Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
पौलुस अऊ ओकर रोमी नागरिकता
22 मनखेमन अब तक पौलुस के बात ला सुनत रिहिन। तब ओमन चिचियाके कहिन, “धरती ले एकर नामो निसान मिटा देवव। ओह जीयत रहे के लइक नो हय।”
23 जब ओमन चिचियावत अऊ अपन-अपन कपड़ा फेंकत अऊ हवा म धूर्रा उड़ावत रहंय, 24 तब सेनापति ह हुकूम दीस, “एला, किला म ले जावव अऊ एला कोर्रा मारके पुछव कि मनखेमन काबर एकर बिरोध म अइसने चिचियावत हवंय।” 25 जब ओमन पौलुस ला कोर्रा मारे बर बांधे लगिन, त ओह उहां ठाढ़े अधिकारी ले कहिस, “का ए उचित ए कि तुमन एक रोमी नागरिक ला कोर्रा म मारव अऊ ओ भी ओला बिगर दोसी ठहिराय[a]?”
26 जब अधिकारी ह ए सुनिस, त ओह सेनापति करा जाके कहिस, “तेंह ए का करथस? ए मनखे ह तो रोमी नागरिक ए।”
27 तब सेनापति ह पौलुस करा आईस अऊ ओकर ले पुछिस, “मोला बता, का तेंह रोमी नागरिक अस?”
पौलुस ह कहिस, “हव जी।”
28 सेनापति ह कहिस, “मेंह अपन रोमी नागरिक के पद ला बहुंत पईसा देके पाय हवंव।”
त पौलुस ह कहिस, “मेंह तो जनम ले रोमी नागरिक अंव।”
29 तब जऊन मन पौलुस के जांच करइया रिहिन, ओमन तुरते उहां ले हट गीन। सेनापति खुद ए सोचके डर्रा गीस कि पौलुस ह रोमी नागरिक ए अऊ ओह ओला संकली म बंधवाय हवय।
30 ओकर आने दिन, सही-सही बात ला जाने बर कि यहूदीमन पौलुस ऊपर काबर दोस लगावत हवंय, सेनापति ह ओकर संकली ला खुलवा दीस अऊ मुखिया पुरोहितमन ला अऊ जम्मो धरम-महासभा के मनखेमन ला जुरे के हुकूम दीस। तब ओह पौलुस ला लानके ओमन के आघू म ठाढ़ करिस।
23 पौलुस ह धरम-महासभा कोति एकटक देखिस अऊ कहिस, “हे भाईमन हो! मेंह आज तक परमेसर खातिर सही मन से काम करे हवंव।” 2 अतकी म महा पुरोहित हनन्याह ह ओमन ला, जऊन मन पौलुस के लकठा म ठाढ़े रहंय, ओकर मुहूं म मारे के हुकूम दीस। 3 तब पौलुस ह ओला कहिस, “हे चूना पोताय भिथी! परमेसर ह तोला मारही। तेंह उहां कानून के मुताबिक मोर नियाय करे बर बईठे हवस, पर कानून के उल्टा मोला मारे के हुकूम देवत हस[b]।”
4 पौलुस के लकठा म ठाढ़े मनखेमन ओला कहिन, “तेंह परमेसर के महा पुरोहित के बेजत्ती करत हस।”
5 पौलुस ह कहिस, “हे भाईमन हो! मेंह नइं जानत रहेंव कि एह महा पुरोहित ए, काबरकि परमेसर के बचन ह कहिथे, ‘अपन मनखेमन के हाकिम के बारे म खराप बात झन कह।’[c]”
6 तब पौलुस ह ए जानके कि इहां कुछू सदूकी अऊ फरीसी मन घलो हवंय, ओह महासभा म कहिस, “हे मोर भाईमन! मेंह एक फरीसी अंव अऊ एक फरीसी के बेटा अंव। मुरदामन के फेर जी उठे के मोर आसा के बारे म मोर ऊपर मुकदमा चलत हवय।” 7 जब पौलुस ह ए बात कहिस, त फरीसी अऊ सदूकी मन म झगरा होय लगिस अऊ सभा म फूट पड़ गे। 8 (काबरकि सदूकीमन बिसवास करथें कि मुरदामन नइं जी उठंय अऊ न स्वरगदूत हवय, न आतमा; पर फरीसीमन ए जम्मो बात म बिसवास करथें)।
9 तब अब्बड़ हो-हल्ला होईस अऊ फरीसी दल के कानून के कुछू गुरूमन ठाढ़ होके जोरदार बहस करन लगिन अऊ कहिन, “हमन ए मनखे म कोनो खराप बात नइं पावत हवन। कहूं कोनो आतमा या स्वरगदूत एला कुछू कहे हवय, त का होईस?” 10 जब बहुंत झगरा होय लगिस, त सेनापति ह डर्रा गे कि कहूं ओमन पौलुस के कुटी-कुटी झन कर डारंय। एकरसेति, ओह सैनिकमन ला हुकूम दीस कि ओमन उतरके पौलुस ला मनखेमन के बीच ले निकार लें अऊ ओला किला म ले जावंय।
11 ओ रतिहा परभू ह पौलुस के लकठा म ठाढ़ होके कहिस, “हिम्मत रख। जइसने तेंह यरूसलेम म मोर गवाही दे हवस, वइसने तोला रोम म घलो मोर गवाही दे बर पड़ही।”
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