहे थे तो यहोवा ने भारी ओलों की वर्षा आकाश से की। बहुत से शत्रु इन भारी ओलो से मर गए। इन ओसों से उससे अधिक शत्रु मारे गए जितने इस्राएलियों ने अपनी तलवारों से मारे थे।

12 उस दिन यहोवा ने इस्राएलियों द्वारा एमोरी लोगों को पराजित होने दिया और उस दिन यहोशू इस्राएल के सभी लोगों के सामने खड़ा हुआ और उसने यहोवा से कहाः

“हे सूर्य, गिबोन के आसमान में खड़े रह और हट नहीं।
    हे चन्द्र तू अय्यालोन की घाटी के ऊपर आसमान में खड़े रह और हट नहीं।”

13 सूर्य स्थिर हो गया और चन्द्रमा ने भी तब तक चलना छोड़ दिया जब तक लोगों ने अपने शत्रुओं को पराजित नहीं कर दिया। यह सचमुच हुआ, यह कथा याशार की किताब में लिखी है। सूर्य आसमान के मध्य रुका। यह पूरे दिन वहाँ से नहीं हटा। 14 ऐसा उस दिन के पहले किसी भी समय कभी नहीं हुआ था और तब से अब तक कभी नहीं हुआ है। वही दिन था, जब यहोवा ने मनुष्य की प्रार्थना मानी। वास्तव में यहोवा इस्राएलियों के लिये युद्ध कर रहा था!

15 इसके बाद, यहोशू और उसकी सेना गिलगाल के डेरे में वापस हुई। 16 युद्ध के समय पाँचों राजा भाग गए। वे मक्केदा के निकट गुफा में छिप गए। 17 किन्तु किसी ने पाँचों राजाओं को गुफा में छिपे पाया। यहोशू को इस बारे में पता चला। 18 यहोशू ने कहा, “गुफा को जाने वाले द्वार को बड़ी शिलाओं से ढक दो। कुछ पुरुषों को गुफा की रखवाली के लिये वहाँ रखो। 19 किन्तु वहाँ स्वयं न रहो। शत्रु का पीछा करते रहो। उन पर पीछे से आक्रमण करते रहो। शत्रुओं को अपने नगर तक सुरक्षित न पहुँचने दो। तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हें उन पर विजय दी है।”

20 इस प्रकार यहोशू और इस्राएल के लोगों ने शत्रु को मार डाला। किन्तु शत्रुओं में से जो कुछ अपने सुदृढ़ परकोटों से घिरे नगरों में पहुँच जाने में सफल हो गए और छिप गए। वे व्यक्ति नहीं मारे गए। 21 युद्ध के बाद, यहोशू के सैनिक मक्केदा में उनके पास आए। उस प्रदेश में किसी भी जाति के लोगों में से कोई भी इतना साहसी नहीं था कि वह लोगों के विरुद्ध कुछ कह सके।

22 यहोशू ने कहा, “गुफा के द्वार को रोकने वाली शिलाओं को हटाओ। उन पाँचों राजाओं को मेरे पास लाओ।” 23 इसलिए यहोशू के लोग पाँचों राजाओं को गुफा से बाहर लाए। ये पाँचों यरूशलेम, हेब्रोन, यर्मूत, लाकीश और एग्लोन के राजा थे। 24 अत: वे उन पाँचों राजाओं को यहोशू के पास लाए। यहोशू ने अपने सभी लोगों को वहाँ आने के लिये कहा। यहोशू ने सेना के अधिकारियों से कहा, “यहाँ आओ! इन राजाओं के गले पर अपने पैर रखो।” इसलिए यहोशू की सेना के अधिकारी निकट आए। उन्होंने राजाओं के गले पर अपने पैर रखे।

25 तब यहोशू ने अपने सैनिकों से कहा, “दृढ़ और साहसी बनो! डरो नहीं! मैं दिखाऊँगा कि यहोवा उन शत्रुओं के साथ क्या करेगा, जिनसे तुम भविष्य में युद्ध करोगे।”

26 तब यहोशू ने पाँचों राजाओं को मार डाला। उसने उनके शव पाँच पेड़ों पर लटकाये। यहोशू ने उन्हें सूरज ढलने तक वहीं लटकते छोड़े रखा। 27 सूरज ढले को यहोशू ने अपने लोगों से शवों को पेड़ों से उतारने को कहा। तब उन्होंने उन शवों को उस गुफा में फेंक दिया जिसमें वे छिपे थे। उन्होंने गुफा के द्वार को बड़ी शिलाओं से ढक दिया। जो आज तक वहाँ हैं।

28 उस दिन यहोशू ने मक्केदा को हराया। यहोशू ने राजा और उस नगर के लोगों को मार डाला। वहाँ कोई व्यक्ति जीवित न छोड़ा गया। यहोशू ने मक्केदा के राजा के साथ भी वही किया जो उसने यरीहो के राजा के साथ किया था।

दक्षिणी नगरों का लिया जाना

29 तब यहोशू और इस्राएल के सभी लोगों ने मक्केदा से यात्रा की। वे लिब्ना गए और उस नगर पर आक्रमण किया। 30 यहोवा ने इस्राएल के लोगों को उस नगर और उसके राजा को पराजित करने दिया। इस्राएल के लोगों ने उस नगर के हर एक व्यक्ति को मार डाला। कोई व्यक्ति जीवित नहीं छोड़ा गया और लोगों ने राजा के साथ वही किया जो उन्होंने यरीहो के राजा के साथ किया था।

31 तब यहोशू और इस्राएल के सभी लोगों ने लिब्ना को छोड़ा और उन्होंने लाकीश तक की यात्रा की। यहोशू और उसकी सेना ने लिब्ना के चारों ओर डेरे डाले और तब उन्होंने नगर पर आक्रमण किया। 32 यहोवा ने इस्राएल के लोगों द्वारा लाकीश नगर को पराजित करने दिया। दूसरे दिन उन्होंने उस नगर को हराया। इस्राएल के लोगों ने इस नगर के हर एक व्यक्ति को मार डाला यह वैसा ही था जैसा उसने लिब्ना में किया था। 33 इसी समय गेजेर का राजा होरोम लाकीश की सहायता करने आया। किन्तु यहोशू ने उसे और उसकी सेना को भी हराया। कोई व्यक्ति जीवित नहीं छोड़ा गया।

34 तब यहोशू और इस्राएल के सभी लोग लाकीश से एग्लोन गए। उन्होंने एग्लोन के चारों ओर डेरे डाले और उस पर आक्रमण किया। 35 उस दिन उन्होंने नगर पर अधिकार किया और नगर के सभी लोगों को मार डाला। यह वैसा ही किया जैसा उन्होंने लाकीश में किया था।

36 तब यहोशू और इस्राएल के सभी लोगों ने एग्लोन से हेब्रोन की यात्रा की। उन्होंने हेब्रोन पर आक्रमण किया। 37 उन्होंने नगर तथा हेब्रोन के निकट के सभी छोटे उपनगरों पर अधिकार कर लिया। इस्राएल के लोगों ने नगर के हर एक व्यक्ति को मार डाला। वहाँ कोई भी जीवित नहीं छोड़ा गया। यह वैसा ही था जैसा उन्होंने एग्लोन में किया था। उन्होंने नगर को नष्ट किया और उसके सभी व्यक्तियों को मार डाला।

38 तब यहोशू और इस्राएल के सभी लोग दबीर को गए और उस नगर पर आक्रमण किया। 39 उन्होंने उस नगर, उसके राजा और दबीर के निकट के सभी उपनगरों को जीता। उन्होंने उस नगर के सभी लोगों को मार डाला वहाँ कोई जीवित नहीं छोड़ा गया। इस्राएल के लोगों ने दबीर और उसके राजा के साथ वही किया जो उन्होंने हेब्रोन और उसके राजा के साथ किया था। यह वैसा ही था जैसा उन्होंने लिब्ना और उसके राजा के साथ किया था।

40 इस प्रकार यहोशू ने पहाड़ी प्रदेश नेगेव पश्चिमी और पूर्वी पहाड़ियों और तराई के नगरों के राजाओं को हराया। इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने यहोशू से सभी लोगों को मार डालने को कहा था। इसलिए यहोशू ने उन स्थानों पर किसी को जीवित नहीं छोड़ा।

41 यहोशू ने कादेशबर्ने से अज्जा तक के सभी नगरों पर अधिकार कर लिया। उसने मिस्र में गोशेन की धरती से लेकर गिबोन तक के सभी नगरों पर कब्जा कर लिया। 42 यहोशू ने एक अभियान में उन नगरों और उनके राजाओं को जीत लिया। यहोशू ने यह इसलिए किया कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा इस्राएल के लिये लड़ रहा था। 43 तब यहोशू और इस्राएल के सभी लोग गिलगाल के अपने डेरे में लौट आए।

उत्तरी नगरों को हराना

11 हासोर के राजा, याबीन ने जो कुछ हुआ उसके बारे में सुना। इसलिए उसने कई राजाओं की सेनाओं को एक साथ बुलाने का निर्णय लिया। याबीन ने मादोन के राजा योबाब, शिम्रोन के राजा, अक्षाप के राजा और उत्तर के पहाड़ी एवं मरुभूमि प्रदेश के सभी राजाओं के पास सन्देश भेजा। याबीन ने किन्नेरेत के राजा, नेगेव और पश्चिमी नीची पहाड़ियों के राजाओं को सन्देश भेजा। याबीन ने पश्चिम में नफोथ दोर के राजा को भी सन्देश भेजा। याबीन ने पूर्व और पश्चिम के कनानी लोगों के राजाओं के पास सन्देश भेजा। उसने पहाड़ी प्रदेशों में रहने वाले एमोरी, हित्तियों, परिज्जियों और यबूसियों के पास सन्देश भेजा। उसने मिस्पा क्षेत्र के हेर्मोन पहाड़ के नीचे रहने वाले हिव्वी लोगों को भी सन्देश भेजा। इसलिये इन सभी राजाओं की सेनायें एक साथ आईं। वहाँ अनेक योद्धा, घोड़े और रथ थे। वह अत्यन्त विशाल सेना थी, वह ऐसी दिखाई पड़ती थी मानों उसमें इतने सैनिक थे जितने समुद्र तट पर बालू के कण।

ये सभी राजा छोटी नदी मेरोम के निकट इकट्ठे हुए। उन्होंने अपनी सेवाओं को एक डेरे में एकत्र किया। उन्होंने इस्राएल के विरुद्ध युद्ध करने की योजना बनाई।

तब यहोवा ने यहोशू से कहा, “उस सेना से डरो नहीं। कल इसी समय, मैं तुम्हें उनको हराने दूँगा। तुम उन सभी को मार डालोगे। तुम घोड़ों की टांगें काट डालोगे और उनके सारे रथों को जला डालोगे।”

यहोशू और उसकी पूरी सेना ने अचानक आक्रमण करके उन्हें चौंका दिया। उन्होंने मेरोम नदी पर शत्रु पर आक्रमण किया। यहोवा ने इस्राएलयों को उन्हें हराने दिया। इस्राएल की सेना ने उनको हराया और उनका पूर्व में वृहत्तर सीदोन, मिस्रपोत—मैम और मिस्पा की घाटी तक पीछा किया। इस्राएल की सेना उनसे तब तक युद्ध करती रही जब तक शत्रुओं में से कोई भी व्यक्ति जीवित न बचा। यहोशू ने वही किया जो यहोवा ने कहा था कि वह करेगा अर्थात् यहोशू ने उनके घोड़ों की टांगें काटीं और उनके रथों को जलाया।

10 तब यहोशू लौटा और हासोर नगर पर अधिकार किया। यहोशू ने हासोर के राजा को मार डाला। (हासोर उन सभी राज्यों में प्रमुख था जो इस्राएल के विरुद्ध लड़े थे।) 11 इस्राएल की सेना ने उस नगर के हर एक को मार डाला। उन्होंने सभी लोगों को पूरी तरह नष्ट कर दिया। वहाँ कुछ भी जीवित नहीं रहने दिया गया। तब उन्होंने नगर को जला दिया।

12 यहोशू ने इन सभी नगरों पर अधिकार किया। उसने उनके सभी राजाओं को मार डाला। यहोशू ने इन नगरों की हर एक चीज़ को पूरी तरह नष्ट कर दिया। उसने यह यहोवा के सेवक मूसा ने जैसा आदेश दिया था वैसा ही किया। 13 किन्तु इस्राएल की सेना ने किसी भी ऐसे नगर को नहीं जलाया जो पहाड़ी पर बना था। उन्होंने पहाड़ी पर बने एकमात्र हासोर नगर को ही जलाया। यह वह नगर था, जिसे यहोशू ने जलाया। 14 इस्राएल के लोगों ने वे सभी चीज़ें अपने पास रखीं, जो उन्हें उन नगरों में मिलीं। उन्होंने उन जानवरों को अपने पास रखा, जो उन्हें नगर में मिले। किन्तु उन्होंने वहाँ के सभी लोगों को मार डाला। उन्होंने किसी व्यक्ति को जीवित नहीं छोड़ा। 15 यहोवा ने बहुत पहले अपने सेवक मूसा को यह करने का आदेश दिया था। तब मूसा ने यहोशू को यह करने का आदेश दिया था। इस प्रकार यहोशू ने यहोवा की आज्ञा पूरी की। यहोशू ने वही सब किया, जो मूसा को यहोवा का आदेश था।

16 इस प्रकार यहोशू ने इस पूरे देश के सभी लोगों को पराजित किया। पहाड़ी प्रदेश, नेगेव—क्षेत्र, सारा गोशेन क्षेत्र, पश्चिमी नीची पहाड़ियों का प्रदेश, यरदन घाटी, इस्राएल के पर्वत और उनके निकट की पहाड़ियों पर उसका अधिकार हो गया था। 17 यहोशू का अधिकार सेईर के निकट हालाक पर्वत से लेकर हेर्मोन पर्वत के नीचे लबानोन की घाटी मे बालगाद तक के प्रदेश पर हो गया था। 18 यहोशू उन राजाओं से कई वर्ष लड़ा। 19 उस पूरे देश में केवल एक नगर ने शान्ति—सन्धि की। वह हिव्वी लोगों का नगर गिबोन था। सभी अन्य नगर युद्ध में पराजित हुए। 20 यहोवा चाहता था कि वे लोग सोचें कि वे शक्तिशाली थे। तब वे इस्राएल के विरुद्ध लड़ेंगे। इस प्रकार वे उन्हें बिना दया के नष्ट कर सकते थे। वह उन्हें उस तरह नष्ट कर सकता था, जिस तरह यहोवा ने मूसा को करने का आदेश दिया था।

21 अनाकी लोग हेब्रोन, दबीर, अनाब और यहूदा और इस्राएल के क्षेत्रों के पहाड़ी प्रदेश में रहते थे। यहोशू इन अनाकी लोगों के विरुद्ध लड़ा। यहोशू ने इन लोगों और इनके नगरों को पूरी तरह नष्ट कर दिया। 22 वहाँ कोई भी अनाकी व्यक्ति इस्राएल में जीवित न छोड़ा गया। जो अनाकी लोग जीवित छोड़ दिये गये थे, वे अज्जा, गत और अशदोद में थे। 23 यहोशू ने पूरे इस्राएल प्रदेश पर अधिकार कर लिया। इस बात को यहोवा ने मूसा से बहुत पहले ही कह दिया। यहोवा ने वह देश इस्राएल को इसलिए दिया क्योंकि उसने इसके लिये वचन दिया था। तब यहोशू ने इस्राएल के परिवार समूहों में उस प्रदेश को बाँटा तब युद्ध बन्द हुआ और अन्तिम रूप में शान्ति स्थापित हो गई।

इस्राएल के द्वारा राजा हराये गये

12 इस्राएल के लोगों ने यरदन नदी के पूर्व की भूमि पर अधिकार कर लिया। उनके अधिकार में अब अर्नोन की संकरी घाटी से हेर्मोन पर्वत तक की भूमि और यरदन घाटी के पूर्व का सारा प्रदेश था। इस देश को लेने के लिये इस्राएल के लोगों ने जिन राजाओं को हराया उनकी सूची यह है:

हेशबोन नगर में रहने वाला एमोरी लोगों का राजा सीहोन। वह अर्नोन की संकरी घाटी पर अरोएर से लेकर यब्बोक नदी तक के प्रदेश पर शासन करता था। उसका प्रदेश उस दर्रे के मध्य से आरम्भ होता था। अम्मोनी लोगों के साथ यह उनकी सीमा थी। सीहोन गिलाद के आधे प्रदेश पर शासन करता था। वह गिलगाल से मृत सागर (खारा सागर) तक यरदन के पूर्व के प्रदेश पर भी शासन करता था और बेत्यशीमोत से दक्षिण पिसगा की पहाड़ियों तक शासन करता था।

बाशान का राजा ओग रपाई लोगों में से था। ओग अशतारोत और एद्रेई में शासन कर रहा था। ओग हेर्मोन पर्वत, सलका नगर और बाशान के सारे क्षेत्र पर शासन करता था। उसके प्रदेश की सीमा वहाँ तक जाती थी जहाँ गशूर और माका लोग रहते थे। ओग गिलाद के आधे भाग पर भी शासन करता था। इस प्रदेश की सीमा का अन्त हेशबोन के राजा सीहोन के प्रदेश पर होता था।

यहोवा के सेवक मूसा और इस्राएल के लोगों ने इन सभी राजाओं को हराया और मूसा ने उस प्रदेश को रूबेन के परिवार समूह, गाद के परिवार समूह और मनश्शे के परिवार समूह के आधे लोगों को दिया। मूसा ने यह प्रदेश उनको अपने अधिकार में रखने को दिया।

इस्राएल के लोगों ने उस प्रदेश के राजाओं को भी हराया, जो यरदन नदी के पश्चिम में था। यहोशू लोगों को इस प्रदेश में ले गया। यहोशू ने लोगों को यह प्रदेश दिया और इसे बारह परिवार समूहों में बाँटा। यह वह देश था जिसे उन्हें देने के लिये यहोवा ने वचन दिया था। यह प्रदेश लबानोन की घाटी में बालगात और सेईर के निकट हालाक पर्वत के बीच था। इसमें पहाड़ी प्रदेश, पश्चिम का तराई प्रदेश, यरदन घाटी, पूर्वी पर्वत, मरुभूमि और नेगेव सम्मिलित थे। यह वह प्रदेश था जिसमें हित्ती, एमोरी, परिज्जी, हिव्वी और यबूसी लोग रहते थे। जिन लोगों को इस्राएल के लोगों ने हराया उनकी यह सूची है:

यरीहो का राजा

ऐ का राजा बेतेल के निकट

10 यरूशलेम का राजा

हेब्रोन का राजा

11 यर्मूत का राजा

लाकीश करा राजा

12 एग्लोन का राजा

गेजेर का राजा

13 दबीर का राजा

गेदेर का राजा

14 होर्मा का राजा

अराद का राजा

15 लिब्ना का राजा

अदुल्लाम का राजा

16 मक्केदा का राजा

बेतेल का राजा

17 तप्पूह का राजा

हेपेर का राजा

18 अपेक का राजा

लश्शारोन का राजा

19 मादोन का राजा

हासोर का राजा

20 शिम्रोन मरोन का राजा

अक्षाप का राजा (एक राजा)

21 तानाक का राजा

मगिद्दो का राजा

22 केदेश का राजा

कर्मेल में योकनाम का राजा

23 दोर के पर्वतों में दोर का राजा

गिलगाल में गोयीम का राजा

24 तिर्सा का राजा

सब मिलाकर इकत्तीस राजा थे।

प्रदेश जो अभी तक नहीं लिये गये

13 जब यहोशू बहुत बूढ़ा हो गया तो यहोवा ने उससे कहा, “यहोशू तुम बूढ़े हो गए हो, लेकिन अभी तुम्हें बहुत सी भूमि पर अधिकार करना है। तुमने अभी तक गशूर लोगों की भूमि और पलिश्तियों की भूमि नहीं ली है। तुमने मिस्र की सीमा पर शिहोर नदी से लेकर उत्तर में एक्रोन की सीमा तक का क्षेत्र नहीं लिया है। वह अभी तक कनानी लोगों का है। तुम्हें राजा, अशदोद, अशकलोन, गत तथा एक्रोन पाँचों पलिश्ती के प्रमुखों को हराना है। तुम्हें उन अब्बी लोगों को हराना चाहिये। जो कनानी प्रदेश के दक्षिण में रहते हैं। तुमने अभी गबाली लोगों के क्षेत्र को नहीं हराया है और अभी बालगाद के पूर्व और हेर्मोन पर्वत के नीचे लबानोन का क्षेत्र भी है।

“सिदोन के लोग लबानोन से मिस्रपोतमैम तक पहाड़ी प्रदेश में रह रहे हैं। किन्तु मैं इस्राएल के लोगों के लिये इन सभी को बलपूर्वक निकाल बाहर करूँगा। जब तुम इस्राएल के लोगों में भूमि बाटों, तो इस प्रदेश को निश्चय ही याद रखो। इसे वैसे ही करो जैसा मैंने कहा है। अब, तुम भूमि को नौ परिवार समूह और मनश्शे के परिवार समूह के आधे में बाँटो।”

प्रदेशों का बटवारा

मैंने मनश्शे के परिवार समूह के दूसरे आधे लोगों को पहले ही भूमि दे दी है। मैंने रूबेन के परिवार समूह तथा गाद के परिवार समूह को भी पहले ही भूमि दे दी है। यहोवा के सेवक मूसा ने यरदन नदी के पूर्व का प्रदेश उन्हें दिया। मूसा ने जो भूमि यरदन नदी के पूर्व में उन्हें दी थी, वह यह है: इस भूमि के अन्तर्गत दीबोन से मेदबा तक का पूरा मैदान आता है। यह भूमि अर्नान संकरी घाटी पर अरोएर से आरम्भ होती है। यह भूमि घाटी के बीच नगर तक लगातार फैली है। 10 एमोरी लोगों का राजा सीहोन जिन नगरों पर शासन करता था, वे इस भूमि में थे। वह राजा हेशबोन नगर में शासन करता था। वह भूमि लगातार उस क्षेत्र तक थी जिसमें एमोरी लोग रहते थे। 11 गिलाद नगर भी उसी भूमि में था। गशूर और माका लगो जिस क्षेत्र में रहते थे वह उसी भूमि में था। सारा हेर्मोन पर्वत और सल्का तक सारा बाशान उस भूमि में था। 12 राजा ओग का सारा राज्य उसी भूमि में था। राजा ओग बाशान में शासन करता था। पहले वह आशतारोत और एद्रेई में शासन करता था। ओग रपाइ लोगों में से था। पहले ही मूसा ने उन लोगों को हराया था और उनका प्रदेश ले लिया था। 13 इस्राएल के लोग गशूर और माका लोगों को बलपूर्वक निकाल बाहर नहीं कर सके। वे लोग अब तक आज भी इस्राएल के लोगों के साथ रहते हैं।

14 केवल लेवी का परिवार समूह ही ऐसा था जिसे कोई भूमि नहीं मिली। उसके बदले उन्हें वे सभी खाद्य भेंटें मिलीं जो इस्राएल के परमेश्वर यहोवा को भेंट के रूप में चढ़ाई जाती थीं। यहोवा ने लेवीवंशियों को इसका वचन दिया था।

15 मूसा ने रूबेन के परिवार समूह से हर एक परिवार समूह को कुछ भूमि दी। यह भूमि है जिसे उन्होंने पायाः 16 अर्नोन की संकरी घाटी के निकट अरोएर से लेकर मेदबा नगर तक की भूमि। इसमें सारा मैदान और दर्रे के बीच का नगर सम्मिलित था। 17 यह भूमि हेशबोन तक लगातार थी। इस भूमि में मैदान के सभी नगर थे। ये नगर दीबोन, बामोतबाल, बेतबाल्मोन, 18 यहसा, कदेमोत, मेपात, 19 किर्यातैम, सिबमा और घाटी में पहाड़ी पर सेरेथशहर, 20 बेतपोर, पिसगा की पहाड़ियाँ और बेत्यशीमोत थे। 21 इस भूमि में मैदान के सभी नगर और एमोरी लोगों के राजा सीहोन ने जिस पर शासन किया था, वह क्षेत्र था। उस राजा ने हेशबोन, पर शासन किया था। किन्तु मूसा ने उसे तथा मिद्यानी लोगों को हराया था। वे लोगों एवी, रेकेम, सूर, हूर और रेबा थे। (ये सभी प्रमुख सीहोन के साथ युद्ध में लड़े थे।) ये सभी प्रमुख उसी देश में रहते थे। 22 इस्राएल के लोगों ने बोर के पुत्र बिलाम को हराया। (बिलाम ने भविष्यवाणी के लिये जादू का उपयोग करने का प्रयत्न किया) इस्राएल के लोगों ने युद्ध में अनेक लोगों को मारा। 23 जो प्रदेश रूबेन को दिया गया था, उसका अन्त यरदन नदी के किनारे पर होता था। इसलिये यह भूमि रूबेन के परिवार समूहों को दी गई, इसमें ये सभी नगर और सूची में लिखे सभी खेत सम्मिलित थे।

24 यह वह भूमि है जिसे मूसा ने गाद के परिवार समूह को दी। मूसा ने यह भूमि प्रत्येक परिवार समूहों को दिया।

25 याजेर का प्रदेश और गिलाद के सभी नगर। मूसा ने उन्हें अम्मोनी लोगों की भूमि का आधा भाग रब्बा के निकट अरोएर तक भी दिया था। 26 इस प्रदेश में हेशबोन से रामतमिस्पे और बेतोनीम के क्षेत्र सम्मिलित थे। इस प्रदेश में महनैम से दबीर तक के क्षेत्र सम्मिलित थे। 27 इसमें बेथारम की घाटी, बेत्रिम्रा, सुक्कोत और सापोन सम्मिलित थे। बाकी का वह सारा प्रदेश जिस पर हेशबोन के राजा सीहोन ने शासन किया था, इसमें सम्मिलित था। यह भूमि यरदन नदी के पूर्व की ओर है। यह भूमि लगातार गलील झील के अन्त तक फैली है। 28 यह सारा प्रदेश वह है जिसे मूसा ने गाद के परिवार समूह को दिया था। इस भूमि में ये सारे नगर थे जो सूची में हैं। मूसा ने वह भूमि हर एक परिवार समूह को दी।

29 यह वह भूमि है जिसे मूसा ने मनश्शे परिवार समूह के आधे लोगों को दिया। मनश्शे के परिवार समूह के लोगों ने यह भूमि पाईः

30 भूमि महनैम से आरम्भ हुई। इसमें वह पूरा बाशान अर्थात् जिस सारे प्रदेश पर बाशान का राजा ओग शासन करता था और बाशान में याइर के सभी नगर सम्मिलित थे। (सब मिलाकर साठ नगर थे।) 31 इस भूमि में आधा गिलाद, अश्तारोत और एद्रेई सम्मिलित थे। (गिलाद, अश्तारोत और एद्रेई वे नगर थे जिसमें ओग रहता था।) यह सारा प्रदेश मनश्शे के पुत्र माकीर के परिवार को दिये गए। इन आधे पुत्रों ने यह प्रदेश पाया।

32 मूसा ने मोआब के मैदान में इन परिवार समूह को यह पूरी भूमि दी। यह यरीहो के पूर्व में यरदन नदी के पार थी। 33 किन्तु मूसा ने लेवी परिवार समूह को कोई भूमि नहीं दी। इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने यह वचन दिया कि वह स्वयं लेवी के परिवार समूह की भेंट के रूप में होगा।

14 याजक एलीआज़ार, नून के पुत्र यहोशू और इस्राएल के परिवार समूह के प्रमुखों ने निश्चय किया कि वे किस भूमि को किन लोगों को दें। यहोवा ने वह ढंग मूसा को बहुत पहले बता दिया था, जिस ढंग से वह चाहता था कि लोग अपनी भूमि चुनें। साढ़े नौ परिवार समूह के लोगों ने कौन सी भूमि वे पाएंगे इसका निश्चय करने के लिये गोटे डालीं। मूसा ने ढाई परिवार समूहों को उनकी भूमि उन्हें यरदन नदी के पूर्व में दे दी थी। किन्तु लेवी के परिवार समूह को अन्य लोगों की तरह कोई भी भूमि नहीं मिली। बारह परिवार समूहों को अपनी निजी भूमि दी गई। यूसुफ के पुत्र दो परिवार समूहों—मनश्शे और एप्रैम में बँट गए थे और हर एक परिवार समूह ने कुछ भूमि प्राप्त की। किन्तु लेवी के परिवार समूह के लोगों को कोई भूमि नहीं दी गई। उनकों रहने के लिये कुछ नगर दिए गए थे और ये नगर प्रत्येक परिवार समूह की भूमि में थे। उन्हें जानवरों के लिए खेत भी दिये गये थे। यहोवा ने मूसा को बता दिया था कि वह किस ढंग से इस्राएल के परिवार समूहों को भूमि दे। इस्राएल के लोगों ने उसी ढंग से भूमि को बाँटा, जिस ढंग से बाँटने के लिये यहोवा का आदेश था।

कालेब को उसका प्रदेश मिलता है

एक दिन यहूदा परिवार समूह के लोग गिलगाल में यहोशू के पास गए। उन लोगों में कनजी यपुन्ने का पुत्र कालेब था। कालेब ने यहोशू से कहा, “कादेशबर्ने में यहोवा ने जो बातें कही थीं। तुम्हें याद है। यहोवा अपने सेवक[d] मूसा से बातें कर रहा था। यहोवा तुम्हारे और हमारे बारे में बातें कर रहा था। यहोवा के सेवक मूसा ने मुझे उस प्रदेश की जाँच के लिये भेजा जहाँ हम लोग जा रहे थे। उस समय मैं चालीस वर्ष का था। जब मैं लौटा तो मूसा को मैंने वह बताया, जो मैं उस प्रदेश के बारे में सोचता था। किन्तु जो अन्य व्यक्ति मेरे साथ गए थे उन्होंने उनसे ऐसी बातें कीं जिससे लोग डर गए। किन्तु मैं ठीक—ठीक विश्वास कर रहा था, कि यहोवा हम लोगों को वह देश लेने देगा। इसलिए मूसा ने वचन दिया, ‘जिस देश में तुम गए थे वह तुम्हारा होगा। वह प्रदेश सदैव तुम्हारे बच्चों का रहेगा। मैं वह प्रदेश तुम्हें दूँगा, क्योंकि तुमने यहोवा मेरे परमेश्वर पर पूरा विश्वास किया है।’

10 “अब, सोचो कि उस समय से यहोवा ने जैसा कहा था उसी प्रकार मुझे पैंतालीस वर्ष तक जीवित रखा है। उस समय हम सब मरुभूमि में भटकते रहे। अब, मैं पचासी वर्ष का हो गया हूँ। 11 मैं अब भी उतना ही शक्तिशाली हूँ जितना शक्तिशाली मैं उस समय था, जब मूसा ने मुझे भेजा था। मैं उन दिनों की तरह अब भी युद्ध करने को तैयार हूँ। 12 इसलिये वह पहाड़ी प्रदेश मुझको दे दो जिसे यहोवा ने बहुत पहले उस दिन मुझे देने का वचन दिया था। उस समय तुमको पता चला था कि वहाँ शक्तिशाली अनाकी लोग रहते हैं और नगर बहुत बड़े और अच्छी प्रकार सुरक्षित थे। किन्तु अब संभव है, यहोवा मेरे साथ है और मैं उस प्रदेश को वैसे ही ले सकूँ जैसा यहोवा ने कहा है।”

13 यहोशू ने यपुन्ने के पुत्र कालेब को आशीर्वाद दिया। यहोशू ने हेब्रोन नगर को उसके अधिकार में दे दिया 14 और वह नगर अब भी कनजी यपुन्ने के पुत्र कालेब के परिवार का है। वह प्रदेश अब तक उसके लोगों का है क्योंकि, उसने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की आज्ञा मानी और उस पर पूर्ण विश्वास किया। 15 पहले इस नगर का नाम किर्यतर्बा था। नगर का नाम अनाकी लोगों के महानतम अर्बा नामक व्यक्ति के नाम पर रखा गया था।

इसके बाद, उस देश में शान्ति रही।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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