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परोपकारी परमेश्वर के मित्र होते हैं

11 इसलिए प्रभु से डरते हुए हम सत्य को ग्रहण करने के लिये लोगों को समझाते-बुझाते हैं। हमारे और परमेश्वर के बीच कोई पर्दा नहीं है। और मुझे आशा है कि तुम भी हमें पूरी तरह जानते हो।

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मेल-मिलाप-सेवकाई

11 हमें यह अहसास है कि परमेश्वर का भय क्या है, इसलिए हम सभी को समझाने का प्रयत्न करते हैं. परमेश्वर के सामने यह स्पष्ट है कि हम क्या हैं और मैं आशा करता हूँ कि तुम्हारे विवेक ने भी इसे पहचान लिया है.

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14 हमारा नियन्ता तो मसीह का प्रेम है क्योंकि हमने अपने मन में यह धार लिया है कि वह एक व्यक्ति (मसीह) सब लोगों के लिये मरा। अतः सभी मर गये।

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14 अपने लिए मसीह के प्रेम का यह अहसास हमें परिपूर्ण कर देता है कि सबके लिए एक की मृत्यु हुई इसलिए सभी की मृत्यु हो गई;

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20 इसलिये हम मसीह के प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहे हैं। मानो परमेश्वर हमारे द्वारा तुम्हें चेता रहा है। मसीह की ओर से हम तुमसे विनती करते हैं कि परमेश्वर के साथ मिल जाओ।

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20 इसलिए हम मसीह के राजदूत हैं. परमेश्वर हमारे द्वारा तुमसे विनती कर रहे हैं. मसीह की ओर से तुमसे हमारी विनती है: परमेश्वर से मेल-मिलाप कर लो.

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