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41 पेतरॉस ने उनसे प्रश्न किया, “प्रभु, आपका यह दृष्टान्त मात्र हमारे लिए ही है या भीड़ के लिए भी?”

42 प्रभु ने उत्तर दिया, “वह विश्वासयोग्य और बुद्धिमान भण्ड़ारी कौन होगा जिसे स्वामी सभी सेवकों का प्रधान ठहराए कि वह अन्य सेवकों को निर्धारित समय पर भोज्य सामग्री दे दे. 43 धन्य है वह दास, जिसे उसका स्वामी लौटने पर यही करता हुआ पाए. 44 सच तो यह है कि स्वामी उसे अपनी सारी सम्पत्ति पर अधिकारी ठहराएगा. 45 किन्तु यदि वह दास अपने मन में कहने लगे, ‘अभी तो मेरे स्वामी के लौटने में बहुत समय है’ और वह अन्य दास-दासियों की पिटाई करने लगे और खा-पी कर नशे में चूर हो जाए. 46 उसका स्वामी एक ऐसे दिन लौटेगा, जिसकी उसने कल्पना ही न की थी और एक ऐसे क्षण में, जिसके विषय में उसे मालूम ही न था तो स्वामी उसे मृत्युदण्ड दे कर उसकी गिनती अविश्वासियों में कर देगा.

47 “वह दास, जिसे अपने स्वामी की इच्छा का पूरा पता था किन्तु वह न तो इसके लिए तैयार था और न उसने उसकी इच्छा के अनुसार व्यवहार ही किया, कठोर दण्ड पाएगा. 48 किन्तु वह, जिसे इसका पता ही न था और उसने दण्ड पाने योग्य अपराध किए, कम दण्ड पाएगा. हर एक से, जिसे बहुत ज़्यादा दिया गया है उससे बहुत ज़्यादा मात्रा में ही लिया जाएगा तथा जिसे अधिक मात्रा में सौंपा गया है, उससे अधिक का ही हिसाब लिया जाएगा.

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