लूकॉ 11:14-28
Saral Hindi Bible
मसीह येशु पर शैतान का दूत होने का आरोप
(मत्ति 12:22-37; मारक 3:20-30)
14 मसीह येशु एक व्यक्ति में से, जो गूँगा था, एक प्रेत को निकाल रहे थे. प्रेत के निकलते ही वह, जो गूँगा था, बोलने लगा. यह देख भीड़ अचम्भित रह गई. 15 किन्तु उनमें से कुछ ने कहा, “वह तो प्रेतों के प्रधान शैतान की सहायता से प्रेत निकालता है.” 16 कुछ अन्य ने मसीह येशु को परखने के उद्देश्य से उनसे अद्भुत चिह्न की माँग की.
17 उनके मन की बातें जानकर मसीह येशु ने उनसे कहा, “कोई भी राज्य, जिसमें फूट पड़ चुकी है, नाश हो जाता है और जिस परिवार में फूट पड़ चुकी हो, उसका नाश हो जाता है. 18 यदि शैतान अपने ही विरुद्ध काम करने लगे तो उसका राज्य स्थिर कैसे रह सकता है? मैं ये सब इसलिए कह रहा हूँ कि तुम यह दावा कर रहे हो कि मैं प्रेतों को शैतान की सहायता से निकाला करता हूँ. 19 अच्छा, यदि मैं प्रेतों को शैतान की सहायता से निकाला करता हूँ, तब तुम्हारे शिष्य उन्हें किसकी सहायता से निकाला करते हैं? परिणामस्वरूप तुम्हारे ही शिष्य तुम पर आरोप लगाएँगे. 20 किन्तु यदि मैं प्रेतों को परमेश्वर के सामर्थ्य के द्वारा निकालता हूँ, तब परमेश्वर का राज्य तुम्हारे मध्य आ चुका है.
21 “जब कोई बलवान व्यक्ति शस्त्रों से पूरी तरह से सुसज्जित हो कर अपने घर की चौकसी करता है, तो उसकी सम्पत्ति सुरक्षित रहती है 22 किन्तु जब उससे अधिक बलवान कोई व्यक्ति उस पर आक्रमण कर उसे अपने वश में कर लेता है और वे सभी शस्त्र, जिन पर वह भरोसा करता था, छीन लेता है, तो वह उसकी सम्पत्ति को लूट कर बांट देता है.
23 “वह, जो मेरे पक्ष में नहीं है मेरे विरुद्ध है और वह, जो मेरे साथ इकट्ठा नहीं करता, वह बिखेरता है.
24 “जब प्रेत किसी व्यक्ति में से बाहर निकलता है, वह सूखे स्थानों में विश्राम की खोज में भटकता रहता है और न मिलने पर वह विचार करता है, ‘मैं उसी घर में लौट जाऊँगा, जिसमें से मैं निकला था.’ 25 वहाँ पहुँच कर वह उस घर को साफ़ और सजा हुआ पाता है. 26 वह जा कर अपने से अधिक दुष्ट सात अन्य प्रेत ले आता है. वे सभी उस मनुष्य में प्रवेश कर उसमें निवास करने लगते हैं. उस व्यक्ति की यह दशा पहली दशा से अधिक बुरी हो जाती है.”
27 जब मसीह येशु यह शिक्षा दे रहे थे, भीड़ में से एक नारी पुकार उठी, “धन्य है वह माता, जिसने आपको जन्म दिया और आपका पालन-पोषण किया.”
28 किन्तु मसीह येशु ने कहा, “परन्तु धन्य वे हैं, जो परमेश्वर के वचन को सुन कर उसका पालन करते हैं.”
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