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47 जऊन ह मोर करा आथे, अऊ मोर गोठमन ला सुनथे अऊ ओला मानथे – मेंह तुमन ला बतावत हंव कि ओह काकर सहीं अय। 48 ओह ओ घर बनइया मनखे सहीं अय, जऊन ह भुइयां ला गहिरा कोड़िस अऊ चट्टान ऊपर नींव डारिस। जब बाढ़ (पुरा) आईस अऊ पानी ओ घर ले टकराईस, पर ओला हलाय नइं सकिस, काबरकि ओ घर ह मजबूत बने रिहिस। 49 पर जऊन ह मोर गोठ ला सुनथे अऊ ओला नइं मानय, ओह ओ मनखे के सहीं अय, जऊन ह भुइयां म बिगर नींव डारे घर बनाईस, अऊ जब बाढ़ के पानी ओ घर ले टकराईस, त ओह गिरके बरबाद हो गीस।”

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