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यदि वह धरती पर होता तो वह याजक नहीं हो पाता क्योंकि वहाँ पहले से ही ऐसे व्यक्ति हैं जो व्यवस्था के विधान के अनुसार भेंट चढ़ाते हैं। पवित्र उपासना स्थान में उनकी सेवा-उपासना स्वर्ग के यथार्थ की एक छाया प्रतिकृति है। इसलिए जब मूसा पवित्र तम्बू का निर्माण करने ही वाला था, तभी उसे चेतावनी दे दी गयी थी। “ध्यान रहे कि तू हर वस्तु ठीक उसी प्रतिरूप के अनुसार बनाए जो तुझे पर्वत पर दिखाया गया था।”(A) किन्तु जो सेवा कार्य यीशु को प्राप्त हुआ है, वह उनके सेवा कार्य से श्रेष्ठ है। क्योंकि वह जिस वाचा का मध्यस्थ है वह पुराने वाचा से उत्तम है और उत्तम वस्तुओं की प्रतिज्ञाओं पर आधारित है।

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