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Bible in 90 Days

An intensive Bible reading plan that walks through the entire Bible in 90 days.
Duration: 88 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
निर्गमन 29-40

याजकों की नियुक्ति का उत्सव

29 “अब मैं तुम्हें बताऊँगा कि हारून और उसके पुत्र मेरी सेवा विशेष रूप में करते हैं, यह दिखाने के लिए तुम्हें क्या करना चाहिए। एक दोष रहित बछड़ा और दो दोष रहित मेढ़े लाओ। जिसमें खमीर न मिलाया गया हो ऐसा महीन आटा लो और उससे तीन तरह की रोटीयाँ बनाओ—पहली बिना खमीर की सादी रोटी। दूसरी तेल का मोमन डली रोटी और तीसरी वैसे ही आटे की छोटी पतली रोटी बनाकर उस पर तेल चुपड़ो। इन रोटियों को एक टोकरी में रखो और फिर इस टोकरी को हारून और उसके पुत्रों को दो, साथ ही वह बछड़ा और दोनों मेढ़े भी दो।

“तब हारून और उसके पुत्रों को मिलापवाले तम्बू के द्वार के सामने लाओ, तब उन्हें पानी से नहलाओ। हारून की विशेष पोशाक उसे पहनाओ, लबादा, चोगा और एपोद। फिर उस पर सीनाबन्द, फिर विशेष पटुका बाँधो और फिर पगड़ी उसके सिर पर बाँधो। सोने की पट्टी को जो एक विशेष मुकुट के जैसी है पगड़ी के चारों ओर बाँधो और जैतून का तेल डालो जो बताएगा कि हारून इस काम के लिए चुना गया है।”

“तब उसके पुत्रों को उस स्थान पर लाओ और उन्हें चोंगे पहनाओ। तब उनकी कमर के चारों ओर पटुके बाँधो। उन्हें पहनने को पगड़ी दो। उस समय से वे याजक के रूप में काम करना आरम्भ करेंगे। वे उस नियम के अनुसार जो सदा रहेगा, याजक होंगे। यही ढंग है जिससे तुम हारून और उसके पुत्रों को याजक बनाओगे।”

10 “तब मिलापवाले तम्बू के सामने के स्थान पर बछड़े को लाओ। हारून और उसके पुत्रों को चाहिए कि वे बछड़े के सिर पर हाथ रखें। 11 तब उस बछड़े को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के सामने मार डालो। 12 तब बछड़े का कुछ खून लो और वेदी तक जाओ। अपनी उँगली से वेदी पर लगे सींगों पर कुछ खून लगाओ। बचा हुआ सारा खून नीचे वेदी पर डालो। 13 तब बछड़े में से सारी चर्बी निकालो। तब कलेजे के चारों ओर की चर्बी और दोनों गुर्दे और उसके चारों ओर की चर्बी लो। इस चर्बी को वेदी पर जलाओ। 14 तब बछड़े के माँस, उसके चमड़े और उसके दूसरे अंगों को लो और अपने डेरे से बाहर जाओ। इन चीज़ों को डेरे के बाहर जलाओ। यह भेंट है जो याजकों के पापों को दूर करने के लिए चढ़ाई जाती है।

15 “तब हारून और उसके पुत्रों से मेढ़े के सिर पर हाथ रखने को कहो। 16 तब उस मेढ़े को मार डालो और उसके खून को लो। खून को वेदी के चारों ओर छिड़को। 17 तब मेढ़े को कई टुकड़ों में काटो। मेढ़े के भीतर के सभी अंगो और पैरों को धोओ। इन चीज़ों को सिर तथा मेढ़े के अन्य टुकड़ों के साथ रखो। 18 तब वेदी पर इन को जलाओ। यह वह विशेष भेंट है जो जलाई जाती है। यह होमबलि यहोवा के लिए है। इसकी सुगन्ध यहोवा को प्रसन्न करेगी। यह ऐसी होमबलि है जो यहोवा को आग के द्वारा दी जाती है।

19 “हारून और उसके पुत्रों को दूसरे मेढ़े पर हाथ रखने को कहो। 20 उस मेढ़े को मारो और उसका कुछ खून लो। उस खून को हारून और उसके पुत्रों के दाएं कान के निचले भाग में लगाओ। उनके दाएँ हाथ के अंगूठों पर भी कुछ खून लगाओ और कुछ खून उनके दाएँ पैर के अगूँठों पर लगाओ। बाकी के खून को वेदी के चारों ओर छिड़को। 21 तब वेदी पर छिड़के खून में से कुछ खून लो। इसे अभिषेक के तेल में मिलाओ और हारून तथा उसके वस्त्रों पर छिड़को और उसके पुत्रों और उनके वस्त्रों पर भी छिड़को। यह बताएगा कि हारून और उसके पुत्र मेरी सेवा विशेष रूप से करते हैं। और यह सूचित करेगा कि उनके वस्त्र विशेष अवसर पर ही काम में आते हैं।

22 “तब उस मेढ़े से चर्बी लो। (यही मेढ़ा है जिसका उपयोग हारून को महायाजक बनाने में होगा।) पूँछ के चारों ओर की चर्बी तथा उस चर्बी को लो जो शरीर के भीतर के अंगों को ढकती है, कलेजे को ढकने वाली चर्बी को लो, दोनो गुर्दों और दाएँ पैर को लो। 23 तब उस रोटी की टोकरी को लो जिसमें तुमने अख़मीरी रोटियाँ रखी थीं। यही टोकरी है जिसे तुम्हें यहोवा के सम्मुख रखना है। इन रोटियों को टोकरी से बाहर निकालो। एक रोटी, सादी, एक तेल से बनी और एक छोटी पतली चुपड़ी हुई। 24 तब इन को हारून और उसके पुत्रों को दो: फिर उनसे कहो कि वे यहोवा के सामने इन्हें अपने हाथों में उठाएँ। यह यहोवा को विशेष भेंट होगी। 25 तब इन रोटियों को हारून और उसके पुत्रों से लो और उन्हें वेदी पर मेढ़ें के साथ रखो। यह एक होमबलि है, यह यहोवा को ऐसी भेंट होगी जो आग के द्वारा दी जाती है। इस की सुगन्ध यहोवा को प्रसन्न करेगी।”

26 “तब इस मेढ़े से उसकी छाती को निकालो। (यही मेढ़ा है जिसका उपयोग हारून को महायाजक बनाने के लिए बलि दिया जाएगा।) मेढ़े की छाती को विशेष भेंट के रूप में यहोवा के सामने पकड़ो। जानवर का यह भाग तुम्हारा होगा। 27 तब मेढ़े की उस छाती और टाँग को लो जो हारून को महायाजक बनाने के लिए उपयोग में आयी थी। इन्हें पवित्र बनाओ और इन्हें हारून और उसके पुत्रों को दो। वह भेंट का विशेष अंश होगा। 28 इस्राएल के लोग इन अंगो को हारून और उसके पुत्रों को सदा देंगे। जब कभी इस्राएल के लोग यहोवा को मेलबलि चढ़ायेंगे तो ये भाग सदा याजकों के होंगे। जब वे इन भागों को याजकों को देंगे तो यह यहोवा को देने जैसा ही होगा।

29 “उन विशेष वस्त्रों को सुरक्षित रखो जो हारून के लिए बने थे। ये वस्त्र उसके उत्तराधिकारी वंशजों के लिए होंगे। वे उन वस्त्रों को तब पहनेंगे जब याजक नियुक्त किए जाएँगे। 30 हारून का जो पुत्र उसके बाद अगला महायाजक होगा, वह सात दिन तक उन वस्त्रों को पहनेगा, जब वह मिलापवाले तम्बू के पवित्र स्थान में सेवा करने आएगा।

31 “उस मेढ़े के माँस को पकाओ जो हारून को महायाजक बनाने के लिए उपयोग में आया था। उस माँस को एक पवित्र स्थान पर पकाओ। 32 तब हारून और उसके पुत्र मिलापवाले तम्बू के द्वार पर माँस खाएंगे, और वे उस टोकरी की रोटी भी खाएंगे। 33 इन भेटों का उपयोग उनके पाप को समाप्त करने के लिए तब हुआ था जब वे याजक बने थे। ये मेढ़े बस उन्हीं को खाना चाहिए किसी अन्य को नहीं। क्योंकि ये पवित्र हैं। 34 यदि उस मेढ़े का कुछ माँस या कोई रोटी अगले सवेरे के लिए बच जाए तो उसे जला देना चाहिए। तुम्हें वह रोटी या माँस नहीं खाना चाहिए क्योंकि यह केवल विशेष ढंग से विशेष समय पर ही खाया जाना चाहिए।

35 “वैसा ही करो जैसा मैंने तुम्हें हारून और उसके पुत्रों के लिए करने को आदेश दिया है। यह समारोह सात दिन तक चलेगा। 36 सात दिन तक हर रोज़ एक—एक बछड़े को मारो। यह हारून और उसके पुत्रों के पाप के लिए भेंट होगी। तुम इन दिनों दिए गए बलिदानों का उपयोग वेदी को शुद्ध करने के लिए करना और वेदी को पवित्र बनाने के लिए जैतून का तेल इस पर डालना। 37 तुम सात दिन तक वेदी को शुद्ध और पवित्र करना। उस समय वेदी अत्याधिक पवित्र होगी। वेदी को छूने वाली कोई भी चीज़ पवित्र हो जाएगी।

38 “हर एक दिन वेदी पर तुम्हें एक भेंट चढ़ानी चाहिए। तुम्हें एक—एक वर्ष के दो मेमनों की भेंट चढ़ानी चाहिए। 39 एक मेमने की भेंट प्रातःकाल चढ़ाओ और दूसरे की सन्ध्या के समय। 40-41 जब तुम पहले मेमने को मारो, दो पौण्ड[a] गेहूँ का महीन आटा भी भेंट चढ़ाओ। गेहूँ के आटे को एक क्वार्ट[b] भेंट स्वरूप दाखमधु में मिलाओ। जब तुम दूसरे मेमने को सन्ध्या के समय मारो तब दो पौण्ड महीन आटा भी भेंट में चढ़ाओ और एक क्वार्ट दाखमधु भी भेंट करो। यह वैसा ही है जैसा तुमने प्रातः काल किया था। यह यहोवा को भोजन की भेंट होगी। जब तुम उस भेंट को जलाओगे तो यहोवा इसकी सुगन्ध लेगा और यह उसे प्रसन्न करेगी।

42 “तुम्हें इन चीज़ों को यहोवा को भेंट में रोज़ जलाना चाहिए। यह यहोवा के सामने, मिलापवाले तम्बू के द्वार पर करो। यह सदा करते रहो। जब तुम भेंट चढ़ाओगे तब मैं अर्थात् यहोवा वहाँ तुम से मिलूँगा और तुमसे बातें करूँगा। 43 मैं इस्राएल के लोगों से उस स्थान पर मिलूँगा और वह स्थान मेरे तेज के कारण पवित्र बन जाएगा।

44 “इस प्रकार मैं मिलापवाले तम्बू को पवित्र बनाऊँगा और मैं वेदी को भी पवित्र बनाऊँगा और मैं हारून और उसके पुत्रों को पवित्र बनाऊँगा जिससे वे मेरी सेवा याजक के रूप में कर सकें। 45 मैं इस्राएल के लोगों के साथ रहूँगा। मैं उनका परमेश्वर होऊँगा। 46 लोग यह जानेंगे कि मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ। वे जानेंगे कि मैं ही वह हूँ जो उन्हें मिस्र से बाहर लाया ताकि मैं उनके साथ रह सकूँ। मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ।”

धूप जलाने की वेदी

30 परमेश्वर ने मूसा से कहा, “बबूल की लकड़ी की एक वेदी बनाओ। तुम इस वेदी का उपयोग धूप जलाने के लिए करोगे। तुम्हें वेदी को वर्गाकार अट्ठारह इंच लम्बी और अट्ठारह इंच चौड़ी बनानी चाहिए। यह छत्तीस इंच ऊँची होनी चाहिए। चारों कोनों पर सींग लगे होने चाहिए। ये सींग वेदी के साथ एक ही इकाई के रूप में वेदी के साथ जड़े जाने चाहिए। वेदी के ऊपरी सिरे तथा उसकी सभी भुजाओं को शुद्ध सोने से मढ़ो। वेदी के चारों ओर सोने की पट्टी लगाओ। इस पट्टी के नीचे सोने के दो छल्ले होने चाहिए। वेदी के दूसरी ओर भी सोने के दो छल्ले होने चाहिए। ये छल्ले वेदी को ले जाने के लिए बल्लियों को फँसाने के लिए होंगे। बल्लियों को भी बबूल की लकड़ी से ही बनाओ। बल्लियों को सोने से मढ़ो। वेदी को विशेष पर्दे के सामने रखो। साक्षीपत्र का सन्दूक उस पर्दे के दूसरी ओर है। उस सन्दूक को ढकने वाले ढक्कन के सामने वेदी रहेगी। यही वह स्थान है जहाँ मैं तुमसे मिलूँगा।

“हारून हर प्रातः सुगन्धित धूप वेदी पर जलाएगा। वह यह तब करेगा जब वह दीपकों की देखभाल करने आएगा। उसे शाम को जब वह दीपकों की देखभाल करने आए फिर धूप जलानी चाहिए। जिससे यहोवा के सामने नित्य प्रति सुबह शाम धूप जलती रहे। इस वेदी का उपयोग किसी अन्य प्रकार की धूप या होमबलि के लिए मत करना। इस वेदी का उपयोग अन्नबलि या पेय भेंट के लिए मत करना।

10 “वर्ष में एक बार हारून यहोवा को विशेष बलिदान अवश्य चढ़ाए। हारून पापबलि के खून का उपयोग लोगों के पापों को धोने के लिए करेगा, हारून इस वेदी के सींगों पर यह करेगा। यह दिन प्रायश्चित का दिन कहलाएगा। यह यहोवा के लिए अति पवित्र दिन होगा।”

मन्दिर के लिए कर

11 यहोवा ने मूसा से कहा, 12 “इस्राएल के लोगों को गिनो जिससे तुम जानोगे कि वहाँ कितने लोग हैं। जब कभी यह किया जाएगा हर एक व्यक्ति अपने जीवन के लिए यहोवा को धन देगा। यदि हर एक व्यक्ति यह करेगा तो लोगों के साथ कोई भी भयानक घटना घटित नहीं होगी। 13 हर व्यक्ति जिसे गिना जाए वह (आधा शेकेल चाँदी अवश्य दे। 14 हर एक पुरुष जिसे गिना जाए और जो बीस वर्ष या उससे अधिक आयु का हो,) यहोवा को यह भेंट देगा। 15 धनी लोग आधे शेकेल से अधिक नहीं देंगे और गरीब लोग आधे शेकेल से कम नहीं देंगे। सभी लोग यहोवा को बराबर ही भेंट देंगे यह तुम्हारे जीवन का मूल्य होगा। 16 इस्राएल के लोगों से यह धन इकट्ठा करो। मिलापवाले तम्बू में सेवा के लिए इसका उपयोग करो। यह भुगतान यहोवा के लिए अपने लोगों को याद करने का एक तरीका होगा। वे अपने जीवन के लिए भुगतान करते रहेंगे।”

हाथ पैर धोने की चिलमची

17 यहोवा ने मूसा से कहा, 18 “एक काँसे की चिलमची बनाओ और इसे काँसे के आधार पर रखो। तुम इसका उपयोग हाथ पैर धोने के लिए करोगे। चिलमची को मिलापवाले तम्बू और वेदी के बीच रखो। चिलमची को पानी से भरो। 19 हारून और उसके पुत्र इस चिलमची के पानी से अपने हाथ पैर धोएंगे। 20 हर बार जब वे मिलापवले तम्बू में आएँ तो पानी से हाथ पैर अवश्य धोएँ, इससे वे मरेंगे नहीं। जब वे वेदी के समीप यहोवा की सेवा करने या धूप जलाने आएं, 21 तो वे अपने हाथ पैर अवश्य धोएँ, इससे वे मरेंगे नहीं। यह ऐसा नियम होगा जो हारून और उसके लोगों के लिए सदा बना रहेगा। यह नियम हारून के उन सभी लोगों के लिए बना रहेगा जो भविष्य में होंगे।”

अभिषेक का तेल

22 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 23 “बहुत अच्छे मसाले लाओ। बारह पौंड[c] द्रव लोबान लाओ और इस तोल का आधा अर्थात् छः पौंड,[d] सुगन्धित दालचीनी और बारह पौंड सुगन्धित छाल, 24 और बारह पौंड तेजपात लाओ। इन्हें नापने के लिए प्रामाणिक बाटों का उपयोग करो। एक गैलन[e] जैतून का तेल भी लाओ।

25 “सुगन्धित अभिषेक का तेल बनाने के लिए इन सभी चीज़ों को मिलाओ। 26 मिलापवाले तम्बू और साक्षीपत्र के सन्दूक पर इस तेल को डालो। यह इस बात का संकेत करेगा कि इन चीज़ों का विशेष उद्देश्य है। 27 मेज़ और मेज़ पर की सभी तश्तरियों पर तेल डालो। इस तेल को दीपक और सभी उपकरणों पर डालो। 28 धूप वाली वेदी पर तेल डालो। यहोवा के लिए होमबलि वाली वेदी पर भी तेल डालो। उस वेदी की सभी चीज़ों पर यह तेल डालो। कटोरे और उसके नीचे के आधार पर यह तेल डालो। 29 तुम इन सभी चीज़ों को समर्पित करोगे। वे अत्यन्त पवित्र होंगी। कोई भी चीज जो इन्हें छूएगी वह भी पवित्र हो जाएगी।

30 “हारून और उसके पुत्रों पर तेल डालो। यह स्पष्ट करेगा कि वे मेरी विशेष डंग से सेवा करते हैं। तब ये मेरी सेवा याजक की तरह कर सकते हैं। 31 इस्राएल के लोगों से कहो कि अभिषेक का तेल मेरे लिए सदैव अति विशेष होगा। 32 साधारण सुगन्ध की तरह कोई भी इस तेल का उपयोग नहीं करेगा। उस प्रकार कोई सुगन्ध न बनाओ जिस प्रकार तुमने यह विशेष तेल बनाया। यह तेल पवित्र है और यह तुम्हारे लिए अति विशेष होना चाहिए। 33 यदि कोई इस पवित्र तेल की तरह सुगन्ध बनाए और उसे किसी विदेशी को दे तो उस व्यक्ति को अपने लोगों से अवश्य अलग कर दिया जाये।”

धूप

34 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “इन सुगन्धित मसालों को लो: रसगंधा, कस्तूरी गंधिका, बिरोजा और शुद्ध लोबान। सावधानी रखो कि तुम्हारे पास मसालों की बराबर मात्रा हो। 35 मसालों को सुगन्धित धूप बनाने के लिए आपस में मिलाओ। इसे उसी प्रकार करो जैसा सुगन्ध बनाने वाला व्यक्ति करता है। इस धूप में नमक भी मिलाओ। यह इसे शुद्ध और पवित्र बनाएगा। 36 कुछ धूप को तब तक पीसते रहो जब तक उसका बारीक चूर्ण न हो जाये। मिलापवाले तम्बू में साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने इस चूर्ण को रखो। यही वह स्थान है जहाँ मैं तुमसे मिलूँगा। तुम्हें इस धूप के चूर्ण का उपयोग इसके अति विशेष अवसर पर ही करना चाहिए। 37 तुम्हें इस चूर्ण का उपयोग केवल विशेष ढँग से यहोवा के लिए ही करना चाहिए। तुम इस धूप को विशेष ढँग से बनाओगे। इस विशेष ढँग का उपयोग अन्य कोई धूप बनाने के लिए मत करो। 38 कोई व्यक्ति अपने लिए कुछ ऐसे धूप बनाना चाह सकता है जिससे वह सुगन्ध का आनन्द ले सके। किन्तु यदि वह ऐसा करे तो उसे अपने लोगों से अवश्य अलग कर दिया जाये।”

बसलेल और ओहोलीआब

31 तब यहोवा ने मूसा के कहा, “मैंने यहूदा के कबीले से ऊरो के पुत्र बसलेल को चुना है। ऊरो हूर का पुत्र था। मैंने बसलेल को परमेश्वर की आत्मा से भर दिया है, अर्थात् मैंने उसे सभी प्रकार की चीज़ों को करने का ज्ञान और निपुर्णता दे दी है। बसलेल बहुत अच्छा शिल्पकार है और वह सोना, चाँदी तथा काँसे की चीज़ें बना सकता है। बसलेल सुन्दर रत्नों को काट और जड सकता है। वह लकड़ी का भी काम कर सकता है। बसलेल सब प्रकार के काम कर सकता है। मैंने ओहोलीआब को भी उसके साथ काम करने को चुना है। आहोलीआब दान कबीले के अहीसामाक का पुत्र है और मैंने दूसरे सब श्रमिकों को भी ऐसी निपुर्णता दी है कि वे उन सभी चीज़ों को बना सकते हैं जिसे मैंने तुमको बनाने का आदेश दिया है:

मिलापवाला तम्बू,

साक्षीपत्र का सन्दूक,

सन्दूक को ढकने वाला ढक्कन,

मिलापवाले तम्बू का साजोसामान,

मेज और उस पर की सभी चीजें,

शुद्ध सोने का दीपाधार,

धूप जलाने की वेदी,

भेंट जलाने के लिए वेदी, और वेदी पर उपयोग की चीज़ें,

चिलमची और उसके नीचे का आधार,

10 याजक हारून के लिए सभी विशेष वस्त्र और उसके पुत्रों के लिए सभी विशेष वस्त्र,

जिन्हें वे याजक के रूप मे सेवा करते समय पहनेंगे,

11 अभिषेक का सुगन्धित तेल,

और पवित्र स्थान के लिए सुगन्धित धूप।

इन सभी चीज़ों को उसी ढंग से बनांएगे जैसा मैंने तुमको आदेश दिया है।”

सब्त

12 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 13 “इस्राएल के लोगों से यह कहो: ‘तुम लोग मेरे विशेष विश्राम के दिन वाले नियमों का पालन करोगे। तुम्हें यह अवश्य करना चाहिए, क्योंकि ये मेरे और तुम्हारे बीच सभी पीढ़ियों के लिए प्रतीक स्वरूप रहेंगे। इससे तुम्हें पता चलेगा कि मैं अर्थात् यहोवा ने तुम्हें अपना विशेष जनसमूह बनाया है।

14 “‘सब्त के दिन को विशेष दिवस मनाओ। यदि कोई व्यक्ति सब्त के दिन को अन्य दिनों की तरह मानता है तो वह व्यक्ति अवश्य मार दिया जाना चाहिए। कोई व्यक्ति जो सब्त के दिन काम करता है अपने लोगों से अवश्य अलग कर दिया जाना चाहिए। 15 सप्ताह में दूसरे अन्य छः दिन काम करने के लिए हैं, किन्तु सातवाँ दिन विश्राम करने का विशेष दिन है, अर्थात् यहोवा को सम्मान देने का विशेष दिन है, कोई व्यक्ति जो सब्त के दिन काम करेगा अवश्य ही मार दिया जाये। 16 इस्राएल के लोग सब्त के दिन को अवश्य याद रखें और इसे विशेष दिन बनाएं। वे इसे लगातार मनाते रहें। यह मेरे और उनके बीच साक्षीपत्र है जो सदा बना रहेगा। 17 सब्त का दिन मेरे और इस्राएल के लोगों के बीच सदा के लिए प्रतीक रहेगा।’” (यहोवा ने छः दिन काम किया तथा आकाश एवं धरती को बनाया। सातवें दिन उसने अपने को विश्राम दिया।)

18 इस प्रकार परमेश्वर ने मूसा से सीनै पर्वत पर बात करना समाप्त किया। तब परमेश्वर ने उसे आदेश लिखे हुए दो समतल पत्थर दिए। परमेश्वर ने अपनी उगुलियों का उपयोग किया और पत्थर पर उन नियमों को लिखा।

सोने का बछड़ा

32 लोगों ने देखा कि लम्बा समय निकल गया और मूसा पर्वत से नीचे नहीं उतरा। इसलिए लोग हारून के चारों ओर इकट्ठा हुए। उन्होंने उससे कहा, “देखो, मूसा ने हमें मिस्र देश से बाहर निकाला। किन्तु हम यह नहीं जानते कि उसके साथ क्या घटित हुआ है। इसलिए कोई देवता हमारे आगे चलने और हमें आगे ले चलने वाला बनाओ।”

हारून ने लोगों से कहा, “अपनी पत्नियों, पुत्रों और पुत्रियों के कानों की बालियाँ मेरे पास लाओ।”

इसलिए सभी लोगों ने कान की बालियाँ इकट्ठी कीं और वे उन्हें हारून के पास लाए। हारून ने लोगों से सोना लिया, और एक बछड़े की मूर्ति बनाने के लिए उसका उपयोग किया। हारून ने मूर्ति बनाने के लिए मूर्ति को आकार देने वाले एक औज़ार का उपयोग किया। तब इसे उसने सोने से मढ़ दिया।

तब लोगों ने कहा, “इस्राएल के लोगों, ये तुम्हारे वे देवता हैं जो तुम्हें मिस्र से बाहार ले आया।”[f]

हारून ने इन चीज़ों को देखा। इसलिए उसने बछड़े के सम्मुख एक वेदी बनाई। तब हारून ने घोषणा की। उसने कहा, “कल यहोवा के लिए विशेष दावत होगी।”

अगले दिन सुबह लोग शीघ्र उठ गए। उन्होंने जानवरों को मारा और होमबलि तथा मेलबलि चढ़ाई। लोग खाने और पीने के लिये बैठे। तब वे खड़े हुए और उनकी एक उन्मत्त दावत हुई।

उसी समय यहोवा ने मूसा से कहा, “इस पर्वत से नीचे उतरो। तुम्हारे लोग अर्थात् उन लोगों ने, जिन्हें तुम मिस्र से लाए हो, भयंकर पाप किया है। उन्होंने उन चीज़ों को करने से शीघ्रता से इन्कार कर दिया है जिन्हें करने का आदेश मैंने उन्हें दिया था। उन्होंने पिघले सोने से अपने लिए एक बछड़ा बनाया है। वे उस बछड़े की पूजा कर रहे हैं और उसे बलि भेंट कर रहे हैं। लोगों ने कहा है, ‘इस्राएल, ये देवता है जो तुम्हें मिस्र से बाहर लाए हैं।’”

यहोवा ने मूसा से कहा, “मैंने इन लोगों को देखा है। मैं जानता हूँ कि ये बड़े हठी लोग हैं जो सदा मेरे विरुद्ध जाएंगे। 10 इसलिए अब मुझे इन्हें क्रोध करके नष्ट करने दो। तब मैं तुझसे एक महान राष्ट्र बनाऊँगा।”

11 किन्तु मूसा ने अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना की। मूसा ने कहा, “हे यहोवा, तू अपने क्रोध को अपने लोगों को नष्ट न करने दे। तू अपार शक्ति और अपने बल से इन्हें मिस्र से बाहर ले आया। 12 किन्तु यदि तू अपने लोगों को नष्ट करेगा तब मिस्र के लोग कह सकते हैं, ‘यहोवा ने अपने लोगों के साथ बुरा करने की योजना बनाई। यही कारण है कि उसने इनको मिस्र से बाहर निकाला। वह उन्हें पर्वतों में मार डालना चाहता था। वह अपने लोगों को धरती से मिटाना चाहता था।’ इसलिए तू लोगों पर क्रोधित न हो। अपना क्रोध त्याग दे। अपने लोगों को नष्ट न कर। 13 तू अपने सेवक इब्राहीम, इसहाक और इस्राएत (याकूब) को याद कर। तूने अपने नाम का उपयोग किया और तूने उन लोगों को वचन दिया। तूने कहा, ‘मैं तुम्हारे लोगों कों उतना अनगिनत बनाऊँगा जितने आकाश में तारे हैं। मैं तुम्हारे लोगों को वह सारी धरती दूँगा जिसे मैंने उनको देने का वचन दिया है। यह धरती सदा के लिए उनकी होगी।’”

14 इसलिए यहोवा ने लोगों के लिए अफ़सोस किया। यहोवा ने वह नहीं किया जो उसने कहा कि वह करेगा अर्थात् लोगों को नष्ट नहीं किया।

15 तब मूसा पर्वत से नीचे उतरा। मूसा के पास आदेश वाले दो समतल पत्थर थे। ये आदेश पत्थर के सामने तथा पीछे दोनों तरफ लिखे हुए थे। 16 परमेश्वर ने स्वयं उन पत्थरों को बनाया था और परमेश्वर ने स्वयं उन आदेशों को उन पत्थरों पर लिखा था।

17 जब वे पर्वत से उतर रहे थे यहोशू ने लोगों का उन्मत्त शोर सुना। यहोशू ने मूसा से कहा, “नीचे पड़ाव में युद्ध की तरह का शोर है!”

18 मूसा ने उत्तर दिया, “यह सेना का विजय के लिये शोर नहीं है। यह हार से चिल्लाने वाली सेना का शोर भी नहीं है। मैं जो आवाज़ सुन रहा हूँ वह संगीत की है।”

19 जब मूसा डेरे के समीप आया तो उसने सोने के बछड़े और गाते हुए लोगों को देखा। मूसा बहुत क्रोधित हो गया और उसने उन विशेष पत्थरों को ज़मीन पर फेंक दिया। पर्वत की तलहटी में पत्थरों के कई टुकडे हो गए। 20 तब मूसा ने लोगों के बनाए बछड़े को नष्ट कर दिया। उसने इसे आग में गला दिया। उसने सोने को तब तक पीसा जब तक यह चूर्ण न हो गया और उसने उस चूर्ण को पानी में फेंक दिया। उसने इस्राएल के लोगों को वह पानी पीने को विवश किया।

21 मूसा ने हारून से कहा, “इन लोगों ने तुम्हारे साथ क्या किया? तुम उन्हें ऐसा बुरा पाप करने की ओर क्यों ले गए?”

22 हारून ने उत्तर दिया, “महाशय, क्रोधित मत हो। आप जानते हैं कि ये लोग सदा गलत काम करने को तैयार रहते हैं। 23 लोगों ने मुझ से कहा, ‘मूसा हम लोगों को मिस्र से बाहर लाया। किन्तु हम लोग नहीं जानते कि उसके साथ क्या घटित हुआ।’ इसलिए हम लोगों को मार्ग दिखाने वाला कोई देवता बनाओ, 24 इसलिए मैंने लोगों से कहा, ‘यदि तुम्हारे पास सोने की अंगूठियाँ हों तो उन्हें मुझे दे दो।’ लोगों ने मुझे अपना सोना दिया। मैंने इस सोने को आग में फेंका और उस आग से यह बछड़ा आया।”

25 मूसा ने देखा कि हारून ने विद्रोह उत्पन्न किया है। लोग मूर्खों की तरह उग्र व्यवहार इस तरह कर रहे थे कि उनके सभी शत्रु देख सकें। 26 इसलिए मूसा डेरे के द्वार पर खड़ा हुआ। मूसा ने कहा, “कोई व्यक्ति जो यहोवा का अनुसरण करना चाहता है मेरे पास आए” तब लेवी के परिवार के सभी लोग दौड़कर मूसा के पास आए।

27 तब मूसा ने उनसे कहा, “मैं तुम्हें बताऊँगा कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा क्या कहता है ‘हर व्यक्ति अपनी तलवार अवश्य उठा ले और डेरे के एक सिरे से दूसरे सिरे तक जाये। तुम लोग इन लोगों को अवश्य दण्ड दोगे चाहे किसी व्यक्ति को अपने भाई, मित्र और पड़ोसी को ही क्यों न मारना पड़े।’”

28 लेवी के परिवार के लोगों ने मूसा का आदेश माना। उस दिन इस्राएल के लगभग तीन हज़ार लोग मरे। 29 तब मूसा ने कहा, “यहोवा ने आज तुम को ऐसे लोगों के रूप में चुना है जो अपने पुत्रों और भाईयों को आशीर्वाद देंगे।”

30 अगली सुबह मूसा ने लोगों से कहा, “तुम लोगों ने भयंकर पाप किया है। किन्तु अब मैं यहोवा के पास ऊपर जाऊँगा और ऐसा कुछ कर सकूँगा जिससे वह तुम्हारे पापों को क्षमा कर दे।” 31 इसलिए मूसा वापस यहोवा के पास गया और उसने कहा, “कृपया सुन! इन लोगों ने बहुत बुरा पाप किया है और सोने का एक देवता बनाया है। 32 अब उन्हें इस पाप के लिये क्षमा कर। यदि तू क्षमा नहीं करेगा तो मेरा नाम उस किताब से मिटा दे जिसे तूने लिखा है।”[g]

33 किन्तु यहोवा ने मूसा से कहा, “जो मेरे विरुद्ध पाप करते हैं केवल वे ही ऐसे लोग हैं जिनका नाम मैं अपनी पुस्तक से मिटाता हूँ। 34 इसलिए जाओ और लोगों को वहाँ ले जाओ जहाँ मैं कहता हूँ। मेरा दूत तुम्हारे आगे आगे चलेगा और तुम्हें रास्ता दिखाएगा। जब उन लोगों को दण्ड देने का समय आएगा जिन्होंने पाप किया है तब उन्हें दण्ड दिया जायेगा।” 35 इसलिए यहोवा ने लोगों में एक भयंकर बीमारी उत्पन्न की। उस ने यह इसलिए किया कि उन लोगों ने हारून से सोने का बछड़ा बनाने को कहा था।

“मैं तुम्हारे साथ नहीं जाऊँगा”

33 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “तुम और तुम्हारे वे लोग जिन्हें तुम मिस्र से लाए हो उस जगह को अवश्य छोड़ दो। और उस प्रदेश में जाओ जिसे मैंने इब्राहीम, इसहाक और याकूब को देने का वचन दिया था। मैंने उन्हें वचन दिया मैंने कहा, ‘मैं वह प्रदेश तुम्हारे भावी वंशजों को दूँगा। मैं एक दूत तुम्हारे आगे आगे चलने के लिये भेजूँगा, और मैं कनानी, एमोरी, हित्ती, परिज्जी, हिब्बी और यबूसी लोगों को हराऊँगा, मैं उन लोगों को तुम्हारा प्रदेश छोड़ने को विवश करूँगा। इसलिए उस प्रदेश को जाओ जो बहुत ही अच्छी चीज़ों[h] से भरा है। किन्तु मैं तुम्हारे साथ नहीं जाऊँगा, तुम लोग बड़े हठी हो, यदि मैं तुम्हारे साथ गया तो मैं तुम्हें शायद रास्ते में ही नष्ट कर दूँ।’”

लोगों ने यह बुरी खबर सुनी और वे वहुत दुःखी हुए। इसके बाद लोगों ने आभूषण नहीं पहने। उन्होंने आभूषण नहीं पहने क्योंकि यहोवा ने मूसा से कहा, “इस्राएल के लोगों से कहो, ‘तुम हठी लोग हो। यदि मैं तुम लोगों के साथ थोड़े समय के लिए भी यात्रा करुँ तो मैं तुम लोगों को नष्ट कर दूँगा, इसलिए अपने सभी गहने उतार लो। तब मैं निश्चय करूँगा कि तुम्हारे साथ क्या करूँ।’” इसलिए इस्राएल के लोगों ने होरेब (सीनै) पर्वत पर अपने सभी गहने उतार लिए।

मिलापवाला तम्बू

मूसा मिलापवाले तम्बू को डेरे से कुछ दूर ले गया। वहाँ उसने उसे लगाया और उसका नाम “मिलापवाला तम्बू” रखा। कोई व्यक्ति जो यहोवा से कुछ जानना चाहता था उसे डेरे के बाहर मिलापवाले तम्बू तक जाना होता था। जब कभी मूसा बाहर तम्बू में जाता तो लोग उसको देखते रहते। लोग अपने तम्बूओं के द्वार पर खड़े रहते और मूसा को तब तक देखते रहते जब तक वह मिलापवाले तम्बू में चला जाता। जब मूसा तम्बू में जाता तो एक लम्बा बादल का स्तम्भ सदा नीचे उतरता था। वह बादल तम्बू के द्वार पर ठहरता। इस प्रकार यहोवा मूसा से बात करता था। 10 जब लोग तम्बू के द्वार पर बादल को देखते तो सामने झुकते और उपासना करते थे। हर एक व्यक्ति अपने तम्बू के द्वार पर उपासना करता था।

11 यहोवा मूसा से आमने—सामने बात करता था। यहोवा मूसा से इस प्रकार बात करता था जिस प्रकार कोई व्यक्ति अपने मित्र से बात करता है। यहोवा से बात करने के बाद मूसा हमेशा अपने डेरे मे वापस लौटता था। नून का पुत्र नवयुवक यहोशू मूसा का सहायक था। यहोशू सदा तम्बू में रहता था जब मूसा उसे छोड़ता था।

मूसा को यहोवा की महिमा का दर्शन

12 मूसा ने यहोवा से कहा, “तूने मुझे इन लोगों को ले चलने को कहा। किन्तु तूने यह नहीं बताया कि मेरे साथ किसे भेजेगा। तूने मुझसे कहा, ‘मैं तुम्हें अच्छी तरह जानता हूँ और मैं तुमसे प्रसन्न हूँ।’ 13 यदि तुझे मैंने सचमुच प्रसन्न किया है तो अपने निर्णय मुझे बता। तुझे मैं सचमुच जानना चाहता हूँ। तब मैं तुझे लगातार प्रसन्न रख सकता हूँ। याद रख कि ये सभी तेरे लोग हैं।”

14 यहोवा ने कहा, “मैं स्वयं तुम्हारे साथ चलूँगा। मैं तुम्हें रास्ता दिखाऊँगा।”[i]

15 तब मूसा ने उससे कहा, “यदि तू हम लोगों के साथ न चले तो तू इस स्थान से हम लोगों को दूर मत भेज। 16 हम यह भी कैसे जानेंगे कि तू मुझसे और इन लोगों से प्रसन्न है? यदि तू साथ चलेगा तो हम लोग निश्चयपूर्वक यह जानेंगे। यदि तू हम लोगों के साथ नहीं जाता तो मैं और ये लोग धरती के अन्य दूसरे लोगों से भिन्न नहीं होंगे।”

17 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “मैं वह करूँगा जो तू कहता है। मैं यह करूँगा क्योंकि मैं तुझसे प्रसन्न हूँ। मैं तुझे अच्छी तरह जानता हूँ।”

18 तब मूसा ने कहा, “अब कृपया मुझे अपनी महिमा दिखा।”

19 तब यहोवा ने उत्तर दिया, “मैं अपनी सम्पूर्ण भलाई को तुम तक जाने दूँगा। मैं यहोवा हूँ और मैं अपने नाम की घोषणा करूँगा जिससे तुम उसे सुन सको। मैं उन लोगों पर कृपा और प्रेम दिखाऊँगा जिन्हें मैं चुनूँगा। 20 किन्तु तुम मेरा मुख नहीं देख सकते। कोई भी व्यक्ति मुझे देख नहीं सकता और यदि देख ले तो जीवित नहीं रह सकता है।

21 “मेरे समीप के स्थान पर एक चट्टान है। तुम उस चट्टान पर खड़े हो सकते हो। 22 मेरी महिमा उस स्थान से होकर गुज़रेगी। उस चट्टान की बड़ी दरार में मैं तुम को रखूँगा और गुजरते समय मैं तुम्हें अपने हाथ से ढकूँगा। 23 तब मैं अपना हाथ हटा लूँगा और तुम मेरी पीठ मात्र देखोगे। किन्तु तुम मेरा मुख नहीं देख पाओगे।”

पत्थर की नयी पटिट्याँ

34 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “दो और समतल चट्टानें ठीक वैसी ही बनाओ जैसी पहली दो थीं जो टूट गईं। मैं इन पर उन्हीं शब्दों को लिखूँगा जो पहले दोनों पर लिखे थे। कल प्रातःकाल तैयार रहना और सीनै पर्वत पर आना। वहाँ मेरे सामने पर्वत की चोटी पर खड़े रहना। किसी व्यक्ति को तुम्हारे साथ नहीं आने दिया जाएगा। पर्वत के किसी भी स्थान पर कोई भी व्यक्ति दिखाई तक नहीं पड़ना चाहिए। यहाँ तक कि तुम्हारे जानवरों के झुण्ड और भेड़ों की रेवडें भी पर्वत की तलहटी में घास नहीं चर सकेंगी।”

इसलिए मूसा ने पहले पत्थरों की तरह पत्थर की दो समतल पटिट्याँ बनाईं। तब अगले सवेरे ही वह सीनै पर्वत पर गया। उसने हर एक चीज़ यहोवा के आदेश के अनुसार की। मूसा अपने साथ पत्थर की दोनों समतल पट्टियाँ ले गया। मूसा के पर्वत पर पहुँच जाने के बाद यहोवा उसके पास बादल में नीचे पर्वत पर आया। यहोवा वहाँ मूसा के साथ खड़ा रहा, और उसने यहोवा का नाम लिया।[j]

यहोवा मूसा के सामने से गुज़रा था और उसने कहा, “यहोवा दयालु और कृपालु परमेश्वर है। यहोवा जल्दी क्रोधित नहीं होता। यहोवा महान, प्रेम से भरा है। यहोवा विश्वसनीय है। यहोवा हज़ारों पीढ़ियों पर कृपा करता है। यहोवा लोगों को उन गलतियों के लिए जो वे करते हैं क्षमा करता है। किन्तु यहोवा अपराधियों को दण्ड देना नहीं भूलता। यहोवा केवल अपराधी को ही दण्ड नहीं देगा अपितु उनके बच्चों, उनके पौत्रों और प्रपौत्रों को भी उस बुरी बात के लिये कष्ट सहना होगा जो वे लोग करते हैं।”

तब तत्काल मूसा भूमि पर झुका और उसने यहोवा की उपासना की। मूसा ने कहा, “यहोवा, यदि तू मुझसे प्रसन्न है तो मेरे साथ चल। मैं जानता हूँ कि ये लोग हठी हैं। किन्तु तू हमें उन पापों और अपराधों के लिए क्षमा कर जो हमने किए हैं। अपने लोगों के रूप में हमें स्वीकार कर।”

10 तब यहोवा ने कहा, “मैं तुम्हारे सभी लोगों के साथ यह साक्षीपत्र बना रहा हूँ। मैं ऐसे अद्भुत काम करूँगा जैसे इस धरती पर किसी भी दूसरे राष्ट्र के लिए पहले कभी नहीं किए। तुम्हारे साथ सभी लोग देखेंगे कि मैं यहोवा अत्यन्त महान हूँ। लोग उन अद्भुत कामों को देखेंगे जो मैं तुम्हारे लिए करूँगा। 11 आज मैं जो आदेश देता हूँ उसका पालन करो और मैं तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हारा देश छोड़ने को विवश करूँगा। मैं एमोरी, कनानी, हित्ती, परिज्जी, हिब्बी और यबूसी को बाहर निकल जाने को विवश करूँगा। 12 सावधान रहो। उन लोगों के साथ कोई सन्धि न करो जो उस प्रदेश में रहते हैं जहाँ तुम जा रहे हो। यदि तुम उनके साथ सन्धि करोगे जो उस प्रदेश में रहते हैं जहाँ तुम जा रहे हो। यदि तुम उनके साथ साक्षीपत्र बनाओगे तो तुम उस में फँस जाओगे। 13 उनकी वेदियों को नष्ट कर दो। उन पत्थरों को तोड़ दो जिनकी वे पूजा करते हैं। उनकी मूर्तियों[k] को काट गिराओ। 14 किसी दूसरे देवता की पूजा न करो। मैं यहोवा (कना) जलन रखने वाला परमेश्वर हूँ। यह मेरा नाम है। मैं (एलकाना) जल उठने वाला परमेश्वर हूँ।

15 “सावधान रहो उस प्रदेश में जो लोग रहते हैं उनसे कोई सन्धि न हो। यदि तुम यह करोगे तो जब वे अपने देवताओं की पूजा करेंगे तब तुम उनके साथ हो सकोगे। वे लोग तुम्हें अपने में मिलने के लिये आमंत्रित करेंगे और तुम उनकी बलियों को खाओगे। 16 तुम उनकी कुछ लड़कियों को अपने पुत्रों की पत्नियों के रूप में चुन सकते हो। वे पुत्रियाँ असत्य देवताओं की सेवा करती हैं। वे तुम्हारे पुत्रों से भी वही करवा सकतीं हैं।

17 “मूर्तियाँ मत बनाना।

18 “अखमीरी रोटियों की दावत का उत्सव मनाओ। मेरे दिए आदेश के अनुसार सात दिन तक अखमीरी रोटी खाओ। इसे उस महीने में करो जिसे मैंने चुना है—आबीब का महीना। क्यों? क्योंकि यह वही महीना है जब तुम मिस्र से बाहर आए।

19 “किसी भी स्त्री का पहलौठा बच्चा सदा मेरा है। पहलौठा जानवर भी जो तुम्हारी गाय, बकरियों या भेड़ों से उत्पन्न होता है, मेरा है। 20 यदि तुम पहलौठे गधे को रखना चाहते हो तो तुम इसे एक मेमने के बदले खरीद सकते हो। किन्तु यदि तुम उस गधे को मेमने के बदले नहीं ख़रीदते तो तुम उस गधे की गर्दन तोड़ दो। तुम्हें अपने पहलौठे सभी पुत्र मुझसे वापस खरीदने होंगे। कोई व्यक्ति बिना भेंट के मेरे सामने नहीं आएगा।

21 “तुम छः दिन काम करोगे। किन्तु सातवें दिन अवश्य विश्राम करोगे। पौधे रोपने और फसल काटने के समय भी तुम्हें विश्राम करना होगा।

22 “सप्ताह की दावत को मनाओ। गेहूँ की फ़सल के पहले अनाज का उपयोग इस दावत में करो और वर्ष के अन्त में फ़सल कटने की दावत मनाओ।

23 “हर वर्ष तुम्हारे सभी पुरुष तीन बार अपने स्वामी, परमेश्वर इस्राएल के यहोवा के पास जाएंगे।

24 “जब तुम अपने प्रदेश में पहुँचोगे तो मैं तुम्हारे शत्रुओं को उस प्रदेश से बाहर जाने को विवश करूँगा। मैं तुम्हारी सीमाओं को बढ़ाऊँगा और तुम अधिकाधिक प्रदेश पाओगे। तुम अपने परमेश्वर यहोवा के सामने वर्ष में तीन बार जाओगे। और उन दिनों तुम्हारा देश तुम से लेने का कोई भी प्रयत्न नहीं करेगा।

25 “यदि तुम मुझे बलि से खून भेंट करो तो उसी समय मुझे खमीर भेंट मत करो।

“और फ़सह पर्व का कुछ भी माँस अगली सुबह तक के लिये नहीं छोड़ा जाना चाहिए।

26 “यहोवा को अपनी पहली काटी हुई फ़सलें दो। उन चीज़ों को अपने परमेश्वर यहोवा के घर लाओ।

“कभी बकरी के बच्चे को उसकी माँ के दूध में न पकाओ।”

27 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “जो बातें मैंने बताई हैं उन्हें लिख लो। ये बातें हमारे तुम्हारे और इस्राएल के लोगों के मध्य साक्षीपत्र हैं।”

28 मूसा वहाँ यहोवा के साथ चालीस दिन और चालीस रात रहा। उस पूरे समय उसने न भोजन किया न ही पानी पिया। और मूसा ने साक्षीपत्र के शब्दों के (दस आदेशों) को, पत्थर की दो समतल पट्टियों पर लिखा।

मूसा का तेजस्वी मुख

29 तब मूसा सीनै पर्वत से नीचे उतरा। वह यहोवा की दोनों पत्थरों की समतल पट्टियों को साथ लाया जिन पर यहोवा के नियम लिखे थे। मूसा का मुख चमक रहा था। क्योंकि उसने परमेश्वर से बातें की थीं। किन्तु मूसा यह नहीं जानता था कि उसके मुख पर तेज है। 30 हारून और इस्राएल के सभी लोगों ने देखा कि मूसा का मुख चमक रहा था। इसलिए वे उसके पास जाने से डरे। 31 किन्तु मूसा ने उन्हें बुलाया। इसलिए हारून और लोगों के सभी अगुवा मूसा के पास गए। मूसा ने उन से बातें कीं। 32 उसके बाद इस्राएल के सभी लोग मूसा के पास आए। और मूसा ने उन्हें वे आदेश दिए जो यहोवा ने सीनै पर्वत पर उसे दिए थे।

33 जब मूसा ने बातें करना खत्म किया तब उसने अपने मुख को एक कपड़े से ढक लिया। 34 जब कभी मूसा यहोवा के सामने बातें करने जाता तो कपड़े को हटा लेता था। तब मूसा बाहर आता और इस्राएल के लोगों को वह बताता जो यहोवा का आदेश होता था। 35 इस्राएल के लोग देखते थे कि मूसा का मुख तेज से चमक रहा है। इसलिए मूसा अपना मुख फिर ढक लेता था। मूसा अपने मुख को तब तक ढके रखता था जब तक वह यहोवा के साथ बात करने अगली बार नहीं जाता था।

सब्त के नियम

35 मूसा ने इस्राएल के सभी लोगों को एक साथ इकट्ठा किया। मूसा ने उनसे कहा, “मैं वे बातें बताऊँगा जो यहोवा ने तुम लोगों को करने के लिए कही हैं:

“काम करने के छ: दिन हैं। किन्तु सातवाँ दिन तुम लोगों का विश्राम का विशेष दिन होगा। उस विशेष दिन को विश्राम करके तुम लोग यहोवा को श्रद्धा अर्पित करोगे। यदि कोई सातवें दिन काम करेगा तो उसे अवश्य मार दिया जाएगा। सब्त के दिन तुम्हें किसी स्थान पर आग तक नहीं जलानी चाहिए, जहाँ कहीं तुम रहते हो।”

पवित्र तम्बू के लिए चीज़ें

मूसा ने इस्राएल के सभी लोगों से कहा, “यही है जो यहोवा ने आदेश दिया है। यहोवा के लिए विशेष भेंट इकट्ठी करो। तुम्हें अपने मन में निश्चय करना चाहिए कि तुम क्या भेंट करोगे। और तब तुम वह भेंट यहोवा के पास लाओ। सोना, चाँदी और काँसा; नीला बैंगनी और लाल कपड़ा, सन का उत्तम रेशा; बकरी के बाल; भेड़ की लाल रंगी खाल, सुइसों का चमड़ा; बबूल की लकड़ी; दीपकों के लिए जैतून का तेल; अभिषेक के तेल के लिए मसाले, सुगन्धित धूप के लिए मसाले, गोमेदक नग तथा अन्य रत्न भेंट में लाओ। ये नग और रत्न एपोद और सीनाबन्द पर लगाए जाएंगे।

10 “तुम सभी कुशल कारीगरों को चाहिए कि यहोवा ने जिन चीज़ों का आदेश दिया है उन्हें बनाएं। ये वे चीज़ें हैं जिनके लिए यहोवा ने आदेश दिया है: 11 पवित्र तम्बू, इसका बाहरी तम्बू, और इसका आच्छादन, छल्ले, तख्ते, पट्टियाँ, स्तम्भ और आधार; 12 पवित्र सन्दूक, और इसकी बल्लियाँ तथा सन्दूक का ढक्कन, और सन्दूक रखे जाने की जगह को ढकने के लिए पर्दे; 13 मेज और इसकी बल्लियाँ, मेज पर रहने वाली सभी चीज़ें, और मेज पर रखी जाने वाली विशेष रोटी; 14 प्रकाश के लिये उपयोग में आने वाला दीपाधार, और वे सभी चीज़ें जो दीपाधार के साथ होती हैं अर्थात् दीपक, और प्रकाश के लिए तेल; 15 धूप जलाने के लिए वेदी और इसकी बल्लियाँ अभिषेक का तेल और सुगन्धित धूप, मिलापवाले तम्बू के प्रवेश द्वार को ढकने वाली कनात; 16 होमबलियों के लिए वेदी और इसकी काँसे की जाली, बल्लियाँ और वेदी पर उपयोग में आने वाली सभी चीज़ें, काँसे की चिलमची और इसका आधार; 17 आँगन के चारों ओर की कनातें, और उनके खंभे और आधार, और आँगन के प्रवेशद्वार को ढकने वाली कनात; 18 आँगन और तम्बू के सहारे के लिए उपयोग में आने वाली खूँटियाँ, और खूँटियों से बँधने वाली रस्सियाँ; 19 और विशेष बुने वस्त्र जिन्हें याजक पवित्र स्थानों में पहनेंगे। ये विशेष वस्त्र याजक हारून और उसके पुत्रों के पहनने के लिए हैं वे इन वस्त्रों को तब पहनेंगे जब वे याजक के रूप में सेवा—कार्य करेंगे।”

लोगों की महान भेंट

20 तब इस्राएल के सभी लोग मूसा के पास से चले गए। 21 सभी लोग जो भेंट चढ़ाना चाहते थे आए और यहोवा के लिए भेंट लाए। ये भेंटे मिलापवाले तम्बू को बनाने, तम्बू की सभी चीज़ों, और विशेष वस्त्र बनाने के काम में लाई गईं। 22 सभी स्त्री और पुरुष, जो चढ़ाना चाहते थे, हर प्रकार के अपने सोने के गहने लाए। वे चिमटी कान की बालियाँ, अगूंठियाँ, अन्य गहने लेकर आए। उन्होंने अपने सभी सोने के गहने यहोवा को अर्पित किए। यह यहोवा को विशेष भेंट थी।

23 हर व्यक्ति जिसके पास सन के उत्तम रेशे, नीला, बैंगनी और लाल कपड़ा था वह इन्हें यहोवा के पास लाया। वह व्यक्ति जिसके पास बकरी के बाल, लाल रंग से रंगी भेड़ की खाल, सुइसों की खाल थी उसे वह यहोवा के पास लाया। 24 हर एक व्यक्ति जो चाँदी, काँसा, चढ़ाना चाहता था यहोवा को भेंट के रूप में उसे लाया। हर एक व्यक्ति जिसके पास बबूल की लकड़ी थी, आया और उसे यहोवा को अर्पित किया। 25 हर एक कुशल स्त्री ने सन के उत्तम रेशे और नीला, बैंगनी तथा लाल कपड़ा बनाया। 26 उन सभी स्त्रियों ने जो कुशल थीं और हाथ बँटाना चाहती थीं उन्होंने बकरी के बालों से कपड़ा बनाया।

27 अगुवा लोग गोमेदक नग तथा अन्य रत्न ले आए। ये नग और रत्न याजक के एपोद तथा सीनाबन्द में लगाए गए। 28 लोग मसाले और जैतून का तेल भी लाए। ये चीज़ें सुगन्धित धूप, अभिषेक का तेल और दीपकों के तेल के लिए उपयोग में आईं।

29 इस्राएल के वे सभी लोग जिनके मन में प्रेरणा हुई यहोवा के लिए भेंट लाए। ये भेटें मुक्त भाव से दी गई थीं, लोगों ने इन्हें दिया क्योंकि वे देना चाहते थे। ये भेंट उन सभी चीज़ों के बनाने के लिए उपयोग में आई जिन्हें यहोवा ने मूसा और लोगों को बनाने का आदेश दिया था।

बसलेल और ओहोलीआब

30 तब मूसा ने इस्राएल के लोगों से कहा, “देखो! यहोवा ने बसलेल को चुना है जो ऊरी का पुत्र और यहूदा के परिवार समूह का है। (ऊरी हूर का पुत्र था।) 31 यहोवा ने बसलेल को परमेश्वर की शक्ति से भर दिया अर्थात् बसलेल को हर प्रकार का काम करने की विशेष निपुणता और जानकारी दी। 32 वह सोने, चाँदी और काँसे की चीज़ों का आलेखन करके उन्हें बना सकता है। 33 वह नग और रत्न को काट और जड़ सकता है। बसलेल लकड़ी का काम कर सकता है और सभी प्रकार की चीज़ें बना सकता है। 34 यहोवा ने बसलेल और ओहोलीआब को अन्य लोगों के सिखाने की विशेष निपुणता दे रखी है। (ओहोलीआब दान के परिवार समूह से अहीसामाक का पुत्र था।) 35 यहोवा ने इन दोनों व्यक्तियों को सभी प्रकार का काम करने की विशेष निपुणता दे रखी है। वे बढ़ई और ठठेरे का काम करने की निपुणता रखते हैं, वे नीले, बैंगनी, और लाल कपड़े और सन के उत्तम रेशों में चित्रों को काढ़ कर उन्हें सी सकते हैं और वे ऊन से भी चीजों को बुन सकते हैं।”

36 “इसलिए, बसलेल, ओहोलीआब और सभी निपुण व्यक्ति उन कामों को करेंगे जिनका आदेश यहोवा ने दिया है। यहोवा ने इन व्यक्तियों को उन सभी निपुण काम करने की बुद्धि और समझ दे रखी है जिनकी आवश्यकता इस पवित्र स्थान को बनाने के लिए है।”

तब मूसा ने बसलेल, ओहोलीआब और सभी अन्य निपुण लोगों को बुलाया जिन्हें यहोवा ने विशेष निपुणता दी थी और ये लोग आए क्योंकि ये काम में सहायता करना चाहते थे। मूसा ने इस्राएल के इन लोगों को उन सभी चीज़ों को दे दिया जिन्हें इस्राएल के लोग भेंट के रूप में लाए थे। और उन्होंने उन चीज़ों का उपयोग पवित्र स्थान बनाने में किया। लोग प्रत्येक सुबह भेंट लाते रहे। अन्त में प्रत्येक निपुण कारीगर ने उस काम को छोड़ दिया जिसे वे पवित्र स्थान पर कर रहे थे और वे मूसा से बातें करने गए। उन्होंने कहा, “लोग बहुत कुछ लाए हैं। हम लोगों के पास उससे अधिक है जितना तम्बू को पूरा करने के लिए यहोवा ने कहा है।”

तब मूसा ने पूरे डेरे में यह खबर भेजी: “कोई पुरुष या स्त्री अब कोई अन्य भेंट तम्बू के लिए नहीं चढ़ाएगा।” इस प्रकार लोग और अधिक न देने के लिए विवश किए गए। लोगों ने पर्याप्त से अधिक चीज़ें पवित्र स्थान को बनाने के लिए दीं।

पवित्र तम्बू

तब निपुण कारीगरों ने पवित्र तम्बू बनाना आरम्भ किया। उन्होंने नीले, बैंगनी और लाल कपड़े और सन के उत्तम रेशों की दस कनातें बनाईं। और उन्होंने करूब के पंख सहित चित्रों को कपड़े पर काढ़ दिया। हर एक कनात बराबर नाप की थी। यह चौदह गज़[l] लम्बी तथा, दो गज़ चौड़ी थी। 10 पाँच कनातें एक साथ आपस में जोड़ी गई जिससे वे एक ही बन गईं। दूसरी को बनाने के लिए अन्य पाँच कनातें आपस में जोड़ी गईं। 11 पाँच से बनी पहली कनात को अन्तिम कनात के सिरे के साथ लुप्पी बनाने के लिए उन्होंने नीले कपड़े का उपयोग किया। उन्होंने वही काम दूसरी पाँच से बनी अन्य कनातों के साथ भी किया। 12 एक में पचास छेद थे और दूसरी में भी पचास छेद थे। छेद एक दूसरे के आमने—सामने थे। 13 तब उन्होंने पचास सोने के छल्ले बनाए। उन्होंने इन छल्लों का उपयोग दोनों कनातों को जोड़ने के लिए किया। इस प्रकार पूरा तम्बू एक ही कपड़े में जुड़कर एक हो गया।

14 तब कारीगरों ने बकरी के बालों का उपयोग तम्बू को ढकने वाली ग्यारह कनातों को बनाने के लिए किया। 15 सभी ग्यारह कनातें एक ही माप की थीं। वे पन्द्रह गज लम्बी और दो गज चौड़ी थीं। 16 कारीगरों ने पाँच कनातों को एक में सीया, और तब छ: को एक दूसरे में एक साथ सीया। 17 उन्होंने पहले समूह की अन्तिम कनात के सिरे में पचास लुप्पियाँ बनाई। और दूसरे समूह की अन्तिम कनात के सिरे में पचास। 18 कारीगरों ने दोनों को एक में मिलाने के लिए पचास काँसे के छल्ले बनाए। 19 तब उन्होंने तम्बू के दो और आच्छादन बनाए। एक आच्छादन लाल रंगे हुए मेढ़े की खाल से बनाया गया। दूसरा आच्छादन सुइसों के चमड़ें का बनाया गया।

20 तब बसलेल ने बबूल की लकड़ी के तख़्ते बनाए। 21 हर एक तख्ता पन्द्रह फीट लम्बा और सत्ताइस इंच चौड़ा बनाया। 22 हर एक तख्ते के तले में अगल—बगल दो चूलें थीं। इनका उपयोग तख्तों को जोड़ने के लिए किया जाता था। पवित्र तम्बू के लिए हर एक तख़्ता इसी प्रकार का था। 23 बसलेल ने तम्बू के दक्षिण भाग के लिए बीस तख्ते बनाए। 24 तब उसने चालीस चाँदी के आधार बनाए जो बीस तख़्तों के नीचे लगे। हर एक तख़्ते के दो आधार थे अर्थात् हर तख़्ते की हर “चूल” के लिए एक। 25 उसने बीस तख़्ते तम्बू की दूसरी ओर (उत्तर) की तरफ़ के भी बनाए। 26 उसने हर एक तख़्ते के नीचे दो लगने वाले चाँदी के चालीस आधार बनाए। 27 उसने तम्बू के पिछले भाग (पश्चिमी ओर) के लिए छः तख़्ते बनाए। 28 उसने तम्बू के पिछले भाग के कोनों के लिये दो तख़्ते बनाए। 29 ये तख़्ते तले में एक दूसरे से जोड़े गए थे, और ऐसे छल्लों में लगे थे जो उन्हें जोड़ते थे। उसने प्रत्येक सिरे के लिये ऐसा किया। 30 इस प्रकार वहाँ आठ तख़्ते थे, और हर एक तख़्ते के लिए दो आधार के हिसाब से सोलह चाँदी के आधार थे।

31 तब उसने तम्बू के पहली बाजू के लिये पाँच, 32 और तम्बू के दूसरी बाजू के लिये पाँच तथा तम्बू के पिछली (पश्चिमी) ओर के लिये पाँच कीकर की कड़ियाँ बनाई। 33 उसमें बीच की कड़ियाँ ऐसी बनाईं जो तख्तों में से एक दूसरे से होकर एक दूसरे तक जाती थीं। 34 उसने इन तख़्तों को सोने से मढ़ा। उसने कड़ियों को भी सोने से मढ़ा और उसने कड़ियों को पकड़े रखने के लिये सोने के छल्ले बनाए।

35 तब उसने सर्वाधिक पवित्र स्थान के द्वार के लिये पर्दे बनाए। उसने सन के उत्तम रेशों और नीले लाल तथा बैगनी कपड़े का उपयोग किया। उसने सन के उत्तम रेशों में करूबों का चित्र काढ़ा। 36 उसने बबूल की लकड़ी के चार खम्भे बनाए और उन्हें सोने से मढ़ा। तब उसने खम्भों के लिये सोने के छल्ले बनाए और उसने खम्भों के लिये चार चाँदी के आधार बनाए। 37 तब उसने तम्बू के द्वार के लिये पर्दा बनाया। उसने नीले, बैंगनी और लाल कपड़े तथा सन के उत्तम रेशों का उपयोग किया। उसने कपड़े में चित्र काढ़े। 38 तब उसने इस पर्दे के लिये पाँच खम्भे और उनके लिये छल्ले बनाए। उसने खम्भों के सिरों और पर्दे की छड़ों को सोने से मढ़ा, और उसने काँसे के पाँच आधार खम्भों के लिए बनाए।

साक्षीपत्र का सन्दूक

37 बसलेल ने बबूल की लकड़ी का पवित्र सन्दूक बनाया। सन्दूक पैतालिस इंच लम्बा, सत्ताईस इंच चौड़ा और सत्ताईस इंच ऊँचा था। उसने सन्दूक के भीतरी और बाहरी भाग को शुद्ध सोने से मढ़ दिया। तब उसने सोने की पट्टी सन्दूक के चारों ओर लगाई। फिर उसने सोने के चार कड़े बनाए और उन्हें नीचे के चारों कोनों पर लगाया। ये कड़े सन्दूक को ले जाने के लिए उपयोग में आते थे। दोनों तरफ दो—दो कड़े थे। तब उसने सन्दूक ले चलने के लिये बल्लियों को बनाया। बल्लियों के लिये उसने बबूल की लकड़ी का उपयोग किया और बल्लियों को शुद्ध सोने से मढ़ा। उसने सन्दूक के हर एक सिरे पर बने कड़ों में बल्लियों को डाला। तब उसने शुद्ध सोने से ढक्कन को बनाया। ये ढाई हाथ लम्बा तथा डेढ़ हाथ चौड़ा था। तब बसलेल ने सोने को पीट कर दो करूब बनाए। उसने ढक्कन के दोनों छोरो पर करूब लगाये। उसने एक करूब को एक ओर तथा दूसरे को दूसरी ओर लगाया। करूब को ढक्कन से एक बनाने के लिये जोड़ दिया गया। करूबों के पंख आकाश की ओर उठा दिए गए। करूबों ने सन्दूक को अपने पंखों से ढक लिया। करूब एक दूसरे के सामने ढक्कन को देख रहे थे।

विशेष मेज

10 तब बसलेल ने बबूल की लकड़ी की मेज बनाई। मेज़ छत्तीस इंच लम्बी, अट्ठारह इंच चौड़ी और सत्ताईस इंच ऊँची थी। 11 उसने मेज को शुद्ध सोने से मढ़ा। उसने सोने की सजावट मेज के चारों ओर की। 12 तब उसने मेज के चारों ओर एक किनार बनायी। यह किनार लगभग तीन इंच[m] चौड़ी थी। उसने किनार पर सोने की झालर लगाई। 13 तब उसने मेज के लिये चार सोने के कड़े बनाए। उसने नीचे के चारों कोनों पर सोने के चार कड़े लगाए। ये वहीं—वहीं थे जहाँ चार पैर थे। 14 कड़े किनारी के समीप थे। कड़ों में वे बल्लियाँ थीं जो मेज को ले जाने में काम आती थीं। 15 तब उसने मेज को ले जाने के लिये बल्लियाँ बनाईं। बल्लियों के लिये उसने बबूल की लकड़ी का उपयोग किया और उन को शुद्ध सोने से मढ़ा। 16 तब उसने उन चीज़ों को बनाया जो मेज पर काम आती थीं। उसने तश्तरी, चम्मच, परात और पेय भेंटों के लिये उपयोग में आने वाले घड़े बनाए। ये सभी चीज़ें शुद्ध सोने से बनाई गईं थीं।

दीपाधार

17 तब उसने दीपाधार बनाया। इसके लिये उसने शुद्ध सोने का उपयोग किया और उसे पीट कर आधार तथा उसके डंडे को बनाया। तब उसने फूलों के समान दिखने वाले प्याले बनाए। प्यालों के साथ कलियाँ और खिले हुए पुष्प थे। हर एक चीज़ शुद्ध सोने की बनी थी। ये सभी चीजें एक ही इकाई बनाने के रूप में परस्पर जुड़ी थीं। 18 दीपाधार के दोनों ओर छः शाखाएं थीं। एक ओर तीन शाखाएं थीं तथा तीन शाखाएं दूसरी ओर। 19 हर एक शाखा पर सोने के तीन फूल थे। ये फूल बादाम के फूल के आकार के बने थे। उनमें कलियाँ और पंखुडियाँ थीं। 20 दीपाधार की डंडी पर सोने के चार फूल थे। वे भी कली और पंखुडियों सहित बादाम के फूल के आकार के बने थे। 21 छः शाखाएं दो—दो करके तीन भागों में थीं। हर एक भाग की शाखाओं के नीचे एक कली थी। 22 ये सभी कलियां, शाखाएं और दीपाधार शुद्ध सोने के बने थे। इस सारे सोने को पीट कर एक ही में मिला दिया गया था। 23 उसने इस दीपाधार के लिये सात दीपक बनाए तब उसने तश्तरियाँ और चिमटे बनाए। हर एक वस्तु को शुद्ध सोने से बनाया। 24 उसने लगभग पचहत्तर पौंड शुद्ध सोना दीपाधार और उसके उपकरणों को बनाने में लगाया।

धूप जलाने की वेदी

25 तब उसने धूप जलाने की एक वेदी बनाई। उसने इसे बबूल की लकड़ी का बनाया। वेदी वर्गाकार थी। यह अट्ठारह इंच लम्बी, अट्ठारह इंच चौड़ी और छत्तीस इंच ऊँची थी। वेदी पर चार सींग बनाए गए थे। हर एक कोने पर एक सींग बना था। ये सींग वेदी के साथ एक इकाई बनाने के लिये जोड़ दिए गए थे। 26 उसने सिरे, सभी बाजुओं और सींगो को शुद्ध सोने के पतरे से मढ़ा। तब उसने वेदी के चारों ओर सोने की झालर लगाई। 27 उसने सोने के दो कड़े वेदी के लिये बनाए। उसने सोने के कड़ों को वेदी के हर ओर की झालर से नीचे रखा। इन कड़ों में वेदी को ले जाने के लिये बल्लियाँ डाली जाती थीं। 28 तब उसने बबूल की लकड़ी की बल्लियाँ बनाईं और उन्हें सोने से मढ़ा।

29 तब उसने अभिषेक का पवित्र तेल बनाया। उसने शुद्ध सुगन्धित धूप भी बनाई। ये चीज़ें उसी प्रकार बनाई गईं जिस प्रकार कोई निपुण बनाता है।

होमबलि की वेदी

38 तब उसने होमबलि की वेदी बनाई। यह वेदी होमबलि के लिये उपयोग में आने वाली थी। उसने बबूल की लकड़ी से इसे बनाया। वेदी वर्गाकार थी। यह साढ़े सात फुट लम्बी, साढ़े सात फुट चौड़ी और साढ़े सात फुट ऊँची थी। उसने हर एक कोने पर एक सींग बनाया। उसने सींगों को वेदी के साथ जोड़ दिया। तब उसने हर चीज़ को काँसे से ढक लिया। तब उसने वेदी पर उपयोग में आने वाले सभी उपकरणों को बनाया। उसने इन चीज़ों को काँसे से ही बनाया। उसने पात्र, बेलचे, कटोरे, माँस के लिए काँटे, और कढ़ाहियाँ बनाईं। तब उसने वेदी के लिये एक जाली बनायी। यह जाली काँसे की जाली की तरह थी। जाली को वेदी के पायदान से लगाया। यह वेदी के भीतर लगभग मध्य में था। तब उसने काँसे के कड़े बनाए। ये कड़े वेदी को ले जाने के लिये बल्लियों को फँसाने के काम आते थे। उसने पर्दे के चारों कोनों पर कड़ों को लगाया। तब उसने बबूल की लकड़ी की बल्लियाँ बनाईं और उन्हें काँसे से मढ़ा। उसने बल्लियाँ को कड़ों में डाला। बल्लियाँ वेदी की बगल में थीं। वे वेदी को ले जाने के काम आती थीं। उसने वेदी को बनाने के लिये बबूल के तख़्तों का उपयोग किया। वेदी भीतर खाली थी, एक खाली सन्दूक की तरह।

उसने हाथ धोने के बड़े पात्र तथा उसके आधार को उस काँसे से बनाया जिसे पवित्र तम्बू के प्रवेश द्वार पर सेवा करने वाली स्त्रियों द्वारा दर्पण के रूप में काम में लाया जाता था।

पवित्र तम्बू के चारों ओर का आँगन

तब उसने आँगन के चारों ओर पर्दें की दीवार बनाई। दक्षिण की ओर के पर्दे की दीवार पचास गज लम्बी थी। ये पर्दे सन के उत्तम रेशों के बने थे। 10 दक्षिणी ओर के पर्दो को बीस खम्भों पर सहारा दिया गया था। ये खम्भे काँसे के बीस आधारों पर थे। खम्भों और बल्लियों के लिये छल्ले चाँदी के बने थे। 11 उत्तरी तरफ़ का आँगन भी पचास गज लम्बा था और उसमें बीस खम्भे बीस काँसे के आधारों के साथ थे। खम्भों और बल्लियों के लिये छल्ले चाँदी के बने थे।

12 आँगन के पश्चिमी तरफ़ के पर्दे पच्चीस गज लम्बे थे। वहाँ दस खम्भे और दस आधार थे। खम्भों के लिये छल्ले तथा कुँड़े चाँदी के बनाए गए थे।

13 आँगन की पूर्वी दीवार पच्चीस गज चौड़ी थी। आँगन का प्रवेश द्वार इसी ओर था। 14 प्रवेश द्वार के एक तरफ़ पर्दे की दीवार साढ़े सात गज लम्बी थी। इस तरफ़ तीन खम्भे और तीन आधार थे। 15 प्रवेश द्वार के दूसरी तरफ़ पर्दे की दीवार की लम्बाई भी साढ़े सात गज़ थी। वहाँ भी तीन खम्भे और तीन आधार थे। 16 आँगन के चारों ओर की कनाते सन के उत्तम रेशों की बनी थीं। 17 खम्भों के आधार काँसे के बने थे। छल्लों और कनातों की छड़े चाँदी की बनी थीं। खम्भों के सिरे भी चाँदी से मढ़े थे। आँगन के सभी खम्भे कनात की चाँदी की छड़ों से जुड़े थे।

18 आँगन के प्रवेश द्वार की कनात सन के उत्तम रेशों और नीले, लाल तथा बैंगनी कपड़े की बनी थी। इस पर कढ़ाई कढ़ी हुई थी। कनात दस गज लम्बी और ढाई गज[n] ऊँची थी। ये उसी ऊँचाई की थी जिस ऊँचाई की आँगन की चारों ओर की कनातें थीं। 19 कनात चार खम्भों और चार काँसें के आधारों पर खड़ी थी। खम्भों के छल्ले चाँदी के बने थे। खम्भों के सिरे चाँदी से मढ़े थे और पर्दे की छड़ें भी चाँदी की बनी थीं। 20 पवित्र तम्बू और आँगन के चारों ओर की कनातों की खूँटियाँ काँसे की बनी थीं।

21 मूसा ने सभी लेवी लोगों को आदेश दिया कि वे तम्बू अर्थात् साक्षीपत्र का तम्बू बनाने में काम आई हुई चीज़ों को लिख लें। हारून का पुत्र ईतामार इस सूची को रखने का अधिकारी था।

22 यहूदा के परिवार समूह से हूर के पुत्र ऊरी के पुत्र बसलेल ने भी सभी चीज़ें बनाईं जिनके लिये यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था। 23 दान के परिवार समूह से अहीसामाक के पुत्र ओहोलीआब ने भी उसे सहायता दी। ओहोलीआब एक निपुण कारीगर और शिल्पकार था। वह सन के उत्तम रेशों और नीले, बैंगनी और लाल कपड़े बुनने में निपुण था।

24 दो टन[o] से अधिक सोना पवित्र तम्बू के लिये यहोवा को भेंट किया गया था। (यह मन्दिर के प्रामाणिक बाटों से तोला गया था।)

25 लोगों ने पौने चार टन[p] से अधिक चाँदी दी। (यह अधिकारिक मन्दिर के बाट से तोली गयी थी।) 26 यह चाँदी उनके द्वारा कर वसूल करने से आई। लेवी पुरुषों ने बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों की गणना की। छः लाख तीन हज़ार पाँच सौ पचास लोग थे और हर एक पुरुष को एक बेका[q] चाँदी कर के रूप में देनी थी। (मन्दिर के अधिकारिक बाट के अनुसार एक बेका आधा शेकेल होता था।) 27 पौने चार टन चाँदी का उपयोग पवित्र तम्बू के सौ आधारों और कनातों को बनाने में हुआ था। उन्होंने पचहत्तर पौंड चाँदी हर एक आधार में लगायी। 28 अन्य पचास पौंड़[r] चाँदी का उपयोग खूँटियों कनातों की छड़ों और खम्भों के सिरों को बनाने में हुआ था।

29 साढ़े छब्बीस टन[s] से अधिक काँसा यहोवा को भेंट चढ़ाया गया। 30 उस काँसे का उपयोग मिलापवाले तम्बू के प्रवेश द्वार के आधारों को बनाने में हुआ। उन्होंने काँसे का उपयोग वेदी और काँसे की जाली बनाने में भी किया और वह काँसा, सभी उपकरण और वेदी की तश्तरियों को बनाने के काम में आया। 31 इसका उपयोग आँगन के चारों ओर की कनातों के आधारों और प्रवेश द्वार की कनातों के आधारों के लिए भी हुआ। और काँसे का उपयोग तम्बू के लिये खूँटियों को बनाने और आँगन के चारों ओर की कनातों के लिए हुआ।

याजकों के विशेष वस्त्र

39 कारीगरों ने नीले, लाल और बैंगनी कपड़ों के विशेष वस्त्र याजकों के लिए बनाए जिन्हें वे पवित्र स्थान में सेवा के समय पहनेंगे। उन्होंने हारून के लिए भी वैसे ही विशेष वस्त्र बनाये जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।

एपोद

उन्होंने एपोद सन के उत्तम रेशों और नीले, लाल और बैंगनी कपड़े से बनाया। (उन्होंने सोने को बारीक पट्टियों के रूप में पीटा और तब उन्होंने उसे लम्बे धागो के रूप में काटा। उन्होंने सोने को नीले, बैंगनी, लाल कपड़ों और सन के उत्तम रेशों में बुना। इसे निपुणता के साथ किया गया।) उन्होंने एपोद के कंधों की पट्टियाँ बनाईं। और कंधे की इन पट्टियों को एपोद के कंधे पर टाँका। पटुका उसी प्रकार बनाया गया था। यह एपोद से एक ही इकाई के रूप में जोड़ दिया गया। यह सोने के तार, सन के उत्तम रेशों, नीला, लाल और बैंगनी कपड़े से वैसा ही बना जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।

कारीगरों ने रत्नों को सोने की पट्टी में जड़ा। उन्होंने इस्राएल के पुत्रों के नाम रत्नों पर लिखे। तब उन्होंने रत्नों को एपोद के कंधें के पेबन्द पर लगाया। हर एक रत्न इस्राएल के बारह पुत्रों में से एक—एक का प्रतिनिधित्व करता था। यह वैसा ही किया गया जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।

सीनाबन्द

तब उन्होंने सीनाबन्द बनाया। यह वही निपुणता के साथ बनाया गया था। सीनाबन्द एपोद की तरह बनाया गया था। यह सोने के तार, सन के उत्तम रेशों, नीले, लाल और बैंगनी कपड़े का बनाया गया था। सीनाबन्द वर्गाकार दोहरा तह किया हुआ था। यह नौ इंच लम्बा और नौ इंच चौड़ा था। 10 तब कारीगर ने इस पर सुन्दर रत्नों की पक्तियाँ जड़ीं। पहली पंक्ति में एक लाल, एक पुखराज और एक मर्कतमणि थी। 11 दूसरी पंक्ति में एक फिरोज़ा, एक नीलम तथा एक पन्ना था। 12 तीसरी पंक्ति में एक धूम्रकान्त, अकीक और एक याकूत था। 13 चौथी पंक्ति में एक लहसुनिया, एक गोमेदक मणि, और एक कपिश मणि थी। ये सभी रत्न सोने में जड़े थे। 14 इन बारह रत्नों पर इस्राएल के पुत्रों के नाम उसी प्रकार लिखे गये थे जिस प्रराक एक कारीगर मुहर पर खोदता है। हर एक रत्न पर इस्राएल के बारह पुत्रों में से एक—एक का नाम था।

15 सीनाबन्द के लिए शुद्ध सोने की एक जंजीर बनाई गई। ये रस्सी की तरह बटी थी। 16 कारीगरों ने सोने की दो पट्टियाँ और दो सोने के छल्ले बनाए। उन्होंने दोनों छल्लों को सीनाबन्द के ऊपरी कोनों पर लगाया। 17 तब उन्होंने दोनों सोने की जंजीरों को दोनों छल्लों में बाँधा। 18 उन्होंने सोने की जंजीरों के दूसरी सिरों को दोनों पट्टियों से बाँधा। तब उन्होंने एपोद के दोनों कंधों से सामने की ओर उन्हें फँसाया। 19 तब उन्होंने दो और सोने के छल्ले बनाए और सीनाबन्द के निचले कोनों पर उन्हें लगाया। उन्होंने छल्लों को चोगे के समीप अन्दर लगाया। 20 उन्होंने सामने की ओर कंधे की पट्टी के तले में सोने के दो छल्ले लगाए। ये छल्ले बटनों के समीप ठीक पटुके के ऊपर थे। 21 तब उन्होंने एक नीली पट्टी का उपयोग किया और सीनाबन्द के छल्लों को एपोद छल्लों से बाँधा। इस प्रकार सीनाबन्द पेटी के समीप लगा रहा। यह गिर नहीं सकता था। उन्होंने यह सब चीज़ें यहोवा के आदेश के अनुसार कीं।

याजक के अन्य वस्त्र

22 तब उन्होंने एपोद के नीचे का चोगा बनाया। उन्होंने इसे नीले कपड़े से बनाया। यह एक निपुण व्यक्ति का काम था। 23 चोग़े के बीचोंबीच एक छेद था। इस छेद के चारों ओर कपड़े की गोट लगी थी। यह गोट छेद को फटने से बचाती थी। 24 तब उन्होंने सन के उत्तम रेशों, नीले, लाल और बैंगनी कपड़े से फुँदने बनाए जो अनार के आकार के नीचे लटके थे। उन्होंने इन अनारों को चोग़े के नीचे के सिरे पर चारों ओर बाँधा। 25 तब उन्होंने शुद्ध सोने की घंटियाँ बनाईं। उन्होंने अनारों के बीच में चोगे के नीचे के सिरे के चारों ओर इन्हें बाँधा। 26 लबादे के नीचे के सिरे के चारों ओर अनार और घंटियाँ थीं। हर एक अनारों के मध्य घंटी थी। याजक उस चोगे को तब पहनता था जब वह यहोवा की सेवा करता था, जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।

27 कारीगरों ने हारून और उसके पुत्रों के लिये लबादे बनाए। ये लबादे सन के उत्तम रेशों के थे। 28 और कारीगरों ने सन के उत्तम रेशों के साफ़े बनाए। उन्होंने सिर की पगड़ियाँ और अधोवस्त्र भी बनाए। उन्होंने इन चीज़ों को सन के उत्तम रेशों का बनाया। 29 तब उन्होंने पटुके को सन के उत्तम रेशों, नीले, बैंगनी और लाल कपड़े से बनाया। कपड़े में काढ़ने काढ़े गये। ये चीज़ें वैसी ही बनाई गईं जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।

30 तब उन्होंने सिर पर बाँधने के लिये सोने का पतरा बनाया। उन्होंने सोने पर ये शब्द लिखे: यहोवा के लिए पवित्र 31 तब उन्होंने पतरे से एक नीली पट्टी बाँधी और उसे पगड़ी पर इस प्रकार बाँधा जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।

मूसा द्वारा पवित्र तम्बू का निरीक्षण

32 इस प्रकार मिलापवाले तम्बू का सारा काम पूरा हो गया। इस्राएल के लोगों ने हर चीज़ ठीक वैसी ही बनाई जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था। 33 तब उन्होंने मिलापवाला तम्बू मूसा को दिखाया। उन्होंने उसे तम्बू और उसमें की सभी चीज़ें दिखाईं। उन्होंने उसे छल्ले, तख्ते, छड़ें खम्भे तथा आधार दिखाए। 34 उन्होंने उसे तम्बू का आच्छादन दिखाया जो लाल रंगी हुई भेड़ की खाल का बना था और उन्होंने वह आच्छादन दिखाया जो सुइसों के चमड़े का बना था और उन्होंने वह कनात दिखाई जो प्रवेश द्वार से सब से अधिक पवित्र स्थान को ढकती थी।

35 उन्होंने मूसा को साक्षीपत्र का सन्दूक दिखाया। उन्होंने सन्दूक को ले जाने वाली बल्लियाँ तथा सन्दूक को ढकने वाले ढक्कन को दिखाया। 36 उन्होंने विशेष रोटी की मेज़ तथा उस पर रहने वाली सभी चीज़ें और साथ में विशेष रोटी मूसा को दिखायी। 37 उन्होंने मूसा को शुद्ध सोने का दीपाधार और उस पर रखे हुए दीपकों को दिखाया। उन्होंने तेल और अन्य सभी चीज़ें मूसा को दिखाईं, जिनका उपयोग दीपकों के साथ होता था। 38 उन्होंने उसे सोने की वेदी, अभिषेक का तेल, सुगन्धित धूप और तम्बू के प्रवेश द्वार को ढकने वाली कनात को दिखाया। 39 उन्होंने काँसे की वेदी और काँसे की जाली को दिखाया। उन्होंने वेदी को ले जाने के लिये बनी बल्लियों को भी मूसा को दिखाया। और उन्होंने उन सभी चीज़ों को दिखाया जो वेदी पर काम मे आती थीं। उन्होंने चिलमची और उसके नीचे का आधार दिखाया।

40 उन्होंने आँगन के चारों ओर की कनातों को, खम्भों और आधारों के साथ मूसा को दिखाया। उन्होंने उसको उस कनात को दिखाया जो आँगन के प्रवेशद्वार को ढके थी। उन्होंने उसे रस्सियाँ और काँसे की तम्बू वाली खूँटियाँ दिखाईं। उन्होंने मिलापवाले तम्बू में उसे सभी चीज़ें दिखाईं।

41 तब उन्होंने मूसा को पवित्र स्थान में सेवा करने वाले याजकों के लिये बने वस्त्रों को दिखाया। वे उन वस्त्रों को तब पहनते थे जब वे याजक के रूप में सेवा करते थे।

42 यहोवा ने मूसा को जैसा आदेश दिया था इस्राएल के लोगों ने ठीक सभी काम उसी तरह किये। 43 मूसा ने सभी कामों को ध्यान से देखा। मूसा ने देखा कि सब काम ठीक उसी प्रकार हुआ जैसा यहोवा ने आदेश दिया था। इसलिए मूसा ने उनको आशीर्वाद दिया।

मूसा द्वारा पवित्र तम्बू की स्थापना

40 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “पहले महीने के पहले दिन पवित्र तम्बू जो मिलाप वाला तम्बू है खड़ा करो। साक्षीपत्र के सन्दूक को मिलापवाले तम्बू में रखो। सन्दूक को पर्दे से ढक दो। तब विशेष रोटी की मेज को अन्दर लाओ। जो सामान मेज पर होने चाहिए उन्हें उस पर रखो। तब दीपाधार को तम्बू में रखो। दीपाधार पर दीपकों को ठीक स्थानों पर रखो। सोने की वेदी को, धूप की भेंट के लिये तम्बू में रखो। वेदी को साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने रखो। तब कनात को पवित्र तम्बू के प्रवेश द्वार पर लगाओ।

“होमबलि की वेदी को मिलापवाले तम्बू की पवित्र तम्बू के प्रवेशद्वार पर रखो। चिलमची को वेदी और मिलापवाले तम्बू के बीच मे रखो। चिलमची में पानी भरो। आँगन के चारों ओर कनाते लगाओ। तब आँगन के प्रवेशद्वार पर कनात लगाओ।

“अभिषेक के तेल को डालकर पवित्र तम्बू और इसमें की हर एक चीज़ का अभिषेक करो। जब तुम इन चीज़ों पर तेल डालोगे तो तुम इन्हें पवित्र बनाओगे।[t] 10 होमबलि की वेदी का अभिषेक करो। वेदी की हर एक चीज़ का अभिषेक करो। तुम वेदी को पवित्र करोगे। यह अत्यधिक पवित्र होगी। 11 तब चिलमची और उसके नीचे के आधार का अभिषेक करो। ऐसा उन चीज़ों के पवित्र करने के लिये करो।

12 “हारून और उसके पुत्रों को मिलापवाले तम्बू के प्रवेशद्वार पर लाओ। उन्हें पानी से नहलाओ। 13 तब हारून को विशेष वस्त्र पहनाओ। तेल से उसका अभिषेक करो और उसे पवित्र करो। तब वह याजक के रूप में मेरी सेवा कर सकता है। 14 तब उसके पुत्रों को वस्त्र पहनाओ। 15 पुत्रों का अभिषेक वैसे ही करो जैसे उनके पिता का अभिषेक किया। तब वे भी मेरी सेवा याजक के रूप में कर सकते हैं। जब तुम अभिषेक करोगे, वे याजक हो जाएंगे। वह परिवार भविष्य में भी सदा के लिये याजक बना रहेगा।” 16 मूसा ने यहोवा की आज्ञा मानी। उसने वह सब किया जिसका यहोवा ने आदेश दिया था।

17 इस प्रकार ठीक समय पर पवित्र तम्बू खड़ा किया गया। यह मिस्र छोड़ने के बाद के दूसरे वर्ष में पहले महीने का पहला दिन था। 18 मूसा ने पवित्र तम्बू को यहोवा के कथानानुसार खड़ा किया। पहले उसने आधारों को रखा। तब उसने आधारों पर तख़्तों को रखा। फिर उसने बल्लियाँ लगाईं और खम्भों को खड़ा किया। 19 उसके बाद मूसा ने पवित्र तम्बू के ऊपर आच्छादन रखा। इसके बाद उसने तम्बू के आच्छादन पर दूसरा आच्छादन रखा। उसने यह यहोवा के आदेश के अनुसार किया।

20 मूसा ने साक्षीपत्र के उन पत्थरों को जिन पर यहोवा के आदेश लिखे थे, सन्दूक में रखा। मूसा ने बल्लियों को सन्दूक के छल्लों में लगाया। तब उसने ढक्कन को सन्दूक के ऊपर रखा। 21 तब मूसा सन्दूक को पवित्र तम्बू के भीतर लाया। और उसने पर्दे को ठीक स्थान पर लटकाया। उसने पवित्र तम्बू में साक्षीपत्र के सन्दूक को ढक दिया। मूसा ने ये चीज़ें यहोवा के आदेश के अनुसार कीं। 22 तब मूसा ने विशेष रोटी की मेज को मिलापवाले तम्बू में रखा। उसने इसे पवित्र तम्बू के उत्तर की ओर रखा। उसने इसे पर्दे के सामने रखा। 23 तब उसने यहोवा के सामने मेज पर रोटी रखी। उसने यह यहोवा ने जैसा आदेश दिया था, वैसा ही किया। 24 तब मूसा ने दीपाधार को मिलापवाले तम्बू में रखा। उसने दीपाधार को पवित्र तम्बू के दक्षिण ओर मेज के पार रखा। 25 तब यहोवा के सामने मूसा ने दीपाधार पर दीपक रखे। उसने यह यहोवा के आदेश के अनुसार किया।

26 तब मूसा ने सोने की वेदी को मिलापवाले तम्बू में रखा। उसने सोने की वेदी को पर्दे के सामने रखा। 27 तब उसने सोने की वेदी पर सुगन्धित धूप जलाई। उसने यह यहोवा के आदेशानुसार किया। 28 तब मूसा ने पवित्र तम्बू के प्रवेश द्वार पर कनात लगाई।

29 मूसा ने होमबलि वाली वेदी को, मिलापवाले तम्बू के प्रवेशद्वार पर रखा। तब मूसा ने एक होमबलि उस वेदी पर चढ़ाई। उसने अन्नबलि भी यहोवा को चढ़ाई। उसने ये चीज़ें यहोवा के आदेशानुसार कीं।

30 तब मूसा ने मिलापवाले तम्बू और वेदी के बीच चिलमची को रखा। और उसमे धोने के लिये पानी भरा। 31 मूसा, हारून और हारून के पुत्रों ने अपने हाथ और पैर धोने के लिए इस चिलमची का उपयोग किया। 32 वे हर बार जब मिलापवाले तम्बू में जाते तो अपने हाथ और पैर धोते थे। जब वे वेदी के निकट जाते थे तब भी वे हाथ और पैर धोते थे। वे इसे वैसे ही करते थे जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।

33 तब मूसा ने पवित्र तम्बू के आँगन के चारों ओर कनातें खड़ी कीं। मूसा ने वेदी को आँगन में रखा। तब उसने आँगन के प्रवेश द्वार पर कनात लगाई। इस प्रकार मूसा ने वे सभी काम पूरे कर लिए जिन्हें करने का आदेश यहोवा ने दिया था।

यहोवा की महिमा

34 जब सभी चीज़ें पूरी हो गईं, बादल ने मिलापवाले तम्बू को ढक लिया। और यहोवा के तेज़ से पवित्र तम्बू भर गया। 35 बादल मिलापवाले तम्बू पर उतर आया। और यहोवा के तेज ने पवित्र तम्बू को भर दिया। इसलिए मूसा मिलापवाले तम्बू में नहीं घुस सका।

36 इस बादल ने लोगों को संकेत दिया कि उन्हें कब चलना है। जब बादल तम्बू से उठता तो इस्राएल के लोग चलना आरम्भ कर देते थे। 37 किन्तु जब बादल तम्बू पर ठहर जाता तो लोग चलने की कोशिश नहीं करते थे। वे उसी स्थान पर ठहरे रहते थे, जब तक बादल तम्बू से नहीं उठता था। 38 इसलिए दिन में यहोवा का बादल तम्बू पर रहता था, और रात को बादल में आग होती थी। इसलिए इस्राएल के सबी लोग यात्रा करते समय बादल को देख सकते थे।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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