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Bible in 90 Days

An intensive Bible reading plan that walks through the entire Bible in 90 days.
Duration: 88 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
गिनती 21:8-32:19

यहोवा ने मूसा से कहा, “एक काँसे का साँप बनाओ और उसे एक ऊँचे डंडे पर रखो। यदि किसी व्यक्ति को साँप काटे, तो उस व्यक्ति को डंडे के ऊपर काँसे[a] के साँप को देखना चाहिए। तब वह व्यक्ति मरेगा नहीं।” इसलिए मूसा ने यहोवा की आज्ञा मानी और एक काँसे का साँप बनाया तथा उसे एक डंडे के ऊपर रखा। तब जब किसी व्यक्ति को साँप काटता था तो वह डंडे के ऊपर के साँप को देखता था और जीवित रहता था।

होर पर्वत से मोआब घाटी को

10 इस्राएल के लोग यात्रा करते रहे। उन्होंने ओबोत नामक स्थान पर डेरा डाला। 11 तब लोगों ने ओबोत से ईय्ये अबीराम तक की यात्रा की और वहाँ डेरा डाला। यह मोआब के पूर्व में मरुभूमि में था। 12 तब लोगों ने उस स्थान को छोड़ा और जेरेद की यात्रा की। उन्होंने वहाँ डेरा डाला। 13 तब लोगों ने अर्नोन घाटी की यात्रा की। उन्होंने उस क्षेत्र के समीप डेरा डाला। यह एमोरियों के प्रदेश के पास मरुभूमि में था। अर्नोन घाटी मोआब और एमोरी लोगों के बीच की सीमा है। 14 यही कारण है कि यहोवा के युद्धों की पुस्तक में निम्न विवरण प्राप्त हैः

“और सूपा में वाहेब, अर्नोन की घाटी 15 और आर की बस्ती तक पहुँचाने वाली घाटी के किनारे की पहाड़ियाँ। ये स्थान मोआब की सीमा पर हैं।”

16 इस्राएल के लोगों ने उस स्थान को छोड़ा और उन्होंने बैर की यात्रा की। इस स्थान पर एक कुँआ था। यहोवा ने मूसा से कहा, “यहाँ सभी लोगों को इकट्ठा करो और मैं उन्हें पानी दूँगा।” 17 तब इस्राएल के लोगों ने यह गीत गायाः

“कुएँ! पानी से उमड़ बहो!
    इसका गीत गाओ!
18 महापुरुषों ने इस कुएँ को खोदा।
    महान नेताओं ने इस कुएँ को खोदा।
अपनी छड़ों और डण्डों से इसे खोदा।
यह मरुभूमि में एक भेंट[b] है।”
    लोग “मत्ताना” नाम के कुएँ पर थे।

19 तब लोगों ने मत्ताना से नहलीएल की यात्रा की। तब उन्होंने नहलीएल से बामोत की यात्रा की। 20 लोगों ने बामोत घाटी की यात्रा की। इस स्थान पर पिसगा पर्वत की चोटी मरुभूमि के ऊपर दिखाई पड़ती है।

सीहोन और ओग

21 इस्राएल के लोगों ने कुछ व्यक्तियों को एमोरी लोगों के राजा सीहोन के पास भेजा। इन लोगों ने राजा से कहा,

22 “अपने देश से होकर हमें यात्रा करने दो। हम लोग किसी खेत या अंगूर के बाग से होकर नहीं जाएंगे। हम तुम्हारे किसी कुएँ से पानी नहीं पीएंगे। हम लोग केवल राजपथ से यात्रा करेंगे। हम लोग तब तक उस सड़क पर ही ठहरेंगे जब तक हम लोग तुम्हारे देश से होकर यात्रा पूरी नहीं कर लेते।”

23 किन्तु राजा सीहोन इस्राएल के लोगों को अपने देश से होकर यात्रा करने की अनुमति नहीं दी। राजा ने अपनी सेना इकट्ठी की और मरुभूमि की ओर चल पड़ा। वह इस्राएल के लोगों के विरुद्ध आक्रमण कर रहा था। यहस नाम के एक स्थान पर राजा की सेना ने इस्राएल के लोगों के साथ युद्ध किया।

24 किन्तु इस्राएल के लोगों ने राजा को मार डाला। तब उन्होंने अर्नोन घाटी से लेकर यब्बोक क्षेत्र तक के उसके प्रदेश पर अधिकार कर लिया। इस्राएल के लोगों ने अम्मोनी लोगों की सीमा तक के प्रदेश पर अधिकार किया। उन्होंने और अधिक क्षेत्र पर अधिकार नहीं जमाया क्योंकि वह सीमा अम्मोनी लोगों दूारा दृढ़ता से सुरक्षित थी। 25 किन्तु इस्रएल ने अम्मोनी लोगों के सभी नगरों पर कब्जा कर लिया। उन्होंने हेशबोन नगर तक को और उसके चारों ओर के छोटे नगरों को भी हराया। 26 हेशबोन वह नगर था जिसमें राजा सीहोन रहता था। इसके पहले सीहोन ने मोआब के राजा को हराया था और सीहोन से अर्नोन घाटी तक के सारे प्रदेश पर अधिकार कर लिया था। 27 यही कारण है कि गायक यह गीत गाते हैं:

“आओ हेशबोन को, इसे फिर से बसाना है।
    सीहोन के नगर को फिर से बनने दो।
28 हेशबोन में आग लग गई थी।
    वह आग सीहोन के नगर में लगी थी।
आग ने आर (मोआब) को नष्ट किया
    इसने ऊपरी अर्नोन की पहाड़ियों को जलाया।
29 ऐ मोआब! यह तुम्हारे लिए बुरा है,
    कमोश के लोग नष्ट कर दिए गए हैं।
उसके पुत्र भाग खड़े हुए।
    उसकी पुत्रियाँ बन्दी बनीं एमोरी लोगों के राजा सीहोन द्वारा।
30 किन्तु हमने उन एमोरियों को हराया,
    हमने उनके हेशबोन से दीबोन तक नगरों को मिटाया मेदबा के निकट नशिम से नोपह तक।”

31 इसलिए इस्राएल के लोगों ने एमोरियों के देश में अपना डेरा लगाया।

32 मूसा ने गुप्तचरों को याजेर नगर पर निगरानी के लिए भेजा। मूसा के ऐसा करने के बाद, इस्राएल के लोगों ने उस नगर पर अधिकार कर लिया। उन्होंने उसके चारों ओर के छोटे नगर पर भी अधिकार जमाया। इस्राएल के लोगों ने उस स्थान पर रहने वाले एमोरियों को वह स्थान छोड़ने को विवश किया।

33 तब इस्राएल के लोगों ने बाशान की ओर जाने वाली सड़क पर यात्रा की। बाशान के राजा ओग ने अपनी सेना ली और इस्राएल के लोगों का सामना करने निकला। वह एद्रेई नाम के क्षेत्र में उनके विरुद्ध लड़ा।

34 किन्तु यहोवा ने मूसा से कहा, “उस राजा से मत डरो। मैं तुम्हें उसको हराने दूँगा। तुम उसके पूरी सेना और प्रदेश को प्राप्त करोगे। तुम उसके साथ वही करो जो तुमने एमोरी लोगों के राजा सीहोन के साथ किया।”

35 अतः इस्राएल के लोगों ने ओग और उसकी सारी सेना को हराया। उन्होने उसे, उसके पुत्रों और उसकी सारी सेना को हराया। तब इस्राएल के लोगों ने उसके पूरे देश पर अधिकार कर लिया।

बिलाम और मोआब का राजा

22 तब इस्राएल के लोगों ने मोआब के मैदान की यात्रा की। उन्होंने यरीहो के उस पार यरदन नदी के निकट डेरा डाला।

2-3 सिप्पोर के पुत्र बालाक ने एमोरी लोगों के साथ इस्राएल के लोगों ने जो कुछ किया था, उसे देखा था औ मोआब बहुत अधिक भयभीत था क्योंकि वहाँ इस्राएल के बहुत लोग थे। मोआब इस्राएल के लोगों से बहुत आतंकित था।

मोआब के नेताओं ने मिद्यान के अग्रजों से कहा, “लोगों का यह विशाल समूह हमारे चारों ओर की सभी चीज़ों को वैसे ही नष्ट कर देगा जैसे कोई गाय मैदान की घास चर जाती है।”

इस समय सिप्पोर का पुत्र बालाक मोआब का राजा था। उसने कुछ व्यक्तियों को बोर के पुत्र बिलाम को बुलाने के लिए भेजा। बिलाम नदी के निकट पतोर नाम के क्षेत्र में था। बालाक ने कहा,

“लोगों का एक नया राष्ट्र मिस्र से आया है। वे इतने अधिक हैं कि पूरे प्रदेश में फैल सकते हैं। उन्होंने ठीक हमारे पास डेरा डाला है। आओ और इन लोगों के साथ निपटने में मेरी सहायता करो। वे मेरी शक्ति से बहुत अधिक शक्तिशाली हैं। संभव है कि तब इनको मैं हरा सकूँ। तब मैं उन्हें अपना देश छोड़ने को विवश कर सकता हूँ। मैं जानता हूँ कि तुम बड़ी शक्ति रखते हो। यदि तुम किसी व्यक्ति को आशीर्वाद देते हो तो उसका भला हो जाता है। यदि तुम किसी व्यक्ति के विरुद्ध कहते हो तो उसका बुरा हो जाता है। इसलिए आओ और इन लोगों के विरुद्ध कुछ कहो।”

मोआब और मिद्यान के अग्रज चले। वे बिलाम से बातचीत करने गए। वे उसकी सेवाओं के लिए धन देने को ले गए। तब उन्होंने, बालाक ने जो कुछ कहा था, उससे कहा।

बिलाम ने उनसे कहा, “यहाँ रात में रुको। मैं यहोवा से बातें करुँगा और जो उत्तर, वह मुझे देगा, वह तुमसे कहूँगा।” इसलिए उस रात मोआबी लोगों के नेता उसके साथ ठहरे।

परमेश्वर बिलाम के पास आया और उसने पूछा, “तुम्हारे साथ ये कौन लोग हैं?”

10 बिलाम ने परमेश्वर से कहा, “मोआब के राजा सिप्पोर के पुत्र बालाक ने उन्हें मुझको एक संदेश देने को भेजा है। 11 सन्देश यह हैः लोगों का एक नया राद्र मिस्र से आया है। वे इतने अधिक हैं कि सारे देश में फैल सकते हैं। इसलिए आओ और इन लोगों के विरुद्ध कुछ कहो। तब सम्भ्व है कि उनसे लड़ने में मैं समर्थ हो सकूँ और अपने देश को छोड़ने के लिए उन्हे विवश कर सकूँ।”

12 किन्तु परमेश्वर ने बिलाम से कहा, “उनके साथ मत जाओ। तुम्हें उन लोगों के विरुद्ध कुछ नहीं कहना चाहिए। उन्हें यहोवा से वरदान प्राप्त है।”

13 दूसरे दिन सवेरे बिलाम उठा और बालाक के नेताओं से कहा, “अपने देश को लौट जाओ। यहोवा मुझे तुम्हारे साथ जाने नहीं देगा।”

14 इसलिए मोआबी नेता बालाक के पास लौटे और उससे उन्होंने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा, “बिलाम ने हम लोगों के साथ आने से इन्कार कर दिया।”

15 इसलिए बालाक ने दूसरे नेताओं को बिलाम के पास भेजा। इस बार उसने पहली बार की अपेक्षा बहुत अधिक आदमी भेजे और ये नेता पहली बार के नेताओं की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण थे। 16 वे बिलाम के पास गए और उन्होंने उससे कहा, “सिप्पोर का पुत्र बालाक तुमसे कहता हैः कृपया अपने को यहाँ आने से किसी को रोकने न दें। 17 जो मैं तुमसे माँगता हूँ यदि तुम वह करोगे तो मैं तुम्हें बहुत अधिक भुगतान करूँगा। आओ और इन लोगों के विरुद्ध मेरे लिए कुछ कहो।”

18 किन्तु बिलाम ने उन लोगों को उत्तर दिया। उसने कहा, “मुझे यहोवा मेरे परमेश्वर की आज्ञा माननी चाहिए। मैं उसके आदेश के विरुद्ध कुछ नहीं कर सकता। मैं बड़ा छोटा कुछ भी तब तक नहीं कर सकता जब तक यहोवा नहीं कहता कि मैं उसे कर सकता हूँ। यदि राजा बालाक अपने सोने चाँदी भरे सुन्दर घर को दे तो भी मैं अपने परमेश्वर यहोवा के आदेश के विरुद्ध कुछ नहीं करूँगा। 19 किन्तु तुम भी उन दूसरे लोगों की तरह आज की रात यहाँ ठहर सकते हो और रात में मैं जान जाऊँगा कि यहोवा मुझसे क्या कहलवाना चाहता है।”

20 उस रात परमेश्वर बिलाम के पास आया। परमेश्वर ने कहा, “ये लोग अपने साथ ले जाने के लिए कहने को फिर आ गए हैं। इसलिए तुम उनके साथ जा सकते हो। किन्तु केवल वही करो जो मैं तुमसे करने को कहूँ।”

बिलाम और उसका गधा

21 अगली सुबह, बिलाम उठा और अपने गधे पर काठी रखी। तब वह मोआबी नेताओं के साथ गया। 22 बिलाम अपने गधे पर सवार था। उसके सेवकों में से दो उसके साथ थे। जब बिलाम यात्रा कर रहा था, परमेश्वर उस पर क्रोधित हो गया। इसलिए यहोवा का दूत बिलाम के सामने सड़क पर खड़ा हो गया। दूत बिलाम को रोकने जा रहा था।[c] 23 बिलाम के गधे ने यहोवा के दूत को सड़क पर खड़ा देखा। दूत के हाथ में एक तलवार थी। इसलिए गधा सड़क से मुड़ा और खेत में चला गया। बिलाम दूत को नहीं देख सकता था। इसलिए वह गधे पर बहुत क्रोधित हुआ। उसने गधे को मारा और उसे सड़क पर लौटने को विवश किया।

24 बाद में, यहोवा का दूत ऐसी जगह पर खड़ा हुआ जहाँ सड़क सँकरी हो गई थी। यह दो अंगूर के बागों के बीच का स्थान था। वहाँ सड़क के दोनों ओर दीवारें थीं। 25 गधे ने यहोवा के दूत को फिर देखा। इसलिए गधा एक दीवार से सटकर निकला। इससे बिलाम का पैर दीवार से छिल गया। इसलिए बिलाम ने अपने गधे को फिर मारा।

26 इसके बाद, यहोवा का दूत दूसरे स्थान पर खड़ा हुआ। यह दूसरी जगह थी जहाँ सड़क सँकरी हो गई थी। वहाँ कोई ऐसी जगह नहीं थी जहाँ गधा मुड़ सके। गधा दायें या बायें नहीं मुड़ सकता था। 27 गधे ने यहोवा के दूत को देखा इसलिए गधा बिलाम को अपनी पीठ पर लिए हुए जमीन पर बैठ गया। बिलाम गधे पर बहुत क्रोधित था। इसलिए उसने उसे अपने डंडे से पीटा।

28 तब यहोवा ने गधे को बोलने वाला बनाया। गधे ने बिलाम से कहा, “तुम मुझ पर क्यों क्रोधित हो मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है? तुमने मुझे तीन बार मारा है!”

29 बिलाम ने गधे को उत्तर दिया, “तुमने दूसरों की नजर में मुझे मूर्ख बनाया है यदि मेरे हाथ में तलवार होती तो मैं अभी तुम्हें मार डालता।”

30 किन्तु गधे ने बिलाम से कहा, “मैं तुम्हारा अपना गधा हूँ जिस पर तुम अनेक वर्ष से सवार हुए हो और तुम जानते हो कि मैंने ऐसा इसके पहले कभी नहीं किया है।”

“यह सही है।” बिलाम ने कहा।

31 तब यहोवा ने बिलाम को सड़क पर खड़े दूत को देखने दिया। बिलाम ने दूत और उसकी तलवार को देखा। तब बिलाम ने झुक कर प्रणाम किया।

32 यहोवा के दूत ने बिलाम से पूछा, “तुमने अपने गधे को तीन बार क्यों मारा? तुम्हें मुझ पर क्रोध से पागल होना चाहिए। मैं तुमको रोकने के लिए यहाँ आया हूँ। तुम्हें कुछ अधिक सावधान रहना चाहिए।[d] 33 गधे ने मुझे देखा और वह तीन बार मुझसे मुड़ा। यदि गधा मुड़ा न होता तो मैंने तुमको मार डाला होता। किन्तु मुझे तुम्हारे गधे को नहीं मारना था।”

34 तब बिलाम ने यहोवा के दूत से कहा, “मैंने पाप किया है। मैं यह नहीं जानता था कि तुम सड़क पर खड़े हो। यदि मैं बुरा कर रहा हूँ तो मैं घर लौट जाऊँगा।”

35 यहोवा के दूत ने बिलाम से कहा, “नहीं, तुम इन लोगों के साथ जा सकते हो। किन्तु सावधान रहो। वही बातें कहो जो मैं तुमसे कहने के लिए कहूँगा।” इसलिए बिलाम बालाक द्वारा भेजे गए नेताओं के साथ गया।

36 बालाक ने सुना कि बिलाम आ रहा है। इसलिए बालाक उससे मिलने के लिए अर्नोन सीमा पर मोआबी नगर को गया। यह उसके देश की छोर थी। 37 जब बालाक ने बिलाम को देखा तो उसने बिलाम से कहा, “मैंने इसके पहले तुमसे आने के लिए कहा था और यह भी बताया था कि यह अत्यन्त महत्वपूर्ण है। तुम हमारे पास क्यों नहीं आए? क्या यह सच है कि तुम मुझसे कोई भी पुरस्कार या भुगतान नहीं पाना चाहते?”

38 किन्तु बिलाम ने उत्तर दिया, “मैं अब तुम्हारे पास आया हूँ। लेकिन मैं, जो तुमने करने को कहा था उनमें से, शायद कुछ भी न कर सकूँ। मैं केवल वही बातें तुमसे कह सकता हूँ जो परमश्वर मुझसे कहने को कहता है।”

39 तब बिलाम बालाक के साथ किर्यथूसोत गया। 40 बालाक ने कुछ मवेशी तथा कुछ भेड़ें उसकी भेंट के रूप में मारीं। उसने कुछ माँस बिलाम तथा कुछ उसके साथ के नेताओं को दिया।

41 अगली सुबह बालाक को बमोथ बाल नगर को ले गया। उस नगर से वे इस्राएली लोगों के कुछ डेरों को देख सकते थे।

बिलाम की पहली भविष्यवाणी

23 बिलाम ने कहा, “यहाँ सात वेदियाँ बनाओ और मेरे लिए सात बैल और सात मेढ़े तैयार करो।” बालाक ने वह सब किया जो बिलाम ने कहा। तब बिलाम ने हर एक वेदी पर एक बैल और एक मेढ़े को मारा।

तब बिलाम ने बालाक से कहा, “इस वेदी के समीप ठहरो। मैं दूसरी जगह जाऊँगा। तब कदाचित यहोवा मेरे पास आएगा और बताएगा कि मैं क्या कहूँ।” तब बिलाम एक अधिक ऊँचे स्थान पर गया।

परमेश्वर उस स्थान पर बिलाम के पास आया और बिलाम ने कहा, “मैंने सात वेदियाँ तैयार की हैं और मैंने हर एक वेदी पर एक बैल और एक मेढ़े को मारा है।”

तब यहोवा ने बिलाम को वह बताया जो उसे कहना चाहिए। तब यहोवा ने कहा, “बालाक के पास जाओ और इन बातों को कहो जो मैंने कहने के लिए बताई हैं।”

इसलिए बिलाम बालाक के पास लौटा। बालाक तब तक वेदी के पास खड़ा था और मोआब के सभी नेता उसके साथ खड़े थे। तब बिलाम ने ये बातें कंहीः

“मोआब के राजा बालाक ने
    मुझे आराम से बुलाया पूर्व के पहाड़ों से।
बालाक ने मुझसे कहा
    ‘आओ और मेरे लिए याकूब के विरुद्ध कहो, आओ
    और इस्राएल के लोगों के विरुद्ध कहो।’
परमेश्वर उन लोगों के विरुद्ध नहीं है,
    अतः मैं भी उनके विरुद्ध नहीं कह सकता।
यहोवा ने उनका बुरा होने के लिए नहीं कहा है।
    अतः मैं भी वैसा नहीं कर सकता।
मैं उन लोगों को पर्वत से देखता हूँ।
    मैं ऐसे लोगों को देखता हूँ
जो अकेले रहते हैं।
    वो लोग किसी अन्य राष्ट्र के अंग नहीं हैं।
10 याकूब के लोग बालू के कण से भी अधिक हैं।
    इस्राएल के लोगों की चौथाई को भी
कोई गिन नहीं सकता।
मुझे एक अच्छे मनुष्य की तरह मरने दो,
    मुझे उन लोगों की तरह ही मरने दो।”

11 बालाक ने बिलाम से कहा, “तुमने हमारे लिए क्या किया है मैंने तुमको अपने शत्रुओं के विरुद्ध कुछ कहने को बुलाया था। किन्तु तुमने उन्हीं को आशीर्वाद दिया है।”

12 किन्तु बिलाम ने उत्तर दिया, “मुझे वही करना चाहिए जो यहोवा मुझे करने को कहता है।”

13 तब बालाक ने उससे कहा, “इसलिए मेरे साथ दूसरे स्थान पर आओ। उस स्थान पर तुम लोगों को भी देख सकते हो। किन्तु तुम उनके एक भाग को ही देख सकते हो, सभी को नहीं देख सकते और उस स्थान से तुम मेरे लिए उनके विरुद्ध कुछ कह सकते हो।” 14 इसलिए बालाक बिलाम को सोपीम के मैदान में ले गया। यह पिसगा पर्वत की चोटी पर था। बालाक ने उस स्थान पर सात वेदियाँ बनाईं। तब बालाक ने हर एक वेदी पर बलि के रूप में एक बैल और एक मेढ़ा मारा।

15 इसलिए बिलाम ने बालाक से कहा, “इस वेदी के पास खड़े रहो। मैं उस स्थान पर परमेश्वर से मिलने जाऊँगा।”

16 इसलिए यहोवा बिलाम के पास आया और उसने बिलाम को बताया कि वह क्या कहे। तब यहोवा ने बिलाम को बालाक के पास लौटने और उन बातों को कहने को कहा। 17 इसलिए बिलाम बालाक के पास गया। बालाक तब तक वेदी के पास खड़ा था। मोआब के नेता उसके साथ थे। बालाक ने उसे आते हुए देखा और उससे पूछा, “यहोवा ने क्या कहा?”

बिलाम की दूसरी भविष्यवाणी

18 तब बिलाम ने ये बातें कंहीः

“बालाक! खड़े हो और मेरी बात सुनो।
    सिप्पोर के पुत्र बालाक! मेरी बात सुनो।
19 परमेश्वर मनुष्य नहीं है,
    वह झूठ नहीं बोलेगा;
परमेश्वर मनुष्य पुत्र नहीं,
    उसके निर्णय बदलेंगे नहीं।
यदि यहोवा कहता है कि वह कुछ करेगा
    तो वह अवश्य उसे करेगा।
यदि यहोवा वचन देता है
    तो अपने वचन को अवश्य पूरा करेगा।
20 यहोवा ने मुझे उन्हें आशीर्वाद देने का आदेश दिया।
    यहोवा ने उन्हें आशीर्वा दिया है, इसलिए मैं उसे बदल नहीं सकता।
21 याकूब के लोगों में कोई दोष नहीं था।
    इस्राएल के लोगों में कोई पाप नहीं था।
यहोवा उनका परमेश्वर है और वह उनके साथ है।
    महाराजा (परमेश्वर) की वाणी उनके साथ है!
22 परमेश्वर उन्हें मिस्र से बाहर लाया।
    इस्राएल के वे लोग जंगली साँड की तरह शक्तिशाली हैं।
23 कोई जादुई शक्ति नहीं जो याकूब के लोगों को हरा सके।
    याकूब के बारे में और इस्राएल के लोगों के विषय में भी
लोग यह कहेंगे:
    ‘परमेश्वर ने जो महान कार्य किये हैं उन पर ध्यान दो!’
24 वे लोग सिंह की तरह शक्तिशाली होंगे।
    वे सिंह जैसे लड़ेंगे और यह सिंह कभी विश्राम नहीं करेगा,
जब तक वह शत्रु को खा नहीं डालता, और वह सिंह कभी विश्राम नहीं करेगा
    जब तक वह उनका रक्त नहीं पीता जो उसके विरुद्ध हैं।”

25 तब बालाक ने बिलाम से कहा, “तुमने उन लोगों के लिए अच्छी चीज़ें होने की मांग नहीं की। किन्तु तुमने उनके लिए बुरी चीज़ें होने की भी माँग नहीं की।”

26 बिलाम ने उत्तर दिया, “मैंने पहले ही तुमसे कह दिया कि मैं केवल वही कहूँगा जो यहोवा मुझसे कहने के लिए कहता है।”

27 तब बालाक ने बिलाम से कहा, “इसलिए तुम मेरे साथ दूसरे स्थान पर चलो। सम्भव है कि परमेश्वर प्रसन्न हो जाये और तुम्हें उस स्थान से शाप देने दे।” 28 इसलिए बालाक बिलाम को पोर पर्वत की चोटी पर ले गया। यह पर्वत मरुभूमि के छोर पर स्थित है।

29 बिलाम ने कहा, “यहाँ सात वेदियाँ बनाओ। तब सात साँड़ तथा सात मेढ़े वेदियों पर बलि के लिए तैयार करो।” 30 बालाक ने वही किया जो बिलाम ने कहा। बालाक ने बलि के रूप में हर एक वेदी पर एक साँड़ तथा एक मेढ़ा मारा।

बिलाम की तीसरी भविष्यवाणी

24 बिलाम को मालूम हुआ कि यहोवा इस्राएल को आशीर्वाद देना चाहता है। इस्रालिए बिलाम ने किसी प्रकार के जादू मन्तर का उपयोग करके उसे बदलना नहीं चाहा। किन्तु बिलाम मुड़ा और उसने मरुभूमि की ओर देखा। बिलाम ने मरुभूमि के पार तक देखा और इस्राएल के सभी लोगों को देख लिया। वे अपने अलग—अलग परिवार समूहों के क्षेत्र में डेरा डाले हुए थे। तब परमेश्वर ने बिलाम को प्रेरित किया। और बिलाम ने ये शब्द कहेः

“बोर का पुत्र बिलाम जो सब कुछ स्पष्ट देख सकता है
    ये बातें कहता है।
ये शब्द कहे गए, क्योंकि मैं परमेश्वर की बात सुनता हूँ।
    मैं उन चीज़ों को देख सकता हूँ जिसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर चाहता है की मैं देखूँ।
    मैं जो कुछ स्पष्ट देख सकता हूँ वही नम्रता के साथ कहता हूँ।

“याकूब के लोगो तुम्हारे खेमे बहुत सुन्दर हैं!
    इस्राएल के लोगो जिनके घर सुन्दर हैं!
तुम्हारे डेरे घाटियों की तरह
    प्रदेश के आर—पार फैले हैं।
ये नदी के किनारे उगे
    बाग की तरह हैं।
ये यहोवा द्वारा बोयी गई
    फसल की तरह हैं।
ये नदियों के किनारे उगे
    देवदार के सुन्दर पेड़ों की तरह हैं।
तुम्हें पीने के लिए सदा पर्याप्त पानी मिलेगा।
    तुम्हें फसलें उगाने के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा।
तुम लोगों का राजा अगाग से महान होगा।
    तुम्हारा राज्य बहुत महान हो जाएगा।

“परमेश्वर उन लोगों को मिस्र से बाहर लाया।
    वे इतने शक्तिशाली हैं जितना कोई जंगली साँड।
वे अपने सभी शत्रुओं को हरायेंगे।
    वे अपने शत्रुओं की हड्डियाँ चूर करेंगे।
और उनके बाण उनके शत्रु को मार डालेंगे वे उस सिंह की तरह हैं
    जो अपने शिकार पर टूट पड़ना चाहता हो।
वे उस सिंह की तरह है जो सो रहा हों।
    कोई व्यक्ति इतना साहसी नहीं जो उसे जगा दे!
कोई व्यक्ति जो तुम्हें आशीर्वाद देगा, आशीष पाएगा,
    और कोई व्यक्ति जो तुम्हारे विरुद्ध बोलेगा विपत्ति में पड़ेगा।”

10 तब बिलाम पर बालाक बहुत क्रोधित हुआ। बालाक ने बिलाम से कहा, “मैंने तुम्हे आने और अपने शत्रुओं के विरुद्ध कुछ कहने के लिए बुलाया। किन्तु तुमने उनको आशीर्वाद दिया है। तुमने उन्हें तीन बार आशीर्वाद दिया है। 11 अब विदा हो और घर जाओ। मैंने कहा था कि मैं तुम्हें बहुत अधिक सम्पन्न बनाऊँगा। किन्तु यहोवा ने तुम्हें पुरस्कार से वंचित कराया है।”

12 बिलाम ने बालाक से कहा, “तुमने आदमियों को मेरे पास भेजा। उन व्यक्तियों ने मुझसे आने के लिए कहा। किन्तु मैंने उनसे कहा, 13 ‘बालाक अपना सोने—चाँदी से भरा घर मुझको दे सकता है। परन्तु मैं तब भी केवल वही बातें कह सकता हूँ जिसे कहने के लिए यहोवा आदेश देता है। मैं अच्छा या बुरा स्वयं कुछ नहीं कर सकता। मुझे वही करना चाहिए जो यहोवा का आदेश हो। क्या तुम्हें याद नहीं कि मैंने ये बातें तुम्हारे लोगों से कहीं।’ 14 अब मैं अपने लोगों के बीच जा रहा हूँ किन्तु तुमको एक चेतावनी दूँगा। मैं तुमसे कहूँगा कि भविष्य में इस्राएल के ये लोग तुम्हारे और तुम्हारे लोगों के साथ क्या करेंगे।”

बिलाम की अन्तिम भविष्यवाणी

15 तब बिलाम ने ये बातें कहीं:

“बोर के पुत्र बिलाम के ये शब्द हैं:
ये उस व्यक्ति के शब्द हैं जो चीज़ों को साफ—साफ देख सकता है।
16 ये उस व्यक्ति के शब्द हैं जो परमेश्वर की बातें सुनता है।
    सर्वोच्च परमेंश्वर ने मुझे ज्ञान दिया है।
    मैंने वह देखा है जिसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मुझे दिखाना चाहा है।
    मैं जो कुछ स्पष्ट देखता हूँ वही नम्रता के साथ कहता हूँ।

17 “मैं देखता हूँ कि यहोवा आ रहा है, किन्तु अभी नहीं।
    मैं उसका आगमन देखता हूँ, किन्तु यह शीघ्र नहीं है।
याकूब के परिवार से एक तारा आएगा।
    इस्राएल के लोगों में से एक नया शासक आएगा।
वह शासक मोआबी लोगों के सिर कुचल देगा।
    वह शासक सेईर के सभी पुत्रों के सिर कुचल देगा।
18 एदोम देश पराजित होगा
    नये राजा का शत्रु सेईर पराजित होगा।
    इस्राएल के लोग शक्तिशाली हो जाएंगे।

19 “याकूब के परिवार से एक नया शासक आएगा।
    नगर में जीवित बचे लोगों को वह शासक नष्ट करेगा।”

20 तब बिलाम ने अपने अमालेकी लोगों को देखा और ये बातें कहीं:

“सभी राष्ट्रों में अमालेक सबसे अधिक बलवान था।
    किन्तु अमालेक भी नष्ट किया जाएगा।”

21 तब बिलाम ने केनियों को देखा और उनसे ये बातें कहीं:

“तुम्हें विश्वास है कि तुम्हारा देश उसी प्रकार सुरक्षित है।
    जैसे किसी ऊँचे खड़े पर्वत पर बना घोंसला।
22 किन्तु केनियों, तुम नष्ट किये जाओगे।
    अश्शूर तुम्हें बन्दी बनाएगा।”

23 तब बिलाम ने ये शब्द कहे,

“कोई व्यक्ति नहीं रह सकता जब परमेश्वर यह करता है।
24     कित्तियों के तट से जहाज आएंगे।
वे जहाज अश्शूर और एबेर को हराएंगे।
    किन्तु तब वे जहाज भी नष्ट कर दिए जाएंगे।”

25 तब बिलाम उठा और अपने घर को लौट गया और बालाक भी अपनी राह चला गया।

पोर में इस्राएल

25 इस्राएल के लोग अभी तक शित्तीम के क्षेत्र मे डेरा डाले हुए थे। उस समय लोग मोआबी स्त्रियों के साथ यौन सम्बन्धी पाप करने लगे। मोआबी स्त्रियों ने पुरुषों को आने और अपने मिथ्या देवताओं को भेंट चढ़ाने में सहायता करने के लिए आमंन्त्रित किया। इस्राएली लोगों ने वहाँ भोजन किया और मिथ्या देवताओं की पूजा की। अतः इस्राएल के लोगों ने इसी प्रकार मिथ्या देवता पोर के बाल की पूजा आरम्भ की। यहोवा इन लोगों पर बहुत क्रोधित हुआ।

यहोवा ने मूसा से कहा, “इन लोगों के नेताओं को लाओ। तब उन्हें सभी लोगों की आँखों के सामने मार डालो। उनके शरीर को यहोवा के सामने डालो। तब यहोवा इस्राएल के लोगों पर क्रोधित नहीं होगा।”

इसलिए मूसा ने इस्राएल के न्यायाधीशों से कहा “तुम लोगों में से हर एक को अपने परिवार समूह में उन लोगों को ढूँढ निकालना है जिन्होंने लोगों को पोर के मिथ्या देवता बाल की पूजा के लिए प्रेरित किया है। तब तुम्हें उन लोगों को अवश्य मार डालना चाहिए।”

उस समय मूसा और सभी इस्राएल के अग्रज (नेता) मिलापवाले तम्बू के द्वार पर एक साथ इकट्ठे थे। एक इस्राएली व्यक्ति एक मिद्यानी स्त्री को अपने भाईयों के पास अपने घर लाया। उसने यह वहाँ किया जहाँ उसे मूसा और सारे नेता देख सकते थे। मूसा और नेता बहुत दुःखी हुए। याजक हारून के पोते तथा एलीआज़ार के पुत्र पीनहास ने इसे देखा। इसलिए उसने बैठक छोड़ी और अपना भाला उठाया। वह इस्राएली व्यक्ति के पीछे—पीछे उसके खेमे में गया। तब उसने इस्राएली पुरुष और मिद्यानी स्त्री को अपने भाले से मार डाला। उसने अपने भाले को दोनों के शरीरों के पार कर दिया। उस समय इस्राएल के लोगों में एक बड़ी बीमारी फैली थी। किन्तु जब पीनहास ने इन दोनों लोगों को मार डाला तो बीमारी रूक गई। इस बीमारी से चौबीस हजार लोग मर चुके थे।

10 यहोवा ने मूसा से कहा, 11 “याजक हारून के पोते तथा एलीआजार के पुत्र पीनहास ने इस्राएल लोगों को मेरे क्रोध से बचा लिया है। उसने मुझे प्रसन्न करने के लिए कठिन प्रयत्न किया। वह वैसा ही है जैसा मैं हूँ। उसने मेरी प्रतिष्ठा को लोगों में सुरक्षित रखने का प्रयत्न किया। इसलिए मैं लोगों को वैसे ही नहीं मारूँगा जैसे मैं मारना चाहता था। 12 इसलिए पीनहास से कहो कि मैं उसके साथ एक शान्ति की वाचा करना चाहता हूँ। 13 वह और उसके बाद के वंशज मेरे साथ एक वाचा करेंगे। वे सदा याजक रहेंगे क्योंकि उसने अपने परमेश्वर की प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए कठिन प्रयत्न किया। इस प्रकार उसने इस्राएली लोगों के दोषों के लिए हर्जाना दिया।”

14 जो इस्राएली मिद्यानी स्त्री के साथ मारा गया था उसका नाम जिम्रि था वह साल का पुत्र था। वह शिमोन के परिवार समूह के परिवार का नेता था 15 और मारी गई मिद्यानी स्त्री का नाम कोजबी था। 15 वह सूर की पुत्री थी। वह अपने परिवार का मुखिया था और वह मिद्यानी परिवार समूह का नेता था।

16 यहोवा ने मूसा से कहा, 17 “मिद्यानी लोग तुम्हारे शत्रु हैं। तुम्हें उनको मार डालना चाहिए। 18 उन्होंने पहले ही तुमको अपना शत्रु बना लिया है। उन्होंने तुमको धोखा दिया और तुमसे अपने मिथ्या देवताओं की पोर में पूजा करवाई और उन्होंने तुममें से एक व्यक्ति का विवाह कोजबी के साथ लगभग करा दिया जो मिद्यानी नेता की पुत्री थी। यही स्त्री उस समय मारी गयी जब इस्राएली लोगों में बीमारी आई। बीमारी इसलिए उत्पन्न की गई कि लोग पोर में मिथ्या देवता बाल की पूजा कर रहे थे।”

दूसरी गिनती

26 बड़ी बीमारी के बाद यहोवा ने मूसा और हारून के पुत्र याजक एलीआज़ार से बातें कीं। उसने कहा, “सभी इस्राएली लोगों की संख्या गिनो। हर एक परिवार को देखो और बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र के हर एक पुरुष को गिनो। ये वे पुरुष हैं जो इस्राएल की सेना में सेवा करने योग्य हैं।”

इस समय लोग मोआब के मैदान में डेरा डाले थे। यह यरीहो के पार यरदन नदी के समीप था। इसलिए मूसा और याजक एलीआज़ार ने लोगों से बातें कीं। उन्होंने कहा, “तुम्हें बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र के हर एक पुरुष को गिनना चाहिए। यही वह आदेश था जो यहोवा ने मूसा को पालन करने के लिए दिया था।”

यहाँ उन इस्राएल के लोगों की सूची है जो मिस्र से आए थेः

ये रूबेन के परिवार के लोग हैं। (रूबेन इस्राएल (याकूब) का पहलौठा पुत्र था।) ये परिवार थेः

हनोक—हनोकी परिवार।

पल्लू—पल्लिय परिवार।

हेस्रोन—हेस्रोनी परिवार।

कर्मी—कर्मी परिवार।

रूबेन के परिवार समूह में वे परिवार थे। योग में सभी तैंतालीस हजार सात सौ तीस पुरुष थे।

पल्लू का पुत्र एलीआब था। एलीआब के तीन पुत्र थे—नमूएल, दातान और अबीराम। याद रखो कि दातान और अबीराम वे दो नेता थे जो मूसा और हारून के विरोधी हो गए थे। वे कोरह के अनुयायी थे और कोरह यहोवा का विरोधी हो गया था। 10 वही समय था जब पृथ्वी फटी थी और कोरह एवं उसके सभी अनुयायियों को निगल गई थी। कुल दो सौ पचास पुरुष मर गये थे। यह इस्राएल के सभी लोगों के लिए एक संकेत और चेतावनी थी। 11 किन्तु कोरह के परिवार के अन्य लोग नहीं मरे।

12 शिमोन के परिवार समूह के ये परिवार थेः

नमूएल—नमूएल परिवार।

यामीन—यामीन परिवार।

याकीन—याकीन परिवार।

13 जेरह—जेराही परिवार।

शाऊल—शाऊल परिवार।

14 शिमोन के परिवार समूह में वे परिवार थे। इसमें कुल बाइस हजार पुरुष थे।

15 गाद के परिवार समूह के ये परिवार हैं:

सपोन—सपोन परिवार।

हाग्गी—हाग्गी परिवार।

शूनी—शूनी परिवार।

16 ओजनी—ओजनी परिवार।

ऐरी—ऐरी परिवार।

17 अरोद—अरोद परिवार।

अरेली—अरेली परिवार।

18 गाद के परिवार समहू के वे परिवार थे। इनमें कुल चालीस हजार पाँच सौ पुरुष थे।

19-20 यहूदा के परिवार समूह के ये परिवार हैं:

शेला—शेला परिवार।

पेरेस—पेरेस परिवार।

जेरह—जेरह परिवार।

(यहूदा के दो पुत्र एर, ओनान—कनान में मर गए थे।)

21 पेरेस के ये परिवार हैं:

हेस्रोन—हेस्रोनी परिवार।

हामूल—हामूल परिवार।

22 यहूदा के परिवार समूह के वे परिवार थे। इनके कुल पुरुषों की संख्या छिहत्तर हजार पाँच सौ थी।

23 इस्साकार के परिवार समूह के परिवार ये थेः

तोला—तोला परिवार।

पुव्वा—पुव्वा परिवार।

24 याशूब—याशूब परिवार।

शिम्रोन—शिम्रोन परिवार।

25 इस्साकार के परिवार समूह के वे परिवार थे। इनमें कुल पुरुषों की संख्या चौसठ हजार तीन सौ थी।

26 जबूलून के परिवार समूह के परिवार ये थेः

सेरेद—सेरेद परिवार।

एलोन—एलोन परिवार।

यहलेल—यहलेल परिवार।

27 जबूलून के परिवार समूह के वे परिवार थे। इनमें कुल पुरुषों की संख्या साठ हजार पाँच सौ थी।

28 यूसुफ के दो पुत्र मनश्शे और एप्रैम थे। हर एक पुत्र अपने परिवारों के साथ परिवार समूह बन गया था। 29 मनश्शे के परिवार में ये थेः

माकीर—माकीर परिवार,

(माकीर गिलाद का पिता था।)

गिलाद—गिलाद परिवार।

30 गिलाद के परिवार ये थेः

ईएजेर—ईएजेर परिवार।

हेलेक—हेलेकी परिवार।

31 अस्रीएल—अस्रीएल परिवार।

शेकेम—शेकेमी परिवार।

32 शमीदा—शमीदा परिवार।

हेपेर—हेपेरी परिवार।

33 हेपेर का पुत्र सलोफाद था।

किन्तु उसका कोई पुत्र न था।

केवल पुत्री थी।

उसकी पुत्रियों के नाम महला, नोआ, होग्ला, मिल्का, और तिर्सा थे।

34 मनश्शे परिवार समूह के ये परिवार हैं। इनमें कुल पुरुष बावन हजार सात सौ थे।

35 एप्रैम के परिवार समूह के ये परिवार थेः

शूतेलह—शूतेलही परिवार।

बेकेर—बेकेरी परिवार।

तहन—तहनी परिवार।

36 एरान शूतेलह परिवार का था।

उसका परिवार एरनी था।

37 एप्रैम के परिवार समूह में ये परिवार थे।

कुल पुरुषों की संख्या इसमें बत्तीस हजार पाँच सौ थी। वे ऐसे सभी लोग हैं जो यूसुफ के परिवार समूहों के हैं।

38 बिन्यामीन के परिवार समूह के परिवार ये थेः

बेला—बेला परिवार।

अशबेल—अश्बेली परिवार।

अहीरम—अहीरमी परिवार।

39 शपूपाम—शपूपाम परिवार।

हूपाम—हूपामी परिवार।

40 बेला के परिवार में ये थेः

अर्द—अर्दी परिवार।

नामान—नामानी परिवार।

41 बिन्यामीन के परिवार समूह के ये सभी परिवार थे। इसमें पुरुषों की कुल संख्या पैंतालीस हजार छः सौ थी।

42 दान के परिवार समूह में ये परिवार थेः

शूहाम—शूहाम परिवार समूह।

दान के परिवार समूह से वह परिवार समूह था। 43 शूहामी परिवार समूह में बहुत से परिवार थे। इनमें पुरुषों की कुल संख्या चौंसठ हजार चार सौ थी।

44 आशेर के परिवार समूह के ये परिवार हैं:

यिम्ना—यिम्नी परिवार।

यिश्री—यिश्री परिवार।

बरीआ—बरीआ परिवार।

45 बरीआ के ये परिवार हैं

हेबेर—हेबेरी परिवार।

मल्कीएल—मल्कीएली परिवार।

46 (आशेर की एक पुत्री सेरह नाम की थी।) 47 आशेर के परिवार समूह में वे परिवार थे। इसमें पुरूषों की संख्या तिरपन हजार चार सौ थी।

48 नप्ताली के परिवार समूह के ये परिवार थेः

यहसेल—यहसेली परिवार।

गूनी—गूनी परिवार।

49 येसेर—येसेरी परिवार।

शिल्लेम—शिल्लेमी परिवार।

50 नप्ताली के परिवार समूह के ये परिवार थे। इसमें पुरुषों की कुल संख्या पैंतालीस हजार चार सौ थी।

51 इस प्रकार इस्राएल के पुरुषों की कुल संख्या छः लाख एक हजार सात सौ तीस थी।

52 यहोवा ने मूसा से कहा, 53 “हर एक परिवार समूह को भूमि दी जाएगी। यह वही प्रदेश है जिसके लिए मैंने वचन दिया था। हर एक परिवार समूह उन लोगों के लिये पर्याप्त भूमि प्राप्त करेंगे जिन्हें गिना गया। 54 बड़ा परिवार समूह अधिक भूमि पाएगा और छोटा परिवार समूह कम भूमि पाएगा। किन्तु हर एक परिवार समूह को भूमि मिलेगी जिसके लिए मैंने वचन दिया है और जो भूमि वे पाएंगे वह उनकी गिनी गई संख्या के बराबर होगी। 55 हर एक परिवार समूह को पासों के आधार पर निश्चय करके धरती दी जाएगी और उस प्रदेश का वही नाम होगा जो उस परिवार समूह का होगा। 56 वह प्रदेश जिसे मैंने लोगों को देने का वचन दिया, उनके उत्तराधिकार में होगा। यह बड़े और छोटे परिवार समूहों को दिया जाएगा। निर्णय करने के लिए तुम्हें पासे फेंकने होंगे।”

57 लेवी का परिवार समूह भी गिना गया। लेवी के परिवार समूह के ये परिवार हैं

गेर्शोन—गेर्शोन परिवार।

कहात—कहात परिवार।

मरारी—मरारी परिवार।

58 लेवी के परिवार समूह से ये परिवार भी थेः

लिब्नि परिवार।

हेब्रोनी परिवार।

महली परिवार।

मूशी परिवार।

कहात परिवार।

अम्राम कहात के परिवार समूह का था। 59 अम्राम की पत्नी का नाम योकेबेद था। वह भी लेवी के परिवार समूह की थी। उसका जन्म मिस्र में हुआ था। अम्राम और योकेबेद के दो पुत्र हारून और मूसा थे। उनकी एक पुत्री मरियम भी थी।

60 हारून, नादाब, अबीहू, एलीआज़ार तथा ईतामार का पिता था। 61 किन्तु नादाब और अबीहू मर गए। वे मर गए क्योंकि उन्होंने यहोवा को उस आग से भेंट चढ़ाई जो उनके लिए स्वीकृत नहीं थी।

62 लेवी परिवार समूह के सभी पुरुषों की संख्या तेईस हजार थी। किन्तु ये लोग इस्राएल के अन्य लोगों के साथ नहीं गिने गए थे। वे भूमि नहीं पा सके जिसे अन्य लोगों को देने का वचन यहोवा ने दिया था।

63 मूसा और याजक एलीआजार ने इन सभी लोगों को गिना। उन्होंने इस्राएल के लोगों को मोआब के मैदान में गिना। यह यरीहो से यरदन नदी के पार था। 64 बहुत समय पहले मूसा और याजक हारून ने इस्राएल के लोगों को सीनै मरुभूमि में गिना था। किन्तु वे सभी लोग मर चुके थे। मोआब के मैदान में मूसा ने जिन लोगों को गिना, वे पहले गिने गए लोगों से भिन्न थे। 65 यह इसलिए हुआ कि यहोवा ने इस्राएल के लोगों से यह कहा था कि वे सभी मरुभूमि मे मरेंगे। जो केवल दो जीवित बचे थे यपुन्ने का पुत्र कालेब और नून का पुत्र यहोशू थे।

सलोफाद की पुत्रियाँ

27 सलोफाद हेपर का पुत्र था। हेपेर गिलाद का पुत्र था। गिलाद माकीर का पुत्र था। माकीर मनश्शे का पुत्र था और मनश्शे यूसुफ का पुत्र था। सलोफाद की पाँच पुत्रियाँ थीं। उनके नाम महला, नोवा, होग्ला, मिल्का और तिर्सा था। ये पाँचों स्त्रियाँ मिलापवाले तम्बू में गईं और मूसा, याजक एलीआजार, नेतागण और सब इस्राएलियों के सामने खड़ी हो गईं।

पाँचों पुत्रियों ने कहा, “हमारे पिता उस समय मर गये जब हम लोग मरुभूमि से यात्रा कर रहे थे। वह उन लोगों में से नहीं था जो कोरह के दल में सम्मिलित हुए थे। (कोरह वही था जो यहोवा के विरुद्ध हो गया था।) हम लोगों के पिता की मृत्यु स्वाभाविक थी। किन्तु हमारे पिता का कोई पुत्र नहीं था। इसका तात्पर्य यह हुआ कि हमारे पिता का नाम नहीं चलेगा। यह ठीक नहीं है कि हमारे पिता का नाम मिट जाए। इसलिए हम लोग यह माँग करते हैं कि हमें भी कुछ भूमि दी जाए जिसे हमारे पिता के भाई पाएंगे।”

इसलिए मूसा ने यहोवा से पूछा कि वह क्या करे। यहोवा ने उससे कहा, “सलोफाद की पुत्रियाँ ठीक कहती हैं। तुम्हें उनके चाचाओं के साथ—साथ उन्हें भी भूमि का भाग अवश्य देना चाहिए जो तुम उनके पिता को देते।

“इसलिए इस्राएल के लोगों के लिए इसे नियम बना दो। यदि किसी व्यक्ति के पुत्र न हों और वह मर जाए तो हर एक चीज़ जो उसकी है, उसकी पुत्री की होगी। यदि उसे कोई पुत्री न हो तो, जो कुछ भी उसका है उसके भाईयों को दिया जाएगा। 10 यदि उसका कोई भाई न हो तो, जो कुछ उसका है उसके पिता के भाईयों को दिया जाएगा। 11 यदि उसके पिता का कोई भाई नहीं है तो, जो कुछ उसका हो उसे उसके परिवार के निकटतम सम्बन्धी को दिया जाएगा। इस्राएल के लोगों में यह नियम होना चाहिए। यहोवा मूसा को यह आदेश देता है।”

यहोशू को नया नेता चुना गया

12 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “उस पर्वत के ऊपर चढ़ो। जो अबारीम पर्वत श्रृंखला में से एक है। वहाँ तुम उस प्रदेश को देखोगे जिसे मैं इस्राएल के लोगों को दे रहा हूँ। 13 जब तुम इस प्रदेश को देख लोगे तब तुम अपने भाई हारून की तरह मर जाओगे। 14 उस बात को याद करो जब लोग सीन की मरुभूमि में पानी के लिए क्रोधित हुए थे। तुम और हारून दोनों ने मेरा आदेश मानना अस्वीकार किया था। तुम लोगों ने मेरा सम्मान नहीं किया था और लोगों के सामने मुझे पवित्र नहीं बनाया था।” (यह पानी सीन की मरुभूमि में कादेश के अन्तर्गत मरीबा में था।)

15 मूसा ने यहोवा से कहा, 16 “यहोवा परमेश्वर है वही जानता है कि लोग क्या सोच रहे हैं। यहोवा मेरी प्रार्थना है कि तू इन लोगों के लिए एक नेता चुन।[e] 17 मैं प्रार्थना करता हूँ कि यहोवा एक ऐसा नेता चुन जो उन्हें इस प्रदेश से बाहर ले जाएगा तथा उन्हें नये प्रदेश में पहुँचायेगा। तब यहोवा के लोग गड़ेरिया रहित भेड़ के समान नहीं होंगे।”

18 इसलिए यहोवा ने मूसा से कहा, नून का पुत्र यहोशू नेता होगा। यहोशू बहुत बुद्धिमान है[f] उसे नया नेता बनाओ। 19 उससे याजक एलीआज़ार और सभी लोगों के सामने खड़े होने को कहो। तब उसे नया नेता बनाओ।

20 “लोगों को यह दिखाओ कि तुम उसे नेता बना रहे हो, तब सभी उसका आदेश मानेंगे। 21 यदि यहोशू कोई विशेष निर्णय लेना चाहेगा तो उसे याजक एलीआज़ार के पास जाना होगा। एलीआज़ार ऊरीम का उपयोग यहोवा के उत्तर को जानने के लिए करेगा। तब यहोशू और इस्राएल के सभी लोग वह करेंगे जो परमेश्वर कहेगा। यदि परमेश्वर कहेगा, ‘युद्ध करने जाओ।’ तो वे युद्ध करने जाएंगे और यदि परमेश्वर कहे, ‘घर जाओ,’ तो घर जायेंगे।”

22 मूसा ने यहोवा की आज्ञा मानी। मूसा ने यहोशू से याजक एलीआज़ार और इस्राएल के सब लोगों के सामने खड़ा होने के लिए कहा। 23 तब मूसा ने अपने हाथों को उसके सिर पर यह दिखाने के लिए रखा कि वह नया नेता है। उसने यह वैसे ही किया जैसा यहोवा ने कहा था।

नित्य—भेंट

28 तब यहोवा ने मूसा से बात की। उसने कहा, “इस्राएल के लोगों को यह आदेश दो। उनसे कहो कि वे ठीक समय पर निश्चयपूर्वक मुझे विशेष भेंट चढ़ाएं। उनसे कहो कि वे अन्नबलि और होमबलि चढ़ाएं। यहोवा उन होमबलियों की सुगन्ध पसन्द करता है। इन होमबलियों को उन्हें यहोवा को चढ़ाना ही चाहिए। उन्हें दोषरहित एक वर्ष के दो मेढ़े नित्य भेंट के रूप में चढ़ाना चाहिए। मेढ़ों में से एक को सवेरे चढ़ाओ और दूसरे मेढ़े को संध्या के समय। इसके अतिरिक्त दो क्वार्ट[g] अन्नबलि एक क्वार्ट[h] जैतून के तेल के साथ मिला आटा दो।” (उन्होंने सीनै पर्वत पर नित्य भेंट देनी आरम्भ की थी। यहोवा ने उन होमबलियों की सुगन्ध पसन्द की थी।) लोगों को होमबलि के साथ पेय भेंट भी चढ़ानी चाहिए। उन्हें हर एक मेमने के साथ एक क्वार्ट दाखमधु देनी चाहिए। उस पेय भेंट को पवित्र स्थान में वेदी पर डालो। यह यहोवा को भेंट है। दूसरे मेढ़े की भेंट गोधूलि के समय चढ़ाओ। इसे सवेरे की भेंट की तरह चढ़ाओ। वैसे ही पेय भेंट भी चढ़ाओ। ये आग द्वारा दी गई भेंट होगी। इस की सुगन्ध यहोवा को प्रसन्न करेगी।

सब्त भेंट

“शनिवार को, जो छुट्टी का दिन है, एक वर्ष के दोष रहित दो मेमने जैतून के तेल के साथ मिले चार क्वार्ट[i] अच्छे आटे की अन्नबलि और पेय भेंट चढ़ाओ। 10 यह छुट्टी के दिन की विशेष भेंट है। यह भेंट नियमित नित्य भेंट और पेय भेंट के अतिरिक्त है।”

मासिक बैठकें

11 “हर एक महीने के प्रथम दिन तुम यहोवा को होमबलि चढ़ाओगे। यह भेंट दोष रहित दो बैलों, एक मेढ़ा और सात एक वर्ष के मेमनों की होगी। 12 हर एक बैल के साथ जैतून के तेल के साथ मिले छः क्वार्ट[j] अच्छे आटे की अन्नबलि भी चढ़ाओ। हर एक मेढ़े के साथ जैतून के तेल के साथ मिले चार क्वार्ट अच्छे आटे की अन्नबलि भी चढ़ाओ। 13 हर एक मेमने के साथ जैतून के तेल के साथ मिले दो क्वार्ट अच्छे आटे की अन्नबलि भी चढ़ाओ। यह ऐसी होमबलि होगी जो यहोवा के लिए मधुर गन्ध होगी। 14 पेय भेंट में दो क्वार्ट दाखमधु हर एक बैल के साथ, एक चौथाई क्वार्ट[k] दाखमधु हर एक मेढ़े के साथ और एक क्वार्ट दाखमधु हर एक मेमने के साथ होगी। यह होमबलि है जो वर्ष के हर एक महीने चढ़ाई जानी चाहिए। 15 नित्य दैनिक होमबलि और पेय भेंट के अतिरिक्त तुम्हें यहोवा को एक बकरा देना चाहिए। वह बकरा पापबलि होगा।

फसह पर्व

16 “पहले महीने के चौदहवें दिन यहोवा के सम्मान में फसह पर्व होगा। 17 उस महीने के पन्द्रहवें दिन अखमीरी रोटी की दावत आरम्भ होती है। यह पर्व सात दिन तक रहता है। तुम वही रोटी खा सकते हो जो अखमीरी हो। 18 इस पर्व के पहले दिन तुम्हें विशेष बैठक बुलानी चाहिए। उस दिन तुम कोई काम नहीं करोगे। 19 तुम यहोवा को होमबलि दोगे। यह होमबलि दोष रहित दो बैल, एक मेढ़ा और एक वर्ष के सात मेमनों की होगी। 20-21 हर एक बैल के साथ जैतून के तेल के साथ मिले हुए छ: क्वार्ट अच्छे आटे। मेढ़े के साथ जैतून के तेल के साथ मिले हुए चार क्वार्ट अच्छ आटे और हर एक मेमने के साथ दो क्वार्ट जैतून के तेल के साथ मिले हुए आटे की अन्नबलि भी होगी। 22 तुम्हें एक बकरा भी देना चाहिए। वह बकरा तुम्हारे लिए पापबलि होगा। यह तुम्हारे पापो को ढकेगा। 23 तुम लोगों को वे भेंटे उन भेंटों के अतिरिक्त देनी चाहिए जो तुम हर एक सवेरे होमबलि के रूप में देते हो।

24 “उसी प्रकार तुम्हें सात दिन तक आग द्वारा भेंट देनी चाहिए और इसके साथ पेय भेंट भी देनी चाहिए। यह भेंट यहोवा के लिए मधुर गन्ध होगी। तुम्हें ये भेंटें होमबलि के अतिरिक्त देनी चाहिए जो तुम प्रतिदिन देते हो।

25 “तब फसह पर्व के सातवें दिन तुम एक विशेष बैठक बुलाओगे और उस दिन तुम कोई काम नहीं करोगे।

सप्ताहों का पर्व (कटनी का पर्व)

26 “प्रथम फल का पर्व या सप्ताहों के पर्व के समय तुम यहोवा के नये फसल की अन्नबलि दो। उस समय तुम्हें एक विशेष बैठक भी बुलानी चाहिए। तुम उस दिन कोई काम नहीं करोगे। 27 तुम होमबलि चढ़ाओगे। वह बलि यहोवा के लिए सुगन्ध होगी। तुम दोष रहित दो साँड, एक मेढ़ा और एक वर्ष के सात मेमनों की भेंट चढ़ाओगे। 28 तुम हर एक साँड के साथ जैतून के तेल के साथ मिले हुए छः क्वार्ट अच्छे आटे, हर एक मेढ़े के साथ चार क्वार्ट 29 और हर एक मेमने के साथ दो क्वार्ट आटे की भेंट चढ़ाओगे। 30 तुम्हें अपने पापों को ढकने के लिए एक बकरे की बलि चढ़ानी चाहिए। 31 तुम्हें यह भेंट प्रतिदिन होमबलि और इसकी अन्नबलि के अतिरिक्त चढ़ानी चाहिए। निश्चय कर लो कि जानवरों में कोई दोष न हो और यह निश्चय कर लो कि पेय भेंट ठीक है।

बिगुल का पर्व

29 “सातवें महीने के प्रथम दिन एक विशेष बैठक होगी। तुम उस दिन कोई काम नहीं करोगे। वह बिगुल बजाने[l] का दिन है। तुम होमबलि चढ़ाओगे। ये भेंटें यहोवा के लिए मधुर गन्ध होगी। तुम दोष रहित एक साँड, एक मेढ़ा और एक वर्ष के सात मेमनों की भेंट चढ़ाओगे। तुम छः क्वार्ट तेल मिला अच्छा आटा भी बैल के साथ, चार क्वार्ट मेढ़े के साथ और सात मेमनों में से हर एक के साथ दो क्वार्ट आटे की भेंट चढ़ाओगे। इसके अतिरिक्त, पापबलि के लिए एक बकरा भी चढ़ाओगे। यह तुम्हारे पापों को ढकेगी। ये भेंटें नवचन्द्र बलि और उसकी अन्नबलि के अतिरिक्त होगी और ये नित्य की भेंटों, इसकी अन्नबलियों तथा पेय भेंटों के अतिरिक्त होगी। ये नियम के अनुसार की जानी चाहिए। इन्हें आग में जलाना चाहिए। इसकी सुगन्धि यहोवा को प्रसन्न करेगी।

प्रायश्चित का दिन

“सातवें महीने के दसवें दिन एक विशेष बैठक होगी। उस दिन तुम उपवास करोगे[m] और तुम कोई काम नहीं करोगे। तुम होमबलि दोगे। यह यहोवा के लिए मधुर गन्ध होगी। तुम दोष रहित दो साँड, एक मेढ़ा और एक वर्ष के सात मेमनों की भेंट चढ़ाओगे। तुम हर एक बैल के साथ जैतून के मिले हुए छ: क्वार्ट आटे, मेढ़े के साथ चार क्वार्ट आटे 10 और हर एक सातों मेमनों के साथ दो क्वार्ट आटे की भेंट चढ़ाओगे। 11 तुम एक बकरा भी पापबलि के रूप में चढ़ाओगे। यह प्रायश्चित के दिन की पापबलि के अतिरिक्त होगी। यह दैनिक बलि, अन्न और पेय भेंटों के भी अतिरिक्त होगी।

बटोरने का पर्व

12 “सातवें महीने के पन्द्रहवें दिन एक विशेष बैठक होगी। तुम उस दिन कोई काम नहीं करोगे। तुम यहोवा के लिए सात दिन तक छुट्टी मनाओगे। 13 तुम होमबलि चढ़ाओगे। यह यहोवा के लिए मधुर गन्ध होगी। तुम दोष रहित तेरह साँड, दो मेढ़े और एक—एक वर्ष के चौदह मेमनें भेंट चढ़ाओगे। 14 तुम तेरह बैलों में से हर एक के साथ जैतून के साथ मिले हुए छः क्वार्ट आटे, दोनों मेढ़ों में से हर एक के लिए चार क्वार्ट 15 और चौदह मेढ़ों में से हर एक के लिए दो क्वार्ट आटे की भेंट चढ़ाओगे। 16 तुम्हें एक बकरा भी पापबलियों के रूप में अर्पित करना चाहिए। यह दैनिकबलि, अन्न और पेय भेंट के अतिरिक्त होगी।

17 “इस पर्व के दूसरे दिन तुम्हें दोष, रहित बारह साँड, दो मेढ़ें और एक—एक वर्ष के चौदह मेमनों की भेंटे चढ़ानी चाहिए। 18 तुम्हें साँड, मेढ़ों और मेमनों के साथ अपेक्षित मात्रा में अन्न और पेय भेंट भी चढ़ानी चाहिए। 19 तुम्हें पापबलि के रूप में एक बकरे की भी भेंट देनी चाहिए। यह दैनिक बलि और अन्नबलि तथा पेय भेंट के अतिरिक्त भेंट होगी।

20 “इस छुट्टी के तीसरे दिन तुम्हें दोष रहित ग्यारह साँड, दो मेढ़े और एक—एक वर्ष के चौदह मेमनों की भेंट चढ़ानी चाहिए। 21 तुम्हें बैलों, मेढ़ों और मेमनों के साथ अपेक्षित मात्रा में अन्न और पेय की भेंट भी चढ़ानी चाहिए। 22 तुम्हें पापबलि के रूप में एक बकरे की भी भेंट देनी चाहिए। यह दैनिक बलि और अन्नबलि तथा पेय भेंट के अतिरिक्त भेंट होनी चाहिए।

23 “इस छुट्टी के चौथे दिन तुम्हें दोष रहित दस साँड, दो मेढ़े और एक—एक वर्ष के चौदह मेमनों की भेंट चढ़ानी चाहिए। 24 तुम्हें बैलों, मेढ़ों और मेमनों के साथ अपेक्षित मात्रा में अन्न और पेय की भेंट चढ़ानी चाहिए। 25 तुम्हें पापबलि के रूप में एक बकरे की भी भेंट देनी चाहिए। यह दैनिक बलि और अन्नबलि तथा पेय भेंट के अतिरिक्त भेंट होगी।

26 “इस छुट्टी के पाँचवें दिन तुम्हें दोष रहित नौ साँड, दो मेढ़े और एक—एक वर्ष के चौदह मेमनों की भेंट चढ़ानी चाहिए। 27 तुम्हें बैलों, मेढ़ों और मेमनों के साथ अपेक्षित मात्रा में अन्न तथा पेय की भी भेंट चढ़ानी चाहिए। 28 तुम्हें पापबलि के रूप में एक बकरे की भी भेंट देनी चाहिए। यह दैनिक बलि और अन्नबलि तथा पेय भेंट के अतिरिक्त भेंट होगी।

29 “इस छुट्टी के छठे दिन तुम्हें दोष रहित आठ साँड, दो मेढ़ें और एक—एक वर्ष के चौदह मेमनों की भेंट चढ़ानी चाहिए। 30 तुम्हें बैलों, मेढ़ों और मेमनों के साथ अपेक्षित मात्रा में अन्न और पेय की भेंट भी चढ़ानी चाहिए। 31 तुम्हें पापबलि के रूप में एक बकरे की भी भेंट देनी चाहिए। यह दैनिक बलि और अन्नबलि तथा पेय भेंट के अतिरिक्त भेंट होगी।

32 “इस छुट्टी के सातवें दिन तुम्हें दोष रहित सात साँड, दो मेढ़े, और एक—एक वर्ष के चौदह मेमनों की भेंट चढ़ानी चाहिए। 33 तुम्हें बैलो, मेढ़ों और मेमनो के साथ अपेक्षित मात्रा में अन्न और पेय की भी भेंट चढ़ानी चाहिए। 34 तुम्हें पापबलि के रूप में एक बकरे की भी भेंट देनी चाहिए। यह दैनिक बलि और अन्नबलि तथा पेय भेंट के अतिरिक्त भेंट होगी।

35 “इस छुट्टी का आठवाँ दिन तुम्हारी विशेष बैठक का दिन है। तुम्हें उस दिन कोई काम नहीं करना चाहिए। 36 तुम्हें होमबलि चढ़ानी चाहिए। ये आग द्वारा दी गई भेंट होगी। यह यहोवा के लिए मधुर सुगन्ध होगी। तुम्हें दोषरहित एक साँड, एक मेढ़ा और एक—एक वर्ष के सात मेमने भेंट में चढ़ाने चाहिए। 37 तुम्हें साँड, मेढ़ा और मेमनों के लिए अपेक्षित मात्रा में अन्न और पेय की भी भेंट देनी चाहिए। 38 तुम्हें पापबलि के रूप में एक बकरे की भी भेंट देनी चाहिए। यह दैनिक बलि और अन्नबलि तथा पेय भेंट के अतिरिक्त भेंट होनी चाहिए।

39 “वे (तुम्हारे) विशेष छुट्टियाँ यहोवा के सम्मान के लिए हैं। तुम्हें उन विशेष मनौतियों, स्वेच्छा भेंटों, होमबलियों मेलबलियों या अन्न और पेय भेंटे, जो तुम यहोवा को देना चाहते हो, उसके अतिरिक्त इन विशेष दिनों को मनाना चाहिए।”

40 मूसा ने इस्राएल के लोगों से उन सभी बातों को कहा जो यहोवा ने उसे आदेश दिया था।

विशेष दिए गए वचन

30 मूसा ने सभी इस्राएली परिवार समूहों के नेताओं से बातें कीं। मूसा ने यहोवा के इन आदेशों के बारे में उनसे कहाः

“यदि कोई व्यक्ति परमेश्वर को विशेष वचन देता है या यदि वह व्यक्ति यहोवा को कुछ विशेष अर्पित करने का वचन देता है तो उसे वैसा ही करने दो। किन्तु उस व्यक्ति को ठीक वैसा ही करना चाहिए जैसा उसने वचन दिया है।

“सम्भव है कि कोई युवती अपने पिता के घर पर ही रहती हो और वह युवती यहोवा को कुछ चढ़ाने का विशेष वचन देती है और उसका पिता इस वचन के विषय में सुनता है और उसे स्वीकार करत लेता है तो उस युवती को उस वचन को अवश्य ही पूरा कर देना चाहिए जिसे करने का उसने वचन दिया है। किन्तु यदि उसका पिता उसके दिये गये वचन के बारे में सुन कर उसे स्वीकार नहीं करता तो उस युवती को वह वचन पूरा नहीं करना है। उसके पिता ने उसे रोका अतः यहोवा उसे क्षमा करेगा।

“सम्भव है कोई स्त्री अपने विवाह से पहले यहोवा को कोई वचन देती है अथवा बात ही बात में बिना सोचे विचारे कोई वचन ले लेती है और बाद में उसका विवाह हो जाता है और पति दिये गये वचन के बारे में सुनता है और उसे स्वीकार करता है तो उस स्त्री को अपने दिये गए वचन के अनुसार काम को पूरा करना चाहिए। किन्तु यदि पति दिये गए वचन के बारे में सुनता है और उसे स्वीकार नहीं करता तो स्त्री को अपने दिये गए वचन को पूरा नहीं करना पड़ेगा। उसके पति ने उसका वचन तोड़ दिया और उसने उसे उसकी कही बात को पूरा नहीं करने दिया, अतः यहोवा उसे क्षमा करेगा।

“कोई विधवा या तलाक दी गई स्त्री विशेष वचन दे सकती है। यदि वह ऐसा करती है तो उसे ठीक अपने वचन के अनुसार करना चाहिए।

10 “एक विवाहित स्त्री यहोवा को कुछ चढ़ाने का वचन दे सकती है। 11 यदि उसका पति दिये गए वचन के बारे में सुनता है और उसे अपने वचन को पूरा करने देता है, तो उसे ठीक अपने दिए गए वचनों के अनुसार ही वह कार्य करना चाहिए। 12 किन्तु यदि उसका पति उसके दिये गए वचन को सुनता है और उसे वचन पूरा करने से इन्कार करता है, तो उसे अपने दिये वचन के अनुसार वह कार्य पूरा नहीं करना पड़ेगा। इसका कोई महत्व नहीं होगा कि उसने क्या वचन दिया था, उसका पति उस वचन को भंग कर सकता है। यदि उसका पति वचन को भंग करता है, तो यहोवा उसे क्षमा करेगा। 13 एक विवाहित स्त्री यहोवा को कुछ चढ़ाने का वचन दे सकती है या स्वयं को किसी चीज़ से वंचित रखने का वचन दे सकती है[n] या वह परमेश्वर को कोई विशेष वचन दे सकती है। उसका पति उन वचनों में से किसी को रोक सकता है या पति उन वचनों में से किसी को पूरा करने दे सकता है। 14 पति अपना पत्नी को कैसे अपने वचन पूरा करने देगा यदि वह दिये वचन के बारे में सुनता है और उन्हें रोकता नहीं है तो स्त्री को अपने दिए वचन के अनुसार कार्य को पूरा करना चाहिए। 15 किन्तु यदि पति दिये गए वचन के बारे में सुनता है और उन्हें रोकता है तो उसके वचन तोड़ने का उत्तरदायित्व पति पर होगा।”[o]

16 ये आदेश है जिन्हें यहोवा ने मूसा को दिया। ये आदेश एक व्यक्ति और उसकी पत्नी के बारे में है तथा पिता और उसकी उस पुत्री के बारे में है जो युवती हो और अपने पिता के घर में रह रही हो।

इस्राएल ने मिद्यानियों के विरुद्ध प्रत्याक्रमण किया

31 यहोवा ने मूसा से बात की। उसने कहा, “मैं इस्राएल के लोगों के साथ मिद्यानियों ने जो किया है उसके लिए उन्हें दण्ड दूँगा। उसके बाद, मूसा, तू मर जाएगा।”[p]

इसलिए मूसा ने लोगों से बात की। उसने कहा, “अपने कुछ पुरुषों को युद्ध के लिए तैयार करो। यहोवा उन व्यक्तियों का उपयोग मिद्यानियों को दण्ड देने में करेगा। ऐसे एक हजार पुरुषों को इस्राएल के हर एक कबीले से चुनो। इस्राएल के सभी परिवार समूहों से बारह हजार सैनिक होंगे।”

मूसा ने उन बारह हजार पुरुषों को युद्ध के लिए भेजा। उसने याजक एलीआज़ार को उनके साथ भेजा। एलीआज़ार ने अपने साथ पवित्र वस्तुएं, सींग और बिगुल ले लिए। इस्राएली लोगों के साथ वैसे ही लड़े जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था। उन्होंने सभी मिद्यानीं पुरुषों को मार डाला। जिन लोगों को उन्होंने मार डाला उनमें एवी, रेकेम, सूर, हूर, और रेबा ये पाँच मिद्यानी राजा थे। उन्होंने बोर के पुत्र बिलाम को भी तलवार से मार डाला।

इस्राएल के लोगों ने मिद्यानी स्त्रियों और बच्चों को बन्दी बनाया। उन्होंने उनकी सारी रेवड़ों, मवेशियों के झुण्डों और अन्य चीज़ों को ले लिया। 10 तब उन्होंने उनके उन सारे खेमों और नगरों में आग लगा दी जहाँ वे रहते थे। 11 उन्होंने सभी लोगों और जानवरों को ले लिया, 12 और उन्हें मूसा, याजक एलीआज़ार और इस्राएल के सभी लोगों के पास लाए। वे उन सभी चीज़ों को इस्राएल के डेरे में लाए जिन्हें उन्होंने वहाँ प्राप्त किया। इस्राएल के लोग मोआब में स्थित यरदन घाटी में डेरा डाले थे। यह यरीहो के समीप यरदन नदी के पूर्व की ओर था। 13 तब मूसा, याजक एलीआज़ार और लोगों के नेता सैनिकों से मिलने के लिए डेरों से बाहर गए।

14 मूसा सेनापतियों पर बहुत क्रोधित था। वह उन एक हजार की सेना के संचालकों और सौ की सेना के संचालकों पर क्रोधित था जो युद्ध से लौट कर आए थे। 15 मूसा ने उनसे कहा, “तुम लोगों ने स्त्रियों को क्यों जीवित रहने दिया 16 देखो यह स्त्री ही थी जिसके कारण बिलाम की घटना में इस्रालियों के लिए समस्याएं पैदा हुईं और पोर में वे यहोवा के विरुद्ध हो गये जिससे इस्राएल के लोगों को महामारी झेलनी पड़ी। 17 अब सभी मिद्यानी लड़कों को मार डालो और उन सभी मिद्यानी स्त्रियों को मार डालो जो किसी व्यक्ति के साथ रही हैं। उन सभी स्त्रियों को मार डालो जिनका किसी पुरुष के साथ यौन सम्बन्ध था। 18 तुम केवल उन सभी लड़कियों को जीवित रहने दे सकते हो जिनका किसी पुरुष के साथ यौन सम्बन्ध नहीं हुआ है। 19 तब अन्य व्यक्तियों को मारने वाले तुम लोगों को सात दिन तक डेरे के बाहर रहना पड़ेगा। तुम्हें डेरे से बाहर रहना होगा यदि तुमने किसी शव को छूआ हो। तीसरे दिन तुम्हें और तुम्हारे बन्दियों को अपने आप को शुद्ध करना होगा। तुम्हें वही कार्य सातवें दिन फिर करना होगा। 20 तुम्हें अपने सभी कपड़े धोने चाहिए। तुम्हें चमड़े की बनी हर वस्तु ऊनी और लकड़ी की बनी वस्तुओं को भी धोना चाहिए। तुम्हें शुद्ध हो जाना चाहिए।”

21 तब याजक एलीआज़ार ने सैनिकों से बात की। उसने कहा, “ये नियम वे ही हैं जिन्हें यहोवा ने मूसा को दिए थे। वे नियम युद्ध से लौटने वाले सैनिकों के लिए हैं। 22-23 किन्तु जो चीज़ें आग में डाली जा सकती हैं उनके बारे में अलग—अलग नियम हैं। तुम्हें सोना, चाँदी, काँसा, लोहा, टिन या सीसे को आग में डालना चाहिए और जब उन्हें पानी से धोओ वे शुद्ध हो जाएंगी। यदि चीज़ें आग में न डाली जा सकें तो तुम्हें उन्हें पानी से धोना चाहिए। 24 सातवें दिन तुम्हें अपने सारे वस्त्र धोने चाहिए। जब तुम शुद्ध हो जाओगे।”

25 उसके बाद तुम डेरे में आ सकते हो। तब यहोवा ने मूसा से कहा, 26 “मूसा तुम्हें याजक एलीआज़ार और सभी नेताओं को चाहिए कि तुम उन बन्दियों, जानवरों और सभी चीज़ों को गिनो जिन्हें सैनिक युद्ध से लाऐ हों। 27 तब उन चीज़ों को युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों और शेष इस्राएल के लोगों में बाँट देना चाहिए। 28 जो सैनिक युद्ध में भाग लेने गये थे उनसे उन चीज़ों का आधा लो। वह हिस्सा यहोवा का होगा। हर एक पाँच सौ चीजों में से एक यहोवा का हिस्सा होगा। इसमें व्यक्ति मवेशी, गधे और भेड़ें सम्मिलित हैं। 29 सैनिकों ने युद्ध में जो चीज़ें प्राप्त कीं उनका आधा हर एक से लो। तब उन चीज़ों को (प्रत्येक पाँच सौ में से एक) याजक एलीआज़ार को दो। वह भाग यहोवा का होगा 30 और तब बाकी के लोगों के आधे में से हर एक पचास चीज़ों में से एक चीज़ लो। इसमें व्यक्ति, मवेशी, गधा, भेड़ या कोई अन्य जानवर शामिल हैं। यह हिस्सा लेविवंशी को दो। क्यों क्योंकि लेवीवंशी यहोवा के पवित्र तम्बू की देखभाल करते हैं।”

31 इस प्रकार मूसा और याजक एलीआज़ार ने वही किया जो मूसा को यहोवा का आदेश था। 32 सैनिकों ने छः लाख पचहत्तर हजार भेड़ें, 33 बहत्तर हजार मवेशी, 34 एकसठ हजार गधे, 35 बत्तीस हजार स्त्रियाँ लूटी थीं। (ये ऐसी स्त्रियाँ थीं जिनका किसी पुरुष के साथ यौन सम्बन्ध नहीं हुआ था।) 36 जो सैनिक युद्ध में गए थे उन्होंने अपने हिस्से की तीन लाख सैंतीस हजार पाँच सौ भेड़ें प्राप्त कीं। 37 उन्होंने छः सौ पचहत्तर भेड़ें यहोवा को दीं। 38 सैनिकों को छत्तीस हजार मवेशी मिले। उन्होंने बहत्तर यहोवा को दिए। 39 सैनिकों ने साढ़े तीस हजार गधे प्राप्त किये। उन्होंने यहोवा को एकसठ गधे दिये। 40 सैनिकों को सोलह हजार स्त्रियाँ मिलीं। उन्होंने बत्तीस स्त्रियाँ यहोवा को दीं। 41 यहोवा के आदेश के अनुसार मूसा ने यहोवा के लिए दी गई उन सारी भेटों को याजक एलीआज़ार को दे दिया।

42 तब मूसा ने लोगों को प्राप्त आधे हिस्से को गिना। यह वह हिस्सा था जिसे मूसा ने युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों से लिया था। 43 लोगों ने तीन लाख सैंतीस हजार पाँच सौ भेड़ें, 44 छत्तीस हजार मवेशी, 45 तीस हजार पाँच सौ गधे 46 और सोलह हजार स्त्रियाँ प्राप्त कीं। 47 मूसा ने हर एक पचास चीज़ों पर एक चीज़ यहोवा के लिए ली। इसमें जानवर और व्यक्ति दोनों शामिल थे। तब उन चीज़ों को उसने लेवीवंशी को दे दिया। क्यों क्योंकि वे यहोवा के पवित्र तम्बू की देखभाल करते थे। मूसा ने यह यहोवा के आदेश के अनुसार किया।

48 तब सेना के संचालक (एक हजार सैनिकों के सेनापति तथा एक सौ सैनिकों के सेनापति) मूसा के पास गए। 49 उन्होंने मूसा से कहा, “तेरे सेवक हम लोगों ने अपने सभी सैनिकों को गिना है। हम लोगों में से कोई भी कम नहीं है। 50 इसलिए हम लोग हर एक सैनिक से यहोवा की भेंट ला रहे हैं। हम लोग सोने की चीज़ें बाजूबन्द, शुजबन्द, अंगूठी, कान की बालियाँ और हार ला रहे हैं। यहोवा को ये भेंटें हमारे पापों के भुगतान के लिए हैं।”

51 इसलिए मूसा ने वे सभी सोने की चीज़ें लीं और याजक एलीआज़ार को उन्हें दिया। 52 एक हजार सैनिकों और सौ सैनिकों के सेनापतियों ने जो सोना एकत्र किया और यहोवा को दिया उसका वजन लगभग चार सौ बीस पौंड[q] था। 53 प्रत्येक सैनिक ने युद्ध में प्राप्त चीज़ों का अपना हिस्सा अपने पास रख लिया। 54 मूसा और एलीआज़ार ने एक हजार सैनिकों और एक सौ सैनिकों के सेनापतियों से सोना लिया। तब उन्होंने सोने को मिलापवाले तम्बू में रखा। यह भेंट एक यादगार[r] के रूप में इस्राएल के लोगों के लिए यहोवा के सामने थी।

यरदन नदी के पूर्व के परिवार समूह

32 रूबेन और गाद के परिवार समूहों के पास भारी संख्या में मवेशी थे। उन लोगों ने याजेर और गिलाद के समीप की भूमि को देखा। उन्होंने सोचा कि वह भूमि उनके मवेशियों के लिए ठीक है। इसलिए रूबेन और गाद परिवारसमूह के लोग मूसा के पास आए। उन्होंने मूसा, याजक एलीआज़ार तथा लोगों के नेताओं से बात की। 3-4 उन्होंने कहा, “तेरे सेवक, हम लोगों के पास भारी संख्या में मवेशी हैं और वह भूमि जिसे यहोवा ने इस्राएल के लोगों को युद्ध में दिया है, मवेशियों के लिए ठीक है। इस प्रदेश में अतारोत, दीबोन याजेर, निम्रा, हेशबोन, एलाले, सबाम नबो और बोन शामिल हैं। यदि तेरी स्वीकृति हो तो हम लोग चाहेंगे कि यह प्रदेश हम लोगों को दिया जाए। हम लोगों को यरदन नदी की दूसरी ओर न ले जाए।”

मूसा ने रूबेन और गाद के परिवार समूह से पूछा, “क्या तुम लोग यहाँ बसोगे और अपने भाईयों को यहाँ से जाने और युद्ध करने दोगे? तुम लोग इस्राएल के लोगों को निरूत्साहित क्यों करना चाहते हो? तुम लोग उन्हें नदी पार करने की सोचने नहीं दोगे और जो प्रदेश यहोवा ने उन्हें दिया है उसे नहीं लेने दोगे। तुम्हारे पिताओं ने मेरे साथ ऐसा ही किया। कादेशबर्ने से मैंने जासूसों को प्रदेश की छान—बीन करने के लिए भेजा। वे लोग एश्कोल घाटी तक गए। उन्होंने प्रदेश को देखा और उन लोगों ने इस्राएल के लोगों को उस धरती पर जाने को निरूत्साहित किया। उन लोगों ने इस्राएल के लोगों को उस प्रदेश में जाने की इच्छा नहीं करने दी जिसे यहोवा ने उनको दे दिया था। 10 यहोवा लोगों पर बहुत क्रोधित हुआ। यहोवा ने यह निर्णय सुनायाः 11 ‘मिस्र से आने वाले लोगों और बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति इस प्रदेश को नहीं देख पाएगा। मैंने इब्राहीम, इसहाक और याकूब को यह वचन दिया था। मैंने यह प्रदेश इन व्यक्तियों को देने का वचन दिया था। किन्तु इन्होंने मेरा अनुसरण पूरी तरह नहीं किया। इसलिए वे इस प्रदेश को नहीं पाएंगे। 12 केवल कनजी यपुन्ने के पुत्र कालेब और नून के पुत्र यहोशू ने यहोवा का पूरी तरह अनुसरण किया।’

13 “यहोवा इस्राएल के लोगों के विरुद्ध बहुत क्रोधित था। इसलिए यहोवा ने लोगों को चालीस वर्ष तक मरुभूमि में रोके रखा। यहोवा ने उनको तब तक वहाँ रोके रखा जब तक वे लोग, जिन्होंने यहोवा के विरुद्ध पाप किए थे, मर न गए 14 और अब तुम लोग वही कर रहे हो जो तुम्हारे पूर्वजों ने किया। अरे पापियो! क्या तुम चाहते हो कि यहोवा इस्राएल के लोगों के विरुद्ध और अधिक क्रोधित हो 15 यदि तुम लोग यहोवा का अनुसरण करना छोड़ोगे तो यहोवा इस्राएल को और अधिक समय तक मरुभूमि में ठहरा देगा। तब तुम इन सभी लोगों को नष्ट कर दोगे!”

16 किन्तु रूबेन और गाद परिवार समूहों के लोग मूसा के पास गए। उन्होंने कहा, “यहाँ हम लोग अपने बच्चों के लिए नगर और अपने जानवरों के लिए बाड़े बनाएंगे। 17 तब हमारे बच्चे उन अन्य लोगों से सुरक्षित रहेंगे जो इस प्रदेश में रहते हैं। किन्तु हम लोग प्रसन्नता से आगे बढ़कर इस्राएल के लोगों की सहायता करेंगे। हम लोग उन्हें उनके प्रदेश में ले जाएंगे। 18 हम लोग तब तक घर नहीं लौटेंगे जब तक हर एक व्यक्ति इस्राएल में अपनी भूमि का हिस्सा नहीं पा लेता। 19 हम लोग यरदन नदी के पश्चिम में कोई भूमि नहीं लेंगे। नहीं। हम लोगों की भूमि का भाग यरदन नदी के पूर्व ही है।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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