Book of Common Prayer
त्साधे
137 हे यहोवा, तू भला है
और तेरे नियम खरे हैं।
138 वे नियम उत्तम है जो तूने हमें वाचा में दिये।
हम सचमुच तेरे विधान के भरोसे रह सकते हैं।
139 मेरी तीव्र भावनाएँ मुझे शीघ्र ही नष्ट कर देंगी।
मैं बहुत बेचैन हूँ, क्योंकि मेरे शत्रुओं ने तेरे आदेशों को भूला दिया।
140 हे यहोवा, हमारे पास प्रमाण है,
कि हम तेरे वचन के भरोसे रह सकते हैं, और मुझे इससे प्रेम है।
141 मैं एक तुच्छ व्यक्ति हूँ और लोग मेरा आदर नहीं करते हैं।
किन्तु मैं तेरे आदेशों को भूलता नहीं हूँ।
142 हे यहोवा, तेरी धार्मिकता अनन्त है।
तेरे उपदेशों के भरोसे में रहा जा सकता है।
143 मैं संकट में था, और कठिन समय में था।
किन्तु तेरे आदेश मेरे लिये मित्र से थे।
144 तेरी वाचा नित्य ही उत्तम है।
अपनी वाचा को समझने में मेरी सहायता कर ताकि मैं जी सकूँ।
क्योफ़
145 सम्पूर्ण मन से यहोवा मैं तुझको पुकारता हूँ, मुझको उत्तर दे।
मैं तेरे आदेशों का पालन करता हूँ।
146 हे यहोवा, मेरी तुझसे विनती है।
मुझको बचा ले! मैं तेरी वाचा का पालन करूँगा।
147 यहोवा, मैं तेरी प्रार्थना करने को भोर के तड़के उठा करता हूँ।
मुझको उन बातों पर भरोसा है, जिनको तू कहता है।
148 देर रात तक तेरे वचनों का मनन करते हुए
बैठा रहता हूँ।
149 हे यहोवा, तू अपने पूर्ण प्रेम से मुझ पर कान दे।
तू वैसा ही कर जिसे तू ठीक कहता है, और मेरा जीवन बनाये रख।
150 लोग मेरे विरूद्ध कुचक्र रच रहे हैं।
हे यहोवा, ऐसे ये लोग तेरी शिक्षाओं पर चला नहीं करते हैं।
151 हे यहोवा, तू मेरे पास है।
तेरे आदेशों पर विश्वास किया जा सकता है।
152 तेरी वाचा से बहुत दिनों पहले ही मैं जान गया था
कि तेरी शिक्षाएँ सदा ही अटल रहेंगी।
रेश्
153 हे यहोवा, मेरी यातना देख और मुझको बचा ले,
मैं तेरे उपदेशों को भूला नहीं हूँ।
154 हे यहोवा, मेरे लिये मेरी लड़ाई लड़ और मेरी रक्षा कर।
मुझको वैसे जीने दे जैसे तूने वचन दिया।
155 दुष्ट विजयी नहीं होंगे।
क्यों क्योंकि वे तेरे विधान पर नहीं चलते हैं।
156 हे यहोवा, तू बहुत दयालु है।
तू वैसा ही कर जिसे तू अच्छा कहे, और मेरा जीवन बनाये रख।
157 मेरे बहुत से शत्रु है जो मुझे हानि पहुँचाने का जतन करते:
किन्तु मैंने तेरी वाचा का अनुसरण नहीं छोड़ा।
158 मैं उन कृतघ्नों को देख रहा हूँ।
हे यहोवा, तेरे वचन का पालन वे नहीं करते। मुझको उनसे घृणा है।
159 देख, तेरे आदेशों का पालन करने का मैं कठिन जतन करता हूँ।
हे यहोवा, तेरे सम्पूर्ण प्रेम से मेरा जीवन बनाये रख।
160 हे यहोवा, सनातन काल से तेरे सभी वचन विश्वास योग्य रहे हैं।
तेरा उत्तम विधान सदा ही अमर रहेगा।
23 फिर अय्यूब ने उत्तर देते हुये कहा:
2 “मैं आज भी बुरी तरह शिकायत करता हूँ कि परमेश्वर मुझे कड़ा दण्ड दे रहा है,
इसलिये मैं शिकायत करता रहता हूँ।
3 काश! मैं यह जान पाता कि उसे कहाँ खोजूँ!
काश! मैं जान पाता की परमेश्वर के पास कैसे जाऊँ!
4 मैं अपनी कथा परमेश्वर को सुनाता,
मेरा मुँह युक्तियों से भरा होता यह दर्शाने को कि मैं निर्दोष हूँ।
5 मैं यह जानना चाहता हूँ कि परमेश्वर कैसे मेरे तर्को का उत्तर देता है,
तब मैं परमेश्वर के उत्तर समझ पाता।
6 क्या परमेश्वर अपनी महाशक्ति के साथ मेरे विरुद्ध होता
नहीं! वह मेरी सुनेगा।
7 मैं एक नेक व्यक्ति हूँ।
परमेश्वर मुझे अपनी कहानी को कहने देगा, तब मेरा न्यायकर्ता परमेश्वर मुझे मुक्त कर देगा।
8 “किन्तु यदि मैं पूरब को जाऊँ तो परमेश्वर वहाँ नहीं है
और यदि मैं पश्चिम को जाऊँ, तो भी परमेश्वर मुझे नहीं दिखता है।
9 परमेश्वर जब उत्तर में क्रियाशील रहता है तो मैं उसे देख नहीं पाता हूँ।
जब परमेश्वर दक्षिण को मुड़ता है, तो भी वह मुझको नहीं दिखता है।
10 किन्तु परमेश्वर मेरे हर चरण को देखता है, जिसको मैं उठाता हूँ।
जब वह मेरी परीक्षा ले चुकेगा तो वह देखेगा कि मुझमें कुछ भी बुरा नहीं है, वह देखेगा कि मैं खरे सोने सा हूँ।
11 परमेश्वर जिस को चाहता है मैं सदा उस पर चला हूँ,
मैं कभी भी परमेश्वर की राह पर चलने से नहीं मुड़ा।
12 मैं सदा वही बात करता हूँ जिनकी आशा परमेश्वर देता है।
मैंने अपने मुख के भोजन से अधिक परमेश्वर के मुख के शब्दों से प्रेम किया है।
43 अगले दिन यीशु ने गलील जाने का निश्चय किया। फिर फिलिप्पुस को पाकर यीशु ने उससे कहा, “मेरे पीछे चला आ।” 44 फिलिप्पुस अन्द्रियास और पतरस के नगर बैतसैदा से था। 45 फिलिप्पुस को नतनएल मिला और उसने उससे कहा, “हमें वह मिल गया है जिसके बारे में मूसा ने व्यवस्था के विधान में और भविष्यवक्ताओं ने लिखा है। वह है यूसुफ का बेटा, नासरत का यीशु।”
46 फिर नतनएल ने उससे पूछा, “नासरत से भी कोई अच्छी वस्तु पैदा हो सकती है?”
फिलिप्पुस ने जवाब दिया, “जाओ और देखो।”
47 यीशु ने नतनएल को अपनी तरफ आते हुए देखा और उसके बारे में कहा, “यह है एक सच्चा इस्राएली जिसमें कोई खोट नहीं है।”
48 नतनएल ने पूछा, “तू मुझे कैसे जानता है?”
जवाब में यीशु ने कहा, “उससे पहले कि फिलिप्पुस ने तुझे बुलाया था, मैनें देखा था कि तू अंजीर के पेड़ के नीचे था।”
49 नतनएल ने उत्तर में कहा, “हे रब्बी, तू परमेश्वर का पुत्र है, तू इस्राएल का राजा है।”
50 इसके जवाब में यीशु ने कहा, “तुम इसलिये विश्वास कर रहे हो कि मैंने तुमसे यह कहा कि मैंने तुम्हें अंजीर के पेड़ के नीचे देखा। तुम आगे इससे भी बड़ी बातें देखोगे।” 51 इसने उससे फिर कहा, “मैं तुम्हें सत्य बता रहा हूँ तुम स्वर्ग को खुलते और स्वर्गदूतों को मनुष्य के पुत्र पर उतरते-चढ़ते देखोगे।”
संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का स्तुति गीत।
1 हे यहोवा, तूने मुझे परखा है।
मेरे बारे में तू सब कुछ जानता है।
2 तू जानता है कि मैं कब बैठता और कब खड़ा होता हूँ।
तू दूर रहते हुए भी मेरी मन की बात जानता है।
3 हे यहोवा, तुझको ज्ञान है कि मैं कहाँ जाता और कब लेटता हूँ।
मैं जो कुछ करता हूँ सब को तू जानता है।
4 हे यहोवा, इससे पहले की शब्द मेरे मुख से निकले तुझको पता होता है
कि मैं क्या कहना चाहता हूँ।
5 हे यहोवा, तू मेरे चारों ओर छाया है।
मेरे आगे और पीछे भी तू अपना निज हाथ मेरे ऊपर हौले से रखता है।
6 मुझे अचरज है उन बातों पर जिनको तू जानता है।
जिनका मेरे लिये समझना बहुत कठिन है।
7 हर जगह जहाँ भी मैं जाता हूँ, वहाँ तेरी आत्मा रची है।
हे यहोवा, मैं तुझसे बचकर नहीं जा सकता।
8 हे यहोवा, यदि मैं आकाश पर जाऊँ वहाँ पर तू ही है।
यदि मैं मृत्यु के देश पाताल में जाऊँ वहाँ पर भी तू है।
9 हे यहोवा, यदि मैं पूर्व में जहाँ सूर्य निकलता है जाऊँ
वहाँ पर भी तू है।
10 वहाँ तक भी तेरा दायाँ हाथ पहुँचाता है।
और हाथ पकड़ कर मुझको ले चलता है।
11 हे यहोवा, सम्भव है, मैं तुझसे छिपने का जतन करुँ और कहने लगूँ,
“दिन रात में बदल गया है
तो निश्चय ही अंधकार मुझको ढक लेगा।”
12 किन्तु यहोवा अन्धेरा भी तेरे लिये अंधकार नहीं है।
तेरे लिये रात भी दिन जैसी उजली है।
13 हे यहोवा, तूने मेरी समूची देह को बनाया।
तू मेरे विषय में सबकुछ जानता था जब मैं अभी माता की कोख ही में था।
14 हे यहोवा, तुझको उन सभी अचरज भरे कामों के लिये मेरा धन्यवाद,
और मैं सचमुच जानता हूँ कि तू जो कुछ करता है वह आश्चर्यपूर्ण है।
15 मेरे विषय में तू सब कुछ जानता है।
जब मैं अपनी माता की कोख में छिपा था, जब मेरी देह रूप ले रही थी तभी तूने मेरी हड्डियों को देखा।
16 हे यहोवा, तूने मेरी देह को मेरी माता के गर्भ में विकसते देखा। ये सभी बातें तेरी पुस्तक में लिखीं हैं।
हर दिन तूने मुझ पर दृष्टी की। एक दिन भी तुझसे नहीं छूटा।
17 हे परमेश्वर, तेरे विचार मेरे लिये कितने महत्वपूर्ण हैं।
तेरा ज्ञान अपरंपार है।
18 तू जो कुछ जानता है, उन सब को यदि मैं गिन सकूँ तो वे सभी धरती के रेत के कणों से अधिक होंगे।
किन्तु यदि मैं उनको गिन पाऊँ तो भी मैं तेरे साथ में रहूँगा।
19 हे परमेश्वर, दुर्जन को नष्ट कर।
उन हत्यारों को मुझसे दूर रख।
20 वे बुरे लोग तेरे लिये बुरी बातें कहते हैं।
वे तेरे नाम की निन्दा करते हैं।
21 हे यहोवा, मुझको उन लोगों से घृणा है!
जो तुझ से घृणा करते हैं मुझको उन लोगों से बैर है जो तुझसे मुड़ जाते हैं।
22 मुझको उनसे पूरी तरह घृणा है!
तेरे शत्रु मेरे भी शत्रु हैं।
23 हे यहोवा, मुझ पर दृष्टि कर और मेरा मन जान ले।
मुझ को परख ले और मेरा इरादा जान ले।
24 मुझ पर दृष्टि कर और देख कि मेरे विचार बुरे नहीं है।
तू मुझको उस पथ पर ले चल जो सदा बना रहता है।
अपनी मृत्यु के बारे में यीशु का वचन
20 फ़सह पर्व पर जो आराधना करने आये थे उनमें से कुछ यूनानी थे। 21 वे गलील में बैतसैदा के निवासी फिलिप्पुस के पास गये और उससे विनती करते हुए कहने लगे, “महोदय, हम यीशु के दर्शन करना चाहते हैं।” तब फिलिप्पुस ने अन्द्रियास को आकर बताया। 22 फिर अन्द्रियास और फिलिप्पुस ने यीशु के पास आकर कहा।
23 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मानव-पुत्र के महिमावान होने का समय आ गया है। 24 मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि जब तक गेहूँ का एक दाना धरती पर गिर कर मर नहीं जाता, तब तक वह एक ही रहता है। पर जब वह मर जाता है तो अनगिनत दानों को जन्म देता है। 25 जिसे अपना जीवन प्रिय है, वह उसे खो देगा किन्तु वह, जिसे इस संसार में अपने जीवन से प्रेम नहीं है, उसे अनन्त जीवन के लिये रखेगा। 26 यदि कोई मेरी सेवा करता है तो वह निश्चय ही मेरा अनुसरण करे और जहाँ मैं हूँ, वहीं मेरा सेवक भी रहेगा। यदि कोई मेरी सेवा करता है तो परम पिता उसका आदर करेगा।
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