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पापों के परिणाम के बारे में यीशु की चेतावनी

(मत्ती 18:6-9; लूका 17:1-2)

42 “और जो कोई इन नन्हे अबोध बच्चों में से किसी को, जो मुझमें विश्वास रखते हैं, पाप के मार्ग पर ले जाता है, तो उसके लिये अच्छा है कि उसकी गर्दन में एक चक्की का पाट बाँध कर उसे समुद्र में फेंक दिया जाये। 43 यदि तेरा हाथ तुझ से पाप करवाये तो उसे काट डाल, टुंडा हो कर जीवन में प्रवेश करना कहीं अच्छा है बजाय इसके कि दो हाथों वाला हो कर नरक में डाला जाये, जहाँ की आग कभी नहीं बुझती। 44 [a] 45 यदि तेरा पैर तुझे पाप की राह पर ले जाये उसे काट दे। लँगड़ा हो कर जीवन में प्रवेश करना कहीं अच्छा है, बजाय इसके कि दो पैरों वाला हो कर नरक में डाला जाये। 46 [b] 47 यदि तेरी आँख तुझ से पाप करवाए तो उसे निकाल दे। काना होकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कहीं अच्छा है बजाय इसके कि दो आँखों वाला हो कर नरक में डाला जाये। 48 जहाँ के कीड़े कभी नहीं मरते और जहाँ की आग कभी बुझती नहीं।

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Footnotes

  1. 9:44 मरकुस की कुछ यूनानी प्रतियों में पद 44 जोड़ा गया है।
  2. 9:46 मरकुस की कुछ यूनानी प्रतियों में पद 46 जोड़ा गया है।