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43 “सब संसार परमेस्सर क मनइयन स खुस होइ।
    काहेकि उ ओनकी मदद करत ह आपन सेवकन क हत्तियारन क उ सजा देत रहत ह।
उ आपन दुस्मनन स बदला लेत ह
    अउर आपन देस अउर आपन लोगन बरे प्रायस्चित करत ह।”

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