Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
19 काबरकि यदि कोनो परमेसर ला जानके, अनियाय के दुःख-तकलीफ सहथे, त एह परसंसा के बात अय। 20 कहूं तुमन गलत काम करे के कारन मार खाथव अऊ ओला सहिथव, त तुम्हर बर एह कोनो बड़ई के बात नो हय। पर कहूं तुमन भलई करे के कारन दुःख सहिथव, त एह परमेसर के आघू म बड़ई के बात अय। 21 तुमन ला एकरे खातिर बलाय गे रिहिस, काबरकि मसीह ह तुम्हर खातिर दुःख भोगिस अऊ तुम्हर बर एक नमूना रखे हवय कि तुमन ओकर मुताबिक चलव।
22 “ओह कोनो पाप नइं करिस
अऊ ओकर मुहूं ले कोनो कपट के बात नइं निकरिस।”[a]
23 जब मनखेमन मसीह के बेजत्ती करिन, त ओकर जबाब म ओह ओमन के बेजत्ती नइं करिस; जब ओह दुःख उठाईस, त ओह कोनो धमकी नइं दीस, पर बदले म, ओह अपन आसा परमेसर ऊपर रखिस, जऊन ह धरमी नियायी अय। 24 ओह खुद हमर पापमन ला अपन देहें म कुरुस ऊपर सहिस, ताकि हमन पाप खातिर मर जावन अऊ धरमीपन खातिर जीयन। ओकर घावमन के दुवारा तुमन चंगा होय हवव। 25 तुमन भटके भेड़मन सहीं रहेव, पर अब तुमन चरवाहा अऊ आतमा के रखवार करा लहुंटके आ गे हवव।
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