Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
आखिरी प्रोत्साहन
13 भाईमन सहीं एक-दूसर ले मया करते रहव। 2 अनजान मनखेमन के आव-भगत करे बर झन भूलव, काबरकि अइसने करे के दुवारा कुछू मनखेमन अनजाने म स्वरगदूतमन के आव-भगत करे हवंय। 3 जऊन मन जेल म हवंय, ओमन के खियाल रखव, ए सोचके कि मानो तुमन घलो ओमन संग कैद म हवव, अऊ जऊन मन के संग गलत बरताव करे जाथे, ओमन के घलो खियाल रखव, ए सोचके कि मानो तुमन खुद दुःख उठावत हवव।
4 बिहाव ह जम्मो मनखे म आदर के बात समझे जावय। घरवाला अऊ घरवाली एक-दूसर के छोंड़ अऊ काकरो संग गलत संबंध झन रखंय, काबरकि परमेसर ह ओ जम्मो झन के नियाय करही, जऊन मन बेभिचारी अंय अऊ आने के संग गलत संबंध रखथें। 5 तुमन अपन-आप ला रूपिया-पईसा के मोह-मया ले दूर रखव अऊ जऊन कुछू तुम्हर करा हवय, ओम संतोस रहव, काबरकि परमेसर ह कहे हवय,
“मेंह तोला कभू नइं छोड़ंव;
मेंह तोला कभू नइं तियागंव।”[a]
6 एकरसेति हमन बेधड़क कहिथन,
“परभू ह मोर सहायक ए; मेंह नइं डरंव।
मनखे ह मोर का कर सकथे?”[b]
7 अपन ओ अगुवामन के खियाल रखव, जऊन मन तुमन ला परमेसर के बचन सुनाईन। ओमन के जिनगी के जम्मो बने बात के बारे म सोचव अऊ ओमन के बिसवास के नकल करव। 8 यीसू मसीह ह कल, आज अऊ सदाकाल बर उसनेच ए।
15 एकरसेति आवव, हमन यीसू के जरिये परमेसर ला लगातार इस्तुति के बलिदान चघावन अऊ ए बलिदान ह हमर मुहूं के ओ बचन ए, जऊन ह ओकर नांव ला मानथे। 16 अऊ भलई करे बर अऊ आने मन के मदद करे बर झन भूलव, काबरकि अइसने बलिदान परमेसर ला भाथे।
यीसू ह बिसराम दिन म एक मनखे ला चंगा करथे
14 एक बिसराम के दिन, यीसू ह बड़े फरीसी के घर म खाना खाय बर गीस, अऊ मनखेमन ओला धियान से देखत रहंय।
7 जब यीसू ह देखिस कि नेवताहारीमन कइसने चुन-चुनके बढ़िया जगह म बईठत हवंय, त ओह ओमन ला ए पटंतर कहिस, 8 “जब कोनो तुमन ला बिहाव के भोज बर नेवता देथे, त उहां जाके सबले बढ़िया जगह म झन बईठव, काबरकि हो सकथे कि उहां तोर ले घलो जादा बड़े मनखे ला नेवता देय गे होही, 9 यदि अइसने अय, तब ओ मनखे जऊन ह तुमन दूनों ला नेवता देय हवय, आही अऊ तोला कहिही, ‘तोर जगह ए मनखे ला देय दे।’ तब तोर बेजत्ती होही अऊ तोला छोटे जगह म बईठना पड़ही। 10 एकरसेति जब तोला नेवता दिये जाथे, त जाके छोटे जगह म बईठ, ताकि जब नेवता देवइया ह आवय, त ओह तोर ले कहय, ‘हे संगवारी, जाके बने जगह म बईठ।’ तब आने जम्मो संगी पहुनामन के आघू म तोर आदर-मान होही। 11 काबरकि जऊन ह अपन-आप ला बड़े करथे, ओला छोटे करे जाही अऊ जऊन ह अपन-आप ला छोटे करथे, ओला बड़े करे जाही।”
12 तब यीसू ह अपन नेवता देवइया ला कहिस, “जब तेंह मंझन या रतिहा कोनो भोज देथस, त अपन संगवारी या अपन भाई या अपन रिस्तेदार या अपन धनी पड़ोसी मन ला झन नेवता दे; यदि तेंह ओमन ला नेवता देथस, त ओमन घलो बदले म तोला नेवता दे सकथें, अऊ ए किसम ले जऊन कुछू तेंह करे हवस, ओकर भरपई हो जाही। 13 पर जब तेंह कोनो भोज देथस, त गरीब, अपंग, खोरवा अऊ अंधरामन ला बलाय कर। 14 तब परमेसर ह तोला आसिस दिही। हालाकि ओमन बदले म तोला कुछू नइं दे सकंय, पर तोला एकर परतिफल ओ समय मिलही, जब धरमी मनखेमन फेर जी उठहीं।”
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