Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
पौलुस ऊपर परभू के अनुग्रह
12 मेंह अपन परभू मसीह यीसू के धनबाद करत हंव, जऊन ह मोला ताकत दे हवय अऊ मोला बिसवास के लइक समझके अपन सेवा बर ठहिराय हवय। 13 मेंह तो पहिली ओकर निन्दा करइया, अतियाचारी अऊ ओकर बेजत्ती करइया रहेंव, तभो ले परमेसर के दया मोर ऊपर होईस काबरकि मेंह ए जम्मो ला नासमझी म करेंव अऊ ओकर ऊपर बिसवास नइं करत रहेंव। 14 हमर परभू के अनुग्रह, ओ बिसवास अऊ मया के संग, जऊन ह मसीह यीसू म हवय, मोर ऊपर बहुंत अकन होईस।
15 ए बात सच ए अऊ पूरा-पूरी माने अऊ बिसवास करे के लइक अय कि मसीह यीसू ह ए संसार म पापीमन के उद्धार करे बर आईस, जेम सबले बड़े पापी मेंह अंव। 16 पर मोर ऊपर एकरसेति दया होईस कि मोर म, जऊन ह कि सबले बड़े पापी अंव, यीसू मसीह ह अपन पूरा सहनसीलता देखावय, ताकि जऊन मनखेमन मसीह ऊपर बिसवास करहीं अऊ परमेसर के संग सदाकाल के जिनगी पाहीं, ओमन बर मेंह एक नमूना बनंव। 17 सदाकाल के राजा, अबिनासी, अनदेखे, सिरिप एकेच परमेसर के आदर अऊ महिमा जुग-जुग होवत रहय। आमीन।
गंवाय मेढ़ा के पटंतर
(मत्ती 18:12-14)
15 एक बार जम्मो लगान लेवइया अऊ पापी मनखेमन यीसू करा जूरत रिहिन कि ओमन ओकर बात ला सुनंय। 2 पर फरीसी अऊ कानून के गुरू मन ए कहिके कुड़कुड़ाय लगिन, “ए मनखे ह पापीमन के सुवागत करथे अऊ ओमन के संग खाथे।”
3 एकरसेति यीसू ह ओमन ला ए पटंतर कहिस, 4 “मान लव, तुमन ले एक झन करा एक सौ भेड़ हवंय अऊ ओम ले एक ठन गंवा जाथे, त का ओह ओ निनान्बे भेड़मन ला मैदान म छोंड़के ओ गंवाय भेड़ ला तब तक नइं खोजही, जब तक कि ओह मिल नइं जावय? 5 अऊ जब ओला भेड़ ह मिल जाथे, त ओह ओला खुसी के मारे अपन कंधा म उठा लेथे, 6 अऊ अपन घर जाथे। अऊ तब ओह अपन संगवारी अऊ पड़ोसी मन ला बलाथे अऊ कहिथे, ‘मोर संग आनंद मनावव, काबरकि मोर गंवाय भेड़ ह मोला मिल गीस।’ 7 मेंह तुमन ला कहत हंव कि ओही किसम ले एक पापी मनखे के पछताप करे ले स्वरग म बहुंत आनंद मनाय जाथे, जतेक कि निनान्बे धरमी मनखेमन बर नइं मनाय जावय, जऊन मन ला पछताप करे के जरूरत नइं ए।”
गंवाय सिक्का के पटंतर
8 “या मान लव, एक माईलोगन करा दस ठन चांदी के सिक्का हवय अऊ ओम ले एक ठन गंवा जाथे, त का ओह दीया बारके घर ला नइं बहारे अऊ मन लगाके खोजय जब तक कि ओह मिल न जावय। 9 अऊ जब ओला सिक्का ह मिल जाथे, त ओह अपन संगवारी अऊ पड़ोसी मन ला बलाथे अऊ कहिथे, ‘मोर संग आनंद मनावव, काबरकि मोर गंवाय सिक्का ह मोला मिल गे हवय।’ 10 मेंह तुमन ला कहत हंव कि ओही किसम ले, जब एक पापी मनखे पछताप करथे, त उहां स्वरग म परमेसर के स्वरगदूतमन के आघू म आनंद मनाय जाथे।”
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