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32 “तउ अब, मोर पूतो, मोर बात सुना।
    ओ धन्न अहइ जउन जन मोर राह पइ चलत हीं।
33 मोर उपदेस सुना अउर बुद्धिमान बना।
    एनकर उपेच्छा जिन करा।
34 उहइ जन धन्न अहइ, जउन मोर बात सुनत अउर रोज मोरे दुआरन पइ दृस्टि लगाए रहत
    एवं मोर ड्योढ़ी पइ बाट जोहत रहत ह।
35 काहेकि जउन मोका पाइ लेत उहइ जिन्नगी पावत
    अउर उ यहोवा क अनुग्रह पावत ह।
36 मुला उ जउन मोर खिलाफ पाप करत ह खूद ही चोट खावत ह
    उ जउन मोहे स घिना करत ह उ मउत स गले लगावत ह।”

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