Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
छिनारीपन
27 “तुमन सुने हवव कि ए कहे गे रिहिस, ‘छिनारी झन करव।’ 28 पर मेंह तुमन ला कहत हंव कि जऊन कोनो माईलोगन ला खराप नजर ले देखथे, त ओह अपन मन म ओकर संग छिनारी कर चुकिस। 29 यदि तोर जेवनी आंखी ह तोर पाप म परे के कारन बनथे, त ओला निकारके फटिक दे। तोर बर एह बने अय कि अपन देहें के एक ठन अंग ला गंवा दे, पर तोर जम्मो देहें ह नरक म झन डारे जावय। 30 अऊ कहूं तोर जेवनी हांथ ह तोर पाप म परे के कारन बनथे, त ओला काटके फटिक दे। तोर बर एह बने अय कि अपन देहें के एक ठन अंग ला गंवा दे, पर तोर जम्मो देहें ह नरक म झन चले जावय।”
तलाक
(मत्ती 19:9; मरकुस 10:11-12; लूका 16:18)
31 “ए घलो कहे गे रिहिस, ‘जऊन कोनो अपन घरवाली ला छोंड़ देथे, त ओह ओला तियाग पतर जरूर देवय।’[a] 32 पर मेंह तुमन ला कहत हंव कि जऊन कोनो छिनारीपन के अलावा कोनो आने कारन ले अपन घरवाली ला छोंड़ देथे, त ओह ओकर छिनारी करे के कारन बनथे, अऊ जऊन ह ओ तियागे गय माईलोगन ले बिहाव करथे, त ओह घलो छिनारी करथे।”
किरिया
33 “तुमन ए घलो सुने हवव कि बहुंत पहिले मनखेमन ला ए कहे गे रिहिस, ‘तुमन झूठ-मूठ के किरिया झन खावव, पर परभू के आघू म करे गे किरिया ला पूरा करव।’ 34 पर मेंह तुमन ला कहत हंव कि किरिया कभू झन खावव; न तो स्वरग के काबरकि ओह परमेसर के सिंघासन अय; 35 न तो धरती के, काबरकि एह परमेसर के गोड़ के चउकी अय; न तो यरूसलेम के, काबरकि ओह महाराजा के सहर अय। 36 अऊ अपन मुड़ के घलो किरिया झन खावव, काबरकि तुमन एको ठन चुंदी ला घलो पंडरा या करिया नइं कर सकव।
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