मत्तियाह 11:1-19
Saral Hindi Bible
बपतिस्मा देने वाले योहन की शंका का समाधान
(लूकॉ 7:18-35)
11 जब येशु अपने बारह शिष्यों को निर्देश दे चुके, वह शिक्षा देने और प्रचार के लिए वहाँ से उनके नगरों में चले गए.
2 बन्दीगृह में जब योहन ने मसीह के कामों के विषय में सुना उन्होंने अपने शिष्यों को येशु से यह पूछने भेजा, 3 “क्या आप वही है, जिस की प्रतिज्ञा तथा प्रतीक्षा की हुई हैं, या हम किसी अन्य का इंतज़ार करें?”
4 येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “जो कुछ तुम देख और सुन रहे हो उसकी सूचना योहन को दे दो: 5 अंधे देख पा रहे हैं, लँगड़े चल रहे हैं, कोढ़ के रोगियों को शुद्ध किया जा रहा है, बहिरे सुनने लगे हैं, मरे हुए दोबारा जीवित किए जा रहे हैं तथा कंगालों को सुसमाचार सुनाया जा रहा है. 6 धन्य है वह, जिसका विश्वास मुझ पर से नहीं उठता.”
7 जब योहन के शिष्य वहाँ से जा ही रहे थे, येशु भीड़ से योहन के विषय में कहने लगे.
“तुम जंगल में क्या देखने गए हुए थे? वायु द्वारा झुलाए हुए सरकण्डे को? 8 यदि यह नहीं तो फिर क्या देखने गए थे? कीमती वस्त्र धारण किए हुए किसी व्यक्ति को? जो ऐसे वस्त्र धारण करते हैं उनका निवास तो राजभवनों में होता है. 9 तुम क्यों गए थे? किसी भविष्यद्वक्ता से भेंट करने? हाँ! मैं तुम्हें बता रहा हूँ कि यह वह हैं, जो भविष्यद्वक्ता से भी बढ़कर हैं 10 यह वह हैं जिनके विषय में लिखा गया है:
“मैं अपना दूत तुम्हारे आगे भेज रहा हूँ,
जो तुम्हारे आगे-आगे जा कर तुम्हारे लिए मार्ग तैयार करेगा.
11 सच तो यह है कि आज तक जितने भी मनुष्य हुए हैं उनमें से एक भी बपतिस्मा देने वाले योहन से बढ़कर नहीं. फिर भी स्वर्ग-राज्य में छोटे से छोटा भी योहन से बढ़कर है. 12 बपतिस्मा देने वाले योहन के समय से ले कर अब तक स्वर्ग-राज्य प्रबलतापूर्वक फैल रहा है और आकांक्षी-उत्साही व्यक्ति इस पर अधिकार कर रहे हैं. 13 भविष्यद्वक्ताओं तथा व्यवस्था की भविष्यवाणी योहन तक ही थीं 14 यदि तुम इस सच में विश्वास कर सको तो सुनो: योहन ही वह एलियाह हैं जिनका दोबारा आगमन होना था. 15 जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले.
16 “इस पीढ़ी की तुलना मैं किस से करूँ? यह हाट में बैठे हुए उन बालकों के समान है, जो पुकारते हुए अन्यों से कह रहे हैं:
17 “‘जब हमने तुम्हारे लिए बाँसुरी बजाई,
तुम न नाचे;
हमने शोकगीत भी गाए,
फिर भी तुम न रोए.
18 “बपतिस्मा देने वाले योहन न तो रोटी का सेवन करते थे, न दाखरस का इसलिए उन्होंने घोषित कर दिया, ‘उसमें प्रेत का वास है.’ 19 मानव-पुत्र का खान-पान सामान्य है और उन्होंने घोषित कर दिया, ‘अरे, वह तो पेटू और पियक्कड़ है; वह तो चुँगी लेनेवालों और अपराधी व्यक्तियों का मित्र है!’ बुद्धि अपनी सन्तान द्वारा साबित हुई है.”
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