मत्ती 6:25-34
New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)
चिंता झन करव
(लूका 12:22-34)
25 “एकरसेति, मेंह तुमन ला कहत हंव कि तुमन अपन जिनगी के बारे म चिंता झन करव कि तुमन का खाहू या का पीहू, अऊ न अपन देहें के बारे म चिंता करव कि तुमन का पहिरहू। का जिनगी ह भोजन ले जादा महत्व के नो हय? अऊ देहें ह ओन्ढा ले बढ़ के नो हय? 26 अकास के चिरईमन ला देखव; ओमन ह न बोवंय, न लुवंय अऊ न कोठार म जमा करंय; तभो ले तुम्हर स्वरगीय ददा ह ओमन ला खवाथे। का तुमन चिरईमन ले जादा महत्व के नो हव? 27 तुम्हर म ले कोन ह चिंता करे के दुवारा अपन जिनगी म एको घरी घलो बढ़ा सकथे?
28 तुमन ओन्ढा बर काबर चिंता करथव? खेत के जंगली फूलमन ला देखव कि ओमन कइसने बढ़थें। ओमन न तो मिहनत करंय अऊ न ही ओन्ढा बिनंय। 29 तभो ले मेंह तुमन ला बतावत हंव कि राजा सुलेमान घलो अपन जम्मो सोभा म एमन ले एको झन सहीं नइं सजे-धजे रिहिस। 30 यदि परमेसर ह खेत के कांदी ला, जऊन ह आज इहां हवय अऊ कल आगी म झोंक दिये जाही, अइसने ओन्ढा पहिराथे, तब हे अल्प बिसवासी मनखेमन, ओह तुमन ला अऊ बने ओन्ढा काबर नइं पहिराही? 31 एकरसेति तुमन चिंता झन करव अऊ ए झन कहव कि हमन का खाबो? या का पीबो? या का पहिरबो? 32 आनजातमन ए जम्मो चीज के खोज म रहिथें। तुम्हर स्वरगीय ददा ह जानथे कि तुमन ला ए जम्मो चीज के जरूरत हवय। 33 परमेसर के राज अऊ ओकर धरमीपन के खोज करव, त ए जम्मो चीजमन घलो संग म तुमन ला दिये जाही। 34 एकरसेति, कल के चिंता झन करव, काबरकि कल के दिन ह अपन चिंता खुद कर लिही। आज के दुःख ह आज खातिर बहुंते हवय।”
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